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भारत की समुद्री विरासत अमिट है, नौसेना प्रमुख ने कहा, समुद्र हमारी ताकत है

नई दिल्ली  भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने भारत की प्राचीन समुद्री विरासत का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की पहचान एक समुद्री राष्ट्र की रही है। उन्होंने कहा कि लगभग 6000 वर्ष पूर्व हड़प्पा कालीन लोथल जैसे बंदरगाह शहरों से लेकर आज तक, भारत की पहचान एक समुद्री राष्ट्र की रही है। गौरतलब है कि हड़प्पा कालीन लोथल एक प्रमुख बंदरगाह शहर था, जो सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा था। यह गुजरात में स्थित है और इसे दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात डॉकयार्ड माना जाता है। नौसेना प्रमुख, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रोहतक के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के इंडक्शन और ओरिएंटेशन समारोह को संबोधित कर रहे थे। यहां उन्होंने गर्व के साथ कहा, “भारत समुद्री राष्ट्र था, है और रहेगा।” उन्होंने बताया कि भारत का 95 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्गों से होता है और 99 प्रतिशत वैश्विक इंटरनेट डेटा समुद्र के नीचे बिछाए गए केबल्स से गुजरता है। ऐसे में ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को साकार करने में समुद्री शक्ति की अहम भूमिका होगी। उन्होंने भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य में समुद्र के सामरिक महत्व को रेखांकित किया। नौसेना द्वारा हाल में किए गए राहत अभियानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे पश्चिम एशिया के संकट में भारतीय नौसेना ने 400 से अधिक जानें बचाईं और 5.3 अरब डॉलर से अधिक के माल को सुरक्षित किया। उन्होंने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शब्दों “सपना देखो, साहस करो और उसे साकार करो” के साथ यहां छात्रों को प्रेरित किया। आईआईएम रोहतक के इस इंडक्शन और ओरिएंटेशन समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक प्रो. धीरज शर्मा समेत फैकल्टी सदस्य भी मौजूद रहे। इस वर्ष 1 जुलाई से पीजी बैच के 329 छात्रों और 8 शोधार्थियों ने नया शैक्षणिक सफर आरंभ किया है। इस अवसर पर छात्रों से किताबों से बाहर निकलकर व्यवहारिक ज्ञान अर्जित करने की अपील की गई। छात्रों को अनुशासन, दृढ़ता, फोकस, आत्मप्रेरणा जैसी गुणों को अपनाने पर कहा गया। आईआईएम रोहतक के निदेशक प्रोफेसर धीरज शर्मा ने संस्थान के विजन को स्पष्ट करते हुए कहा कि यहां प्रबंधन की शिक्षा को अनुशासन, उद्देश्य और राष्ट्रीय सेवा से जोड़ा जाता है। उन्होंने केस-आधारित शिक्षण पद्धति, ग्रामीण सहभागिता कार्यक्रम, इंडस्ट्री इंटरफेस और योग व समग्र स्वास्थ्य पर बल दिया। इस मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल बलबीर सिंह संधू (सेवानिवृत्त) भी मौजूद रहे। उन्होंने नेतृत्व के मूलभूत गुणों – साहस, अनुशासन और चरित्र – पर जोर दिया। उन्होंने सेना के अनुभवों से उदाहरण देते हुए छात्रों को बताया कि विपरीत परिस्थितियों में नेतृत्व कैसे निभाया जाता है। नेतृत्व केवल पद से नहीं बल्कि कर्म और उदाहरण से परिभाषित होता है। कार्यक्रम में दो पैनल चर्चाएं भी हुईं – “वर्तमान व्यापार परिदृश्य में प्रबंधन स्नातकों से अपेक्षित क्षमताएं” और “एआई युग में नेतृत्व”, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। इसके अलावा, “भारतीय सशस्त्र बलों का योगदान: राष्ट्रीय सुरक्षा और गौरव के स्तंभ” विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में देश भर के शोधार्थियों ने भाग लिया। चार विजेताओं को 10,000 रुपए से 25,000 रुपये तक के नकद पुरस्कार प्रदान किए गए। यहां निदेशक प्रोफेसर धीरज शर्मा की नवीनतम पुस्तक “पावर ऑफ मूवीज” का विमोचन भी किया गया। प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि कैसे सिनेमा जीवन की विविधताओं और सामाजिक बदलावों को दर्शाता है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे फिल्मों के माध्यम से मानवीय भावनाओं और सामाजिक संरचनाओं को समझने का प्रयास करें।

