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घर में न बने नकारात्मक ऊर्जा का कारण, अपनाएँ ये वास्तु टिप्स

अगर आप कुछ वास्तु नियमों की अनदेखी करते हैं, तो इससे आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां बढ़ जाती हैं। वास्तु दोष धन खर्च का कारण बन सकता है, साथ ही घर में किसी सदस्य का लगातार बीमार रहना, लड़ाई-झगड़े जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में आप इन बातों का ध्यान रखकर भी वास्तु दोष से बच सकते हैं। पश्चिम दिशा से जुड़े नियम वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर आपका किचन घर की पश्चिम दिशा में है, तो इसे शुभ माना जाता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि आपका किचन और टॉयलेट पास-पास नहीं होना चाहिए, वरना यह वास्तु दोष का कारण बन सकता है। दक्षिण दिशा के वास्तु नियम वास्तु शास्त्र में यह माना गया है कि घर की दक्षिण दिशा जितनी ढकी हुई हो उतना अच्छा होता है। ऐसे में आप घर की इस दिशा में भारी सामान जैसे तिजोरी, मशीनें आदि रख सकते हैं। ऐसा करने से स्थिरता बनी रहती है। लेकिन दक्षिण दिशा में भूलकर भी खराब मशीनरी, कबाड़, जूते-चप्पल या तुलसी का पौधा आदि नहीं रखना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना गया है। रखें इन दिशाओं का भी ध्यान आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) – वास्तु शास्त्र में इस दिशा को अग्नि की दिशा का रूप में देखा जाता है। ऐसे में आप इस दिशा में रसोई, बॉयलर, बिजली के उपकरण और हीटर जैसी आग से संबंधित चीजें रख सकते हैं। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) – वास्तु शास्त्र में ईशान कोण को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिशा में पूजा घर होना शुभ माना गया है। साथ ही घर की इस दिशा में वाटर टैंक या बोरिंग होना भी अच्छा होता है। वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा) – घर की इस दिशा में बेडरूम या गैरेज होना अच्छा माना गया है। वहीं अगर नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) – वास्तु शास्त्र में माना गया है कि आप इस दिशा में कैश काउंटर बनवा सकते हैं या फिर मशीनें आदि भी रख सकते हैं।

साल का आखिरी चंद्र ग्रहण पितृपक्ष में, इन राशियों को मिलेगा खास लाभ

हर साल भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष आरंभ होता है। इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 को हो रही है। संयोग यह है कि इसी दिन साल का अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लगेगा। ज्योतिषाचार्य  ने बताया कि धार्मिक और खगोल विज्ञान की दृष्टि से यह दिन बेहद खास रहने वाला है। कब और कहां दिखेगा ग्रहण यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, अमेरिका के कई हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण स्पष्ट रूप से नजर आएगा, इसलिए सूतक काल का पालन अनिवार्य होगा। ग्रहण का छाया प्रवेश रात 8:58 बजे, स्पर्श 9:57 बजे, मध्यम 1:27 बजे और मोक्ष 2:25 बजे होगा। सूतक काल दोपहर 12:50 बजे से ही प्रारंभ हो जाएगा। पूजा-पाठ और दान की परंपरा ग्रहण के दौरान धार्मिक कार्य, भोजन और यात्रा निषेध मानी गई है। इस अवधि में भगवान का स्मरण और जप करना सर्वोत्तम है। मान्यता है कि ग्रहण काल में दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। राहु ग्रह के दोष निवारण हेतु सात अनाज, वस्त्र, लोहा और तिलदान विशेष लाभकारी बताए गए हैं। राशि अनुसार प्रभाव और परामर्श ज्योतिषाचार्य के अनुसार यह ग्रहण कुंभ राशि और शतभिषा नक्षत्र में लगेगा। इसलिए कुंभ और मीन राशि के जातकों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। इनके लिए ग्रहण देखना वर्जित है। ग्रहण का शुभ प्रभाव मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि वालों के लिए रहेगा, जबकि मिथुन, सिंह, तुला और मकर पर सामान्य असर रहेगा। वहीं कर्क, वृश्चिक, मीन और कुंभ राशि के लिए यह ग्रहण अशुभ फलदायी माना गया है। सूतक काल में सावधानियां गर्भवती महिलाओं को ग्रहण देखने से विशेष परहेज करना चाहिए। सूतक लगने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। स्नान, जप, ध्यान और भजन-कीर्तन करना मंगलकारी माना जाता है। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर दान करने से ग्रहण दोष शांति मिलती है। किन वस्तुओं का दान करें लाभ के लिए राशि अनुसार दान करना इस दिन विशेष फलदायी रहेगा। मेष राशि वाले लाल वस्तुएं, वृषभ और तुला राशि वाले सफेद वस्तुएं, कर्क राशि वाले दूध-दही-चावल, सिंह राशि वाले गेहूं-मूंगफली-शहद, कन्या राशि वाले गन्ने का रस, वृश्चिक राशि वाले आलू-शकरकंद-गेहूं, धनु और मीन राशि वाले पीले वस्त्र-फल तथा मकर और कुंभ राशि वाले काले तिल और वस्त्र दान करें। ग्रहण का सामाजिक और प्राकृतिक प्रभाव ग्रहण काल के दौरान काली, सफेद और लाल वस्तुओं के साथ ही जल में उत्पन्न होने वाली वस्तुएं और इलेक्ट्रॉनिक सामान पर भी असर दिखाई देगा। व्यापारिक दृष्टि से ज्वार, बाजरा जैसी अनाज वस्तुओं में तेजी आने की संभावना है। बंगाल, मगध और गुजरात के समुद्री क्षेत्रों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा। 

