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बच्चों के संग ऐसे बना रहेगा प्यारा का गहरा रिश्ता

हम सभी ऐसा मानते हैं कि बच्चे अपने पैरेंट्स से, अपने घर से, बाहरी दुनिया से सीखते हैं। यह सौ फीसदी सच भी है। लेकिन हममें से कितने प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो अपने बच्चों से सीखते हैं, या उनके कहे अनुसार खुद को बदलने की कोशिश करते हैं। जिस दिन आपको ऐसा महसूस होगा कि सिर्फ आप ही अपने बच्चे को नहीं सिखा सकतीं, आपके बच्चे भी आपको सिखाने की ताकत रखते हैं। उस दिन से आप दोनों के बीच के रिश्ते एकदम सहज और सरल हो जाएंगे।   बच्चों को समझें बच्चे को भले ही हम बच्चा समझें, लेकिन यह हकीकत है कि वह जो कुछ भी बाहर की दुनिया से सीखता है, उसे अपने घर में भी आजमाना चाहता है। इस तरह से देखा जाए, तो एक बच्चा बाहरी दुनिया की तरह ही अपने घर में भी बदलाव लाना चाहता है। यही कारण है कि वह अपनी इच्छा से वह सारी अच्छी बातें अपने घर वालों को बताता है कि उसके साथ बाहर क्या हो रहा है, वह क्या नया सीख रहा है।   कई परिवारों में बच्चों की इन बातों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि कुछ परिवारों में उन्हें बेहद अहमियत दी जाती है। वे सभी परिवार बड़े खुश माने जाते हैं, जो अपने बच्चों के साथ बढ़ते तथा विकसित होते हैं। उनकी यही बातें उन्हें रोज बदलने वाली दुनिया और समाज में बड़ा बनाती हैं। उन्हें समाज की बदलती गति के साथ चलने की सीख देती हैं। अपने बच्चों को सावधानी से सुनने का, उनकी सोच और शब्दावली को समझने का माद्दा हम सब में होना चाहिए। जब ऐसा होगा, तभी हम बच्चों पर अपने विचार और सोच थोपने की बजाय उनके अनुसार सोचेंगे और उनके जीवन मूल्यों को भी तरजीह देंगे। निरंतर प्रक्रिया है सीखना अपने माता-पिता की उम्र तक आते-आते हम जीवन के कई सबक सीख चुके होते हैं। यह सबक हमें घर और बाहर दोनों ही वातावरण से मिलते हैं। जब हम किसी चीज को देखते हैं या जो अनुभव करते हैं, वो चीजें स्वाभाविक रूप से हमारे जेहन में बैठ जाती हैं। इस तरह हम सीखते जाते हैं। सीखने की हमारी प्रक्रिया सबसे ज्यादा माता-पिता, विशेषकर मां से जुड़ी होती है, क्योंकि उनके साथ हमारा ज्यादा समय गुजरता है। सीखने की यह प्रक्रिया पशुओं पर भी लागू होती है। लेकिन मनुष्य और पशु में जो सबसे बड़ा अंतर है वह यह कि मनुष्य अपने जीवन में आगे बढ़ने के बाद वापस पीछे मुड़कर देखते हैं और वापस आते हैं, अपने वृद्ध माता-पिता का हाथ पकड़ने के लिए। यह सब कुछ हम अपने पैरेंट्स से ही सीखते हैं। इस तरह देखा जाए तो सीखना एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसे हम जीवन के अलग-अलग चरणों में सीखते हैं। बच्चे भी सिखा सकते हैं हमें बच्चों का पालन-पोषण, शिक्षा, दूसरों से संवाद करने की उनकी योग्यता और उनके व्यक्तित्व पर पड़ने वाले बाहरी प्रभाव, यह सभी हमको उम्र बढ़ने के साथ-साथ सुधार की ओर ले आते हैं। उसे आगे बढ़ने में मदद करते हैं। इसी क्रम में एक समय ऐसा भी आता है, जब माता-पिता अपने बच्चे से सीखते हैं। अपने बच्चों के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं। अपने बच्चे से भावनात्मक रूप से ज्यादा जुड़ाव होने के कारण, एक मां पिता की बनिस्पत अपने बच्चे के ज्यादा नजदीक होती है। असल में पिता हमेशा बच्चे को अनुशासित रखने के लिए चिंतित रहते हैं। यही वजह है कि हम अपने इर्द-गिर्द ऐसी मांओं को देखते हैं, जो अपने बच्चों के साथ न केवल अच्छे से संवाद करती हैं, बल्कि उनके साथ कंप्यूटर, आईपैड, स्मार्टफोन जैसी नवीनतम टेक्नोलॉजी का यूज भी करती हैं और उसमें भी निपुण हो जाती हैं। इसके ठीक उलट, एक पिता को अपने बढ़ते बच्चों से संवाद करने में मुश्किल पेश आती है। समय के साथ बदलाव जरूरी वे पैरेंट्स, जो जमाने के साथ चलते हैं और समाज के बदलते चलन के साथ खुद में बदलाव करते हैं, अपनी जानकारी में इजाफा करते हैं, वे अपने बच्चों के साथ बेहतर रिश्तों को निभा पाने में सक्षम होते हैं। ऐसे पैरेंट्स जो इस नए समाज से अपने आपको अलग रखते हैं, वे अपना समय का सही उपयोग नहीं कर रहे होते हैं। जो समय के साथ अपने में बदलाव नहीं करते, अपने में कुछ जोड़ते या घटाते नहीं हैं, वे बच्चों के साथ अपने बेहतर रिश्ते नहीं बना पाते। वे बढ़ते बच्चों के साथ तकनीक, मीडिया, नई तकनीक के साथ नहीं चल पाते। उनके लिए बच्चों के साथ अपने सहज रिश्ते बना पाना मुश्किल होता है। अगर आप चाहती हैं कि आप अपने बच्चों के करीब रहें, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा अपना समय आपके साथ गुजारें, तो उनके कहे अनुसार खुद में थोड़ा बदलाव लाएं, जमाने के साथ चलें। इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी रुचियों को हमेशा जिंदा रखें और गतिशील रहते हुए अपना जीवन गुजारें। अपने दोस्तों और अपनी हॉबीज के लिए समय निकालें। इससे आपको खुशी मिलेगी। बन जाएं बच्चों के दोस्त अपने बढ़ते बच्चों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने के लिए यह जरूरी है कि आप उनके समकक्ष खड़े होने की योग्यता अपने भीतर पैदा करें। उनके टीचर न बनें बल्कि उनके दोस्त बनें। उनकी बातों और कामों को गलत-सही की तराजू में तोलने की बजाय उनके प्रति सहानुभूति रखें। उनकी आलोचना करने की जगह उन्हें उत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहें। इस बात को समझें और स्वीकार करें कि आपका कर्तव्य था उन्हें सिखाना और उन्हें अनुशासित करना। जिसका खाका आपने पहले से तैयार कर रखा है। अब यह समय आ चुका है, जब आपको दुबारा अपने बचपन में लौटकर जाना होगा और खुद बच्चे बनकर अपने बच्चों का दोस्त बनना होगा और उनके साथ नए सिरे से अपना रिश्ता बनाना होगा। जब आपको इस बात का अहसास हो जाएगा कि आपके बड़े बच्चे आपको सिखा सकते हैं, सिखाने का यह काम सिर्फ आप ही नहीं कर सकते तो इसका अर्थ यह है कि अब आप दोनों के बीच बेहतर रिश्ते बन सकते हैं। बेहतर रिश्ते वही होते हैं, जहां परिवार द्वारा एक दूसरे के साथ हिस्सेदारी की जाती है। जहां पैरेंट्स अपने बड़े होते बच्चों का सम्मान करते हैं … Read more

