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विधायकी पर लटकी तलवार! जयकृष्ण पटेल के खिलाफ सिफारिश संभव

जयपुर राजस्थान विधानसभा में  सवाल वापस लेने के बदले रिश्वत मांगने के मामले में एसीबी द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार किए गए भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के बागीदौरा विधायक जयकृष्ण पटेल के खिलाफ विधानसभा की सदाचार समिति ने जांच पूरी हो चुकी है। समिति अपनी रिपोर्ट आज दोपहर 2 बजे विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को सौंपेगी। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में विधायक की सदस्यता रद्द करने तक की सिफारिश की जा सकती है। 1 सितंबर से शुरू हो रहे सत्र में पेश होगी रिपोर्ट सदाचार समिति की यह रिपोर्ट आगामी 1 सितंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में रखी जाएगी। इसके बाद सदन की सिफारिश के आधार पर स्पीकर देवानी पटेल की सदस्यता के संबंध में कोई निर्णय ले सकते हैं। पहली बार किसी विधायक को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया जयकृष्ण पटेल को राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने उनके घर से 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। बताया गया कि उन्होंने खनन विभाग से जुड़े सवालों को विधानसभा से वापस लेने के लिए 10 करोड़ रुपये की मांग की थी। सौदेबाज़ी के दौरान वे 20 लाख रुपये ले रहे थे, तभी एसीबी ने उन्हें ट्रैप कर लिया। यह राजस्थान के इतिहास में पहली बार है जब किसी विधायक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। स्पीकर ने सदाचार कमेटी को सौंपी थी जांच गिरफ्तारी के बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने मामला सदाचार समिति को सौंपा था। इस कमेटी ने पूरे मामले की गहन जांच करते हुए एसीबी, संबंधित एजेंसियों और खुद विधायक का पक्ष भी शामिल किया। अब रिपोर्ट अंतिम चरण में पहुंच गई है। विधायकी रद्द होने पर क्या होगा? अगर सदाचार समिति की रिपोर्ट में जयकृष्ण पटेल को गंभीर दुराचार का दोषी ठहराया जाता है और विधायकी समाप्त करने की सिफारिश की जाती है, तो इसे विधानसभा में रखकर वोटिंग कराई जाएगी। इसके बाद सदन बहुमत से निर्णय लेगा।  

आवारा कुत्तों को लेकर बड़ा फैसला, 6 महीने से कम उम्र के पिल्लों पर नसबंदी नहीं

जयपुर राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को आधार मानते हुए आवारा कुत्तों के मानवीय प्रबंधन हेतु नई 13 सूत्री गाइड लाइन जारी की है। स्वायत्त शासन विभाग ने इसे सभी नगरीय निकायों में 30 दिनों के भीतर लागू करने के निर्देश दिए हैं। नियमों के अनुसार अब राज्य में 6 महीने से छोटे कुत्तों की नसबंदी नहीं की जाएगी। इसी तरह दूध पिलाने वाली मादा को तब तक पकड़ने पर रोक रहेगी, जब तक उनके पिल्ले प्राकृतिक रूप से दूध छोड़ न दें। गाइड लाइन में स्पष्ट किया गया है कि कुत्तों को पकड़ने के लिए तार, फंदा या टोंग्स का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। केवल प्रशिक्षित कर्मचारी ही कुत्तों को सुरक्षित जाल या हाथ से पकड़ सकेंगे। प्रत्येक वार्ड में निर्धारित भोजन स्थल बनाए जाएंगे। इसके अलावा नसबंदी केंद्रों का नवीनीकरण और नई सुविधाओं जैसे टीकाकरण और डीवार्मिंग की व्यवस्था होगी। कुत्तों को पकड़ने और देखभाल का जिम्मा केवल एडब्ल्यूबीआई से मान्यता प्राप्त एनजीओ को दिया जाएगा, जिन्हें प्रति कुत्ता 200 से 1450 रुपए तक भुगतान होगा। हर नगर निकाय में निगरानी समिति बनाई जाएगी, जिसमें पशु कार्यकर्ता की मौजूदगी अनिवार्य होगी। सभी प्रक्रियाओं की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग और 30 दिन का फुटेज रखना होगा। बीमार या घायल कुत्तों का पहले इलाज किया जाएगा, उसके बाद ही नसबंदी होगी। यूडीएच शासन सचिव रवि जैन ने कहा कि यह नीति लोगों की सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों को संतुलित करेगी। उल्लंघन करने पर पशु जन्म नियंत्रण नियम 2003 के तहत कार्रवाई होगी। नई गाइड लाइन से राज्य में आवारा कुत्तों के प्रति मानवीय व्यवहार और जनता की सुरक्षा दोनों को मजबूती मिलेगी।

