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मछुआरों की सुरक्षा की दिशा में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मछुआरों की सुरक्षा और समृद्धि सरकार की प्राथमिकता है। उनकी सुरक्षा की दिशा में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में कंट्रोल कमांड सेंटर और ट्रांजिट हाउस जैसी पहल की जा रही हैं। राज्य के बड़े जलाशयों में मछुआरों की सुरक्षा और मत्स्य बीज संचयन की निगरानी के लिये आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के सबसे बड़े जलाशयों में शामिल इंदिरा सागर में ड्रोन, जीपीएस और सीसीटीवी युक्त आधुनिक कमांड कंट्रोल रूम की स्थापना की जा रही है। आपात स्थिति में इस प्रणाली से मछुआरों को शीघ्र सहायता पहुंचाई जा सकेगी। ये पहल ब्रीडिंग ग्राउंड के चिन्हांकन के साथ मत्स्य आखेट पर निगरानी को और ज़्यादा आसान, सुलभ और प्रभावशाली बनाएगी। कमांड कंट्रोल रूम की मदद से मुख्यालय स्तर से ही 24X7 निगरानी संभव हो सकेगी। ड्रोन के माध्यम से जल क्षेत्र की लाइव मॉनिटरिंग और जीपीएस सिस्टम से नावों की ट्रैकिंग की जा सकेगी और आपात स्थिति में मछुआरों को तुरंत सहायता उपलब्ध कराई जा सकेगी। मछुआरों के लिए बनेंगे ट्रांजिट हाउस और फ़्लोटिंग प्लेटफ़ॉर्म मत्स्य महासंघ के जलाशयों में कार्यरत मछुआरों को कई बार 15 दिन से लेकर एक महीने तक खुले टापुओं या जलाशय के किनारों पर अपनी नावों में रात्रि विश्राम करना पड़ता है। वर्षा ऋतु में टापुओं का जलस्तर बढ़ जाता है, ऐसे में मछुआरों को जलीय जीव-जंतुओं से जान-माल की हानि की आशंका बनी रहती है। मछुआरों को इससे बचाने के लिए महासंघ ने गांधी सागर और इंदिरा सागर के टापुओं पर 5 ट्रांजिट हाउस और जल के मध्य 2 फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। मछुआरों के लिए इसमें आपातकालीन स्थिति में भोजन निर्माण, सोलर मोबाइल चार्जिंग और बायो टॉयलेट जैसी सुविधाएं मिलेंगी। राज्य सरकार की यह पहल मछुआरों की सुरक्षा और सुविधा को बेहतर बनाएगी, साथ ही जल आधारित संसाधनों के टिकाऊ प्रबंधन और मत्स्य उत्पादन की वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आधुनिक तकनीक के समावेश से अब राज्य में मत्स्याखेट और मछलीपालन नए आयाम स्थापित करने की दिशा में अग्रसर हैं। भोपाल में बनेगा आधुनिक केवट प्रशिक्षण संस्थान राज्य में मॉडर्न एक्वाकल्चर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अहम पहल की जा रही है। केन्द्र सरकार की फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड योजना के तहत भोपाल में 5 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक केवट प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जा रही है। इस संस्थान में केज कल्चर, बायोफ्लॉक, रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम, मछलियों की हाइजेनिक हैंडलिंग, फिश प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और वैल्यूएडिशन जैसे विषयों पर मछुआ समुदाय को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। मछुआरों को इससे वैश्विक मानकों के अनुरूप मछली पालन तकनीक की जानकारी और व्यावसायिक दक्षता प्राप्त होगी।  

