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बाढ़ प्रभावित फसलों का घोषित मुआवज़ा नाकाफी : भाकियू

समराला बाढ़ में किसानों की फसलें और घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं। सरकार द्वारा इस नुकसान के लिए घोषित मुआवज़ा न केवल बेहद शर्मनाक है बल्कि एक खोखला मज़ाक है। ये विचार आज भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के जिला प्रधान मनजीत सिंह ढींडसा की अध्यक्षता में हुई मासिक बैठक में किसान नेताओं ने व्यक्त किए। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार मुआवज़े के संबंध में पुनर्विचार कर किसानों को नुकसान का उचित मुआवज़ा दे, ताकि किसान फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सके।  उन्होंने कहा कि सरकार ने धान की नमी की मात्रा 17 प्रतिशत तय की है, जबकि भारी बारिश और बाढ़ जैसे मौसम के कारण इस बार धान में नमी की मात्रा अधिक है, इसलिए सरकार इसे 22 प्रतिशत तक माने। बैठक में पंजाब के संरक्षक अवतार सिंह, प्रांतीय महासचिव परमिंदर सिंह पालमाजरा और प्रांतीय प्रेस सचिव गुरविंदर सिंह कूमकलां विशेष तौर पर पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि धान की कटाई के उपरांत पराली संभालने के लिए सरकार बोनस के रूप में 100 रुपये प्रति क्विंटल दे। इस मौके पर किसान नेता और संगठन के ज़िला लुधियाना के सक्रिय कार्यकर्ता बैठक में शामिल हुए।

पितरों को प्रसन्न करने के लिए सर्वपितृ अमावस्या की रात अपनाएँ ये आसान उपाय

सर्वपितृ अमावस्या, जिसे आमतौर पर महालय अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह वह दिन होता है जब पितरों की पूजा और तर्पण किया जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए विभिन्न धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं। सर्वपितृ अमावस्या की रात पितरों के लिए पानी रखने की प्रथा भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके पीछे कई धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कारण हैं, जिनको समझना आवश्यक है।  हिंदू धर्म के अनुसार, इस दिन पितरों की पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनके द्वारा दैहिक या मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। पितर तर्पण और श्राद्ध कर्म इस दिन विशेष रूप से किए जाते हैं ताकि वे संतुष्ट हो सकें और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहे। जिन व्यक्तियों की श्राद्ध की तिथि न पता हो इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या पर इस जगह रखें पानी सर्वपितृ अमावस्या का दिन श्राद्ध का आखिरी दिन होता है और इस दिन पितृ पृथ्वी लोक से अपने लोक वापिस चले जाते हैं। इस वजह से इस दिन अमावस्या की रात पितरों के लिए पानी रखा जाता है। यह पानी इस वजह से रखा जाता है ताकि वह पूर्ण तरीके से अपनी प्यास बुझा सकें। पानी कहां रखना चाहिए ? सर्वपितृ अमावस्या की रात या सुबह पितरों के लिए पानी रखने की सबसे उपयुक्त जगह होती है – घर का मुख्य द्वार या उसके पास का कोई स्वच्छ स्थान। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर रखा गया जल और भोजन, पितरों तक आसानी से पहुंचता है क्योंकि यहीं से वे प्रतीकात्मक रूप से हमारे घर में प्रवेश करते हैं। पानी को कांसे, तांबे या मिट्टी के लोटे में रखा जाता है, जिसे साफ किया गया हो। इसके साथ ही कुछ लोग आटे से बनी छोटी रोटियां भी रखते हैं। इन रोटियों को अक्सर खुले में इसलिए रखा जाता है ताकि पक्षी, विशेषकर कौए, उन्हें खा सकें।  यह इस विश्वास पर आधारित है कि कौए पितरों के प्रतीक माने जाते हैं। पितृ दोष से मुक्ति का मार्ग ज्योतिष शास्त्र में यह माना गया है कि यदि किसी व्यक्ति के जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है, तो उसे जीवन में बाधाएं, संघर्ष और मानसिक अशांति का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, पितरों के लिए जल अर्पित करना और श्रद्धा से भोजन देना इस दोष को शांत करने का एक प्रभावशाली उपाय माना गया है। जब पूर्वज तृप्त और प्रसन्न होते हैं, तो उनका आशीर्वाद परिवार में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का कारण बनता है।

