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‘स्‍टार गधा शाहरुख’ की लगी रिकॉर्ड तोड़ बोली, मेले में छाया आकर्षण का केंद्र

सतना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में दीपावली के बाद फिर से गूंज उठा पशु व्यापार का अनोखा संगम गधा मेला। मंदाकिनी नदी के किनारे सजे इस तीन दिवसीय मेले की शुरुआत मंगलवार को पारंपरिक अंदाज में हुई। यह मेला अपनी अनूठी परंपरा, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और दिलचस्प नामों वाले जानवरों के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस बार मेले में महिला व्यापारियों का पहुंचना कौतूहल का विषय बना रहा। जहां घूंघट ओढ़े महिला व्यापारियों ने सर्वाधिक तेज बोली लगाते दिखी। देश-विदेश से पहुंचे व्यापारी इस बार मेले में 300 से अधिक गधे, खच्चर और घोड़ियां शामिल की गई हैं। व्यापारी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल और यहां तक कि अफगानिस्तान से भी पहुंचे हैं। पहले ही दिन खरीद-फरोख्त का माहौल बेहद रोमांचक रहा। ‘शाहरुख’ बना स्टार, ‘सलमान’ और ‘बसंती’ भी छाए हर साल की तरह इस बार भी फिल्मी नामों वाले जानवर मेले की शान बने हुए हैं। ‘शाहरुख’ नाम के गधे की सबसे ऊंची बोली 1 लाख 5 हजार रुपए लगी। वहीं ‘सलमान’, ‘बसंती’ और ‘धोनी’ नाम के गधों ने भी व्यापारियों का ध्यान खींचा। पिछले साल ‘लॉरेंस’ नाम के खच्चर ने 1.25 लाख की रिकॉर्ड बोली लगवाकर सबको चौंका दिया था। इस बार भी खरीदारों में उसी उत्साह और प्रतिस्पर्धा का माहौल है। महिला व्यापारियों की बढ़ती भागीदारी इस बार मेले में महिलाओं की उपस्थिति भी चर्चा में रही। घूंघट में पहुंची एक महिला व्यापारी ने अकेले 15 जानवरों की खरीद कर सबको अचंभित कर दिया। खरीदे गए ये जानवर निर्माण कार्य, ईंट-भट्टों और परिवहन के काम में उपयोग होते हैं। औरंगजेब से जुड़ा इतिहास इतिहासकार बताते हैं कि इस मेले की शुरुआत सन् 1670 के आसपास मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में हुई थी। कहा जाता है कि चित्रकूट पर आक्रमण के दौरान उसकी सेना के घोड़े बीमार पड़ गए थे। तब उसने बालाजी मंदिर निर्माण कार्य और सामान ढुलाई के लिए गधों की खरीद के आदेश दिए। वहीं से इस अनोखे मेले की परंपरा शुरू हुई। आज यह मेला राजस्थान के पुष्कर मेले के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है, जहां व्यापार के साथ परंपरा, संस्कृति और लोकजीवन की सजीव झलक देखने को मिलती है।