पितृपक्ष में भूलकर भी न छोड़ें ये 3 दिन, पूर्वजों की आत्मा को मिलता है तृप्ति

इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है, जो पितरों के आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण समय है. पितृ पक्ष 15 दिनों तक चलता है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक होता है. इस साल पितृपक्ष 21 सितंबर तक रहने वाला है. इस दौरान सभी तिथियों का महत्व है, जिनमें पितरों के लिए किए गए कार्यों से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. तो चलिए आज हम आपको पितृपक्ष की सभी तिथियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनपर तर्पण करना बहुत ही शुभ माना जाता है.  किस तिथि पर किसका होता है श्राद्ध? – पूर्णिमा श्राद्ध या पहला श्राद्ध इस बर पूर्णिमा श्राद्ध 7 सितंबर को होगा. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की पूर्णिमा तिथि को हुई हो. – प्रतिपदा या पहला श्राद्ध इस बार प्रतिपदा श्राद्ध 8 सितंबर को होगा. प्रतिपदा श्राद्ध में उन पितरों का तर्पण, पिंडदान, दान, श्राद्ध आदि होता है, जिनका किसी भी माह की प्रतिपदा तिथि को निधन हुआ होता है. – द्वितीय श्राद्ध आश्विन मास का द्वितीय श्राद्ध 9 सितंबर को होगा. जिन पितरों की मृत्यु किसी भी महीने के दूसरे दिन (द्वितीया) हुई हो उनका श्राद्ध पितृपक्ष की द्वितीया तिथि पर किया जाता है.  – तृतीया श्राद्ध तृतीया श्राद्ध इस बार 10 सितंबर को है. जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध तृतीया को किया जाता है.  – चौथा श्राद्ध चौथा श्राद्ध भी इस बार 10 सितंबर को ही होगा. अगर किसी के पिताजी की मृत्यु चतुर्थी को हुई हो तो उनका श्राद्ध भी उसी तिथि को किया जाता है.  – पांचवां श्राद्ध या महाभरणी श्राद्ध पांचवां श्राद्ध इस बार 11 सितंबर को होगा. इस दिन अविवाहित पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु पंचमी तिथि पर हुई हो.  – षष्ठी श्राद्ध छठा श्राद्ध इस बार 12 सितंबर को होगा. षष्ठी तिथि के दिन किसी की मृत्यु हो जाती है, उन पितरों का श्राद्ध षष्ठी के दिन किया जाता है.  – सप्तमी श्राद्ध इस बार सप्तमी श्राद्ध 13 सितंबर को होगा. सप्तमी तिथि के दिन जिनकी मृत्यु हो जाती है, उनका श्राद्ध सप्तमी के दिन ही किया जाता है.  – अष्टमी श्राद्ध इस बार आठवां श्राद्ध 14 सितंबर को होगा. जिन पितरों की मृत्यु किसी भी महीने की अष्टमी तिथि के दिन हो जाती है, उनका श्राद्ध जो है वो अष्टमी तिथि के दिन किया जाता है.  – नवमी श्राद्ध इस बार नवमी श्राद्ध 15 सितंबर को होगा. नवमी श्राद्ध खास महिलाओं के लिए होता है. यदि किसी महिला की मृत्यु तिथि याद ना हो तो नवमी तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए. – दशमी श्राद्ध इस बार दशमी श्राद्ध 16 सितंबर को होगा. अगर किसी पितर की मृत्यु किसी भी महीने की दशमी तिथि को हुई हो तो उनका श्राद्ध पक्ष की दशमी तिथि के दिन किया जाता है.  – एकादशी श्राद्ध इस बार एकादशी श्राद्ध 17 सितंबर को होगा. इस दिन उन लोगों श्राद्ध किया जाता है,  जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की एकादशी के दिन होती है.  – द्वादशी श्राद्ध इस बार द्वादशी श्राद्ध 18 सितंबर को होगा. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जो संन्यासी होते हैं. इसलिए, इसे संन्यासी श्राद्ध भी कहा जाता है.  – त्रयोदशी श्राद्ध या मघा श्राद्ध त्रयोदशी श्राद्ध इस बार 19 सितंबर को होगा. पितृ पक्ष की त्रयोदशी के दिन बच्चे का श्राद्ध किया जाता है. अगर किसी के घर में बच्चे की मृत्यु हो गई हो तो उसका श्राद्ध त्रयोदशी के दिन किया जाता है.  – चतुर्दशी श्राद्ध इस बार चतुर्दशी श्राद्ध 20 सितंबर को होगा. इस दिन उन व्यक्तियों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हो गई हो.  – सर्वपितृ अमावस्या या आखिरी श्राद्ध  ये इस बार 21 सितंबर को है. इस दिन ज्ञात-अज्ञात सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है. यह पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है जब सभी पितरों की पूजा की जाती है.  पितृ पक्ष की ये 3 तिथियां हैं खास पितृ पक्ष की सभी तिथियों का अपना महत्व है, क्योंकि हर तिथि पर किसी न किसी के पितर की मृत्यु हुई होती है और वे उनके लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं. लेकिन, इस दौरान भरणी श्राद्ध, नवमी श्राद्ध और सर्व पितृ अमावस्या की तिथियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं.  1. भरणी नक्षत्र हिंदू पंचांग के मुताबिक, भरणी या पंचमी श्राद्ध 11 सितंबर, गुरुवार के दिन किया जाएगा. भरणी श्राद्ध को महाभरणी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. भरणी श्राद्ध किसी परिजन की मृत्यु के एक साल बाद करना जरूरी होता है. अविवाहित लोगों का श्राद्ध पंचमी तिथि पर किया जाता है, और यदि उस दिन भरणी नक्षत्र हो तो श्राद्ध का महत्व और भी बढ़ जाता है. इसके अलावा, जो लोग तीर्थ यात्रा नहीं कर पाते हैं, उनके लिए गया, पुष्कर आदि में भरणी श्राद्ध करना आवश्यक होता है. 2. नवमी श्राद्ध नवमी श्राद्ध को मातृ श्राद्ध और मातृ नवमी के नाम से जाना जाता है. नवमी तिथि पर माता पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व है, जिसमें मां, दादी, नानी आदि के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है.  3. सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पितृ पक्ष की सबसे खास और आखिरी तिथि है सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध. सर्व पितृ अमावस्या पर उन पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि का पता नहीं है. 

बुधवार का राशिफल: 3 सितम्बर को इन 5 राशियों की चमकेगी किस्मत, मिलेगा पैसा और सफलता