पिछले दस साल में पीएम मोदी की सबसे लंबी राजनयिक यात्रा, आठ दिन में पांच देशों की यात्रा करेंगे

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ दिनों के डिप्लोमैटिक दौरे पर रवाना हो रहे हैं। इस दौरान वह पांच देशों की यात्रा करेंगे। पीएम मोदी का यह दौरा दो जुलाई से नौ जुलाई तक चलेगा। पिछले दस साल में यह पीएम मोदी की सबसे लंबी राजनयिक यात्रा होने जा रही है। इसकी शुरुआत घाना से होगी, जिसमें दक्षिण अमेरिकी, कैरेबियाई और अफ्रीकी देशों पर पर फोकस रहेगा। विदेश मंत्रालय के मुताबिक घाना के बाद प्रधानमंत्री मोदी कैरेबियाई देश त्रिनिनाद और टोबैगो और वहां से अर्जेंटीना जाएंगे। अर्जेंटीना के बाद नरेंद्र मोदी ब्राजील जाएंगे, जहां वो 17वें ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस यात्रा का आखिरी पड़ाव नामीबिया होगा। देश के हिसाब से पीएम मोदी की यात्रा का ऐसा है एजेंडा घाना प्रधानमंत्री बनने के बाद 10 साल में यह पहली बार होगा जब नरेंद्र मोदी घाना जा रहे हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि पिछले 30 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली घाना यात्रा होगी। यहां पर पीएम मोदी वैक्सीन हब जाएंगे। इसके बाद वह घाना की संसद को संबोधित करेंगे। त्रिनिदाद और टोबैगो त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा पर पीएम मोदी विशेष आमंत्रण पर जा रहे हैं। पिछले 25 साल में यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री यहां की यात्रा पर जा रहा है। उम्मीद है कि यहां पर भी वह संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। अर्जेंटीना अपने राजनयिक दौरे के तीसरे देश के रूप में पीएम मोदी अर्जेंटीना जाएंगे। यहां पर भी वह अर्जेंटीनी राष्ट्रपति जेवियर मिलेई के आमंत्रण पर जा रहे हैं। इस दौरान दोनों नेता द्विपक्षीय वार्ता में हिस्सा लेंगे। दोनों के बीच रक्षा, कृषि, खनन, तेल और गैस, व्यापार व निवेश पर बातचीत होगी। ब्राजील अर्जेंटीना के बाद पीएम मोदी ब्रिक्स 2025 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील जाएंगे। पीएम मोदी की यह चौथी ब्राजील यात्रा होगी। इस दौरान पीएम मोदी आतंकवाद को लेकर अपनी चिंता जाहिर करेंगे। साथ ही वह पाकिस्तान प्रायोजित पहलगाम हमले पर भी बात करेंगे, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। नामीबिया यात्रा का अंतिम चरण नामीबिया में होगा, जो 27 वर्षों में एक भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा भी होगी। अपनी यात्रा के दौरान, पीएम मोदी राष्ट्रपति से मिलेंगे और नामीबिया की संसद को संबोधित करेंगे। इस यात्रा का एक मेन फोकस यहां पर भारत के यूपीआई को नामीबिया में लागू करने के लिए एक समझौता होगा। यह निर्णय भारत की डिजिटल भुगतान पहल का हिस्सा है। यूपीआई भूटान, मॉरिशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका, फ्रांस और यूएई में पहले से ही सक्रिय है।  

