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भारत का अगला फाइटर जेट गेम चेंजर! S-400 और THAAD भी इसके आगे पड़ेंगे फीके

बेंगलुरु देश और दुनिया के हालात लगातार बदल रहे हैं. अमेरिका और इजरायल का ईरान पर हमला और रूस-यूक्रेन युद्ध ने सामरिक स्थिति को बदलकर रख दिया है. इधर, ऑपरेशन सिंदूर ने दक्षिण एशिया के नेशनल डिफेंस सिस्‍टम में हलचल पैदा कर दी है. इन्‍हें देखते हुए हर देश अपनी सुरक्षा को मजबूत करने में जुटा है. मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्‍टम के साथ ही एडवांस्‍ड फाइटर जेट डेवलप करने या फिर उसे खरीदने की प्रक्रिया तेज हो गई है. भारत की सीमा एक तरफ चीन और बांग्‍लादेश से लगती है तो दूसरी तरफ पाकिस्‍तान है, ऐसे में नेशनल सिक्‍योरिटी को अपग्रेड करने के साथ ही उसे मजबूत करना काफी जरूरी है. ऑपरेशन सिंदूर से मिले अनुभव के आधार पर एयर डिफेंस सिस्‍टम के साथ ही अल्‍ट्रा मॉडर्न हाइपरसोनिक मिसाइल को डेवलप करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. दूसरी तरफ, 5th जेनरेशन फाइटर जेट को देश में ही बनाने के लिए एडवांस्‍ड मीडियम कॉम्‍बैट एयरक्राफ्ट यानी AMCA प्रोजेक्‍ट लॉन्‍च किया है. पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का प्रोटोटाइप डिजाइन तैयार करने के लिए सरकार ने ₹15000 करोड़ का फंड भी आवंटित कर दिया है. अब इसके इंजन में ऐसी टेक्‍नोलॉजी एड की जा रही है, जिससे 6th जेनरेशन के फाइटर जेट बनाने की राह काफी आसान हो जाएगी. इस टेक्‍नोलॉजी की खासियत ऐसी है, जिसके सामने अमेरिकी फिफ्थ जेन जेट F-35 और चीन का J-35 जेट भी बौना साबित हो जाएगा. AMCA प्रोजेक्‍ट को पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट डेवलप करने के लिए लॉन्‍च किया गया है. इसमें भारत-फ्रांस द्वारा संयुक्‍त रूप से डेवलप किए जाने वाले 120kN इंजन का इस्‍तेमाल किया जाएगा. अब इस शक्तिशाली जेट इंजन में एक और टेक्‍नोलॉजी एड किया जाने वाला है, जिससे यह 6वीं पीढ़ी के फाइटर जेट की कैटेगरी में आ जाएगा. इस एयरक्राफ्ट में यूज होने वाले इंजन को डीआरडीओ का गैस टर्बाइन रिसर्च इस्‍टेब्लिशमेंट (GTRE) और फ्रांस की डिफेंस कंपनी साफ्रान मिलकर डेवलप कर रहा है. इस इंजन में फुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल (FADEC) सिस्‍टम एड किया जा रहा है. FADEC को इस तरह से डिजाइन किया गया है, जिससे परफॉर्मेंस बढ़ने के साथ ही इसका मेंटेनेंस कॉस्‍ट भी कम होगा. इसके अलावा इसका इस्‍तेमाल AMCA Mk1 और एडवांस्‍ड AMCA Mk2 फाइटर जेट में भी किया जा सकेगा. FADEC सिस्‍टम की 4 प्रमुख विशेषताएँ 120kN इंजन के लिए अगली पीढ़ी की FADEC प्रणाली को इस तरह विकसित किया गया है कि यह AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) की स्टील्थ, सुपरक्रूज़ और मल्‍टीपल मिशन से जुड़ी आवश्यकताओं के अनुरूप हैं. इस सिस्‍टम की ये खासियत काफी महत्‍वूर्ण हैं -: डेटा कैप्चर और एनालिसिस: नई FADEC सिस्‍टम इंजन के सेंसर से कहीं अधिक मात्रा में डेटा एकत्र करने में सक्षम है, जिससे उसके संचालन की स्थिति की गहरी समझ प्राप्त होती है. उन्नत एनालिटिक्स के उपयोग से यह प्रणाली न केवल रखरखाव की जरूरतों का पहले से अनुमान लगा सकती है, बल्कि संभावित खराबियों की पहचान कर सकती है और डुप्लिकेट इनपुट सिग्नलों के बीच विसंगतियों को भी हल कर सकती है. यह