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CG में प्राचार्य पदोन्नति पर हाईकोर्ट से बड़ी राहत: डिवीजन बेंच ने हटाया स्टे, याचिकाएं खारिज, 3500 स्कूलों में अब जल्द होगी नियुक्ति

बिलासपुर  छत्तीसगढ़ में प्राचार्यों की बहुप्रतीक्षित पदोन्नति का रास्ता अब पूरी तरह से साफ हो गया है। राज्य सरकार द्वारा जारी प्रमोशन सूची पर लगी हाईकोर्ट की रोक को डिवीजन बेंच ने हटा दिया है। साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार की प्रमोशन नीति को वैध ठहराते हुए याचिकाकर्ताओं की तमाम आपत्तियों को खारिज कर दिया है। यह अहम फैसला मंगलवार को जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने सुनाया। इससे पहले 15 दिन पहले कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट में उठे थे बीएड और वरिष्ठता के मुद्दे प्राचार्य पदोन्नति फोरम सहित कई याचिकाकर्ताओं ने बीएड डिग्री की अनिवार्यता और वरिष्ठता को लेकर आपत्ति जताई थी। कोर्ट में दलील दी गई कि कई शिक्षकों को पहले ही नियमों के विरुद्ध प्रमोशन देकर पदस्थ किया गया था, जो न्यायालय की अवमानना है। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने पहले जारी की गई सभी ज्वॉइनिंग को अमान्य कर दिया था और स्थगन आदेश जारी किया था। हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थी दरअसल, प्राचार्य पदोन्नति फोरम के साथ ही प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थी। इसमें बताया गया है कि, पहले कोर्ट के आदेश के बावजूद कई शिक्षकों को प्राचार्य पद पर प्रमोशन देकर ज्वॉइन करा दिया गया है। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि, यह न्यायालय की अवमानना का मामला है। शुरुआती सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आगामी आदेश तक की गई सभी ज्वॉइनिंग को अमान्य कर दिया था। बीएड की अनिवार्यता को दी थी चुनौती इस मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में बीते 11 जून से 16 जून तक लगातार हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने अपनी बहस पूरी करते हुए बीएड डिग्री को प्राचार्य पद के लिए अनिवार्य बताया। इसके अलावा, उन्होंने माध्यमिक स्कूलों के प्रधान पाठकों से लेक्चरर बने शिक्षकों की वरिष्ठता का मुद्दा भी उठाया। शासन ने कहा- नियमों के अनुसार दी पदोन्नति हाईकोर्ट में चल रही याचिकाओं में एक मामला साल 2019 से जुड़ा हुआ है, जबकि अन्य याचिकाएं 2025 में बीएड और डीएलएड योग्यता से संबंधित हैं। इस दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रमोशन नियम को लेकर सभी कैटेगरी के शिक्षकों के हितों का ध्यान रखा गया है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं की गई है। स्टे हटने के बाद तत्काल पोस्टिंग दे राज्य सरकार इधर, शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने कहा कि व्याख्याता संवर्ग के शिक्षकों को अपने हक के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी, जिस पर 1 मई को हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी कर दिया। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के साथ ही शिक्षक संघ और शासन ने पक्ष रखा। संजय शर्मा ने कहा कि अब हाईकोर्ट का फैसला आ गया है। जिसमें स्थगन आदेश को हटाकर सभी याचिकाएं खारिज की गई है। ऐसे में अब जारी प्रमोशन सूची के आधार पर राज्य सरकार तत्काल प्राचार्यों की पोस्टिंग आदेश जारी करे। ताकि, शिक्षा सत्र शुरू होते ही प्रदेश के 3500 स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति हो सके।

शराब घोटाले में पूर्व मंत्री लखमा के खिलाफ कोर्ट में 1200 पन्नों का चालान पेश, जानें चार्जशीट में क्या है?

