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07 अगस्त गुरुवार 2025, सूर्य की तरह चमकेगा इन राशियों का भाग्य

मेष राशि- भाग्यवश कुछ काम बनेंगे। कार्यों की विघ्न बाधा खत्म होगी। यात्रा का योग बनेगा। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार अच्छा रहेगा। पीली वस्तु पास रखें। वृषभ राशि- एक दिन और परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। थोड़ा बच के पार रखिए और कोई भी महत्वपूर्ण कार्य अभी रोक के रखिए। बाकी स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार अच्छा। हरी वस्तु पास रखें। पीली वस्तु का दान करें। मिथुन राशि- आनंददायक जीवन गुजारेंगे। स्वास्थ्य में सुधार होगा। जीवनसाथी का साथ रहेगा। प्रेम संतान का साथ होगा। व्यापार भी अच्छा रहेगा। नौकरी चाकरी की भी स्थिति अच्छी दिख रही है। पीली वस्तु का दान करें। कर्क राशि- स्वास्थ्य थोड़ा ऊपर नीचे रहेगा लेकिन बुजुर्गों का आशीर्वाद बना रहेगा। गुण, ज्ञान की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य थोड़ा सा मध्यम। बहुत ज्यादा ध्यान मत खराब करिएगा अपना। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार भी अच्छा।लाल वस्तु पास रखें। सिंह राशि- महत्वपूर्ण निर्णय अभी रोक कर रखें। भावुक बने रहेंगे। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम, संतान मध्यम। व्यापार अच्छा। पीली वस्तु पास रखें। कन्या राशि- गृह कलह के संकेत हैं। थोड़ा सा ध्यान देने की आवश्यकता होगी। भूमि भवन वाहन की खरीदारी की संभावना बन रही है। स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम, संतान अच्छा है। व्यापार अच्छा है। शनि देव को प्रणाम करते रहें। तुला राशि- कोई नई व्यापारिक शुरुआत करना चाहते हैं तो शुभ समय है, शुरू कर दें। स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम संतान का साथ है। व्यापार बहुत अच्छा है। पीली वस्तु का दान करें। वृश्चिक राशि- मुख रोग के शिकार हो सकते हैं और अगर निवेश किया तो नुकसान भी हो सकता है। बाकी स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार अच्छा है। पीली वस्तु पास रखें। धनु राशि- एक अलग तेज आप में रहेगा और जरूरत के हिसाब से वस्तुएं जीवन में होंगी। सामाजिक कद बढ़ेगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम, संतान की भी स्थिति अच्छी होगी। व्यापार भी अच्छा होगा। लाल वस्तु पास रखें। मकर राशि- मन चिंतित रहेगा। अज्ञात भय सताएगा। सिर दर्द और नेत्र पीड़ा संभव है। स्वास्थ्य थोड़ा माध्यम है। प्रेम, संतान का साथ मिलेगा। व्यापार भी अच्छा है। काली जी को प्रणाम करते रहें। कुंभ राशि- आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यात्रा का योग बनेगा। बच्चे आगे बढ़ेंगे। प्रेम में नयापन रहेगा। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार बहुत अच्छा है। हरी वस्तु पास रखें। मीन राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। पिता का साथ होगा। कोर्ट कचहरी में विजय मिलेगा। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार अच्छा होगा। पीली वस्तु पास रखें।