पूर्वानुमानित रखरखाव क्षमता (predictive maintenance capability) AMCA की सर्विस उपलब्धता बढ़ाने और रखरखाव लागत घटाने में अहम भूमिका निभाएगी. बेहतर फ्यूल एफिशिएंसी: FADEC के अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर इंजन के पैरामीटर को मिशन की जरूरतों के अनुसार डायनामिक रूप से समायोजित करते हैं, जिससे ईंधन की खपत में उल्लेखनीय कमी आती है. सूत्रों के अनुसार, यह नई प्रणाली ईंधन बचत में उल्लेखनीय सुधार लाती है, जिससे AMCA की रेंज और उड़ान अवधि (endurance) बढ़ती है, विशेष रूप से Mach 1.3 की सुपरक्रूज़ गति पर बिना आफ्टरबर्नर के. यह क्षमता AMCA के लंबी दूरी के मिशनों और स्टील्थ प्रोफाइल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग: इस FADEC प्रणाली की कंप्यूटिंग क्षमता पहले के संस्करणों की तुलना में 10 गुना अधिक है. इससे इंजन का नियंत्रण अत्यधिक तेज़ और सटीक हो जाता है, जो सबसोनिक से सुपरसोनिक गति तक सभी उड़ान परिस्थितियों में इंजन को सक्षम बनाता है. इसका उन्नत हार्डवेयर जटिल एल्गोरिद्म को सुलझाने में सक्षम है, जिससे भारत की गर्म और ऊंचाई वाले इलाकों में भी इंजन का प्रदर्शन सर्वोत्तम रहता है. भविष्य के वैरिएंट्स के लिए स्केलेबिलिटी: FADEC की मॉड्यूलर डिज़ाइन इसे भविष्य के अपग्रेड्स के साथ संगत बनाती है. यह AMCA Mk1 (जो प्रारंभ में GE F414 इंजन से संचालित होगी) और Mk2 (जिसमें 120kN इंजन एकीकृत किया जाएगा) दोनों के लिए उपयुक्त है. इसे संभावित 6वीं पीढ़ी के फीचर्स जैसे डायरेक्टेड-एनर्जी वेपन्स (निर्देशित ऊर्जा हथियार) और स्वॉर्म ड्रोन नियंत्रण प्रणाली के साथ इंटीग्रेट करने के लिए भी तैयार बनाती है. इनका उपयोग AMCA Mk2 में साल 2040 तक किए जाने की योजना है. 6th जेनरेशन फाइटर जेट भारत के स्वदेशी 120 किलोन्‍यूटन (kN) श्रेणी के इंजन के लिए विकसित किया जा रहा नया FADEC (Full Authority Digital Engine Control) सिस्टम एयरो-इंजन टेक्नोलॉजी में नया मानक स्थापित करने जा रहा है. यह अत्याधुनिक प्रणाली 5वीं और संभावित रूप से 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए तैयार की जा रही है. FADEC आधुनिक एयरो-इंजनों का सबसे अहम हिस्सा है, जो इंजन के परफॉर्मेंस को नियंत्रित करता है. यह फ्यूल फ्लो, थ्रस्ट और इंजन की वैरिएबल ज्योमेट्री जैसे मानकों को डिजिटल तरीके से सटीकता से नियंत्रित करता है. ‘idrw.org’ के अनुसार, नए FADEC में अपने पिछले वर्जन की तुलना में 10 गुना अधिक कंप्यूटिंग क्षमता होगी. इससे यह बेहद जटिल एल्गोरिद्म को प्रोसेस करने और रीयल-टाइम डेटा को अत्यंत सटीकता से प्रबंधित करने में सक्षम होगा. इससे इंजन के परफॉर्मेंस का ऑप्टिमाइजेशन और ऑपरेशनल लागत में कमी जैसे लाभ मिलेंगे. यह बढ़ी हुई कम्प्यूटिंग क्षमता एडवांस्ड एनालिटिक्स के एकीकरण को भी संभव बनाती है, जिससे इंजन अपने आप प्रदर्शन सुधारने और भविष्य की मेंटेनेंस जरूरतों का अनुमान लगाने में सक्षम होगा. AMCA और TEDBF कार्यक्रम को मिलेगी ताकत 120kN श्रेणी के इस इंडो-फ्रेंच इंजन का विकास भारत और फ्रांस की कंपनी सैफरन (Safran) के सहयोग से हो रहा है. यह परियोजना एक सरकार-से-सरकार समझौते (G2G) के तहत संचालित है, जिसमें इंजन की पूर्ण बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) भारत के पास रहेंगे. इसका अर्थ है कि भारत भविष्य में इस तकनीक को स्वतंत्र रूप से विकसित और अनुकूलित कर सकेगा. नया FADEC सिस्टम भारतीय वायुसेना के एडवांस्ड … Read more

