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धनवान बनने के रहस्य: 3 आदतें जो जल्दी बनाती हैं इंसान को अमीर

भारत के इतिहास में कई ऐसे प्रकांड विद्वान हुए जिनका लोहा आज भी माना जाता है। जनमानस के बीच उनकी बातें आज भी उतना महत्व रखती हैं कि लोग जरूरत पड़ने पर उनका ही अनुसरण करते हैं। इन्हीं विद्वानों में से एक थे आचार्य चाणक्य, जिन्हें जीवन के हर एक क्षेत्र के बारे में अद्भुत ज्ञान था। इसी ज्ञान को लोगों से साझा करने के लिए उन्होंने अपनी नीतियां लिखीं, जिनमें जीवन के हर एक पहलू को मानों खोलकर रख दिया। उन्होंने जीवन में सफलता कैसे पाई जाए, इसपर भी बहुत विस्तार में लिखा। आज उन्हीं की नीतियों से हम आपको व्यक्ति की ऐसी तीन आदतों के बारे में बता रहे हैं जो उसे कम उम्र में ही सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचाने की ताकत रखती हैं। आचार्य के मुताबिक जिन लोगों में ये आदतें होती हैं, वो कम उम्र में भी धनवान बन जाते हैं। तो चलिए जानते हैं वो आदतें क्या हैं। जो समझें समय का सही महत्व आचार्य चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति समय का महत्व समझ जाता है, उसे तरक्की करने से कोई नहीं रोक सकता। हर इंसान को गिनकर चौबीस घंटों का ही समय मिलता है, जहां कोई इन्हें यूं ही बर्बाद कर देता है तो कोई इन चौबीस घंटों में भी बहुत कुछ बड़ा कर जाता है। आचार्य के मुताबिक मानव जीवन का हर एक क्षण बहुत कीमती होता है। जो इसका सही मोल समझ जाए, वो बहुत ही कम समय में कामयाबी का उच्च शिखर हासिल कर लेता है। मेहनत से ना भागने वाले लोग आचार्य चाणक्य के अनुसार सफलता पाने का एक ही सूत्र है और वो है कड़ी मेहनत करना। जो व्यक्ति जीवन भर मेहनत से भागता आया है, उसकी सफलता भी उससे उतनी ही कोसों दूर भागती है। अपनी नीति में आचार्य कहते हैं कि मेहनती इंसान से तो माता लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं। हालांकि मेहनत का मतलब गधा मजदूरी बिल्कुल भी नहीं है। सही दिशा में किया गया प्रयास ही सफलता की ओर ले जाता है। जिस व्यक्ति में शुरू से ही मेहनत से ना भागने वाला गुण होता है, वो कम समय में ही तरक्की हासिल कर लेता है। जो जान लें वाणी का सही इस्तेमाल आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति की वाणी यानी उसकी जुबान भी उसकी सफलता में बड़ी अहम भूमिका निभाती है। जिस व्यक्ति को वाणी का खेल आता हो, वो अपने लिए रास्ता निकाल ही लेता है। आचार्य कहते हैं कि मीठा बोलने वाला तो अपने दुश्मनों को भी दोस्त बना लेता है। किस समय पर क्या बोलना उचित रहेगा यह जाने वाले और अपनी वाणी पर संयम रखने वाले लोग, विपरीत परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल मोड़ लेते हैं। ऐसे लोग बाकी लोगों के मुकाबले जीवन में ज्यादा और जल्दी सफल होते हैं।  

