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अर्धकुंभ 2027 की भव्य तैयारी शुरू, अखाड़ों ने किया शाही स्नानों का शेड्यूल जारी

हरिद्वार साल 2027 में हरिद्वार में लगने वाला अर्धकुंभ मेला इतिहास रचने जा रहा है। यह आयोजन केवल तीर्थयात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि साधु-संन्यासियों और अखाड़ों के लिए भी विशेष होगा। पहली बार ऐसा होगा जब अर्धकुंभ में संतों और अखाड़ों के द्वारा तीन भव्य शाही स्नान किए जाएंगे। अखाड़ों की भागीदारी से बदलेगा मेला का स्वरूप अब तक हरिद्वार में आयोजित अर्धकुंभ मेलों में मुख्य रूप से आम श्रद्धालु ही स्नान करते आए थे, क्योंकि उसी वर्ष नासिक या उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन होता था, जहां अखाड़ों की भागीदारी होती थी। लेकिन इस बार समय में अंतर होने के कारण साधु-संतों की उपस्थिति हरिद्वार में भी देखने को मिलेगी। हरिद्वार में दिखेगा अमृत स्नान का दिव्य दृश्य हरिद्वार में होने वाला यह अर्धकुंभ इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस बार साधु-संन्यासियों के शाही स्नान के भव्य दृश्य भी श्रद्धालुओं को देखने को मिलेंगे। अमूमन अर्धकुंभ के दौरान अखाड़े हरिद्वार की बजाय सिंहस्थ पर्व में हिस्सा लेते हैं, लेकिन 2027 में नासिक का सिंहस्थ जुलाई-अगस्त में आयोजित होगा, जिससे अखाड़ों को दोनों मेलों में भाग लेने का अवसर मिलेगा। सरकारी तैयारियों का इंतजार फिलहाल सरकार की ओर से शाही स्नानों की आधिकारिक घोषणा बाकी है। जैसे ही तिथियों की औपचारिक पुष्टि होगी, स्नान व्यवस्था और प्रशासनिक तैयारियों की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

17 सितंबर को मिलेगी आराम की दिन! सरकारी छुट्टी पर बंद रहेंगे सभी शैक्षणिक संस्थान

नई दिल्ली उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद ने आगामी छुट्टियों को लेकर एक अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार इस साल 17 सितंबर बुधवार को विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर सभी परिषदीय और मान्यता प्राप्त बेसिक विद्यालय बंद रहेंगे। यह छुट्टी सभी छात्रों और शिक्षकों के लिए मान्य होगी। जिउतिया पर नहीं मिलेगी छुट्टी हर साल जिउतिया व्रत के लिए महिला शिक्षिकाओं को विशेष अवकाश दिया जाता है। यह व्रत इस साल 14 सितंबर को पड़ रहा है। हालाँकि चूंकि 14 सितंबर को रविवार है इसलिए इस दिन स्कूल वैसे ही बंद रहेंगे और महिला शिक्षिकाओं को अलग से छुट्टी नहीं मिलेगी। यह व्रत संतान की लंबी उम्र और कल्याण के लिए निर्जला रहकर किया जाता है। विश्वकर्मा पूजा की तैयारी शुरू विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर कल-कारखाने और प्रतिष्ठान बंद रहते हैं। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की जाती है। उन्नाव-सफीपुर मार्ग पर स्थित कब्बाखेड़ा के विश्वकर्मा मंदिर में भी पूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यहां हर साल इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें स्कूली बच्चे भी भाग लेते हैं। 17 सितंबर को होने वाले इस कार्यक्रम में कई जनप्रतिनिधियों के भी शामिल होने की उम्मीद है।  