आधुनिक सुविधाएं सुगम और सुलभ तरीकों से मिलेंगी : राज्यमंत्री श्रीमती गौर

नागरिकों का विदेश जाने का सपना होगा पूरा : मंत्री सारंग पासपोर्ट कार्यालय भवन बनने से नागरिकों को मिलेगी सुविधा: मंत्री सारंग आधुनिक सुविधाएं सुगम और सुलभ तरीकों से मिलेंगी : राज्यमंत्री श्रीमती गौर अरेरा हिल्स पर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय भवन का लोकार्पण भोपाल सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा है कि नये पासपोर्ट कार्यालय भवन बनने से नागरिकों को सुविधा मिलेगी। वहीं आसान और सरल तरीके से नागरिकों को पासपोर्ट उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई तकनीकियों के साथ पारदर्शिता पूर्ण सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं यह उसी का उदाहरण है। मंत्री सारंग अरेरा हिल्स स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के नवीन भवन का लोकार्पण कर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मंत्री सारंग ने कहा कि कार्यालय भवन में पूरी क्षमता के साथ हर एक टेक्नॉजोजी को आत्मसात किया है। मध्यप्रदेश और देश के हर एक नागरिक को इस कार्यालय की सुविधा प्राप्त होगी। उन्होंने कार्यालय भवन की अवधारणा को सराहा। भवन में हर सुविधा का ध्यान रखते हुए निर्माण किया गया है, जो लोगों को कम समय में अधिक लाभ प्रदान करेंगी। पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर ने कहा है कि कार्यालय भवन में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं इससे आसानी से समय पर लोगों को लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि सुगम और सुलभ लाभ देने के लिये कर्मचारियों में विनम्रता भी आवश्यक है। मुख्य पासपोर्ट अधिकारी डॉ. के.जे. श्रीनिवास ने बताया है कि हर संसदीय क्षेत्र तक पासपोर्ट सेवाएं पहुंचाने के लिये विदेश मंत्रालय प्रतिबद्ध है। भारत में 450 पासपोर्ट सेवा केन्द्र स्थापित हो चुके हैं। पिछले डेढ़ वर्ष में मध्यप्रदेश में शहडोल, मंदसौर, खंडवा, गुना, खरगोन एवं भिण्ड जिले में पासपोर्ट सुविधा केन्द्र खोले गये है। जल्द ही मंडला में भी सुविधा केन्द्र खोला जायेगा। शुरूआत में अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर और फीता काटकर नये भवन का लोकार्पण किया। कार्यालय भवन में उपलब्ध सुविधाओं का निरीक्षण के बाद आवेदको की सुविधाओं के दृष्टिगत प्रकाशित कॉमिक बुक 'क्षितिज' का विमोचन भी किया। श्रेष्ठ कार्य करने वालो का प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान भी किया। नये पासपोर्ट कार्यालय भवन में आधुनिक सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। यहां शिशु पालक कक्ष, आवेदको, कर्मचारियों के लिये पुस्तकालय, छोटे बच्चो के लिये स्ट्रालर, दिव्यांगों के लिये व्हीलचेयर, कर्मचारी कल्याण कक्ष, कैफेटेरिया आदि की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। कार्यक्रम में मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल विनीत माथुर, पुलिस महानिरीक्षक अंशुमन सिंह, सीपीडब्ल्यूडी के जे. आर. मीणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी-कर्मचारी और टीसीएस कर्मी उपस्थित थे।  

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में 12 जुलाई को उज्जैन में राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन का आयोजन होगा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में 12 जुलाई को उज्जैन में राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन का आयोजन होगा भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में 12 जुलाई को उज्जैन में राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन का आयोजन होगा। कार्यक्रम की तैयारियों की मत्स्य पालन एवं मछुआ कल्याण राज्य मंत्री नारायण सिंह पंवार ने समीक्षा की। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन निषादराज समाज के गौरव और संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है, ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी व्यवस्थाएं उत्कृष्ट हों। राज्यमंत्री पंवार ने अधिकारियों को समय-सीमा में सभी कार्यों को पूर्ण करने और बेहतर समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उज्जैन में आयोजित होने जा रहे इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक और सफल बनाने के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव करेंगे भूमिपूजन और लोकार्पण मुख्यमंत्री डॉ. यादव कार्यक्रम में 22.65 करोड़ रूपये की लागत के 453 स्मार्ट फिश पार्लर, 40 करोड़ रूपये की लागत से बन रहे अत्याधुनिक अंडर वॉटर टनल सहित एक्वापार्क और 91.80 करोड़ रूपये की लागत से इंदिरा सागर जलाशय में 3060 केजेस के माध्यम से मत्स्य उत्पादन से वृद्धि एवं रोजगार सृजन का वर्चुअली भूमि-पूजन करेंगे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव 430 मोटर साइकिल विद आइस बॉक्स के स्वीकृति पत्र एवं 100 यूनिट्स का वितरण, 396 केज के स्वीकृति पत्र का प्रदाय, फीडमील के हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र का प्रदाय एवं उत्कृष्ट कार्य कर रहे मछुआरों एवं मत्स्य सहकारी समितियों को पुरस्कार वितरण करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मत्स्य महासंघ के मछुआरों को 9.63 करोड़ रूपये के डेफर्ड वेजेस का सिंगल क्लिक से अंतरण करने के साथ ही रॉयल्टी चेक प्रदाय करेंगे।  