जशपुर जिले को एक और बड़ी सौगात, सीसरिंगा से महलंग सहसपुर मार्ग के लिए 6.91 करोड़ का बजट मंजूर

रायपुर, मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय की दूरदर्शी सोच और विकास के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम है कि जशपुर जिले को एक और बड़ा तोहफ़ा मिला है। राज्य सरकार ने सीसरिंगा से महलंग होकर सहसपुर तक 6.5 किलोमीटर लंबे सड़क निर्माण कार्य के लिए 6 करोड़ 91 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है। बरसात में कीचड़ भरे रास्ते और गर्मियों में धूल से परेशान ग्रामीणों को अब सुविधा और सुरक्षित परिवहन की सौगात मिलेगी। स्कूली बच्चों, मरीजों और किसानों को होने वाली समस्याएं काफी हद तक समाप्त हो जाएंगी। नई सड़क के बनने से क्षेत्र में सुगम आवागमन एवं स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान होगी। किसानों की फसलें और ग्रामीण उत्पाद अब तेजी से बाजार तक पहुंच पाएंगे। इसके साथ ही व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। राज्य शासन के द्वारा दी गई इस स्वीकृति से क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों में खुशी की लहर है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस सड़क से विकास की गति तेज होगी और जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव आएगा।

CM नीतीश का तोहफ़ा: विकास मित्रों और शिक्षा सेवकों को टैबलेट व स्मार्टफोन के लिए आर्थिक सहायता

पटना बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश सौगातों की बौछार कर रहे हैं। इसी कड़ी में नीतीश कुमार ने रविवार सुबह-सुबह एक और बड़ी घोषणा की है। उन्होंने विकास मित्रों को टैबलेट खरीदने 25 हजार और शिक्षा सेवकों को स्मार्टफोन खरीदने के लिए 10 हजार देने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा, "न्याय के साथ विकास के सिद्धांत पर चलते हुए समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग तक सरकार की विभिन्न विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में विकास मित्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसे ध्यान में रखते हुए बिहार महादलित विकास मिशन के अन्तर्गत कार्यरत प्रत्येक विकास मित्र को टैबलेट क्रय हेतु एकमुश्त 25 हजार रूपए की राशि प्रदान करने का निर्णय लिया गया है ताकि उन्हें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभुकों के डाटा संधारण एवं अन्य कामकाज में सुविधा हो सके। इसके साथ ही विकास मित्रों का परिवहन भत्ता 1900 रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 2500 रूपए प्रतिमाह एवं स्टेशनरी भत्ता 900 रूपए से बढ़ाकर 1500 रूपए किए जाने का निर्णय लिया गया है। इससे उन्हें क्षेत्र भ्रमण के साथ-साथ दस्तावेजों के संग्रहण में सुविधा होगी।" विकास मित्रों एवं शिक्षा सेवकों के मनोबल में होगी वृद्धि- CM नीतीश मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "महादलित, दलित, अल्पसंख्यक एवं अति पिछड़ा वर्ग के बच्चों तक शिक्षा का लाभ तथा अक्षर आंचल योजना के अधीन महिलाओं को साक्षर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे शिक्षा सेवकों (तालिमी मरकज सहित) को डिजिटल गतिविधियों के संपादन हेतु स्मार्ट फोन क्रय करने के लिए 10-10 हजार रूपए की राशि दिए जाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही शिक्षण सामग्री मद में भुगतान की जा रही राशि को 3405 रूपए से बढ़ाकर 6 हजार रूपए प्रति केन्द्र प्रतिवर्ष किए जाने का निर्णय लिया गया है। इससे विकास मित्रों एवं शिक्षा सेवकों के मनोबल में वृद्धि होगी और वे अधिक उत्साह एवं लगन से अपने कार्यों का निष्पादन करेंगे।"