भारत की आवाज़ बनेंगी विंध्य की वसुंधरा, कॉमनवेल्थ-आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगी

सतना  कॉमनवेल्थ एशिया यूथ लीडरशिप समिट-2024 में हुई कॉमनवेल्थ एशिया यूथ एलायंस की स्थापना के बाद यह सम्मेलन युवाओं के लिए अवसरों का नया द्वार खोलने जा रहा है और महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां भारत का चेहरा होंगी वसुंधरा सिंह। विंध्य की धरती से एक बार फिर गौरव का सूरज उगने जा रहा है। सतना की युवा शोधार्थी वसुंधरा सिंह का चयन कॉमनवेल्थ-आसियान शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए हुआ है। यह प्रतिष्ठित सम्मेलन 28 अक्टूबर को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित होगा, जहां कॉमनवेल्थ और आसियान सदस्य देशों के प्रधानमंत्री, मंत्री, राजनयिक, नीति-निर्माता और युवा नेता एक साथ एक मंच पर जुटेंगे। अब वसुंधरा मलेशिया में भारत के युवा नेतृत्व की आवाज बनेगी। एक ऐसी ‘विंध्य की बेटी’, जो अंतरराष्ट्रीय मंच से भारत की नवाचार शक्ति, शोध दृष्टि और नेतृत्व क्षमता का संदेश दुनिया तक पहुंचाएगी। पूर्व सांसद की पोती है ‘वसुंधरा’ वसुंधरा सिंह सतना लोकसभा के पूर्व सांसद दिवंगत रामानंद सिंह की पोती और राजवंत सिंह की पुत्री हैं। वर्तमान में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं तथा मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की क्षेत्रीय छात्रा प्रमुख के रूप में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। संगठन में वसुंधरा का सफर प्रेरणादायक रहा है, वह नरसिंहपुर की विभाग संगठन मंत्री, प्रांत छात्रा प्रमुख, और जिला संगठन प्रमुख जैसे दायित्व निभा चुकी हैं। कटनी में पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में उनके योगदान ने उन्हें एक मजबूत सामाजिक और वैचारिक पहचान दी है। विंध्य क्षेत्र से होंगी पहली वसुंधरा विंध्य क्षेत्र की पहली और एकमात्र प्रतिनिधि हैं जिन्हें यह गौरव प्राप्त हुआ है। इस वर्ष सम्मेलन का विषय है, सहयोग, नवाचार और भविष्य की साझेदारी"। कार्यक्रम के दौरान सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, शोध, तकनीक और सतत विकास जैसे विषयों पर गहन चर्चा होगी। वसुंधरा सिंह की यह उपलब्धि केवल मध्यप्रदेश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है।