शिंगणापुर का चमत्कारी शनि मंदिर

भारत में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्व प्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित यहां पर शनि महाराज की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक बड़ा सा काला पत्थर है जिसे शनि का विग्रह माना जाता है और वह बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है। शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए देश विदेश से लोग यहां आते हैं और शनि विग्रह की पूजा करके शनि के कुप्रभाव से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि यहां पर शनि महाराज का तैलाभिषेक करने वाले को शनि कभी कष्ट नहीं देते। शनि मराहाज के शिंगणापुर पहुंचने की कहानी बड़ी ही रोचक है। सदियों पहले शिंगणापुर में खूब वर्षा हुई। वर्षा के कारण यहां बाढ़ की स्थिति आ गई। लोगों को वर्षा प्रलय के समान लगने लग रही थी। इसी बीच एक रात शनि महाराज एक गांववासी के सपने में आए, शनि महाराज ने कहा कि मैं पानस नाले में विग्रह रूप में मौजूद हूं। मेरे विग्रह को उठाकर गांव में लाकर स्थापित करो। सुबह इस व्यक्ति ने गांव वालों को यह बात बताई। सभी लोग पानस नाले पर गए और वहां मौजूद शनि का विग्रह देखकर सभी हैरान रह गये। गांव वाले मिलकर उस विग्रह का उठाने लगे लेकिन विग्रह हिला तक नहीं, सभी हारकर वापस लौट आए। शनि महाराज फिर उस रात उसी व्यक्ति के सपने में आये और बताया कि कोई मामा भांजा मिलकर मुझे उठाएं तो ही मैं उस स्थान से उठूंगा। मुझे उस बैलगाड़ी में बैठाकर लाना जिसमें लगे बैल भी मामा-भांजा हों। अगले दिन उस व्यक्ति ने जब यह बात बताई तब एक मामा भांजे ने मिलकर विग्रह को उठाया। बैलगाड़ी पर बिठाकर शनि महाराज को गांव में लाया गया और उस स्थान पर स्थापित किया जहां वर्तमान में शनि विग्रह मौजूद है। इस विग्रह की स्थापना के बाद गांव की समृद्घि और खुशहाली बढ़ने लगी शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव का विग्रह लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंचा व लगभग एक फीट छह इंच चैड़ा है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर शनिदेव के इस दुर्लभ विग्रह का दर्शन लाभ लेते हैं। यहां के मंदिर में स्त्रियों का शनि विग्रह के पास जाना वर्जित है। महिलाएं दूर से ही शनिदेव के दर्शन करती हैं। सुबह हो या शाम, सर्दी हो या गर्मी यहां स्थित शनि विग्रह के समीप जाने के लिए पुरुषों का स्नान कर पीताम्बर धोती धारण करना अत्यावश्क है। ऐसा किए बगैर पुरुष शनि विग्रह का स्पर्श नहीं पर सकते हैं। प्रत्येक शनिवार, शनि जयंती व शनैश्चरी अमावस्या आदि अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस हेतु यहां पर स्नान और वस्त्रादि की बेहतर व्यवस्थाएं हैंखुले मैदान में एक टंकी में कई सारे नल लगे हुए हैं, जिनके जल से स्नान करके पुरुष शनिदेव के दर्शनों का लाभ ले सकते हैं। पूजनादि की सामग्री के लिए भी यहां आसपास बहुत सारी दुकानें हैं, जहां से पूजन सामग्री लेकर शनिदेव को अर्पित कर सकते हैं। मंगलकारी हैं शनिदेव: आमतौर पर शनिदेव को लेकर हमारे मन में कई भ्रामक धारणाएं हैं। जैसे कि शनिदेव बहुत अधिक कष्ट देने वाले देवता हैं वगैरह-वगैरह, लेकिन वास्तविक रूप मे ऐसा नहीं है। यदि शनि की आराधना ध्यानपूर्वक की जाए तो शनिदेव से उत्तम कोई देवता ही नहीं है। शनि की जिस पर कृपा होती है उस व्यक्ति के लिए सफलता के सारे द्वार खुल जाते हैं। शिंगणापुर की विशेषता: गौरतलब है कि कि शिंगणापुर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं है। दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज उसकी सजा स्वयं दे देते हैं। गांव वालों पर शनिदेव की कृपा है व चोरी का भय ही नहीं है शायद इसीलिये दरवाजे, खिड़की, अलमारी व शिंगणापुर मे नही है। कई मुख्य स्थानो से शिंगणापुर की दूरी:- शिर्डी से शिंगणापुर की दूरी -70 किमी नासिक से शिंगणापुर की दूरी -170 किमी औरंगाबाद से शिंगणापुर की दूरी -68 किमी अहमद नगर से शिंगणापुर की दूरी -35 किमी।  

इस रक्षाबंधन पर विशेष खगोलीय योग, 1930 के बाद पहली बार 9 अगस्त को बन रहा दुर्लभ महासंयोग