सर्वविध कल्याणकारी है रुद्राक्ष-कवच

  शिवपुराण के अनुसार जब तारकासुर के पराक्रम से सभी देवगण त्रस्त हो गये तो वे भगवान रूद्र के पास अपनी दुर्दशा सुनाने तथा तारकासुर से त्राण पाने के लिये गये। भगवान शिव ने उनके दुख को दूर करने के लिये दिव्यास्त्र (अधारे अस्त्र) तैयार करने के लिये सोचा और इस दिव्यास्त्र को तैयार करने में उन्हें एक हजार वर्ष तक अपने नेत्रों को खुला रखना पड़ा। नेत्रों के खुल रहने के कारण जो अश्रु (आंसू) बूंद नीचे गिरे, वे ही पृथ्वी पर आकर रुद्राक्ष के रूप में उत्पन्न हो गये। यूं तो रुद्राक्ष नक्षत्रों के अनुसार सताइस मुखों वाला, कहीं-कहीं इक्कीस मुखों वाला तो कहीं पर सोलह मुखों तक का वर्णन मिलता है। परन्तु चैदहमुखी तक का ही रुद्राक्ष अत्यन्त मुश्किल से प्राप्त होता है। इन सभी रुद्राक्षों की मुख के आधार पर अलग-अलग विशेषताएं होती हैं। जिस प्रकार समस्त देवताओं में विष्णु नवग्रहों में सूर्य होते हैं, उसी प्रकार वह मनुष्य जो कंठ या शरीर पर रुद्राक्ष धारण किए होता है अथवा घर में रुद्राक्ष को पूजा-स्थल पर रखकर पूजन करता है, मानवों में श्रेष्ठ मानव होता है- देवानांच यथा विष्णु, ग्रहाणां च रविः। रुद्राक्षं यस्य कण्ठं वा, गेहे स्थितोपि वा।। दो मुख वाला रुद्राक्ष, छह मुख वाला रुद्राक्ष तथा सात मुख वाले रुद्राक्ष को एक साथ मोतियों के साथ जड़कर माला के रूप में पहनने से रुद्राक्ष कवच का रूप बन जाता है। यह कवच सभी अमंगल का नाश करता है तथा इच्छानुसार फल प्रदान करने वाला होता है। दो मुख (द्विमुखी) रुद्राक्ष शिवपार्वती का स्वरुप है। यह अर्ध्दनारीश्वर का प्रतीक है। इसको धारण करने से धन-धान्य, सुत आह्लाद आदि सभी वैभव प्राप्त हो जाते हैं। कुंवारी कन्या प्रभुत्व वाली पति प्राप्त करती है तथा बच्चों में अच्छा संस्कार आ जाता है। छह मुख (षड्मुखी) रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है। इसका संचालक शुक्र ग्रह है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से वैवाहिक समस्याएं, रोजगारपरक समस्याएं, भूत-प्रेतादिक समस्याएं त्वरित नष्ट हो जाती हैं। किसी भी प्रकार के अमंगल की संभावना नहीं रहती। सात मुख वाला (सप्तमुखी) रुद्राक्ष अनंगस्वरूप एवं अनंक के नाम से प्रसिध्द है। इस रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व शनिदेव करते हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने से शनिदेव की वक्रदृष्टि समाप्त हो जाती है तथा पारिवारिक कलह, दांपत्य जीवन में वैमनस्यता आदि दूर हो जाती है।  एक माला में द्विमुखी रुद्राक्ष, षड्मुखी रुद्राक्ष तथा सप्तमुखी रुद्राक्ष के एक-एक दाने के साथ ही बीच में मोती को गूंथ देने से रुद्राक्ष कवच का निर्माण हो जाता है। इस माला को स्त्री-पुरुष, युवक-युवती कोई भी इसका अभिषेक करके गले में धारण कर सकता है। जो व्यक्ति जिस किसी भी सात्विक भावना से इस रुद्राक्ष कवच को धारण करता है, उसकी कामना अवश्य ही पूरी होती है। किसी भी सोमवार को मोती जड़ित रुद्राक्ष कवच को अपने पूजा स्थल पर रखकर उसका दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल पंचामृत द्वारा अभिषेक कर दिया जाता है। अभिषेक करते समय अभिषेक करने वाले को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। माला का अभिषेक करके अभिषेककर्ता प्रार्थना की मुद्रा में  नमः शिवाय पञ्चाक्षरी मंत्र का एक सौ आठ बार जाप कर लें। अभिषेक करने से पहले भगवान शंकर का एवं कवच का धूप, दीप, पुष्पादि द्वारा षोडशोपचार विधि से पूजा कर लेना भी त्वरित फलदायी होता है। बिल्वपत्र चढ़ाने से भगवन शिव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। पूरी विधि समाप्त हो जाने पर रुद्राक्ष कवच को गले में धारण कर लें। विद्येश्वर संहिता के अनुसार रुद्राक्ष कवच धारण करने वाले व्यक्ति की कोई भी ऐसी कामना नहीं होती जो पूरी न हो सके। आज के समय में छात्र-छात्रा, गृहिणी, व्यवसायी नौकरीपेशा आदि सभी के लिये यह कवच अत्यंत ही प्रभावशाली सिध्द हो सकता है। कन्या का विवाह, पुत्र की पढ़ाई, आर्थिक सम्पन्नता, निर्भयता आदि के लिए रुद्राक्ष कवच को अवश्य ही धारण किया जाना चाहिये।  