स्कूटर मार्केट में टीवीएस की तेजी, धीरे-धीरे 29% हिस्सेदारी पर पहुंची कंपनी

नई दिल्ली भारतीय स्कूटर उद्योग अब एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। लंबे समय से बाजार पर होंडा (Honda) का कब्जा रहा है, लेकिन FY2026 की पहली छमाही (H1 FY2026) के आंकड़ों ने दिखाया है कि अब TVS (टीवीएस) उसे कड़ी टक्कर दे रही है। स्कूटर बाजार में न केवल रिकॉर्डतोड़ बिक्री हो रही है, बल्कि कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी (Market Share) में भी बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। आइए जरा विस्तार से इसकी डिटेल्स जानते हैं। भारतीय स्कूटर उद्योग ने FY2025 में 68.5 लाख यूनिट्स की रिकॉर्ड बिक्री की थी, अब FY2026 में पहली बार 70 लाख की बिक्री का आंकड़ा पार करने की ओर बढ़ रहा है। H1 FY2026 (अप्रैल-सितंबर 2025) में स्कूटर निर्माताओं ने कुल 37.21 लाख यूनिट्स की बिक्री की, जो पिछले साल के मुकाबले 6.42% ज्यादा है। GST 2.0 के तहत पेट्रोल इंजन वाले स्कूटरों पर कीमतों में कटौती के चलते सितंबर 2025 में रिकॉर्ड 7,33,391 यूनिट्स की बिक्री हुई, जो अब तक का सबसे बेहतरीन मासिक आंकड़ा है। बाजार में सबसे बड़ा बदलाव होंडा मोटरसाइकिल एंड & स्कूटर इंडिया (HMSI) और TVS मोटर कंपनी के प्रदर्शन में आया है। बाजार लीडर होंडा ने पिछले छह महीनों में 14.3 लाख स्कूटर बेचे, लेकिन यह पिछले साल (H1 FY2025) के मुकाबले 9% कम है। इस गिरावट के कारण होंडा की बाजार हिस्सेदारी 45% से गिरकर 39% पर आ गई है। यह दिखाता है कि कंपनी को अपने लोकप्रिय एक्टिवा (Activa) और डियो (Dio) मॉडलों पर कड़ा मुकाबला मिल रहा है। TVS मोटर ने इस दौरान 10.8 लाख स्कूटर बेचकर सबको चौंका दिया। यह पिछले साल के मुकाबले 27% की जबरदस्त वृद्धि है, जिसने कंपनी की बाजार हिस्सेदारी को 24% से बढ़ाकर 29% तक पहुंचा दिया है। इस शानदार प्रदर्शन में उसके पेट्रोल स्कूटरों (Jupiter, NTorq, Zest) के साथ-साथ इलेक्ट्रिक स्कूटर iQube का भी बड़ा हाथ है, जिसने 20% की सालाना वृद्धि दर्ज की है। होंडा और टीवीएस के अलावा अन्य कंपनियों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है। सुजुकी एक्सेस 125 (Access 125) की मजबूती के दम पर 11% की वृद्धि के साथ 5.63 लाख यूनिट्स बेचीं और हिस्सेदारी 15% तक बढ़ाई। सुजुकी भी जल्द ही ई-एक्सेस (e-Access) इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च करने की तैयारी में है। स्कूटर सेगमेंट में 32% की बड़ी छलांग लगाकर 2.41 लाख यूनिट्स बेचीं। इसकी वृद्धि में उसके इलेक्ट्रिक स्कूटर Vida (वीडा) की 132% की शानदार बिक्री का अहम योगदान रहा। इलेक्ट्रिक स्टार्ट-अप एथर ने रिज्टा (Rizta) जैसे फैमिली स्कूटर की बदौलत 70% की भारी वृद्धि दर्ज की और कुल 1.09 लाख यूनिट्स बेचीं। बजाज ऑटो (Bajaj Auto) के उत्पादन में आई दिक्कतों के कारण इसकी कुल बिक्री में 6% की मामूली गिरावट आई। हालांकि, कंपनी ने बाद में चेतक (Chetak) इलेक्ट्रिक स्कूटर के साथ वापसी की है। वहीं, यामाहा (Yamaha) की बिक्री में 6% की गिरावट के साथ इसकी हिस्सेदारी 4.07% रह गई। हालांकि, इसका प्रीमियम एरॉक्स 155 (Aerox 155) स्कूटर 16% की वृद्धि दर्ज करने में सफल रहा है। स्कूटर उद्योग की समग्र वृद्धि में इलेक्ट्रिक स्कूटर (e-2W) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। H1 FY2026 में इलेक्ट्रिक स्कूटरों की बिक्री 4,42,640 यूनिट्स रही, जो पिछले साल के मुकाबले 29% ज्यादा है। इसने कुल स्कूटर बाजार में अपनी हिस्सेदारी 11% से बढ़ाकर 12% कर दी है। पेट्रोल और CNG की बढ़ती कीमतों को देखते हुए, ग्राहकों के बीच इलेक्ट्रिक स्कूटरों के लंबे समय के फायदे और किफायती मोबिलिटी के रूप में इसकी मांग लगातार बनी हुई है।