सरकारी स्कूल में मचा हड़कंप! 10 फीट लंबा मगरमच्छ मिला, बच्चों में दहशत

चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार उपखंड क्षेत्र के सुवानियां गांव के राजकीय विद्यालय में मंगलवार दोपहर करीब 10 फीट लंबा मगरमच्छ घुस आया। सूचना मिलने पर वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। हालांकि स्कूल परिसर में दो से तीन फीट ऊंची घास होने के कारण अभियान में काफी दिक्कत आई। करीब दो से ढाई घंटे की मशक्कत के बाद मगरमच्छ को सुरक्षित पकड़ा गया और बस्सी बांध में छोड़ दिया गया। गनीमत रही कि उस समय स्कूल में छुट्टी हो चुकी थी, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। जानकारी के अनुसार सुवानियां गांव के पास से बहने वाली बेड़च नदी से यह मगरमच्छ गांव तक पहुंच गया था। दोपहर बाद ग्रामीणों ने इसे स्कूल में देखा तो तुरंत सरपंच गोपाललाल गाडरी ने उपवन संरक्षक राहुल झांझड़िया को सूचना दी। निर्देश पर नाथू सिंह के नेतृत्व में वन विभाग की टीम और वन्यजीव प्रेमी मौके पर पहुंचे। संयुक्त टीम ने निरीक्षण किया तो पता चला कि मगरमच्छ स्कूल भवन की बजाय मैदान की तरफ घास में छिपा बैठा है। रेस्क्यू टीम के सदस्य दीवार पर चढ़कर निगरानी कर रहे थे, तभी मगरमच्छ दिखाई दिया। टीम को देखते ही वह हमला करने की स्थिति में आ गया। बड़ी सावधानी से उसे पकड़ा गया और देर शाम बस्सी बांध में छोड़ा गया। वन्यजीव प्रेमी मनीष तिवारी ने बताया कि मगरमच्छ घास में फंस जाने के कारण बाहर नहीं निकल पाया। यदि वह छिपा रह जाता तो अगले दिन बच्चों या स्टाफ के लिए बड़ा खतरा बन सकता था। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी बेड़च नदी से मगरमच्छ निकलकर सुवानियां गांव में आ चुके हैं। करीब एक माह पहले यहां से दो मगरमच्छ रेस्क्यू किए गए थे।