विरुधुनगर में बड़ा हादसा! पटाखा फैक्ट्री विस्फोट में 5 लोगों की मौत

विरुधुनगर  तमिलनाडु के विरुधुनगर में एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ है। इस घटना में अब तक 5 लोगों की मौत होने की जानकारी है, जबकि 3 अन्य की हालत गंभीर बताई जा रही है। विरुधुनगर जिले के शिवकाशी के पास चिन्नाकमपट्टी में गोकुलेश पटाखा फैक्ट्री में मंगलवार को ये धमाका हुआ। धमाका इतना भयंकर था कि पूरा मकान ध्वस्त हो गया। इस घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस और रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंचीं और घायलों को बाहर निकाला। घटनास्थल से आई तस्वीरों में चारों ओर बिखरा मलबा बिखरा दिखा। शिवकाशी और सत्तूर से अग्निशमन और बचाव दल घटनास्थल पर बचाव कार्य में लगे हुए हैं। घायलों को इलाज के लिए शिवकाशी के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल 5 लोगों के मरने की जानकारी सामने आ चुकी है। फैक्ट्री के कर्मचारी गोकुलेश पटाखा फैक्ट्री में नियमित काम कर रहे थे, तभी फैक्ट्री में शक्तिशाली विस्फोट हुआ। विस्फोट से परिसर के कई कमरे जलकर राख हो गए। अधिकारियों ने बताया कि पटाखा बनाते समय विस्फोट हुआ, कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई। हालांकि सटीक कारण का अभी पता नहीं चल पाया है। मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। तमिलनाडु में शिवकाशी को भारत में पटाखा उद्योग के केंद्र के रूप में जाना जाता है। पटाखों का 90 प्रतिशत उत्पादन यहीं से होता है। शिवकाशी में लगभग 8 हजार कारखाने चल रहे हैं, जिनमें लाखों लोग काम करते हैं। भले ही यहां सुरक्षा प्रोटोकॉल अच्छी तरह से स्थापित हैं, लेकिन अक्सर लाइसेंस प्राप्त कारखानों की ओर से इनका उल्लंघन किया जाता है। शिवकाशी में पहले भी कई ऐसी दुखद घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा मानकों और विनियामक निगरानी पर सवाल उठते रहे हैं। पिछले साल शिवकाशी में ही इसी तरह का विस्फोट हुआ था, जिसमें 10 लोग मारे गए थे।

टेकऑफ के बाद बड़ा झटका! 900 फीट नीचे गिरा Air India का विमान, यात्रियों में मची अफरा-तफरी

नई दिल्ली एयर इंडिया की एक और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट में बड़ी तकनीकी खामी से यात्रियों की जान खतरे में पड़ गई। दिल्ली से वियना जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-187 (बोइंग 777) उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद अचानक 900 फीट नीचे गिर गई। यह घटना सुबह 2:56 बजे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से टेकऑफ के तुरंत बाद घटी, जब विमान एक खतरनाक स्थिति में पहुंच गया और उसमें स्टॉल और ग्राउंड प्रॉक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम (GPWS) की चेतावनियां सक्रिय हो गईं। ‘डू नॉट सिंक’ जैसी चेतावनियां पायलटों को लगातार सतर्क करती रहीं, लेकिन पायलटों की सतर्कता और त्वरित निर्णय के कारण एक बड़ा हादसा टल गया। स्थिति को नियंत्रित करने के बाद विमान ने अपनी उड़ान जारी रखी और करीब नौ घंटे बाद वियना में सुरक्षित लैंडिंग की गई। पायलटों को ड्यूटी से हटाया गया, डीजीसीए ने जांच तेज की दिल्ली-वियना फ्लाइट की घटना के बाद एयर इंडिया ने फौरन इस मामले की जानकारी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को दी। विमान के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की जांच शुरू कर दी गई है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक दोनों पायलटों को उड़ान ड्यूटी से हटा दिया गया है। डीजीसीए ने एयर इंडिया के सुरक्षा प्रमुख को भी तलब किया है और मेंटेनेंस रिकॉर्ड से लेकर ऑपरेशनल प्रक्रियाओं तक की गहन जांच शुरू की गई है। DGCA ऑडिट में पहले ही हो चुकी थी खामियों की पहचान हैरानी की बात यह है कि हाल ही में DGCA द्वारा एयर इंडिया के बेड़े पर किए गए ऑडिट में बार-बार रखरखाव की अनदेखी और सुरक्षा मानकों के उल्लंघन की बात सामने आई थी। इसके बावजूद दो बड़ी घटनाएं इतने कम अंतर में सामने आना एयर इंडिया की व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।   यात्रियों की सुरक्षा पर फिर सवाल इन दो घटनाओं ने यात्रियों की सुरक्षा को लेकर आम जनता के मन में चिंता बढ़ा दी है। जहां एक ओर एयर इंडिया अंतरराष्ट्रीय विस्तार और नई उड़ानों की योजना बना रही है, वहीं दूसरी ओर बार-बार हो रही घटनाएं यह संकेत दे रही हैं कि मूलभूत सुरक्षा और मेंटेनेंस प्रक्रियाओं में कहीं न कहीं भारी चूक हो रही है।  अहमदाबाद में हुआ था बड़ा हादसा बता दें कि 12 जून को एयर इंडिया की अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI-171 (बोइंग 787-8) रनवे छोड़ने के कुछ ही पलों बाद क्रैश हो गई थी। इस हादसे में 260 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें 242 यात्री और चालक दल के सदस्य शामिल थे।  

ट्रंप के फैसले से वैश्विक संकट? रिपोर्ट में दावा– 2030 तक करोड़ों की जान जा सकती है