एमवाय अस्पताल की हालत चिंताजनक, PWD ने बताया – रखरखाव में लापरवाही, अब सिर्फ 25 साल की उम्र बाकी

इंदौर इंदौर का 77 साल पुराना एमवाय अस्पताल अब खुद बीमार और जर्जर होता जा रहा है। यह अस्पताल अंदर और बाहर दोनों ही ओर से कई समस्याओं से घिरा हुआ है। 1948 में महाराजा यशवंतराव होल्कर प्रथम द्वारा स्थापित इस गौरवशाली अस्पताल की हालत अब इतनी खराब हो गई है।  यह खुलासा लोक निर्माण विभाग (PWD) की 300 पेज की रिपोर्ट में हुआ है। यह रिपोर्ट चूहा कांड के बाद सामने आई है, जिसमें हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। फिलहाल इस मामले में सुनवाई चल रही है। डीन और स्टाफ ने कोर्ट में पेश की रिपोर्ट राज्य शासन ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश की है, जिसमें एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन और सुपरिटेंडेंट सहित स्टाफ व एग्जाइल कंपनी की लापरवाही की जानकारी दी गई है। डीन ने अपने प्रतिवेदन में 31 अगस्त और 1 सितंबर को अस्पताल में चूहे द्वारा काटे जाने की घटनाओं का विवरण दिया है। डीन की रिपोर्ट में PWD के मेंटेनेंस पर जताई चिंता     नवजात शिशुओं की मौत चूहे के काटने से नहीं, बल्कि जन्मजात विकृतियों (मल्टिपल कॉन्जेनिटल मॉलफॉर्मेशन्स) से हुई।     अस्पताल में कर्मचारियों की भारी कमी है।     PWD द्वारा भवन का रखरखाव बेहद खराब है।     पेस्ट कंट्रोल का अनुबंध HLL Infra Tech Services Ltd (HITES) के साथ समाप्त कर दिया गया है।     नर्सिंग स्टाफ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। हाई कोर्ट ने PWD से मांगी विस्तृत जानकारी हाई कोर्ट ने भवन की जर्जर स्थिति को गंभीरता से लिया और 15 सितंबर को राज्य शासन को निर्देश दिए कि PWD इन बिंदुओं पर रिपोर्ट दे,     एमवाय अस्पताल और एमजीएम कॉलेज की आंतरिक और बाहरी स्थिति     दोनों भवनों की अनुमानित शेष उम्र     ड्रेनेज सिस्टम और बिजली आपूर्ति की स्थिति     मरम्मत और सुधार के लिए अनुमानित लागत     स्टाफ क्वार्टर्स और परिसर के नवीनीकरण का विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) PWD ने कोर्ट में पेश की 300 पेज की रिपोर्ट PWD के कार्यपालन यंत्री जे.जे. गौतम ने 7 अक्टूबर को रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। रिपोर्ट में अस्पताल से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं का जिक्र किया गया। PWD ने दिए ये सुझाव     पूरे ड्रेनेज सिस्टम को दोबारा डिजाइन किया जाए।     पानी भराव की स्थायी समस्या का हल निकाला जाए।     सभी टॉयलेट्स को फिर से प्लान किया जाए।     कचरे की मात्रा बहुत अधिक है, इसके प्रबंधन के लिए ठोस उपाय हों।     अस्पताल के सभी दरवाजे लकड़ी के हैं, जिनका रंग उतर चुका है।     बाहर बगीचों के ब्लॉक्स उखड़े हुए हैं।     परिसर की सड़कें टूटी हुई हैं और कई जगह गड्ढे हैं।

फीकी पड़ी क्रिकेट की सबसे बड़ी लीग! IPL को दो साल में ब्रांड वैल्यू में ₹16,400 करोड़ का झटका