ग्वालियर भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा नौ अगस्त शनिवार को मनाया जायेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पूर्णिमा को 95 वर्ष बाद दुर्लभ महासंयोग बन रहा है। यह संयोग वर्ष 1930 के समान है। नक्षत्र, पूर्णिमा संयोग, राखी बांधने का समय लगभग समान है। इन योग में लक्ष्मी नारायणजी की पूजा करने और राखी बांधने से दोगुना फल मिलेगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार, आठ अगस्त को दोपहर दो बजकर 12 मिनट पर सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी। वहीं नौ अगस्त को दोपहर एक बजकर 24 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी।   हालांकि आठ अगस्त को भद्रा दोपहर दो बजकर 12 मिनट से नौ अगस्त को देर रात एक बजकर 52 मिनट तक है। नौ अगस्त को राखी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन भद्रा का कोई साया नही है, क्योंकि भद्रा में कोई शुभ कार्य नही किया जाता है। रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा किसी भी मांगलिक या शुभ काम को करने से पहले भद्रा काल अवश्य देखा जाता है, जिससे उस काम में किसी भी प्रकार के अशुभ परिणाम सामने न आए। ऐसे में रक्षाबंधन में भद्रा का जरूर ध्यान रखा जाता है। इस साल बहनें बिना कोई विचार किए भाइयों को राखी बांध सकती है। पंचांग के अनुसार, इस साल भद्रा आठ अगस्त को दोपहर दो बजकर 12 मिनट से आरंभ हो रही है, जो नौ अगस्त को तड़के एक बजकर 52 मिनट तक रहेगा।। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाईयों के कलाई में बिना किसी भद्रा के राखी बांध सकती हैं। इस दिन सुबह पांच बजकर 35 मिनट से दोपहर एक बजकर 24 मिनट तक राखी बांधने का सबसे अच्छा मुहूर्त है। ब्रह्म मुहूर्त- सुबह चार बजकर 22 मिनट से पांच बजकर चार मिनट तक अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। नौ अगस्त की सुबह पांच बजकर 47 मिनट से दोपहर एक बजकर 24 मिनट बजे तक। इसमें अपराह्न काल, यानी दिन का तीसरा हिस्सा, सबसे शुभ माना गया है। रक्षा बंधन शुभ योग रक्षा बंधन के दिन सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है। सौभाग्य योग का समापन 10 अगस्त को देर रात दो बजकर 15 मिनट पर होगा। इसके बाद शोभन योग का निर्माण होगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग सुबह पांच बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर दो बजकर 23 मिनट तक है। इसके साथ ही श्रवण नक्षत्र मुहूर्त दोपहर दो बजकर 23 मिनट तक है, जबकि करण, बव और बालव हैं। इन योग में राखी का त्योहार मनाया जाएगा। साल 1930 का पंचांग वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, साल 1930 में शनिवार नौ अगस्त के दिन राखी का त्योहार मनाया गया था। इस दिन पूर्णिमा का संयोग शाम चार बजकर 27 मिनट तक था। वहीं पूर्णिमा तिथि की शुरुआत दोपहर दो बजकर सात मिनट पर शुरू हुआ था। इस प्रकार महज पांच मिनट का अतंर पूर्णिमा तिथि में है। सौभाग्य योग का संयोग 10 अगस्त को सुबह पांच बजकर 21 मिनट पर हुआ था। श्रवण नक्षत्र शाम चार बजकर 41 मिनट तक था। वहीं बव और बालव करण के संयोग थे। कुल मिलाकर कहें तो 95 साल बाद राखी का त्योहार समान दिन और समय, नक्षत्र और योग में मनाया जाएगा। 

