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राष्ट्रीय शिक्षा नीति और पंच परिवर्तन सहित आरएसएस की समन्वय बैठक का दूसरा दिन

जोधपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक जोधपुर में जारी है। आज बैठक के दूसरे दिन विभिन्न अहम विषयों पर चर्चा होनी है। गौरतलब है कि कल से शुरू हुई बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन, जनजातीय क्षेत्रों में सामाजिक विकास और पंच परिवर्तन पर विशेष सत्र आयोजित किए गए थे। बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के साथ विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्र सेविका समिति, सक्षम, पूर्व सैनिक सेवा परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम और सीमा जागरण मंच सहित 32 संगठनों के अखिल भारतीय पदाधिकारी भाग ले रहे हैं। कल उद्घाटन सत्र में भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ था। परिसर में रानी अबक्का द्वार और हल्दीघाटी द्वार की ऐतिहासिक झलकियों के साथ सभागार का निर्माण किया गया है। मीरा बाई और अमृता देवी बिश्नोई के बलिदान को रंगोली और चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। बैठक के पहले दिन संघ ने जाति, भाषा और प्रांत के नाम पर भेदभाव की प्रवृत्तियों को देश की एकता के लिए खतरनाक बताते हुए समाज से इनसे दूर रहने का आह्वान किया। यह समन्वय बैठक 7 सितंबर को अनुभवों के आदान-प्रदान और आगामी कार्ययोजना तय करने के साथ संपन्न होगी।