जल गंगा संवर्धन अभियान में रायसेन जिले को मिला द्वितीय स्थान

खेत तालाबों और अमृत सरोवर से पांच हजार एकड भूमि होगी सिंचित 2500 से अधिक खेत तालाबों का हुआ निर्माण और 1600 से अधिक कूप रिचार्ज जल गंगा संवर्धन अभियान में रायसेन जिले को मिला द्वितीय स्थान भोपाल  रायसेन जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान में 2500 से अधिक खेत तालाब एवं 23 अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य कराया गया है। इनके निर्माण से 5000 एकड से अधिक भूमि सिंचित होगी। कूप रिचार्ज पिट 1600 से अधिक निर्माण कराए गए हैं जिससे कूपों में जल भराव से किसान दोनों फसलों में सिचाई कर सकेंगे। इन कार्यों को नवीन तकनीक सीपरी ऐप के माध्यम से चिन्हांकित किया गया। अभियान के दौरान बेतवा के उदग्म स्थल को पुर्नजीवित कर अविरल धारा प्रवाहित करने के प्रयास किये गये। पोर्टल पर 15000 से अधिक जलदूतों का पंजीयन कराकर प्रशिक्षण कराया गया। विभिन्न ग्राम पंचायतों में साफ सफाई एवं जल संरक्षण के कार्य भी कराये गये। जिले को प्रदेश में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने बताया कि रायसेन जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा योजना से जल संरक्षण के कार्य कराये गये। मनरेगा के तहत 1000 से अधिक जल संग्रहण के कार्यो को भी पूर्ण कराया गया है। अभियान के दौरान जिले के झिरी ग्राम में स्थित बेतवा नदी के उद्गम स्थल को पुर्नजीवित किया गया, जो रायसेन में हुए महत्वपूर्ण कार्यो में से एक है। जिले में स्थित अन्य नदियों के उद्गम स्थलों को संरक्षित करने के कार्य भी कराये गये। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत रायसेन जिले की सभी 7 जनपद पंचायतों में कुल 2500 से अधिक खेत तालाबों का निर्माण कराया गया है जिससे एक ओर जहां बारिश का जल संग्रहित हो सकेगा, वहीं किसानों को भी सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त 1687 कूप रीचार्ज पिट का निर्माण कराया गया है। जिले की बाड़ी जनपद पंचायत में 329 खेत तालाब, बेगमगंज जनपद पंचायत में 509 खेत तालाब, गैरतगंज जनपद पंचायत में 354 खेत तालाब, औबेदुल्लागंज जनपद पंचायत में 213 खेत तालाब, सांची जनपद पंचायत में 366 खेत तालाब, सिलवानी जनपद पंचायत में 490 खेत तालाब और उदयपुरा जनपद पंचायत में 302 खेत तालाबों के निर्माण कार्य स्वीकृत कराये गये। बाड़ी जनपद पंचायत में 183 कूप रिचार्ज पिट, बेगमगंज जनपद पंचायत में 340, गैरतगंज जनपद पंचायत में 207, औबेदुल्लागंज जनपद पंचायत में 158, सांची जनपद पंचायत में 161, सिलवानी जनपद पंचायत में 144 और उदयपुरा जनपद पंचायत में 194 कूप रीचार्ज पिट का निर्माण कराया गया है। जल गंगा संवर्धन अभियान से जुड़े कार्यो में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं, संगठनों और नागरिकों की भी सहभागिता सुनिश्चित कराई गई। अभियान के तहत नागरिकों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करने के लिये पानी चौपाल सहित अनेक गतिविधियां भी आयोजित कराई गई। माय भारत एप में 15000 से अधिक जलदूतों का मोबाईल के माध्यम से पंजीयन कराया गया। इन जल दूतों को जल संरक्षण कार्यों का प्रशिक्षण भी जनपद पंचायत स्तर पर दिया गया। इन सभी कार्यों में टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया। जिले को 100 में से 92.35 अंक प्राप्त हुये है जिसमें रायसेन प्रदेश में द्वितीय स्थान पर रहा।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विधि एवं न्याय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल और केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी से भी भेंट की