तेजस्वी यादव और RJD विधायक पर FIR दर्ज, PM मोदी को गाली मामले में BJP का पलटवार

पटना नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की वैशाली में बिहार अधिकार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां को गाली देने के मामले में सियासी घमासान बढ़ता ही जा रहा है। पहले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला। अब तेजस्वी यादव और महुआ के राजद विधायक मुकेश कुमार रोशन के खिलाफ पटना के गांधी मैदान थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। यह शिकायत भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य कृष्ण सिंह कल्लू ने दर्ज कराई है। आरोप है कि तेजस्वी यादव की 'बिहार अधिकार यात्रा' के दौरान आयोजित जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत माता को अशोभनीय और आपत्तिजनक गालियां दी गईं। साथ ही आरएसएस के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की गई। कृष्ण सिंह कल्लू ने कहा कि यह न सिर्फ एक घोर निंदनीय कृत्य है, बल्कि बिहार की सभ्यता और लोकतांत्रिक मूल्यों का भी अपमान है। उन्होंने मांग की है कि दोषियों पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। राजद ने कहा-  भाजपा काफी घबरा गई है भाजपा के इन आरोपों पर राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि तेजस्वी जी की 'बिहार अधिकार यात्रा' को मिले अभूतपूर्व समर्थन से भाजपा काफी घबरा गई है। यात्रा में तेजस्वी जी द्वारा जिन मुद्दों को उठाया जा रहा है, भाजपा और उसके सहयोगी उन मुद्दों पर कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। इसलिए ध्यान भटकाने के लिए भाजपा द्वारा प्रयोजित तरीके से कुचक्र और प्रपंच किया जाता रहा है। बिहार की जनता इसे समझ चुकी है।