सियासी पारा बढ़ा, मोहन भागवत की वसुंधरा ‘वन’ वापसी पर उठे सवाल

जयपुर राजस्थान बीजेपी की सियासत इस वक्त ठहरे हुए पानी जैसी लग रही है, लेकिन भीतर बहुत कुछ खदबदा रहा है। कई किरदार सियासत के रंगमंच पर अपनी भूमिका के इंतजार में हैं और नजर एक ही चेहरे पर टिकी है. वो चेहरा है वसुंधरा राजे। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर से भाजपा और संघ की सक्रिय राजनीति के केंद्र में आती दिख रही हैं। बुधवार को जोधपुर प्रवास के दौरान राजे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात की, जो करीब 20 मिनट तक चली। इस मुलाकात की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि करीब एक सप्ताह पहले धौलपुर में एक धार्मिक मंच से वसुंधरा राजे ने बयान दिया कि -जीवन में हर किसी का वनवास होता है, लेकिन वह स्थायी नहीं होता। वनवास आएगा तो जाएगा भी। पिछले महीने वसुंधरा राजे ने दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से संसद में मुलाकात कर हाई कमान से अपने बदलते रिश्तों के संकेत भी दिए थे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी में इन दिनों राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कई चेहरों के नाम चल रहे हैं। बीजेपी जिस तरह पिछली बार संसद में महिला आरक्षण का विधेयक लाई थी उसे देखते हुए पार्टी को अहम पदों पर मजबूत महिला नेत्रियों की जरूरत भी होगी।  हालांकि, संघ प्रमुख सार्वजनिक मंच से हाल में यह बयान दे चुके हैं कि आरएसएस बीजेपी के मामलों में दखल नहीं देती। उन्होंने हाल में बयान दिया था- RSS कुछ नहीं तय करता। हम सलाह दे सकते हैं, लेकिन वो सरकार चलाने में एक्सपर्ट है और हम अपने काम में एक्सपर्ट है। आपको क्या लगता है कि यदि हम तय करते तो इतनी देर होती क्या? 'कहीं न कहीं संघ का वीटो जरूर होता है' हालांकि, राजनीति के जानकार कहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का मसला सिर्फ बीजेपी को ही तय करना होता.. तो अब तक तय हो चुका होता। कहीं न कहीं संघ का वीटो जरूर होता है। इसलिए इस अहम पद पर किसकी तैनाती होगी, इसका रास्ता नागपुर से होकर निकलता है। वसुंधरा की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भाजपा में नेतृत्व को लेकर भीतरखाने कई चर्चाएं चल रही हैं और संघ की भूमिका फिर से महत्वपूर्ण हो रही है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के भीतर एक वर्ग लगातार यह चाहता रहा है कि राजे को एक बार फिर से राजस्थान की राजनीति में नेतृत्व की भूमिका दी जाए। वसुंधरा राजे के साथ उनके खेमें के विधायक और सांसद भी भीतर से उम्मीद लगाए बैठे हैं। 'प्रमुख दावेदार के तौर पर राजे के नाम की चर्चा' राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा  का मानना है कि वसुंधरा राजे और मोहन भागवत की मुलाकात तो महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा- वसुंधरा राजे को उन्होंने समय दिया तो निश्चित रूप से कोई अहम विषय रहा होगा। जब तक परिणाम नहीं आते तब तक सिर्फ कयास लगाए जा सकते हैं क्योंकि दोनों के बीच वन टू वन मुलाकात हुई है। लेकिन बीजेपी में इन दिनों जो घटनाक्रम चल रहे हैं। उससे इसे जोड़ा जा सकता है। इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव और उसमें प्रमुख दावेदार के तौर पर वसुंधरा राजे के नाम की चर्चा है। अब सवाल यह है कि यह मुलाकात क्या उस संदर्भ में थी ? जहां तक राजस्थान की बात है मुझे नहीं लगता कि भागवत लोकल राजनीति में किसी तरह का इंटरेस्ट लेंगे। इसलिए यह मुलाकात राष्ट्रीय मुद्दे पर ही होना लग रहा है। हां इस मुलाकात की चर्चा इसलिए ज्यादा है क्योंकि पिछले दिनों वनवास वापसी को लेकर जिस तरह से राजे ने बयान दिए उसके कई तरह के निहितार्थ निकाले जा सकते हैं। मुलाकात निश्चित रूप से महत्पपूर्ण है। '…विषपान करके अपने आपको धर्यवान रखा' राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन पूरे घटनाक्रम पर बेहद सटीक बात करते हैं। उनका कहना है कि हाई कमान मजबूत होता है, तो स्टेट लीडरशिप के साथ उनके रिश्ते बदल जाते हैं। जैसे आप देखेंगे कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी, उसमें हाई कमान और स्टेट लीडरशिप के रिश्तों में स्टेट लीडरशिप भारी पड़ती थी। इसलिए कांग्रेस हाई कमान चाहकर भी वह काम नहीं करवा पाई जो वह करवाना चाहती थी। बीजेपी में भी अतीत में यही पॉजिशन रही थी। लेकिन बीजेपी की सेंट्रल लीडरशिप बहुत ज्यादा मजबूत है। उन्होंने शायद यह समझा कि राजे का राजस्थान में काम करना शायद उतना सरल नहीं है। इसलिए उन्होंने बाकी राज्यों की तरह यहां भी लीडरशिप को चेंज किया ताकि वे अपने तरीके से काम कर सकें। वह तरीका अच्छा है या खराब है वह अलग बात है। इस सूरत में वसुंधरा राजे ने अब तक, खास तौर पर जब से ऐसा लग रहा है कि वे थोड़ा उपेक्षित की गई हैं। तब उन्होंने कहीं न तो फ्रस्ट्रेशन जाहिर किया और न कभी गुस्सा दिखाया। जैस उनके बारे में प्रचारित किया जाता था, उस स्वभाव के बिल्कुल प्रतिकूल उन्होंने बिना कोई गुस्सा या नाराजगी दिखाए वे अपने आपको उपस्थित रखे हुए हैं। इस सूरत में मुझे लगता है कि उन्होंने बेहद शालीनता और गरिमा के साथ पूरा विषपान करके अपने आपको धर्यवान रखा है। मुलाकात एक निर्णायक संकेत दे सकती है हर राजनेता सोचता है कि उनकी भूमिका हो और इनकी होनी चाहिए। खासकर मोदी सरकार ने पिछली बार महिला आरक्षण विधेयक लाई उसमें उन्हें बेहद ताकतवर महिलाओं की जरूरत भी पड़ेगी। मुझे लगता है कि वसुंधरा राजे बीजेपी के बड़े एसेट्स में हैं और हो सकता है कि यह खुद भी प्रयास कर रही हैं कि उनकी भूमिका निर्णायक रहे। हम जानते हैं कि संघ लोगों की भूमिका तय करने में मुख्य भागीदार होता है तो मोहन भागवत के साथ उनकी मुलाकात एक निर्णायक बात हो सकती है। राजे की दावेदारी मजबूत क्यों?     मजबूत जनाधार और जमीनी पकड़ वाली छवि      राजस्थान में बीजेपी में जातिगत संतुलन वाला फार्मूला वसुंधरा राजे की ही देन रही। उन्होंने खुद को“राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू और गूर्जरों की संबंधन”बताया।     संगठन और सरकार दोनों का अनुभव     उनके पास संगठन और सरकार चलाने का अनुभव रहा है। उन्होंने – 14 नवम्बर 2002 से 14 दिसम्बर 2003 तथा 2 फरवरी … Read more

