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ग्वालियर :जिला अस्पताल में इस महीने से IPHL की सुविधा, जिससे मरीजों को बेहतर और सुलभ जांच सेवाएं मिलेंगी

 ग्वालियर  एमपी में ग्वालियर के जिला अस्पताल में सर्वसुविधा युक्त इंट्रीगेटेड हेल्थ लैब (आईपीएचएल) की सुविधा इस महीने से मिलने लगेगी। इस सुविधा से मरीजों की महंगी जांचें भी आसानी से यहां पर फ्री में हो जाएंगी। इसके लिए जल्द ही शिफ्टिंग का काम शुरू किया जाएगा। जिला अस्पताल में अभी लगभग 162 के प्रकार की जांच होती हैं। इसमें महंगी जांचें शामिल नहीं हैं, लेकिन आईपीएचएल लैब के शुरू होने से कल्चर की सभी जांचें होने लगेंगी। इसमें लगभग 34 जांचें और जुड़ जाएंगी। मरीजों को दूसरे अस्पतालों में जाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। वर्तमान में बड़ी जांच के लिए मरीजों को निजी लैब के अलावा जेएएच भेजा जाता है। ब्लड की सभी तरह की जांचें शुरू हो जाएंगी जिला अस्पताल में थाइराइड, विटामिन डी, विटामिन बी- 12, आदि की जांचें बाजार में एक हजार रुपए तक की होती हैं, लेकिन यहां पर यह सभी जांचें फ्री में हो रही हैं। वहीं यह लैब शुरू होने से अब कल्चर की जांच में ब्लड की सभी तरह की जांचें भी शुरू हो जाएंगी। बिल्डिंग शिफ्टिंग का काम होगा शुरू जिला अस्पताल में इस लैब के लिए तैयार हॉल में बारिश के पानी के कारण कुछ परेशानी आने से शिफ्टिंग का काम कुछ लेट हो गया है। संभवत: इसी महीने इस लैब का सामान शिफ्ट होकर जांचें शुरू कर दी जाएंगी। आईपीएचएल लैब में मरीजों को 196 तरह की जांचें होंगी। इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है। जल्द ही मरीजों को इस लैब की सुविधाएं मिलना शुरू हो जाएंगी।– डॉ. राजेश शर्मा, सिविल अस्पताल

इंदौर का क्लीननेस रिकॉर्ड कायम! इंदौर फिर सबसे ऊपर? दिल्ली में आज 17 जुलाई को परिणाम का खुलासा

इंदौर स्वच्छ भारत सर्वेक्षण की रैंकिंग आज गुरुवार को जारी होगी। दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू की मौजूदगी में स्वच्छता रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन करने वाले शहरों को पुरस्कार मिलेंगे। जनसंख्या के हिसाब से शहरोंं को अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया है। इस बार इंदौर सहित अन्य 12 शहरों की स्वच्छता का पैमाना अलग रहेगा। उनका आंकलन भी अलग रहा। लगातार तीन वर्षों तक रैंकिंग में टाॅप रहे शहरों की केंद्रीय शहरी मंत्रालय ने अलग केटेगरी बनाई है। इन शहरों को प्रीमियर लीग में रखा गया है। सात साल से लगातार देश में स्वच्छता का ताज बरकार रखने वाले इंदौर का दावा इस बार मजबूत है, लेकिन सूरत की तरफ से कड़ी टक्कर इंदौर को मिल रही है। सूरत ने पिछले साल भी इंदौर के साथ स्वच्छता का पुरस्कार साझा किया था। सफाई में इस बार स्वच्छता की अलग-अलग श्रेणियां रखी गई है। लीग में जो शहर पहले स्थान पर होगा, उसे स्वच्छता लीग पुरस्कार दिया जाएगा,जबकि लीग से बाहर के शहरों के पुरस्कारों की घोषणा अलग से रैंकिंग के आधार पर होगी। इस रैंकिंग में गुजरात का अहमदाबाद शहर पहले स्थान पर हो सकता है। दूसरे नंबर पर भोपाल शहर है। विजेता शहरों को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत किया जाएगा। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इंदौर से अफसर रवाना हो गए है।   