 मुंबई  भारतीय क्रिकेट का सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) अब फिर से अपने हाई वैल्यू से नीचे आ गया है. D&P एडवाइजरी की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में आईपीएल का इकोसिस्टम वैल्यू 76,100 करोड़ (लगभग $8.8 बिलियन) तक गिर गया है. यह गिरावट पिछले दो सालों में लगातार दूसरे साल हुई है. 2023 में आईपीएल का वैल्यू 92,500 करोड़ था, जबकि 2024 में यह 82,700 करोड़ तक आ गया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस गिरावट के मुख्य कारण ऑनलाइन गेमिंग पर रोक और मीडिया राइट्स में मर्जर हैं. इसके अलावा एडवर्टाइजमेंट बाजार में धीमी ग्रोथ और खिलाड़ियों की बढ़ती फीस ने फ्रेंचाइजी के प्रॉफिट पर दबाव डाला है. मीडिया राइट्स में कम कॉम्पिटिशन 2024 में डिज्नी स्टार और वायकॉम18 का मर्जर हुआ, जिसके बाद अब टीवी और डिजिटल प्रसारण का काम मुख्य रूप से एक ही चैनल JioStar के हाथ में है. पहले जहां मीडिया अधिकारों की नीलामी में कई कंपनियां भाग लेती थीं और कीमतें ऊंची होती थीं, अब कॉम्पिटिशन कम होने के कारण मीडिया राइट्स की वैल्यू घट गई है. यही वजह है कि आईपीएल का कुल इकोसिस्टम वैल्यू भी गिर गई है.  ऑनलाइन गेमिंग पर रोक से नुकसान 2025 में लागू हुई प्रमोशन और रेकुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट ने रियल मनी गेमिंग और उनके एडवर्टाइजमेंटों पर रोक लगा दी. इससे आईपीएल को लगभग 1,500–2,000 करोड़ का सलाना एडवर्टाइजमेंट और स्पॉन्सरशिप का नुकसान हुआ. पहले फैंटेसी और गेमिंग कंपनियां फ्रंट-ऑफ-शर्ट स्पॉन्सरशिप और डिजिटल एडवर्टाइजमेंटों में बड़ी रकम देती थीं. अब उनकी अनुपस्थिति से एडवर्टाइजमेंट दरें कम हुईं और ब्रांड वैल्यू भी घट गया. फ्रेंचाइजी के लाभ पर दबाव आईपीएल में खिलाड़ियों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जबकि स्पॉन्सरशिप और ब्रांड डील्स स्थिर बनी हुई हैं. इससे फ्रेंचाइजी की लाभप्रदता पर दबाव बढ़ा है. महंगे खिलाड़ियों के कारण टीमें अपने खर्चों को कवर करने में मुश्किल महसूस कर रही हैं. ऐसे में टूर्नामेंट की कुल आर्थिक शक्ति और निवेशकों का उत्साह कम हुआ है. दर्शकों में कम हुई रुचि  दुनिया भर में कई क्रिकेट लीग्स के चलते दर्शकों का ध्यान विभाजित हो गया है. IPL के मैचों के बीच दूसरी लीग्स और टूर्नामेंट्स का दबाव भी बढ़ गया है. हालांकि 2025 में IPL ने एक अरब से अधिक दर्शक आकर्षित किए, डिजिटल दर्शक पहली बार टीवी दर्शकों से ज्यादा हुए, लेकिन ग्लोबल क्रिकेट थकान के कारण कुछ हद तक दर्शकों की उत्सुकता घट रही है. नई विकास रणनीति क्या हो सकती है? D&P एडवाइजरी के मैनेजिंग पार्टनर संतोष एन का कहना है कि आईपीएल और WPL दोनों लीग्स की बुनियादी ताकतें मजबूत हैं. अगले विकास चरण के लिए जरूरी है कि लीग वोलाटाइल सेक्टर्स जैसे गेमिंग पर निर्भरता कम करे और नए फील्ड में स्पॉन्सरशिप बढ़ाए, जैसे ऑटो, फिनटेक, हेल्थकेयर और ईस्पोर्ट्स. साथ ही ग्लोबल स्ट्रीमिंग कंपनियों जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजन और एप्पल को शामिल करके मीडिया राइट्स में कॉम्पिटिशन बढ़ाना होगा.  WPL की बात करें तो 2025 में इसकी वैल्यू भी 5.6% घटकर ₹1,275 करोड़ हो गई. बावजूद इसके WPL के 2025 संस्करण में टीवी रेटिंग 150% और डिजिटल व्यूअरशिप 70% बढ़ी, स्टेडियम लगभग पूरे भरे रहे और मैचों के दौरान ट्रेवल एक्टिविटी भी बढ़ी. IPL 2025 की कुल वैल्यू कितनी है? IPL 2025 के कुल इकोसिस्टम की वैल्यू 76,100 करोड़ ($8.8 बिलियन) है, जो पिछले दो सालों में लगातार गिरावट दिखाता है. IPL की वैल्यू गिरने के मुख्य कारण क्या हैं? ब्रांड वैल्यू गिरने का मुख्य कारण हैं डिजनी स्टार और वायकॉम18 का मीडिया मर्जर, ऑनलाइन गेमिंग विज्ञापनों पर रोक, खिलाड़ियों की बढ़ती लागत और धीमी विज्ञापन वृद्धि. ऑनलाइन गेमिंग पर रोक का IPL पर क्या असर पड़ा? रियल मनी गेमिंग और उसके विज्ञापनों पर रोक से IPL को लगभग 1,500–2,000 करोड़ का सालाना विज्ञापन और स्पॉन्सरशिप नुकसान हुआ. क्या दर्शकों की रुचि IPL से कम हो रही है? 