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सैंपल रजिस्ट्रेशन रिपोर्ट 2023: मध्य प्रदेश में हर दूसरा युवक अविवाहित, बिहार टॉप पर

भोपाल  मध्य प्रदेश में अविवाहित रहने वाले युवक-युवतियों का आंकड़ा चौंकाने वाला है. प्रदेश में कुल 50.9 फीसदी महिलाएं पुरुष ऐसे हैं, जिन्होंने शादी ही नहीं की. इसमें पुरुषों का आंकड़ा 54.7 फीसदी है, जबकि अविवाहित रहने वाली महिलाएं 46.8 फीसदी हैं. चौंकाने वाला यह आंकड़ा सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम 2023 के हैं. बता दें कि भारत में जन्म और मृत्यु से संबंधित डाटा जुटाने के लिए 1969-70 में सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम यानी एसआरएस की शुरूआत हुई थी, ताकि सरकार को नीतियां बनाने में मदद मिल सके. मध्य प्रदेश में इस सर्वे के लिए 4 लाख लोगों को शामिल किया गया था. देश की कुल आबादी के 50.5 फीसदी लोग अविवाहित सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की रिपोर्ट के मुताबिक देश की कुल आबादी के 50.5 फीसदी लोगों ने कभी विवाह ही नहीं किया. इसमें महिलाओं का प्रतिशत 45.3 फीसदी जबकि पुरुषों का प्रतिशत 55.4 फीसदी है. इसके अलावा 3.6 फीसदी विधवा, तलाकशुदा हैं. देश में बिहार में सबसे ज्यादा अविवाहित सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की रिपोर्ट के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा बिहार राज्य में 58.3 फीसदी अविवाहित हैं. जम्मू-कश्मीर में अविवाहितों का प्रतिशत 57.5 फीसदी है जबकि तमिलनाड़ु में सबसे कम 41.3 फीसदी अविवाहित महिला-पुरुष हैं. 2022 के मुकाबले 2023 मध्य प्रदेश में घटे अविवाहित सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में विवाहितों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. साल 2022 में प्रदेश में औसतन अविवाहितों का प्रतिशत 51.4 था, जो 2023 में घटकर 50.9 फीसदी आ गया. तलाकशुदा महिलाओं की संख्या बढ़ी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 45.2 फीसदी पुरुष शादीशुदा हैं, जबकि महिलाओं का प्रतिशत 42.9 फीसदी है. हालांकि मध्य प्रदेश में तलाकशुदा, विधवा और अलग होने वालों का प्रतिशत भी बढ़ा है. साल 2022 में ऐसे लोगों का कुल औसत 3.6 फीसदी था, जो 2023 में बढ़कर 3.9 फीसदी पहुंच गया है. इसमें महिलाओं का आंकड़ा पुरुषों से कमोवेश दोगुना है. 100 में से 5.6 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो तलाक ले चुकी हैं या अलग रह रही हैं. 16.8 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल के पहले मध्य प्रदेश के शहरों में लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ रही है. मध्य प्रदेश में 18 साल के होने के पहले ही 16.8 फीसदी युवतियों की शादी कर दी जाती है. मध्य प्रदेश में कम उम्र में लड़कियों की शादी करने का आंकड़ा बढ़ा है. 18 से 20 साल की उम्र के दौरान 19.2 फीसदी लड़कियों की शादी हो जाती है. मध्य प्रदेश में 18 से 20 साल के बीच ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरों में लड़कियों का विवाह का परसेंटेज बढ़ा है. ग्रामीण इलाकों में 19.2 फीसदी लड़कियों की शादी हो जाती है, जबकि शहरी इलाकों में 19.5 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 से 20 साल के बीच हो रही है. शहरों में शादी की औसत उम्र 23.9 साल मध्य प्रदेश में औसत शादी की उम्र 22.1 साल है जबकि शहरी इलाकों में यह प्रतिशत 23.9 साल है. मध्य प्रदेश में 62.5 फीसदी लड़कियों की शादी 21 साल से ज्यादा उम्र में हो जाती है. यह प्रतिशत बढ़ रहा है. शहरी के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी शादी की उम्र बढ़ रही है. 21 साल से ज्यादा उम्र में लड़कियों की शादी का परसेंटेज भी बढ़ा है. 100 में से 23.8 फीसदी लड़कियों की शादी 21 साल के बाद ही हो रही है जो देश के औसत 24.4 फीसदी से भी ज्यादा है.