अब कफ सिरप खरीदना हुआ मुश्किल, फोन नंबर दर्ज करना होगा जरूरी

जयपुर राजस्थान में टीबी  यानी क्षय रोग के मरीजों की वास्तविक संख्या सरकार कागजों में रजिस्टर्ड टीबी के मरीजों के आंकड़े से कहीं ज्यादा है। यह चौंकाने वाली जानकारी  इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के सर्वे में सामने आई है। यहां टीबी के इलाज के लिए लोग बड़ी संख्या में कफ सिरप काम में ले रहे हैं। जबकि इस बीमारी का इलाज लंबे समय तक चलता है और विशेष प्रकार की दवाइयां इस रोग  को खत्म करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। ऐसे में अब राजस्थान में टीबी के मरीजों की असल संख्या जानने के लिए ICMR की तरफ से एक पॉयलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है।  इस प्रोजेक्ट के तहत सर्वे कराया जा रहा है,जिसमें मरीजों को दिए जाने वाले कफ सिरप से टीबी की संभावना का पता लगाया जाएगा।  राजस्थान में इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही डॉ कलिका का कहना है की इस प्रोजेक्ट में पहले फेज में राजस्थान के 33 जिलों से कफ सिरप का डेटा तैयार किया जा रहा है ताकि पता लग सके कि कफ सिरप की बिक्री कितनी मात्रा में हो रही है,यह डेटा प्रदेश के लगभग सभी मेडिकल स्टोर से जुटाया जा रहा है,इसमें चिकित्सा विभाग का ड्रग डिपार्टमेंट सक्रिय भूमिका निभा रहा है, टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के लिए यह कदम अहम माना जा रहा है, क्योंकि प्रदेश में अब भी बड़ी संख्या में मरीज या तो देर से रिपोर्ट करते हैं या फिर अपनी बीमारी को छुपा रहे है और इसके कारण संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। 7 गुना ज्यादा डॉ कलिका ने बताया कि जब हमने सर्वे किया तो सामने आया कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग है जो कफ सिरप खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा की राजस्थान में जितने टीबी के रजिस्टर्ड मरीज है उनसे सात गुना ज्यादा संख्या टीबी मरीजों की है, और यह कफ सिरप की की खरीद के आंकड़ों से सामने आया है। सर्वे में पता चला है कि  मेडिकल स्टोर्स पर कफ सीरप की खपत बहुत ज़्यादा बढ़ गई है,इसे लेकर चिकित्सा विभाग के ड्रग डिपार्टमेंट के साथ मिलकर टीबी के मरीजों की पहचान की जाएगी, राजस्थान में प्रोजेक्ट सफल रहने पर  ICMR  इसे पूरे देश में चलाएगा । कफ सिरप के लिए अब देना होगा मरीज को फोन नम्बर एड्रेस मामले को लेकर राजस्थान के ड्रग कंट्रोलर राजा राम शर्मा का कहना है कि ICMR के साथ मिलकर टीबी रोगियों की पहचान की जाएगी, इसे लेकर डिपार्टमेंट एक आदेश जारी करने जा रहा है जिसके तहत मेडिकल स्टोर्स से कफ सिरप खरीद करने वालो का रिकॉर्ड रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि जयपुर से पायलेट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो रही है। अब  कफ सिरप की खरीद करने पर मरीज को फोन नम्बर एड्रेस देना होगा। इसके लिए प्रदेश की मेडिकल स्टोर्स को भी निर्देश जारी किए जाएगे। राजस्थान में फिलहाल करीब 60 हजार मेडिकल स्टोर्स हैं।  राजाराम शर्मा का कहना है की इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है,प्रदेश में टीबी को ख़त्म करने के लिए चिकित्सा लगातार प्रयास कर रहा है इसे लेकर ड्रग विभाग के अधिकारियो को ट्रेनिंग भी दी जाएगी, एक बार रिकॉर्ड मिलने के बाद ऐसे मरीज़ों के घर जाकर स्क्रीनिंग की जाएगी और उसके सैंपल लिए जाएंगे जानकारी नहीं दे रहे मरीज हाल ही में चिकित्सा विभाग द्वारा टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान के तहत वर्ष 2024 में राजस्थान की 3,355 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है, जबकि वर्ष 2023 में यह संख्या 586 थी। लेकिन फिर भी टीबी जैसी गंभीर बीमारी के बारे में अभी भी लोग जानकारी नहीं दे रहे हैं।  लोग सीधे मेडिकल स्टोर से कफ सिरप ख़रीद कर बीमारी का इलाज करने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि इस बीमारी का इलाज लंबे समय तक चलता है और विशेष प्रकार की दवाइयां इस रोग  को खत्म करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। टीबी बीमारी क्या है टीबी यानि क्षय रोग एक संक्रामक रोग है, जो कीटाणु के कारण होता है। टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित लोगों को टीबी से बीमार होने का जोखिम जीवन भर 5-10% रहता है।टीबी के लक्षणों की बात करें तो * तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी * बुखार विशेष तौर से शाम को बढने वाला बुखार * छाती में दर्द * वजन का घटना * भूख में कमी * बलगम के साथ खून आना टीबी होने के कारण * धूम्रपान करना * वायु प्रदुषण के कारण * कुपोषित या ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी कमजोर है * जिन्हें मधुमेह है * एचआईवी और एड्स ग्रसित मरीजों को अन्य अंगो को प्रभावित टी.बी रोग विशेषकर (85 प्रतशित) फेंफडों को ग्रसित करता है।  करीब 15 प्रतिशत मामलों में शरीर के अन्य अंग जैसे, मस्तिष्क,  आंतें,  गुर्दे,  हड्डी व जोड इत्यादि भी रोग से ग्रसित होते हैं। टीबी रोग के निदान के लिये एक्स-रे करवाना, बलगम की जांच करवाना होता है। कई मामलों में इसकी जांच के लिए एक्स-रे व अन्य जॉंच जैसे FNAC, Biopsy, CT Scan की आवश्यकता हो सकती है।

राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की सख्ती: बीकानेर-जोधपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरु को हटाया

जयपुर बीकानेर-जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने बर्खास्तगी का आदेश जारी किया है। डॉ कुमार पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप साबित हुआ है। जांच में निधि का दुरुपयोग और अवैधानिक नियुक्तियां उजागर हुई हैं। डॉ. अरुण कुमार के विरुद्ध काफी समय से शिकायतें आ रही थीं। इसके बाद उनकी जांच के लिए संभागीय आयुक्त, जोधपुर को निर्देशित किया गया था। संभागीय आयुक्त, जोधपुर द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में डॉ. अरुण कुमार द्वारा के विरूद्ध  अधिनियम के प्रावधानों का कार्यान्वयन करने में जानबूझकर लोप करने, प्रदत्त शक्तियों का दुरूपयोग करने, विश्वविद्यालय को वित्तीय हानि पहुंचाने आदि के कृत्य प्रथम दृष्टया प्रमाणित पाये गये। किसी विश्वविद्यालय के कुलपति को कैसे बर्खास्त किया जा सकता है? किसी कुलपति के खिलाफ भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता, कदाचार, या प्रशासनिक लापरवाही जैसे गंभीर आरोप लगाए जाते हैं तो कुलपति को नियमानुसार जांच करवाकर हटाया जा सकता है। शिकायतें छात्रों, कर्मचारियों, या अन्य हितधारकों द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन, राज्य सरकार, या राज्यपाल (जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होते हैं) को लिखित रूप में की जा सकती हैं और कुलपति के खिलाफ कार्रवाई की दिशा में कदम बठाया जा सकता है।  शिकायत मिलने पर, राज्यपाल या विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के निर्देश पर प्रारंभिक जांच शुरू की जाती है। यदि प्रारंभिक जांच में आरोपों में सत्यता पाई जाती है, तो एक औपचारिक जांच समिति गठित की जा सकती है। जांच समिति अपनी रिपोर्ट कुलाधिपति (राज्यपाल) को सौंपती है। यदि कुलपति दोषी पाए जाते हैं, तो समिति बर्खास्तगी या निलंबन की सिफारिश कर सकती है।

हाहाकार: राजस्थान की नदियों में बह गए 15 लोग, बचाव कार्य चल रहा, 10 लोग डूबने की आशंका