2025 में IPL ने 1 अरब से अधिक दर्शक आकर्षित किए, लेकिन ग्लोबल क्रिकेट लीग्स और टूर्नामेंट्स के चलते दर्शकों की क्षमता कुछ हद तक घट रही है. IPL के भविष्य में मूल्य बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है? लीग को नई स्पॉन्सरशिप क्षेत्रों में विस्तार करना चाहिए जैसे ऑटो, फिनटेक, हेल्थकेयर, ईस्पोर्ट्स और ग्लोबल स्ट्रीमिंग पार्टनर्स को शामिल करके मीडिया राइट्स में प्रतिस्पर्धा बढ़ानी चाहिए.  

मुस्लिम देशों की नई पसंद भारत, पाकिस्तान हो रहा अलग-थलग — जानिए कारण

नई दिल्ली मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती का दो दिवसीय दौरे पर भारत आना और भारत-मिस्र रणनीतिक वार्ता में शामिल होना, एक ऐसे समय में हुआ है जब ज‍ियोपॉल‍िट‍िकल इक्‍वेशन तेजी से बदल रहे हैं. यह दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है और संकेत देता है कि कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान की पकड़ मुस्लिम देशों से ढीली होती जा रही है. अब मुस्लिम देश भी आतंक और युद्ध की विचारधारा से निकलकर आर्थिक, सामाजिक विकास और स्थिरता की ओर देख रहे हैं. भारत अब इन देशों का पसंदीदा पार्टनर है. पाकिस्तान लंबे समय से खुद को इस्लामिक जगत का लीडर बताता रहा है और यह मानता रहा है कि सभी मुस्लिम देश हर मुद्दे पर उसका साथ देंगे. कश्मीर मुद्दे को इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में उठाने की उसकी कोशिशें इस रणनीति का हिस्सा रही हैं. लेकिन हाल के घटनाक्रम और OIC के भीतर से ही भारत को लेकर नरम होते रुख ने पाकिस्तान को परेशान कर द‍िया है. जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर या अफगानिस्तान के साथ सीमा पर तनाव के दौरान देखा गया. तुर्की और अजरबैजान को छोड़कर ज्‍यादातर प्रमुख मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान का खुला समर्थन नहीं किया. यहां तक कि उसके पारंपरिक सहयोगी सऊदी अरब और यूएई ने भी भारत के साथ रिश्तों को तवज्‍जो दी. खाड़ी देशों का बदलता रुख यूएई और सऊदी अरब जैसे खाड़ी देश अब पाकिस्तान की कश्मीर केंद्रित कूटनीति से दूरी बना रहे हैं. ये देश अब अपनी ऊर्जा जरूरतों, निवेश, व्यापार और प्रवासी भारतीयों की विशाल संख्या के कारण भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार मानते हैं. हाल ही में, यूएई और सऊदी अरब ने पाकिस्तान के कुछ शहरों के नागरिकों को वीजा देने पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम उठाए हैं, जो पाकिस्तान के प्रति उनके बदलते नजरिए को दर्शाते हैं. ये देश भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं और भारत के साथ स्‍ट्रेटजि‍क पार्टनरश‍िप बढ़ा रहे हैं. वजह सिर्फ आर्थिक मजबूरी या फ‍िर कुछ और मुस्लिम मुल्‍क, खासकर खाड़ी देश अब अपनी अर्थव्यवस्थाओं की निर्भरता तेल से हटाकर इन्‍वेस्‍टमेंट पर करना चाहते हैं. भारत की मजबूत