यही है वह पावन स्थल, जहां पांडवों ने किया पितरों का तर्पण और पाया मोक्ष

हरदोई उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्थित हत्या हरण तीर्थ, पितृपक्ष के दौरान लोक और परलोक के बीच की दूरी को समाप्त कर देता है. यह पवित्र स्थल अनादि काल से पितरों के ऋण से मुक्ति, भटकती आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए जाना जाता है. रामायण और महाभारत काल से चली आ रही परंपराएं इस स्थान को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं. पृथ्वी के मध्य में स्थित पवित्र स्थल यह तीर्थ स्थल हरदोई जिले के बेनीगंज क्षेत्र में स्थित है. कहा जाता है कि यह स्थान पृथ्वी के मध्य भाग में पड़ता है. मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान यह स्थल लोक और परलोक के बीच की दूरी को मिटा देता है. यहां किए गए कर्मकांड और पूजा-अर्चना सीधे पितरों तक पहुंचती है. यही कारण है कि पितृपक्ष में यहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है. हरदोई के बेनीगंज क्षेत्र में स्थित हत्याहरण तीर्थ का धार्मिक महत्व रामायण और महाभारत काल से है. वेदों के अनुसार, यह स्थान कभी भगवान शिव की तपोस्थली हुआ करता था.शिव पुराण के मुताबिक, माता पार्वती की प्यास बुझाने के लिए भगवान शिव ने सूर्य देवता से प्राप्त जल को यहां गिराकर एक कुंड का निर्माण किया था. इसी कुंड से देवी पार्वती ने जलपान किया था। महाभारत युद्ध के बाद, पांडवों ने अपने पारिवारिक जनों की हत्या के पश्चात् यहीं पर पितरों का तर्पण किया था.माना जाता है कि इस स्थान पर श्राद्ध और तर्पण करने से अतृप्त आत्माओं को शांति और मोक्ष मिलता है.इसी तरह, भगवान श्री राम ने भी अयोध्या लौटते समय ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए इस कुंड में स्नान किया था, जिसके बाद से यह स्थान मोक्ष प्रदान करने वाले तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। नैमिषारण्य से जुड़ा महत्व यह तीर्थ क्षेत्र 88 हजार ऋषियों की तपोस्थली नैमिषारण्य के नजदीक स्थित है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है. नैमिषारण्य को स्वयं वेदों और पुराणों में तप और ज्ञान का केंद्र माना गया है. इसलिए हत्या हरण का अध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व दोनों ही अत्यधिक गहरा है. पितृपक्ष में विशेष महत्व पितृपक्ष के दौरान यहां देश-विदेश से श्रद्धालु अपने पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने आते हैं. मान्यता है कि यहां किए गए दान-पुण्य और स्नान से पितरों की कृपा बरसती है. स्थानीय लेखक पुनीत मिश्रा के अनुसार, यहां का वातावरण पितृपक्ष में मेले जैसा हो जाता है. कुंड के आसपास प्राचीन वृक्ष और पत्थर आज भी इस स्थल की प्राचीनता और दिव्यता का प्रमाण देते हैं.