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सिंहस्थ : 2028 के दृष्टि गत वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों से की भेंट मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से भेंट की मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विधि एवं न्याय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल और केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी से भी भेंट की भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को नई दिल्ली में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह सहित अनेक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों से भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने सिंहस्थ: 2028 के दृष्टिगत मध्य प्रदेश में अधोसंरचनात्मक विकास और महत्वपूर्ण कार्यों के संबंध में केंद्रीय मंत्री गण से मुलाकात एवं चर्चा की। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्री गण को, आगामी सिंहस्थ आयोजन को विश्वस्तरीय बनाए जाने की तैयारी की जानकारी भी दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विधि एवं न्याय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल और केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी से भी भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके से भेंट की।  

एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला की मृत्यु

एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला की मृत्यु भोपाल पन्ना टाईगर रिजर्व के परिक्षेत्र हिनौता के अंतर्गत सबसे बुजुर्ग हथनी लगभग 100 वर्ष से अधिक आयु की वत्सला की 8 जुलाई मंगलवार को मृत्यु हो गई। वत्सला को एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी माना जाता है। पन्ना टाईगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा वत्सला का अंतिम संस्कार किया गया। वत्सला हथनी पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र रही है। सबसे बुजुर्ग होने से वह पूरे हाथियों के दल का नेतृत्व करती रही है। अन्य मादा हाथी के प्रसव एवं बच्चा होने के उपरांत वह एक नानी अथवा दादी के रूप में अपनी भूमिका निभाती थी। क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व ने बताया कि मादा वत्सला परिक्षेत्र हिनौता के खैरईयां नाले के पास आगे के पैर के नाखून टूट जाने के कारण बैठ गई थी। वनकर्मियों द्वारा उसको उठाने का काफी प्रयास किया गया। दोपहर को हथनी वत्सला की मृत्यु हो गई। हथनी वत्सला केरल से नर्मदापुरम लाई गई थी और बाद में उसे पन्ना टाईगर रिजर्व लाया गया था। वृद्ध होने के कारण वत्सला को आँखो से दिखना बंद हो गया था तथा वह अधिक दूरी तक नहीं चल पाती थी इसलिये गश्ती कार्य में इसका उपयोग नहीं लिया जाता था। इसे हिनौता हाथी केम्प में रखा गया था। प्रतिदिन खैरईयां नाले तक नहाने के लिये ले जाया जाता था और भोजन में दलिया दिया जा रहा था। पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन के वन्य प्राणी चिकित्सक एवं विशेषज्ञों के द्वारा समय-समय पर हथनी वत्सला के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा था। इसलिए वत्सला पन्ना टाईगर रिजर्व के विरल एवं शुष्क वन क्षेत्र में दीर्घ आयु की अवस्था तक जीवित रही। टाईगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थपना योजना में वत्सला का अहम योगदान रहा।  

स्कूल भवन पर तालाबंदी, किराया विवाद में फंसे बच्चे – मकान मालिक ने उठाया ये कदम

इंदौर लोहा गेट पर निजी स्कूल में हंगामा हो गया। इमारत मालिक के रिश्तेदारों ने ताला लगाकर बच्चों को रोक दिया। पुलिस ने आपसी विवाद बता कर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। बच्चों को बगैर पढ़ाई के लौटाना पड़ा। घटना गली नंबर-8 की है। मेहरुन बी की इमारत में अल हीरा पब्लिक स्कूल का संचालन होता है। याकूब और अय्यूब मुल्तानी ने ताला लगा दिया सोमवार रात मेहरुन बी के भतीजें याकूब और अय्यूब मुल्तानी ने ताला लगा दिया। सुबह नर्सरी से आठवीं तक के बच्चे पढ़ने पहुंचे तो ताला लगा मिला। स्टाफ और बच्चे प्रांगण में प्रवेश ही नहीं कर सके। प्रिंसिपल याकूब मेनन के अनुसार इमारत साल 2008 में किराये पर ली थी। हर महीने 22 हजार रुपये किराये देते है। मेहरुन बी के भजीतों ने कहा कि किराया बढ़ाकर उन्हें दें। ताला लगाने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित अनुबंध मेहरुन बी के नाम से होने के कारण मेनन ने मना कर दिया। सोमवार को वह थाने गया पर पुलिस ने कहा आपसी विवाद है। जिस इमारत में स्कूल संचालित होता है वह निजी संपत्ति है। किरायेदार और इमारत मालिक के विवाद में पुलिस नहीं बोल सकती है। मंगलवार को ताला लगाने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो गई।