मेष राशि– आज का दिन आपके लिए अच्छा रहने वाला है। माता-पिता का सहयोग मिलने से वित्तीय परेशानियां खत्म हो सकती हैं। आज किसी खास व्यक्ति से आपको सरप्राइज मिल सकता है। आप कार्यस्थल पर अच्छा महसूस करेंगे। आज आपके सहकर्मी आपके काम की तारीफ करेंगे और आपके बॉस भी आपकी तरक्की से खुश नजर आएंगे। कारोबारी भी आज कारोबार में मुनाफा कमा सकते हैं। वृषभ राशि- आज आपकी सेहत अच्छी रहने वाली है। संपत्ति से जुड़े मामलों में सफलता मिल सकती है। निवेश का अच्छा रिटर्न मिल सकता है। आप अपने लक्ष्यों को पाने में सफल रहेंगे। शादीशुदा लोगों का दिन अच्छा रहने वाला है। आर्थिक व व्यापारिक स्थिति अच्छी रहने वाली है। मिथुन राशि- आज आवेग में आकर कोई फैसला न लें। परिवार में शुभ समाचार की प्राप्ति होगी, जिससे मन प्रसन्न रहेगा। इमोशनल फीलिंग्स को दबाकर रखें। आर्थिक रूप से दिन अच्छा रहने वाला है। यात्रा आनंददायक और लाभदायक रहेगी। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है। कर्क राशि– आज आपको अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए। आर्थिक रूप से दिन अच्छा रहने वाला है। संतान की सेहत का ध्यान रखें। कार्यस्थल पर आपको अच्छे बदलाव का अनुभव हो सकता है। अगर आप जल्दबाजी में फैसले पर पहुंचेंगे और बेकार की कार्रवाई करेंगे तो यह एक परेशान करने वाला दिन होगा। सिंह राशि- आज के दिन की शुरुआत योग और ध्यान से करने से मानसिक रूप से फिट रहेंगे। जमीन से जुड़े किसी मामले पर पैसा खर्च करना पड़ सकता है। आज कार्यस्थल पर आपके विचारों को सुना जाएगा और स्वीकार किया जाएगा। व्यावसायिक उन्नति मिल सकती है। आप अपने जीवनसाथी के साथ रोमांटिक दिन बिताएंगे। कन्या राशि- आज आपके कारोबार में वृद्धि हो सकती है। किसी महत्वपूर्ण काम के निपटने से मानसिक शांति का अनुभव करेंगे। आर्थिक लाभ होगा। ऑफिस में सावधान रहें क्योंकि कोई आपकी छवि खराब करने की कोशिश कर सकता है। आप अपने जीवनसाथी से नाराज महसूस कर सकते हैं। तुला राशि- आज आपके मूड में बदलाव हो सकता है। आपकी करियर की नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। किसी लक्ष्य को पाना आज आपके लिए आसान नहीं होगा। ऑफिस में ईमानदारी से काम करते रहें। प्यार के आनंद का अनुभव करने वाला कोई मिल सकता है। यात्रा से लाभ मिलेगा। वृश्चिक राशि- आज आपका मन परेशान रहेगा। बेकार के क्रोध से बचें। पिता की सेहत का ध्यान रखें। कारोबार में बदलाव के योग हैं। किसी मित्र का सहयोग मिल सकता है। अपनों का साथ मिलेगा। जिस चीज की जरूरत होगी उसकी उपलब्धता भी होगी। धनु राशि- आज आपकी मेहनत रंग लाएगी। आज अपनी ऊर्जा बचाकर रखें। कई स्रोतों से धन लाभ होगा। आप कर्ज चुकाने में सफल रहेंगे। किसी भी नई साझेदारी पर साइन करने से दूर रहें। आज का दिन एकांत में बिताना आपके लिए अच्छा रहेगा। जीवनसाथी के साथ एक यादगार दिन बिताएंगे। मकर राशि- आज दिन की शुरुआत एक्सरसाइज से करें। पैसे को रियल एस्टेट में निवेश करना अच्छा रहेगा। घरेलू मामलों को निपटाने के लिए दिन अनुकूल रहने वाला है। नौकरी पेशा की तैयारी करने वालों को सफलता मिल सकती है। व्यापारिक स्थिति अच्छी रहने वाली है। कुंभ राशि- आज धन की स्थिति में सुधार होगा। आकस्मिक स्रोत से धन का आगमन होगा, जिससे आर्थिक स्थिरता मिल सकती है। परिवार में वाद-विवाद से दूर रहें। व्यापारिक प्लानिंग सफल होंगी। आप अपना खाली समय अपनी जरूरतों को पूरा करने में लगाना चाहेंगे, लेकिन कोई जरूरी काम आ जाने के कारण आप ऐसा नहीं कर पाएंगे। मीन राशि- आज आपके मन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। परिवार का साथ मिलेगा। किसी राजनेता से भेंट हो सकती है। कारोबार में किसी मित्र का सहयोग मिल सकता है। आर्थिक लाभ बढ़ेगा। नौकरी पेशा करने वालों के लिए दिन अच्छा रहने वाला है।