संघ प्रमुख की मौजूदगी में आरएसएस की अहम बैठक, बीजेपी और अन्य संगठनों के नेता उपस्थित

 जोधपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय राष्ट्र स्तरीय समन्वय बैठक जोधपुर में शुरू हो गई है। इस बैठक को लेकर संघ से जुड़े संगठनों और भाजपा के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी ने कार्यक्रम को और भी अहम बना दिया है। मुख्य पंडाल में संघ प्रमुख सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत मौजूद हैं। उनके साथ कार्यवाहक सरसंघचालक दत्तात्रेय होसबोले विभिन्न विषयों पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राजस्थान भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ भी बैठक में भाग ले रहे हैं, जो बैठक की संगठनात्मक और राजनीतिक महत्ता को दर्शाता है। राष्ट्रीय स्तर पर संघ से जुड़े 32 संगठनों के लगभग 320 प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए हैं। इनमें 249 संगठन पदाधिकारी हैं। प्रतिनिधि अलग-अलग समूहों में बैठकर कार्ययोजना, भविष्य की रणनीति और राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। बैठक का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक गतिविधियों के बीच बेहतर तालमेल बनाना और आगामी समय की प्राथमिकताओं पर चर्चा करना है। इसमें संघ से प्रेरित 32 संगठनों के पदाधिकारी, महिला कार्यकर्ता और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी जैसे डॉ. कृष्ण गोपाल, मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, अतुल लिमये और आलोक कुमार भी उपस्थित हैं। बैठक में विभिन्न संगठनों का वार्षिक कार्यवृत्त प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें वर्षभर के अनुभव और उपलब्धियों का विवरण शामिल है। बैठक शामिल होने वाले संगठनों में एबीवीपी, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, विद्या भारती और सक्षम (दिव्यांगजन सेवा संगठन) प्रमुख हैं। बैठक में देश के विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर पंजाब, बंगाल, असम और पूर्वोत्तर के जनजातीय इलाकों की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों पर भी चर्चा होनी है। इसके साथ ही पंच परिवर्तन- सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण-अनुकूल जीवन, स्वर आधारित रचना और नागरिक कर्तव्य पालन जैसे विषयों पर भी विमर्श किया जा रहा है।  

सड़क हादसा: निजी बस ने कार को रौंदा, डीडवाना-कुचामन में 2 लोगों की मौत, दर्जनों घायल

नागौर डीडवाना-कुचामन जिले के मौलासर बाईपास के पास शुक्रवार को एक निजी सवारी बस ब्रेजा कार के ऊपर पलट गई। बताया जा रहा है कि कार सवार डिकावा से मौलासर बावड़ी सगाई करने जा रहे थे, जबकि बस अजमेर से सुजानगढ़ जा रही थी। हादसे में कार में सवार एक महिला की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बस में सवार एक युवक की भी जान चली गई। कुल 19 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 6 की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। गंभीर रूप से घायल लोगों का प्राथमिक उपचार के बाद जयपुर रेफर किया गया, जबकि बाकी का इलाज कुचामन और डीडवाना में जारी है। मौके पर मौलासर थाना पुलिस पहुंची और क्रेन की मदद से बस को कार के ऊपर से उठाया गया। स्थानीय लोगों की मदद और एंबुलेंस के जरिए सभी घायलों को राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया गया। इस हादसे से इलाके में अफरा-तफरी का माहौल रहा।

मॉनसून की मार: मुख्यमंत्री भजनलाल ने अधिकारियों को मैदान में भेजकर दिया सतर्क रहने का आदेश