एम्स भोपाल से मरीजों को राहत, PET स्कैन से जुड़े खर्च होंगे कम

भोपाल अब एम्स भोपाल में भी कैंसर, हृदय और मस्तिष्क रोगों की पहचान के लिए अत्याधुनिक पीईटी स्कैन की सुविधा शुरू होने जा रही है। निजी अस्पतालों में जहां इसकी कीमत 20 से 30 हजार रुपये तक पहुंचती है, वहीं एम्स में यह जांच बेहद कम शुल्क में उपलब्ध होगी। इसके लिए अस्पताल परिसर में विशेष भवन का निर्माण अंतिम चरण में है। यह सुविधा खासतौर से उन मरीजों के लिए राहत लेकर आएगी जिन्हें अब तक निजी अस्पतालों में महंगी जांच के लिए जाना पड़ता था। क्या है पीईटी स्कैन पीईटी स्कैन एक न्यूक्लियर इमेजिंग तकनीक है, जो शरीर के भीतर सेल स्तर की गतिविधियों को दिखाती है। इसमें एक रेडियोएक्टिव ट्रेसर इंजेक्ट किया जाता है, जो तेजी से सक्रिय अंगों में जाकर जमा होता है। ये ट्रेसर विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं, हृदय की क्षतिग्रस्त मांसपेशियों और मस्तिष्क के असामान्य हिस्सों में अधिक एकत्र होते हैं। स्कैनर इन सिग्नलों को पकड़कर 3डी इमेज बनाता है, जिससे बीमारी की सटीक स्थिति पता चलती है। कितना खर्च आता है निजी अस्पतालों में एक बार के पीईटी स्कैन पर 20,000 से 30,000 रुपये तक का खर्च आता है। जबकि एम्स भोपाल में यह सुविधा लगभग 2,000 से 3,000 रुपये में उपलब्ध कराई जाएगी। एम्स का उद्देश्य इसे आम और गरीब मरीजों के लिए सुलभ बनाना है। इन बीमारियों में मददगार कैंसर: किस अंग में है, कितना फैला है, इलाज का असर हो रहा है या नहीं हृदय रोग: हृदय की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह की स्थिति मस्तिष्क विकार: अल्जाइमर, पार्किंसन, एपिलेप्सी आदि। क्या है इसकी खासियत जहां सीटी और एमआरआई केवल शरीर की संरचना दिखाते हैं, वहीं पीईटी स्कैन शरीर की कार्यप्रणाली और मेटाबोलिक गतिविधियों को भी दिखाता है। इससे डाक्टर इलाज की दिशा बेहतर तय कर पाते हैं।

70 साल बाद इस गांव में पहली बार पक्की रोड का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ, ग्रामीणों जताई खुशी

मैहर मैहर जनपद के रिगरा गांव में वर्षों पुराने सपने ने आखिरकार साकार रूप ले लिया है। गांव में पहली बार पीसीसी (पक्की) रोड का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ, जिससे ग्रामीणों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। दशकों से कीचड़ भरे रास्तों से गुजरते आ रहे ग्रामीणों के लिए यह सड़क एक बड़ी सौगात बनकर आई है। ग्रामीणों ने दीप जलाकर किया खुशी का इजहार जानकारी के अनुसार, रिगरा गांव की स्थिति लंबे समय से दयनीय थी। गांव की मुख्य सड़क कच्ची होने के कारण बारिश में कीचड़ और फिसलन की समस्या आम थी। करीब 70 वर्षों से इस गांव की जनता बदहाली झेल रही थी, जहां पीढ़ियों ने कीचड़ से भरे रास्तों पर चलकर जीवन बिताया। लेकिन अब जब पहली बार पीसीसी रोड का निर्माण कार्य पूरा हुआ, तो गांव वासियों ने दीप जलाकर और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। ग्रामीणों ने सरकार और अधिकारियों का आभार जताया महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने सड़क पर खड़े होकर एक-दूसरे को बधाई दी और इसे विकास की ओर पहला कदम बताया। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि "इतने सालों में पहली बार हमारे गांव में सरकार की कोई योजना जमीन पर उतरी है। अब बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी नहीं होगी और बीमारों को अस्पताल तक लाने में राहत मिलेगी। ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों का आभार जताया और आशा व्यक्त की कि इसी तरह अन्य आवश्यक सुविधाएं भी गांव में जल्द पहुंचेंगी।" 

