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APEC से पहले North Korea ने दागी बैलिस्टिक मिसाइलें, ट्रंप दौरे पर सस्पेंस बढ़ा

नॉर्थ कोरिया दक्षिण कोरिया में इस माह के अंत में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन आयोजित होने वाला है। इस सम्मेलन में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 21 प्रमुख देशों के नेता हिस्सा लेंगे। सम्मेलन से ठीक पहले उत्तर कोरिया ने बुधवार को कई शॉर्ट-रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। वहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि दक्षिण कोरिया द्वारा एपेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी की तैयारियों के दौरान ऐसे हमले और बढ़ सकते हैं। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, यह परीक्षण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अन्य वैश्विक नेताओं के ग्योंगजू में एपेक सम्मेलन के लिए इकट्ठा होने से महज एक सप्ताह पहले किया गया। दक्षिण कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी योनहाप के अनुसार, दक्षिण कोरियाई सेना ने पूर्वी सागर (जापान सागर के नाम से भी जाना जाता है) की ओर दागी गईं कई मिसाइलों का पता लगाया, जो शायद छोटी दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। बाद में सेना ने पुष्टि की कि ये मिसाइलें लगभग 350 किलोमीटर (217 मील) की दूरी तय कर अंतर्देशीय क्षेत्र में गिरीं, जिससे शुरुआती अनुमानों को खारिज कर दिया गया कि वे समुद्री इलाके में पड़ी होंगी। अल जजीरा के अनुसार, दक्षिण कोरिया के संयुक्त स्टाफ चीफ्स ने कहा कि हमारी सेना ने संभावित आगे के प्रक्षेपणों की आशंका को ध्यान में रखते हुए निगरानी बढ़ा दी है और अमेरिका तथा जापान के साथ खुफिया जानकारी साझा करते हुए पूरी सतर्कता बरत रही है। गौरतलब है कि उत्तर कोरिया ने मई माह में 8 और 22 तारीख को पूर्वी सागर की ओर लघु दूरी वाली बैलिस्टिक तथा क्रूज मिसाइलें दागी थीं। यह प्रक्षेपण दक्षिण कोरिया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ली जे म्युंग के कार्यकाल का पहले था, जिन्होंने जून में पद संभाला था। इस माह की शुरुआत में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने प्योंगयांग में एक भव्य सैन्य परेड के दौरान नई ह्वासोंग-20 लंबी दूरी वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का खुलासा किया, जिसे देश की 'सबसे शक्तिशाली' मिसाइल बताया गया। इस परेड में प्रमुख चीनी, रूसी और अन्य नेता भी मौजूद थे। यह परेड उत्तर कोरिया की सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी की स्थापना की 80वीं वर्षगांठ पर हुई थी। प्योंगयांग ने वैश्विक प्रतिबंधों को बार-बार चुनौती दी है और दावा किया है कि अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया के संभावित खतरों से रक्षा के लिए हथियार कार्यक्रम जरूरी है। वहीं ट्रंप ( अपने पिछले कार्यकाल में किम से मुलाकात की थी) ने हाल ही में इस वर्ष उत्तर कोरियाई नेता से दोबारा मिलने की उम्मीद जताई है। प्योंगयांग ने संकेत दिया है कि किम ट्रंप के साथ भावी वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन साथ ही जोर दिया है कि उत्तर कोरिया कभी भी अपने परमाणु हथियारों को छोड़ने पर राजी नहीं होगा।

ट्रंप ने 155% टैरिफ लगाया, चीन के साथ अच्छे रिश्तों की राह मुश्किल!