घर के पूजा स्थल में ये फूल कभी न रखें, हो सकती है बड़ी परेशानी

हमारे घरों में पूजा-पाठ की परंपरा बहुत पुरानी है और पूजा के दौरान फूलों का विशेष महत्व होता है। हर देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग प्रकार के फूल चढ़ाए जाते हैं, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है। लेकिन कुछ फूल ऐसे होते हैं जिन्हें घर के मंदिर में भूलकर भी नहीं रखना चाहिए? ऐसा करने से न केवल पूजा का प्रभाव कम होता है, बल्कि जीवन में नकारात्मकता बढ़ सकती है। तो आइए जानते हैं कि मंदिर में कौन से फूलों को नहीं रखना चाहिए। बासी या मुरझाए हुए फूल मंदिर में केवल ताजे और सुगंधित फूल ही चढ़ाने चाहिए। बासी या मुरझाए फूल अशुद्ध माने जाते हैं और इन्हें भगवान को अर्पित करना अपशकुन माना जाता है। ऐसे फूल चढ़ाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास हो सकता है। प्लास्टिक के फूल कई लोग सजावट के लिए मंदिर में नकली फूल रखते हैं, लेकिन ये धार्मिक दृष्टिकोण से उचित नहीं माने जाते। पूजा में प्राकृतिक चीजों का उपयोग करना ही शुभ होता है। प्लास्टिक के फूलों में जीवन नहीं होता, इसलिए ये पूजा के लिए अनुपयुक्त माने जाते हैं। कनेर का फूल कनेर का फूल सुंदर होता है, लेकिन यह हर देवी-देवता को अर्पित नहीं किया जा सकता। विशेष रूप से विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा में इसे वर्जित माना गया है। मान्यता है कि यह फूल नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है। अकौड़े का फूल अकौड़े का फूल शिवजी को अर्पित किया जाता है, लेकिन इसे हर रोज मंदिर में नहीं रखा जाना चाहिए। यह फूल बहुत तेज प्रभाव वाला होता है, और अगर सही समय या विधि से न चढ़ाया जाए, तो इसका उल्टा असर भी हो सकता है।

अदा शर्मा ने बताया अपनी ग्लोइंग स्किन का राज

मुंबई,  हाल ही में अभिनेत्री अदा शर्मा ने एक वीडियो में अपनी चमकदार त्वचा का राज लोगों के साथ साझा किया। फैंस अदा शर्मा को उनकी फिटनेस और ग्लोइंग स्किन के लिए भी फॉलो करते हैं। एक्ट्रेस ने बताया कि वह अपनी त्वचा को हेल्दी रखने के लिए क्या खाती हैं। इस वीडियो क्लिप को अदा शर्मा ने शेयर करते हुए लिखा, मेरा स्किनकेयर फॉर्मूला कौन ट्राई करेगा? इस वीडियो में वो गाजर से बनी एक खास रेसिपी लोगों के साथ शेयर करती दिख रही हैं। इसे वो अपने हाथों से बनाती दिखाई दे रही हैं। खास बात है कि यह व्यंजन उन्हें सोशल मीडिया पर रील्स देखते हुए मिला था। वीडियो में अदा शर्मा कहती हैं, मैंने इंस्टाग्राम रील्स पर यह हेल्दी रेसिपी देखी। इसके लिए आपको ढेर सारी गाजर चाहिए। गाजर अच्छे से धोने के बाद उसे छील लें। फिर उसके एकदम पतले-पतले टुकड़े बना लें। इसमें थोड़ा समय लगता है, लेकिन अगर आपके पास इंस्टाग्राम स्क्रॉल करने के लिए 6 घंटे हैं, तो इसके लिए 10 मिनट काफी हैं। इसके बाद वो रेसिपी भी बताती हैं। अदा कहती हैं, एक चम्मच शहद, सरसों का तेल, नमक और थोड़ा सा लाल मिर्च पाउडर मिलाएं और एक नींबू। उसके ऊपर तिल डालें और इसे मिलाकर खाएं। इसे खाने के बाद आप मजबूत हो जाएंगे। आपकी त्वचा चमक उठेगी। सबके साथ शेयर करना न भूलें। कुछ दिनों पहले उन्होंने अपने गृह राज्य केरल में छुट्टियां मनाते हुए तस्वीरें पोस्ट की थीं। यहां पर वो ओणम का त्योहार मनाने गई थीं। इस यात्रा के दौरान वो अपनी सभी मौसियों के यहां एक-एक दिन ठहरी थीं। अभिनेत्री ने उस दौरान रंगोली बनाना भी सीखा और बदले में उन्हें एआई की मदद से तस्वीरों में रंग भरना सिखाया। वर्क फ्रंट की बात करें तो वो आने वाले दिनों में दो हॉरर हिंदी फिल्मों में नजर आएंगी। इनमें से एक में अदा शर्मा एक सुपरहीरो की भूमिका निभाएंगी।  