भोपाल में रेयर अर्थ एलिमेंट व टाइटेनियम थीम पार्क का उद्घाटन जल्द

भोपाल  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के निकट, आचारपुरा औद्योगिक क्षेत्र में “रेयर अर्थ और टाइटेनियम थीम पार्क” आकार ले रहा है. अधिकारियों ने बताया कि दुर्लभ खनिजों के खनन और परिशोधन में सशक्त बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को साकार करते हुए उच्च-स्तरीय दल ने भोपाल के अचारपुरा इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड के रेयर अर्थ एवं टाइटेनियम थीम पार्क का अवलोकन किया. उच्च-स्तरीय दल प्रदेश में रेयर अर्थ खनिजों की संपूर्ण वैल्यू चेन के विकास और सहयोग के अवसर तलाश रहा है. राज्य सरकार की इस टीम ने संयंत्र में स्वदेशी तकनीक से विकसित रेयर अर्थ धातु निष्कर्षण प्रक्रियाओं की जानकारी ली. क्यों खास है ये पार्क? राज्य सरकार की टीम ने अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का भी अवलोकन किया, जहां उन्नत अनुसंधान, परिशोधन (बेनीफिसिएशन) और प्रसंस्करण तकनीकों के माध्यम से भारत को इस रणनीतिक क्षेत्र में अग्रणी बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं. खनिज विभाग और आईआरईएल के बीच भावी सहयोग पर भी चर्चा हुई, जिसमें नीतिगत सहयोग, तकनीकी विकास और औद्योगिक संपर्क को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. यह पार्क मध्यप्रदेश को एक महत्वपूर्ण ‘रेयर अर्थ मैटेरियल हब' बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. हाल ही में भी राज्य की उच्चस्तरीय टीम ने इस पार्क का दौरा कर उसकी प्रौद्योगिकियों, अनुसंधान और प्रसंस्करण क्षमताओं का जायज़ा लिया. इससे प्रदेश में रेयर अर्थ खनिजों के अन्वेषण, प्रसंस्करण और संबद्ध उद्योगों का सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र (इको सिस्टम) विकसित किया जा सके. खनिज विभाग के उच्च-स्तरीय दल का यह दौरा प्रदेश को महत्वपूर्ण खनिज प्रसंस्करण और संबद्ध विनिर्माण के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे देश को रेयर-अर्थ-मटेरियल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सशक्त किये जाने के प्रयासों को सहायता मिलेगी.

मां की अनमोल दुआ: 72 की उम्र में बेटे को किडनी देकर दी नई जिंदगी

इंदौर   इंदौर से ममता और त्याग की एक अद्भुत मिसाल पेश करने वाली खबर सामने आई है. यहां 72 वर्षीय मां ने अपने गंभीर रूप से बीमार 46 साल के बेटे को अपनी किडनी दान करके उसे नया जीवन दिया है.कपड़ों की धुलाई का काम करने वाले कमलेश वर्मा पिछले 3 वर्षों से गंभीर किडनी रोग से पीड़ित थे और डायलिसिस करवा रहे थे, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था. डॉक्टरों द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दिए जाने पर 72 वर्षीय मां गंगा वर्मा अपनी किडनी दान करने के लिए आगे आईं.  यह अंग प्रत्यारोपण सर्जरी शहर के सरकारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सफलतापूर्वक की गई. अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रितेश बनोडे ने बताया कि दाता की बढ़ती उम्र के कारण प्रत्यारोपण चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सर्जरी पूरी तरह सफल रही. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मामला लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करेगा. 'मां का कर्ज कभी नहीं चुका सकता' अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मां-बेटे की जोड़ी घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रही है. दोनों ने इस फैसले पर भावुक होकर प्रतिक्रिया दी. अपने बच्चे की जान बचाना एक मां का फर्ज होता है. अगर मेरी किडनी ने मेरे बेटे की जान बचाई, तो इससे ज़्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है?" भावुक होकर कहा, "मैं पिछले तीन सालों से डायलिसिस करवा रहा था. अब मेरी मां ने मुझे फिर से जिंदगी दी है. मैं अपनी मां का यह कर्ज कभी नहीं चुका सकता."