चार हजार से अधिक शहरों की रैंकिंग स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में 4 हजार 700 शहर शामिल है। इन शहरों को 12 हजार 500 में से अंक दिए जाएंगे। कचरा प्रबंधन, निपटान, पब्लिक फीडबैक, कचरा संग्रहण सहित अन्य केटेगरी में अलग-अलग नंबर दिए जाएंगे। इंदौर का दावा इसलिए मजबूत इंदौर में सड़कों की सफाई, कचरा कलेक्शन और कचरा निपटना का सिस्टम सबसे मजबूत है। इंदौर के लोग भी सफाई को लेकर सजग है। कचरा सड़कों पर नहीं फेंकते है। दूसरे शहरों में यह सिस्टम नियमित तौर पर काम नहीं कर पा रहा है। सूरत ने पिछले साल डोर डू डोर कचरा संग्रहण पर काफी काम किया था और उसमे समान नंबर आने के कारण रैंकिंग में इंदौर के समान नंबर पाए थे। स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 में भोपाल देश के सबसे साफ शहरों में टॉप-3 पर स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में स्वच्छ शहरों के मामले राजधानी भोपाल ने देश में दूसरा स्थान हासिल किया है. भोपाल की रैंकिंग में सुधार करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया. देश के दूसरे क्लीनेस्ट सिटी में शुमार हुए भोपाल में अब जश्न की तैयारी है. भोपाल नगर निगम ने जनप्रतिनिधि स्वच्छता मित्रों और जनता के साथ जश्न मनाएंगी. स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 में भोपाल देश के सबसे साफ शहरों में टॉप-3 पर है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू पुरस्कार देगी। निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने बताया, भोपाल ने 3 पायदान छलांग लगाई है और देश में दूसरे नंबर पर आया है स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में राजधानी भोपाल ने पिछले साल की तुलना में तीन पायदान की छलांग लगाते हुए भारत के दूसरे क्लीनेस्ट सिटी का तमगा हासिल किया है.अहमदाबाद अव्वल आया है, जबकि लखनऊ ने 44वें पायदान से बड़ी छलांग लगाकर तीसरे स्थान पर पहुंच गई है. 17 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में होगा स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 अवॉर्ड वितरण कार्यक्रम गौरतलब है 17 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 अवॉर्ड वितरण कार्यक्रम में होगा. अवॉर्ड समारोह में शामिल होने के लिए भोपाल मेयर और कमिश्नर आज नई दिल्ली के लिए रवाना होंगे, जहां आधिकारिक रूप से स्वच्छ शहर के विजेताओं की घोषणा भी होगी, इसके बाद अवॉर्ड दिए जाएंगे. अवॉर्ड लेने नई दिल्ली के लिए रवाना होंगे भोपाल नगर निगम मेयर और कमिश्नर रिपोर्ट के मुताबिक देश के स्वच्छ सिटी में दूसरा स्थान का अवॉर्ड पाने के लिए भोपाल नगर निगम मेयर और निगम कमिश्नर आज नई दिल्ली के लिए रवाना होंगे और 17 जुलाई यानी कल राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के हाथों अवॉर्ड ग्रहण करेंगे.निगम शुक्रवार को भोपाल में जनप्रतिनिधि स्वच्छता मित्रों और जनता के साथ जश्न मनाने की तैयारी कर रही है. राष्ट्रपति 17 जुलाई को सुपर लीग श्रेणी में इंदौर को अवॉर्ड देंगी. यह अवॉर्ड इंदौर को 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में मिलेगा. 3 से 10 लाख तक की जनसंख्या में उज्जैन और 20 हजार से अधिक जनसंख्या वाले में सीहोर जिले की बुदनी को यह अवॉर्ड मिलेगा. इधर, पुरस्कार लेने के लिए मेयर मालती राय और निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण बुधवार को दिल्ली के रवाना होंगे। 17 जुलाई को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में एक आयोजन होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू करेंगी। सबसे स्वच्छ राजधानी का तमगा मिलने की उम्मीद स्वच्छ सर्वेक्षण में इस बार भी मध्यप्रदेश के शहर बाजी मारेंगे। राजधानी भोपाल देश के सबसे स्वच्छ शहरों में दूसरे नंबर पर रहेगा। साथ ही सबसे स्वच्छ राजधानी का तमगा भी फिर मिलने की उम्मीद है। पिछली बार पांचवें नंबर पर था भोपाल पिछले सर्वे में भोपाल 5वें नंबर पर था। कचरे की प्रोसेसिंग में सुधार व डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था को और पुख्ता कर भोपाल ने दावा मजबूत किया है। वहीं, फरवरी में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) की वजह से भी भोपाल को फायदा मिलेगा। जीआईएस के चलते राजधानी में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा के काम शहर में हुए हैं। इसमें स्वच्छता से जुड़े काम भी शामिल थे। इसी दौरान स्वच्छता सर्वेक्षण टीमें भी भोपाल पहुंची थी। इसलिए दावा मजबूत है। स्वच्छ सर्वेक्षण में भोपाल का अब तक का सफर स्वच्छ सर्वेक्षण में भोपाल ने 2017 और 2018 में लगातार दो साल देश में दूसरी रैंक हासिल की थी। 