बुधवार 06 अगस्त 2025 का पढ़ें दैनिक राशिफल

मेष राशि- वर्कप्लेस पर सीनियर्स का दबाव महसूस हो सकता है। किसी नए काम की जिम्मेदारी मिल सकती है। निवेश के नए अवसर सामने आएंगे। लव लाइफ अच्छी रहेगी। व्यक्तिगत मामलों को सुलझाने में सफल रहेंगे। आर्थिक रूप से दिन अच्छा रहने वाला है। जीवनसाथी का सानिध्य मिलेगा। वृषभ राशि- आज आपका कोई सपना पूरा हो सकता है। किसी लक्ष्य को पाने में भी सफल हो सकते हैं। व्यापारियों को आज व्यापार में घाटा हो सकता है। आज धन खर्च करने की जरूरत पड़ सकती है। बॉस का अच्छा मूड कार्यस्थल पर पूरे माहौल को खुशनुमा बना सकता है। आर्थिक रूप से उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। मिथुन राशि- आज आपको मानसिक शांति मिल सकती है। लव लाइफ में सुधार होगा। बच्चों की सेहत अच्छी रहेगी। व्यापारियों के लिए दिन अच्छा रहने वाला है। आर्थिक रूप से आप बेहतर स्थिति में आ सकते हैं। यात्रा का योग बनेगा। कर्क राशि- आज आपको किसी अपने के आर्थिक मदद करने की जरूरत पड़ सकती है। जीवनसाथी का साथ आपको अच्छा महसूस कराएगा । किसी भी दीर्घकालिक निवेश से बचें और बाहर जाकर अपने अच्छे दोस्त के साथ कुछ सुखद पल बिताने की कोशिश करें। गुण-ज्ञान की प्राप्ति होगी। अपनों का साथ मिलेगा। सिंह राशि- आज आपको ज्यादा काम करने से बचना चाहिए। आपका कठोर स्वभाव किसी अपने को ठेस पहुंचा सकता है। जल्दबाजी में धन खर्च करने से बचें। व्यापारिक स्थिति अच्छी होगी। सीनियर सहकर्मी और रिश्तेदार बड़ा सहयोग देंगे। जीवनसाथी के साथ अनबन हो सकती है। कन्या राशि- आज आपको लंबे समय बाद किसी अटके हुए धन की वापसी हो सकती है। ऑफिस में काम में आपकी व्यस्तता के कारण जीवनसाथी के साथ संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। काम पर फोकस करें और वाहन प्रयोग में सावधानी बरतें। कारोबार में विस्तार के योग हैं। तुला राशि- आज आपका आत्मविश्वास व ऊर्जा दोनों बढ़ी हुई रहेगी। निवेश का अच्छा रिटर्न मिल सकता है। दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताएंगे। भौतिक सुखों में वृद्धि होगी। यात्रा का योग है। व्यावसायिक सफलता मिल सकती है। वृश्चिक राशि- आज आपको कई स्रोतों से धन लाभ होगा। परिवार में शुभ समाचार मिलने से खुशियों का माहौल रहेगा। कुछ लोगों के लिए नया रोमांस आपका उत्साह बढ़ाएगा। किसी महत्वपूर्ण काम में सफलता मिल सकती है। जीवनसाथी के साथ पर्याप्त समय बिताने का मौका मिलेगा। आर्थिक स्थिति अच्छी होगी। धनु राशि- आपकी सेहत अच्छी रहने वाली है। धन की बचत करने के लिए आज का दिन अच्छा रहने वाला है। परिवार की समस्याओं को आपको प्राथमिकता देनी चाहिए। काम का दबाव होने के कारण मन अशांत हो सकता है। आर्थिक व व्यापारिक रूप से दिन अच्छा रहने वाला है। मकर राशि- आज आपको परिवार के किसी बड़े-बुजुर्ग की सलाह आपको आर्थिक रूप से काम आ सकती है। परिवार के किसी सदस्य के सेहत की चिंता हो सकती है। वैवाहिक जीवन अच्छा रहेगा। किसी खास व्यक्ति से सरप्राइज मिल सकता है। व्यापारिक स्थिति अच्छी रहेगी। कुंभ राशि- आज आपको करियर से जुड़ी नई संभावनाएं सामने आ सकती है। आर्थिक रूप से दिन अच्छा रहने वाला है। किसी खास व्यक्ति के साथ मनमुटाव हो सकता है, इसलिए अपनी जुबान पर कंट्रोल रखें। आज शेयर मार्केट में निवेश करने से बचें। मीन राशि– आज आपकी सेहत पहले से अच्छी होगी। व्यापारिक स्थिति में सुधार होगा। कारोबार में सुधार के संकेत हैं। लव लाइफ आपकी शादी एक खूबसूरत मोड़ लेगी। मन में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं।

