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अमरनाथ यात्रा में आस्था का सैलाब, अब तक 90 हजार से अधिक श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन

श्रीनगर पिछले पांच दिनों से अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से जारी है और हर दिन तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को 7,541 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था कश्मीर के लिए रवाना हुआ। 03 जुलाई से शुरू हुई यात्रा में अब तक 90 हजार से ज्यादा लोग शामिल हो चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से 7,541 यात्रियों का जत्था दो सुरक्षित काफिलों में घाटी के लिए रवाना हुआ। पहला काफिला, जिसमें 148 वाहन थे और 3,321 यात्री थे, सुबह 2:55 बजे बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुआ। वहीं, दूसरा काफिला, जिसमें 161 वाहन और 4,220 यात्री थे, सुबह 4:03 बजे नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप के लिए रवाना हुआ। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने बताया कि भगवती नगर यात्री निवास से घाटी पहुंचने वाले यात्रियों के अलावा, कई श्रद्धालु सीधे ट्रांजिट कैंपों और दो बेस कैंपों पर पहुंचकर तुरंत पंजीकरण करवाकर अमरनाथ यात्रा में शामिल हो रहे हैं। इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। यह यात्रा पहलगाम हमले के बाद हो रही है, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी। 180 अतिरिक्त सीएपीएफ कंपनियों को सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूदा ताकत बढ़ाने के लिए लाया गया है। जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से गुफा मंदिर तक के पूरे रास्ते और दोनों आधार शिविरों के रास्ते में सभी पारगमन शिविरों को सुरक्षा बलों ने सुरक्षित कर लिया है। सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूदा ताकत को बढ़ाने के लिए सीएपीएफ की 180 अतिरिक्त कंपनियां लाई गई हैं। पूरे मार्ग को सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षित कर लिया गया है। हर साल की तरह इस साल भी स्थानीय लोगों ने अमरनाथ यात्रा में पूरा सहयोग दिया है। पहलगाम आतंकी हमले से कश्मीरियों के आहत होने का संदेश देने के लिए, स्थानीय लोग पहले जत्थे के यात्रियों का स्वागत करने सबसे पहले पहुंचे। जैसे ही यात्री नौगाम सुरंग पार कर काजीगुंड से कश्मीर घाटी में पहुंचे, स्थानीय लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। बता दें कि अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई है और 38 दिनों के बाद 9 अगस्त को समाप्त होगी। श्री अमरनाथ जी यात्रा भक्तों के लिए सबसे पवित्र धार्मिक तीर्थयात्राओं में से एक है, क्योंकि किंवदंती है कि भगवान शिव ने इस गुफा के अंदर माता पार्वती को शाश्वत जीवन और अमरता के रहस्य बताए थे।  

रेलवे ट्रैक पार कर रही स्कूल वैन को ट्रेन ने मारी टक्कर, तीन बच्चों की मौत, 10 के गंभीर रूप से घायल

चेन्नई तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में चेम्मन कुप्पम के पास मंगलवार सुबह एक दुखद दुर्घटना हुई, जब एक ट्रेन ने रेलवे क्रॉसिंग पर एक स्कूल वैन को टक्कर मार दी। शुरुआती रिपोर्ट में तीन बच्चों की मौत और स्कूल वैन चालक समेत 10 के गंभीर रूप से घायल होने की पुष्टि हुई है। यह घटना उस समय हुई जब स्कूल वैन चेम्मन कुप्पम के पास रेलवे ट्रैक पार करने की कोशिश कर रही थी। चिदंबरम जाने वाली एक यात्री ट्रेन वैन से टकरा गई, जो लगभग 50 मीटर तक उसे घसीटते हुए ले गई। टक्कर के कारण वैन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और तीन बच्चों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस दुर्घटना में मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है, क्योंकि कुछ और छात्रों की हालत गंभीर बताई जा रही है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि दुर्घटना के समय वैन में स्कूली बच्चे और चालक सवार थे। गंभीर रूप से घायल चालक और बच्चों को इलाज के लिए कुड्डालोर सरकारी अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सा अधिकारी उनकी स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं। हादसे के बाद सबसे पहले स्थानीय लोग ही मौके पर पहुंचे और बच्चों को बचाने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस को भी सूचना दी गई। स्थानीय निवासियों और रेलवे अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह हादसा स्कूल वैन चालक की कथित लापरवाही के कारण हुआ बताया जा रहा है। हालांकि 3 बच्चों की मौत के बाद उनके अभिभावकों और स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। उन्होंने स्कूल क्षेत्रों के पास रेलवे क्रॉसिंग पर कड़े सुरक्षा उपायों की मांग की। फिलहाल रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) और जिला प्रशासन की टीम ने इस घटना की औपचारिक जांच शुरू कर दी है, ताकि दुर्घटना के सही कारणों का पता लगाया जा सके और जिम्मेदारी तय की जा सके। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच के निष्कर्षों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।  

पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा पर उठे सवाल, नड्डा बोले– सरकार बेपरवाह

नई दिल्ली/कोलकाता  पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित लॉ कॉलेज में छात्रा से हुए गैंगरेप मामले पर भारतीय जनता पार्टी की जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। भाजपा की कमेटी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को रिपोर्ट सौंपी है। इसमें पश्चिम बंगाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। भाजपा की 'फैक्ट फाइंडिंग टीम' के सदस्यों ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। उन्होंने बंगाल की स्थिति को लेकर जेपी नड्डा को जानकारी दी। जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "कोलकाता में लॉ छात्रा के साथ हुए जघन्य अपराध की जांच के लिए गठित भाजपा फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट मिली है। यह रिपोर्ट पश्चिम बंगाल में अराजकता की चरम स्थिति और महिला सुरक्षा के प्रति राज्य सरकार की चिंताजनक असंवेदनशीलता को उजागर करती है। संदेशखाली से लेकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अब यह कोलकाता लॉ कॉलेज, पैटर्न वही है, चुप्पी, निष्क्रियता और आरोपियों को संरक्षण।" भाजपा ने कोलकाता गैंगरेप केस को लेकर 4 सदस्यीय 'फैक्ट फाइंडिंग टीम' का गठन किया था, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल सिंह, मीनाक्षी लेखी, सांसद बिप्लब कुमार देब और मनन कुमार मिश्रा शामिल थे। कोलकाता के लॉ कॉलेज में 25 जून को तीन युवकों ने कथित तौर पर छात्रा के साथ गैंगरेप किया था। इन आरोपियों में मोनोजीत मिश्रा इसी कॉलेज का पूर्व छात्र है, जबकि अन्य दो आरोपी जैब अहमद और प्रमित यहां पढ़ाई कर रहे थे। मोनोजीत मिश्रा टीएमसी की छात्र इकाई का सदस्य भी बताया जाता है। छात्रा की तरफ से शिकायत के बाद मामला सामने आया, जिसमें अगले दिन मोनोजीत मिश्रा, जैब अहमद और प्रमित को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले में सिक्योरिटी गार्ड की भी गिरफ्तारी हुई है, जिसने कथित तौर पर पीड़ित छात्रा की मदद से इनकार किया था। इस वारदात के बाद से भाजपा लगातार पश्चिम बंगाल सरकार पर हमलावर है। राज्य में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी का कहना है, "यह जघन्य अपराध टीएमसी शासन के तहत बंगाल की आत्मा पर एक और धब्बा है, जहां महिलाओं की सुरक्षा से बार-बार समझौता किया जाता है।"

‘पटक-पटकर मारूंगा’ बयान से फडणवीस ने दी चेतावनी, सीएम महाराष्ट्र ने क्या कहा?

मुंबई महाराष्ट्र में मराठी-हिंदी विवाद बढ़ता जा रहा है। इस बीच देवेंद्र फडणवीस ने निशिकांत दुबे के ‘पटक-पटककर मारूंगा’ का जवाब दिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने दुबे के इस बयान को गलत बताया है। फडणवीस ने कहाकि उन्होंने जो कहा वह ठीक नहीं है। हालांकि उन्होंने सफाई भी दी है और कहाकि गोड्डा के सांसद ने जो कहाकि वह एक संगठन के लिए था, न कि मराठियों के लिए। इससे लोगों के मन में भ्रम पैदा होता है। देवेंद्र फडणवीस से निशिकांत दुबे को लेकर सवाल पूछा गया था। इस पर फडणवीस ने कहाकि उन्होंने जो कहा था कि वह मराठी लोगों ने नहीं, बल्कि किसी संगठन के लिए थ। हालांकि उन्होंने जो कहा वह ठीक नहीं है। मराठी लोगों का का योगदान अतुलनीय है। यहां तक जब विदेशी हमले हुए तब भी मराठियों ने खुद को आजाद रखा। दुबे ने दिया था विवादास्पद बयान गौरतलब है कि भाजपा निशिकांत दुबे ने पिछले दिनों एक विवादास्पद बयान दिया था। इसमें उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे को चुनौती दी थी। मनसे के कार्यकर्ताओं ने मराठी न बोलने पर एक दुकानदार को थप्पड़ मारे थे। इसके बाद एक रैली में मनसे चीफ ने कहा था कि जो मराठी बोलने से मना करे उसे थप्पड़ मारो, लेकिन उसका वीडियो मत बनाओ। गौरतलब है कि भाजपा निशिकांत दुबे ने पिछले दिनों एक विवादास्पद बयान दिया था। इसमें उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे को चुनौती दी थी। मनसे के कार्यकर्ताओं ने मराठी न बोलने पर एक दुकानदार को थप्पड़ मारे थे। इसके बाद एक रैली में मनसे चीफ ने कहा था कि जो मराठी बोलने से मना करे उसे थप्पड़ मारो, लेकिन उसका वीडियो मत बनाओ। इसके जवाब में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का बयान आया था। इसमें उन्होंने कहा था कि अगर तुम्हारे पास हिंदीभाषियों को पीटने की हिम्मत है तो उर्दू, तमिल और तेलुगू बोलने वालों को भी पीटो। आगे उन्होंने कहा था कि बिहार, यूपी आओ, तुम्हें पटक-पटककर मारेंगे।  