वॉशिंगटन/न्यूयॉर्क अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में विदेशी मानवीय सहायता में की गई जबरदस्त कटौती ने पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल The Lancet में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर अमेरिका ने विदेशी सहायता में मौजूदा स्तर की कटौती जारी रखी, तो साल 2030 तक दुनियाभर में 1.4 करोड़ अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं। हर साल लाखों बच्चों की जान पर संकट रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस अनुमानित मौतों में से करीब 45 लाख मौतें 5 साल से कम उम्र के बच्चों की हो सकती हैं। यानी हर साल औसतन 7 लाख मासूमों की जान जा सकती है – वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी ताकत ने अपना मानवीय समर्थन पीछे खींच लिया है। USAID की योजनाएं 80% तक रद्द, सबसे ज्यादा असर गरीब देशों पर ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की विकास सहायता एजेंसी USAID की 80% से अधिक योजनाएं रद्द कर दी हैं, जिससे अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के गरीब व मध्यम आय वर्ग के देशों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस कटौती की पुष्टि की थी। रिपोर्ट की बड़ी चेतावनी   The Lancet की रिपोर्ट के सह-लेखक और ग्लोबल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. डेविड रासेला ने कहा, “इतने बड़े पैमाने पर सहायता में कटौती का असर किसी महामारी या युद्ध जैसा विनाशकारी हो सकता है। इससे दो दशकों की प्रगति एक झटके में रुक सकती है।”   भूख और कुपोषण से हाहाकार कटौती का सीधा असर उन देशों पर पड़ा है, जहां पहले से ही संसाधनों की भारी कमी है। केन्या के काकुमा शरणार्थी कैंप में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि बच्चे भूख से तड़प रहे हैं। एक रिपोर्ट में एक बच्ची का ज़िक्र किया गया है जिसकी हालत इतनी गंभीर थी कि वह हिल भी नहीं पा रही थी, और उसकी त्वचा गिरने लगी थी। UN की चेतावनी  संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी ट्रंप प्रशासन की इस नीति को लेकर गहरी चिंता जताई है। अधिकारियों का कहना है कि यह स्थिति एक "गंभीर मानवीय आपदा" जैसी है, जिसमें लाखों लोगों की जानें जोखिम में हैं।  

प्रवासी भारतीयों ने रचा इतिहास, भारत को मिला सबसे ज्यादा रेमिटेंस दुनिया में

नई दिल्ली  भारत के प्रवासी नागरिकों ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में एक नया रिकॉर्ड बना दिया है। वित्त वर्ष 2024-25 (जो 31 मार्च को समाप्त हुआ) में विदेशों में रह रहे भारतीयों ने अपने परिवारों को 135.46 अरब डॉलर (यानी करीब 11.63 लाख करोड़ रुपए) भेजे। यह अब तक किसी एक साल में भेजी गई सबसे बड़ी रेमिटेंस राशि  है। रेमिटेंस में सालाना 14% की बढ़ोतरी इस रकम में साल-दर-साल 14.24% की वृद्धि देखी गई। यह आंकड़ा 8 साल पहले यानी  2016-17 में भेजे गए 61 अरब डॉलर  की तुलना में  दोगुने से भी ज्यादा  है। इसका मतलब साफ है कि विदेशों में बसे भारतीयों की आमदनी और समृद्धि बढ़ी है और भारतीय वर्कफोर्स की अंतरराष्ट्रीय मांग भी मजबूत हुई है।  अमेरिका, सिंगापुर, ब्रिटेन से आया 45% पैसा  रिज़र्व बैंक (RBI)  की रिपोर्ट के अनुसार, कुल रेमिटेंस का 45% हिस्सा अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर से आया है। वहीं खाड़ी देशों से रेमिटेंस में गिरावट देखी गई है।  तेल की कीमतों में गिरावट  के कारण वहां से कम पैसा भेजा जा रहा है, जिसकी भरपाई पश्चिमी देशों से हो रही है। विश्व बैंक  के मुताबिक, भारत पिछले 10 वर्षों से सबसे अधिक रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश बना हुआ है। 2024 में भारत पहले स्थान पर रहा, जबकि मेक्सिको (5.8 लाख करोड़) और चीन (4.1 लाख करोड़ रुपए) दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।  व्यापार घाटे की भरपाई में मददगार RBI की रिपोर्ट बताती है कि रेमिटेंस सिर्फ आमदनी का जरिया नहीं बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था का  एक मजबूत स्तंभ  है।  यह विदेशी निवेश (FDI) से भी बड़ा स्रोत  बन गया है। वित्त वर्ष 2025 में भारत का 287 अरब डॉलर का व्यापार घाटा  रहा, जिसमें से 47% की भरपाई  रेमिटेंस से हुई। यह साफ करता है कि  प्रवासी भारतीयों का योगदान भारत की वित्तीय सेहत के लिए अत्यंत अहम  है। भारत के प्रवासी नागरिक सिर्फ विदेशी धरती पर काम नहीं कर रहे, वे भारत के आर्थिक भविष्य की नींव भी मजबूत कर रहे हैं। रेमिटेंस अब न केवल पारिवारिक मदद बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक रणनीति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।

एक लीक फोन कॉल ने इस महिला प्रधानमंत्री को अपने पद से सस्पेंड करवा दिया.