घर में सुख-समृद्धि के लिए अपनाएं ये वास्तु हिनट्स, तस्वीरें बनेंगी लकी चार्म

अगर आप अपने घर में वास्तु नियमों का ध्यान रखते हैं, तो इससे आपके घर में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी बना रहता है। वास्तु शास्त्र में यह भी बताया गया है कि आपको घर में किस तरह की तस्वीरें  लगाने से फायदा मिल सकता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में। कहां लगाएं घोड़ों की पेंटिंग वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में 7 दौड़ते हुए घोड़ों की तस्वीर लगाना काफी शुभ माना जाता है। वास्तु में इस तस्वीर को लगाने के लिए दक्षिण दिशा को सबसे उत्तम माना गया है। माना जाता है कि यह तस्वीर घर में सकारात्मक ऊर्जा के संचार को बढ़ाती है। साथ ही इससे घर-परिवार में सुख-शांति का माहौल बना रहता है। वास्तु शास्त्र में यह भी माना गया है कि प्राकृतिक दृश्य जैसे पहाड़, झरने, हरे-भरे खेतों आदि की तस्वीर भी घर में लाना काफी शुभ माना गया है। इन तस्वीरों को लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और खुशहाली आती है। वास्तु शास्त्र में कुछ पशु-पक्षियों की फोटो या पेंटिंग भी घर में लाना काफी शुभ माना गया है। हंस को शांति और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। ऐसे में घर में हंस की तस्वीर लगाने से आपको धन-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। इसी के साथ आप उड़ते हुए पक्षियों की तस्वीर भी अपने घर में लगा सकते हैं। देवी-देवताओं की तस्वीरें आपने अधिकतर घरों में देवी-देवताओं की तस्वीर लगी देखी होगी। वास्तु की दृष्टि से भी इस काफी शुभ माना गया है। वास्तु शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती और अन्य देवी-देवताओं की तस्वीर घर में लगाने से सुख-समृद्धि और शांति आती है। न लगाएं ऐसी तस्वीरें वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसी तस्वीरें भी बताई गई हैं, जो घर में लगाना बिल्कुल भी शुभ नहीं होता। जैसे कि हिंसक जानवर, डूबता हुआ सूरज और जहाज आदि की तस्वीर भी लगाने से बचना चाहिए, वरना आपको बुरे परिणाम मिल सकते हैं।  

इस बार नवरात्रि की 9 नहीं, 10 दिन होंगी उत्सव की धूम

साल 2025 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार के दिन से हो रही है. शारदीय नवरात्रि को मां दुर्गा की आराधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है. इन दिनों मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. हर दिन किसी न किसी देवी को समर्पित होता है. इस दौरान आराधना से इंसान के जीवन के सारे दुख-दर्द और कष्ट मिट जाते हैं. साल 2025 में नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक चलेंगे. 1 अक्टूबर को महानवमी है और 2 अक्टूबर को दशहरा या विजयदशमी के साथ इस पर्व का समापन होगा. इसी दिन मां दुर्गा का विसर्जन भी किया जाएगा. साल 2025 में बनेगा दुर्लभ संयोग साल 2025 में नवरात्रि पर एक दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस बार नवरात्रि 9 नहीं, बल्कि 10 दिनों की होगी. ऐसे में एक अतिरिक्त दिन किस बात का संकेत दे रहा है, यह जानना रोचक है. 9 नहीं, 10 दिन के होंगे नवरात्र साल 2025 में शारदीय नवरात्र 9 नहीं, बल्कि 10 दिनों के होंगे. नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से होगी. 24 और 25 सितंबर को तृतीया तिथि का व्रत रखा जाएगा. इस बार तृतीया तिथि दो दिनों तक रहेगी, जिसके कारण शारदीय नवरात्रि में एक दिन की वृद्धि होगी. नवरात्रि में बढ़ती हुई तिथि का महत्व     नवरात्रि में बढ़ती हुई तिथि को शुभ माना जाता है, जबकि घटती हुई तिथि को अशुभ माना जाता है. नवरात्रि में बढ़ती हुई तिथि शक्ति, उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होती है.     शारदीय नवरात्रि का पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, जो चंद्रमा के बढ़ने का प्रतीक माना गया है. इस समय को अत्यंत सकारात्मक और शक्ति-विकास का कारण माना जाता है.     बढ़ती हुई तिथि नई शुरुआत, सृजन और प्रगति का प्रतीक है। इस दौरान की गई साधना फलदायी मानी जाती है. शारदीय नवरात्रि का महत्व शारदीय नवरात्रि में उपवास, ध्यान और मां दुर्गा की आराधना करने से भक्त अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत कर सकते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.

इंदिरा एकादशी 2025: महत्व, पूजा नियम और सही समय जानें, 16 या 17 सितंबर का फिक्स टाइम