भोपाल की वायु गुणवत्ता पर नजर रखेगा हाईटेक सर्विलांस सिस्टम

भोपाल  भोपाल शहर में हवा, पानी और ध्वनि की जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सर्विलांस का उपयोग करेगा। इस सर्विलांस की मदद से सड़क से लेकर चार दीवारी के बीच होने वाले प्रदूषण की जांच की जा सकेगी। जांच से मिलेगा डाटा का एनालिसिस होगा। इसमें एआइ की मदद ली जाएगी। अभी शहर में तीन स्थानों पर बोर्ड रियल टाइम मॉनिटरिंग कर रहा है। इनकी लागत करीब तीन करोड़ है। मॉनिटरिंग के बाद सर्विलांस सिस्टम को भी उपयोग किया जाएगा। इसे पीसीबी ने विकसित किया है। हवा पानी से लेकर साइंस की जांच के साथ आंकड़ों का तुरंत एनालिसिस करने में यह मददगार साबित होगा। पीसीबी ने इस साल सेटेलाइट बेस निगरानी का भी उपयोग किया। यह पराली के लिए इस्तेमाल की गई है। ब्रजेश शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि शहर में हवा पानी की जांच के लिए तकनीक का उपयोग हो रहा है। सर्विलांस सिस्टम के लिए राजधानी में अलग डिवीजन तैयार की गई है। इस सिस्टम के सहारे रियल टाइम आंकड़ों के साथ ही एआइ मॉनिटरिंग भी होगी। आंकड़े जल्द और स्पष्ट मिलेंगे। क्या है सर्विलांस सिस्टम अधिकारियों के मुताबिक यह एक डाटा कलेक्शन सेंटर है। इससे हवा, पानी और ध्वनि की जांच कर रहे हैं। औद्योगिक निगरानी, सार्वजनिक जानकारी जोड़ी जा रही है। ये एनालिसिस करेगा। जानकारों के मुताबिक उन कारणों का पता लगाना आसान होगा जो प्रदूषण के लिए जिमेदार हैं। अभी चार स्थानों पर मैन्युअल जांच, ये भी जुडे़ंगे वर्तमान में राजधानी में सात स्थानों पर जांच हो रही है। इनमें तीन रियल टाइम हैं, जबकि चार मैन्युअल हैं। मैन्युअल जांच में एक औद्योगिक क्षेत्र हैं।

छमाही परीक्षाओं के लिए बोर्ड पैटर्न अनुसार प्रश्नपत्रों की तैयारी शुरू

भोपाल  सरकारी स्कूलों में नौवीं से 12वीं तक की छमाही परीक्षाएं तीन नवंबर से आयोजित की जा रही है। इसमें अक्टूबर तक के करीब 70 फीसद पाठ्यक्रम से सवाल पूछे जाएंगे, लेकिन शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया गया है, इससे कुछ स्कूलों का पाठ्यक्रम करीब 40 से 50 फीसद पूरा हुआ है। स्कूलों में 18 से 23 अक्टूबर तक दीपावली का अवकाश है। इसको देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों को अतिरिक्त कक्षाएं संचालित कर पाठ्यक्रम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। अब कई स्कूलों ने अवकाश में भी रेमेडियल कक्षाएं लगाकर पाठ्यक्रम पूरा कराने की योजना पर काम कर रहे हैं। विभाग ने सरकारी स्कूलों में होने वाली छमाही परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी है। इनमें