बैंकॉक  थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने  प्रधानमंत्री पैतोंगटर्न शिनावात्रा को उनके पद से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। यह फैसला एक लीक हुई फोन कॉल को लेकर लिया गया है, जिसमें कथित तौर पर सरकारी शक्तियों के दुरुपयोग का संकेत मिलता है। क्या है पूरा मामला? शिनावात्रा पर आरोप है कि उन्होंने एक गुप्त फोन कॉल के जरिए संवैधानिक सीमाओं से परे जाकर सरकारी हस्तक्षेप किया। इस कॉल में वे न्यायिक और प्रशासनिक संस्थाओं को प्रभावित करने की बात करती हुई सुनाई दीं। अदालत ने इसे संविधान के अनुच्छेदों के उल्लंघन के रूप में देखा और तत्काल प्रभाव से उन्हें पद से हटाने का आदेश दिया।  कौन करेगा अब काम? प्रधानमंत्री पद से निलंबन के बाद, कार्यवाहक प्रधानमंत्री का काम उप-प्रधानमंत्री को सौंपा गया है। हालांकि, कोर्ट में मामले की अंतिम सुनवाई पूरी होने तक शिनावात्रा अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकेंगी। पार्टी की प्रतिक्रिया शिनावात्रा की पार्टी, फ्यू थाई पार्टी, ने इस फैसले पर निराशा जताई है और कहा है कि यह एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकता है। पार्टी समर्थकों ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।   राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अदालत उन्हें दोषी ठहराती है, तो नई सरकार बनाने या मध्यावधि चुनाव कराने की स्थिति बन सकती है। फिलहाल देश में राजनीतिक अस्थिरता गहराने के संकेत मिल रहे हैं। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए शिनावात्रा ने कंबोडिया के ताकतवर नेता हुन सेन के साथ फोन पर बातचीत की थी, जिसकी कॉल रिकॉर्डिंग लीक हो गई. इस फोन कॉल के दौरान दोनों नेताओं ने सीमा विवाद पर चर्चा की और बातचीत में शिनावात्रा ने हुन सेन को 'अंकल' कहकर संबोधित किया. साथ ही कहा कि अगर उन्हें कुछ चाहिए तो वह उसका ख्याल रखेंगी. इसके अलावा शिनावात्रा ने थाई सैन्य कमांडर को अपना 'प्रतिद्वंद्वी' बताया, जिसके कारण पीएम की काफी आलोचना हुई और उन पर दुश्मन देश के आगे घुटने टेकने का आरोप लगा.  दुश्मन देश के आगे झुकने का आरोप रूढ़िवादी सांसदों ने उन पर कंबोडिया के सामने झुकने और सेना को कमजोर करने का आरोप लगाया है. साथ ही आरोप लगाया है कि उन्होंने मंत्रियों के बीच 'स्पष्ट ईमानदारी' और 'नैतिक मानकों' की जरूरत वाले संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ जाकर काम किया है. इसी लीक फोन कॉल के बाद पूरे देश में पीएम शिनावात्रा के खिलाफ आक्रोश फैल गया और उनको संवैधानिक जांच का सामना करना पड़ रहा है. पैटोंगटार्न शिनावात्रा ने सोमवार को कहा कि वह अदालती प्रक्रिया को स्वीकार करेंगी और उसका पालन करेंगी. हालांकि वह नहीं चाहतीं कि उनके काम में कोई रुकावट आए. उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'अगर आप मुझसे पूछें कि क्या मैं चिंतित हूं, तो मैं परेशान हूं.' इससे पहले थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न ने मंत्रिमंडल में फेरबदल का समर्थन किया था, जो उस समय मजबूरी में किया गया था, जब लीक हुए फोन कॉल की वजह से एक प्रमुख पार्टी ने शिनावात्रा की गठबंधन सरकार से नाता तोड़ दिया था. कैबिनेट में हुआ फेरबदल इस फेरबदल में पूर्व उप प्रधानमंत्री अनुतिन चारविरकुल को पद से हटाया गया, जो भूमजैथई पार्टी के नेता थे, जिन्होंने फोन कॉल लीक के बाद सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. अनुतिन की जगह फुमथम वेचायाचाई की नियुक्ति की गई है, जो पहले रक्षा मंत्री थे और अब उन्हें गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. रक्षा मंत्री का पद खाली छोड़ दिया गया और उप मंत्री को कार्यवाहक मंत्री बनाया गया है. शिनावात्रा ने खुद संस्कृति मंत्री का पद संभाला है. उन्होंने कहा कि वह वैश्विक स्तर पर थाई संस्कृति को बढ़ावा देना चाहती हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले शिनावात्रा ने थाईलैंड के भोजन, संस्कृति और खेल पर फोकस करते हुए देश की 'सॉफ्ट पावर' को बढ़ावा देने में अहम रोल निभाया था. पीएम पद भी जा सकता है संवैधानिक न्यायालय ने पिछले साल नैतिकता के उल्लंघन के कारण उनके पूर्ववर्ती श्रेथा थाविसिन को बर्खास्त कर दिया था. पूर्व पीएम थाविसिन पर एक अपराधी को मंत्री बनाने का आरोप था. थाईलैंड की अदालतों, विशेष रूप से संवैधानिक कोर्ट को राजशाही प्रतिष्ठान के एक गढ़ के रूप में देखा जाता है, जिसने राजनीतिक विरोधियों को डुबोने के लिए उनका और चुनाव आयोग जैसी नाममात्र की स्वतंत्र एजेंसियों का इस्तेमाल किया है. शिनावात्रा को राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक आयोग के कार्यालय की तरफ से कथित तौर पर नैतिकता के उल्लंघन की जांच का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसका फैसला आने पर उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाया भी जा सकता है. इस कॉल पर आक्रोश विशेष तौर पर शिनावात्रा की तरफ से थाई सैन्य कमांडर पर दिए बयानों और सीमा पर तनाव कम करने के लिए कंबोडियाई नेता हुन सेन को खुश करने की कोशिशों को लेकर था. पैटोंगटार्न शिनावात्रा थाईलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ देश की दूसरी महिला पीएम हैं. वह पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की सबसे छोटी बेटी हैं. पैटोंगटार्न अपने परिवार से थाईलैंड की पीएम बनने वाली तीसरी नेता हैं. उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा और बुआ यिंगलुक शिनावात्रा भी पीएम रह चुके हैं. 