राजिम-रायपुर के बीच नई MEMU ट्रेन सेवा 18 सितंबर से, सीएम साय करेंगे उद्घाटन

रायपुर नई ब्रॉडगेज रेल लाइन पर राजधानी रायपुर से नवा रायपुर अटल नगर, अभनपुर होते हुए अब मेमू ट्रेनें 18 सितंबर से राजिम तक चलेंगी. रेलवे ने राजिम-रायपुर मेमू ट्रेन सेवा को मंजूरी दे दी है. वहीं, रेलवे द्वारा मेमू ट्रेन सेवा की समय-सारिणी भी जारी कर दी गई है. रायपुर-राजिम मेमू ट्रेन सेवा का वाणिज्यिक ठहराव मंदिरहसौद, सीबीडी, केन्द्री, अभनपुर, मानिकचौरी व राजिम में होगा. रायपुर रेल मंडल के अपर मंडल रेल प्रबंधक बजरंग अग्रवाल व वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अवधेश कुमार त्रिवेदी ने शनिवार को राजिम स्टेशन पर राजिम रायपुर के बीच 18 सितंबर से रेल सेवा शुभारंभ करने की रूपरेखा निर्धारित की. उन्होंने स्टेशन पर पार्किंग, स्टेज, आगंतुकों का आवागमन तथा मुख्य अतिथियों के बैठने की व्यवस्था का जायजा लिया. अधिकारियों के मुताबिक 18 सितंबर को सुबह 11 बजे राजिम रायपुर रेल सेवा आरंभ होगी. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय हरी झंडी दिखाकर इस ट्रेन को राजिम से रवाना करेंगे. इस मौके पर सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि तथा स्थानीय लोग मौजूद रहेंगे. छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक व पर्यटन स्थल राजिम के ब्रॉड गेज नेटवर्क से जुड़ने से इस क्षेत्र की सीधी रेल पहुंच बड़े शहरों से स्थापित होगी. इससे न केवल यात्रियों को तेज, सुरक्षित व सुविधाजनक यात्रा विकल्प उपलब्ध होंगे. बल्कि क्षेत्रीय व्यापार, कृषि, तीर्थाटन और पर्यटन को भी नए अवसर मिलेंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी. राजिम-रायपुर ट्रेन का समय नई रायपुर-राजिम मेमू ट्रेन की समय सारिणी नई रायपुर-राजिम मेमू ट्रेन रायपुर स्टेशन से 4.45 बजे रवाना होकर 05:03-05:05 बजे मंदिर हसौद, 05:15-05:16 बजे सीबीडीपीएच, 05:30-05:32 बजे केंद्री, 05:43-05:45 बजे अभनपुर, 05:56-05:57 बजे मानिकचौरी, 06.20 बजे राजिम पहुंचेगी. इसी प्रकार राजिम रायपुर मेमू ट्रेन 06.45 बजे राजिम से रवाना होकर, 06:59-07:00 बजे मानिकचौरी पीएच, 07:13-07:15 बजे अभनपुर, 07:26-07:28 बजे केंद्री, 07:41-07:42 बजे सीबीडी, 07:53-07:55 बजे मंदिर हसौद, 08:20 बजे रायपुर पहुंचेगी.