2019 में भोपाल खिसककर 19वें नंबर पर आ गया था। उस समय अफसरों के लगातार तबादले के कारण तैयारियों की दिशा ही तय नहीं हो पाई थी, लेकिन 2020 में कम बैक करते हुए 12 पायदान ऊपर खिसका और 7वीं रैंक हासिल की। 2021 के सर्वेक्षण में भी भोपाल ने 7वां स्थान हासिल किया था। 2022 के सर्वेक्षण में भोपाल की रैंक सुधरी और यह छठवें स्थान पर आ गया। वहीं, भोपाल को 5 स्टार मिला। 2023 के सर्वेक्षण में पांचवीं रैंकिंग रही थी। इस बार यह टॉप-3 में हो सकती है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में इस बार प्रदेश के कुल 8 शहर सम्मानित किया गया हैं … Read more

CSE की रिपोर्ट में शहरी भारत में ओजोन प्रदूषण में खतरनाक वृद्धि, स्वास्थ्य और खेती पर बुरा असर

नई दिल्ली भारत के बड़े शहरों जैसे कोलकाता, बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नई में इस गर्मी (2025) में जमीन के स्तर पर ओजोन प्रदूषण ने खूब सिर उठाया है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, इन शहरों में ओजोन का स्तर कई दिनों तक 8 घंटे के मानक से ज्यादा रहा. यह प्रदूषण इतना खतरनाक है कि यह लोगों के स्वास्थ्य और खेती पर बुरा असर डाल रहा है. इस समस्या को समझते हैं और जानते हैं कि क्या करना जरूरी है.  क्या है ओजोन प्रदूषण? ओजोन एक गैस है जो तीन ऑक्सीजन अणुओं से बनती है. ऊंचे आसमान में यह हमें सूरज की हानिकारक किरणों से बचाती है, लेकिन जमीन के पास यह प्रदूषण बन जाता है. यह सीधे किसी स्रोत से नहीं निकलता, बल्कि वाहनों, उद्योगों और बिजलीघरों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) के सूरज की रोशनी में रासायनिक प्रतिक्रिया से बनता है. यह गैस बहुत प्रतिक्रियाशील होती है. हवा में लंबी दूरी तक फैल सकती है, जिससे यह शहरों से लेकर गांवों तक को प्रभावित करती है. शहरों में ओजोन का हाल CSE की रिपोर्ट के मुताबिक, इस गर्मी (मार्च-मई 2025) में कई शहरों में ओजोन का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. दिल्ली की रिपोर्ट पहले ही जारी हो चुकी है, इसलिए इस अध्ययन में उसे शामिल नहीं किया गया. आइए, बाकी शहरों की स्थिति देखें…     बेंगलुरु: इस गर्मी में 92 दिनों में से 45 दिन ओजोन का स्तर मानक से ज्यादा रहा, जो पिछले साल की तुलना में 29% की बड़ी बढ़ोतरी है. होमबेगोड़ा नगर सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र रहा.     मुंबई: 92 दिनों में 32 दिन ओजोन स्तर बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में 42% कम है. चकाला सबसे प्रभावित इलाका रहा.     कोलकाता: 22 दिन ओजोन स्तर बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में 45% कम है. रवींद्र सरोवर और जादवपुर हॉटस्पॉट बने.     हैदराबाद: 20 दिन ओजोन स्तर बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में 55% कम है. बोल्लारम सबसे ज्यादा प्रभावित रहा.     