रायपुर  छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया है, जिसमें उनकी अहम भूमिका का उल्लेख है. यह मामला 2000 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले से जुड़ा है.  कांग्रेस नेता लखमा करीब 5 महीने से रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. चलन 1200 पन्नो समेत 66 पन्नो की समरी का है. इसे ACB/EOW की विशेष अदालत में पेश किया गया. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में हुए 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की ईडी जांच कर रही है. छत्तीसगढ़ शराब घोटाला साल 2019 से 2022 के बीच हुआ था. इस समय कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार सत्ता में थी. उस समय कवासी लखमा राज्य के आबकारी मंत्री थे. आरोपों के मुताबिक, कवासी लखमा को 36 महीनों में अवैध सिंडिकेट के माध्यम से 72 करोड़ रुपये मिले थे. यह मामला छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार से जुड़ा हुआ है और ईडी इसकी जांच कर रही है. लखमा को इसी वर्ष 15 जनवरी को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. इससे पहले 28 दिसंबर 2024 को ईडी ने लखमा और उनके करीबियों के घरों पर छापेमारी की थी. 3 जनवरी और 9 जनवरी को भी कांग्रेस नेता लखमा से पूछताछ की गई थी. इसके बाद 15 जनवरी को पूछताछ के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. लखमा तभी से जेल में है. जांच में सामने आया है कि शराब की अवैध कमाई से लखमा को 64 करोड़ मिले। पूर्व मंत्री ने बेटे के लिए 1.4 और खुद के लिए 2.24 करोड़ में मकान बनाया। बहू-बेटियों समेत कई कारोबारियों के नाम 18 करोड़ का निवेश किया। चालान के अनुसार कवासी लखमा ने साल 2019-2023 के दौरान आबकारी मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया। घोटाले से 64 करोड़ की अवैध कमाई कवासी लखमा के हिस्से में आई है। इसमें से 18 करोड़ रुपए की राशि से संबंधित निवेश और खर्च के दस्तावेजी साक्ष्य भी जांच एजेंसी को मिले हैं। गौरतलब है कि शराब घोटाला मामले में अब तक कुल चार चार्जशीट (एक मूल और तीन पूरक चालान) स्पेशल कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं। इस मामले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आबकारी नीति-2017 को ही बदल दिया शराब घोटाले की पड़ताल के दौरान ये भी खुलासा हुआ कि तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने भ्रष्टाचार के लिए सबसे पहले 2019 में आबकारी नीति-2017 को ही बदल दिया। इससे उन्हें सीधा लाभ मिला। उन्होंने आईएएस अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर के साथ मिलकर सिंडीकेट बनाया। इस सिंडीकेट को चलाने के लिए इंडियन टेलीकॉम सर्विस के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी को प्रतिनियुक्ति पर आबकारी में लाए। उसके बाद अपने मंसूबे अंजाम दिए। सिंडीकेट ने 4 साल में 2161 करोड़ रुपए का घोटाला किया है। पुरैना में 2.24 करोड़ रुपए का बंगला इसमें लखमा को कमीशन के तौर पर 64 करोड़ रुपए कैश मिले। लखमा ने भ्रष्टाचार से मिले 1.4 करोड़ रुपए से बेटे हरीश के लिए सुकमा में आलीशान मकान बनाया। खुद के लिए पुरैना में 2.24 करोड़ रुपए का बंगला बनाया। जगदलपुर में 4.1 करोड़ रुपए में सीमेंट फैक्ट्री को लीज पर लिया। शराब घोटाला मामले में ये गिरफ्तार 2024 में आईटीएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह, कारोबारी अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, दीपक दुआरी, दिलीप पांडेय, रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा, सुनील दत्त। 2025 में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा और कारोबारी विजय भाटिया को गिरफ्तार किया गया है। प्रति पेटी ऐसे कमीशन     अनिल टुटेजा- 150 रुपए     अनवर ढेबर- 150 रुपए     विकास अग्रवाल-75 रुपए     बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह- 75 रुपए     हर जिले के आबकारी अधिकारी- 150 रुपए     सीएसएमसीएल- 150 रुपए जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। A, B और C कैटेगरी में बांटकर किया गया घोटाला A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन 2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपए और बाद के सालों में 100 रुपए कमीशन लिया जाता था। कमीशन को देने में डिस्टलरी संचालकों को नुकसान ना हो, इसलिए नए टेंडर में शराब की कीमतों को बढ़ाया गया। साथ ही फर्म में सामान खरीदी करने के लिए ओवर बिलिंग करने की राहत दी गई। B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को तैयार किया गया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई। खाली बोतल पहुंचाने के अलावा अरविंद सिंह और अमित सिंह को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली। सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी।