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. सालभर में कुल 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी की अपनी धार्मिक मान्यता होती है. पितृपक्ष में आने वाली एकादशी को बेहद पवित्र माना गया है. इस एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन किया गया व्रत और पूजा पितरों को समर्पित होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. कब है इंदिरा एकादशी 2025 द्रिक पंचांग के अनुसार इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 17 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा. एकादशी तिथि की शुरूआत सुबह 12 बजकर 21 मिनट से होगी और इसका समापन रात 11 बजकर 39 मिनट पर होगा. इस दिन व्रत रखा जाएगा और पारण अगले दिन यानी 18 सितंबर को किया जाएगा. पंचांग के अनुसार, 18 सितंबर को सुबह 06:07 से 08:34 बजे के बीच स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ के बाद व्रत खोल सकते हैं. इंदिरा एकादशी का महत्व इंदिरा एकादशी को श्राद्ध एकादशी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और तर्पण करने से जातक के पापों का नाश होता है और उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसा करने से साधक को सुख-समृद्धि और शांति मिलती है. माना जाता है कि इस व्रत को करने वाला जातक सांसारिक सुखों का आनंद लेने के बाद अंत में बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है. पूजन विधि इस व्रत की पूजा विधि भी विशेष मानी गई है. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें. पितरों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें. इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर दीपक जलाएं. उन्हें पीले फूल और मिठाई अर्पित करें क्योंकि पीला रंग श्रीहरि विष्णु को अत्यंत प्रिय है. इसके बाद पूजा सामग्री चढ़ाकर व्रत कथा सुनें और अंत में विष्णुजी की आरती कर प्रसाद बांटें. पितरों की शांति के लिए करें इन चीजों का दान पितरों की शांति और संतुष्टि के लिए इस दिन दान करना अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन घी, दूध, दही और अन्न का दान करने से घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है. साथ ही जरूरतमंदों को भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है.

महालक्ष्मी व्रत के दिन जरूर करें ये काम, धन की देवी होंगी प्रसन्न

माना जाता है कि जो भी साधक महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat 2025) को सच्ची श्रद्धा से करता है, उसे धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही इस समय व्रत करने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। ऐसे में आप महालक्ष्मी व्रत के आखिरी दिन कुछ खास उपाय कर सकते हैं, जिससे देवी लक्ष्मी की कृपा आपके व आपके परिवार के ऊपर बनी रहती है। इस तरह करें पूजा महालक्ष्मी व्रत के आखिरी दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। इसके लिए सबसे पहले स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद एक चौकी पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं और माता लक्ष्मी की मूर्ति या फिर चित्र स्थापित करें। सबसे पहले गणेश जी और नवग्रहों का पूजन करें। अब मां लक्ष्मी को गंगाजल या पंचामृत से स्नान कराएं और पूजा में एक कल कलश स्थापिक करें। इसके लिए कलश में जल, सुपारी, हल्दी, अक्षत, कमल गट्टा और पंच पल्लव डालकर उसपर नारियल रखें और चुनरी लपेटकर स्थापित करें। महालक्ष्मी जी का शृंगार करें और उन्हें पूजा में सोलह शृंगार की सामग्री अर्पित करें। पूजा में कमल, दूर्वा, अक्षत, रोली, धूप, दीप, फल, मिठाई और दक्षिणा आदि चढ़ाएं। अंत में देवी लक्ष्मी की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें। जरूर करें ये उपाय महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन देवी लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा करने के बाद एक कच्चे सूत में 16 गांठ लगाएं। इस दौरान महालक्ष्मी नमः मंत्र का जाप करते रहें। अब इस गांठ पर कुमकुम और अक्षत लगाकर देवी के चरणों में अर्पित कर दें। पूजा संपन्न होने के बाद इस सूत्र को अपने दाहिने हाथ में बांधें। इस उपाय को करने से साधक को धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। आप इस 16 गांठ वाले धागे को अपनी तिजोरी में भी रख सकते हैं, जिससे शुभ परिणाम मिलते हैं। करें इन मंत्रों का जप 1. श्री लक्ष्मी बीज मंत्र – ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।। 2. लक्ष्मी प्रा​र्थना मंत्र – नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।। 3. श्री लक्ष्मी महामंत्र – ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