और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था उनके लिए एक आकर्षक बाजार और इन्‍वेस्‍टमेंट डेस्‍ट‍िनेशन है. वे आतंक, अस्थिरता और संघर्ष की राजनीति से दूर हटकर लंबे समय तक वाली आर्थिक साझोदारी चाहते हैं, जो सिर्फ भारत उन्‍हें दे सकता है. यही वजह है क‍ि मुस्लिम देशों में भारत को लेकर नजरिया काफी हद तक बदल गया है. अब वे पाकिस्तान के मुकाबले भारत को एक ज्यादा स्थिर, आर्थिक रूप से मजबूत और भरोसेमंद साझेदार के रूप में देखते हैं. तीन प्‍वाइंट में समझें भारत क्‍यों बन रहा पसंद     भारत, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और खाड़ी देशों के लिए एक बड़ा व्यापारिक भागीदार है. लाखों भारतीय प्रोफेशनल्‍स खाड़ी देशों की इकोनॉमी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहरीन, UAE, फिलिस्तीन और सऊदी अरब जैसे देशों से सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलना, इन देशों के साथ भारत के प्रगाढ़ होते संबंधों को दर्शाता है.     मिस्र के साथ भारत के संबंध अशोक के शिलालेखों तक पुराने हैं. महात्मा गांधी और साद जघलौल ने दोनों देशों के र‍िश्तों को एक नया मुकाम द‍िया था. इस तरह के गहरे सभ्यतागत संबंध कई मुस्लिम देशों के साथ भारत के हैं, जो केवल धर्म पर आधारित नहीं हैं, बल्कि इतिहास और साझा मूल्यों पर टिके हैं.     तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग भारत के लिए चिंता का विषय रहा है, लेकिन दूसरी तरफ, भारत कई अरब देशों के साथ सैन्य अभ्यास और रक्षा सहयोग बढ़ा रहा है. यह ज‍ियोपॉल‍िटकल बैलेंस को भारत के पक्ष में झुकाता है. अफगानिस्तान ने पलटा सारा गेम     अफगानिस्तान के मामले में भारत ने ज‍िस तरह की भूमिका ली है, उससे मुस्‍ल‍िम देशों में साख बढ़ी है. भारत वहां अरबों डॉलर का इन्‍वेस्‍टमेंट क‍िया है. स्कूल, सड़कें और यहां तक कि अफगान संसद भवन का निर्माण भी कराया. 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भी भारत ने इंगेजमेंट विदाउट रिकॉग्निशन की नीति अपनाई और काफी मदद की.     भारत की इस नीत‍ि ने अफगानिस्तान के लोगों का द‍िल जीत ल‍िया. पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच तालिबान के साथ भारत का ‘टेक्निकल मिशन’ के माध्यम से सीमित जुड़ाव पाकिस्तान के विरोधियों के साथ संबंध बनाने की चाणक्य नीति जैसा है, जिससे मुस्लिम देशों में भी भारत की कूटनीतिक कुशलता का संदेश जाता है. फिलिस्तीन कनेक्‍शन भी अहम फिलिस्तीन का मुद्दा मुस्‍ल‍िम देशों के ल‍िए द‍िल से जुड़ा हुआ है. चाहे ईरान हो, कतर, मिस्र, सऊदी या फ‍िर यूएई सब वहां शांत‍ि चाहते हैं. एक स्‍वतंत्र फ‍िल‍िस्‍तीन बनाने की ख्‍वाह‍िश रखते हैं. ऐसे वक्‍त में जब पूरी दुन‍िया अमेर‍िका के आगे जी हजूरी करने में लगी है, भारत फ‍िल‍िस्‍तीन की आवाज बनकर डटकर खड़ा है. लगातार अमीर देशों को चेता रहा है क‍ि फ‍िल‍िस्‍तीन की बात सुने. फ‍िल‍िस्‍तीन से क‍िए वादे पूरे करो. भारत ने वहां मदद भी भेजी है. इन सब चीजों ने मुस्‍ल‍िम देशों को भारत के साथ जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है. मिस्र के विदेश मंत्री का यह दौरा स्वयं भारत के बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है. इसके अलावा, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत तेज होना भारत के साथ रिश्तों की नई कहानी कहता है.  