पाठ्यक्रम 70 प्रतिशत हिस्सा कवर किया जाएगा, ताकि विद्यार्थियों की वार्षिक के हिसाब से तैयारी हो सके। वहीं बोर्ड व वार्षिक परीक्षा फरवरी में होगी। प्रश्नपत्र ईमेल के माध्यम से स्कूलों में भेजे जाएंगे और वहीं से प्रिंट निकालकर विद्यार्थियों में वितरित किए जाएंगे। प्रश्नपत्र बोर्ड के पैटर्न पर तैयार होंगे। रिजल्ट में देखा जाएगा कि जिन सवालों में अधिकांश विद्यार्थी गलती कर रहे हैं, उनके लिए अलग से कक्षा लगाई जाएगी, ताकि वे वार्षिक परीक्षा में इस गलती को न दोहराएं। विद्यार्थियों के लिए रेमेडियल और विशेष कक्षाएं भी लगाई जाएंगी, ताकि वार्षिक परीक्षा के लिए उनकी पर्याप्त तैयारी हो सके। अवकाश में भी लग रही कक्षाएं सांदीपनि विद्यालय बरखेड़ी के प्राचार्य केडी श्रीवास्तव ने बताया कि पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए दीपावली की छुट्टियों में भी कक्षाएं संचालित की जाएंगी। विद्यार्थी अपने मन से कक्षाओं में आएंगे। वहीं सांदीपनि विद्यालय निशातपुरा के प्राचार्य आरसी जैन ने बताया कि 60 फीसद पाठ्यक्रम पूरा कर लिया गया है। रविवार और दीपावली के अवकाश में भी कक्षाएं लगाई जाएंगी।इसके अलावा रेमेडियल कक्षाएं भी संचालित की जा रही है। इस बार फरवरी में बोर्ड परीक्षाएं अधिकारियों ने बताया कि पेपर बोर्ड पैटर्न पर तैयार किया जाएगा और कठिनाई स्तर का भी ध्यान रखेंगे। इसे मध्यम स्तर पर तैयार करेंगे ताकि छात्रों को वार्षिक परीक्षा का पूर्वाभ्यास हो जाए। इस बार 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं फरवरी के पहले सप्ताह से शुरू हो रही हैं। इस वजह से भी अधिकतम पाठ्यक्रम को कवर करेंगे। विद्यार्थियों को उत्तरपुस्तिकाएं दिखाएंगे परीक्षा के दौरान ही उत्तरपुस्तिकाएं चेकिंग का काम भी शुरू हो जाएगा। जिस विषय का पेपर होता जाएगा, उसकी उत्तरपुस्तिकाएं भी जांचनी शुरू कर दी जाएंगी। ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि परीक्षा समाप्ति के दो-तीन दिन के भीतर ही छात्रों को उनकी उत्तरपुस्तिकाएं दिखा दी जाए। अधिकारियों ने बताया कि विद्यार्थियों को कक्षाओं में संबंधित विषय के शिक्षक यह भी बताएंगे कि उन्होंने कहां गलती की है और वार्षिक परीक्षा में इस तरह के प्रश्नों के उत्तर कैसे लिखने हैं। अभी से स्कूलों में रेमेडियल कक्षाएं शुरू कर दी हैं। इसी के साथ छमाही परीक्षा के परिणाम के आधार पर भी स्कूलों में विशेष कक्षाएं लगाकर उनकी समस्या दूर की जाएगी। स्कूल स्तर पर भी पेपर तैयार करवाकर विद्यार्थियों से हल करवाएंगे। छमाही परीक्षाओं के लिए विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। नरेंद्र अहिरवार, जिला शिक्षा अधिकारी