राखी उतारने के बाद न करें ये गलती, जानें राखी के सही विसर्जन विधि

इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को मनाया जाएगा. अक्सर लोगों को एक कंफ्यूजन होता है कि रक्षाबंधन पर पिछले साल की पुरानी राखी का क्या करना चाहिए और पुरानी राखी उतारने के नियम क्या हैं? आइए आपको बताते हैं. अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोग राखी को पूरे एक साल तक बांधे रखते हैं और फिर अगले साल रक्षाबंधन पर नई राखी बंधवाते हैं. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि आखिर पुरानी राखी का क्या करें? आइए आपको बताते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, पिछले साल की राखी को रक्षाबंधन पर उतार देना चाहिए. आमतौर पर, रक्षाबंधन की राखी को 24 घंटे के अंदर या जन्माष्टमी के दिन उतार देनी चाहिए. रक्षाबंधन पर बांधी गई राखी को पूरे साल नहीं पहनना चाहिए. रक्षाबंधन के 24 घंटे के भीतर या जन्माष्टमी के दिन राखी उतारना शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष शुरू होने से पहले राखी को उतार देना चाहिए, क्योंकि इसे अशुद्ध माना जाता है. अगर आपने सोने या चांदी की राखी पहनी हो तो आप इसे पूरे साल पहन सकते हैं. पिछले साल की पुरानी राखी को फेंकने की बजाय आप उसे सम्मानपूर्वक विसर्जित कर सकते हैं या फिर उसे किसी अन्य काम में इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, पुरानी राखी को कहीं भी ऐसे ही नहीं फेंकना चाहिए. आप पुरानी राखी को किसी नदी, तालाब या बहते पानी में बहा सकते हैं. अगर यह संभव नहीं हो तो आप इसे किसी पेड़ के नीचे रख सकते हैं या फिर मिट्टी में दबा सकते हैं. विसर्जन करते समय आप एक सिक्का भी रख सकते हैं. राखी को इधर-उधर फेंकना अपवित्र माना जाता है. अगर राखी खंडित हो गई है, तो उसे लाल कपड़े में लपेटकर किसी सुरक्षित स्थान पर रखें और बाद में विसर्जित करें. आप पुरानी राखी को किसी पेड़ पर भी बांध सकते हैं.

मंगलवार 05 अगस्त 2025 बदल जाएगी इन राशियों की किस्मत

मेष राशि- आज का दिन आपकी अपने स्वयं के भीतर की एक बड़ी समझ हासिल करने का अवसर लाएगा। यह संभावना है कि आप अपनी अंतरतम भावनाओं के अनुरूप होंगे और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आपको जिस दिशा में जाने की आवश्यकता है, उसकी समझ होगी। वृषभ राशि- अपने रिश्तों पर ध्यान दें। समाधान खोजने की दिशा में काम करें। यह ग्रहण आपकी रचनात्मकता और नवीनता को भी उजागर करेगा, जिससे आपको नई परियोजनाओं या शौक का पता लगाने के अवसर मिलेंगे। अपने जुनून को पूरा करने के लिए जोखिम उठाएं। मिथुन राशि- एक कदम पीछे हटें और अपने जीवन के उन क्षेत्रों का आकलन करें जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है। यह आपके काम, रिश्तों या व्यक्तिगत विकास से संबंधित हो सकता है। कर्क राशि- दिनचर्या से मुक्त होने और जीवन में नए रास्ते तलाशने की तीव्र इच्छा महसूस कर सकते हैं। आप जोखिम उठाते सकते हैं जो आप आमतौर पर नहीं लेते या उन लक्ष्यों का पीछा करते हैं जो कभी दूर के सपने थे। खुले दिमाग रखना आवश्यक है। सिंह राशि- जीवन में कुछ अप्रत्याशित परिवर्तन और चुनौतियां आ सकती हैं। आपको अपने व्यक्तिगत संबंधों या कार्य जीवन में स्वतंत्रता और प्रामाणिकता की सख्त आवश्यकता महसूस हो सकती है। खुले दिमाग से रहना और अपने विचारों को संसाधित करने के लिए खुद को समय देना महत्वपूर्ण है। कन्या राशि- आज कन्या राशि वालों के जीवन में अप्रत्याशित परिवर्तन या अवसर आ सकते हैं। इसमें यात्रा की योजनाएं या सीखने के अनुभव शामिल हो सकते हैं। यह व्यक्तिगत विकास का एक मौका है।आज आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। निवेश कर सकते हैं। तुला राशि- आपको नए अवसरों या रचनात्मक प्रयासों की ओर खींचा जा सकता है। हालांकि, खुद को ओवरकमिट करने या सेल्फ-केयर की उपेक्षा करने से सावधान रहें। मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से संतुलन बनाए रखें। वृश्चिक राशि- परिवार के सदस्यों के बीच तनाव बढ़ सकता है। किसी भी गलतफहमी से बचने के लिए संवाद करना आवश्यक है। वित्तीय अस्थिरता से बचने के लिए खर्च करने पर नियंत्रण रखें। आज के दिन धैर्य से काम करें। धनु राशि- आज आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। हालांकि, जो लोग जीवन के इन पहलुओं की उपेक्षा कर रहे हैं, उन्हें अचानक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। धन का अधिक खर्च करने से बचें। यह समय थोड़ा धैर्य से काम लेने का है। मकर राशि- आज का दिन अतीत की कुछ अनसुलझी भावनाओं को भी सामने ला सकता। आपको इस समय का उपयोग किसी नई शुरुआत के साथ आगे बढ़ने के लिए करना चाहिए।यह समय जीवन में बड़े बदलाव ला सकता है। कुंभ राशि- व्यक्तिगत संबंधों या घरेलू जीवन में परिवर्तन हो सकते हैं। नए कार्य की शुरुआत के लिए दिन अच्छा है। उन विचारों और योजनाओं पर कार्रवाई करने की इच्छा भी बढ़ सकती है जिन्हें अतीत में बंद कर दिया गया था। मीन राशि- आप अधिक ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं। ऊर्जा का सदुपयोग बड़ी चीजें हासिल करने में करें। यह लक्ष्य निर्धारित करने और समर्पण के साथ उसकी ओर काम करने का समय है। आज अप्रत्याशित अवसर भी मिल सकते हैं। इसके लिए तुरंत निर्णय लेने के कौशल की आवश्यकता हो सकती है।