पाकिस्तानी क्रिकेटर मुश्ताक की भारत वापसी की ख्वाहिश, बोले – जन्मस्थान को फिर से देखना है

जूनागढ़ गुजरात के जूनागढ़ का एक बच्चा। 6 साल की उम्र में पाकिस्तान चला गया। वहां बड़ा क्रिकेटर बना। कप्तान भी रहा। ब्रिटेन में रह रहे मुश्ताक मोहम्मद की अपने जन्मस्थान जूनागढ़ को देखने की हसरत अब भी अधूरी है। एजबेस्टन टेस्ट में वह स्टेडियम में अपनी टाई पर भारत का तिरंगा लगाकर पहुंचे थे। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान मुश्ताक मोहम्मद भारत और इंग्लैंड के बीच एजबेस्टन टेस्ट के चौथे दिन ऐसी टाई पहनकर आए, जिस पर भारतीय ध्वज बना हुआ था। उस देश का तिरंगा लगा हुआ था जिसे उन्होंने छह साल की उम्र में छोड़ दिया था और उनकी दिली इच्छा एक बार फिर से भारत आने की है।   इस 81 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था। वह अभी बर्मिंघम में रहते हैं और वहां रहकर खुश हैं लेकिन एक बार फिर से उस स्थान पर जाना चाहते हैं जहां उनका जन्म हुआ था। मुश्ताक जब क्रिकेट खेला करते थे तब दो बार भारत आए थे। वह पहली बार 1961 में टेस्ट श्रृंखला खेलने के लिए और फिर 1978 में अहमदाबाद में दिलीप सरदेसाई लाभार्थ मैच के लिए भारत आए थे। दोनों ही मौकों पर वह जूनागढ़ जाना चाहते थे, जो एक पूर्व रियासत थी, जहां से वह छह साल की उम्र में कराची चले गए थे। हालांकि अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण वह जूनागढ़ नहीं जा सके थे और दशकों बाद भी यह उनकी अधूरी इच्छा बनी हुई है। वह अब बर्मिंघम में बस गए हैं, लेकिन पाकिस्तानी होने के कारण उनके लिए भारतीय वीजा प्राप्त करना जटिल है और कुछ वर्ष पहले यहां भारतीय उच्चायोग के चक्कर लगाते हुुए उन्हें इसका अनुभव हुआ। वह अपने पुराने मित्र बिशन सिंह बेदी की बेटी की शादी में शामिल होना चाहते थे लेकिन उन्हें समय पर वीजा नहीं मिला। मुश्ताक ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं उस जगह जाना पसंद करूंगा जहां मैं पैदा हुआ। जूनागढ़ जाने के सबसे करीब मैं तब गया था जब मैंने अहमदाबाद में दिलीप सरदेसाई के लिए मैच खेला था। मैं जूनागढ़ के लिए ट्रेन ले सकता था, लेकिन कार्यक्रम बहुत व्यस्त था।’’ पंद्रह साल की उम्र में पदार्पण करने के बाद पाकिस्तान के लिए 57 टेस्ट मैच खेलने वाले पूर्व ऑलराउंडर ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से उसके बाद मैं कभी भारत नहीं जा पाया।’’ मुश्ताक ने भाषा के माध्यम से गुजरात से जुड़ाव बनाए रखा है। वह गुजराती भाषा को अच्छी तरह समझते हैं लेकिन वह उसे बोल या पढ़ नहीं सकते। मुश्ताक अपने अच्छे मित्र बिशन सिंह बेदी के बारे में बात करते हुए भावुक हो गए, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। पाकिस्तान के पूर्व ऑलराउंडर ने आज तक बेदी को श्रेय दिया है कि उन्होंने उन्हें लेग स्पिनर बनाया, जब कोई और उनकी गेंदबाजी को गंभीरता से नहीं लेता था। मुश्ताक ने टेस्ट मैचों में 79 विकेट लिए और 3543 रन बनाए। उन्होंने कहा, ‘‘बिशन मजाकिया इंसान थे। उन्हें क्रिकेट से प्यार था। हमने नॉर्थम्पटनशर में छह साल तक साथ खेले। हमारे परिवारों में एक-दूसरे के लिए बहुत प्यार था। मैं हाल ही में लंदन में बेदी परिवार से मिला। ज़हीर अब्बास भी वहां थे। मैं उनके साथ बिताए गए दिनों को नहीं भूल सकता। उन्हें खोना बहुत दुखद है, बस यादें रह जाती हैं।’’ मुश्ताक अन्य भारतीय क्रिकेटरों के भी अच्छे मित्र थे, जिनमें सुनील गावस्कर (जिनसे उनकी मुलाकात एजबेस्टन टेस्ट के दौरान हुई थी) और कपिल देव शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘गावस्कर मेरे समय के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज थे। उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ कई शतक बनाए और वह भी बिना हेलमेट के। यह अविश्वसनीय था।" मुश्ताक ने इसके साथ ही कहा कि वर्तमान समय में प्रत्येक देश भारत से खेलना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय क्रिकेट शीर्ष पर है। हर कोई स्पष्ट कारणों (वित्तीय) के चलते भारत के साथ खेलना चाहता है। एक बात जो मेरे दिल के करीब है, वह है भारत का पाकिस्तान के साथ उनके देशों में खेलना।’’ मुश्ताक ने कहा, ‘‘यह सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता है। वे एक दूसरे के खिलाफ नहीं खेलते और दुख की बात है कि इसका क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं है।" मुश्ताक मौजूदा भारतीय खिलाड़ियों में ऋषभ पंत, शुभमन गिल और विराट कोहली के बड़े प्रशंसक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ऋषभ पंत भारत के शाहिद अफरीदी हैं, बल्कि जब उनके हाथ में बल्ला होता है तो वह अफरीदी से भी बेहतर होते हैं। हम आईपीएल भी बड़े चाव से देखते हैं।‘‘ मुश्ताक ने कहा, ‘‘कोहली अभी और दो साल खेल सकते थे। उन्हें टेस्ट टीम के साथ बने रहना चाहिए था। पता नहीं उन्होंने क्यों संन्यास लिया।’’  

मुंबई की सड़कों पर मराठी को लेकर हंगामा, भीड़ के गुस्से से मंत्री को बचना पड़ा

मुंबई राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में मराठी विरोध के नाम पर नई जान आ गई है। सालों से कमजोर पड़ा यह संगठन मराठी के नाम पर खुद को मजबूत करने में जुटा है और इसी बहाने उसने मंगलवार को मीरा रोड पर अपनी ताकत दिखाई। मनसे के ऐलान पर उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के कार्य़कर्ता भी सड़कों पर उतरे। इसके अलावा कई और मराठी संगठनों ने भी इसका समर्थन किया। इसके कारण बड़ी संख्या में लोग जुटे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सुबह से ही मीरा भायंदर में पुलिस का सख्त पहरा था और मनसे के कार्य़कर्ताओं को पकड़ कर हिरासत में लिया जा रहा था। इससे गुस्सा और भड़क गया। पुलिस-प्रशासन की ओर से तमाम बंदिशों के बाद भी हजारों लोग मराठी अस्मिता के नाम पर सड़कों पर उतरे। इन लोगों का कहना था कि आखिर जब प्रवासी व्यापारियों को प्रदर्शन करने की अनुमति दी जा सकती है तो फिर हमें मौका क्यों नहीं। यह पूरा मामला उस घटना के बाद से शुरू हुआ, जिसमें मनसे एक नेता अविनाश जाधव और उनके साथियों ने फूड स्टॉल के मालिक को पीट डाला था। इन लोगों ने उन्हें मराठी न बोलने पर मारा था। इस मामले में अविनाश जाधव को सोमवार को शाम को हिरासत में ले लिया गया था। वहीं व्यापारियों ने प्रदर्शन किया था। मनसे के लोगों का कहना था कि पुलिस व्यापारियों के दबाव में है और मराठियों को उनकी ही धरती पर परेशान किया जा रहा है। मनसे ने इसी घटना के विरोध में ठाणे जिले के मीरा भायंदर इलाके में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के बैनर तले रैली के आयोजन का ऐलान किया था। बता दें कि इस रैली में हिस्सा लेने के लिए एकनाथ शिंदे सेना के नेता प्रताप सरनाइक भी पहुंचे, लेकिन उन्हें दौड़ा लिया गया और उन पर बोतलें फेंकी गईं। वह यहां के स्थानीय विधायक भी हैं। उन पर हमले से राजनीति और गरमा गई है। रैली को ही रोकने का जब विरोध हुआ तो फडणवीस ने खुद सामने आकर सफाई दी। फडणवीस ने कहा, 'रैली आयोजित करने का कोई विरोध नहीं है। जिस मार्ग के लिए अनुमति मांगी गई थी उसके लिए मंजूरी देना मुश्किल था। पुलिस ने उनसे मार्ग बदलने का अनुरोध किया, लेकिन आयोजक एक खास मार्ग पर रैली आयोजित करने पर अड़े रहे।’ उन्होंने कहा, 'इससे यातायात बाधित हो सकता है या भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसी स्थिति में पुलिस समझाने और वैकल्पिक मार्ग देने की कोशिश करती है। हम लोकतंत्र में हैं, हर किसी को रैली करने का अधिकार है। अगर वे उचित मार्ग के लिए अनुमति मांगते हैं, तो हम आज और कल भी अनुमति देंगे। एक अन्य संगठन ने पुलिस द्वारा अनुमोदित मार्ग से रैली निकाली, लेकिन ये लोग एक खास मार्ग पर अड़े रहे। देश पर हमलों के दौरान मराठी लोगों ने देश की चिंता की और स्वार्थी नहीं बने रहे। मराठी लोगों की सोच सतही नहीं हो सकती।'  

जंग में भारी जनहानि का दावा, ईरान ने बताए 1060 मौतें लेकिन सैन्य नुकसान पर साधी चुप्पी

दुबई ईरान की सरकार ने इजरायल के साथ युद्ध में मरने वाले लोगों की नई संख्या जारी करते हुए बताया कि इसमें कम से कम 1,060 लोग मारे गए हैं। साथ ही, उसने चेतावनी दी है कि यह संख्या बढ़ सकती है। ईरान के ‘फाउंडेशन ऑफ मार्टर एंड वेटरंस अफेयर्स’ के प्रमुख सईद ओहादी ने सोमवार देर रात ईरानी सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित एक साक्षात्कार में मृतकों की संख्या के बारे में जानकारी दी। ओहादी ने चेतावनी दी कि कुछ लोग जिस तरह से गंभीर रूप से घायल हुए हैं, उसे देखते हुए मरने वालों की संख्या 1,100 तक पहुंच सकती है। ईरान ने युद्ध के दौरान इजरायल की 12 दिनों की बमबारी के प्रभावों को कम करके दिखाया, जबकि इन हमलों ने उसकी वायु रक्षा प्रणाली को तबाह कर दिया है। युद्ध विराम लागू होने के बाद से ईरान धीरे-धीरे विनाश की व्यापकता को स्वीकार कर रहा है। हालांकि, ईरान ने अब तक यह नहीं बताया है कि उसकी सेना को कितना नुकसान पहुंचा है। वाशिंगटन स्थित मानवाधिकार कार्यकर्ता समूह ने कहा कि 436 नागरिक और सुरक्षाबलों के 435 सदस्यों समेत 1,190 लोग मारे गए हैं। हमलों में 4,475 लोग घायल भी हुए हैं। 12 दिनों तक चला था संघर्ष बता दें कि पिछले महीने 13 जून को, इजरायल ने ईरान पर बड़ा हमला बोल दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष छिड़ गया था। इस दौरान इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों, बैलिस्टिक मिसाइल स्थलों, इसके शीर्ष जनरलों के आवासों और दो दर्जन से अधिक परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया। बाद में अमेरिका भी इस संघर्ष में कूद पड़ा और उसने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर 30,000 पाउंड के बंकर बस्टर बम गिराए। 12 दिनों के संघर्ष के बाद इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर हो गया था।  

भारत ने UN में अफगानिस्तान को दिया समर्थन, पाकिस्तान को परोक्ष संदेश समझा जा रहा

न्यूयॉर्क भारत ने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया और कहा कि ‘‘सामान्य तौर-तरीकों के साथ काम करने’’ से शायद वे परिणाम नहीं मिल पाएंगे, जिनकी वैश्विक समुदाय अफगान जनता के लिए अपेक्षा करता है। संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने सोमवार को जर्मनी द्वारा पेश ‘अफगानिस्तान में स्थिति’ पर प्रस्ताव को पारित किया। प्रस्ताव के पक्ष में 116 वोट पड़े, दो ने विरोध किया और 12 देश मतदान से दूर रहे, जिनमें भारत भी शामिल है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने मतदान में भाग न लेने पर कहा कि किसी भी युद्धोत्तर स्थिति से निपटने के लिए एक समेकित नीति में विभिन्न बातें समाहित होनी चाहिए, जिसमें सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करने और हानिकारक कार्यों को हतोत्साहित करने वाले उपाय शामिल हों। हरीश ने कहा, ‘‘हमारे दृष्टिकोण में केवल दंडात्मक उपायों पर केंद्रित एकतरफा रुख नहीं चल सकता। संयुक्त राष्ट्र और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अन्य युद्धोत्तर परिप्रेक्ष्य में अधिक संतुलित दृष्टिकोण अपनाए हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत, अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए अपने समन्वित प्रयास करने चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा नामित संस्थाएं और व्यक्ति, अलकायदा और उसके सहयोगी संगठन, इस्लामिक स्टेट और उसके सहयोगी संगठन, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद शामिल हैं, तथा उनके क्षेत्रीय प्रायोजक जो उनकी गतिविधियों में सहायता करते हैं, वे अब आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल न कर सकें। उन्होंने यह बात पाकिस्तान के संदर्भ में कही। मसौदा प्रस्ताव में क्षेत्रीय सहयोग का उल्लेख करते हुए अफगान लोगों की भलाई के लिए पड़ोसी और क्षेत्रीय साझेदारों तथा क्षेत्रीय संगठनों के योगदान के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इसमें भारत, ईरान और तुर्किये जैसे देशों द्वारा प्रदान किए जाने वाले शैक्षिक अवसरों के साथ-साथ कजाखस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान में अफगान छात्रों की उच्च शिक्षा तक पहुंच में मदद करने के लिए क्षेत्रीय कार्यक्रम भी शामिल हैं। हरीश ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत की तात्कालिक प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता का प्रावधान और अफगान लोगों के लिए क्षमता निर्माण पहलों का कार्यान्वयन शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और खेल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अफगान लोगों का समर्थन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता सभी प्रांतों में 500 से अधिक विकास साझेदारी परियोजनाओं के माध्यम से प्रदर्शित होती है।’’ उन्होंने बताया कि अगस्त 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था, तब से भारत ने लगभग 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 330 मीट्रिक टन से अधिक दवाएं और टीके, 40,000 लीटर कीटनाशक मैलाथियान और 58.6 मीट्रिक टन अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की है, जिससे मानवीय सहायता की सख्त जरूरत वाले लाखों अफगानों को मदद मिली है। हरीश ने अफगानिस्तान के लोगों के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों तथा उनकी मानवीय एवं विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के प्रति अपनी स्थायी प्रतिबद्धता दोहराई।  

9 जुलाई को 10 बड़े ट्रेड यूनियनों ने पूरे देश में हड़ताल का ऐलान किया, 25 करोड़ से ज़्यादा कर्मचारी होंगे शामिल