दिवाली से पहले लाड़ली बहना योजना से हटेंगी अपात्र महिलाएं, सरकार करेगी बड़ा संशोधन

भोपाल  सरकार सबसे पहले अयोग्य लाभार्थियों से खुद अपना नाम सूची से वापस लेने की अपील करेगी। इसके बाद विभागीय टीमें जांच करेंगी और अपात्र नाम हटा दिए जाएंगे। सरकार का मानना है कि योजना में कुछ ऐसे नाम शामिल हो गए हैं, जिन्हें लाभ नहीं मिलना चाहिए था। सरकार का उद्देश्य है कि योजना का फायदा केवल पात्र/ योग्य महिलाओं तक पहुंचे। राशि बढ़ाकर 1500 रुपए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जून 2024 में घोषणा की थी कि दिवाली से लाडली बहनों को 1500 रुपए प्रतिमाह मिलेंगे। भाई दूज के बाद महिलाओं को यह बढ़ी हुई राशि दी जाएगी। वर्तमान लाड़ली बहनों की संख्या से गणना करने पर सरकार पर करीब 3100 करोड़ रुपए प्रति माह का भार बढ़  जाएगा। योजना की शुरुआत में योजना के तहत 1000 रुपए दिए जाते थे। अक्टूबर 2023 से राशि 1250 रुपए कर दी गई थी और अब इसे 1500 रुपए किया जा रहा है। सरकार का वादा है कि आगे चलकर इस राशि को बढ़ाकर 3000 रुपए प्रति माह किया जाएगा। 1.26 करोड़ महिलाएं लाभान्वित फिलहाल योजना में लगभग 1.26 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। यह प्रदेश की सबसे बड़ी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना मानी जा रही है। सरकार हर महीने करीब 1550 करोड़ रुपए इस पर खर्च कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसी योजना ने राज्य में बीजेपी सरकार की वापसी में अहम भूमिका निभाई और इसके बाद कई राज्यों ने भी इसी तर्ज पर योजनाएं शुरू कीं। 1.63 लाख अपात्रों के नाम सूची से हटाए  हाल ही में प्रशासन ने जांच के दौरान 1.63 लाख लाभार्थियों के नाम सूची से हटाए हैं। पाया गया कि कई महिलाओं ने समग्र आईडी में गलत जानकारी देकर योजना का अनुचित लाभ लिया था। सरकार अब यह सुनिश्चित कर रही है कि केवल योग्य बहनें ही योजना का लाभ प्राप्त करें। महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि योजना के लिए शर्ते और नियम बने हैं, जिसके अनुसार कार्रवाई की जाती है। अपात्रों के नाम योजना से हटाए भी जाते हैं।  यह है पात्रता की शर्तें – लाभार्थी महिला और उसके पूरे परिवार की कुल वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। – परिवार का कोई भी सदस्य आयकरदाता नहीं होना चाहिए। – महिला या उसके परिवार का कोई सदस्य सरकारी सेवा में नियमित या संविदा पद पर कार्यरत न हो, न ही किसी को पेंशन मिल रही हो। – परिवार के किसी भी सदस्य के नाम पर चार पहिया वाहन (ट्रैक्टर को छोड़कर) नहीं होना चाहिए। – परिवार की कुल जमीन 5 एकड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए। – यदि महिला को या उसके परिवार को किसी अन्य योजना से हर महीने 1000 रुपये से अधिक सहायता मिल रही है, तो वह पात्र नहीं होगी। – परिवार में कोई भी सदस्य सांसद, विधायक, निर्वाचित जनप्रतिनिधि या मनोनीत पदाधिकारी (पंचायत वार्ड पंच व उपसरपंच को छोड़कर) नहीं होना चाहिए। – महिला या उसके परिवार का कोई सदस्य सरकारी बोर्ड, निगम, मंडल या उपक्रम में अध्यक्ष/सदस्य/संचालक के रूप में चयनित या मनोनीत नहीं होना चाहिए। 