क्या है इकनॉमिक वारफेयर? एस. जयशंकर ने आतंकी हमले से जोड़ा गंभीर रिश्ता

नई दिल्ली विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहलगाम आतंकवादी हमले को इकनॉमिक वारफेयर बताया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने यह हमला इसलिए कराया ताकि कश्मीर में पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाया जा सके, जिसके चलते वहां आर्थिक समृद्धि आ रही थी और हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हम किसी भी देश की न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर में आर्थिक संपन्ना का एक ही माध्यम लेगों के पास है और वह है पर्यटन। ऐसे में पाकिस्तानी आतंकियों ने उसे ही टारगेट किया। इसके अलावा धर्म पूछकर लोगों को इसलिए मार डाला गया ताकि सांप्रदायिक सौहार्द देश का बिगड़ जाए। इकनॉमिक वारफेयर युद्ध की ऐसी पद्धति है, जिसमें प्रतिद्वंद्वी देश की अर्थव्यवस्था को टारगेट करने की कोशिश होती है। आर्थिक युद्ध का अर्थ है- किसी देश या समूह को आर्थिक रूप से कमजोर करने, अस्थिर करने या दंडित करने के लिए आर्थिक साधनों का प्रयोग करना। यह एक गैर-सैन्य रणनीति है, जिसमें दुश्मन पर बंदूक या बम से हमला नहीं किया जाता, बल्कि उसकी आर्थिक प्रणाली को निशाना बनाकर कमजोर किया जाता है। ऐसी रणनीति अकसर अमेरिका अपनाता रहा है, जैसे रूस, ईरान, क्यूब, वेनेजुएला जैसे देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना। इसके अलावा ऐसे हमलों को भी इस श्रेणी में शामिल किया जाता है, जिससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हों और लोगों में डर का संचार हो। क्या हैं इकनॉमिक वारफेयर के पैंतरे किसी देश के व्यापार, निवेश या वित्तीय लेन-देन पर रोक लगाना इसका सबसे प्रमुख तरीका है। जैसे रूस पर अमेरिका और यूरोप द्वारा लगाए गए प्रतिबंध। इसके अलावा किसी देश से आयात-निर्यात पर पूर्ण या आंशिक रोक। यही नहीं अपनी मुद्रा को जानबूझकर सस्ता करके दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना भी इसमें शामिल है। किसी देश या उसके नेताओं की विदेशी संपत्तियों को फ्रीज करना भी इस रणनीति में शामिल है। कई बार बैंक, शेयर बाजार और फाइनेंशियल नेटवर्क पर हमला करने की कोशिश भी इसमें शामिल है। इसके अलावा सप्लाई चेन तोड़ने की कोशिश भी इसमें शामिल है, जैसे- तेल, गैस या अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों की आपूर्ति को बाधित करना। एक और चीज इसमें अहम है, जैसे आर्थिक प्रोपेगेंडा। यानी किसी देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर बताना या फिर शेयर बाजार को लेकर अफवाह फैलाना ताकि निवेशकों में डर का संचार हो। लगभग ऐसी ही रणनीति पाकिस्तान ने भी पहलगाम में अपनाई, जो एक टूरिस्ट हॉटस्पॉट है। ऐसे में पहलगाम में ही हमला करके पर्यटकों में डर का संचार करने की कोशिश की गई।  