जयपुर राजस्थान में इस बार मॉनसून की बारिश बहुत ज्यादा हुई है। अब तक सामान्य से 62 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है और बारिश का दौर लगातार जारी है। आज शुक्रवार 5 सितंबर को भी प्रदेश के 25 जिलों में भारी से अति भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। गुरुवार रात को ही अजमेर के बोराज तालाब की पाल टूटने से शहर में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। भारी बारिश के चलते प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। जनजीवन प्रभावित होने पर विपक्ष ने सरकार पर तत्काल राहत नहीं देने का आरोप लगाते हुए सदन में मुद्दा उठाया। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बाढ़ ने सभी विधायकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने अपने क्षेत्र में जाकर बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लें और रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजें। प्रभारी मंत्रियों को भी क्षेत्र में दौरा करने के निर्देश दिए हैं। तीन दिन फील्ड में रहेंगे विधायक और मंत्री इन दिनों विधानसभा का सत्र चल रहा है। इस दरमियान शुक्रवार 5 सितंबर से लेकर रविवार 7 सितंबर तक विधानसभा में अवकाश रहेगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने निर्देश दिए हैं कि अवकाश के दिनों में तीन दिन तक सभी प्रभारी मंत्री और विधायक अपने अपने क्षेत्र का दौरा करें। अतिवृष्टि से हुए नुकसान की रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजने के निर्देश दिए हैं। संवेदनशीलता और तत्परता के साथ आमजन की समस्याओं का समाधान करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जलभराव से उत्पन्न विषम परिस्थितियों के समाधान के लिए राज्य सरकार दीर्घकालिक योजना बनाकर काम करेगी ताकि स्थायी समाधान मिल सके। प्रभावी सचिवों को भी दो दिन तक क्षेत्र का दौरा कर आमजन की समस्याओं के निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं।   विधानसभा में विधायकों से मिले सीएम मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेश में भारी बारिश से उत्पन्न स्थिति पर विधानसभा में विधायकों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 1 जून से 1 सितम्बर तक औसत बारिश से 62 प्रतिशत से अधिक बारिश हुई है। ऐसे में सभी विधायक अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में जाएं तथा जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर राहत-बचाव कार्यों को और अधिक गति प्रदान करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार तात्कालिक राहत के साथ-साथ बारिश और बाढ़ से प्रतिवर्ष होने वाली समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए भी प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार दीर्घकालिक योजनाएं बना रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आमजन की परेशानियों को प्रभावी रूप से दूर कर रही है। अधिकारियों से नियमित फीडबैक लेने के निर्देश मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभारी मंत्री और सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र में अधिकारियों और प्रशासन से नियमित रूप से फीडबैक लें। जिला कलेक्टर और उच्च अधिकारियों के साथ नियमित बैठक करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने विधायकों को प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर लोगों का मनोबल बढ़ाने, निचले इलाकों से लोगों को समय पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने, भोजन पैकेट, पीने का पानी, दवाइयों और कपड़ों के वितरण की सतत निगरानी के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्र में महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के लिए सुरक्षित अस्थायी आश्रय की व्यवस्था करवाएं। साथ ही कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन पर नजर रखें। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्वयंसेवकों की पर्याप्त तैनाती भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