लंका दहन के समय एक घर छोड़ दिया था हनुमानजी ने

मेघनाथ ने श्रीहनुमानजी को रावण के सामने लाकर खड़ा कर दिया। हनुमानजी ने देखा कि राक्षसों का राजा रावण बहुत ही ऊंचे सोने के सिंहासन पर बैठा हुआ है। उसके दस मुंह और बीस भुजाएं हैं। उसका रंग एकदम काला है। उसके आसपास बहुत से बलवान योद्धा और मंत्री आदि बैठे हुए हैं। लेकिन रावण के इस प्रताप और वैभव का हनुमानजी पर कोई असर नहीं पड़ा। वह वैसे ही निडर खड़े रहे जैसे सांपों के बीच में गरुड़ खड़े रहते हैं। हनुमानजी को इस प्रकार अपने सामने अत्यन्त निर्भय और निडर खड़े देखकर रावण ने पूछा- बन्दर तू कौन है? किसके बल के सहारे वाटिका के पेड़ों को तुमने नष्ट किया है? राक्षसों को क्यों मारा है? क्या तुझे अपने प्राणों का डर नहीं है? मैं तुम्हें निडर और उद्दण्ड देख रहा हूं। हनुमानजी ने कहा- जो इस संपूर्ण विश्व के, इस संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं, मैं उन्हीं भगवान श्रीरामचंद्रजी का दूत हूं। तुम चोरी से उनकी पत्नी का हरण कर लाये हो। उन्हें वापस कर दो। इसी में तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का कल्याण है। यदि तुम यह जानना चाहते हो कि मैंने अशोवाटिका के फल क्यों खाये, पेड़ आदि क्यों तोड़े, राक्षसों को क्यों मारा तो मेरी बात सुनो। मुझे बहुत जोर की भूख लगी थी इसलिए वाटिका के फल खा लिये। बंदर स्वभाव के कारण कुछ पेड़ टूट गये। अपनी देह सबको प्यारी होती है इसलिए जिन लोगों ने मुझे मारा, मैंने भी उन्हें मारा। इसमें मेरा क्या दोष है? लेकिन इसके बाद भी तुम्हारे पुत्र ने मुझे बांध रखा है। रावण को बहुत ही क्रोध चढ़ आया। उसने राक्षसों को हनुमानजी को मार डालने का आदेश दिया। राक्षस उन्हें मारने दौड़ पड़े। लेकिन तब तक विभीषण ने वहां पहुंच कर रावण को समझाया कि यह तो दूत है। इसका काम अपने स्वामी को संदेश पहुंचाना है। इसका वध करना उचित नहीं होगा। इसे कोई अन्य दंड देना ही ठीक होगा। विभीषण की यह सलाह रावण को पसंद आ गयी। उसने कहा ठीक है बंदरों को अपनी पूंछ से बड़ा प्यार होता है। इसकी पूंछ में कपड़े लपेटकर, तेल डालकर उसमें आग लगा दो। जब यह बिना पूंछ का होकर अपने स्वामी के पास जायेगा तब फिर उसे भी साथ लेकर लौटेगा। यह कहकर वह बड़े जोर से हंसा। रावण का आदेश पाकर राक्षस हनुमानजी की पूंछ में तेल भिगो भिगोकर कपड़े लपेटने लगे। अब तो हनुमानजी ने बड़ा ही मजेदार खेल किया। वह धीरे धीरे अपनी पूंछ को बढ़ाने लगे। ऐसी नौबत आ गयी कि पूरी लंका में तेल, कपड़े और घी बचे ही नहीं। अब राक्षसों ने तुरंत उनकी पूंछ में आग लगा दी। पूंछ में आग लगते ही हनुमानजी तुरंत उछलकर एक ऊंची अटारी पर जा पहुंचे और वहां से चारों ओर कूद कूदकर वह लंका को जलाने लगे। देखते ही देखते पूरी नगरी आग की विकराल लपटों में घिर गयी। सभी राक्षस और राक्षसियां जोर जोर से चिल्लाने लगे। वे सब रावण को कोसने लगे। रावण को भी आग बुझाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। हनुमानजी की सहायता करने के लिए पवन देवता भी जोर जोर से बहने लगे। थोड़ी ही देर में पूरी लंका जलकर नष्ट हो गयी। हनुमानजी ने केवल विभीषण का घर छोड़ दिया और उसे जलाया नहीं।  

पुत्र प्राप्ति के लिए करें पुत्रदा एकादशी व्रत, जानें विधि और पारण का महत्व

 वैसे तो हर एकादशी पुण्यदायी मानी गई है, लेकिन सावन में पड़ने वाली एकादशी का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. श्रावण के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं, जो कि इस साल 5 अगस्त को है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन की पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और बच्चों के खुशहाल जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है. अगर आप भी पुत्रदा एकादशी का व्रत करने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं इसकी पूजा विधि और व्रत पारण का समय. पुत्रदा एकादशी 2025 तिथि पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 4 अगस्त को सुबह 11:41 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 5 अगस्त को दोपहर 1:12 मिनट पर होगा. ऐसे में पुत्रदा एकादशी व्रत 5 अगस्त को किया जाएगा और व्रत का पारण 6 अगस्त को होगा. पुत्रदा एकादशी व्रत करने से क्या फल मिलता है? पुत्रदा एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किया जाता है. कहते हैं कि पुत्रदा एकादशी व्रत के पुण्य प्रताप से संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं, जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती और जीवन में पवित्रता आती है. पुत्रदा एकादशी व्रत विधि 2025 पुत्रदा एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है. दशमी तिथि (4 अगस्त) की शाम सात्विक भोजन करना चाहिए. फिर एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. घर के मंदिर में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें. पूजा में धूप-दीप, फूल-माला, बेल पत्र, आंकड़े के फूल चढ़ाएं. धतूरा, रोली और नैवेद्य सहित कुल 16 सामग्री अर्पित करें. पूजा में भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाएं, लेकिन शिव जी को नहीं. पूजा के बाद पुत्रदा एकादशी की कथा का पाठ कर अंत में आरती करें. पूजा के दौरान भगवान के सामने एकादशी व्रत करने का संकल्प लें. फिर दिनभर निराहार रहें, अगर भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार करें. शाम के समय दोबारा विधिवत भगवान विष्णु की पूजा करें. अगले दिन द्वादशी तिथि में सुबह जल्दी उठकर विष्णु पूजन करें. इसके बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं, फिर व्रत का पारण करें. पुत्रदा एकादशी का व्रत कब खोलना चाहिए? पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद द्वादशी तिथि में किया जाता है. पुत्रदा एकादशी व्रत पारण 6 अगस्त को सुबह 5:45 बजे से सुबह 8:26 बजे तक किया जाएगा. पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय दोपहर 2:08 बजे है.