सुशील कुमार के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी, पुलिस करेगी झज्जर में गिरफ्तारी की कार्रवाई

रोहतक  पहलवान सागर हत्याकांड में शामिल सुशील पहलवान को झज्जर पुलिस हथियार उपलब्ध करवाने के मामले में अगले सप्ताह प्रोडक्शन वारंट पर लाएगी। डीसीपी क्राइम अमित दहिया ने इसकी पुष्टि की है। सितंबर माह में छुछकवास से विशाल उर्फ चोटीवाला बिरोहड़ को संदिग्ध हालत में काबू किया था। उसके पास से इटली में बनी एक पिस्टल व आधा दर्जन जिंदा कारतूस बरामद हुए थे। रिमांड के दौरान उसने पहलवान सुशील को हथियार मुहैया करवाने की बात कबूली थी। आरोपी ने बताया था कि वह अंडर-19 में नेशनल खेल चुका है। साल 2014 में जब वह छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती के गुर सीखने गया तो वहां उसकी मुलाकात सुशील पहलवान से हुई थी। वह सहरावत गौत्र का है और सुशील की पत्नी का गौत्र भी सहरावत है। इसी के चलते उसका सुशील के गांव बापरौला में भी आना-जाना रहता था। सागर हत्याकांड में न्यायिक हिरासत में जेल में बंद सुशील पहलवान को 4 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। इसके बाद 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुशील की जमानत रद्द की थी। आरोपी विशाल ने पुलिस को बताया था कि मई माह में जब सुशील दिल्ली रोहणी कोर्ट में पेशी पर गया था तो कोर्ट से बाहर उसने एक गाड़ी की तरफ इशारा किया कि उसमें से मेरा नाम लेकर एक पिस्टल और 20 कारतूस ले जाओ। हथियार और गोलियां लाने के बाद वह गांव आ गया था। इन गोलियों में से एक दर्जन से ज्यादा गोलियां उसने हवाबाजी में फायर कर खराब कर दी थी। बाकी बची गोलियां व पिस्टल उसके पास था। इस मामले में सुशील का नाम सामने आने के बाद उसे झज्जर पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट पर लाने के लिए पहले आवेदन किया था। अब पहलवान सुशील को अगले सप्ताह झज्जर पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आएगी। 

छठ की तैयारी में दर्दनाक घटना: भागलपुर में गंगा ने चार बच्चों को निगला

भागलपुर लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारियों के बीच भागलपुर से एक दर्दनाक खबर सामने आई है। नवगछिया अनुमंडल के इस्माइलपुर थाना क्षेत्र के नवटोलिया गांव में छठ घाट बनाने के दौरान गंगा नदी में डूबने से चार बच्चों की मौत हो गई। इस हृदयविदारक घटना से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। जानकारी के अनुसार, सोमवार की दोपहर गांव के कुछ बच्चे गंगा किनारे छठ घाट तैयार करने पहुंचे थे। घाट की सफाई और सजावट के बाद चारों बच्चे नदी में स्नान करने लगे। इस दौरान एक बच्चा अचानक गहरे पानी में चला गया। उसे बचाने के लिए बाकी तीनों बच्चे भी नदी में उतर गए, लेकिन वे सभी तेज धारा में बह गए और देखते ही देखते पानी में समा गए। स्थानीय लोगों ने शोर सुनकर गोताखोरों की मदद से सभी को किसी तरह बाहर निकाला और आनन-फानन में इस्माइलपुर अस्पताल ले जाया गया। हालांकि डॉक्टरों ने जांच के बाद चारों को मृत घोषित कर दिया। मृतकों की पहचान नवटोलिया गांव निवासी मिथिलेश कुमार का पुत्र प्रिंस कुमार (11) और किशोरी मंडल का पुत्र नंदन कुमार (10) के रूप में हुई है। अन्य दो बच्चे पास के छठठु टोला के रहने वाले बताए जा रहे हैं। घटना की सूचना मिलते ही इस्माइलपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों से पूछताछ की। वहीं, गोपालपुर के निर्दलीय प्रत्याशी गोपाल मंडल भी अस्पताल पहुंचे और शोक संतप्त परिवारों से मिलकर संवेदना व्यक्त की। मृतकों के घरों में कोहराम मचा हुआ है। माताएं अपने बच्चों के शवों से लिपटकर बिलखती रहीं। छठ की खुशियां मातम में बदल गईं और पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं।  

रामलला के मंदिर में पूर्णता की गूंज — कलश व ध्वज स्थापना से संपन्न हुआ निर्माण कार्य

अयोध्या करीब 500 सालों के इंतजार के बाद अयोध्या राम मंदिर अब पूरी तरह से बनकर तैयार है. 2020 में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ, जो कि अब समाप्त हो चुका है. राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को किया गया. लेकिन निर्माण संबंधी कुछ कार्य अभी तक जारी थे. हालांकि, अब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से बताया गया कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़े सभी कार्य पूरे हो चुके हैं यानीमुख्य मंदिर, परकोटा के 6 मंदिर – भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, सूर्यदेव, देवी भगवती, देवी अन्नपूर्णा तथा शेषावतार मंदिर भी पूर्ण हो चुके हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने की घोषणा राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के साथ ही परकोटा के 6 मंदिरों पर ध्वजदण्ड और कलश स्थापित हो चुके हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सोशल मीडिया अकाउंट से यह पोस्ट शेयर करते हुए बताया कि सभी श्रीराम भक्तों को यह जानकारी देते हुए हर्ष हो रहा है कि मंदिर निर्माण सबंधी सभी कार्य पूर्ण हो गए हैं. जटायु और गिलहरी की प्रतिमा स्थापित इसके अलावा, सप्त मण्डप अर्थात् महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, शबरी एवं ऋषि पत्नी अहल्या मंदिरों का भी निर्माण पूर्ण हो चुका है. सन्त तुलसीदास मंदिर भी पूर्ण हो चुका है. साथ ही, जटायु और गिलहरी की प्रतिमाएं स्थापित की जा चुकी हैं. दर्शनार्थी कार्य हुए पूरे जिन कार्यों का सीधा संबंध दर्शनार्थियों की सुविधा से है या व्यवस्था से है, वे सभी कार्य पूर्णत्व प्राप्त कर चुके हैं. मानचित्र अनुसार सड़कें एवं फ्लोरिंग पर पत्थर लगाने कार्य L&T द्वारा तथा भूमि सौन्दर्य, हरियाली और लैंड स्केपिंग कार्य सहित 10 एकड़ में पंचवटी निर्माण GMR द्वारा तीव्र गति से किए जा रहे हैं. वही कार्य अभी चल रहे हैं जिनका संबंध जनता से नहीं है – जैसे ३.5 किलोमीटर लंबी चारदीवारी, ट्रस्ट कार्यालय, अतिथि गृह, सभागार इत्यादि.  