कुड़मी समाज का आंदोलन तेज, झारखंड में रेल परिचालन पर पड़ा असर

बोकारो झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के कुड़मी समाज ने बीते शनिवार को आदिवासी में शामिल करने की मांगों को लेकर राज्यव्यापी रेल टेको-डहर छेको आंदोलन किया। कुड़मी समाज आदिवासी का दर्जा और कुड़मी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग लंबे समय से कर रहा है। इसी के समर्थन में हजारों लोग सड़कों और रेलवे पटरियों पर उतरे। आंदोलन का सबसे बड़ा असर बोकारो जिले के चंद्रपुरा रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला, जहां सुबह से ही रेल सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं, जिससे ट्रेन परिचालन पर व्यापक असर पड़ा है। एहतियात पर जिला प्रशासन ने कई क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दिया। पूर्व – मध्य रेलवे धनबाद डिवीजन के चन्द्रपुरा रेलवे जंक्शन पर दिल्ली – रांची राजधानी एक्सप्रेस को सुबह 6:22 बजे से खड़ी कर दी गयी। इसके साथ सीआईसी लाइन की गोमो – चौपन को सुबह 5:45 बजे से खड़ी कर दी गति है । वहीं दक्षिण – पूर्व रेलवे आद्रा डिवीजन ने बोकारो जंक्शन पर वंदे – भारत , पूरी – न्यू दिल्ली एक्सप्रेस ट्रेन को रोक दिया है। रांची – शताब्दी एक्प्रेस समेत लम्बी दूरी की तीन ट्रेनों का रुट बदल दिया गया है। दक्षिण – पूर्व आदरा डिवीजन रेल प्रबंधक मुकेश गुप्ता ने बताया कि कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन को लेकर आद्रा डिवीजन के झारखण्ड से गुजरने वाली लम्बी दूरी की 12 ट्रेनों को रद्द किया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आंदोलन का रेल परिचालन पर पूरा प्रभाव पड़ा है और कई गाड़यिां रद्द कर दी गई है दक्षिण पूर्व रेलवे के आद्रा डिविजन, रांची डिवीजन चक्रधरपुर डिवीजन खड़गपुर डिवीजन और पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद डिवीजन से संचालित होने वाली और बोकारो होकर गुजरने वाली कई गाड़यिां ही आंदोलन से प्रभावित हुई है। उन्हें या तो रद्द किया गया है या फिर शॉटर् टर्मिनेटर कर दिया गया है। इसके अलावा कई गाड़यिों को उनके रूट में बदलाव कर भेजा गया है। वहीं आद्रा डिवीजन में ट्रेन संख्या 68079 भोजुडीह चंद्रपुरा और 68080 चंद्रपुर भोजूडीह को रद्द कर दिया गया है। इसी तरह से रांची डिवीजन से चलने वाली 13320 रांची दुमका 13504 हटिया वर्धमान 18036 हटिया खड़कपुर 13514 हटिया आसनसोल 12366 रांची पटना 13304 रांची धनबाद, 18603 रांची गोड्डा 20839 रांची नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस को आज रद्द कर दिया गया है। वहीं 18604 गोंडा रांची एक्सप्रेस 21 सितंबर को तथा 20840 नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस 22 सितंबर को भी रद्द रहेगी। वहीं महत्वपूर्ण ट्रेन को शॉर्ट टर्मिनेट किया गया है उसमें 18626 हटिया पूर्णिया कोर्ट को दिल्ली में शॉर्ट टर्मिनेट कर दिया गया है। इसी तरह 20893 टाटा पटना को वंदे भारत एक्सप्रेस को मुरी में 100 टर्मिनेट कर दिया गया है। कई गाड़यिों को जो डायवटर् किया गया है उसमें 18013 आगरा बोकारो स्टील सिटी 15630 सील घोट टाउन तंबरम, 22812 नई दिल्ली भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस और 01929 ग्वालियर पुरी साप्ताहिक एक्सप्रेस कभी रूट बदल दिया गया है। सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा है कि झारखंड सरकार कुर्मी जाति को आदिवासी जाति का दर्जा देने के लिए प्रस्ताव पास करें और केंद्र सरकार को भेजे। केंद्र सरकार से इस कार्य को वे संपन्न करा लेंगे।  