जयपुर  राजस्थान में चितौड़गढ़ और जालोर जिले में एक साथ दो बड़े हादसे हो गए हैं. यहां बनास और सूकड़ी नदी में 15 लोग बह गए हैं. इनमें से पांच लोगों को बच गए हैं. लेकिन 10 लोग अभी लापता हैं. उनके नदियों डूब जाने की आशंका है. नदियों में समाए इन लोगों की तलाश के लिए दोनों ही जगह रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. लेकिन लापता लोगों का अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है. पुलिस प्रशासन रेस्क्यू टीमों के साथ वहां डेरा जमाए हुए बैठा है. दोनों ही घटनास्थलों पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा है. लापता हुए लोगों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो रखा है. जानकारी के अनुसार पहला हादसा मंगलवार देर शाम को जालोर के सायला थाना इलाके में हुआ. हाल ही में हुई जोरदार बारिश के कारण इलाके के आसाणा गांव के पास से गुजर रही सुकड़ी नदी में पानी का बहाव जोरों पर था. उस समय कुछ लोगों को नदी किनारे एक बोलेरो खड़ी दिखाई दी. इस गाड़ी के पास छह जोड़ी चप्पल और जूते पड़े हुए थे. इस पर लोगों को आशंका हुई तो उन्होंने पुलिस प्रशासन को सूचना दी. सूचना पर वह एसडीएम, तहसीलदार और थाना पुलिस मौके पर पहुंची. ग्रामीणों ने आशंका जताई कि जीप सवार लोग संभवतया नहाने के लिए नदी में उतरे थे लेकिन वापस नहीं निकल पाए. 5-6 लोगों को नदी में उतरते हुए दिखे थे जीप काफी समय से खड़ी हुई और कोई इसे लेने नहीं आया. प्रशासन ने जब इसकी जांच पड़ताल की तो पता चला कि एक ग्रामीण ने 5-6 लोगों को नदी में उतरते हुए भी देखा था. जांच में सामने आया कि आसाणा गांव के 6 लोग लापता हैं. इस पर प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया. उसके बाद रात साढ़े आठ बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. यह ऑपरेशन मंगलवार को रातभर चला. लेकिन किसी का कोई भी सुराग नहीं लग पाया है. ऑपरेशन अभी चल रहा है. बनास नदी में बह गई कार दूसरा हादसा मंगलवार आधी रात को चित्तौड़गढ़ जिले के राशमी इलाके में बनास नदी में हुआ. वहां एक वेगन आर कार बनास नदी में बह गई. इस कार में 9 लोग सवार थे. उनमें से पांच लोग तो जैसे-तैसे करके बाहर आ गए लेकिन चार लोग नदी में बह गए. नदी में बहने वालो में दो बच्चे और दो महिला शामिल बताई जा रही है. यह हादसा उपरेड़ा सेमी मार्ग पर बहने वाली पुलिया पर हुआ. यहां भी हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा. उसने गोताखोरों की मदद से लापता हुए चार लोगों को ढूंढ़ने का प्रयास किया. लेकिन उनका बुधवार को सुबह तक कोई सुराग नहीं लग पाया है. सवाई भोज कार्यक्रम में शामिल होकर लौट रहे थे लोग बताया जा रहा है कि भारी बारिश के कारण मातृकुण्डिया बांध के गेट खोले जाने से बनास नदी में उफान आया हुआ था. उसकी उफान में यह कार बह गई. कार सवार लोग भीलवाड़ा से भूपाल सागर के काना खेड़ी जा रहे थे. काना खेड़ा गांव का यह भीलवाड़ा के सवाई भोज में धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने गया हुआ था. वहां से आधी रात को वापस अपने गांव लौट रहे थे. उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं लग पाया कि पुलिया पर पानी कितना है और उन्होंने उस पर कार को चढ़ा दिया. बहरहाल यहां भी रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है.