आज का राशिफल 11 सितंबर 2025: इन राशियों पर मेहरबान होंगे ग्रह-नक्षत्र

मेष मेष राशि वालों के लिए आज का दिन उतार-चढ़ाव भरा रहने वाला है। आपको किसी काम में सफल होने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले जातकों को अच्छी खबर मिल सकती है। वृषभ वृषभ राशि वालों के लिए आज का दिन मिला-जुला रहने वाला है। दिन की शुरुआत में आपको मेहनत का पूरा फल मिलेगा। मान-सम्मान बढ़ेगा। दिन के अंत में पैसों के लेन-देन से बचें। शादीशुदा लोगों की जिंदगी में खुशियां रहेंगी। मिथुन आज के दिन वृश्चिक राशि वालों को सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत है। सुख-सुविधाओं से जुड़ी चीजों में पैसे खर्च हो सकते हैं। जिससे आर्थिक बजट गड़बड़ा सकता है। व्यापारियों को मनचाहा लाभ होगा। कर्क कर्क राशि वालों के लिए आज का दिन मिला-जुला रहने वाला है। दिन की शुरुआत में नौकरी पेशा करने वाले जातकों पर काम का दवाब रहेगा। इस दौरान आपको सफल होने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है। पारिवारिक जीवन सुखद रहेगा। सिंह सिंह राशि वालों को दिन की शुरुआत में खर्चों का सामना करना पड़ सकता है। मन में नकारात्मक विचारों का प्रभाव भी हो सकता है। जिसके कारण आपका आर्थिक बजट बिगड़ सकता है। इस दौरान आप संतान की किसी बात से परेशान रहेंगे। कन्या आज का दिन कन्या राशि वालों के लिए कुछ बड़े खर्चे लेकर आ सकता है। जिससे आपका आर्थिक बजट हिल सकता है। शारीरिक व मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं। इस दौरान आपको मनचाही सफलता हासिल होगी। रुके हुए कार्य पूरे होंगे। तुला तुला राशि वालों के लिए आज का दिन शुभ समाचार लेकर आ सकता है। आपके आय के साधन में वृद्धि होगी। व्यापारियों को मन चाहा लाभ होगा। परिश्रम का पूरा फल मिलेगा। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को नए अवसर मिलेंगे। वृश्चिक आज के दिन किसी विशेष व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है। विवाहित जातकों की लव लाइफ अच्छी रहेगी। किसी काम में लापरवाही करने से बचना चाहिए। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को गुप्त शत्रुओं से बचना चाहिए। धनु आज के दिन धनु राशि वालों को किसी विशेष काम में आपको सफलता मिल सकती है। कुछ छात्रों का मन पढ़ाई से भटक सकता है। परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद हो सकते हैं। सुख-सुविधा से जुड़ी किसी चीज में पैसे खर्च हो सकते हैं। मकर आज दिन की शुरुआत में कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। मकर राशि वालों के लिए दिन उतार-चढ़ाव भरा साबित हो सकता है। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं। कुंभ आज के दिन ऑफिस में प्रमोशन मिल सकता है। दोपहर के समय गुप्त शत्रुओं से बचकर रहने की जरूरत है। इस दौरान आपको कुछ बड़े खर्चों का सामना करना पड़ सकता है। समय और धन दोनों को सोच-समझकर खर्च करें। मीन मीन राशि के जातकों को किसी भी काम में लापरवाही करने से बचना चाहिए। नौकरी करने वाले जातकों को गुप्त शत्रुओं से बचना चाहिए। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले जातकों के लिए आज का दिन शुभ साबित हो सकता है।

पंचबलि भोग के नियम: अगर कौवा न खाए तो क्या करें, पूरी जानकारी यहाँ

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का समय बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. इस दौरान अपने पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं. शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि श्राद्ध का भोजन सबसे पहले कौवे को अर्पित करना चाहिए, क्योंकि कौवा पितरों का दूत माना गया है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि श्राद्ध वाले दिन घर के आंगन या छत पर कौवे दिखाई नहीं देते. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कौवा न मिलें, या कौवे भोजन ग्रहण नहीं करें तो पितरों का भोजन किसे अर्पित किया जाए? कौवा भोग न लगाएं तो क्या करें? अगर श्राद्ध के दिन आप कौवे को भोजन ग्रहण न करा पाएं तो आप कौवे के हिस्से का भोजन गाय या कुत्ते या चींटी को खिला सकते हैं. गाय में सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है और कुत्ते को यम का प्रतीक माना गया है. इसलिए गाय या कुत्ते को भोजन कराने से पितरों तक आपका भोग पहुंच जाता है. इसके अलावा, आप कौवे के हिस्से का भोजन किसी जलकुंड, नदी, या तालाब में मछलियों को भी डाल सकते हैं. पंचबलि का महत्व और सही तरीका श्राद्ध में पंचबलि भोग का बहुत बड़ा महत्व है. क्योंकि पितरों का भोजन गाय, कुत्ते, कौवे, चींटी और देवताओं को खिलाया जाता है, इसे पंचबलि भोग कहते हैं. यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है. ऐसी मान्यता है कि इन पांचों को भोजन कराने से पितरों को भोजन प्राप्त होता है और वे तृप्त होते हैं. लेकिन इन सभी में कौवे का स्थान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. पंचबलि भोग निकालते समय इन बातों का ध्यान रखें? पंचबलि के लिए भोजन: पंचबलि के लिए सबसे पहले एक पत्ते पर भोजन रखें. यह भोजन वही होना चाहिए जो आपने श्राद्ध के लिए बनाया है. सही क्रम: पंचबलि हमेशा एक विशेष क्रम में निकाली जाती है. गौ बलि: सबसे पहले एक पत्ते पर भोजन रखकर गाय को खिलाएं. श्वान बलि: इसके बाद दूसरे पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को खिलाएं. काक बलि: तीसरे पत्ते पर भोजन रखकर कौवे के लिए निकालें. अगर कौवा न मिले तो उसके हिस्से का भोजन गाय या कुत्ते को खिलाएं. देव बलि: चौथे पत्ते पर भोजन देवताओं के लिए रखें. इसे जल में प्रवाहित किया जाता है. पिपीलिका बलि: आखिरी में, पांचवें पत्ते पर भोजन चींटियों के लिए जमीन पर रखें. इन पांचों जीवों को भोजन कराने से न केवल पितरों का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि आपके द्वारा किए गए तर्पण और श्राद्ध को भी पूर्णता मिलती है. यह माना जाता है कि इन जीवों के माध्यम से ही पितरों तक हमारा भोग और श्रद्धा पहुंचती है.

सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाना चाहते हैं? इन 5 आदतों को तुरंत छोड़ें

हर इंसान में सेल्फ कॉन्फिडेंस का होना जरूरी है। ये एक ऐसी जरूरी चीज है जिसके बल पर वो दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकता है। जिस इंसान में सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी होती है वो ज्यादातर सक्सेज नहीं पाते। अगर आपके अंदर भी सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी रहती है तो जरा इन 5 आदतों पर गौर करें। अगर ये आदते आपकी लाइफ का हिस्सा हैं तो फौरन इन्हें दूर कर दें। तभी आत्मविश्वास बढ़ पाएगा। खुद के बारे में निगेटिव सोचना अगर आप खुद के बारे में हमेशा निगेटिव बातें बोलते और सोचते हैं। खुद की कमियां निकालते हैं तो इससे आपकी सेल्फ एस्टीम प्रभावित होती है। और आपके अंदर का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। आपको खुद पर विश्वास नहीं रहता कि कोई काम आप अकेले कर सकते हैं। इसलिए सेल्फ वैल्यूएशन करने और खुद को क्रिटिसाइज करने के बीच का फर्क समझकर निगेटिव सोचना बंद करें। हमेशा परफेक्ट बनने की चाह किसी भी काम में परफेक्शन अच्छी बात है लेकिन यहीं परफेक्शन की चाह कई बार आत्मविश्वास को कमजोर कर देती है। क्योंकि जरा सी कमी भी बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और कई बार सेल्फ कॉन्फिडेंस पर निगेटिव असर पड़ता है। दूसरों से तुलना दूसरों से तुलना करना अगर आदत बन जाती है तो खुद में केवल कमियां ही कमियां नजर आती हैं। जिसकी वजह से आत्मविश्वास कमजोर होता है। नए चैलेंज एक्सेप्ट ना करना अगर आप लाइफ में आने वाले नए चैलेंज को एक्सेप्ट नहीं करते हैं तो ये आपकी ग्रोथ को रोक सकती है। क्योंकि मन में बात आती है कि मुझसे ये काम नहीं होगा, जो कि पूरी तरह से कमजोर आत्मविश्वास की निशानी है। खुद को जिम्मेदार ठहराना लाइफ में और अपने आसपास आपसे जुड़े लोगों के जीवन में हो रही किसी भी समस्या के लिए अगर आप खुद को जिम्मेदार ठहराते हैं, तो ये सेल्फ कॉन्फिडेंस को कमजोर बना देती है।  

जानें घर की सही दिशा, जहां अपराजिता लगाने से बढ़ती है खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा

वास्तु शास्त्र में घर में पेड़-पौधे लगाने के लिए भी कई नियम बताए गए हैं। इन नियमों का ध्यान रखने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। आज हम आपको अपराजिता के पौधे से संबंधित कुछ वास्तु नियम बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में। मिलते हैं ये फायदे घर में अपराजिता का पौधा लगाने से व्यक्ति को धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही यह पौधा सकारात्मक ऊर्जा के संचार को भी बढ़ाता है और नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखता है। माना जाता है कि घर में अपराजिता का पौधा लगाने से व्यक्ति के करियर में आ रही परेशानियां भी दूर हो सकती हैं। किस दिशा में लगाएं पौधा वास्तु शास्त्र में अपराजिता का पौधा लगाने के लिए ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा को शुभ माना गया है। क्योंकि वास्तु शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, यह दिशा देवी-देवताओं की देशा मानी गई है। ऐसे में इस दिशा में पौधा लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। साथ ही और नकारात्मकता भी दूर होती है। वहीं वास्तु शास्त्र में अपराजिता लगाने के लिए पूर्व दिशा भी शुभ मानी गई है। इस दिशा से अपराजिता का पौधा लगाने से सुख-शांति और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है। रखें इन बातों का ध्यान अपराजिता के पौधे कभी भी पश्चिम या फिर दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ सकता है और आपके जीवन में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं। साथ ही यह भी माना गया है कि आपको शनिवार के दिन अपराजिता का पौधा लगाने से काफी लाभ मिल सकता है। इसके साथ ही शनि देव की पूजा में अपराजिता का फूल अर्पित करने से शनिदेव की कुदृष्टि आपके ऊपर नहीं पड़ती।

इंदिरा एकादशी विशेष: पितृ दोष दूर करने के आसान टिप्स, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद

इंदिरा एकादशी पितृपक्ष में आने वाली विशेष तिथि है, जिसका संबंध पितरों की शांति और मोक्ष से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और नियमपूर्वक पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृदोष से मुक्ति का मार्ग खुलता है. शास्त्रों के अनुसार, जो लोग पितृपक्ष में अपने पितरों को प्रसन्न करने के उपाय करते हैं, उन्हें न केवल पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि उनके जीवन में सुख-समृद्धि और उन्नति भी आती है. आइए जानते हैं इस बार की एकादशी की तिथि और उन उपायों के बारे में जिन्हें करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इंदिरा एकादशी 2025 पंचांग के अनुसार, 16 सितंबर को रात 12 बजकर 21 मिनट पर आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी. वहीं, 17 सितंबर को देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्त हो जाएगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी. पितृ दोष क्या है? जब किसी व्यक्ति के पूर्वजों (पितरों) की आत्मा को शांति नहीं मिलती, तो उसे पितृ दोष माना जाता है. यह दोष कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि पितरों का विधिपूर्वक श्राद्ध न करना, उनकी मृत्यु के बाद कोई अनुष्ठान अधूरा रह जाना, या उनका असंतोष. पितृ दोष के कारण परिवार में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं, जैसे धन की कमी, विवाह में देरी, संतान संबंधी परेशानियां और लगातार बीमारियां. इंदिरा एकादशी पर पितृ दोष से मुक्ति के लिए क्या करें? अगर आप पितृ दोष से परेशान हैं, तो इंदिरा एकादशी का दिन आपके लिए बहुत शुभ है. इस दिन कुछ विशेष उपाय करके आप पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं: व्रत और पूजा: इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. भगवान शालिग्राम और भगवान विष्णु की पूजा करें. पूजा में तुलसी दल, फूल, फल और पंचामृत जरूर चढ़ाएं. श्राद्ध और तर्पण: इस दिन पितरों का श्राद्ध करना बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है. अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध करने में सक्षम हैं, तो किसी योग्य ब्राह्मण से विधिपूर्वक श्राद्ध करवाएं. अगर ऐसा संभव न हो तो तर्पण (जल अर्पित करना) कर सकते हैं. ब्राह्मणों को भोजन कराएं: पितरों की शांति के लिए इस दिन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराना बहुत शुभ होता है. भोजन में खीर और पूड़ी जैसी चीजें शामिल करें. दान-पुण्य: इस दिन अनाज, कपड़े या धन का दान करना भी बहुत लाभकारी होता है. गाय को चारा खिलाना भी पुण्य का काम है. पितृ स्तोत्र का पाठ: अगर आपको पितृ दोष महसूस होता है, तो इंदिरा एकादशी के दिन पितृ स्तोत्र या गरुड़ पुराण का पाठ करना बहुत ही फलदायी होता है. यह पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है. इंदिरा एकादशी का महत्व यह एकादशी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आती है और इसे पितृ पक्ष के दौरान पड़ने वाली एकमात्र एकादशी के रूप में जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. यह भी कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से पितरों को स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त होता है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं.