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WHO ने दुनिया भर के देशों से तंबाकू, शराब और मीठे पेय पदार्थों पर कर बढ़ाकर कीमतों में 50% की वृद्धि करने का आग्रह किया

नई दिल्ली विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया भर के देशों से तंबाकू, शराब और मीठे पेय पदार्थों पर कर बढ़ाकर अगले दशक में इनकी कीमतों में 50% की वृद्धि करने का आग्रह किया है। यह सिफारिश हाल ही में स्पेन के सेविले में आयोजित यूएन फाइनेंस फॉर डेवलपमेंट सम्मेलन में पेश की गई और इसका उद्देश्य न केवल गंभीर बीमारियों को रोकना है, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली के लिए आर्थिक संसाधन जुटाना भी है। WHO के मुताबिक, इस कदम से मधुमेह, मोटापा, कैंसर जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। संगठन ने इसे "3 by 35" रणनीतिक योजना का हिस्सा बताया है, जिसका लक्ष्य 2035 तक एक ट्रिलियन डॉलर का राजस्व स्वास्थ्य करों से जुटाना है। WHO के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा, “यह समय है कि सरकारें इस नए यथार्थ को स्वीकार करें और अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करें।” WHO के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फैरर ने इसे सबसे प्रभावी स्वास्थ्य उपकरणों में से एक बताया। WHO के स्वास्थ्य अर्थशास्त्री गुइलेर्मो सांडोवाल के अनुसार, इस नीति के तहत किसी उत्पाद की कीमत जो आज एक मध्य-आय वाले देश में 4 डॉलर है, 2035 तक 10 डॉलर हो सकती है, जिसमें महंगाई भी शामिल होगी। कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में ऐसे टैक्स लगाने से उपभोग में गिरावट और स्वास्थ्य में सुधार देखा गया है। भारत की पहल इस वैश्विक सिफारिश से पहले अप्रैल 2025 में भारत में भी ऐसा ही कदम उठाने की बात सामने आई थी। ICMR-NIN (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन) के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय समूह ने अत्यधिक वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों पर स्वास्थ्य कर लगाने की मांग की थी। इस समूह ने सुझाव दिया था कि ऐसे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों को स्कूल कैंटीनों और शैक्षणिक संस्थानों के पास बेचना प्रतिबंधित किया जाए, जैसा कि FSSAI की गाइडलाइन में भी कहा गया है। हालांकि, WHO की इस नीति को उद्योग संगठनों से कड़ा विरोध भी मिल रहा है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ बेवरेज एसोसिएशंस की कार्यकारी निदेशक केट लॉटमैन ने कहा, “WHO का यह सुझाव कि मीठे पेयों पर टैक्स से मोटापा घटेगा, एक दशक की असफल नीतियों को नजरअंदाज करता है।” डिस्टिल्ड स्पिरिट्स काउंसिल की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमांडा बर्जर ने कहा, “अल्कोहल पर कर बढ़ाकर हानि रोकने का WHO का सुझाव भ्रामक और गलत दिशा में उठाया गया कदम है।”

अमरनाथ यात्रियों की 4 बसों की भिड़ , श्रीनगर हाईवे पर हादसा.. 36 से ज्यादा श्रद्धालु घायल

श्रीनगर  जम्मू कश्मीर के रामबन जिले में शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा के दौरान एक हादसा हो गया. डिप्टी कमिश्नर DEO रामबन ने बताया कि पहलगाम काफिले का आखिरी वाहन चंद्रकोट लंगर स्थल पर नियंत्रण खो बैठा और वहां खड़े वाहनों से जा टकराया. इस टक्कर में चार वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और तीस से ज्यादा यात्रियों को चोटें आईं. हालांकि तत्काल सभी को पास के अस्पताल पहुंचाया गया है. प्रशासन पहले से ही घटनास्थल पर मौजूद जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन पहले से ही घटनास्थल पर मौजूद था और घायलों को तुरंत जिला अस्पताल रामबन पहुंचाया गया. प्राथमिक इलाज के बाद सभी श्रद्धालुओं को अन्य वाहनों में उनके अगले पड़ाव के लिए रवाना किया गया. प्रशासन ने स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लेकर राहत और बचाव कार्य को तेजी से अंजाम दिया. फिलहाल बताया गया है कि यात्रियों को जिला अस्पताल रामबन में इलाज के लिए भेजा गया जहां सभी का उपचार किया गया. गनीमत रही कि किसी को बहुत गंभीर चोटें नहीं आई हैं. किसी को रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ी. पुलिस ने मामले में जांच भी शुरू की और यात्रा मार्ग पर सुरक्षा और भी ज्यादा घनी कर दी गई है.  जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तगड़े इंतजाम किए मालूम हो कि अमरनाथ यात्रा 2025 की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तगड़े इंतजाम किए. जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर संयुक्त मॉक ड्रिल और भूस्खलन अभ्यास किए गए. इसमें सेना सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और जेकेएसडीआरएफ शामिल थे. यात्रा मार्ग पर करीब 581 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल सीएपीएफ कंपनियों की तैनाती, ड्रोन, सीसीटीवी, और फेस रिकग्निशन डिवाइस का उपयोग किया गया. इतना ही नहीं आरएफआईडी कार्ड अनिवार्य किए गए और मार्ग को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया है

मिडिल ईस्ट में तनाव के बीच भारत के लिए क्यों अहम हो गया है अर्जेंटीना, तेल, गैस और लिथियम

ब्यूनस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  देर शाम अपनी दो दिवसीय दौरे के तहत अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स पहुंचे, जहां उनका भव्य पारंपरिक स्वागत किया गया. एजीजा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उन्हें  गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद जब वह होटल पहुंचे तो भारतीय समुदाय के सदस्यों ने "मोदी-मोदी" और "भारत माता की जय" के नारों से उनका जोरदार स्वागत किया. सांस्कृतिक नृत्य कार्यक्रम के साथ प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया गया. यह यात्रा कई मायनों में अहम है क्योंकि 57 वर्षों बाद पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री द्विपक्षीय यात्रा पर अर्जेंटीना पहुंचा है. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में G20 शिखर सम्मेलन के लिए अर्जेंटीना की यात्रा की थी लेकिन यह उनकी पहली आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा है.  विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने X (ट्विटर) पर लिखा,“हमारे देशों के बीच स्थायी मित्रता का जश्न मनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आधिकारिक यात्रा पर अर्जेंटीना के जीवंत शहर ब्यूनस आयर्स पहुंचे हैं. हवाई अड्डे पर पहुंचने पर उनका औपचारिक स्वागत किया गया. यह 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा अर्जेंटीना की पहली द्विपक्षीय यात्रा है, जो भारत-अर्जेंटीना संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत है.” राष्ट्रपति जेवियर मिलेई संग होगी बैठक प्रधानमंत्री मोदी की अर्जेंटीना यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जेवियर मिलेई से मुलाकात होगी, जिसमें रक्षा, कृषि, खनिज, तेल-गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, व्यापार, पर्यटन और तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी. अर्जेंटीना रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा,“अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका में भारत का एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार है और G20 में हमारा करीबी सहयोगी भी. राष्ट्रपति मिलेई से बातचीत के दौरान हम द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूती देंगे.” इसके बाद ब्राजील और नामीबिया रवाना होंगे पीएम यह यात्रा प्रधानमंत्री के पांच देशों की यात्रा का तीसरा पड़ाव है. इससे पहले वे त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुंचे थे, जहां उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो' प्रदान किया गया. अपनी यात्रा के चौथे चरण में मोदी 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील जाएंगे, उसके बाद राजकीय यात्रा करेंगे. अपनी यात्रा के अंतिम चरण में मोदी नामीबिया जाएंगे. भारत के लिए क्यों अहम हो गया है अर्जेंटीना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अर्जेंटीना की दो दिवसीय यात्रा पर ब्यूनस ऑयर्स पहुंच चुके हैं। यहां पर पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया गया। यह 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की अर्जेंटीना की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। प्रधानमंत्री के रूप में यह मोदी की दूसरी यात्रा है। इससे पहले वह 2018 में जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए अर्जेंटीना आए थे। पीएम मोदी की अर्जेंटीना यात्रा बेहद खास है। इस दौरान वह अर्जेंटीनी राष्ट्रपति के साथ रक्षा, कृषि, खनन, तेल और गैस, रिन्यूवेबल एनर्जी, व्यापार और निवेश के मामलों पर बातचीत करेंगे। हालांकि माना जा रहा है मुख्य जोर तेल, गैस और लिथियम को लेकर रहेगा। इसलिए अर्जेंटीना है अहम अर्जेंटीना के पास शेल गैस और शेल ऑयल का सबसे बड़ा भंडार है। वह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा शेल गैस भंडारण वाला देख है। वहीं, शेल ऑयल के मामले में उसका स्थान चौथा है। इसके अलावा पारंपरिक तेल और गैस भंडारण भी उसके पास अच्छा-खासा है। ऐसे में लांग टर्म में भारत के लिए वह अहम एनर्जी पार्टनर साबित हो सकता है। ऐसे वक्त में जबकि मिडिल ईस्ट में हालात ठीक नहीं हैं, भारत के लिए ऊर्जा सप्लाई के लिए दूसरे देशों की तरफ देखना जरूरी हो गया है। अर्जेंटीना के पास इन चीजों का भंडार अर्जेंटीना के पास लिथियम, कॉपर और रेयर अर्थ एलीमेंट का भी भंडार है। भारत के लिए क्लीन एनर्जी और इंडस्ट्रियल ग्रोथ के लिहाज से यह काफी अहम है। बोलीविया और चिली के साथ अर्जेंटीना लिथियम ट्रायंगल का हिस्सा है। इन क्षेत्रों में दुनिया का सबसे ज्यादा लिथियम भंडार है। बता दें कि रीचार्जेबल बैट्रीज के लिए लिथियम काफी अहम है। यह इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि की बैट्री के लिए काफी अहम होता है। भारतीय समुदाय ने किया स्वागत उधर अर्जेंटीना में भारतीय समुदाय के लोगों ने होटल पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत ‘मोदी, मोदी’ के नारों और ‘‘भारत माता की जय’’ के उद्घोष के साथ किया। प्रधानमंत्री ने समुदाय के लोगों के साथ कुछ देर बातचीत भी की। उनके स्वागत में एक सांस्कृतिक नृत्य भी पेश किया गया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर कहाकि हमारे देशों के बीच स्थायी मित्रता का जश्न मनाते हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आधिकारिक यात्रा पर अर्जेंटीना के ब्यूनस ऑयर्स पहुंचे।

25 साल के बाद Microsoft ने छोड़ा पाकिस्तान का साथ? अब किसका लेगा सहारा

लाहौर  भारत के पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान से बड़ी जानकारी सामने आ रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, टेक्‍नोलॉजी की दुनिया का बड़ा नाम माइक्रोसॉफ्ट कथित तौर पर पाकिस्‍तान से बाहर निकल रही है यानी उसने कामकाज समेट दिया है। कहा जाता है कि इसके संकेत पहले ही दे दिए गए थे। कर्मचारियों को भी बताया गया था। टेक रडार की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्‍तान में माइक्रोसॉफ्ट का ऑपरेशन बंद हो गया है सिर्फ एक ऑफ‍िस बचा है, जहां 5 लोग काम पर हैं। यह पाकिस्‍तान की टेक इंडस्‍ट्री के लिए किसी सदमे से कम नहीं होगा। 25 साल पहले पाक में माइक्रोसॉफ्ट ने अपना काम शुरू किया था। उस वक्‍त जव्वाद रहमान नाम के व्‍यक्ति ने इसमें अहम भूमिका न‍िभाई। उन्‍हें माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्‍तान के संस्‍थापकों में गिना जाता है। रहमान के लिंक्‍डइन पोस्‍ट से कुछ बातें सामने आई हैं जो कई सवाल खड़े करती हैं। जव्वाद रहमान का लिंक्‍डइन पोस्‍ट जव्‍वाद रहमान ने अपने लिंक्‍डइन पोस्‍ट में माइक्रोसॉफ्ट का पाकिस्‍तान में कामकाज बंद होने की जानकारी दी है। उन्‍होंने लिखा कि एक युग खत्‍म हो गया। 25 साल पहले जून महीने में ही मुझे पाकिस्‍तान में माइक्रोसॉफ्ट को लॉन्‍च करने की जिम्‍मेदारी मिली थी। उन्‍होंने बताया कि कंपनी के कुछ बचे हुए कर्मचारियों को जानकारी दी गई और पाकिस्‍तान से माइक्रोसॉफ्ट से जाने की जानकारी आई। उन्‍होंने लिखा कि कंपनी का यह फैसला सोचने पर मजबूर करता है। माइक्रोसॉफ्ट ने क्‍या बताया रहमान के अनुसार, यह उस माहौल का दर्शाता है जो हमारे देश ने बनाया है। एक ऐसा माहौल जिसमें माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी को भी अस्थितरता नजर आती है। उन्‍होंने कहा कि अब पूछा जाना चाहिए कि पाकिस्‍तान को लेकर क्‍या बदल रहा है। ऐसा क्‍या है जिसने दिग्‍गज कंपनी को देश छोड़ने पर मजबूर किया है। हालांकि माइक्रोसॉफ्ट की तरफ की ओर इस बारे में ऑफ‍िशियली कोई जानकारी नहीं दी गई है। कितने देशों में माइक्रोसॉफ्ट का कामकाज माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक है, जिसका कामकाज 190 से अधिक देशों में फैला हुआ है। कंपनी क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर जैसे कई क्षेत्रों में लीडर की भूमिका निभा रही है। विंडोज, ऑफिस, ऐज जैसे प्रोडक्ट्स पूरी दुनिया में इस्तेमाल किए जाते हैं। पाकिस्तान से इसकी कथित विदाई एक चौंकाने वाला कदम माना जा रहा है। यह सिर्फ एक कारोबारी फैसला नहीं बल्कि स्थानीय परिस्थितियों की गहराई से जुड़ा मुद्दा माना जा रहा है। रहमान के अनुसार "अल्लाह जिसे चाहे उसे इज्जत और मौके देता है… और जिससे चाहे, वो इन्हें वापस भी ले सकता है, खासकर जब कोई इनकी कदर करना भूल जाए। लेकिन अगर आपका काम असर छोड़ जाए, ईमानदारी और प्रेरणा का स्रोत बन जाए… तो समझ लीजिए कि अल्लाह की रहमत आपके साथ थी।" एक और पोस्ट में रहमान ने पाकिस्तान के आईटी मंत्री और सरकार से अपील की कि वे माइक्रोसॉफ्ट के रीजनल और ग्लोबल लीडर्स से संपर्क करें, ताकि कंपनी पाकिस्तान में अपनी मौजूदगी बनाए रख सके।

सोशल मीडिया पर देश विरोधी वीडियो या पोस्ट शेयर करने वाले की खेर नहीं

नई दिल्ली  केंद्र सरकार अब सोशल मीडिया पर देश के खिलाफ नफरत फैलाने वालों पर नकेल कसने की तैयारी में है। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय इसके लिए एक नई पॉलिसी लाने की तैयारी कर रहा है। सोशल मीडिया पर देश विरोधी वीडियो या पोस्ट शेयर करने वाले लोग अब बच नहीं पाएंगे, उनके हैंडल ब्लॉक किए जाएंगे और सख्त कार्रवाई भी होगी। देश के खिलाफ कई वेबसाइट्स पर भी आपत्तिजनक कॉन्टेंट अपलोड किया जाता है। ऐसा करने वाले लोग अब कानून से बच नहीं पाएंगे और जल्द ही उन पर एक्शन लिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, इंटेलिजेंस एजेंसियों के आला अधिकारियों ने गृह मंत्रालय की संसदीय कमेटी को इस बात की जानकारी दी है। यह पहल ऐसे समय में आ रही है जब खालिस्तान अलगाववादी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू समेत कई अन्य देश विरोधी लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और लगातार नफरत फैलाने का काम करते रहे हैं। नई पॉलिसी आने के बाद ऐसे लोगों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। केंद्र सरकार इस मामले में सिर्फ आंतरिक स्तर पर ही काम नहीं कर रही है बल्कि अमेरिकी सरकार और बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से भी बातचीत कर रही है। केंद्र सरकार चाहती है कि सोशल मीडिया कंपनियाँ अपने स्तर पर भी यह सुनिश्चित करें कि भारत विरोधी तत्व उनके प्लेटफॉर्म पर कॉन्टेंट अपलोड न कर पाएँ। सीबीआई, एनआईए, प्रदेश की पुलिस और आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी अन्य एजेंसियाँ भारत विरोधी तत्वों की कोशिशों को रोकने के लिए एक विस्तृत रणनीति बनाने पर काम कर रही हैं जिसको जल्द ही अमल में लाया जा सकता है। आतंकी घटनाओं के बाद बढ़ी चिंता हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी सोशल मीडिया पर कई देश विरोधी पोस्ट शेयर किए गए थे। देश के खिलाफ काम करने वाले लोग काफी संख्या में सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। अब इन पर लगाम लग जाएगी जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा को और मज़बूती मिलेगी।  

देशभर में मानसून ने पकड़ी रफ्तार, आज से 6, 7, 8, 9 जुलाई तक कई राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट

नई दिल्ली देशभर में मानसून अब रफ्तार पकड़ चुका है और इसके साथ ही खतरे की घंटी भी बजने लगी है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आज से 9 जुलाई 2025 के बीच कई राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इस दौरान उत्तर भारत से लेकर मध्य और पूर्वी हिस्सों तक मौसम बिगड़ने के पूरे आसार हैं। पहाड़ी इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन का जोखिम है, जबकि मैदानी राज्यों में बिजली गिरने और तेज हवाओं से जनजीवन प्रभावित हो सकता है। किस राज्यों में जारी हुआ ऑरेंज अलर्ट? IMD ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, चंडीगढ़, पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में भारी बारिश के चलते सतर्कता और तैयारी दोनों जरूरी हैं। पहाड़ी राज्यों में अलर्ट: हिमाचल और उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश: 5 से 7 जुलाई तक शिमला, सोलन, मंडी और किन्नौर जैसे जिलों में भारी बारिश की चेतावनी। पहाड़ों में भूस्खलन और अचानक बाढ़ की आशंका जताई गई है। उत्तराखंड: देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जैसे क्षेत्रों में भारी वर्षा संभावित है। स्थानीय प्रशासन ने नदियों और जलधाराओं के पास जाने से मना किया है। मध्य और पूर्व भारत पर साइक्लोनिक सर्कुलेशन का असर मध्य प्रदेश: साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में भारी बारिश की संभावना है। छत्तीसगढ़: महासमुंद, रायगढ़, जशपुर, सरगुजा और कोरबा जैसे उत्तरी जिलों में मूसलधार बारिश के आसार हैं। तेज हवाओं (30-40 किमी/घंटा) और गरज-चमक का भी अनुमान है। दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में राहत और चेतावनी दिल्ली और एनसीआर में अगले 5 दिनों तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, जिससे लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिलेगी। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है, जबकि पूर्वी यूपी के गोरखपुर, बलिया, बनारस जैसे जिलों में बिजली गिरने और बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।  राजस्थान: पूर्वी जिलों में भारी बारिश, पश्चिम में हल्की बौछारें -पूर्वी राजस्थान (कोटा, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर आदि) में 5 से 9 जुलाई तक लगातार भारी बारिश का अनुमान है। -पश्चिमी जिलों जैसे जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर में हल्की से मध्यम बारिश संभव है।  IMD की चेतावनी और एहतियात मौसम विभाग ने साफ किया है कि आने वाले दिनों में जलभराव, ट्रैफिक जाम, पेड़ों के गिरने, बिजली गिरने, और भूस्खलन जैसी घटनाओं की संभावना बहुत अधिक है। लोगों से अपील की गई है कि: -नदियों, जलाशयों और निचले इलाकों से दूर रहें। -बिजली कड़कने के समय खुले मैदानों या पेड़ों के नीचे शरण न लें। -भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में यात्रा से बचें। -स्थानीय प्रशासन और मौसम अपडेट्स पर नजर रखें।  

काम मत करो, बच्चे पैदा करो… आबादी बढ़ाने के लिए चीन की जनता को मिलेंगे ₹12 लाख

बीजिंग  दुनिया भर के तमाम देशों में घटती युवा आबादी चिंता का सबब बनी हुई है. सरकारें युवाओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए मां और उसके नवजात शिशुओं के लिए कई स्कीमें भी ला रही हैं, लेकिन फिर भी जन्म दर नहीं बढ़ रही. लिहाजा अब जच्चा-बच्चा के बाद अब पुरुषों यानी पिता को प्रोत्साहन देने की तैयारी है. चीन इसमें पहल करेगा और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले पिता भी अब मालामाल होंगे. बच्चों के जन्म पर पिता को भी नकद इनाम मिलेगा.  चीन के सबसे अधिक आबादी वाले सिचुआन प्रांत ने शादी की छुट्टी को 3 से बढ़ाकर 20 दिन कर दिया है. अगर आप शादी से पहले मेडिकल चेकअप भी कराते हैं तो आपको 5 दिन की और छुट्टी मिल जाएगी. यानी कुल 25 दिन की छुट्टी, वो भी पूरी सैलरी के साथ. ये प्रस्ताव फिलहाल जून महीने तक लोगों की राय के लिए खुला है. क्यों देना पड़ा छुट्टियों का ये तोहफा? कन्फ्यूशियस की धरती कहे जाने वाले शेडोंग प्रांत में भी शादी की छुट्टी अब 18 दिन कर दी गई है. शांक्सी और गांसू जैसे प्रांतों ने तो इसे और आगे बढ़ाकर 30 दिन तक कर दिया है. चीन में फिलहाल केंद्र स्तर पर सिर्फ 3 दिन की शादी छुट्टी का प्रावधान है जो 1980 से चला आ रहा है. दरअसल, चीन में शादी करने वाले लोगों की संख्या लगातार घट रही है. 2025 की पहली तिमाही में केवल 1.81 मिलियन जोड़ों ने शादी की रजिस्ट्रेशन करवाई, जो पिछले साल के मुकाबले 8% कम है. 2023 में थोड़ी बढ़त के बाद आंकड़े फिर गिर गए और अब ये स्तर 1980 के बाद सबसे नीचे है. कितने पैसे मिलेंगे ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन सरकार बच्चे पैदा करने वाली माता को हर साल 3,600 युआन देगी। भारतीय रुपये में यह लगभग 42,000 रुपये होता है। यह पैसा बच्चे के तीन साल के होने तक मिलता रहेगा। स्टेट काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफिस ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। उल्लेखनीय है कि इस समय चीन की जनसंख्या 141.05 करोड़ है। क्यों आई ऐसी नीति चीन में बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है। इसलिए सरकार यह कदम उठा रही है। पिछले साल, चीन में सिर्फ 95.4 लाख बच्चे पैदा हुए। साल 2016 में यह संख्या लगभग दोगुनी थी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने साल 2016 में चीन ने 'एक बच्चा नीति' को खत्म कर दिया था।स चीन में 'वन चाइल्ड पॉलिसी' खत्म हुए लगभग दस साल हो गए हैं। लेकिन, इसके बाद भी परिवार ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। वहां शादी करने वाले लोगों की संख्या भी पिछले पचास सालों में सबसे कम हो गई है। इसका मतलब है कि आने वाले सालों में और भी कम बच्चे पैदा होंगे। चीन की स्थानीय सरकारें (Local Government) बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए कई तरीके अपना रही हैं। वे लोगों को पैसे और मकान देने की कोशिश कर रही हैं। इनर मंगोलिया के होहोट जैसे शहर दूसरे बच्चे के लिए 50,000 युआन और तीसरे बच्चे के लिए 100,000 युआन दे रहे हैं। SCMP के अनुसार, यहां लोगों की कमाई कम है, इसलिए यह पैसा बहुत मायने रखता है। दूसरे देशों में इस तरह की योजनाओं के मिले-जुले नतीजे देखने को मिले हैं। दक्षिण कोरिया में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2024 में भुगतान बढ़ा दिया। एक साल बाद, जन्म दर में 3.1% की वृद्धि हुई – यह नौ सालों में पहली वृद्धि थी। जापान एक अलग रास्ता दिखाता है। वहां 2005 से अधिक चाइल्डकैअर केंद्र खोलकर, इसने अपनी प्रजनन दर में 0.1 की वृद्धि की। स्टडी से पता चलता है कि अतिरिक्त नकदी कुछ लोगों के लिए मददगार हो सकती है। 144,000 से अधिक माता-पिता के एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि सिर्फ 15% लोग और बच्चे चाहते थे। 1,000 युआन की संभावित सब्सिडी के बारे में जानने के बाद, यह आंकड़ा 8.5 प्रतिशत बढ़ गया। शादी कम, बच्चे और भी कम कम शादियां सीधे तौर पर घटती जन्मदर से जुड़ी हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अब युवा तब तक शादी नहीं करना चाहते जब तक उन्हें बच्चे की प्लानिंग न करनी हो. ऊपर से पढ़ाई और करियर में व्यस्तता, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सोच ने पारंपरिक शादी की धारणा को और कमजोर किया है. सरकार क्या कर रही है? चीन अब शादी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी आसान बना रहा है. अब किसी भी शहर में शादी का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है हुकौ (घरेलू पंजीकरण) की जरूरत नहीं. साथ ही, मैटरनिटी और पितृत्व अवकाश भी बढ़ाया जा रहा है. हालांकि कुछ लोगों को डर है कि आर्थिक दबाव की वजह से ये सारी छुट्टियां केवल कागजी बनकर न रह जाएं. इसी को देखते हुए सरकार कंपनियों को मदद देने की बात भी कर रही है.

सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया ने बनाया रिकॉर्ड, बनीं भारतीय नौसेना की पहली फाइटर पायलट

नई दिल्ली  भारतीय नौसेना की सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। वह नेवल एविएशन की फाइटर स्ट्रीम में शामिल होने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। यानी वह अब नौसेना के फाइटर प्लेन उड़ाने वाली पहली महिला बन गई हैं । विशेषज्ञों का मानना है यह उपलब्धि न केवल नौसेना के इतिहास में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह महिलाओं के लिए लड़ाकू विमानन क्षेत्र के द्वार खोलने वाली प्रेरणादायक मिसाल भी है। दरअसल भारतीय नौसेना ने आईएनएस डेगा, विशाखापत्तनम में द्वितीय बेसिक हॉक कन्वर्जन कोर्स के स्नातक समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट अतुल कुमार धुल और सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया को ‘विंग्स ऑफ गोल्ड’ से सम्मानित किया गया। ‘विंग्स ऑफ गोल्ड’ का सम्मान रियर एडमिरल जनक बेवली, एसीएनएस (एयर) द्वारा प्रदान किया गया। इसी ऐतिहासिक अवसर पर सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया ने यह एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। नौसेना के मुताबिक वह अब नेवल एविएशन की फाइटर स्ट्रीम में शामिल होने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। भारतीय नौसेना का कहना है कि वे पहले से ही महिला अधिकारियों पायलट बनने का अवसर दे चुके हैं। महिलाओं को एमआर विमानों और हेलीकॉप्टरों में पायलट और नौसेना वायु संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जा चुका है। अब फाइटर स्ट्रीम में एसएलटी आस्था पूनिया की नियुक्ति नौसेना विमानन में लैंगिक समावेशन के प्रति भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह कदम नारी शक्ति को बढ़ावा देने के संकल्प को सशक्त बनाता है। दरअसल समुद्री जहाजों व युद्धपोतों के जरिए नौसेना देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा करती है। इसके साथ ही नौसेना में फायटर पायलट भी होते हैं। ये वे अधिकारी हैं जो नौसेना के लड़ाकू विमान उड़ाते हैं। इनकी जिम्मेदारी समुद्र सीमा पर निगरानी रखना व दुश्मन को दूर रखने के लिए त्वरित कार्रवाई करना होता है। कई महत्वपूर्ण मौकों पर नौसेना के ये पायलट दुश्मन के ठिकानों और समुद्री बेड़े की भी जानकारी जुटाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि सब-लेफ्टिनेंट आस्था नौसेना विमानन की फाइटर स्ट्रीम में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं। इसके साथ ही सब-लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया सभी बाधाओं को पार करते हुए नौसेना में महिला फाइटर पायलटों के एक नए युग का मार्ग प्रशस्त किया है। गौरतलब है कि भारतीय नौसेना की महिला पायलट टोही विमान और हेलीकॉप्टर स्ट्रीम में पहले से कार्यरत हैं। महिला पायलट नौसेना के टोही विमान और हेलीकॉप्टर उड़ाती हैं। लेकिन आस्था पुनिया पहली महिला हैं जो नौसेना में लड़ाकू विमान उड़ाएंगी। हालाँकि नौसेना की ओर से अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि फिलहाल उन्हें कौन से फाइटर जेट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। भारतीय नौसेना के पास कई तरह के फाइटर जेट हैं। नौसेना के ये फाइटर एयरक्राफ्ट आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत के से उड़ान भरने में सक्षम हैं। 

रेल में आग का कहर: यात्री सुरक्षित लेकिन रेलवे की लापरवाही पर उठी उंगली

कर्नाटक  कर्नाटक में एक बड़ा रेल हादसा टल गया जब उदयपुर जा रही हमसफर एक्सप्रेस के इंजन में अचानक आग लग गई। यह घटना उस वक्त हुई जब ट्रेन बेंगलुरु से गुजर रही थी। हादसे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें ट्रेन के इंजन से धुआं और आग की लपटें साफ दिखाई दे रही हैं। यात्रियों में मची अफरातफरी प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रेन के आगे वाले डिब्बों से धुआं उठता देख यात्रियों में हड़कंप मच गया। कुछ यात्रियों ने तुरंत चेन खींच कर ट्रेन को रुकवाया और अन्य लोगों को आग के बारे में सूचित किया। आनन-फानन में ट्रेन को रोका गया और रेलवे स्टाफ को इसकी जानकारी दी गई। फायर ब्रिगेड की टीम ने समय रहते काबू पाया सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन और फायर ब्रिगेड की टीम घटनास्थल पर पहुंची। दमकल कर्मियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आग पर नियंत्रण पा लिया। सौभाग्य से किसी भी यात्री को कोई चोट नहीं आई और सभी लोग सुरक्षित हैं। समय रहते आग बुझा दिए जाने से एक बड़ा हादसा टल गया। रेलवे विभाग ने शुरू की जांच रेलवे विभाग ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार आग इंजन में किसी तकनीकी खराबी के कारण लगी हो सकती है। इंजन की उम्र और उसकी हालिया सर्विसिंग की भी समीक्षा की जा रही है।  

ड्रोन से मिलेगा जवाब! पाकिस्तान को घेरने की नई योजना पर काम शुरू

नई दिल्ली  भारत सरकार ने ड्रोन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए नया बड़ा कदम उठाया है। पाकिस्तान को लेकर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बीच, सरकार ने लगभग 1,950 करोड़ रुपए (234 मिलियन डॉलर) की नई योजना शुरू करने का फैसला किया है। इस योजना का उद्देश्य देश में नागरिक और सैन्य ड्रोन बनाने वाली कंपनियों को सहायता देना है, ताकि चीन और तुर्की से मदद पा रहे पाकिस्तान के ड्रोन प्रोग्राम का मुकाबला किया जा सके। ड्रोन रेस में भारत-पाकिस्तान मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक सीमा विवाद हुआ था, जिसमें दोनों देशों ने बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल किया था। इस घटना ने यह साफ कर दिया कि ड्रोन अब आधुनिक युद्ध का अहम हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में भारत ने अपनी ड्रोन निर्माण क्षमता को बढ़ाने की ठानी है। योजना का मकसद इस योजना के तहत अगले तीन सालों में ड्रोन, उसके पुर्जे, सॉफ्टवेयर, एंटी-ड्रोन सिस्टम और इससे जुड़ी सेवाओं का निर्माण बढ़ाने के लिए कंपनियों को इंसेंटिव दिया जाएगा। यह योजना पहले से चल रही 120 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजना से बड़ी और व्यापक है। पहले वाली योजना को ज्यादा सफलता नहीं मिली थी, क्योंकि स्टार्टअप्स को फंडिंग और रिसर्च में दिक्कतें आ रही थीं। 2028 तक ड्रोन पुर्जों का स्थानीय निर्माण सरकार चाहती है कि वित्त वर्ष 2027-28 तक कम से कम 40% महत्वपूर्ण ड्रोन पुर्जे भारत में ही बने। फिलहाल भारत कई ड्रोन पुर्जे, जैसे मोटर, सेंसर और कैमरा सिस्टम चीन से आयात करता है। इस नई योजना से इन पुर्जों का देश में निर्माण बढ़ेगा। रक्षा सचिव का बयान रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि सीमा संघर्ष के दौरान दोनों देशों ने ड्रोन और आत्मघाती ड्रोन का इस्तेमाल किया। इससे यह सीख मिली कि हमें स्वदेशी ड्रोन निर्माण को तेजी से बढ़ाना होगा ताकि मजबूत और सक्षम मिलिट्री ड्रोन इंडस्ट्री तैयार हो सके। ड्रोन आयात पर रोक, पुर्जों पर नहीं भारत ने ड्रोन के आयात पर रोक लगा दी है, लेकिन उसके पुर्जों को विदेशों से मंगवाया जा सकता है। अब सरकार उन कंपनियों को और लाभ देगी जो पुर्जे भारत से खरीदेंगी। साथ ही, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक कंपनियों को सस्ते लोन और रिसर्च फंडिंग उपलब्ध कराएगा। ड्रोन कंपनियों को फायदा इस समय भारत में 600 से ज्यादा कंपनियां ड्रोन या उससे जुड़े उत्पाद बना रही हैं। इस नई योजना से इन कंपनियों को काफी फायदा होगा और वे मजबूत बनेंगी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अगले 12-24 महीनों में ड्रोन क्षेत्र में लगभग 3,900 करोड़ रुपए खर्च कर सकता है।