चोट से जूझ रही पीवी सिंधु, यूरोपियन लेग से पहले 2025 सीजन के टूर्नामेंट से बाहर

बेंगलुरु  दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु ने फैसला किया है कि वह 2025 के बाकी सभी बीडब्ल्यूएफ टूर टूर्नामेंटों से नाम वापस लेंगी. यह कदम उन्होंने अपने पैर की चोट से पूरी तरह ठीक होने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उठाया है. 30 साल की यह स्टार शटलर यूरोपियन लेग से पहले लगी पैर की चोट से जूझ रही हैं. उन्होंने अपनी सपोर्ट टीम और चिकित्सा विशेषज्ञों, खास तौर पर मशहूर खेल ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. दिनशॉ पारदीवाला से सलाह के बाद यह निर्णय लिया है. सिंधु ने सोमवार को जारी बयान में कहा, 'अपनी टीम से गहन चर्चा और डॉ.पारदीवाला के मार्गदर्शन में हमने तय किया कि मेरे लिए बेहतर यही होगा कि मैं 2025 के बाकी बीडब्ल्यूएफ टूर्नामेंटों से हट जाऊं. इससे मुझे पूरी तरह स्वस्थ होकर वापसी का मौका मिलेगा.' सिंधु ने आगे कहा, 'यूरोपियन लेग से पहले लगी पैर की चोट अब तक पूरी तरह ठीक नहीं हुई है. इसे स्वीकार करना आसान नहीं है, लेकिन चोटें हर खिलाड़ी के सफर का अभिन्न हिस्सा होती हैं. वे आपकी धैर्य और जज्बे की परीक्षा लेती हैं, लेकिन साथ ही और मजबूती से लौटने की आग भी जगाती हैं.' 2019 की वर्ल्ड चैम्पियन सिंधु ने बताया कि उनकी रीहैब और ट्रेनिंग पहले से जारी है, जो डॉ. वेन लॉम्बार्ड की देखरेख में हो रही है. इसमें निशा रावत, चेतना, और कोच इरवांस्या अदी प्रतामा लगातार उनका साथ दे रहे हैं. उन्होंने कहा,  'डॉ. वेन लॉम्बार्ड की निरंतर देखभाल, निशा रावत और चेतना के सहयोग और कोच इरवांस्या के मार्गदर्शन में मैं ऐसे लोगों से घिरी हूं जो मुझे हर दिन मजबूत बनाते हैं. उनकी आस्था मुझ में मेरे अपने आत्मविश्वास को बढ़ाती है. मैं पहले से ज्यादा प्रेरित, आभारी और भूखी हूं नई चुनौतियों के लिए.' कॉमनवेल्थ गेम्स की यह चैम्पियन पिछले कुछ समय से फॉर्म और फिटनेस, दोनों से जूझ रही हैं. पेरिस ओलंपिक में शुरुआती दौर से बाहर होने के बाद, 2025 का यह साल भी उनके लिए उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा. वह कई टूर्नामेंटों में पहले या दूसरे दौर में ही बाहर हुईं, जबकि इंडिया ओपन सुपर 750, वर्ल्ड चैम्पियनशिप और चाइना मास्टर्स सुपर 750 में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचना ही इस सीजन की खास उपलब्धि रही. पिछले साल मलेशिया मास्टर्स में वह खिताब के बेहद करीब पहुंची थीं, जहां उन्हें उपविजेता रहना पड़ा. हालांकि उन्होंने दिसंबर में सैयद मोदी इंटरनेशनल सुपर 300 का खिताब जीतकर अपनी वापसी का संकेत भी दिया था.

आत्म निर्माण-राष्ट्र निर्माण और युग निर्माण की गतिविधियों के लिए युवा चिंतन शिविर का मध्यप्रदेश में होना गर्व का विषय : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