अब बिजली की चिंता खत्म! ले जाओ, लगाओ और चलाओ – दुनिया का पहला पोर्टेबल बिजलीघर

नई दिल्ली चीन ने तकनीक के मामले में खूब तरक्की कर ली है। जहां एक तरह AI और रोबोटिक्स के क्षेत्र में चीन नए-नए इनोवेशन कर रहा है, वहीं रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली चीजें भी बनाई जा रही हैं। चीन ने दुनिया का पहला सोडियम आयन पोर्टेबल पावर स्टेशन लॉन्च किया है। इसे 'पायनियर ना' (Pioneer Na) नाम दिया गया है। इसकी खासियत है कि यह यह पावर स्टेशन ठंडे मौसम में भी शानदार काम करता है। इसे बर्लिन में आयोजित इनोवेशन फॉर ऑल (IFA) कॉन्फ्रेंस में पहली बार दिखाया गया। इसे कुछ लोग चलता-फिरता बिजली घर भी कह रहे हैं, क्योंकि यह कई डिवाइस को चार्ज और ऑन करने की क्षमता रखता है। चलिए, इसके फीचर्स जान लेते हैं और यह भी पता कर लेते हैं कि यह पावर स्टेशन किस काम आता है? इस पावर स्टेशन से हीटर भी चल जाए पीवी मैगजीन की रिपोर्ट बताती है कि, चीन की कंपनी Bluetti यह पोर्टेबल पावर स्टेशन लॉन्च किया है। आसान भाषा में कहें तो यह एक पोर्टेबल रिचार्जेबल बैटरी है, जिसे आप आसानी से कहीं भी ले जा सकते हैं। इसमें 900 watt-hour की क्षमता है, जो लैपटॉप, मोबाइल या बाकी छोटे डिवाइस के लिए काफी है। इसका नॉर्मल आउटपुट 1500 वाट है, लेकिन 'पावर लिफ्टिंग' मोड में यह 2250 वाट तक पावर दे सकता है। यह मोड उन उपकरणों के लिए है, जो ज्यादा बिजली खाते हैं, जैसे हीटर। यह सिस्टम सोलर पावर से 1900 वाट तक चार्ज हो सकता है और इसकी बैटरी करीब 4000 बार चार्ज हो सकती है। इसका वजन 16 किलो है।   कड़ाके की ठंड में भी चार्ज होता है पोर्टेबल पावर स्टेशन की सबसे बड़ी खासियत है कि यह बहुत ठंडे मौसम में भी अच्छा काम करता है। यह -15 डिग्री सेल्सियस में चार्ज हो सकता है और -25 डिग्री सेल्सियस में भी बिजली दे सकता है।-10 डिग्री सेल्सियस में भी यह 60% तक चार्ज हो सकता है। इस वजह से ब्लूएटी इसे ठंडे इलाकों में रहने वाले और घूमने वाले लोगों को ध्यान में रखकर पेश कर रही है। सोडियम-आयन बैटरी में क्या खास है? पोर्टेबल पावर स्टेशन में लिथियम की जगह सोडियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल किया गया है। सोडियम लिथियम से ज्यादा सस्ता और आसानी से उपलब्ध है। यह बैटरी ठंड में बेहतर काम करती है और ज्यादा सुरक्षित भी है। इसमें आग लगने या फटने का खतरा कम है। हालांकि, इसकी एनर्जी डेंसिटी लिथियम से कम है, जिसके कारण यह पावर स्टेशन थोड़ा भारी और बड़ा है।

PM Modi का 75वां जन्मदिन रांची में धूमधाम से, लोगों के लिए ‘सेवा पखवाड़ा’ विशेष आयोजन