एकादशी पर करें ये राशि वाले उपाय, हर समस्या होगी दूर

हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. सालभर में 24 एकादशी व्रत होते हैं. हर माह में 2 बार एकादशी व्रत होता है. मान्यता है कि एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. वहीं, भादो का यह माह बहुत ही पवित्र माना गया है. ऐसे में भादो मास की एकादशी का खास महत्व होता है. कुछ ही दिनों बाद 03 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी आने वाली है. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायक होती है. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज के अनुसार इस दिन किया गया राशि अनुसार उपाय से सालभर लक्ष्मी-नारायण की कृपा बनी रहेगी. राशि के अनुसार जरूर करें यह काम – मेष राशि के जातकों को परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए लाल रंग का फूल अर्पित करना चाहिए. – वृषभ राशि के जातकों को परिवर्तिनी एकादशी के दिन सफेद चीजों का दान करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन सफेद चीजों का दान करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. – मिथुन राशि के जातक को इस दिन हरे रंग के वस्त्र भगवान विष्णु को अर्पित करने चाहिए. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं. – कर्क राशि के जातकों को परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए खीर का भोग अर्पित करना चाहिए. मान्यता है कि खीर का भोग अर्पित करने से घर में खुशियां आती हैं. – सिंह राशि के जातक को परिवर्तिनी एकादशी के दिन पीले रंग का वस्त्र भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही पीले रंग का वस्त्र भी धारण करना चाहिए. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं. – कन्या राशि के जातक जो कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. उन्हें परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सफेद मिठाई के साथ केसर अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से घर में सालभर सुख-शांति बनी रहेगी. – तुला राशि वाले जातकों को इस दिन सफ़ेद चीजों का दान करना चाहिए. इससे वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है. साथ ही सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है. – वृश्चिक राशि के जातक नौकरी-व्यापार में तरक्की पाने के लिए इस दिन गुड़ का दान अवश्य करें. इससे नारायण की कृपा हमेशा बनी रहेगी. – धनु राशि के जातक परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए पीले वस्त्र और पीले चंदन का दान करें. साथ ही पीले फल का भी दान करें. इससे नौकरी मिलने के चांस बढ़ते हैं. – मकर राशि के जातक परिवर्तिनी एकादशी के दिन दही और इलायची का भोग अर्पित करें. इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. शादी के योग खुलते हैं. – कुंभ राशि के जातक परिवर्तिनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं. – मीन राशि के जातकों को परिवर्तिनी एकादशी के दिन गरीबों की सेवा करना चाहिए. साथ ही गरीबों को दान करना चाहिए. और भगवान को मिश्री का भोग लगाना चाहिए.

क्या मुख्य द्वार के पास खिड़की बनवाना सही है? जानिए वास्तु का मत

घर के निर्माण से लेकर इसके अंदर की हर एक चीज जैसे दरवाजा, खिड़की, कमरे की दिशा या उनका स्थान का वास्तु में बहुत खास महत्व है। घर का निर्माण केवल ईंटों और दीवारों से नहीं होता, बल्कि उसमें बहने वाली ऊर्जा और सकारात्मकता भी अहम भूमिका निभाती है। अक्सर घर बनवाते समय हम दरवाजे और खिड़कियों की जगह सजावट या रोशनी के हिसाब से तय करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मुख्य दरवाजे के पास खिड़की रखना वास्तु के अनुसार शुभ होता है या अशुभ? तो आइए जानते हैं कि घर में दरवाजे के साथ खिड़किया बनानी चाहिए या नहीं। वास्तु के अनुसार दरवाजे के पास खिड़की सही या गलत? वास्तु शास्त्र के अनुसार, दरवाजे के पास खिड़की रखना पूरी तरह गलत नहीं है, लेकिन इसकी दिशा और दूरी का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। अगर आप सही दिशा और जगह पर खिड़की बनाते हैं, तो यह घर में ताजगी, रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद करती है। सही दिशा क्या होनी चाहिए? पूर्व और उत्तर दिशा में दरवाजे के पास खिड़की बनाना शुभ माना जाता है। इससे सूरज की रोशनी आसानी से घर में आती है, जिससे ऊर्जा और स्वास्थ्य दोनों बेहतर रहते हैं। दक्षिण दिशा में खिड़की रखने से बचना चाहिए, खासकर अगर वह मुख्य दरवाजे के बहुत पास हो। इससे घर में गर्मी और नकारात्मक ऊर्जा का असर बढ़ सकता है। दक्षिण-पश्चिम में दरवाजे और खिड़कियों का निर्माण वास्तु दोष पैदा कर सकता है। इससे धन की हानि और मानसिक तनाव हो सकता है।