हाईवे पर तनाव: पीआरटीसी कर्मियों और पुलिस में झड़प, दो पुलिसकर्मी निलंबित

चंडीगढ़  जब पीआरटीसी कर्मियों ने बिना परमिट वाली एक निजी बस के मालिकों को सवारियां उठाने से रोकने की कोशिश की, तो दोनों पक्षों के बीच झगड़ा हो गया। मामला तब और बढ़ गया जब निजी बस चालकों के इशारे पर दो पुलिसकर्मियों ने पीआरटीसी चालक को जबरन गाड़ी में बिठाकर थाने ले जाने की कोशिश की। आक्रोशित पीआरटीसी चालकों ने शहर के चौराहों पर अपनी बसें खड़ी करके यातायात अवरुद्ध कर दिया। मामले की जांच के बाद, डीएसपी पातड़ां इंद्रपाल सिंह चौहान ने पीआरटीसी चालक की पिटाई करने वाले दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है और विभागीय जांच की सिफारिश की है। पीआरटीसी इंस्पेक्टर लक्ष्मण सिंह ने बताया कि पीआरटीसी जीएम ने उन्हें फोन पर बताया कि पातड़ां में विभागीय आरोपियों और निजी बस चालक के बीच विवाद हो गया है, जिसके कारण सभी पीआरटीसी बसों का संचालन रोक दिया गया है। इंस्पेक्टर ने बताया कि खरकां रूट पर चलने वाली एक निजी बस का परमिट रद्द होने के बाद वे पातड़ां स्थित पुराने बस अड्डे से सवारियां उठा रहे थे। पीआरटीसी बस चालक यादविंदर सिंह ने बस रोकी तो दोनों पक्षों में बहस हो गई। निजी बस मालिक के बुलाने पर आए दो पुलिसकर्मियों ने पीआरटीसी बस चालक की गर्दन पकड़ ली और उसकी पिटाई शुरू कर दी। विरोध में पीआरटीसी चालकों ने पातड़ां चौराहों पर अपनी बसें खड़ी करके सड़क जाम कर दी।  जब डीएसपी पातड़ां के कार्यालय में मामले का निपटारा हो रहा था, तभी चालक से बदसलूकी करने वाला पुलिस अधिकारी फिर से चालक को गालियां देने लगा, जिससे समझौता वार्ता टूट गई। पीआरटीसी कर्मचारी यूनियनों के नेताओं ने बताया कि विरोध स्वरूप पटियाला में बसें रोक दी गई हैं। उन्होंने कहा कि अगर मामला नहीं सुलझा तो संगरूर और अन्य डिपो की बसें भी रोक दी जाएंगी। दूसरी ओर, निजी बस के मालिक नरिंदर सिंह ने स्वीकार किया कि बस बिना परमिट के चलाई जा रही थी। पठान के डीएसपी इंद्रपाल सिंह चौहान ने बताया कि पीआरटीसी चालक के साथ मारपीट करने वाले दोनों पुलिस अधिकारियों, गुरदीप सिंह और करणदीप सिंह को निलंबित कर दिया गया है।