बेंगलुरु भगदड़ पर ट्रिब्यूनल सख्त, RCB को बताया जिम्मेदार, पुलिस कोई जादूगर या भगवान नहीं’

 बेंगलुरु  केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के वरिष्ठ अधिकारी विकास कुमार विकास के खिलाफ कर्नाटक सरकार के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है, जिन पर पिछले महीने यहां हुई भीषण भगदड़ के मद्देनजर कार्रवाई की गई थी। एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने चार जून को मची भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई थी। मामले में योजना और भीड़ प्रबंधन को लेकर तीखी आलोचना हुई थी। कैट ने स्टेडियम में भगदड़ के लिए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को ही जिम्मेदार माना है।  कोर्ट ने पुलिसकर्मियों का किया बचाव कैट ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरसीबी क्रिकेट टीम 4 जून को बेंगलुरु में एकत्रित हुई भारी भीड़ के लिए जिम्मेदार है। जिसके कारण मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे। कैट ने स्टेडियम में तैनात पुलिसकर्मियों का बचाव करते हुए कहा कि वह कोई जादूगर या भगवान नहीं हैं। बिना अनुमति किया गया जश्न का ऐलान एनडीटीवी के मुताबिक, न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि RCB ने न तो पुलिस से कोई पूर्व अनुमति ली और न ही उन्हें सूचित किया. टीम ने अचानक सोशल मीडिया पर सूचना शेयर की, जिससे लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. आदेश में यह भी कहा गया कि पुलिस के पास मात्र 12 घंटे का समय था, जो इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता. CAT ने किया पुलिस का बचाव CAT ने पुलिस की आलोचना को अनुचित बताया और कहा, "पुलिसकर्मी भी इंसान होते हैं. वे न भगवान हैं, न जादूगर, और न ही उनके पास अलादीन का चिराग है जिससे किसी भी काम को तुरंत पूरा किया जा सके." ट्रिब्यूनल ने माना कि अचानक जानकारी के कारण पुलिस के पास पर्याप्त समय नहीं था, इसलिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता. आईपीएस अधिकारी विकास कुमार को राहत इस आदेश में CAT ने आईपीएस अधिकारी विकास कुमार विकास के निलंबन को भी रद्द कर दिया. केंद्र सरकार ने हादसे के दो दिन बाद उन्हें निलंबित कर दिया था. लेकिन न्यायाधिकरण ने इसे गलत करार देते हुए कहा कि यह निलंबन अवधि उनकी सेवा में जोड़ी जाएगी. विकास कुमार उस समय बेंगलुरु वेस्ट जोन के इंस्पेक्टर जनरल और एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस थे और स्टेडियम की सुरक्षा के प्रभारी थे. 3 से 5 लाख की भीड़ के लिए जिम्मेदार है RCB अपनी टिप्पणी में ट्रिब्यूनल ने कहा, 'प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरसीबी लगभग तीन से पांच लाख लोगों की भीड़ के लिए जिम्मेदार है। आरसीबी ने पुलिस से उचित अनुमति या सहमति नहीं ली। अचानक, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया और उपरोक्त जानकारी के परिणामस्वरूप जनता एकत्र हो गई।' 12 घंटे के कम समय में पुलिस से ये उम्मीद नहीं की जा सकती ट्रिब्यूनल ने आरसीबी द्वारा जश्न मनाने की अंतिम समय में की गई घोषणा की आलोचना की और इसे उपद्रव भी बताया है। कोर्ट ने आदेश में कहा, 'अचानक, आरसीबी ने बिना किसी पूर्व अनुमति के उपरोक्त प्रकार का उपद्रव किया। पुलिस से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि लगभग 12 घंटे के कम समय में पुलिस, पुलिस अधिनियम या अन्य नियमों आदि में आवश्यक सभी व्यवस्थाएं कर लेगी।' पुलिस के पास 'अलाद्दीन का चिराग' नहीं- ट्रिब्यूनल आईपीएल फ्रैंचाइजी ने अपनी पहली आईपीएल जीत के अगले दिन 4 जून को विजय परेड समारोह के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। ट्रिब्यूनल ने पुलिस की भूमिका का भी बचाव करते हुए कहा, 'पुलिस कर्मी भी इंसान हैं। वे न तो 'भगवान' हैं और न ही जादूगर और न ही उनके पास 'अलाद्दीन के चिराग' जैसी जादुई शक्तियाँ हैं जो केवल उंगली रगड़ने से किसी भी इच्छा को पूरा कर सकती हैं।'