रांची झारखंड की राजधानी रांची में रक्षा राज्य मंत्री और रांची के सांसद संजय सेठ ने बीते शनिवार को अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में होने वाले सेवा पखवाड़ा कार्यक्रमों की जानकारी साझा की। यह पखवाड़ा 17 सितंबर से लेकर 2 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। सेठ ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी महानगर रांची और भाजपा ग्रामीण इकाई मिलकर इस पखवाड़ा को एक उत्सव की तरह पूरे जिले में मनाएंगे। इसकी शुरुआत विशेष धार्मिक अनुष्ठान के साथ होगी और फिर विभिन्न सामाजिक व जनहितकारी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। सेठ ने कहा कि सेवा पखवाड़ा की शुरुआत 17 सितंबर को हवन कार्यक्रम से होगी। इसी दिन से रांची और उसके ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर अनेक कार्यक्रम शुरू होंगे। सांसद ने बताया कि इस पखवाड़ा में कला महोत्सव, रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य शिविर जैसे आयोजन प्रमुख रहेंगे। इन कार्यक्रमों का लक्ष्य आम जनता को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाना और समाज के विभिन्न वर्गों को सम्मानित करना है। इस अवसर पर सांसद ने जानकारी दी कि शहर में 3000 सोलर लाइट्स का उद्घाटन किया जाएगा। साथ ही 75 नर्सें और 75 सफाई कर्मियों को सम्मानित किया जाएगा। ये वे लोग हैं जिन्होंने समाज में अपनी सेवाओं से महत्वपूर्ण योगदान प्रस्तुत किया है। संजय सेठ का कहना था कि मोदी के 75वें जन्मदिन पर सेवा और समर्पण का संदेश आम जनता तक पहुंचाना ही इन कार्यक्रमों की मुख्य उद्देश्य है। इसके अलावा इस पखवाड़ा में 75 पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया जाएगा। सेठ ने बताया कि देश की सेवा में योगदान देने वाले इन सैनिकों को सम्मानित करना भारतीय जनता पार्टी के लिए गर्व का विषय होगा। इसी क्रम में 75 सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और 75 खिलाड़ी भी सम्मान समारोह का हिस्सा होंगे। सांसद का मानना है कि यह पहल समाज के हर वर्ग से जुड़े लोगों को प्रेरित करने का काम करेगी। इस पखवाड़ में कई और कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। सेठ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने सेवा और विकास की राह पकड़ी है। उनके 75वें जन्मदिन पर आयोजित यह सेवा पखवाड़ा उसी सोच का प्रतीक है जिसमें समाज के हर व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इस पखवाड़ा में साइक्लोथोन का मोराबादी में भी आयोजन किया जाएगा जिसमें 30000 लोग शामिल होंगे और साइक्लोथोन का हिस्सा बनेंगे। सेठ ने कहा कि भाजपा की कोशिश है कि इस पखवाड़ा में हर नागरिक की भागीदारी हो और यह आयोजन झारखंड की धरती से सेवा, सम्मान और समर्पण का संदेश पूरे देश तक पहुंचे।  