H-1B Visa Update: सालाना नहीं, सिर्फ नए आवेदकों से लिया जाएगा एकमुश्त शुल्क

न्यूयॉर्क/वाशिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा की फीस बढ़ाकर एक लाख डॉलर करने के बाद से वीजा धारकों में असमंजस की स्थिति थी। ऐसे में व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने शनिवार (स्थानीय समयानुसार) को स्पष्ट किया कि वीजा पर एक लाख डॉलर फीस सिर्फ नए आवेदकों पर ही लागू होगी। यह स्पष्टीकरण राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा वीजा फीस बढ़ाने के आदेश पर हस्ताक्षर करने के एक दिन बाद आया है। एच-1बी वीजा का इस्तेमाल कंपनियां विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में नौकरी देने के लिए करती हैं, जिनमें बड़ी संख्या भारतीयों की होती है। व्हाइट हाउस के अधिकारी के अनुसार, 'एच-1बी फीस को लेकर कानूनी चुनौतियां आ सकती हैं। लेकिन अगर यह लागू रही, तो कंपनियों को हर एच-1बी कर्मचारी के लिए एक लाख डॉलर तक चुकाने होंगे।' हालांकि अधिकारी ने साफ किया कि यह फीस सिर्फ नए आवेदकों से ली जाएगी। 21 सितंबर से पहले प्रस्तुत आवेदन नहीं होंगे प्रभावित वहीं, अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) भी इस संबंध में एक्स पर पोस्ट कर नई जानकारी दी है। यूएससीआईएस ने पोस्ट में कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप की नई एच-1बी वीजा आवश्यकता केवल नए, संभावित आवेदनों पर लागू होती है, जो अभी तक दायर नहीं किए गए हैं। 21 सितंबर, 2025 से पहले प्रस्तुत आवेदन प्रभावित नहीं होंगे।' केरोलिन लेविट ने भी साफ की स्थिति     यह 1 लाख डॉलर शुल्क वार्षिक नहीं है, बल्कि एकमुश्त (one-time) शुल्क है, जो केवल नये H-1B आवेदन पर लागू होगा।     जो लोग पहले से H-1B वीजा धारक हैं और फिलहाल देश से बाहर हैं, उन्हें दोबारा अमेरिका लौटने के लिए यह शुल्क नहीं देना होगा।     मौजूदा H-1B वीजा धारक सामान्य रूप से अमेरिका आ-जा सकते हैं, इस नई घोषणा से उनकी री एंट्री पर कोई असर नहीं पड़ेगा।     यह नियम केवल नए वीज़ा पर लागू होगा,  नवीनीकरण या मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं।     यह प्रावधान सबसे पहले आगामी H-1B लॉटरी चक्र से लागू होगा। 21 सितंबर की रात से लागू होगा ट्रंप का आदेश ट्रंप के इस अचानक फैसले का अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर बहुत गहरा असर पड़ेगा। राष्ट्रपति का यह आदेश 21 सितंबर की रात 12:01 बजे (स्थानीय समयानुसार) से लागू होगा। जैसे ही यह घोषणा हुई, वीजा धारकों और कंपनियों में अफरा-तफरी मच गई। आव्रजन वकीलों और नियोक्ताओं ने सलाह दी कि जो एच-1बी वीजा धारक या उनके परिवारजन काम या छुट्टी के सिलसिले में अमेरिका से बाहर हैं, वे तुरंत अगले 24 घंटे में लौट आएं, वरना उन्हें अमेरिका में प्रवेश से रोका जा सकता है। ट्रंप की घोषणा के बाद भारतीयों ने भारत यात्रा की रद्द ट्रंप की इस घोषणा के बाद, अमेरिका में एच-1बी वीजा धारक कई भारतीयों ने भारत आने की अपनी यात्रा रद्द कर दी। कुछ लोग तो हवाई अड्डे पर उड़ान पकड़ने से पहले ही लौट गए, जबकि जो पहले से भारत में हैं, वे जल्द से जल्द वापस लौटने की कोशिश कर रहे हैं। दीपावली और साल के अंत की छुट्टियों से पहले आए इस आदेश ने परिवारों की योजनाएं बिगाड़ दी हैं। एच-1बी वीजा धारकों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इस समय उनके बीच 'बेहद घबराहट' और 'चिंता' का माहौल है। तीन साल के लिए दिया जाता है एच-1बी वीजा फिलहाल, कंपनियां एच-1बी वीजा के लिए प्रायोजक बनने पर लगभग 2,000 से 5,000 डॉलर तक चुकाती हैं, जो कंपनी के आकार और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। एच-1बी वीजा आमतौर पर तीन साल के लिए दिया जाता है और इसे तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। यह भारतीय तकनीकी पेशेवरों के बीच बेहद लोकप्रिय है। भारतीय दूतावास ने मदद के लिए जारी किया मोबाइल नंबर इस बीच, अमेरिका में भारतीय दूतावास आपातकालीन सहायता चाहने वाले भारतीय नागरिकों की मदद के लिए मोबाइल नंबर जारी किया है। दूतावास ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, 'आपातकालीन सहायता चाहने वाले भारतीय नागरिक मोबाइल नंबर +1-202-550-9931 (और व्हाट्सएप) पर कॉल कर सकते हैं। इस नंबर का उपयोग केवल तत्काल आपातकालीन सहायता चाहने वाले भारतीय नागरिकों द्वारा किया जाना चाहिए, न कि नियमित वाणिज्य दूतावास संबंधी पूछताछ के लिए।'  