गहनों को पीछे छोड़ रहे सोने-चांदी के सिक्के, धनतेरस पर बदल रहा है खरीदारों का ट्रेंड

नई दिल्‍ली. दिवाली के त्योहार पर इस वर्ष दिल्ली सहित देशभर के बाजारों में बड़ी धूमधाम है और ग्राहकों का तांता बाजारों का रूख कर रहा है. लंबे समय के बाद व्यापारियों और ग्राहकों के चेहरे पर खुशी की चमक लौटी है.  धनतेरस का बड़ा त्योहार है और इस दिन सोने-चांदी, बर्तन, रसोई के सामान आदि को खरीदना शुभ माना जाता है. कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) और इसके ज्वेलरी विंग ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन (एआईजेजीएफ )की ओर से धनतेरस के अवसर पर लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक के सोने-चांदी के व्यापार का अनुमान लगाया गया है. कैट और एआईजेजीएफ की ओर से देशभर के सर्राफा बाजारों में धनतेरस को लेरक किए गए सर्वेक्षण में पता चला है कि इस साल सोने–चांदी के सिक्कों की बिक्री में जबरदस्त उछाल दिख रहा है, जबकि स्वर्ण आभूषणों की बिक्री में कुछ गिरावट का अनुमान है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल व एआईजेजीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोरा ने बताया कि सोने-चांदी के रिकॉर्ड ऊंचे दाम के चलते मध्यम और उच्च वर्ग के ग्राहक निवेश के रूप में अब ठोस सिक्कों को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं. वहीं, ज्वैलरी की मांग में कमी दर्ज की जा रही है. विवाह सीजन के खरीदार भी अब भारी आभूषणों की जगह हल्के गहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं. कीमतों से कितना पड़ा असर उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष दीपावली के दौरान सोने का भाव लगभग 80,000 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो इस वर्ष बढ़कर 1,30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गया है. यानी इसकी कीमतों में करीब 60% की वृद्धि हुई है. इसी प्रकार चांदी की कीमतें साल 2024 में 98,000 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, जो अब 1,80,000 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई हैं, यानी लगभग 70% की बढ़ोतरी दिख है. इन बढ़ी कीमतों के चलते निवेशक बड़ी संख्या में सर्राफा बाजार की ओर आकर्षित हुए हैं. कितना सोना और चांदी बिकेगा खंडेलवाल के अनुसार, धनतेरस से दीपावली तक त्योहारी सीजन में सबसे अधिक मांग बुलियन और सिक्कों की रहने की संभावना है. अरोरा के अनुसार, देशभर में करीब 5 लाख छोटे-बड़े ज्वैलर्स सक्रिय हैं. यदि प्रत्येक ज्वैलर औसतन 50 ग्राम सोना बेचता है, तो कुल मिलाकर लगभग 25 टन सोने की बिक्री होगी, जिसकी मौजूदा भाव से अनुमानित कीमत 32,500 करोड़ रुपये है. इसी प्रकार, प्रत्येक ज्वैलर अगर औसतन 2 किलो चांदी बेचता है तो लगभग 1,000 टन चांदी की बिक्री होगी, जिसकी मौजूदा कीमत 18,000 करोड़ रुपये के आसपास है. इस प्रकार, देशभर के सर्राफा बाजारों में कुल मिलाकर लगभग 50,000 करोड़ से अधिक के व्यापार का अनुमान है. गहनों के बजाय सिक्‍कों पर जोर खंडेलवाल और अरोड़ा ने बताया कि बदलते बाजार रुझानों को देखते हुए ज्वैलर्स अब फैंसी ज्वैलरी और चांदी के सिक्कों जैसे नए विकल्पों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं, ताकि ग्राहकों की बदलती मांग के अनुरूप व्यापार को गति दी जा सकती है. ग्राहक भी सोने-चांदी के गहनो के बजाय सिक्‍कों पर अधिक जोर दे रहे हैं. उनका मानना है कि सिक्‍कों की शुद्धता भी ज्‍यादा होती है और इस पर मेकिंग चार्ज आदि का भी कोई झंझट नहीं रहता है.