दालों के उत्पादन में प्रथम, खाद्यान्न में द्वितीय और तिलहन में तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश

कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश स्थापित कर रहा है नये कीर्तिमान दालों के उत्पादन में प्रथम, खाद्यान्न में द्वितीय और तिलहन में तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश किसानों के हर सुख-दुख में साथ है मध्यप्रदेश सरकार भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में कृषि विकास और किसान कल्याण में मध्यप्रदेश सरकार प्राण-प्रण से जुटी हुई है। मध्यप्रदेश उत्पादक गतिविधियों में नवाचार कर रहा है। सरकार किसानों के हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ी है। प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। उत्पादन में रिकार्ड दर्ज कर प्रदेश को अनेक अवार्ड हासिल हुए हैं। म.प्र. दालों के उत्पादन में प्रथम स्थान पर, खाद्यान उत्पादन में द्वितीय स्थान पर और तिलहन उत्पादन में तृतीय स्थान पर है। प्रदेश में त्रि-फसली क्षेत्र में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। प्रदेश में नरवाई जलाने की घटनाओं में कमी (हतोत्साहित) करने के लिए प्रदेश में प्रभावी कार्यवाही की गई है। किसानों के सम्मान के साथ प्रोत्साहन भी राज्य सरकार द्वारा रबी 2024-25 में उपार्जित गेहूँ पर राशि रूपये 175 प्रति क्विटंल प्रोत्साहन राशि प्रदाय की गई। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी द्वारा फरवरी 2025 में लगभग 83.50 लाख से अधिक किसानों को करीब 1770 करोड़ रूपये किसान सम्मान निधि सिंगल क्लिक से अंतरित की गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत 81 लाख से अधिक किसानों के खातों में 1624 करोड़ रूपये सिंगल क्लिक के माध्यम से जमा की गई। पहली बार समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी प्रदेश में पहली बार भारत सरकार की प्राईस सर्पोट स्कीम अंतर्गत सोयाबीन का उपार्जन किया गया, जिसमें 2,12,568 कृषकों से कुल 6.22 लाख मीट्रिक टन मात्रा का उपार्जन किया गया है, जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि 3043.04 करोड़ है। अन्न के उत्पादन को बढावा देने के लिए रानी दुर्गावती अन्न प्रोत्साहन योजना लागू की है, जिसके तहत किसानों को 3900 रूपये प्रति हैक्टेयर डी.बी.टी. के माध्यम से प्रदान किया जायेगा। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, स्वाईल हेल्थ कार्ड और सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि का लाभ भी मिल रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल के नुकसान का समय पर आकलन एवं राहत राशि का वितरण किसानों को मिल रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नामांकन एवं दावा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने, एनसीआईपी पोर्टल के साथ भूमि रिकॉर्ड को सफलता पूर्वक एकीकृत करने और पोर्टल को किसान अनुकूल बनाने के लिए मध्यप्रदेश को 'उत्कृष्टता प्रमाण पत्र' प्रदान किया गया है। नमो ड्रोन दीदी योजनांतर्गत मध्यप्रदेश में 89 दीदियों को स्वाबलंबी बनाया गया है। नमो ड्रोन से 4200 हेक्टेयर क्षेत्र में तरल उरर्वरक का छिड़काव कर दीदियों ने 21.22 लाख रूपये की शुद्ध आय प्राप्त की है। वर्ष 2025-26 में 1066 दीदिओं को योजनांर्तगत लाभान्वित किया जा रहा है। नरवाई प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्र पर 412 करोड़ का अनुदान कृषकों द्वारा फसल अवशेष (पराली) जलाने से रोकने के लिये शासन द्वारा कई कदम उठाये गये है, जिसमें प्रदेश स्तर पर 46,800 से अधिक नरवाई प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्र अनुदान पर वितरित करते हुए 412 करोड़ रूपये की अनुदान राशि जारी की गई है। कौशल विकास केन्द्रों के माध्यम से किसान ड्रोन पायलट प्रशिक्षण एवं ड्रोन तकनीशियन का प्रशिक्षण प्रदान कराया जा रहा है। प्रशिक्षण में 50 प्रतिशत शुल्क का भुगतान म.प्र. शासन द्वारा वहन किया जा रहा है। अब तक 412 युवाओं को ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण तथा 33 प्रशिक्षणार्थियों को ड्रोन तकनीशियन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। 4730 कस्टम हायरिंग केन्द्रों से कृषक हो रहे लाभान्वित कृषकों को सस्ते दर पर यंत्र उपलब्ध कराने एवं ग्रामीण युवाओं को स्वावलंबी बनाये जाने के लिये सरकार के संकल्प के अनुसार हर वर्ष 1000 कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित किये जा रहे है। अब तक 4730 कस्टम हायरिंग केन्द्र प्रदेश स्तर पर स्थापित है जिससे कृषकों को लाभ मिल रहा है। कस्टम हायरिंग के 25 लाख रूपये तक के प्रोजेक्ट पर 40 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रूपये का अनुदान दिया जाता है। प्रदेश में अपेडा अन्तर्गत 11.48 लाख हेक्टयर फसल उत्पादन क्षेत्र एवं वनोपज संग्रहण क्षेत्र सहित कुल 20.55 लाख हेक्टयर जैविक क्षेत्र पंजीकृत है। "एक जिला एक उत्पाद" अंतर्गत कृषि संबंधी 6 उत्पाद कोदो-कुटकी-अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला, सिंगरौली, तुअर दाल- नरसिंहपुर, चना-दमोह, बासमति चावल-रायसेन, चिन्नोर चावल-बालाघाट, सरसों-भिण्ड एवं मुरैना जिले शामिल किये गये है। फार्म गेट एप के तहत किसान अपनी उपज का विवरण, फोटो मोबाइल एप्लिकेशन पर डाल कर मंडी मे पंजीकृत व्यापारियों के साथ मोल भाव कर सकता है। सौदा तय होने पर किसान की सहमति प्राप्त कर व्यापारी सीधे किसान के गाँव / खेत से उपज उठा लेता है। इससे भौतिक रूप से माल के परिवहन की आवश्यकता नहीं रहती और माल न बिकने की अनिश्चितता को समाप्त करता है। मंडी के माध्यम से किसान को मंडी अनुबंधित व्यापारी का चयन कर खेत/गोदाम पर ही फसल बेचने की सुविधा है। रानी दुर्गावती अन्न प्रोत्साहन योजना रानी दुर्गावती अन्न प्रोत्साहन योजना में किसानों को एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से अधिकतम 3 हजार 900 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जा रही है। शून्य प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालीन फसल ऋण के लिए इस वर्ष 600 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। विगत वर्ष किसानों को समर्थन मूल्य पर उपार्जित गेहूँ पर प्रति क्विंटल 125 रुपये का बोनस प्रदाय किया गया।  