शादी में नुकसान पहुंचाने पर पत्नी ने पति की प्रेमिका से मांगा हर्जाना

नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है कि अगर किसी तीसरे व्यक्ति ने जानबूझकर हस्तक्षेप करके शादी को नुकसान पहुंचाया है, तो जीवनसाथी उस प्रेमी/प्रेमिका पर हर्जाने के लिए मुकदमा कर सकता है। यह फैसला तब आया जब कोर्ट ने एक मामले में समन जारी किया, जिसमें एक पत्नी ने अपने पति की कथित प्रेमिका से 'एलियनएशन ऑफ अफेक्शन' (Alienation of Affection) के लिए 4 करोड़ का हर्जाना मांगा है। 'एलियनएशन ऑफ अफेक्शन' (AoA) एक 'टॉर्ट' (Tort) है, जिसका अर्थ है 'सिविल गलती' या 'दीवानी दोष'। यह कानून पुरानी एंग्लो-अमेरिकन कॉमन लॉ व्यवस्था से आया है। यह किसी जीवनसाथी को उस तीसरे पक्ष से पैसों का मुआवज़ा मांगने की अनुमति देता है, जिस पर शादी तोड़ने या प्यार और स्नेह को खत्म करने का आरोप है। इन 'हार्ट बाम' टॉर्ट्स (विवाहित जीवन को भावनात्मक नुकसान पहुंचाने वाले कानूनी दावे) को भारत के किसी भी कानून में संहिताबद्ध (Codified) नहीं किया गया है। जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने अपने आदेश में कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम समेत भारत के वैवाहिक कानून, परिवार अदालत (Family Court) में किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ कोई कानूनी उपचार (Remedy) नहीं देते हैं। इसलिए, उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में, गलत हस्तक्षेप से हुए नुकसान के लिए सिविल कोर्ट में मुआवजे का दावा सुना जा सकता है। यह दंपति 2012 में शादी के बंधन में बंधे थे और 2018 में उनके जुड़वां बच्चे हुए। आरोपी प्रेमिका पति की कंपनी में विश्लेषक (Analyst) के रूप में शामिल हुई और यह जानने के बावजूद कि वह शादीशुदा था, उसके साथ घनिष्ठ संबंध बना लिया। 2023 में पति ने क्रूरता (Cruelty) के आधार पर तलाक के लिए अर्जी दी, जिसके बाद पत्नी ने इसी साल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और प्रेमिका से हर्जाना (Damages) मांगा। पत्नी का पक्ष रखते हुए वकील मालविका राजकोटिया ने कहा कि पत्नी ने तर्क दिया कि उसे अपने पति के प्यार और साथ (Affection and Companionship) का अधिकार था, जिसे जानबूझकर उससे छीन लिया गया। पति के वकील प्रभजीत जौहर ने कहा कि इस मुकदमे का विरोध करते हुए कहा कि व्यभिचार (Adultery) का मामला पहले से ही फैमिली कोर्ट में विचाराधीन है और सिविल कोर्ट का यह केस तलाक की कार्यवाही के खिलाफ केवल एक 'जवाबी हमला' है। प्रेमिका पक्ष के वकील केसी जैन ने मुकदमे की वैधता को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि यह केस एक ही मुद्दे पर समांतर कार्यवाही शुरू करने जैसा है। उन्होंने आगे यह भी तर्क दिया कि वह महिला (पत्नी) उनसे हर्जाना नहीं मांग सकती, क्योंकि पुरुष के साथ बातचीत न करने या संबंध न बनाने की उन पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं थी। कोर्ट ने इस बात से असहमति जताई और कहा कि तलाक की कार्यवाही चल रही होने के बावजूद भी हर्जाने (Damages) के लिए सिविल दावा करने से नहीं रोका जा सकता। जस्टिस कौरव ने कहा, "न तो हिंदू विवाह अधिनियम और न ही कोई अन्य वैवाहिक कानून किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ कोई कानूनी उपचार (Remedy) प्रदान करता है।" उन्होंने आगे कहा, "कानूनी रोक (Statutory Bar) न होने की स्थिति में, एक जीवनसाथी तीसरे पक्ष के कथित हस्तक्षेप के लिए सिविल कोर्ट में हर्जाना मांग सकता है।" कोर्ट ने कहा, "यहां, याचिका में एक तीसरे पक्ष की सिविल गलती (Third-Party Tort) का दावा किया गया है और उस गलती के लिए आर्थिक मुआवजा मांगा गया है। ऐसा दावा पूरी तरह से सामान्य सिविल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि केवल फैमिली कोर्ट के। समांतर वैवाहिक कार्यवाही (तलाक का केस) चल रही हो, तब भी यह अलग से दायर किया गया हर्जाने का सिविल मुकदमा रुकावट नहीं बनेगा।" फैसले में यह भी कहा गया कि निजी स्वतंत्रता, जिसमें रिश्ते को समाप्त करना या बदलना शामिल है, अपराध नहीं है, लेकिन इसके नागरिक परिणाम (Civil Consequences) हो सकते हैं। कोर्ट ने कहा, "जब एक जीवनसाथी शादी टूटने से कानूनी नुकसान का दावा करता है, तो कानून यह मानता है कि उस नुकसान को पहुँचाने वालों से मुआवज़ा मांगा जा सकता है।" अमेरिकी न्यायविद वेस्ली न्यूकॉम्ब होहफेल्ड का हवाला देते हुए कोर्ट ने आगे कहा,"अगर किसी जीवनसाथी का वैवाहिक साथ, अंतरंगता और साहचर्य (Marital Consortium, Intimacy, and Companionship) में एक संरक्षित हित है, तो तीसरे पक्ष का यह कर्तव्य है कि वह जानबूझकर और गलत तरीके से हस्तक्षेप न करे। हालांकि, इसी समय, जीवनसाथी को व्यक्तिगत चुनाव करने की स्वतंत्रता भी बरकरार रहती है। जहां जीवनसाथी का आचरण पूरी तरह से स्वैच्छिक और गैर-मजबूर होता है (यानी, वह अपनी मर्जी से संबंध बनाता है), वहां उसकी यह स्वतंत्रता तीसरे पक्ष की देनदारी (Liability) को खत्म कर देगी।"  