जापान की नेवी ने रचा इतिहास! इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन 8000 KM की स्पीड से करती है वार

टोक्यो  जापान ने अपनी नेवी के जहाज से पहली बार इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन फायरिंग का सफल टेस्ट कर इतिहास रच दिया है. समुद्र में तैनात टारगेट शिप पर दागे गए इस ‘शॉक वेपन’ ने साफ कर दिया कि परंपरागत तोप-गोलों का जमाना अब धीरे-धीरे पीछे छूट रहा है. जापान के रक्षा मंत्रालय की अधिग्रहण, तकनीक और लॉजिस्टिक्स एजेंसी (ATLA) ने खुलासा किया कि जून से जुलाई के बीच टेस्ट शिप JS Asuka से रेलगन के ट्रायल किए गए. चार तस्वीरें जारी करते हुए ATLA ने लिखा, ‘यह पहली बार है जब किसी वारशिप से रेलगन का टेस्ट किया गया और वह भी सीधे एक असली जहाज पर.’ क्या है रेलगन? रेलगन बारूद नहीं, बल्कि बिजली की ताकत से गोला दागती है. प्रोजेक्टाइल को इतनी गति मिलती है कि वह परंपरागत तोपों से कहीं अधिक दूरी और शक्ति के साथ टारगेट भेदता है. जापान की यह रेलगन करीब Mach 6.5 की स्पीड यानी आवाज की रफ्तार से साढ़े छह गुना (8,000 किलोमीटर प्रति घंटा) तक प्रोजेक्टाइल दाग सकती है. खास बात यह कि 120 लगातार फायरिंग के बाद भी बैरल की स्पीड में गिरावट दर्ज नहीं हुई. चीन और अमेरिका भी इस टेक पर लगे चीन भी इसी तकनीक पर तेजी से काम कर रहा है और उसके पास सतत फायरिंग के सफल टेस्ट की खबरें आई हैं, लेकिन वह इसे अब तक तैनात नहीं कर पाया है. अमेरिका ने भी एक समय रेलगन प्रोजेक्ट पर अरबों डॉलर खर्च किए, लेकिन 2021 में तकनीकी चुनौतियों और लागत के चलते इसे बंद कर दिया. वहीं जापान अब इस हथियार को वास्तविक तैनाती की दिशा में सबसे आगे निकल आया है. क्यों इतनी खास है यह तकनीक? डिफेंस एक्सपर्ट मसाशी मुरानो ने जापान टाइम्स को बताया कि हाई-स्पीड एंटी-शिप मिसाइलों को परंपरागत मिसाइलों से इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल है. रेलगन इस चुनौती का जवाब हो सकता है. इसके दागे प्रोजेक्टाइल न सिर्फ बेहद तेज होते हैं, बल्कि पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में सस्ते भी हैं. जहां एयर डिफेंस मिसाइल की एक शॉट की कीमत करोड़ों-करोड़ होती है, वहीं रेलगन अपेक्षाकृत किफायती है. इसके अलावा, रेलगन से एंटी-एयर वॉरफेयर के लिए ‘एयरबर्स्ट म्युनिशन’ भी विकसित किए जा रहे हैं, जो हवा में ही फटकर घातक टुकड़े छोड़ते हैं. यह मिसाइलों और ड्रोन जैसे खतरों से निपटने में बेहद कारगर हो सकता है. जापान रेलगन को सिर्फ नौसैनिक प्लेटफॉर्म तक सीमित नहीं रखना चाहता. योजना है कि इसे जमीन पर भी तैनात किया जाए, ताकि दुश्मन के आर्टिलरी यूनिट्स को निशाना बनाया जा सके और तटीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके. ATLA अब प्रोजेक्टाइल की उड़ान स्थिरता, फायर-कंट्रोल सिस्टम और सतत फायरिंग क्षमता को बेहतर बनाने पर काम कर रहा है. हालांकि, अभी तक इसकी अधिकतम रेंज और रैपिड फायर की क्षमता उजागर नहीं की गई है.