चंद्र ग्रहण 2025 : सूतक काल कब से कब तक, जानिए मान्यताएं और महत्व

7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा की रात पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। ये ग्रहण भारत में दिखाई देगा। 2025 में भारत में दिखाई देने वाले ये एक मात्र ग्रहण है। इसके बाद 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण होगा, जो कि भारत में नहीं दिखेगा। उज्जैन की जीवाजी वैधशाला के अधीक्षक राजेंद्र गुप्त के मुताबिक, चंद्र ग्रहण 7 और 8 सितंबर की दरमियानी रात होगा। इसकी शुरुआत 7 सितंबर की रात 9.56 बजे से होगी। ग्रहण का मध्य रात 11.41 बजे रहेगा। इस समय पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। इसके बाद 8 सितंबर की रात 1.26 बजे ग्रहण खत्म हो जाएगा। ये पूर्ण चंद्र ग्रहण एशिया, हिन्द महासागर, अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, आस्ट्रेलिया और यूरोप में भी दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण कैसे होता है? चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। चंद्र ग्रहण तब होता है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, तो ये चंद्रमा तक पहुंचने वाले सूर्य के प्रकाश को रोक देती है। इस स्थिति में, चंद्र पर पृथ्वी की छाया पड़ने लगती है। नतीजतन, हमें चंद्र या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से ढंका हुआ दिखाई देने लगता है। तीन प्रकार के होते हैं चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण: चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की गहरी छाया में आ जाता है और लालिमा लिए दिखता है, इसे ब्लड मून भी कहते हैं। आंशिक चंद्र ग्रहण: चंद्रमा का कुछ हिस्सा ही पृथ्वी की छाया में आता है। उपछाया चंद्र ग्रहण: चंद्रमा केवल पृथ्वी की हल्की छाया में आता है, जिससे ये थोड़ा-सा धुंधला दिखता है, यह परिवर्तन मुश्किल से नजर आता है। इस ग्रहण की धार्मिक मान्यता नहीं होती है। ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस बार चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12.56 बजे से शुरू होगा और ग्रहण खत्म होने के साथ ही खत्म होगा। सूतक के समय में भगवान की पूजा नहीं की जाती है, इसलिए मंदिरों के पट बंद रहते हैं। ग्रहण के सूतक के समय में मंत्रों का मानसिक जप करना चाहिए। मानसिक जप यानी मन ही मन मंत्रों का जप करें। मंत्र बोलना नहीं है। इस समय में दान-पुण्य करना चाहिए। गायों को हरी घास खिलाएं। चंद्र ग्रहण के बाद मंदिरों में सफाई होती है और फिर मंदिर के पट भक्तों के लिए खोले जाते हैं।​​​​​​