यूटीआई संक्रमण से बढ़ सकता है हार्ट अटैक का जोखिम, नई रिसर्च में खुलासा

नई दिल्ली हृदय रोगों की समस्या, हार्ट अटैक के मामले हाल के वर्षों में काफी तेजी से बढ़े हैं। उम्रदराज लोगों के अलावा अब कम उम्र वाले भी इसका शिकार हो रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिस तरह से हमारी दिनचर्या गड़बड़ होती जा रही है, हृदय स्वास्थ्य की समस्याएं अब काफी आम हो गई हैं। खान-पान में गड़बड़ी, व्यायाम की कमी, दिन का अधिकतर समय बैठे-बैठे बिता देना हृदय रोगों का प्रमुख कारण माना जाता है। जिसपर सभी उम्र के लोगों को ध्यान देते रहना जरूरी है। अध्ययनों से पता चलता है कि कई स्थितियां ऐसी हैं जो हार्ट अटैक को ट्रिगर करने वाली हो सकती हैं। हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और वायु प्रदूषण उनमें प्रमुख हैं। पर एक हालिया शोध में विशेषज्ञों की टीम ने बताया है कि दुनियाभर में लाखों लोगों को होने वाले कुछ आम वायरल संक्रमण जैसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) और फ्लू भी हार्ट अटैक की समस्या को ट्रिगर करने वाले हो सकते हैं। हृदय स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए इन संक्रमणों को लेकर भी सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।यूटीआई और फ्लू किस प्रकार से हार्ट अटैक को बढ़ावा देते हैं, आइए इस बारे में समझते हैं। इससे पहले यूटीआई संक्रमण और हार्ट अटैक के बारे में जान लीजिए यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन महिलाओं में अधिक देखी जाती रही है। इसके पीछे मुख्य वजह है उनकी शरीर की बनावट। महिलाओं की यूरिनरी ट्रैक्ट छोटी होती है जिससे बैक्टीरिया जल्दी अंदर पहुंच जाते हैं। इसके अलावा गर्भावस्था, डायबिटीज, कमजोर इम्यून सिस्टम, ज्यादा देर तक पेशाब रोकना, असुरक्षित यौन संबंध, हार्मोन में बदलाव जैसी स्थितियां भी यूटीआई का जोखिम बढ़ाती हैं। लेकिन केवल महिलाएं ही नहीं कुछ पुरुषों को भी इसका खतरा हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है जिसमें हृदय को रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है। आमतौर पर ये रक्त के थक्के बनने के कारण होती है।  हृदय रोग दुनियाभर में मृत्यु का प्रमुख कारण है, जो हर साल अनुमानित 17.9 मिलियन (1.79 करोड़) लोगों की जान ले लेता है। लंबे समय से यही माना जाता रहा है कि कोरोनरी हृदय रोग के साथ-साथ धूम्रपान जैसे कई परिवर्तनशील जीवनशैली कारक दिल के दौरे के जोखिम को बढ़ाते हैं। पर अब विशेषज्ञों ने बताया है कि यूटीआई और फ्लू के कारण भी इसका खतरा हो सकता है। यूटीआई और हार्ट अटैक के बीच कनेक्शन इस अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने बताया कि धमनियों में वसायुक्त पदार्थ जैसे कोलेस्ट्रॉल के जमाव के कारण हृदय को रक्त की आपूर्ति बाधित होती है। यही कोलेस्ट्रॉल यूटीआई और फ्लू जैसी वायरस को आश्रय दे सकता है जो शरीर में वर्षों तक निष्क्रिय बने रह सकते हैं। फिनलैंड और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, समय के साथ ये जीवाणु हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और एंटीबायोटिक दवाओं से अपनी रक्षा के लिए एक सुरक्षात्मक बायोफिल्म बना लेते हैं। लेकिन जैसे ही आप बीमार होते है या फिर से कोई वायरल संक्रमण (जैसे कि यूटीआई) होता है तो ये वायरस बायोफिल्म को सक्रिय कर सकता है, जिससे बैक्टीरिया का प्रसार होता है और इंफ्लेमेशन की समस्या बढ़ जाती है। क्या कहते हैं विशेषज्ञ? वैज्ञानिकों ने बताया कि हाई इंफ्लेमेशन की स्थिति में हृदय में प्लाक के टूटने का खतरा बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से घातक रक्त का थक्का बनने लगता है जो हार्ट अटैक को बढ़ा देता है। फिनलैंड के टैम्पियर विश्वविद्यालय में जैविक विज्ञान के विशेषज्ञ और अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर पेक्का करहुनेन कहते हैं, कोरोनरी आर्टरी डिजीज में बैक्टीरिया की भागीदारी पर लंबे समय से संदेह किया जाता रहा है, लेकिन प्रत्यक्ष और ठोस सबूतों का अभाव रहा है। इस अध्ययन में बहुत कुछ स्पष्ट होता है।