रास्ता भटकने से बड़ा हादसा: पांच लोगों की बची जान, चार लापता

चित्तौड़गढ़   क्या ये गलती गूगल मैप की है? क्योंकि यदि रास्ता सही बताया गया होता तो शायद वैन में सवार लोग घटना का शिकार न होते। बता दें, चित्तौड़गढ़ जिले के राशमी थाना क्षेत्र में मंगलवार देर रात को एक बड़ा हादसा हुआ है। पुलिया पार करने के दौरान वैन नदी में गिर गई। इसमें वैन में सवार चार लोग तो बह गए जबकि पांच लोगों को पुलिस एवं ग्रामीणों की सहायता से बचा लिया। बहे लोगों की मौके पर तलाश जारी है। वैन में सवार लोगों को गूगल मैप से रास्ता देखना भारी पड़ गया। गूगल मैप इन्हें तीन साल से बंद पड़ी पुलिया पर ले गया, जिससे वैन गड्ढे में उतर गई तथा बाद में बनास नदी में बह गई। गूगल मैप ने बंद रास्ते पर पहुंचा दिया जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ जिले के भूपालसागर थाना क्षेत्र के कानाखेड़ा में रहने वाले एक परिवार के 9 सदस्य मंगलवार को भीलवाड़ा जिले में सवाईभोज दर्शन के लिए गया था। वापसी में यह लोग भीलवाड़ा में रुके। फिर अपने घर लौट रहे थे। इसके लिए इन्होंने गूगल मैप की सहायता ली थी। इस दौरान बनास नदी पर सोमी-उपरेडा पुलिया पर यह गूगल मैप की सहायता से पहुंच गए। यह पुलिया काफी समय से बंद पड़ी थी और ऊपर से पानी भी बह रहा था। चालक ने वैन को पुलिया पर उतार दी। इसमें एक गढ़ा था जिसमें वैन फस गई। बाद में तेज बहाव में बह गई। किसी तरह वैन में सवार लोगों ने सहायता मांगी। ग्रामीण मौके पर एकत्रित हो गए वहीं, मामले की जानकारी मिली तो बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर एकत्रित हो गए। पुलिस को भी सूचना दी गई। इस पर पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों से नाव मंगवाकर  पांच लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। वहीं चार लोग पानी में भर गए, जिसमें दो छोटे बच्चे भी हैं। ऐसे में बहे लोगों की तलाश के लिए सिविल डिफेंस की टीम को मौके पर बुलाया गया। देर रात करीब सवा तीन बजे सिविल डिफेंस की टीम भी मौके पर पहुंच गई। लेकिन अंधेरा होने के कारण रेस्क्यू अभियान शुरू नहीं किया गया। मौके पर राशमी एसडीएम के अलावा गंगरार डिप्टी प्रभु लाल, राशमी थानाधिकारी देवेंद्र देवल मय जाब्ता के मौके पर पहुंचे थे। चार तलाश जारी, टिकी नजरें इस हादसे में वैन में सवार सभी नौ लोग आपस में रिश्तेदार होकर गाडरी समाज के हैं। इनमें से मदनलाल (25) पुत्र देवीलाल, हितेश (16) पुत्र सोहन, लीला (18) पत्नी देवीलाल, काव्यांश (9 माह) पुत्र मदन तथा आयांश (9 माह) पुत्र देवीलाल को ग्रामीणों व पुलिस ने बचा लिया। वहीं हादसे में चंदा (21) पत्नी हेमराज, ममता (25) पत्नी मदन, खुशी (4) पुत्री मदन तथा रूत्वी (6) पुत्री हेमराज बह गए। ऐसे में इन चारों की तलाश जारी है। बंद रास्ते पर ले गया मैप जानकारी में सामने आया कि मातृकुंडिया बांध में पानी की आवक हुई थी। ऐसे में प्रशासन ने अलर्ट किया था। मंगलवार रात 10 बजे सायरन बजा कर बांध के गेट खोले गए थे। वहीं प्रशासन ने बनास नदी पुलिया पर आने वाले रास्तों पर जो नीचे है, वहां पत्थर अथवा जेसीबी लगा कर बंद किए थे। यह परिवार कहीं बाहर रहता है तथा अभी गांव आया हुआ था। इन्हें जानकारी नहीं थी कि तीन साल से सोमी-उपरेडा पुलिया बंद हैं। ये पहले वैन को सांखली मार्ग पर ले गए तो पुलिया के आगे जेसीबी खड़ी थी। इस पर ये गूगल मैप की सहायता से सोमी-उपरेडा मार्ग स्थित पुलिया पर आ गए। रिश्तेदारों ने किया था मना, फिर भी नहीं माने पुलिस ने बचाए गए परिवार के सदस्यों से पूरी जानकारी ली। इसमें हितेश ने बताया कि मंगलवार सुबह 9.30 बजे घर से रवाना होकर वे गंगापुर होते हुवे सवाई भोज दर्शन करने गए थे। वहां से देमाली दर्शन किए तथा भीलवाड़ा आए, जहां रिश्तेदार के यहां खाना खाया। रिश्तेदार ने रात ज्यादा होने का हवाला देते हुए रुकने की कहा था। लेकिन हितेश के साथ शामिल उसकी एक भाभी ने देवता का कारण बताते हुए रात रुकने से मना कर दिया था।