चेन्नई: 15 दिन ओजोन स्तर बढ़ा, जो पिछले साल शून्य था. आलंदुर सबसे प्रभावित क्षेत्र रहा. इन शहरों में ओजोन का स्तर सिर्फ गर्मियों में नहीं,बल्कि सर्दियों और अन्य मौसमों में भी बढ़ रहा है, खासकर गर्म जलवायु वाले इलाकों में. ओजोन के हॉटस्पॉट और असर हर शहर में कुछ खास इलाके हैं जहां ओजोन का स्तर सबसे ज्यादा बढ़ता है. इन हॉटस्पॉट्स में प्रदूषण का असर और गंभीर होता है. ओजोन सांस की नली को नुकसान पहुंचाता है. अस्थमा और दमा जैसी बीमारियों को बढ़ाता है. बच्चों, बुजुर्गों व सांस की बीमारी वालों के लिए खतरनाक है. यह फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ता है. क्यों बढ़ रहा ओजोन प्रदूषण? ओजोन का बढ़ना मौसम और प्रदूषण स्रोतों पर निर्भर करता है. गर्मी और सूरज की रोशनी इसकी रासायनिक प्रतिक्रिया को तेज करती है. वाहन, उद्योग, कचरा जलाना और ठोस ईंधन का इस्तेमाल इसके मुख्य कारण हैं. दिलचस्प बात यह है कि जहां नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) ज्यादा होता है, वहां ओजोन कम बनता है, लेकिन साफ इलाकों में यह जमा हो जाता है . समाधान क्या हो? CSE की अनुमिता रॉयचौधरी कहती हैं कि अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह गंभीर स्वास्थ्य संकट बन सकता है.इसके लिए जरूरी कदम हैं…     सख्त कदम: वाहनों, उद्योगों और कचरा जलाने से निकलने वाली गैसों को कम करना होगा. शून्य उत्सर्जन वाहन और साफ ईंधन को बढ़ावा देना जरूरी है.     निगरानी बढ़ाएं: ओजोन के स्तर को मापने के लिए और स्टेशन लगाने चाहिए, ताकि हॉटस्पॉट्स की पहचान हो सके.     क्षेत्रीय योजना: ओजोन एक क्षेत्रीय प्रदूषण है, इसलिए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर मिलकर काम करना होगा.     जागरूकता: लोगों को इस प्रदूषण के बारे में बताना और साफ हवा के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करना जरूरी है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वर्तमान में, अपर्याप्त निगरानी, सीमित आँकड़े और अप्रभावी प्रवृत्ति विश्लेषण विधियों ने इस बढ़ते जन स्वास्थ्य जोखिम को समझने में बाधा डाली है। जमीनी स्तर पर ओज़ोन की जटिल रासायनिक संरचना इसे एक ऐसा प्रदूषक बनाती है जिसका पता लगाना और उसे कम करना मुश्किल है। ओज़ोन की अत्यधिक विषाक्त प्रकृति के कारण, राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक केवल अल्पकालिक जोखिम (एक घंटे और आठ घंटे के औसत) के लिए निर्धारित किया गया है, और अनुपालन इन मानकों से अधिक दिनों की संख्या के आधार पर मापा जाता है। शोधकर्ताओं ने रेखांकित किया कि इसके लिए शीघ्र कार्रवाई आवश्यक है। इस पत्र में कहा गया है कि वाहनों, उद्योगों और अन्य स्रोतों से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने के लिए कड़े नियमों की आवश्यकता है। इसमें भारत में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है, "कार्ययोजना के सह-लाभों को अधिकतम करने के लिए कण प्रदूषण, ओज़ोन और NOx जैसी इसकी पूर्ववर्ती गैसों के संयुक्त नियंत्रण हेतु कार्यनीति को तत्काल परिष्कृत किया जाना चाहिए।"  

इंदौर-खंडवा रेल परियोजना को लेकर एक बड़ी खुशखबरी, वन विभाग की NOC, दक्षिण भारत से सीधी कनेक्टिविटी

इंदौर इंदौर-खंडवा रेल परियोजना को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। इस महत्वपूर्ण रेल लाइन के लिए वन विभाग ने अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी कर दिया है, जिससे परियोजना की सबसे बड़ी बाधा दूर हो गई है। अब इस रेल मार्ग के निर्माण को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा। यह रेल लाइन उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाला सबसे छोटा और सीधा मार्ग होगी, जो न केवल इंदौर के व्यापारिक और औद्योगिक विकास को नई गति देगी, बल्कि यात्रियों के लिए समय और दूरी की बचत भी करेगी। यह परियोजना मालवांचल के लिए एक नया युग शुरू करने वाली है, जो क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देगी।  