महिला प्रधानमंत्री की गुप्त बातचीत लीक, बर्खास्तगी तक पहुंचा मामला

थाईलैंड थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने कंबोडिया के एक पूर्व नेता के साथ फोन कॉल के लीक होने के मामले में जांच लंबित रहने तक प्रधानमंत्री पेटोंगटार्न शिनवात्रा को पद से निलंबित कर दिया है। न्यायाधीशों ने नैतिकता के उल्लंघन के आरोप वाली याचिका पर सर्वसम्मति से विचार किया और उन्हें पद से निलंबित करने के पक्ष में दो के मुकाबले सात मतों से मतदान किया। पेटोंगटार्न को कंबोडिया के साथ हालिया सीमा विवाद से निपटने के लिए बढ़ते असंतोष का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें 28 मई को एक सशस्त्र टकराव शामिल है जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया था। सीमा विवाद पर कूटनीतिक पहल के दौरान लीक हुए इस फोन कॉल के कारण उनके खिलाफ कई शिकायतें और सार्वजनिक विरोध सामने आए। ऑडियो कॉल में क्या था मीडिया रिपोर्ट्स के दौरान कुछ समय पहले ही एक फोन कॉल लीक हुआ था। इसमें पेटोंगटार्न कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन से बात कर रही थीं। रिकॉर्डिंग में वह थाईलैंड के बड़े सैन्य अधिकारी से बात कर रही थीं और सेन को 'अंकल' बता रही थीं। साथ ही यह आश्वासन भी दे रही थीं कि सेन कुछ चाहते हैं, तो 'वह इस बात का ध्यान रखेंगी।' हो रही थी इस्तीफे की मांग थाईलैंड की राजधानी में शनिवार को हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी पेटोंगटार्न के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। यह प्रदर्शन फोन पर हुई बातचीत के लीक होने के बाद पैदा हुई राजनीतिक उथल-पुथल के बीच हो रहे थे। कंबोडिया के साथ 28 मई को हुए सीमा विवाद में सशस्त्र टकराव के बाद पेटोंगटार्न के प्रति असंतोष बढ़ गया है। कंबोडिया के एक सैनिक की विवादग्रस्त क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी। दरअसल शिनावात्रा की क्षेत्रीय सेना कमांडर के प्रति टिप्पणियां और सीमा पर तनाव कम करने के लिए कंबोडियाई सीनेट के अध्यक्ष हुन सेन की कथित खुशामद के प्रयासों को लेकर लोगों में रोष है। सूरत थानी प्रांत के 47 वर्षीय गाइड तचाकोर्न श्रीसुवान ने कहा कि वह लीक बातचीत के मद्देनजर शिनावात्रा के इस्तीफे की मांग करने के लिए बैंकॉक पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, 'हमारे पास कभी भी ऐसा कमजोर प्रधानमंत्री नहीं रहा। हम किसी पर आक्रमण नहीं करना चाहते, लेकिन हम यह कहना चाहते हैं कि हम थाई नागरिक हैं और हम थाईलैंड की संप्रभुता की रक्षा करना चाहते हैं।' दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय विवादों का एक लंबा इतिहास है। वहीं शिनावात्रा ने अपने बचाव में कहा, 'फोन कॉल से यह स्पष्ट हो गया कि मुझे इससे कोई लाभ नहीं मिलना था और मैंने देश को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।'