अलवर में बड़ा ऑपरेशन, धर्मांतरण के आरोप पर 52 बच्चे छुड़ाए गए

अलवर  राजस्थान के अलवर जिले में धर्मांतरण का बड़ा मामला उजागर हुआ है. पुलिस ने बुधवार शाम उद्योग नगर थाना क्षेत्र के गोलेटा गांव स्थित सैय्यद कॉलोनी में एक हॉस्टल पर छापा मारा. यहां से 52 बच्चों को बरामद किया गया, जिन्हें शिक्षा और पैसों के लालच में धर्म परिवर्तन के लिए गुमराह किया जा रहा था. पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर यह कार्रवाई की गई. मौके से दो लोगों अमृत और सोनू रायसिख को गिरफ्तार किया गया. इनमें से अमृत पर पहले भी सीकर जिले में धर्मांतरण का केस दर्ज हो चुका है. पुलिस के अनुसार एक एनजीओ की आड़ में यह पूरा खेल चलाया जा रहा था. पुलिसवाले दीवार पर चढ़े बच्चों को काफी देर तक समझाते रहे कि वो यहां उनके लिए आए हैं, डरो मत, नीचे आ जाओ। यहां रह रहे बच्चों ने बताया कि उन्हें सिखाया जाता था कि- भगवान को मानोगे तो नर्क में जाओगे। मूर्ति और क्रॉस को पानी में डुबोकर अंतर बताया जाता था। एक संगठन की शिकायत पर बुधवार शाम को एमआईए थाना क्षेत्र की सैय्यद कॉलोनी में एक ईसाई मिशनरी हॉस्टल में कार्रवाई की गई थी। शिक्षा के नाम पर धर्म-परिवर्तन का आरोप आरोप है कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को हॉस्टल में रखा जाता है। यहां शिक्षा के नाम पर उन्हें पैसे का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। बुधवार शाम को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की शिकायत पर पुलिस ने छापेमारी की। मौके पर पुलिस पहुंची तो हॉस्टल के अंदर भगदड़ मच गई। मौके पर मौजूद 50 से ज्यादा बच्चे बिल्डिंग की 10 फीट से ज्यादा ऊंची दीवार फांदने लगे। डरो मत..आपके लिए आए हैं हॉस्टल की बाउंड्री और दीवार पर चढ़े बच्चे को नीचे उतारने के लिए पुलिसवालों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। उन्हें नीचे उतारने के लिए पुलिसकर्मी काफी देर तक समझाइश करते रहे। पुलिसकर्मियों ने कहा- डरो मत, हम तुम्हारे लिए आए हैं। इस दौरान कुछ बच्चे रोने लगे और डर के कारण चीखने भी लगे। बच्चों का आरोप- डराया जाता था हॉस्टल में रहने वाले बच्चों ने बताया कि उन्हें धर्म और भगवान को नहीं मानने के लिए उकसाया जाता था। उन्हें मौत का भी डर दिखाया जाता था। अब पढ़िए- 2 मासूमों ने हॉस्टल पर क्या आरोप लगाए… आग में जलने के नाम से डराया: हॉस्टल में फादर कहते हैं कि अगर तुम भगवान को मानोगे तो नर्क में जाओगे। आग में जला दिए जाओगे। तुम्हें केवल बाइबल को ही पढ़ना है। हिंदुओं के नकली भगवान हैं। ईसा मसीह की प्रार्थना से हमें स्वर्ग मिलता है और हिंदू देवी-देवताओं के नाम लेने से नर्क मिलता है। असली भगवान तो ईसा मसीह है: फादर कहते हैं ईसा मसीह की प्रार्थना से हमें स्वर्ग मिलता है और हिंदू देवी-देवताओं के नाम लेने से नर्क मिलता है। फादर बाल्टी में पानी भरकर देवी-देवताओं की मूर्तियों को पानी में डालते हैं। पानी में मूर्ति डूब जाती है तो कहते हैं कि तुम्हारा भगवान स्वयं डूब गया है, वो तुम्हें कैसे बचाएगा। अहमदाबाद का रहने वाला है आरोपी फादर पुलिस के अनुसार मौके से अहमदाबाद के रहने वाले अमृत और रामगढ़ (अलवर) के रहने वाले सोनू रायसिख को पकड़ा है। मौके से एक धर्म से जुड़े धार्मिक ग्रंथ और किताबें जब्त की हैं। जानकारी के अनुसार अगस्त महीने में सीकर में ईसाई धर्म गुरु सेल्वाराज उर्फ सेल्बुराज ने कुछ लोगों का धर्म परिवर्तन कराया था। जिसमें अमृत का भी नाम है। जो फिलहाल जमानत पर है। एसपी बोले- सस्ती शिक्षा के नाम पर बुलाते हैं SP सुधीर चौधरी ने बताया कि जिले में कुछ लोगों के अवैध गतिविधियों में लिप्त होने की सूचना मिली। जो गरीबों को सस्ती शिक्षा के नाम पर बुलाते हैं। धर्म को लेकर गलत शिक्षा देकर धर्म परिवर्तन की बात सामने आई है। इस मामले में दो जनों को अरेस्ट किया है, जिनमें अमृत गुजरात का रहने वाला है। जिसके खिलाफ पहले से सीकर में मुकदमा दर्ज है। अब इसकी जमानत कैंसिल कराने का प्रयास करेंगे। जिले में दूसरी जगहों से भी धर्म परिवर्तन कराने की बातें सामने आई हैं। ये गरीब तबके के बच्चों को छात्रावास में रखते थे। बच्चों को साधारण भाषा में ईसाई धर्म की अच्छाई बताकर हिंदू और सिख धर्म की कमी बताते हैं। हो सकता है कि ये बच्चों के माता-पिता को सहायता भी देते हों। ऐसे मामलों में राजस्थान में पहले भी मुकदमे दर्ज हुए हैं। उनकी भी जानकारी मांगी है। भविष्य में ऐसा नहीं हो इसके लिए आमजन को भी सहयोग करने की जरूरत है। हॉस्टल पर छापा मार 52 बच्चे बरामद  छापेमारी के दौरान बच्चे डर के मारे हॉस्टल की दीवार कूदकर भागने लगे. वहीं हिंदू संगठनों ने भी मौके पर पहुंचकर विरोध किया और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. पुलिस ने हॉस्टल से ईसाई धर्म से जुड़े धार्मिक ग्रंथ और बड़ी मात्रा में लिखने की सामग्री जब्त की है. बच्चों ने पुलिस को बताया कि हॉस्टल में हिंदू देवी-देवताओं को लेकर गलत बातें कही जाती थीं और ईसा मसीह को ही सच्चा भगवान बताया जाता था. बच्चों की उम्र 6 से 17 साल के बीच है. वे अलवर, हनुमानगढ़ और दिल्ली के अलग-अलग स्कूलों में पढ़ते हैं. शिक्षा और पैसों का लालच देकर धर्म परिवर्तन पुलिस ने बताया कि इस नेटवर्क का संबंध तमिलनाडु, गुजरात और कई अन्य राज्यों से है. पुलिस ने धर्मांतरण करने वालों को चेतावनी दी है और आम लोगों से भी जानकारी देने की अपील की है.