नई दिल्ली  देशभर में कल 9 जुलाई को भारत बंद का ऐलान किया गया है। यह बंद 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मिलकर बुलाया है। इनमें बैंक, बीमा, डाक, कोयला खदान, हाईवे और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टरों के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों के शामिल होने की उम्मीद है। इस विरोध प्रदर्शन को ' भारत बंद ' नाम दिया गया है। यूनियनों का कहना है कि सरकार की नीतियां कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाली और मजदूरों के खिलाफ हैं। ग्रामीण भारत से किसान और खेतिहर मजदूर भी इस बंद में शामिल होंगे। अडानी ने किसे दिया बिना शर्त 12600 करोड़ रुपये का ऑफर? इस कंपनी को खरीदने का है प्लान बंद में इन ट्रेड यूनियनों का समर्थन इस हड़ताल में कई प्रमुख राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं। इनमें ये शामिल हैं:     इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC)     ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC)     हिंद मजदूर सभा (HMS)     सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU)     ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC)     ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC)     सेल्फ एम्प्लॉयड वीमेंस एसोसिएशन (SEWA)     ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU)     लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF)     यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC) क्या खुला है, क्या बंद रहेगा? इस हड़ताल से कई क्षेत्रों पर असर पड़ने की उम्मीद है। इनमें बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं, डाक विभाग, कोयला खनन और कारखाने, राज्य परिवहन सेवाएं, सरकारी कार्यालय शामिल हैं। एनएमडीसी और स्टील व खनिज क्षेत्रों की कई सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने की पुष्टि की है। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के उद्योगों और सेवाओं में मजबूत भागीदारी देखने को मिलेगी। क्या बैंक बंद रहेंगे? बैंकिंग यूनियनों ने अलग से बंद के कारण सेवाओं में व्यवधान की पुष्टि नहीं की है। लेकिन, बंद आयोजकों के अनुसार वित्तीय सेवाएं प्रभावित होंगी। बंद आयोजकों ने कहा कि हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सहकारी बैंकिंग क्षेत्रों के कर्मचारी शामिल हैं। इससे कई क्षेत्रों में शाखा सेवाएं, चेक क्लीयरेंस और ग्राहक सहायता जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस का क्या होगा? 9 जुलाई को स्कूल, कॉलेज और प्राइवेट ऑफिस खुले रहने की उम्मीद है। हालांकि, परिवहन संबंधी समस्याओं के कारण कुछ क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित हो सकता है। ट्रेड यूनियनों और सहयोगी ग्रुप की ओर से कई शहरों में विरोध मार्च और सड़क प्रदर्शन किए जाने से सार्वजनिक बसें, टैक्सियां और ऐप-आधारित कैब सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। इससे स्थानीय यात्रा और लॉजिस्टिक्स संचालन में देरी या रद्द होने की संभावना है। क्या रेल सेवाएं प्रभावित होंगी? 9 जुलाई को देशव्यापी रेलवे हड़ताल की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि, देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम की आशंका है, जिससे कुछ क्षेत्रों में ट्रेन सेवाएं बाधित हो सकती हैं या उनमें देरी हो सकती है। रेलवे यूनियनों ने औपचारिक रूप से भारत बंद में भाग नहीं लिया है। लेकिन, पहले हुईं इस तरह की हड़तालों में देखा गया है कि प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशनों के पास या पटरियों पर प्रदर्शन करते हैं, खासकर उन राज्यों में जहां यूनियन की मजबूत उपस्थिति है। इससे स्थानीय स्तर पर ट्रेनों में देरी हो सकती है या अधिकारियों द्वारा सुरक्षा उपाय बढ़ाए जा सकते हैं। हड़ताल का कारण क्या है? ट्रेड यूनियनों का दावा है कि उनकी चिंताओं को लगातार नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को 17 सूत्रीय मांगों का एक चार्टर सौंपा था, लेकिन उनका कहना है कि इस पर कोई गंभीर प्रतिक्रिया नहीं हुई है। यूनियन फोरम ने कहा कि सरकार ने देश की कल्याणकारी राज्य की स्थिति को त्याग दिया है। यह विदेशी और भारतीय कंपनियों के हित में काम कर रही है। यह उन नीतियों से स्पष्ट है जिनका सख्ती से पालन किया जा रहा है। यूनियन ने ये लगाए सरकार पर आरोप     पिछले दस वर्षों में भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया है।     चार नए श्रम कानूनों को आगे बढ़ा रही है जो यूनियनों को कमजोर करते हैं और काम के घंटे बढ़ाते हैं।     संविदात्मक नौकरियों और निजीकरण को बढ़ावा दे रही है।     अधिक सार्वजनिक क्षेत्र की भर्ती और वेतन वृद्धि की मांगों को नजरअंदाज कर रही है।     युवा बेरोजगारी से निपटने के बिना नियोक्ताओं को प्रोत्साहन दे रही है। किसान और ग्रामीण मजदूर क्यों शामिल? किसानों के ग्रुप और ग्रामीण श्रमिक संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक संघ ग्रामीणों को जुटाने और उन आर्थिक फैसलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं, जिनके बारे में उनका दावा है कि वे ग्रामीण संकट को बढ़ा रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकारी कामों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है। वहीं आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याणकारी खर्चों में कटौती की जा रही है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने 14 देशों पर लगाया टैरिफ, भारत को लेकर क्या बोले ? पास में बैठे थे नेतन्याहू

वाशिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को 14 देशों पर टैरिफ लागू करने का फैसला किया है। उन्होंने इस संबंध इन सभी देशों को लेटर भी भेजा है जिसमें अमेरिकी सरकार के टैरिफ वाले फैसले के बारे में अवगत कराया गया है। अमेरिका ने एशिया में अपने दो महत्वपूर्ण सहयोगियों जापान और दक्षिण कोरिया से आयातित वस्तुओं पर भी 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया। हालांकि भारत पर अभी नए टैरिफ को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है। ट्रंप ने संकेत दिया है कि भारत के साथ डील जल्द हो सकती है। भारत को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने वाइट हाउस में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मेजबानी के दौरान बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के साथ एक व्यापारिक समझौते को अंतिम रूप देने के करीब है। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब ट्रंप ने 14 देशों को नई टैरिफ दरों से संबंधित पत्र भेजे हैं, जो 1 अगस्त 2025 से लागू होंगी। ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "हमने यूनाइटेड किंगडम और चीन के साथ समझौते किए हैं। हम भारत के साथ भी डील करने के बहुत करीब हैं।" उन्होंने आगे बताया कि जिन देशों के साथ समझौता संभव नहीं लग रहा, उन्हें पत्र भेजकर टैरिफ दरों की जानकारी दी जा रही है। ट्रंप ने कहा, "हमने अन्य देशों से मुलाकात की और हमें नहीं लगता कि हम कोई सौदा कर पाएंगे, इसलिए हम उन्हें एक पत्र भेज रहे हैं। हम विभिन्न देशों को पत्र भेज रहे हैं, जिसमें उन्हें बताया जा रहा है कि उन्हें कितना टैरिफ देना होगा।" ट्रंप ने जोर देकर कहा, "हम निष्पक्षता के साथ काम कर रहे हैं। कुछ देशों को थोड़ी छूट मिल सकती है, अगर उनके पास कोई उचित कारण होगा।" ट्रंप ने सुझाव दिया कि प्रमुख साझेदारों के साथ प्रगति हुई है, लेकिन जो देश अमेरिकी शर्तों को पूरा करने के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें नए टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। 14 देशों को टैरिफ पत्र, 25% से 40% तक की दरें ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर 14 देशों को भेजे गए पत्रों के स्क्रीनशॉट साझा किए। इन देशों में जापान, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, थाइलैंड, म्यांमार, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, कजाकिस्तान, लाओस, दक्षिण अफ्रीका, ट्यूनीशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, और सर्बिया शामिल हैं। इन पत्रों में टैरिफ दरें 25% से लेकर 40% तक निर्धारित की गई हैं। उदाहरण के लिए, जापान और दक्षिण कोरिया पर 25%, म्यांमार और लाओस पर 40%, और बांग्लादेश व सर्बिया पर 35% टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप ने इन पत्रों में चेतावनी भी दी कि अगर ये देश अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाते हैं, तो अमेरिका भी बदले में टैरिफ बढ़ा सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर ये देश अपनी व्यापार नीतियों में बदलाव करते हैं, तो टैरिफ दरों में कमी की जा सकती है। 1 अगस्त तक टैरिफ की No Tension… अमेरिका ने सभी देशों को दी राहत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर दुनियाभर के देशों को राहत दी है. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ बढ़ाने की आखिरी तारीख बढ़ा दी है. ट्रंप ने टैरिफ की आखिरी तारीख नौ जुलाई से बढ़ाकर एक अगस्त कर दी है. इसके साथ ही ट्रंप ने ये भी कहा कि भारत के साथ ट्रेड डील जल्द ही हो सकती है.  व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि रेसिप्रोकल टैरिफ पर छूट की अंतिम तारीख नौ जुलाई से बढ़ाकर एक अगस्त करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे. बता दें कि ट्रंप ने दो अप्रैल को भारत सहित कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया था लेकिन बाद में विरोध बढ़ने पर इसमें 90 दिनों की छूट दी थी. इस तरह टैरिफ पर यह छूट नौ जुलाई थी.  वहीं, अमेरिका ने बांग्लादेश और जापान समेत 14 देशों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान भी किया है. ट्रंप सरकार के इस फैसले के तहत कुछ देशों पर 25 फीसदी टैक्स लगाया गया है, जबकि कुछ पर 30 से 40 फीसदी तक का भारी शुल्क लगाया गया है. ट्रंप सरकार ने म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक 40 फीसदी टैरिफ लगाया है. थाईलैंड और कंबोडिया पर 36 फीसदी टैरिफ, बांग्लादेश और सर्बिया पर 35 फीसदी टैरिफ, इंडोनेशिया को 32 फीलदी टैरिफ लगाया गया है. साउथ अफ्रीका और बोस्निया एंड हर्जेगोविना पर 30 फीसदी टैरिफ लगाया है. वहीं, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिसाय, कजाकिस्तान और ट्यूनीशिया पर 25 फीसदी टैक्स लगाया गया है. इसके साथ ही अमेरिका ने अभी तक ब्रिटेन और वियतनाम के साथ ही डील की है.  भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रगति भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते को लेकर पिछले कुछ महीनों से गहन वार्ता चल रही है। पिछले महीने भारतीय अधिकारी वाशिंगटन में अमेरिकी प्रतिनिधियों के साथ समझौते को अंतिम रूप देने के लिए चर्चा में जुटे थे। ट्रंप ने अप्रैल में भारतीय सामानों पर 26% का जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 10% कर दिया गया और 90 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया, जो 9 जुलाई को समाप्त हो रहा है। भारत के लगभग 53 बिलियन डॉलर के निर्यात क्षेत्र को नुकसान से बचाने के लिए दोनों देशों के बीच तीव्र गति से बातचीत चल रही है। ट्रंप ने पहले ही वियतनाम और चीन के साथ समझौते किए हैं, जबकि यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ भी बातचीत चल रही है। वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि ट्रंप स्वयं टैरिफ दरें निर्धारित कर रहे हैं और प्रत्येक देश के लिए "विशेष रूप से तैयार किए गए व्यापार प्लान" बना रहे हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि जिन देशों का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा है, उनके लिए टैरिफ जरूरी हैं। उन्होंने दावा किया, "हमारा देश पहले से कहीं बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। हमारे पास पहले कभी इतना निवेश नहीं था।" नेतन्याहू के साथ मुलाकात के दौरान बयान ट्रंप का यह बयान उस समय आया जब वह वाइट हाउस में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ निजी रात्रिभोज के दौरान पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस मुलाकात के दौरान ट्रंप ने वैश्विक व्यापार और अपनी … Read more