गायत्री परिवार, समाज-संस्कृति-संस्कारों को पुष्पित-पल्लवित कर ऊर्जा का संचार कर रहा है : मुख्यमंत्री डॉ. यादव आत्म निर्माण-राष्ट्र निर्माण और युग निर्माण की गतिविधियों के लिए युवा चिंतन शिविर का मध्यप्रदेश में होना गर्व का विषय मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अखिल विश्व गायत्री परिवार के शिविर के शुभारंभ-सत्र को किया संबोधित भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश देश का दिल है। जिस प्रकार हृदय, शरीर के रक्त को शुद्ध कर हमारी आयु बढ़ाता है, उसी प्रकार गायत्री परिवार समाज-संस्कृति-संस्कारों को पुष्पित-पल्लवित कर नई ऊर्जा का संचार कर रहा है। प्रांतीय युवा चिंतन शिविर के माध्यम से आत्म निर्माण-राष्ट्र निर्माण और युग निर्माण की यह गतिविधियां देश के दिल में बसे मध्यप्रदेश से संचालित हो रही हैं। हम सबको इस पर गर्व है। उन्होंने कहा कि देश को आजादी तो वर्ष 1947 में मिल गई थी लेकिन वैचारिक रूप से युवाओं को दृष्टि प्रदान करने के लिए डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। संघ का यह शताब्दी वर्ष है। पंडित मदन मोहन मालवीय, बाल गंगाधर तिलक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महापुरुषों ने भी युवाओं को आगे बढ़ने के लिए दृष्टि प्रदान कर योगदान दिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को शारदा विहार विद्यालय में आयोजित अखिल विश्व गायत्री परिवार के तीन दिवसीय प्रांतीय युवा चिंतन शिविर के शुभारंभ-सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राज्य सरकार ने भगवान राम और कृष्ण के जीवन प्रसंगों को पाठ्यक्रमों में किया शामिल मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बदलते दौर में भारतीय संस्कृति के सामने चुनौतियां हैं। परंतु भारत और विश्व में गायत्री परिवार की अखंड ज्योति भी प्रज्ज्वलित है। गायत्री परिवार, सर्वे भवंतु सुखिन: की सनातन भावना का पालन करते हुए मानवता की सेवा को ही अपना धर्म मानकर कार्य कर रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, नारी उत्थान, पर्यावरण, ग्राम विकास और नशा मुक्ति के क्षेत्र में गतिविधियों के माध्यम से धर्म सेवा और राष्ट्र निर्माण का कार्य निरंतर जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। इसमें सनातन को समृद्ध करने और अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने वाले अध्याय जोड़े गए हैं। राज्य सरकार ने भगवान कृष्ण और राम के जीवन के प्रेरक प्रसंगों को भी पाठ्यक्रमों में शामिल किया है। हर्ष का विषय है कि गायत्री परिवार ने भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और सामाजिक विषमता को दूर करने की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। गायत्री परिवार ने संस्कारों की पद्धति को सरल और ग्राह्य बनाया मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गायत्री परिवार ने विवाह सहित सभी संस्कारों की पद्धति को सरल और ग्राह्य भाषा में कराने की प्रक्रिया आरंभ की, जिससे जनसामान्य को संस्कारों का महत्व और उनमें निहित भावना समझने में मदद मिली। राज्य सरकार द्वारा वैदिक पद्धति से काल गणना के लिए वैदिक घड़ी तैयार की गई है। इसी क्रम में भारतीय ज्ञान परम्परा के अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी कार्य जारी है। हम बदलेंगे-युग बदलेंगे की भावना गायत्री परिवार का आधार गायत्री परिवार के डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि अखिल विश्व गायत्री परिवार कोई संस्था नहीं बल्कि एक जीवन दर्शन है। यह एक विचार धारा है। पंडित राम शर्मा आचार्य ने गायत्री मंत्र को केवल जप नहीं बल्कि जीवन की दिशा बनाया। उन्होंने सिखाया कि युग परिवर्तन का आरंभ व्यक्ति के भीतर से होता है। उन्होंने 'हम बदलेंगे युग बदलेगा' की सीख देते हुए बतायाकि जब मनुष्य स्वयं सुधरता है तो परिवार सुधरता है। परिवार सुधरता है तो समाज बदलता है और समाज बदलता है तो राष्ट्र बदलता है। यही गायत्री परिवार के विचार का आधार है। माताजी भगवती देवी शर्मा ने इस विचार को मातृत्व का स्वर दिया और सेवा को साधना बना दिया। डॉ. पंड्या ने बताया आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक मूल्यों पर आधारित विकसित भारत-2050 का खाका तैयार करना इस शिविर का उद्देश्य हैं। स्वस्थ युवा-सशक्त राष्ट्र, शालीन युवा-श्रेष्ठ राष्ट्र, स्वावलम्बी युवा-संपन्न राष्ट्र और सेवाभावी युवा-सुखी राष्ट्र इस आयोजन के लक्ष्य हैं। प्रांतीय चिंतन शिविर में केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमारिया सहित बड़ी संख्या में गायत्री परिवार के सदस्य और युवा उपस्थित थे।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव बोले: भगवान बिरसा मुंडा जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में भव्यता से मनाएँ

भगवान बिरसा मुंडा जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में भव्यता से मनाएँ : मुख्यमंत्री डॉ. यादव एक से 15 नवम्बर तक हों विभिन्न विकासात्मक गतिविधियाँ  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष के समापन कार्यक्रमों के संबंध में दिए निर्देश भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वें जयंती वर्ष के समापन अवसर पर आगामी 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस भव्यता से मनाया जाए। साथ ही एक नवम्बर से 15 नवम्बर तक ग्राम पंचायतों से राजधानी स्तर तक विभिन्न गतिविधियों का संचालन हो। स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में भगवान बिरसा मुंडा के योगदान पर शिक्षण संस्थाओं में गतिविधियां संचालित की जाएं। प्रदेश के विभिन्न अंचलों में सक्रिय रहे जनजातीय नायकों पर केन्द्रित प्रदर्शनियां लगाई जाएं। स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय समुदाय के योगदान पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबंध, भाषण, क्विज और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन हो। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जनजातीय गौरव दिवस के संबंध में मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में सोमवार को आयोजित बैठक में यह निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्व-सहायता समूहों के सम्मेलन, हस्तशिल्प की प्रदर्शनी और लोक कलाओं पर केन्द्रित गतिविधियों का भी आयोजन किया जाए। जनजाति बहुल क्षेत्रों में इस अवधि में लगने वाले मेलों में स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित विषय-वस्तु का प्रदर्शन किया जाए। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के समापन अवसर पर होने वाले कार्यक्रमों में शासकीय कल्याणकारी कार्यक्रमों और विकास गतिविधियों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के लिए भी गतिविधियां हों।     बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव श्री नीरज मंडलोई, श्री शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य श्री गुलशन बामरा सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।  

