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क्रिकेट में बड़ा बदलाव: मिथुन मन्हास ने BCCI अध्यक्ष बनने की ठानी, सौरव गांगुली की राह फिर से खुलेगी?

मुंबई
दिल्ली के पूर्व कप्तान मिथुन मन्हास ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष पद के लिए रविवार को बोर्ड मुख्यालय में अपना नामांकन दाखिल किया। मन्हास ने 1997-98 से 2016-17 तक के अपने लंबे घरेलू करियर में 157 प्रथम श्रेणी, 130 लिस्ट-ए और 91 टी20 मैच खेले। वह रोजर बिन्नी की जगह बीसीसीआई अध्यक्ष पद संभालने की दौड़ में सबसे आगे हैं। बिन्नी का कार्यकाल पिछले महीने समाप्त हो गया था। नई दिल्ली में हुई एक अनौपचारिक बैठक के बाद 45 वर्षीय मन्हास का नाम सामने आया। इस बैठक में बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। भारतीय क्रिकेट बोर्ड में कुछ अन्य प्रमुख पदों को अगले रविवार को बोर्ड की वार्षिक आम बैठक के दौरान भरा जाएगा।

नई कार्यकारिणी होगी गठित
बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने बताया कि अगले कार्यकाल के लिए एक नई कार्यकारिणी गठित की जा रही है। मिथुन मन्हास पूर्व खिलाड़ी हैं और उन्हें अध्यक्ष बनाने का फैसला किया गया है। अरुण धूमल आईपीएल संचालन परिषद के अध्यक्ष हैं और वह इस पद पर बने रहेंगे। नामांकन दाखिल करने वालों में बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया, आईपीएल संचालन परिषद के अध्यक्ष अरुण धूमल और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) के अध्यक्ष और पूर्व भारतीय क्रिकेटर रघुराम भट शामिल हैं। भट बोर्ड का कोषाध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं।

गांगुली की कैब अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध वापसी तय
पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली की सोमवार को होने वाली बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में निर्विरोध अध्यक्ष पद पर वापसी तय है, लेकिन उनका दूसरा कार्यकाल अधिक चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि हाल के महीनों में संघ वित्तीय अनियमितताओं और विश्वसनीयता संबंधी चिंताओं से जूझ रहा है। गांगुली के नेतृत्व वाले पूरे पैनल में बबलू कोलाय (सचिव), मदन मोहन घोष (संयुक्त सचिव), संजय दास (कोषाध्यक्ष) और अनु दत्ता (उपाध्यक्ष) का भी निर्विरोध चुना जाना तय है।

गांगुली अपने बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली का स्थान लेंगे, जिन्हें लोढ़ा समिति के निर्देशों के अनुसार कार्यकारी पदों पर छह साल की समय सीमा पूरी होने के बाद पद छोड़ना पड़ा था। हाल के दिनों में विवादों की एक सीरीज के कारण कैब की छवि को नुकसान पहुंचा है, जबकि रणजी ट्रॉफी टीम का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा है। वित्त समिति के सदस्य सुब्रत साहा पर हाल ही में दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया तथा हितों के टकराव का दोषी पाए जाने पर उन्हें उप-समिति की गतिविधियों से प्रतिबंधित कर दिया गया।

 

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