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण में महत्वपूर्ण कदम

सोनोग्राफी सेवाओं के लिए 87 मेडिकल ऑफिसर हुए अधिकृत मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण में महत्वपूर्ण कदम भोपाल  उप मुख्यमंत्री  राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है कि 11 वर्षों के सतत् विभागीय प्रयासों और समर्पित कार्य के बाद पीसीपीएनडीटी अधिनियम के अंतर्गत कम्पिटेंसी बेस्ड टेस्ट के परिणाम घोषित किए गए हैं। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा घोषित परिणामों में 87 चिकित्सक (मेडिकल ऑफिसर्स) ने सफलता प्राप्त की है। अब ये सभी पात्र चिकित्सक सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) के क्षेत्र में वैध रूप से चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान कर सकेंगे। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने कहा कि यह उपलब्धि प्रदेश की मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने में अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। प्रशिक्षित एवं प्रमाणित चिकित्सक ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण अल्ट्रासाउंड सेवाएं उपलब्ध कराकर गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच सेवाओं को सशक्त करेंगे। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने सफल हुए सभी चिकित्सकों को बधाई देते हुए उनसे अपेक्षा की कि वे इस उपलब्धि को समाजसेवा का माध्यम बनाते हुए प्रदेश के प्रत्येक कोने में सेवा की भावना से कार्य करें। उन्होंने कहा कि आप सभी चिकित्सक प्रदेश की स्वास्थ्य सुरक्षा के अग्रदूत हैं, आपकी सेवा भावना और दक्षता से ही ‘स्वस्थ मध्यप्रदेश’ के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा। उन्होंने प्रशिक्षण एवं परीक्षा प्रक्रिया में सहयोग देने वाले सभी अधिकारियों, विशेषज्ञों और संस्थानों की सराहना की है।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 1 नवंबर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोह के संबंध में दिए निर्देश

आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए हुए प्रयासों को प्रमुखता से करें प्रदर्शित राजधानी के साथ संभाग और जिला स्तर पर भी हों भव्य कार्यक्रम   भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि 1 नवंबर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस उद्योग एवं रोजगार वर्ष की थीम पर मनाया जाए। आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश को लेकर हुए नवाचारों और विशेष गतिविधियों का प्रभावी रूप से प्रस्तुतीकरण किया जाए। 'रोजगार के मंदिर हैं उद्योग' की थीम के साथ कौशल उन्नयन, तकनीकी शिक्षा, उद्यमशीलता के विकास सहित युवाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता से जोड़ने वाली सभी गतिविधियों का स्थापना दिवस संबंधी कार्यक्रमों में प्रभावी और आकर्षक प्रस्तुतीकरण किया जाए।  साथ ही प्रदेश में धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन गतिविधियों से अर्थव्यवस्था में आई गतिशीलता पर भी प्रस्तुतीकरण हों। स्थापना दिवस पर बीते दो वर्षों में हुए नवाचारों को भी प्रदर्शित किया जाए। स्थापना दिवस को राज्य उत्सव के रूप में मनाया जाए। भोपाल में होने वाले राज्य स्तरीय कार्यक्रम के साथ सभी जिला और संभागीय मुख्यालयों पर भी भव्य कार्यक्रम आयोजित हों। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 1 नवंबर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोह के संबंध में मंत्रालय में सोमवार को हुई बैठक में यह निर्देश दिए। प्रसिद्ध पार्श्व गायक श्री जुबिन नौटियाल एक नवम्बर को देंगे प्रस्तुति बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश स्थापना दिवस 1 नवंबर को भोपाल में होने वाले राज्य स्तरीय कार्यक्रम में प्रसिद्ध पार्श्व गायक श्री जुबिन नौटियाल प्रस्तुति देंगे। लाल परेड ग्राउंड में होने वाले इस कार्यक्रम में श्रीकृष्ण के भक्ति पदों की प्रस्तुति के साथ ही विरासत से विकास की थीम पर ड्रोन-शो होगा। साथ ही आतिशबाजी भी होगी। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर दो और तीन नवंबर को राज्य स्तरीय कार्यक्रम में लाल परेड ग्राउंड पर महानाट्य -सम्राट विक्रमादित्य की प्रस्तुति होगी। साथ ही दो एवं तीन नवम्बर को सुगम संगीत की प्रस्तुतियां भी होंगी। औद्योगिक विकास और अर्थव्यवस्था की उपलब्धियां भी होंगी प्रदर्शित मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्थापना दिवस समारोह की गतिविधियों में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों के हितग्राहियों को भी शामिल किया जाए। उनके सम्मेलन और रैलियां आयोजित हों। साथ ही जिलों में प्रमुख उद्योगपतियों और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले व्यक्तियों और समूहों की उपलब्धियों को भी शामिल किया जाए। प्रदेश के सभी अंचलों में समान रूप से गतिविधियां हों, हर जिला अपनी प्रगति और उपलब्धियों जिला स्तर पर प्रस्तुत करे। साथ ही स्व-सहायता समूह और आईटीआई, पॉलिटेक्निक सहित अन्य संस्थाओं द्वारा युवाओं, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए किए गए प्रयासों, कृषक संगठनों द्वारा किसान कल्याण के लिए संचालित गतिविधियों के प्रदर्शन को भी समारोह का हिस्सा बनाया जाए। विभिन्न विषयों पर प्रदर्शनियों के साथ लगेगा देशज व्यंजनों का मेला बैठक में बताया गया कि स्थापना दिवस पर जननायकों के जीवन और अवदान पर भोपाल और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी। इसके साथ 'एक जिला-एक उत्पाद', सम्राट विक्रमादित्य और अयोध्या, सम्राट विक्रमादित्य के सील और सिक्के, मंदिर स्थापत्य तथा भारतीय ऋषि परम्परा पर प्रदर्शनियों को आयोजन किया जाएगा। इसी क्रम में एक से 3 नवम्बर तक वन मेला, ड्रोन टैक वर्कशॉप और एक्सपो, मध्यप्रदेश की पारंपरिक कला प्रदर्शनी, प्रदेश में विरासत से विकास, प्रदेश की बावड़ियों, भोज और भोपाल आदि विषय पर प्रदर्शनी और देशज व्यंजनों का मेला भी आयोजित किया जाएगा। बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव श्री संजय दुबे, श्री नीरज मंडलोई, श्री संजय शुक्ला, श्री शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव श्री राघवेंद्र सिंह और मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्री श्रीराम तिवारी उपस्थित थे।  