समृद्ध और विकसित शहर, प्रदेश के समावेशी विकास की आधारशिला बनेंगे: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप मध्यप्रदेश के शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित हो रहा है। इससे बढ़ती नगरीय जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। समृद्ध और विकसित शहर, प्रदेश के समावेशी विकास की आधारशिला बनेंगे। इसे साकार करने के लिए मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। 'नेक्स्ट होराइजन: बिल्डिंग सिटीज ऑफ टुमॉरो' थीम पर केन्द्रित कॉन्क्लेव में मध्यप्रदेश के शहरी विकास और निवेश पर देश की रियल एस्टेट सेक्टर के दिग्गज विकसित मध्यप्रदेश@2047 के लिए शहरी विकास के ब्लूप्रिंट पर चर्चा करेंगे। शहरी क्षेत्रों में विकास की प्रगति मध्यप्रदेश में शहरी अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है। प्रदेश में 4 शहर ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। साथ ही केन्द्र की स्मार्ट सिटी परियोजना में 7 शहर शामिल हैं। शहरी क्षेत्रों में अधो-संरचाना विकास के संबंधित 72 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इसी के साथ करीब 88 हजार करोड़ रुपये की शहरी क्षेत्र से जुड़ी विकास योजनाएं प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश ने स्वच्छता के लिये देश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इंदौर देश में पिछले 7 वर्षों से स्वच्छतम शहरों की श्रेणी में पहले नम्बर पर रहा है। भोपाल को देश की दूसरे नंबर की स्वच्छतम राजधानी बनने का गौरव हासिल किया है। प्रदेश के बजट में शहरी क्षेत्र के विकास के लिए 15 हजार 780 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में शहरी क्षेत्र का योगदान 35.55 प्रतिशत है। शहरी क्षेत्रों में संचालित केन्द्र की फ्लैग शिप योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रदेश सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों शामिल है। नगरीय विकास से जुड़ी योजनाओं की गति तेज बनाए रखने के लिए सिंगल-विंडो सिस्टम की प्रशासनिक व्यवस्था की गई है। हाउसिंग सेक्टर में बेहतर निवेश की संभावना प्रदेश में हाउसिंग सेक्टर में निवेश की अच्छी संभावना है। अफोर्डेबल हाउसिंग में8 लाख 32 हजार से अधिक किफायती आवास तैयार किये जा चुके है। प्रदेश में 10 लाख नए आवास तैयार किये जा रहे है। इनमें 50 हजार करोड़ रूपये का निवेश होगा। रियल एस्टेट की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में मानव संसाधन की गुणवत्तापूर्ण वर्क फोर्स उपलब्ध है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 6 हजार किलोमीटर सड़क, 80 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में पाईपलाइन वॉटर सप्लाई कवरेज की सुविधा और शत् प्रतिशत शहरी क्षेत्र सीवरेज सिस्टम उपलब्ध है। नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय निकायों में 23 सेवाएं ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई गई है। नगरीय निकायों में सेन्ट्रलाईज पोर्टल के माध्यम से मंजूरी दी जा रही है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं पर 17 हजार 230 योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पर्यावरण के लिये 2 हजार 800 करोड़ और वॉटर फ्रंट से संबंधित डेव्हलपमेंट में 2 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में सुगम परिवहन व्यवस्था के विस्तार के लिये 21 हजार करोड़ रूपये की परियोजनाएं संचालित हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पेट्रोलियम ईंधन के कार्बन फुट-फ्रंट रोकने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश के बड़े शहरों में 552 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2025 लागू की गई है।