वॉशिंगटन  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वॉर के चलते दुनियाभर के देशों से अपने संबंध खराब कर लिए हैं। इस बीच, उन्होंने एक बार फिर से साफ किया है कि भले ही उनकी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात होने वाली हो, लेकिन अमेरिका चीन पर 155 फीसदी टैरिफ लगाना एक नवंबर से जारी रखेगा। न्यूज एजेंसी एएनआई के एक सवाल का जवाब देते हुए कि क्या चीन पर टैरिफ लगाने पर विचार किया जाएगा, क्योंकि वह अब भी रूस का सबसे बड़ा तेल इंपोर्टर है, अमेरिकी राष्ट्रपति प्रेसिडेंट ने कहा, "अभी, 1 नवंबर से, चीन पर लगभग 155 परसेंट टैरिफ लगाया जाएगा। मुझे नहीं लगता कि यह उनके लिए टिकाऊ है।" ट्रंप का कहना है कि वह व्यक्तिगत तौर पर चीन के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन सालों से एकतरफा इकोनॉमिक डील की वजह से अमेरिका के पास सख्त ऐक्शन लेने के अलावा कोई और विकल्प बचा नहीं था। ट्रंप ने आगे कहा, ''मैं चीन के साथ अच्छा बर्ताव करना चाहता हूं, लेकिन चीन पिछले कुछ सालों से हमारे साथ बहुत बुरा बर्ताव कर रहा है, क्योंकि हमारे प्रेसिडेंट बिजनेस के जरिए से स्मार्ट नहीं थे। उन्होंने चीन और हर दूसरे देश को हमारा फायदा उठाने दिया।'' अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा, “मैंने यूरोपियन यूनियन के साथ एक डील की। ​​मैंने जापान और साउथ कोरिया के साथ एक डील की। ​​इनमें से बहुत सी डील बहुत अच्छी हैं। यह नेशनल सिक्योरिटी के बारे में है। मैं टैरिफ की वजह से ऐसा कर पाया। हमें अमेरिका में सैकड़ों बिलियन, यहां तक कि ट्रिलियन डॉलर मिल रहे हैं, हम कर्ज चुकाना शुरू कर देंगे।” बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका तमाम देशों पर भारी भरकम अतिरिक्त टैरिफ लगा रहा है। भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लागू है, जबकि चीन रूस का सबसे बड़ा तेल इम्पोर्टर है। ऐसे में पिछले दिनों ट्रंप ने चीन पर 100 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इस तरह अमेरिका द्वारा चीन पर लगाया जाने वाला कुल टैरिफ 155 फीसदी हो जाएगा। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा था कि इस बात को देखते हुए कि चीन ने यह अनोखा कदम उठाया है, और मैं सिर्फ अमेरिका की तरफ से बोल रहा हूं, न कि उन दूसरे देशों की तरफ से जिन्हें इसी तरह का खतरा था, एक नवंबर, 2025 से अमेरिका चीन पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा, जो अभी चीन दे रहा है, उसके अलावा और भी टैरिफ होगा। साथ ही, एक नवंबर को, हम सभी जरूरी सॉफ्टवेयर पर एक्सपोर्ट कंट्रोल लगाएंगे।"

कर्नाटक की राजनीति में हलचल: सिद्धारमैया के आखिरी दौर में CM के बेटे का बड़ा खुलासा

बेंगलुरु कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद में बदलाव को लेकर लंबे समय से अटकलें चल रही हैं। इस बीच, बुधवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि वह (सिद्धारमैया) अपने पॉलिटिकल करियर के आखिरी फेज में हैं और उन्हें अपने कैबिनेट के साथी सतीश जारकीहोली का मार्गदर्शक बनना चाहिए। कई महीनों से ऐसी अटकलें चल रही हैं कि सिद्धारमैया को हटाकर डीके शिवकुमार को सीएम बनाया जा सकता है। हालांकि, लगभग हर बार इस बारे में मना किया जाता रहा है, लेकिन कभी विधायक तो कभी सियासी गलियारे में ऐसी अटकलें लगती रही हैं। पिछले महीने ही सिद्धारमैया ने ऐसी रिपोर्ट्स को खारिज किया था। उन्होंने कहा था कि मैं पूरे पांच साल के टर्म के लिए मुख्यमंत्री हूं। एनडीटीवी के अनुसार, कर्नाटक विधानसभा में एमएलसी और मुख्यमंत्री के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया ने कहा, ''मेरे पिता अपने पॉलिटिकल करियर के आखिरी दौर में हैं। इस स्टेज पर उन्हें एक मजबूत आइडियोलॉजी और प्रोग्रेसिव सोच वाले नेता की जरूरत है, जिसके वे मार्गदर्शक बन सकें। जारकीहोली ऐसे ही इंसान हैं, जो कांग्रेस पार्टी की आइडियोलॉजी को बनाए रख सकते हैं और पार्टी को लीड भी कर सकते हैं। मेरा मानना है कि ऐसे आइडियोलॉजी वाले लीडर का मिलना बहुत मुश्किल है और मैं चाहता हूं कि यह अपना अच्छा काम जारी रखें।'' जिस समय यतींद्र ने यह बयान दिया, उस समय जारकीहोली भी वहीं कार्यक्रम में थे। 'कैबिनेट में भी अभी नहीं होगा कोई बदलाव' इससे पहले, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न होने तक राज्य मंत्रिमंडल में कोई फेरबदल नहीं किया जाएगा। सिद्दारमैया ने संवाददाताओं से कहा, "सरकार तालुक पंचायत और जिला पंचायत सहित सभी स्थानीय निकायों के चुनाव कराने के लिए तैयार है। अदालत का आदेश मिलते ही हम चुनाव कराएंगे। सभी चुनाव चरणों में होंगे। चुनावों से लोकतंत्र मजबूत होता है… पहले चुनाव संपन्न हो जाएं, फिर हम मंत्रिमंडल फेरबदल के बारे में सोचेंगे।"  

पति-पत्नी के झगड़े की हद पार, महिला अधिकारी ने नदी में कूदकर की खुदकुशी

बड़वानी जिला मुख्यालय से सटे धार जिले को जोड़ने वाले नर्मदा पर बने बड़े पुल से बुधवार सुबह एक महिला स्वास्थ्य अधिकारी ने छलांग लगा दी। NDRF की टीम ने महिला को नर्मदा से बाहर निकाला। हालांकि इस दौरान उसकी मौत हो गई। महिला अंगूरबाला राजपुर के बोराली गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सीएचओ थीं। वहीं उनके पति डॉ. कृष्णा लोनखेड़े इंदौर में बच्चों के डॉक्टर हैं। दंपती दिवाली मनाने बड़वानी स्थित अपने गांव कल्याणपुरा आए हुए थे। आभूषण को लेकर हुआ विवाद जानकारी के अनुसार छोटी कसरावद स्थित नर्मदा पुल से सुबह 9.30 बजे कल्याणपुरा गांव निवासी सीएचओ अंगूरबाला लोनखेड़े और उसके पति डॉ. कृष्णा लोनखेड़े के बीच आभूषण को लेकर विवाद हुआ। इसके बाद वे स्कूटी से निकली और नर्मदा पुल पर पहुंचकर छलांग लगा दी। पुल से गुजर रहे लोगों ने उन्हें कूदते देखा और तुरंत नाविकों को सूचना दी। नर्मदा पुल पर तैनात एसडीआरएफ की टीम ने नाव से सीएचओ का रेस्क्यू किया और उन्हें पानी से बाहर निकाला। अस्पताल में चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉ. लोनखेड़े ने बताया कि बुधवार सुबह घर में पत्नी से मंगलसूत्र को लेकर विवाद हुआ था। वह मंगलसूत्र न लाने से नाराज होकर स्कूटी लेकर घर से निकली। उन्हें डर था कि पत्नी गुस्से में कोई गलत कदम उठा सकती है, इसलिए उन्होंने तुरंत डायल 100 और पुलिस को सूचना दी और खुद भी गाड़ी से उनके पीछे गए। हालांकि वह उन्हें बचा नहीं पाए। दंपती के दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी। मामला दर्ज कर जांच कर रही पुलिस शहर कोतवाली टीआई दिनेश सिंह कुशवाह ने बताया कि डायल 100 से सूचना मिली थी कि एक महिला कसरावद पुल से सुसाइड करने वाली है। इसकी सूचना पर स्टाफ वहां पहुंचा और एसडीआरएफ टीम को सूचित किया। महिला को तत्काल नदी से बाहर निकाल जिला अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया। जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामला जांच में लिया है।

25 लाख भारतीयों के लिए खुशखबरी: सऊदी अरब ने खत्म किया विवादित ‘कफाला सिस्टम’

नई दिल्ली सऊदी अरब ने इस महीने आधिकारिक तौर पर 50 साल पुरानी कफाला (स्पॉन्सरशिप) सिस्टम को खत्म कर दिया है, जिसे आधुनिक दौर की गुलामी कहा जाता था। इस व्यवस्था के तहत विदेशी कर्मचारियों के जीवन पर उनके नियोक्ता पर पूरा नियंत्रण होता था, वह उसका पासपोर्ट तक रख सकता था और यह तय करता था कि वे कब नौकरी बदल सकते हैं या देश छोड़ सकते हैं। इस निर्णय से करीब 1.3 करोड़ विदेशी मजदूरों को राहत मिलेगी, जिनमें लगभग 25 लाख भारतीय शामिल हैं। यह फैसला क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की 'विजन 2030' सुधार योजना का हिस्सा है, जिसका मकसद सऊदी अरब की वैश्विक छवि को सुधारना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।   क्या था कफाला सिस्टम? 1950 के दशक में शुरू हुई यह व्यवस्था मूल रूप से विदेश मजदूरों की निगरानी के लिए बनाई गई थी। हर विदेशी श्रमिक को एक कफील से जोड़ा जाता था, जो उसकी नौकरी, वेतन और यहां तक कि रहने की जगह पर भी नियंत्रण रखता था। सबसे चिंताजनक बात यह थी कि मजदूर अपने ही उत्पीड़क के खिलाफ शिकायत तक नहीं कर सकते थे, जब तक कि वही कफील अनुमति न दे। इस सिस्टम में महिलाओं की स्थिति सबसे खराब रही। कई भारतीय महिलाओं ने शारीरिक और यौन शोषण की शिकायत की। 2017 में गुजरात और कर्नाटक की महिलाओं के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के मामले भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद ही सुलझ पाए। एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं ने इसे मानव तस्करी का रूप बताया। क्यों खत्म किया गया कफाला सिस्टम? अंतरराष्ट्रीय दबाव, मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट और विदेशी नागरिकों की नाराजगी इस फैसले के पीछे की बड़ी वजह रही। आखिरकार क्राउन प्रिंस ने देश की वैश्विक साख और निवेश माहौल सुधारने के लिए कफाला सिस्टम को खत्म करने का फैसला लिया। हालांकि, यह व्यवस्था अब भी कुवैत, ओमान, लेबनान और कतर जैसे देशों में जारी है।  

मानवता को शर्मसार करने वाले सैन्य अधिकारी बांग्लादेश में अब जेल में

ढाका   बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने बुधवार को 15 सेवारत सैन्य अधिकारियों को सैन्य हिरासत से अदालत में पेश होने के बाद जेल भेज दिया। इन सैन्य अधिकारियों पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के दौरान लोगों को गायब करने, हत्या करने और हिरासत में यातना देने का आरोप है। विशेष न्यायाधिकरण द्वारा 11 अक्टूबर को मानवता के विरुद्ध कथित अपराधों के मुकदमे के लिए इन 15 अधिकारियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था, जिसके बाद बांग्लादेश सेना ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने कार्यवाही के बाद संवाददाताओं को बताया, “न्यायाधिकरण ने लोगों को गायब करने, हत्या और हिरासत में यातना दिये जाने के संबंध में आज (बुधवार को) पेश किए गए 15 सैन्य अधिकारियों को जेल भेजने का आदेश दिया है।” उन्होंने बताया कि न्यायाधिकरण ने किसी की भी जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं की। इस्लाम ने कहा कि जमानत याचिकाओं के लिए एक औपचारिक प्रक्रिया है और अधिकारी पांच नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले औपचारिक अर्जी दायर कर सकते हैं।   न्यायमूर्ति एम. गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने ‘फरार' पूर्व प्रधानमंत्री हसीना और अन्य फरार आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें अदालत में पेश करने का भी आदेश दिया। इससे पहले, 15 अधिकारियों को कड़ी सुरक्षा के बीच एक हरे रंग की बस में ढाका छावनी से लाया गया, जहां उन्हें आठ अक्टूबर को गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद से सैन्य हिरासत में रखा गया था। जेल भेजे गये सैन्य अधिकारियों में एक मेजर जनरल, छह ब्रिगेडियर जनरल, कई कर्नल, लेफ्टिनेंट कर्नल और एक मेजर शामिल हैं।    