CM योगी का बड़ा फैसला: लखीमपुर के मुस्तफाबाद का नाम बदलेगा

मुस्तफाबाद  उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार जिले के मुस्तफाबाद गांव का नाम बदलकर 'कबीरधाम' करने का प्रस्ताव लाएगी. उन्होंने कहा कि इस बदलाव से संत कबीर से जुड़ी इलाके की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान फिर से बहाल होगी. मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि नाम बदलना उनकी सरकार के पिछले फैसलों के मुताबिक है, जिसमें पुराने शासकों द्वारा बदले गए जगहों के नाम "फिर से बहाल" किए गए थे.  "स्मृति महोत्सव मेला 2025" के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए, योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी सरकार अब "कब्रिस्तान की चारदीवारी बनाने" के बजाय धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाली जगहों को फिर से बनाने पर खर्च कर रही है.  मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि गांव का नाम मुस्तफाबाद रखा गया, जबकि वहां कोई मुस्लिम आबादी नहीं है. उन्होंने जनसभा में आए लोगों से कहा, "जब मैंने इस गांव के बारे में पूछा, तो मुझे बताया गया कि इसका नाम मुस्तफाबाद है. मैंने पूछा कि यहां कितने मुसलमान रहते हैं, और मुझे बताया गया कि कोई नहीं है. फिर मैंने कहा कि नाम बदल देना चाहिए. इसे कबीरधाम कहा जाना चाहिए." जल्द प्रपोजल लाए सरकार मुख्यमंत्री योगी ने आगे कहा कि उनकी सरकार नाम बदलने के लिए एक फॉर्मल प्रपोजल मांगेगी और ज़रूरी एडमिनिस्ट्रेटिव कदम उठाएगी. उन्होंने कहा, "हम प्रपोजल लाएंगे और इसे आगे बढ़ाएंगे. यह संत कबीर की विरासत से जुड़ी जगह का सम्मान वापस दिलाने के बारे में है." योगी आदित्यनाथ ने इसकी तुलना हाल के सालों में अपनी सरकार द्वारा किए गए नाम बदलने के कामों से की. उन्होंने कहा, "पहले राज करने वालों ने अयोध्या का नाम बदलकर फैजाबाद, प्रयागराज का नाम बदलकर इलाहाबाद और कबीरधाम का नाम बदलकर मुस्तफाबाद कर दिया था. हमारी सरकार इसे उलट रही है- अयोध्या को फिर से बसा रही है, प्रयागराज को फिर से बसा रही है, और अब कबीरधाम को उसके सही नाम पर फिर से बसा रही है." मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भारतीय जनता पार्टी की "डबल-इंजन सरकार" राज्य भर में सभी धार्मिक जगहों को डेवलप करने और सुंदर बनाने के लिए कमिटेड है.  सीएम बोले- हर तीर्थस्थल को सुंदर बनाया जाना चाहिए उन्होंने कहा, "हमने कहा है कि हर तीर्थस्थल को सुंदर बनाया जाना चाहिए. भक्तों के लिए रेस्ट हाउस और शेल्टर जैसी सुविधाएं बनाई जानी चाहिए, और टूरिज्म और कल्चर डिपार्टमेंट के ज़रिए, हम आस्था की हर बड़ी जगह को फिर से ज़िंदा कर रहे हैं. चाहे वह काशी हो, अयोध्या हो, कुशीनगर हो, नैमिषारण्य हो, मथुरा-वृंदावन हो, बरसाना हो, गोकुल हो या गोवर्धन हो." मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पहले के मुकाबले अब सरकारी पैसे कल्चरल और धार्मिक सुधार प्रोजेक्ट्स पर खर्च किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, "पहले, यह पैसा 'कब्रिस्तान' की चारदीवारी बनाने में जाता था. अब इसका इस्तेमाल हमारी आस्था और विरासत के सेंटर्स को डेवलप करने में किया जा रहा है." योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसी कोशिशें कल्चरल गर्व और निरंतरता की भावना दिखाती हैं.  उन्होंने आगे कहा, "यह अपनेपन की भावना है, हमारी सभ्यता की पहचान को फिर से ज़िंदा करना है. सरकार उन जगहों की शान को वापस लाने के लिए काम करती रहेगी जो भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जड़ों को दिखाती हैं."