जीवन के 5 कड़वे सच: जिन्हें अपनाकर रहेंगे हमेशा खुश और बेफ़िक्र

हर इंसान अपनी लाइफ में खुश रहना चाहता है, लेकिन फिर भी कई बार दुख, परेशानी और तनाव हमें घेर ही लेते हैं। दरअसल, ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि हम जीवन के कुछ बेहद सरल लेकिन गहरे सच को नजरअंदाज कर देते हैं। जो व्यक्ति इन बातों को समझ लेता है, वो छोटी-छोटी बातों में उलझता नहीं और हर हाल में खुश रहना सीख जाता है। जबकि जो इंसान इन सच्चाइयों को नजरअंदाज करके बेवजह की उम्मीद लगाए बैठा रहता है, उसे दुख और परेशानी के सिवा कुछ नहीं मिलता है। यकीन मानिए खुश रहना इतना भी मुश्किल नहीं है। बस जरूरत है तो कुछ चीजों को जानने की और उन्हें एक्सेप्ट करने की। आइए जानते हैं जीवन से जुड़े इसी सच को। हर चीज पर हमारा कंट्रोल नहीं हो सकता हम अक्सर सोचते हैं कि सब कुछ हमारे हिसाब से हो, हर परिस्थिति वैसी बने जैसी हम चाहें। लेकिन सच्चाई तो यही है कि जीवन में बहुत सी चीजें हमारे हाथ में नहीं होतीं, जैसे-पूरी मेहनत के बाद भी फल ना मिलना, किसी दूसरे का आपके साथ बुरा व्यवहार करना या अचानक कोई मुश्किल खड़ी हो जाना। जब हम ये मान लेते हैं कि हर चीज को नियंत्रित करना नामुमकिन है, तो मन को शांति मिलने लगती है। नियंत्रण की जरूरत कम हो जाती है और हम चीजों को स्वीकार करना सीख जाते हैं। यही बात हमारी चिंता को घटाकर खुश रहने की राह खोलती है। परिवर्तन संसार का नियम है कहने को तो ये बात बेहद छोटी है, लेकिन इसमें एक गहरी सच्चाई छुपी हुई है। लोग ये बात सुन तो लेते हैं लेकिन मानने को तैयार नहीं होते कि समय के साथ चीजें बदल जाती हैं। अच्छे दिन आते हैं और चले भी जाते हैं, वैसे ही बुरे वक्त भी हमेशा के लिए नहीं होते। अगर हम इन बातों को समझ लें कि हर चीज बदलने वाली है, तो हम दुख के समय टूटते नहीं और सुख के समय घमंड नहीं करते। परिवर्तन को जीवन का हिस्सा मानना हमें संतुलित बनाए रखता है और लाइफ के इस बैलेंस में ही सच्चा सुख छिपा हुआ है। तुलना करना दुख की सबसे बड़ी जड़ है इंसान के दुख की सबसे बड़ी वजह है कि वह दूसरों से अपनी तुलना करता है। किसी और की जिंदगी को देखकर, खुद को कम आंकने लगता है। आजकल सोशल मीडिया के दौर में तो ये चीजें और भी बढ़ गई हैं। अगर सुखी जीवन जीना है तो दूसरों से तुलना करना बंद करना होगा। हर इंसान को यह समझना चाहिए कि हर इंसान की जिंदगी का सफर अलग-अलग होता है। जब दो लोगों के चेहरे एक से नहीं होते तो भला दो इंसानों की जिंदगी एक जैसी कैसे हो सकती है। बस ये छोटी सी बात जो समझ जाता है, उसका जीवन बहुत आसान और सुलझा हुआ हो जाता है। सब कुछ हमेशा परफेक्ट नहीं होता जीवन में सब कुछ ठीक हो, हर काम बिना रुकावट के पूरा हो, ऐसी उम्मीद करना भी दुख का एक कारण है। असल जिंदगी में अधूरे काम, अधूरे सपने और उलझने हमेशा रहेंगी। कई बार परफेक्शन का पीछा करना ही दुख का कारण बन जाता है। जब हम लाइफ की इसी अनसर्टेनिटी को अपनाते हैं, तो हम प्रेजेंट में जीना सीखते हैं और यही प्रेजेंट हमें खुश रहने का रास्ता दिखाता है। हर नया दिन ईश्वर का दिया हुआ एक तोहफा है हम अक्सर भविष्य की चिंता में या बीते कल के पछतावे में खो जाते हैं, जो हमारे दुख का एक बड़ा कारण बन जाता है। लेकिन हर किसी को समझना चाहिए कि हर नया दिन, जीवन की नई शुरुआत है। ईश्वर हमें एक नया दिन जीने का मौका दे रहे हैं, इसके लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहिए और उसे भगवान का एक खूबसूरत तोहफा समझकर नई एनर्जी के साथ जीना चाहिए। जो इंसान हर नए दिन को नई शुरुआत मानकर जीना शुरु कर देता है, उसके जीवन के दुख खुद ब खुद कम हो जाते हैं।  

