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पूजा में सफलता के लिए वास्तु के सही तरीके से जलाएं दीपक

पूजा-पाठ के दौरान दीपक जलाना काफी शुभ होता है, जिसके बिना पूजा अधूरी होती है। प्रत्येक देवी-देवता की पूजा में अलग-अलग तरह के दीपक जलाएं जाते हैं, जिससे साधक पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पूजा के दौरान दीपक जलाते समय आपको किन वास्तु नियमों का ध्यान रखना चाहिए। इस तरह जलाये दीपक वास्तु शास्त्र में माना गया है कि देवी-देवताओं के ठीक सामने दीपक नहीं जलाना चाहिए। आप इसे मूर्ति या चित्र के थोड़ा बाईं ओर करेक जला सकते हैं। इसके साथ ही देवी-देवताओं के बिल्कुल पास भी दीपक को नहीं रखना चाहिए, इसे थोड़ा-सा दूरी पर रखें। वास्तु शास्त्र में दीपक जलाने के लिए ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे उत्तम माना गया है, क्योंकि इस दिशा में देवी-देवताओं का वास होता है। इसके साथ ही दीपक को भी दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर नहीं रखना चाहिए। पूजा के दौरान दीपक जलाते समय इस बात का भी जरूर ध्यान रखना चाहिए कि आपकी दीपक एकदम साफ हो। इसके साथ ही पूजा के दीपक को सीधा नीचे न रखें, इसके लिए पूजा थाली का इस्तेमाल करें। दीपक कहीं से भी खंडित नहीं होना चाहिए। इन सभी बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए, अन्यथा इससे आपको पूजा के अच्छे परिणाम नहीं मिलते। कर सकते हैं ये काम वास्तु शास्त्र में माना गया है कि आप मंदिर के साथ-साथ घर के कुछ खास स्थानों पर रोजाना दीपक जला सकते हैं। इससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और अच्छे परिणाम मिलते हैं। इसके लिए रोजाना शाम के समय घर के मुख्य द्वार और तुलसी के पास भी दीपक जरूर जलाना चािहए। इस बात का ध्यान रखें कि घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाते समय उसकी लौ उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए।  

छठे दिन की पूजा: मां कात्यायनी को अर्पित करें प्रिय भोग व पुष्प, जानें संपूर्ण विधि

शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व इस बार 9 नहीं बल्कि 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाएगा। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। मान्यता है कि नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मनवांछित फल मिलता है। मां भगवती के इस स्वरूप को सफलता व यश का प्रतीक माना जाता है। जानें मां कात्यायनी का स्वरूप, प्रिय भोग, पुष्प, शुभ रंग, मंत्र, आरती व पूजा विधि। मां कात्यायनी का स्वरूप: मां कात्यायनी सिंह पर सवार हैं। मां की चार भुजाएं हैं। दो भुजाओं में मां भगवती कमल और तलवार धारण करती हैं। एक भुजा वर मुद्रा और दूसरा भुजा अभय मुद्रा में हैं। मां कात्यायनी पूजा विधि: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें। अब मां दुर्गा की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। मां भगवती को रोली, चंदन, कुमकुम, इलायची, श्रृंगार का सामान, फल व मिठाई अर्पित करें। मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं। इसके बाद मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती उतारें। मां कात्यायनी का प्रिय पुष्प: मान्यता है कि मां कात्यायनी को लाल रंग के पुष्प अतिप्रिय हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा को लाल गुलाब या लाल गुड़हल को अर्पित करने से साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां कात्यायनी का भोग: मां कात्यायनी को शहद का भोग अतिप्रिय है। मान्यता है कि नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा को शहद का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा मां को मिठाई, हलवा, गुड़ या मीठे पान का भोग भी लगाया जा सकता है। नवरात्रि के छठे दिन का शुभ रंग: मां कात्यायनी को पीला रंग अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां कात्यायनी की पूजा करते समय पीले रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ होता है। मां कात्यायनी मंत्र: मां कात्यायनी के मंत्र इस प्रकार हैं: मुख्य मंत्र: कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।। स्तुति के लिए मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। मां कात्यायनी जी की आरती- जय जय अंबे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥ बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥ कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥ हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥ हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भगत है कहते॥ कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥ झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥ बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥ हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥ जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥  

दिवाली की असली तारीख पता करें: 20 अक्टूबर या 21 अक्टूबर?

भारत में हर साल धूमधाम से मनाया जाने वाला दिवाली पर्व बस आने ही वाला है. इस खास दिन माता लक्ष्मी और गणपति जी की पूजा और परिवार में खुशहाली व समृद्धि की कामना की जाती है. लेकिन हर साल लोग दिवाली की तिथि को लेकर कंफ्यूज रहते हैं, क्योंकि कार्तिक अमावस्या की शुरुआत और समापन दोनों ही दिन अलग-अलग होते हैं. आइए, आपके इस कंफ्यूजन को दूर करते हैं और जानते हैं दिवाली 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और कुछ खास उपायों के बारे में. दिवाली 2025 की तिथि और समय द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की शुरुआत 20 अक्टूबर 2025 को सुबह 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और इसका समापन 21 अक्टूबर 2025 को सुबह 5 बजकर 54 मिनट पर होगा. इसलिए, दिवाली 2025 का मुख्य पर्व 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा. दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा की सही विधि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से पहले पूरे घर की सफाई करें और प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाएं. मुख्य द्वार के दोनों ओर दीपक जलाएं. पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर जी की प्रतिमाएं स्थापित करें. आचमन करके हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें. फिर सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें. उन्हें स्नान कराकर वस्त्र, चंदन, फूल और दूर्वा अर्पित करें. इसके बाद मां लक्ष्मी का पूजन करें. उन्हें कमल का फूल, सिंदूर, अक्षत (चावल), रोली, इत्र, मिठाई और फल अर्पित करें. इस दिन नए बही-खातों, तिजोरी और धन-संपत्ति की भी पूजा की जाती है. पूजा के दौरान 11, 21 या 51 दीपक जलाएं. सबसे आखिर में पूरे परिवार के साथ लक्ष्मी-गणेश की आरती गाएं और सभी में प्रसाद वितरित करें. दिवाली पर किए जाने वाले उपाय!     दिवाली की शाम को तुलसी के पौधे के पास नौ घी के दीपक जलाएं. मान्यता है कि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.     दिवाली की रात एक पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं और पीछे मुड़कर देखे बिना घर वापस आ जाएं. ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है.     दिवाली की पूजा के दौरान सफेद या पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है.     अगर घर में किसी प्रकार का कर्ज है, तो दिवाली पर नया आर्थिक योजना बनाना शुभ होता है. दिवाली का महत्व दिवाली, अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इसे धन की देवी माता लक्ष्मी और बुद्धि के देवता भगवान गणेश की पूजा के लिए मनाया जाता है. इस दिन का महत्व इस बात में है कि घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे. इस दिन माता लक्ष्मी का स्वागत कर परिवार में सुख-समृद्धि आती है. दीप जलाकर अंधकार और नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जाता है. दिवाली का त्योहार रिश्तों को मजबूत करने का अवसर भी है.

मंगल दोष की चिंता छोड़ें! स्कंद षष्ठी पर अपनाएं ये असरदार उपाय

हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को समर्पित है. हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह विशेष तिथि मनाई जाती है. यह दिन न केवल भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पूजा के लिए खास है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है जो अपनी कुंडली में मंगल दोष से पीड़ित हैं. मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों और उससे होने वाले कष्टों को दूर करने के लिए स्कंद षष्ठी का दिन किसी वरदान से कम नहीं है. स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 27 सितंबर 2025, शनिवार को दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से होगा. उदया तिथि के चलते, स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजन 27 सितंबर 2025, शनिवार को ही किया जाएगा. इस शुभ तिथि पर किए गए उपाय शीघ्र फलदायी होते हैं. क्यों खास है स्कंद षष्ठी और मंगल दोष का संबंध? पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति कहा जाता है और इन्हें मंगल ग्रह का कारक देव माना जाता है. यानी मंगल ग्रह का सीधा संबंध भगवान स्कंद से है.जिन जातकों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उनके विवाह में बाधाएं आती हैं, वैवाहिक जीवन में कलह, कर्ज और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं. ऐसे में, भगवान कार्तिकेय की विधि-विधान से पूजा और उनसे संबंधित उपाय करने से मंगल के दोष शांत होते हैं और जीवन से कष्ट दूर होते हैं. भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा     विधि: स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें, विशेषकर गुलाब का फूल.     अर्घ्य: पूजा में उन्हें कपूर, सिंदूर, और रोली चढ़ाएं.     भोग: भोग में खीर या मिष्ठान्न का भोग लगाएं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में वितरित करें. ‘स्कंद षष्ठी स्तोत्र’ का पाठ     महत्व: मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन ‘स्कंद षष्ठी स्तोत्र’ का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है. पूरे भक्तिभाव से इस स्तोत्र का पाठ करने से मंगल जनित सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं.     मंत्र जाप: इसके अलावा, भगवान कार्तिकेय के ‘ओम तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नो स्कन्दः प्रचोदयात्’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. लाल वस्तुओं का दान दान: मंगल ग्रह का रंग लाल है. इसलिए, इस दिन लाल मसूर की दाल, गुड़, तांबा, और लाल वस्त्र का दान किसी गरीब या जरूरतमंद को करें. इससे मंगल शांत होता है और दोष का प्रभाव कम होता है. जल में गुड़ मिलाकर करें अभिषेक अभिषेक: यदि संभव हो तो, भगवान कार्तिकेय का जल में गुड़ मिलाकर अभिषेक करें. यह उपाय जमीन-जायदाद संबंधी विवादों और कर्ज की समस्या को दूर करने में भी सहायक माना जाता है, जो कि मंगल दोष के कारण उत्पन्न हो सकते हैं. मान्यता है कि स्कंद षष्ठी के दिन किए गए ये सभी उपाय मंगल दोष के कारण उत्पन्न होने वाली सभी बाधाओं, खासकर विवाह और वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं.

तुलसी-शमी का पौधा लगाने के वास्तु नियम: दूर होंगी जीवन की हर बाधा

भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपरा में पेड़-पौधों को एक विशेष स्थान दिया गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ पौधों को घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-समृद्धि आती है। इन्हीं में से दो प्रमुख पौधे हैं तुलसी और शमी। दोनों का ही धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत गहरा है। माना जाता है कि इन्हें सही दिशा में और सही तरीके से लगाने से जीवन की कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। आइए जानते हैं तुलसी और शमी के पौधे से जुड़े वास्तु टिप्स और उनके फायदों के बारे में। तुलसी का पौधा तुलसी को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इसे मां लक्ष्मी का रूप माना गया है और लगभग हर भारतीय घर में इसे देखा जा सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, तुलसी का पौधा घर के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है। तुलसी लगाने की सही दिशा वास्तु के अनुसार, तुलसी का पौधा हमेशा घर के ईशान कोण या उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। यह दिशा देवताओं की मानी जाती है, जिससे शुभ फल मिलते हैं। यदि संभव न हो तो इसे पूर्व दिशा में भी लगाया जा सकता है। शमी का पौधा शमी का पौधा भी भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। इसे शनि देव से जोड़ा जाता है और माना जाता है कि इसे घर में लगाने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। शमी को विजयदशमी के दिन पूजने की भी परंपरा है क्योंकि इसे शुभता और विजय का प्रतीक माना गया है। शमी लगाने की सही दिशा वास्तु शास्त्र के अनुसार, शमी का पौधा घर के बाहर मुख्य द्वार के पास लगाना चाहिए। इसे लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि जब आप घर से बाहर निकलें तो यह पौधा आपके बाईं ओर पड़े। अगर घर के बाहर जगह नहीं है, तो इसे छत पर दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) या पश्चिम दिशा में भी लगा सकते हैं। इसे घर के अंदर लगाने से बचें। तुलसी और शमी को एक साथ लगाने के नियम तुलसी और शमी के पौधों को कभी भी एक ही गमले में नहीं लगाना चाहिए। दोनों को अलग-अलग गमलों में रखें। दोनों पौधों को पास-पास लगाया जा सकता है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि ये एक-दूसरे से सटे हुए न हों।  तुलसी को प्रतिदिन जल अर्पित करें और संध्या काल में उसके पास दीपक जलाएं। शमी के पौधे के नीचे शनिवार के दिन सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

आचार्य चाणक्य बताते हैं: सफलता पाने से पहले खुद से पूछें ये सवाल

जीवन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ आत्म मंथन की भी जरूरत होती है। जब तक इंसान को अपनी काबिलियत, हैसियत, और खुद की अहमियत का अंदाजा नहीं होगा, वो सही दिशा में कदम नहीं बढ़ा पाएगा। और बिना सही दिशा जानें तो सफलता की ओर एक पग बढ़ाना भी मुश्किल है। इसलिए अगर जीवन में सफल होना है, तो खुद के बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है और ये आपसे बेहतर भला कौन जानता है। इसलिए आगे बढ़ना है तो थोड़ा सा ठहरना भी जरूरी है। शांत मन से खुद को टटोलना भी जरूरी है और कुछ सवालों के जवाब ढूंढना भी जरूरी है। आचार्य चाणक्य भारत के इतिहास में हुए उन विद्वानों में से एक हैं, जिनकी बातें आज भी लोगों का मार्गदर्शन करने का काम कर रही हैं। उन्होंने जीवन के लगभग हर एक पहलू पर अपने स्पष्ट विचार रखे। जीवन में कोई भी व्यक्ति कैसे सफलता पा सकता है, इसपर तो आचार्य ने खूब लिखा। उन्होंने भी इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति को समय-समय पर खुद से कुछ जरूरी सवाल कर लेने चाहिए ताकि उसके सामने चीजें स्पष्ट हो सकें और वो अपने जीवन की सही राह चुन पाए। आइए जानते हैं आचार्य ने खुद से किन सवालों के जवाब तलाशने की बात कही है। कैसा चल रहा है समय हर इंसान के जीवन में उतार-चढ़ाव तो लगे ही रहते हैं। कभी सुख तो कभी दुख, जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। आपका समय कैसा चल रहा है, इसके बारे में समय-समय पर खुद से सवाल जरूर करते रहें। जीवन के उतार-चढ़ाव से घबराने के बजाय, इस पर आत्ममंथन करें। अगर जीवन में दुख है तो किन कारणों से है, उससे बाहर निकलने का समाधान क्या है; ये आपको तभी पता चलेगा जब आप शांत मन से इस पर विचार करेंगे। कौन है आपका सच्चा मित्र आपका सच्चा मित्र कौन है, इसके बारे में भी इंसान को जानकारी होना बहुत जरूरी है। हर इंसान के जीवन में कई तरह के लोग होते हैं लेकिन सब पर आंख मूंद कर भरोसा कर लेना समझदारी नहीं। अगर आपको जीवन में तरक्की पानी है, तो इंसान की परख होना जरूरी है। कौन सा इंसान आपका सच्चा साथी है और कौन सिर्फ दिखावे के लिए आपके साथ है, इस बात को भी आप तभी समझ पाएंगे जब खुद से एकांत में इसे लेकर सवाल करेंगे। कैसी जगह पर है आपका निवास स्थान इंसान जिस जगह पर रहता है, उस माहौल का उसके जीवन पर गहरा असर पड़ता है। इसलिए अपने माहौल को अच्छा रखना जरूरी है। हर इंसान को खुद से ये सवाल करना चाहिए कि वह जिन लोगों के साथ उठ- बैठ रहा है, क्या वो उसके लिए सही हैं। आपके आसपास के माहौल का आपके जीवन पर पॉजिटिव असर पड़ रहा है या नेगेटिव, इसके बारे में विचार करना जरूरी है। अगर आपके माहौल का आपके जीवन पर नेगेटिव असर पड़ रहा है तो उसे बदलने का प्रयास करें। कितनी है कमाई और कितना है खर्च इंसान अपने जीवन में तरक्की तभी हासिल करता है, जब उसे अपनी कमाई और खर्च के बीच बैलेंस बनाना आता है। वो कहावत तो आप सब ने सुनी होगी 'उतने पैर पसारिए जितनी लंबी सौर', इस कहावत का अर्थ है कि आदमी को अपनी आमदनी को ध्यान में रखकर ही खर्चा करना चाहिए। हर इंसान को इस पर विचार जरूर करना चाहिए कि उसकी कमाई कितनी है और उसका खर्चा कितना है। साथ ही कोशिश करनी चाहिए की जितनी कमाई हो, खर्च उससे कम ही हो और बचत की जा सके। क्या है आपकी काबिलियत हर इंसान में अलग अलग गुण होते हैं। किसी को पढ़ाई में रुचि है तो किसी को संगीत में, कोई अच्छी आर्ट बना सकता है तो कोई स्वादिष्ट खाना। इसके अलावा हर इंसान का इंटरेस्ट ऑफ एरिया भी अलग-अलग होता है। कोई बिजनेस करना चाहता है तो कोई इंजीनियर बनना चाहता है, किसी को डॉक्टर बनना है तो कोई एक्टर बनने के सपने देखता है। ऐसे में जीवन में सफल होने के लिए हर इंसान को अपनी काबिलियत जरूर पहचाननी चाहिए। किस काम में आपका मन लगता है और कौन से काम को आप आसानी से कर सकते हैं, इस पर विचार जरूर करें। अपनी काबिलियत को पहचानकर ही भविष्य की प्लानिंग करें। इसके बाद आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