04 अगस्त सोमवार 2025, सूर्य की तरह चमकेगा इन राशियों का भाग्य

मेष राशि- मेष राशि वालों के मन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। शैक्षिक कार्यों में सफल रहेंगे। बौद्धिक कार्यों से आय के साधन बन सकते हैं। कारोबार से लाभ में वृद्धि होगी। किसी मित्र के सहयोग से आय में वृद्धि हो सकती है। वृषभ राशि- वृषभ राशि वालों का मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। बौद्धिक कार्यों में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। आय में वृद्धि होगी। खर्चों में वृद्धि होगी। मिथुन राशि- मिथुन राशि वालों का मन अशांत रहेगा। आत्मसंयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। बातचीत में संतुलित रहें। कारोबार में वृद्धि होगी। लाभ में भी वृद्धि होगी। शैक्षिक कार्यों के लिए किसी दूसरे स्थान पर जा सकते हैं। कर्क राशि- कर्क राशि वाले किसी अज्ञात भय से परेशान हो सकते हैं। मन में नकारात्मक विचारों से बचें। नौकरी में बदलाव के साथ तरक्की के योग बन रहे हैं। कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी। सेहत के प्रति सचेत रहें। सिंह राशि- सिंह राशि वालों का मन परेशान रहेगा। आत्मसंयत रहें। क्रोध के अतिरेक से बचें। वाणी के प्रभाव में वृद्धि होगी। किसी नए कारोबार की शुरुआत हो सकती है। पिता से धन की प्राप्ति हो सकती है। आय में वृद्धि होगी। कन्या राशि- कन्या राशि वालों का मन परेशान रहेगा। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। परिवार की सेहत का ध्यान रखें। पिता का साथ मिलेगा। कारोबार में कठिनाई आ सकती है। परिवार का साथ रहेगा। तुला राशि- तुला राशि वालों को अशांति महसूस होगी। आत्मसंयत रहें। क्रोध से बचें। बातचीत में संतुलित रहें। सप्ताह के प्रारंभ में संतान की सेहत का ध्यान रखें। नौकरी में कार्यक्षेत्र में परिवर्तन हो सकता है।H वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि वालों के मन में प्रसन्नता रहेगी और आत्मविश्वास भी भरपूर रहेगा। पठन-पाठन में रुचि रहेगी। शैक्षिक व बौद्धिक कार्यों में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। सेहत के प्रति सचेत रहें। धनु राशि- धनु राशि वाले आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे, परंतु संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। नौकरी में बदलाव के योग बन रहे हैं। तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। वाहन सुख में वृद्धि होगी। मकर राशि- मकर राशि वाले आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे, परंतु संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। नौकरी में बदलाव के योग बन रहे हैं। तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। वाहन सुख में वृद्धि होगी। कुंभ राशि- कुंभ राशि वालों के आत्मविश्वास में कमी रहेगी। मन परेशान भी रहेगा। माता की सेहत का ध्यान रखें। भागदौड़ अधिक रहेगी। रहन-सहन कष्टमय हो सकता है। खर्चों में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर मिलेंगे। मीन राशि- मीन राशि वालों का मन अशांत रहेगा। आत्मसंयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। बातचीत में भी संतुलन बनाए रखें। कारोबार में बदलाव के योग बन रहे हैं। भागदौड़ अधिक रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा।

सावन सोमवार की महिमा: इन 5 चीजों से करें जलाभिषेक, दूर होंगी सारी बाधाएं

सावन का पवित्र महीना अब समापन की ओर है, जिसे भगवान शिव की भक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में में विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है. सावन का सोमवार अत्यंत ही लाभकारी और पुण्यदायी माना गया है. इस बार सावन का अंतिम सोमवार 4 अगस्त को पड़ रहा है. ऐसे में अगर आप भी इस शुभ अवसर पर भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो शिवलिंग पर इन खास चीजों को जरूर चढ़ाएं. बेल पत्र भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता है कि यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. अगर आप सावन के आखिरी सोमवार शिवलिंग पर 3 या 5 बेल पत्र चढ़ाते हैं तो इससे पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. धतूरा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर धतूरे का फल या फूल चढ़ाना शुभ माना गया है. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. गंगाजल हिंदू धर्म में गंगाजल को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना गया है. सावन में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाना सबसे लाभकारी होता है. अगर आप सावन के आखिरी सोमवार को गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं तो इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और नकारात्मकता दूर होती है. रुद्राक्ष रुद्राक्ष को शिवजी का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर चढ़ाना बहुत पुण्यकारी होता है. आप एक रुद्राक्ष या रुद्राक्ष की माला भी शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं. मान्यता है कि इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आर्थिक उन्नति मिलती है. कच्चा दूध शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाना अत्यंत ही फलदायी माना गया है. अगर आप कच्चे दूध में शहद मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं तो इससे संतान सुख, वैवाहिक जीवन की शांति और मन की शुद्धता बनी रहती है.