रसोई में मां अन्नपूर्णा की कृपा पाने का आसान उपाय: इन रंगों की तस्वीरें करें स्थापित

किचन यानी रसोई घर वह जगह है जहां परिवार के लिए भोजन बनाया जाता है और घर की खुशहाली बनी रहती है। हमारे भारतीय धर्म और परंपरा में मां अन्नपूर्णा को भोजन और अन्न की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से घर में अन्न का भंडार कभी खाली नहीं होता और सदैव परिवार में समृद्धि बनी रहती है। वास्तु के अनुसार, कुछ खास रंगों की तस्वीरें किचन की ऊर्जा को सकारात्मक बनाती हैं और मां अन्नपूर्णा की कृपा को बढ़ावा देती हैं। तो आइए जानते हैं कि मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किचन में कौन से रंग की तस्वीरें लगानी चाहिए। लाल रंग की तस्वीर लाल रंग शक्ति, उत्साह और समृद्धि का प्रतीक है। किचन में लाल रंग की मां अन्नपूर्णा की तस्वीर लगाना शुभ होता है क्योंकि यह परिवार में ऊर्जा और खुशहाली लाता है। पीला रंग की तस्वीर पीला रंग ज्ञान, स्पष्टता और सकारात्मकता से जुड़ा होता है। मां अन्नपूर्णा की पीली तस्वीर से किचन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और भोजन में स्वाद भी बढ़ता है। सफेद रंग की तस्वीर सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है। सफेद रंग की मां अन्नपूर्णा की तस्वीर से घर में शांति और संतुलन बना रहता है।

कब है वामन जयंती? जानें पूजा का समय और विधि

वामन जयंती का पर्व भगवान विष्णु के पांचवें स्वरूप के लिए मनाया जाता है. हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी या वामन जयंती के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के वामन रूप के अवतार का जन्म हुआ था और यह शुभ दिन श्रवण नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त में मनाया जाता है. इस बार वामन जयंती 4 सितंबर को मनाई जाएगी.  वामन जयंती 2025 शुभ मुहूर्त  वामन जयंती की द्वादशी तिथि 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 5 सितंबर को सुबह 4 बजकर 8 मिनट पर होगा. क्योंकि यह त्योहार श्रवण नक्षत्र में तो इस दिन यह नक्षत्र 4 सितंबर, रात 11 बजकर 44 मिनट से लेकर 5 सितंबर रात 11 बजकर 38 मिनट पर समापन होगा.  वामन जयंती 2025 पूजन विधि  इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान वामन की पूजा-आराधना करना शुभ माना जाता है. पूजा के बाद चावल, दही जैसे फल और वस्तुओं का दान करना भी बहुत लाभकारी होता है. शाम को व्रती लोग भगवान की पूजा करते हैं, व्रत कथा सुनते हैं और पूरे परिवार में प्रसाद बांटते हैं. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं. जो लोग व्रत रखते हैं उन्हें वामन भगवान की स्वर्ण प्रतिमा बनवाकर पंचोपचार पूजा करनी चाहिए. पूजा की शुरुआत पूर्व दिशा की ओर हरे कपड़े पर वामन देव की मूर्ति या तस्वीर लगाकर की जाती है. वामन जयंती 2025 राशिनुसार करें ये उपाय  मेष– मेष राशि के लोग इस दिन 'तप रूपाय विद्महे..' मंत्र का जाप करें. वृषभ- वृष राशि के लोग मिश्री का भोग लगाएं.  मिथुन– मिथुन राशि के लिए घी का दीप जलाएं. कर्क– कर्क राशि वाले चावल-दही और चांदी का दान करें.  सिंह- सिंह राशि वाले चंदन से पूजा करें.  कन्या– कन्या राशि के लिए तुलसी पत्र और रक्त चंदन जरूरी है.  तुला- तुला राशि के लोग खीर चढ़ाएं.  वृश्चिक– वृश्चिक राशि वाले  'तप रूपाय विद्महे..' मंत्र का जाप करें.  धनु– धनु राशि वाले फलाहार खाएं. मकर– मकर राशि वालों को कांसे के दीपक से पूजा करनी चाहिए.  कुंभ– कुंभ राशि वालों को भी घी का दीपक जलाना उचित है. मीन- मीन राशि वाले दान-धर्म का कार्य करें.