नवरात्र में जरूर करें तुलसी से जुड़ा ये उपाय, दूर होगी आर्थिक तंगी

सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व बताया गया है. यह नौ दिवसीय पावन पर्व माता दुर्गा और उनकी नौ शक्तियों की आराधना का काल माना जाता है. मान्यता है कि इस अवधि में  सच्चे मन से उपासना करने से भक्त की मनोकामना जल्द पूरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का संचार होता है. इस साल शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 22 सितंबर से हो चुका है और इसका समापन 1 अक्टूबर को होगा. ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र के दिनों में यदि तुलसी के पौधे से जुड़े कुछ विशेष उपाय किए जाएं, तो जीवन की कई कठिनाइयों से मुक्ति मिल सकती है. तुलसी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थान प्राप्त है. इसे माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और घर में तुलसी का होना स्वयं में ही शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है. आइए जानते हैं नवरात्र में तुलसी पूजन से जुड़े कुछ खास उपाय और उनके चमत्कारी लाभ. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ेगा नवरात्र के नौ दिनों में रोजाना तुलसी माता के पौधे के पास घी या तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है. यह उपाय घर को  सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है और नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है. दीपक जलाने से घर में शांति, सुख और सौभाग्य का वास होता है.  दांपत्य जीवन में मधुरता बढ़ेगी  नवरात्र में तुलसी माता की पूजा करते समय उन्हें लाल चुनरी पहनाना और उनके पास शृंगार सामग्री जैसे कुमकुम, चूड़ी, बिंदी आदि अर्पित करना अत्यंत फलदायी होता है. यह उपाय विशेष रूप से दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने वाला माना गया है. पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम और समझ बढ़ती हैॉ और घर-परिवार में सौहार्द का वातावरण बनता है.  आर्थिक तंगी दूर होगी यदि लंबे समय से आप आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, तो नवरात्र के दिनों में यह उपाय विशेष रूप से लाभकारी माना गया है. लाल कपड़े में तुलसी की कुछ पत्तियां बांधकर अपनी तिजोरी या धन रखने की जगह पर रखें. ऐसा करने से धन संबंधी परेशानियों का निवारण होता है और धीरे-धीरे धन-संपत्ति की वृद्धि होने लगती है. यह उपाय घर में स्थायी लक्ष्मी के वास का भी प्रतीक माना गया है.

आज का राशिफल (25 सितंबर): कुछ राशियों को मिलेगा सूर्य जैसा तेज़, जानें आपका दिन कैसा रहेगा

मेष मेष राशि का दिन हैप्पी-हैप्पी रहने वाला है। नए टास्क के प्रति अलर्ट रहें, जो आपको प्रमोशन भी दिला सकते हैं। अपना बेस्ट परिणाम देने के लिए पेशेवर चुनौतियों को सावधानी के साथ संभालें। आज आपकी लव लाइफ बेहतरीन रहेगी। वृषभ आज का आपका दिन शानदार रहने वाला है। धन-वृद्धि के योग बन रहे हैं। जिन लोगों को जॉब की तलाश थी, उनका सपना पूरा होता नजर आएगा। लव के मामले में कुछ लोगों को पेरेंट्स का सपोर्ट मिलेगा। मिथुन आज के दिन अपनी हेल्थ पर ध्यान दें। लव के मामले में उतार-चढ़ाव की सिचूऐशन बनी रहेगी। जिम्मेदारियों को नजरअंदाज न करें। कुछ व्यापारियों को नई पार्टनरशिप भी मिल सकती है। हर काम में सफलता हासिल होगी। कर्क आज के दिन आपके लिए शुभ माना जा रहा है। पार्टनर के साथ आपकी दूरियां धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी। सेहत आपका साथ देगी। पैसों के मामले में आज लेन-देन करते वक्त सावधानी बरतने की एडवाइस दी जाती है। सिंह आज के दिन पॉजिटिव दृष्टिकोण बनाए रखें। आपके लिए विकास, भावनात्मक सफलता और आश्चर्यजनक अवसरों का वादा करता है। करियर के मामले में नए टास्क पाने के लिए खुद को तैयार कर लें। कन्या आज के दिन पॉजिटिव सोच बनाए रखें। अपने लॉंग टर्म लक्ष्यों पर कायम रहना आपके लिए अच्छा रहेगा। स्ट्रेस से दूर रहें। आज अपनी मेंटल हेल्थ पर फोकस करना चाहिए। काम का प्रेशर ज्यादा लेने से मेंटल हेल्थ और फिजिकल हेल्थ भी प्रभावित होती है। तुला आज के दिन आपके लिए विकास और रोमांस के अवसरों से भरपूर रहेगा। वहीं, वित्त के मामले में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। नए अनुभवों के लिए खुले रहें लेकिन जहां आवश्यक हो वहां, सतर्क भी रहें। वृश्चिक आज के दिन डाइट को हेल्दी रखें। लव के मामले में दिन रोमांटिक रहेगा। प्रोग्रेस करने के लिए बैलेंस की आवश्यकता होती है। अप्रत्याशित चुनौतियां सामने आ सकती हैं, फिर भी खुद को संतुलित करते हुए आगे बढ़ते रहें। धनु आज के दिन आज धन का आगमन होगा। सेहत के मामले में फिटनेस पर ध्यान दें। अचानक खर्चे सामने आ सकते हैं। प्रोडक्टिव बने रहें। आपके लिए आज का दिन थोड़ा बिजी-बिजी रहन वाला है। स्ट्रेस दूर होगा। मकर आज के दिन कामकाज के चक्कर में अपनी पर्सनल लाइफ से समझौता करना ठीक नहीं है। पैसे कमाने में कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी। कुछ लोगों को ओवरटाइम करना पड़ सकता है। परिवार और दोस्तों के लिए भी समय निकालें। कुंभ आज के दिन वर्क-लाइफ बैलेंस मेन्टेन करके आगे बढ़ें। आज किसी पुराने इनवेस्टमेंट से तगड़ा प्रॉफिट मिल सकता है। डेडलाइन के भीतर टास्क कंप्लीट कर लेने की सलाह दी जाती है। किसी भी बहस में पड़ने से बचें। मीन आज का आपका दिन इनोवेटिव विचारों पर फोकस करने वाला दिन है। अपने प्रोफेशनल जीवन में चुनौतियों के साथ-साथ रचनात्मकता की उम्मीद करें। नई शुरुआत को खुली बांहों से अपनाएं।

नवरात्रि व्रत का अंत और कन्या पूजन का महत्व

हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दौरान नौ दिनों तक माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना करने के बाद दसवें दिन व्रत का समापन कन्या पूजन से किया जाता है. इसे कन्या भोज भी कहा जाता है. नवरात्रि व्रत का समापन कन्या पूजन से किया जाता है, इसके पीछे गहरा धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व छिपा है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना और पूजा-अर्चना की जाता है. व्रत, पूजन-अर्चना नवरात्रि व्रत की पहचान हैं. इस दौरान कन्या पूजन का क्या महत्व है और यह क्यों किया जाता है जानते हैं. कन्या पूजन का धार्मिक महत्व शास्त्रों में कहा गया है कि कन्या ही देवी का जीवंत स्वरूप हैं. माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को देवी के रूप में पूजकर उन्हें भोजन कराना शुभ माना जाता है. कन्या पूजन को सिद्धिदात्री देवी की पूजा से जोड़ा जाता है, जो नवरात्रि के अंतिम दिन आराधित होती हैं. पौराणिक मान्यता देवी भागवत पुराण के अनुसार, जब देवताओं ने मां दुर्गा से असुरों के नाश का आग्रह किया, तो देवी ने कहा कि कन्याओं के रूप में मेरी पूजा करने से ही शक्ति की प्राप्ति होती है. महिषासुर वध के उपरांत देवताओं ने कन्याओं की पूजा कर मां दुर्गा को धन्यवाद दिया था. तभी से नवरात्रि व्रत का समापन कन्या पूजन से करने की परंपरा चली आ रही है. आध्यात्मिक दृष्टिकोण कन्या पूजन स्त्री शक्ति का सम्मान है. कन्याओं को अन्न, वस्त्र और उपहार देकर यह संदेश दिया जाता है कि नारी ही सृष्टि की जननी और पालनहार है. यह कर्म संतानों में सुख-समृद्धि, परिवार में शांति और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है. कन्या पूजन की विधि घर पर आमंत्रित की गई 7, 9 या 11 कन्याओं को स्नान कराकर आसन पर बैठाएं. उनके चरण धोकर आचमन कराएं और तिलक करें. उन्हें पूरी, चना और हलवा का भोजन कराएं. कन्याओं को दक्षिणा, उपहार और लाल चुनरी भेंट करें. अंत में उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें. कन्या पूजन से मिलने वाले लाभ घर में लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है. सभी प्रकार के संकट और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है. नवरात्रि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.

अपने मन को रखें पॉजिटिव, चाहे आसपास हों निगेटिव लोग

पढ़ाई में पिछड़ने का डर, ऑफिस में असफल होने का विचार, दूसरों से कमतर होने का भय- ये सभी नकारात्मक विचार हैं, जो हमें दिन-रात परेशान कर सकते हैं। जर्नल ऑफ साइकोलॉजिकल रिसर्च के अनुसार, हमारे 80% विचार नकारात्मक होते हैं। ये सभी विचार जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं-रिश्ते, काम, स्कूल पर आधारित होते हैं। इनमें से ज्यादातर विचार दूसरों के द्वारा कही गई बातों पर आधारित होते हैं। दरअसल, रोजमर्रा के जीवन में हमें घर-बाहर कई ऐसे लोगों का सामना करना पड़ सकता है, जो न केवल नकारात्मक बातें कहते हैं, बल्कि उनका व्यवहार भी नकारात्मक होता है। कैसे प्रभावित करती है नकारात्मकता जर्नल ऑफ मेंटल हेल्थ में प्रकाशित शोध बताते हैं कि अगर आप लगातार नकारात्मकता यानी निगेटिविटी से सामना करती रहती हैं, तो यह मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती है। यह डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ा सकती है। यह कुछ लोग हमेशा दूसरों के सामने अपना दुखड़ा रोते रहते हैं। किसी और के प्रति अपनी भड़ास निकालते रहते हैं। मनस्थली की संस्थापक और सीनियर साइकोलोजिस्ट डॉ. ज्योति कपूर बताती हैं, ‘ऐसे लोगों की बातों को सुनने में अपनी ऊर्जा खर्च करने की बजाय उन्हें उनकी सीमाओं के बारे में विनम्रता से बता दें। उन्हें दृढ़ता के साथ बताएं कि आप लगातार नकारात्मक बातें नहीं सुन सकती हैं। नकारात्मक विषयों पर चर्चा करना भी आपके लिए मुश्किल है। कई बार लंच के दौरान कुछ सहकर्मी शिकायतों का पिटारा खोल देते हैं। आप उसी समय उन्हें टोक दें और किसी भी नकारात्मक बातचीत को सख्ती के साथ मना कर दें। यह आपकी मानसिक सेहत के लिए सबसे अधिक जरूरी है।’ कारण समझने की कोशिश करें डॉ.  कहना हैं की , ‘कई बार व्यक्ति नकारात्मक लोगों से घिरा होता है और उनके कारण वह व्यथित होता रहता है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति उसकी बात सुन लेता है, तो वह उसके सामने नियमित रूप से अपनी पीड़ा प्रकट करने लगता है। यदि आप सुनने वालों में से एक हैं, तो उस व्यक्ति के नकारात्मक होने का कारण समझने की कोशिश करें। इससे उनसे निपटना आसान हो जाएगा। आप उन चुनौतियों पर विचार कर सकती हैं, जिनका वे सामना कर रहे हैं, ताकि आप उनकी नकारात्मकता के प्रति सहानुभूति रख सकें। आप उनकी समस्याओं के समाधान प्रस्तुत करने की भी कोशिश करें। इससे आप व्यक्तिगत रूप से सामने वाले की नकारात्मकता से कम प्रभावित होंगी।’ साथ करें गतिविधियां अगर आप किसी व्यक्ति की नकारात्मकता से परेशान हैं, तो उसे अपर्नी ंजदगी से पूरी तरह से बाहर करने के बारे में नहीं सोचें। आप उससे मिलना-जुलना कम कर सकती हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आप किसी नकारात्मक व्यक्ति के साथ बहुत अधिक समय नहीं बिताएं। उनके साथ अपनी मुलाकात की समय-सीमा छोटी रखें। यदि उनसे रोज मिलना होता है, तो ऐसी गतिविधियां शेड्यूल करें, जिससे आपकी उनके साथ होने वाली बातचीत सीमित हो जाए। उनके साथ फिल्म देखने या कोई गेम खेलने की योजना बना सकती हैं। लें ध्यान-योग का सहारा किसी नकारात्मक व्यक्ति के साथ समय बिताने से पहले ध्यान और गहरी सांस लेने, अनुलोम-विलोम जैसी योगिक प्रक्रियाएं अवश्य करें। इससे आपको अपना ध्यान केंद्रित करने और शांत बने रहने में मदद मिलेगी। जब आप नकारात्मक व्यक्ति के साथ हों, तो अपनी सांसों पर ध्यान दें और वर्तमान में रहने की कोशिश करें। जर्र्नंलग या कम दूरी के लिए टहलना जैसी गतिविधियों के माध्यम से तनाव को दूर करने के लिए समय निकालें। नकारात्मक व्यक्ति को भी हमेशा ध्यान-योग से जुड़ने के लिए प्रेरित करें। ध्यान-योग से मानसिक सेहत मजबूत होती है और व्यक्ति का मन भी सकारात्मक विचारों से भरता है। राय बनाने से बचें किसी को नकारात्मक मान लेना और उसकी भावनाओं को खारिज करना आसान है। पर, ऐसा करने से सामने वाले के साथ तनाव और गलतफहमी पैदा हो सकती है। यह भी संभव है कि उस व्यक्ति के पास दूसरे गुण हों। अपनी राय बनाने की बजाय उनके प्रति दयालु बनें। उनकी नकारात्मकता को उनके अनुभवों और संघर्षों के प्रर्तिंबब के रूप में देखने का प्रयास करें। उनके प्रति सहानुभूति रखते हुए उनसे ईमानदारी के साथ बातचीत करें। बातचीत को सकारात्मक बनाए रखने के तरीके उन्हें भी बताएं। सामने वाले के दृष्टिकोण को सुनने का भी प्रयास करें। नकारात्मक होने के कारण उनसे सम्मानपूर्वक संवाद करना कभी नहीं छोड़ें। निर्णय लेने से बचें और अपना खुद का सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करें।