ट्रंप का जेलेंस्की को संदेश: रूस की शर्तें मानो या परिणाम भुगतों

यूक्रेन  यूक्रेन शांति वार्ताओं में कोई एकमत नहीं बन पाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कथित तौर पर यूक्रेन के अग्रिम मानचित्र देखकर थक गए हैं। 17 अक्टूबर 2025 को व्हाइट हाउस में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के प्रतिनिधिमंडल द्वारा लाए गए नक्शे को ट्रंप ने फेंक दिया। ट्रंप का जोर इस पर था कि यूक्रेन रूस की शर्तें स्वीकार करे और पूर्वी हिस्से डोनबास को रूस को सौंप दे। नक्शों की भूमिका  राजनीतिक भूगोलवेत्ताओं के अनुसार नक्शे शांति वार्ता और क्षेत्रीय संघर्ष में महत्वपूर्ण रणनीतिक उपकरण हैं। बोस्निया, काकेशस और यूक्रेन में यह देखा गया कि नक्शों पर रेखाएं खींचने से ही युद्धविराम या विभाजन की दिशा तय होती है।   भावनात्मक दृष्टिकोण बनाम व्यावसायिक दृष्टिकोण  जेलेंस्की और यूक्रेनी जनता भूमि की अखंडता और भावनात्मक पहचान के पक्षधर हैं, जबकि ट्रंप इसे व्यावसायिक सौदे की तरह देखते हैं। सैनिकों की कुर्बानी और भूमि का प्रतीकात्मक महत्व ट्रंप की नजर में नहीं आता। गलतफहमी और कूटनीतिक बाधाएं  अगस्त 2025 में ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने रूसी प्रस्ताव की व्याख्या गलत की, जिससे अमेरिका ने नए प्रतिबंध टाल दिए। अलास्का शिखर सम्मेलन में पुतिन ने भी युद्धविराम की शर्तें ठुकराईं, लेकिन प्रस्ताव दिया कि रूस डोनबास पर कब्जा करे और जापोरिज्जिया-खेरसॉन से पीछे हटे। व्हाइट हाउस बैठक और नक्शा फेंकने की घटना  18 अगस्त 2025 को सात यूरोपीय नेताओं और जेलेंस्की के साथ हुई बैठक में, ट्रंप ने यूक्रेन का मानचित्र फेंक दिया। नक्शे में रूस के कब्जे वाले क्षेत्र नारंगी में दर्शाए गए थे। ट्रंप ने बाद में कहा कि “यूक्रेन का बड़ा हिस्सा पहले ही चला गया है,” जबकि जेलेंस्की इसे राष्ट्रीय अखंडता का मामला मानते हैं। युद्धक्षेत्र को संपत्ति के रूप में देखना  ट्रंप युद्ध को रियल एस्टेट सौदे की तरह देखते हैं। उनका मानना है कि डोनबास को मौजूदा युद्ध रेखाओं के आधार पर बांट देना चाहिए। जेलेंस्की इसे राष्ट्रीय और भावनात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं। इस तरह, मानचित्र और दृष्टिकोण के अंतर ने शांति वार्ता को जटिल बना दिया है, और यूक्रेन के भविष्य को लेकर असमंजस बना हुआ है।  

युद्धविराम में शामिल शर्तों की याद दिलाई अफगानिस्तान ने, पाकिस्तान के लिए बढ़ा दबाव