कैब सेवाओं को मिलेगी नई दिशा: सरकार लाएगी मोटर व्हीकल एग्रीगेटर पॉलिसी

जयपुर राजस्थान में जल्द ही मोटर व्हीकल एग्रीगेटर पॉलिसी लागू की जाएगी। उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने विधानसभा में यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को इस संबंध में गाइडलाइन भेजी है, जिसका अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पॉलिसी का मसौदा तैयार करने के लिए संबंधित विभागों से चर्चा की जा रही है और राज्य की आवश्यकता अनुसार इसमें संशोधन किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की मंशा न केवल ऐप आधारित कैब सेवाओं को रेगुलेट करने की है, बल्कि उपभोक्ताओं को पारदर्शी और सुरक्षित सेवा भी प्रदान करनी है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ओला, उबर जैसी एग्रीगेटर कंपनियों की सेवाओं को लेकर कई बार किराया निर्धारण, लाइसेंसिंग और सुरक्षा से जुड़ी शिकायतें सामने आई हैं, जिसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है। क्या है मोटर व्हीकल एग्रीगेटर पॉलिसी? केंद्र सरकार की इस नीति का उद्देश्य ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के संचालन को एक ढांचे में लाना है। इसमें एग्रीगेटर कंपनियों को लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा, कैब चालकों का पंजीकरण, किराए की अधिकतम सीमा और ग्राहक की सुरक्षा जैसे प्रावधान शामिल होंगे। इसके तहत राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपनी जरूरतों के अनुसार नियमों में संशोधन कर सकती हैं। कब तक लागू होगी नीति? डॉ. बैरवा ने बताया कि पॉलिसी के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के बाद कैबिनेट में पेश किया जाएगा और अनुमोदन के बाद इसे राज्य में लागू किया जाएगा। फिलहाल अधिकारियों की एक टीम इसे अन्य राज्यों की नीतियों से भी तुलना कर रही है ताकि राजस्थान के लिए एक व्यवहारिक और प्रभावी नीति तैयार की जा सके। क्या होगा बदलाव? नई नीति लागू होने के बाद यात्रियों को तयशुदा किराया, पारदर्शी बिलिंग सिस्टम, चालक की पृष्ठभूमि की जांच, रियल टाइम ट्रैकिंग और इमरजेंसी रिस्पॉन्स जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी। वहीं, एग्रीगेटर कंपनियों पर भी जवाबदेही तय होगी और अनियमितताओं की स्थिति में लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान होगा।

नरेश मीणा को जमानत, मेडिकल कॉलेज प्रदर्शन मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