यह रेल लाइन उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाला सबसे छोटा और सीधा रेल मार्ग साबित होगी, जो न केवल इंदौर के व्यापारिक और औद्योगिक भविष्य को नई रफ्तार देगा, बल्कि यात्रियों को भी समय और दूरी दोनों में राहत देगी। इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने इस प्रोजेक्ट में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। उन्होंने रेलवे अधिकारियों और वन विभाग के बीच संयुक्त बैठक करवाई थी, जिससे आवश्यक तकनीकी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं सरल हुईं। इसके बाद हाल ही में सांसद लालवानी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर इस परियोजना की प्राथमिकता को रेखांकित किया और वन विभाग से अनुमति दिलवाने का अनुरोध किया था। इंदौर-खंडवा रेल लाइन के पूरा होने के बाद इंदौर का संपर्क सीधे खंडवा-भुसावल-नासिक-मुंबई की ओर तथा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों से तेज़, किफायती और सुविधाजनक सफर हो जाएगा। इस रेल कॉरिडोर से मालवांचल के व्यापारियों, किसानों और यात्रियों सभी को लाभ मिलेगा। सांसद ने बताया कि यह रेल मार्ग मालवांचल और दक्षिण भारत के बीच सीधी व बेहतर कनेक्टिविटी के लिहाज से बेहद अहम है। बढ़कर 80 किमी हो जाएगी इंदौर-खंडवा की दूरी इंदौर से खंडवा की दूरी मीटरगेज में पहले 48 किमी थी, लेकिन अब बढ़कर 80 किमी हो जाएगी। ब्रॉडगेज का ट्रैक बनाने के लिए पातालपानी के पहले घूमकर ट्रेन बलवाड़ा पहुंचेगी, जिससे 32 किमी की दूरी बढ़ गई है। हालांकि इस ट्रैक के बनने से इंदौर की दक्षिण भारत के शहरों बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई व उत्तर भारत के जयपुर, अजमेर शहरों तक सीधी पहुंच होगी। अभी इन शहरों तक जाने के लिए घूमकर जाना पड़ता है। इंदौर खंडवा अकोला ब्रॉडगेज हो जाने से उत्तर और दक्षिण को जोड़ने वाला सबसे छोटा रूट होगा। इससे आम लोगों के समय की बचत होगी। रेलवे का मुनाफा बढ़ेगा। एक दशक से इंदौर से खंडवा रेल कनेक्टिविटी खत्म हो चुकी एक दशक से इंदौर से खंडवा के बीच रेल कनेक्टिविटी खत्म हो गई है। पूर्व में यहां पर मीटरगेज लाइन थी, जो महू से पातालपानी, कालाकुंड, बलवाड़ा, चौरल होकर खंडवा तक जाती थी। अब ब्रॉडगेज लाइन महू से पातालपानी के पहले घूमकर बलवाड़ा तक जा रही है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण 32 किमी का घुमाव है, जिसमें 454 हेक्टेयर जमीन वन विभाग की आ रही है। ट्रैक में महू और बड़वाह तहसील की अधिकांश भूमि जमीन आ रही है। उस पर ट्रैक डालने के लिए रेलवे लंबे समय से अनुमति मांग रहा था। दक्षिण भारत से सीधी कनेक्टिविटी का सपना होगा साकार इंदौर-खंडवा रेल लाइन के पूरा होने के बाद इंदौर का सीधा संपर्क खंडवा, भुसावल, नासिक और मुंबई के साथ-साथ तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों से हो जाएगा। यह रेल कॉरिडोर मालवांचल के व्यापारियों, किसानों और यात्रियों के लिए तेज, किफायती और सुविधाजनक यात्रा का विकल्प प्रदान करेगा। सांसद लालवानी ने बताया कि यह रेल मार्ग मालवांचल और दक्षिण भारत के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। एक दशक से बंद थी रेल कनेक्टिविटी   पिछले एक दशक से इंदौर और खंडवा के बीच रेल कनेक्टिविटी बंद थी। पहले यहां मीटरगेज लाइन थी, जो महू से पातालपानी, कालाकुंड, बलवाड़ा और चौरल होते हुए खंडवा तक जाती थी। अब ब्रॉडगेज लाइन के लिए महू से पातालपानी के पहले घूमकर बलवाड़ा तक ट्रैक बनाया जा रहा है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण 32 किमी का घुमाव है, जिसमें 454 हेक्टेयर वन विभाग की जमीन शामिल है। रेलवे लंबे समय से इस जमीन पर ट्रैक बिछाने की अनुमति मांग रहा था, जो अब मिल गई है।        

एचडीएफसी बैंक पहली बार देने जा रहा बोनस शेयर, मिलेगा डबल गिफ्ट