जगदलपुर : प्राकृतिक आपदा पीड़ित 04 परिवारों को 16 लाख रूपए की आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत

जगदलपुर कलेक्टर श्री हरिस एस. द्वारा राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत् प्राकृतिक आपदा पीड़ित 04 परिवारों को 16 लाख रूपए की आर्थिक सहायता राशि प्रदान करने की स्वीकृति दी गई है। जिसके तहत् तहसील जगदलपुर ग्राम धनपुंजी निवासी अभिषेक की मृत्यु पानी में डूबने से माता श्री कंचन को, तहसील लोहण्डीगुड़ा ग्राम नेंगानार निवासी रमेश की मृत्यु बिजली गिरने से माता श्रीमती सोमड़ी भास्कर को, ग्राम आंजर निवासी मंगती की मृत्यु पानी में डूबने से पति भास्तेर को और तहसील बकावण्ड ग्राम मालगांव निवासी रत्ना नाग की मृत्यु बिजली गिरने से पति श्री थबीर नाग प्रत्येक को चार-चार लाख रूपए की सहायता राशि प्रदान करने की स्वीकृति दी गई है। उक्त स्वीकृत सहायता राशि संबंधित हितग्राहियों के बैंक खाते में सीधे अंतरित किए जाने के निर्देश संबंधित तहसीलदारों को दिए गए हैं।

रायपुर : प्रदेश में अब तक 158.6 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज

रायपुर छत्तीसगढ़ में 1 जून से अब तक 158.6 मि.मी. औसत वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा स्थापित राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब तक बलरामपुर जिले में सर्वाधिक 338.0 मि.मी. वर्षा रिकार्ड की गई है। बेमेतरा जिले में सबसे कम 68.5 मि.मी. वर्षा दर्ज हुई है। राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार सरगुजा में 144.6 मि.मी., सूरजपुर में 199.0 मि.मी., जशपुर में 301.0 मि.मी., कोरिया में 223.1 मि.मी. और मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में 144.3 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। रायपुर जिले में 124.9 मि.मी., बलौदाबाजार में 159.3 मि.मी., गरियाबंद में 153.9 मि.मी., महासमुंद में 130.0 मि.मी. और धमतरी में 131.9 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। बिलासपुर में 90.0 मि.मी., मुंगेली में 109.7 मि.मी., रायगढ़ में 204.5 मि.मी., सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 121.6 मि.मी., जांजगीर-चांपा में 168.5 मि.मी., सक्ती में 102.5 मि.मी. कोरबा में 144.4 मि.मी. और गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 138.5 मि.मी. औसत वर्षा रिकार्ड हुई है। दुर्ग जिले में 105.5 मि.मी., कबीरधाम में 77.8 मि.मी., राजनांदगांव में 75.8 मि.मी., मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में 201.3 मि.मी., खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में 96.7 मि.मी., बालोद में 141.8 मि.मी. और बस्तर जिले में 232.5 मि.मी. औसत वर्षा रिकार्ड हुई है। कोंडागांव में 152.9 मि.मी., कांकेर में 198.1 मि.मी., नारायणपुर में 147.9 मि.मी., दंतेवाड़ा में 214.8 मि.मी., सुकमा में 106.6 मि.मी. और बीजापुर में 283.5 मि.मी. औसत वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है।

रायपुर : राज्यपाल डेका से आदिम जाति विभाग के प्रमुख सचिव श्री बोरा ने की सौजन्य भेंट

रायपुर राज्यपाल श्री रमेन डेका से आज राजभवन में आदिम जाति, अनुसूचित जाति विकास विभाग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने सौजन्य भेंट की। उन्होंनें विभाग की गतिविधियों से राज्यपाल को अवगत कराया।