काबुल अफगानिस्तान के तालिबान शासन ने पाकिस्तान को उन शर्तों की याद दिलाई है जो दोनों के बीच हुए समझौते में निहित हैं। एक बयान जारी कर बताया गया कि समझौते में युद्धविराम, आपसी सम्मान और एक-दूसरे के सुरक्षा बलों, नागरिकों और सुविधाओं पर हमलों से बचने पर जोर दिया गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ये बयान पोस्ट किया गया। अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने इसमें कहा, "इस्लामिक अमीरात के रक्षा मंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के साथ हुए समझौते के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। इसके अलावा और कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह समझौता युद्धविराम, आपसी सम्मान, एक-दूसरे के सुरक्षा बलों, नागरिकों और सुविधाओं पर हमलों से बचने, बातचीत के जरिए सभी मामलों का समाधान करने और एक-दूसरे पर हमले न करने पर पूरी तरह जोर देता है। इन शर्तों से परे कोई भी बयान अमान्य है।" यह बयान अफगान क्षेत्र पर हवाई हमले और अफगान शरणार्थियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन के बाद दोनों पड़ोसी देशों में बढ़ते तनाव के बीच आया है। इससे पहले 18 अक्टूबर को, कतर के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की थी कि एक सप्ताह से भी ज्यादा समय तक चली भीषण लड़ाई के बाद, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए, अफगानिस्तान और पाकिस्तान तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। कतर के बयान के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान स्थायी शांति और स्थिरता को मजबूत करने के उद्देश्य से तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए हैं, और युद्धविराम की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए फॉलो-अप वार्ताएं निर्धारित हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों के प्रतिनिधिमंडल कतर और तुर्की की मध्यस्थता में वार्ता के लिए दोहा में थे। वार्ता का नेतृत्व दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने किया, और पाकिस्तान ने कहा कि ध्यान "अफगानिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने और सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करने के तत्काल उपायों" पर केंद्रित होगा। यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान ने काबुल पर हवाई हमले किए। इस्लामाबाद और काबुल दोनों ने हाल के दिनों में एक-दूसरे पर आक्रमण का आरोप लगाया है। पाकिस्तान ने बार-बार दावा किया है कि आतंकवादी समूह अफगान क्षेत्र से हमले कर रहे हैं, जबकि अफगानिस्तान ने सीमा पार हिंसा के लिए जिम्मेदार ऐसे किसी भी तत्व को पनाह देने से दृढ़ता से इनकार किया है। 18 अक्टूबर को अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में पाकिस्तानी हवाई हमले में तीन अफगान क्रिकेटर मारे गए थे। ये खिलाड़ी एक दोस्ताना क्रिकेट मैच में हिस्सा लेने के लिए उर्गुन से पाकिस्तान सीमा के पास शाराना गए थे। मृतकों की पहचान कबीर, सिबगतुल्लाह और हारून के रूप में हुई थी। इस हमले में पांच अन्य नागरिकों की भी मौत हो गई थी।

अब क्या बचा? इजरायल का गाजा पर भारी हमला — 153 टन बम, ट्रंप की सख्त चेतावनी

इजरायल इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संसद में बताया कि गाजा पट्टी पर 153 टन बम गिराए गए, जो हमास के कथित युद्धविराम उल्लंघन का जवाब था। इस कार्रवाई में दो इजरायली सैनिकों की मौत हुई। नेतन्याहू ने कहा कि अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है और हमास की सैन्य व शासन क्षमताओं को पूरी तरह नष्ट करने तक यह जारी रहेगा।नेतन्याहू ने कहा-“हमारे एक हाथ में हथियार है और दूसरा शांति के लिए फैला है। लेकिन शांति के लिए ताकत जरूरी है, और आज इजरायल पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है।”उन्होंने युद्धविराम पर भी सवाल उठाते हुए संकेत दिया कि गाजा में अभियान जल्द समाप्त नहीं होगा।   इस बीच,  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यदि हमास ने युद्धविराम या किसी समझौते का उल्लंघन किया, तो उसे तेज, जबरदस्त और निर्दयी परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने बताया कि कई मध्य पूर्वी देश गाजा में हमास के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ट्रंप ने फिलहाल इंतजार करने का निर्णय लिया है।ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि कई मध्य-पूर्वी सहयोगी गाजा में हमास के खिलाफ भारी फोर्स लगाने को तैयार हैं, पर उन्होंने अभी रोक लगाई है और कहा कि उम्मीद है हमास सही कदम उठाएगा। ट्रंप ने समझौते के उल्लंघन पर कड़े परिणामों की चेतावनी भी दी।ट्रंप ने हमास से सही और जिम्मेदार कदम उठाने की उम्मीद जताई है, ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे।   रफा क्षेत्र में युद्धविराम के बावजूद इजरायली रक्षा बलों (IDF) पर हमला हुआ था, जिसमें दो सैनिक मारे गए। इजरायल ने इसके लिए हमास को जिम्मेदार ठहराया और दर्जनों ठिकानों पर हवाई हमले किए। हालांकि हमास ने इसमें किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया।अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस मंगलवार को इजरायल पहुंचे हैं ताकि युद्धविराम और दीर्घकालिक शांति योजना पर चर्चा कर सकें। यह यात्रा उस समय हुई है जब युद्धविराम को लेकर दोनों पक्षों में तनाव और अविश्वास बना हुआ है।वहीं, हमास के वरिष्ठ नेता खलील अल-हय्या ने मिस्र के काहिरा में कहा कि“हम शर्म अल-शेख समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अंत तक युद्धविराम का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”“हम शर्म अल-शेख समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अंत तक युद्धविराम का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”  

मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई इलाकों में बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

मुंबई  मुंबई शहर और महानगरीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों में तेज हवाओं के साथ बेमौसम बारिश हुई. लक्ष्मी पूजन के दौरान अचानक हुई बारिश से खरीदारी करने आए लोगों और सड़क पर सामान बेचने वालों को असुविधा हुई. मुंबई और आसपास के इलाकों में सुबह से ही उमस थी. अचानक हुई बारिश से थोड़ी राहत तो मिली, लेकिन दिवाली की खरीदारी करने वालों और दुकानदारों को असुविधा भी हुई. दरअसल दादर, बांद्रा, लालबाग, पवई, बायकुला, कुर्ला और कई अन्य क्षेत्रों में तेज हवाओं के साथ मध्यम से भारी बारिश हुई. नगर निकाय के अधिकारियों ने बताया कि नवी मुंबई के कई इलाकों में भारी बारिश के साथ बिजली चमकने और तेज हवाएं चलने की भी खबर है. इस बीच, मौसम विभाग ने अगले दो-तीन दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है. मुंबई समेत राज्य के कई हिस्सों में बारिश नेरुल, बेलापुर, वाशी, सीवुड्स, सानपाड़ा और घनसोली सहित कई क्षेत्रों में भारी बारिश हुई. इससे कई सड़कें आंशिक रूप से जलमग्न हो गईं और व्यस्ततम आवागमन समय के दौरान यातायात धीमा हो गया. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने आने वाले कुछ घंटों में नवी मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है. लोगों को हुई भारी परेशानी राज्य में एक बार फिर बारिश शुरू हो गई है, मुंबई सहित राज्य के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो रही है. दिवाली से ठीक पहले अचानक हुई बारिश के कारण लोगों को खरीदारी के लिए निकलने में दिक्कतें हुईं. मुंबई, कल्याण, ठाणे, पटाखा व्यापारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बलदापुर और नासिक जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हुई है. मुंबई के दादर इलाके में मध्यम बारिश मुंबई में मंगलवार शाम के आसपास बारिश ने दस्तक दे दी. मुंबई के दादर इलाके में हल्की से मध्यम बारिश हुई. बारिश अचानक तब शुरू हुई जब दिवाली के मौके पर खरीदारी के लिए दादर के बाज़ार में भारी भीड़ थी.उधर, ठाणे में भी भारी बारिश हुई है. इस बारिश से खरीदारी के लिए घरों से बाहर निकले नागरिकों को काफी परेशानी हुई. कल्याण में मौसम में अचानक बदलाव आया और उसके कुछ ही देर बाद शहर और आसपास के इलाकों में गरज और तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होने लगी. तेज हवाओं के कारण वाहन चलाते समय चालकों को काफी तनाव में रहना पड़ रहा है. निचले इलाकों में जलभराव की आशंका कुछ क्षेत्रों में बारिश शुरू होते ही बिजली आपूर्ति बाधित हो गई, जिससे नागरिकों को दिवाली के दौरान अंधेरे में रहना पड़ा. अचानक हुई मूसलाधार बारिश से लोग भी इधर-उधर भागने को मजबूर हो गए. वहीं, अगर बारिश जारी रही तो निचले इलाकों में जलभराव की आशंका है.उधर, बदलापुर में भी बारिश ने दस्तक दे दी है. शहर में हल्की से मध्यम बारिश हुई. इस बारिश से हवा में ठंडक होने के साथ ही नागरिकों को गर्मी से राहत मिली है. नासिक जिले में बारिश दूसरी ओर, मुंबई के अलावा, नासिक जिले के कुछ हिस्सों में भी बारिश हुई है. नासिक के निफाड़ में पिछले कुछ समय से अच्छी बारिश हो रही है और इस बारिश से खेती पर असर पड़ने की संभावना है.