नई दिल्ली  भारत के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक के निवेशकों के लिए बड़ी खबर है। बैंक ने कहा है कि उनका बोर्ड 19 जुलाई को एक मीटिंग करने वाला है। इस मीटिंग में पहली बार बोनस शेयर जारी करने और फाइनेंशियल ईयर 2026 के लिए स्पेशल डिविडेंड देने पर विचार किया जाएगा। बैंक ने कहा है कि बोनस शेयर जारी करने का फैसला नियमों के अनुसार होगा। इसके लिए शेयरधारकों की मंजूरी भी जरूरी होगी। अभी तक बैंक ने बोनस शेयर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है। Trendlyne के डेटा के अनुसार अगर HDFC बैंक बोनस शेयर जारी करता है, तो यह पहली बार होगा। बोनस शेयर का मतलब है कि कंपनी अपने शेयरधारकों को मुफ्त में अतिरिक्त शेयर देगी। यह एक तरह से कंपनी की तरफ से शेयरधारकों को तोहफा होगा। बोनस शेयर के साथ-साथ बोर्ड 2025-26 के वित्तीय वर्ष के लिए स्पेशल डिविडेंड पर भी विचार करेगा। डिविडेंड का मतलब है कि कंपनी अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा शेयरधारकों को देगी। पहली बार बोनस शेयर देने की तैयारी! बैंक के इतिहास में यह पहली बार होगा जब वह अपने निवेशकों को बोनस शेयर देने की योजना बना रहा है. इस संभावित घोषणा की खबर आते ही शेयर बाजार में तेजी देखी गई. बुधवार के कारोबारी सत्र में एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) का शेयर करीब 1% बढ़कर ₹2,022 के स्तर पर पहुँच गया. बोनस के साथ विशेष लाभांश? एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) की 19 जुलाई को होने वाली बोर्ड मीटिंग सिर्फ बोनस शेयरों तक ही सीमित नहीं है. बैंक विशेष अंतरिम लाभांश पर भी विचार करेगा. अगर दोनों प्रस्तावों को मंजूरी मिल जाती है, तो निवेशकों को एक साथ दोहरा तोहफा मिलने की संभावना है. शेयर में सकारात्मक तेजी, वॉल्यूम में उछाल बुधवार को शेयर का ट्रेडिंग वॉल्यूम 23,92,100 तक पहुंच गया, जिससे साफ जाहिर है कि बाजार में एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है. बोनस शेयर और लाभांश की संभावना अल्पावधि में इस शेयर को और मजबूत बना सकती है. 2025 में अब तक 22% रिटर्न, भरोसा कायम एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) के शेयर ने साल 2025 में अब तक 22% से ज़्यादा रिटर्न दिया है. पिछले तीन महीनों में इस शेयर में लगभग 6% की वृद्धि और एक महीने में 3% का सकारात्मक रिटर्न देखने को मिला है. इससे पता चलता है कि मजबूत बुनियादी बातों के साथ यह शेयर लगातार निवेशकों को आकर्षित कर रहा है. मार्केट कैप में शीर्ष पर: बैंकिंग क्षेत्र की रानी ₹15.30 लाख करोड़ से ज्यादा के मार्केट कैप के साथ, एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) न केवल भारत में बल्कि एशिया में भी सबसे बड़े निजी बैंकों में से एक है. यह निवेशकों के लिए एक विश्वसनीय और स्थिर विकल्प बना हुआ है. शेयर की कीमत एचएफडीसी बैंक ने पहले ही बता दिया था कि उसके कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग 21 जुलाई, 2025 तक बंद रहेगी। यह नियम इसलिए है ताकि कोई भी अंदरूनी जानकारी का गलत इस्तेमाल न कर सके। बैंक के इस नियम को शेयर डीलिंग कोड कहा जाता है। बैंक की वेबसाइट के मुताबिक उसके निवेशकों की संख्या 41,21,815 है। बैंक में विदेशी निवेशकों की करीब 41 फीसदी हिस्सेदारी है। HDFC बैंक के शेयर की बात करें तो पिछले एक साल में इसके शेयर में 23.01% की बढ़ोतरी हुई है। इस साल की शुरुआत से अब तक इसमें 11.94% की तेजी आई है। पिछले छह महीनों में शेयर 21.46% बढ़ा है। पिछले तीन महीनों में 6.99% और पिछले एक महीने में 4.07% की बढ़ोतरी हुई है। HDFC बैंक ने पिछले 12 महीनों में 22 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड दिया है। बीएसई पर आज बैंक का शेयर कारोबार के दौरान करीब 1 फीसदी तेजी के साथ 2021.90 रुपये तक गया। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 2,027.40 रुपये है।