जयपुर झालावाड़ में स्कूल भवन हादसे के बाद अस्पताल के बाहर धरना देने पर गिरफ्तार किए गए नरेश मीणा को हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है। मीणा पर राजकार्य में बाधा और आपातकालीन सेवाओं को प्रभावित करने के आरोप थे। गिरफ्तारी के बाद वे न्यायिक हिरासत में भेजे गए थे। झालावाड़ जिले में हुए स्कूल भवन हादसे के बाद उपजी सियासी हलचल अब अदालत तक पहुंच गई। इस घटनाक्रम में गिरफ्तार नेता नरेश मीणा को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है। गौरतलब है कि 25 जुलाई को जब झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में स्कूल भवन हादसे के बाद नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ झालावाड़ के मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे। वहां उन्होंने अस्पताल के इमरजेंसी भवन के बाहर धरना और प्रदर्शन किया। इस दौरान स्थिति तनावपूर्ण हो गई और पुलिस ने हस्तक्षेप करते हुए नरेश मीणा सहित कई लोगों पर राजकार्य में बाधा डालने और आपातकालीन सेवा को बाधित करने के आरोप लगाए। पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद उन्हें झालावाड़ जिला न्यायालय में अवकाशकालीन न्यायाधीश के समक्ष पेश किया। वहां से उन्हें 8 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। हिरासत की अवधि के दौरान उनके समर्थकों ने इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते हुए लगातार विरोध प्रदर्शन भी किया।

उपनिरीक्षक भर्ती 2021 पेपर लीक मामला: जांच में नया खुलासा, प्रोबेशनर गिरफ्तार

जयपुर राजस्थान में चर्चित उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा 2021 पेपर लीक मामले में एसओजी ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए एक और प्रशिक्षु उपनिरीक्षक को गिरफ्तार किया है। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, एटीएस एवं एसओजी वी.के. सिंह ने बताया कि अनुसंधान के दौरान मिली गोपनीय जानकारी और साक्ष्यों के आधार पर नागौर जिले के रहने वाले अशोक सिंह राजपुरोहित को हिरासत में लिया गया। जानकारी के मुताबिक, अशोक सिंह ने वर्ष 2021 में आयोजित उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा से पहले कथित रूप से पेपर लीक गिरोह के सदस्य विनोद कुमार रेवाड़ से संपर्क किया। उसने 8 लाख रुपये में सौदा कर परीक्षा से पहले वाट्सऐप पर सॉल्वड पेपर प्राप्त किया और परीक्षा में शामिल हुआ। इस अवैध तरीके से उसने कुल 310.39 अंक हासिल कर लिखित परीक्षा पास की और अंततः मेरिट क्रमांक 396 पर चयनित हुआ। जांच में सामने आया कि आरोपी ने नियमों को ताक पर रखकर गैरकानूनी तरीके से उपनिरीक्षक के पद पर चयन प्राप्त किया। इस पर तीन सितंबर 2025 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया। गौरतलब है कि इस पेपर लीक प्रकरण में अब तक 55 प्रशिक्षु उपनिरीक्षकों समेत कुल 124 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एसओजी और एटीएस की संयुक्त टीम इस मामले की तह तक जाने के लिए लगातार जांच कर रही है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं। यह गिरफ्तारी न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पुलिस महकमे में घुसपैठ करने के लिए संगठित अपराध किस हद तक सक्रिय है।

हनुमान बेनीवाल ने अग्निवीर योजना को बताया युवा विरोधी, कांग्रेस-भाजपा दोनों पर बरसे

नागौर नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने जोधपुर में बड़ा बयान देते हुए कहा कि आरएलपी जल्द ही अग्निवीर योजना को लेकर बड़ा आंदोलन करेगी। बेनीवाल बाड़मेर की सभा के बाद जोधपुर पहुंचे और सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने एसआई भर्ती रद्द होने सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सड़क पर संघर्ष के बाद ही सब इंस्पेक्टर भर्ती रद्द हुई। जबकि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मंत्री जोगाराम पटेल लगातार कहते रहे कि भर्ती रद्द नहीं हुई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बयान के बाद भी इन नेताओं ने सच्चाई स्वीकार नहीं की। बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान में वास्तविक संघर्ष सिर्फ आरएलपी कर रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच बारी-बारी से सत्ता का खेल अब राजस्थान में नहीं चलेगा। अग्निवीर को लेकर दिल्ली में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। किरोड़ीलाल मीणा के साथ हुए विवाद को लेकर उन्होंने रात गई, बात गई कहकर बात को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि इसी तरह चलता रहा तो सीएम भजनलाल शर्मा की विदाई निश्चित है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट पर आरोप लगाया कि दोनों ने ईडी और सीबीआई के डर से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को चार सीटें “गिफ्ट” कर दीं। बेनीवाल ने कहा कि 2028 का चुनावी रण अलग होगा और उस समय आरएलपी के साथ अन्य पार्टियां भी आएंगी। हम दमखम के साथ राजस्थान में चुनाव लड़ेंगे।