शिक्षक बनने का मौका! MP SET 25 अक्टूबर से खुलेंगे आवेदन, सिर्फ NET सिलेबस मान्य

इंदौर मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने राज्य पात्रता परीक्षा (सेट) 2025 के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। परीक्षा के लिए आयोग ने कोई अलग से सिलेबस तय नहीं किया है, बल्कि यूजीसी की नेट परीक्षा का पाठ्यक्रम ही मान्य किया गया है। उम्मीदवार इसी सिलेबस के आधार पर परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक राज्य पात्रता परीक्षा के माध्यम से अभ्यर्थियों को राज्य के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक पद के लिए पात्रता होंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक सेट परीक्षा में दो पेपर होंगे। पहला पेपर सभी अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य होगा, जिसमें शिक्षण एवं शोध योग्यता, बोधगम्यता, संचार, तार्किक तर्क, डेटा व्याख्या, आईसीटी, लोग एवं विकास, पर्यावरण तथा उच्च शिक्षा प्रणाली जैसे 10 विषयों से प्रश्न पूछे जाएंगे। यह पेपर अभ्यर्थियों की सामान्य योग्यता और समझ की जांच करेगा। दूसरा पेपर उम्मीदवार के चुने हुए विषय पर आधारित होगा, जिसमें स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम से प्रश्न पूछे जाएंगे।   11 जनवरी 2025 को परीक्षा का आयोजन परीक्षा का आयोजन 11 जनवरी 2025 को किया जाएगा। दोनों पेपर एक ही दिन तीन घंटे में होंगे। आयोग ने दोनों प्रश्न पत्रों के कुल 300 अंक रखे गए हैं। पहले पेपर में 50 प्रश्न होंगे, जिनके कुल 100 अंक होंगे, जबकि दूसरे पेपर में 100 प्रश्न होंगे, जो 200 अंकों के होंगे। हर सही उत्तर के लिए 2 अंक मिलेंगे और गलत उत्तर पर कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी। परीक्षा हिन्दी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में दी जा सकेगी। आवेदन प्रक्रिया 25 अक्टूबर से शुरू एमपीपीएससी ने आवेदन प्रक्रिया 25 अक्टूबर से 20 नवंबर 2025 तक रखी है। इस वर्ष परीक्षा 31 विषयों में आयोजित की जाएगी। परीक्षा के लिए प्रदेशभर में 12 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इसमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सतना, सागर, उज्जैन, शहडोल, खरगोन, रतलाम और नर्मदापुरम शामिल है।

मंत्री तोमर ने कहा- सिंहस्थ के कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण करें एम.पी. ट्रांसको

भोपाल   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने मुख्यालय जबलपुर में मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) द्वारा सिंहस्थ-2028 के लिये किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। समीक्षा में ऊर्जा मंत्री श्री तोमर को एम.पी. ट्रांसको के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने वर्तमान कार्यों की प्रगति से अवगत कराया। मंत्री श्री तोमर ने निर्देश दिये कि सिंहस्थ-2028 प्रदेश सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है, सिंहस्थ के कार्यों की नियमित निगरानी रखी जायें और तय समय सीमा व उच्च गुणवत्ता के साथ सभी कार्य पूरे किये जाये। एम.पी. ट्रांसको उज्जैन में कर रही है यह कार्य मंत्री श्री तोमर ने सिंहस्थ-2028 में उज्जैन में निर्वाध विद्युत आपूर्ति के लिये पहले चरण में निर्माणधीन 132 के.व्ही. सब स्टेशन चिंतामन एवं 132 के.व्ही. सब स्टेशन त्रिवेणी बिहार के निर्माण कार्यों की प्रगति जानी। इसके अलावा एम.पी. ट्रांसकों 220 के.व्ही. सब स्टेशन शंकरपुरा में वर्तमान 20 एम.व्ही.ए. क्षमता के अपग्रेड कर 50 एम.व्ही.ए. क्षमता का तथा अपने 400 के.व्ही. सब स्टेशन ताजपुर में 50 एम.व्ही.ए. क्षमता का नया ट्रांसफार्मर स्थापित कर रही है। जिनकी कार्य प्रगति के बारे मे भी ऊर्जा मंत्री ने जानकारी प्राप्त कर आवश्यक निर्देश दिये।