सरकार ने बढ़ाई चावल डिलीवरी की अवधि और बोनस राशि, लाभ उठा पाएंगे सभी पात्र लोग

चंडीगढ़  मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राइस मिलर्स के हित में बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने चावल की डिलीवरी अवधि और बोनस राशि की अवधि को 15 मार्च 2025 से बढ़ाकर 30 जून 2025 करने का फैसला किया है। इस निर्णय से प्रदेश की लगभग 1000 मिलों को सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही, मिलर्स को बोनस राशि के अतिरिक्त लगभग 50 करोड़ रुपये के होल्डिंग चार्ज में भी छूट का लाभ प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शनिवार को यहां आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन द्वारा राज्य सरकार को यह अवगत करवाया गया कि भारतीय खाद्य निगम द्वारा चावल की डिलीवरी लगभग 45 दिन देर से शुरू की गई, जिसके कारण मिलर्स अपना कार्य निर्धारित अवधि में पूरा नहीं कर पाए। एसोसिएशन की मांग को उचित समझते हुए सरकार ने राइस मिलर्स को दिए जाने वाली बोनस की राशि की अवधि को 30 जून करने का निर्णय किया है। इस अवसर पर सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक के. मकरंद पांडुरंग, मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती और मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव प्रवीण आत्रेय उपस्थित रहे। कल से शुरू होगी खरीफ फसलों की खरीद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि एक अक्तूबर के बजाय अब 22 सितंबर से राज्य में खरीफ फसलों की सरकारी खरीद शुरू की जाएगी। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने किसानों को एमएसपी के बारे में गुमराह करने का काम किया, जबकि हमारी सरकार ने लगातार फसलों पर एमएसपी को बढ़ाया है। उन्होंने कहा, वर्ष 2014 में धान कॉमन का एमएसपी 1360 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि आज 2369 रुपये प्रति क्विंटल है। वर्ष 2014 में धान ग्रेड-ए का एमएसपी 1400 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि आज 2389 रुपये है।