विलायती बबूल को हटाने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी करे: पंचायती राज मंत्री

जयपुर पंचायती राज मंत्री श्री मदन दिलावर ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि विलायती बबूल (प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा) को जड़ सहित हटाने के लिए अध्ययन कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी करें और इसके उन्मूलन के संबंध में ऐसे विकल्पों को तलाश करें जिससे इस दिशा में सेफ जोन में काम किया जा सके। उन्होंने कहा कि विलायती बबूल के उन्मूलन के लिए क्षेत्र चिन्हित कर चरणबद्ध रूप से काम किया जाए। श्री दिलावर ने मंगलवार को पंचायती राज सभागार में राज्य में विलायती बबूल उन्मूलन के संबंध में वन विभाग, ग्रामीण विकास एवं अन्य संस्था प्रतिनिधियों के साथ आयोजित बैठक में ये निर्देश दिए।   पंचायती राज मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य केवल विलायती बबूल को काटना नहीं, बल्कि उनकी जड़ों को पूरी तरह से खत्म करना है ताकि दोबारा न उगें। उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने विलायती बबूल खतरा साबित हो रहा है। प्रदेश में बहुतायत में उग आया विलायती बबूल अब अपने आसपास किसी अन्य वनस्पति को पनपने नहीं दे रहा है, इसलिए इसका प्रभावी उन्मूलन आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि इस पेड़़ के कारण खेती की मिट्टी अनुपजाऊ बन जाती है। विलायती बबूल ने चारागाह क्षेत्र को भी नष्ट कर दिया है। इस पेड़ के कारण किसानों को पशु चराने में  बड़ी समस्या से गुजरना है पड़ता है।   विलायती बबूल का एक पौधा उग जाता है तो उसके आसपास बहुत सारे पौधे उगते हैं जो अन्य वनस्पति को विकसित नहीं होने देते हैं। उन्होंने विलायती बबूल के उन्मूलन के लिए वर्तमान में उपलब्ध वैधानिक प्रावधानों और नीतियों पर चर्चा की और कहा कि इन विलायती बबूल को हटाने का सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है। कुछ अड़चनें हैं, उन्हें दूर कर इनको भी निकालने की कोशिश करेंगे। बैठक में इससे संबंधित उत्पादों ईंधन, चारकोल, पशु आहार आदि के बारे में चर्चा की गई।  बैठक में पंचायती राज के शासन सचिव एवं आयुक्त डाॅ. जोगाराम , वाटरशेड निदेशक श्री मोहम्मद जुनैद,  श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के कुलगुरु श्री बलराज सिंह सहित अन्य विभागीय अधिकारीगण एवं इस क्षेत्र में कार्य कर रही विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।

शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए निरंतर कार्य हो, राजस्थान देश का अग्रणी राज्य बने: राज्यपाल

जयपुर राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कुलगुरुओं को व्यक्तिगत रुचि लेकर शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए कार्य करने का आह्वान किया है। उन्होंने विश्वविद्यालयों में नामांकन के बाद विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने, इस हेतु अच्छे ढंग से पढ़ाने, रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रमों से उन्हें जोड़ने आदि के लिए भी कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने राजस्थान को उच्च शिक्षा में देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जिन शिक्षण संस्थानों में सुधार नहीं होगा, उनके खिलाफ भी कड़े कदम उठाए जाएंगे। राज्यपाल श्री बागडे ने विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के सम्बंध में मंगलवार को राजभवन में आयोजित समीक्षा बैठक में ये निर्देश दिए। उन्होंने विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू करने, विश्वविद्यालयों में नैक एक्रिडिएशन की कार्यवाही पूर्ण करने, वहां उपलब्ध लैब, पुस्तकालय, खेल मैदानों और छात्रावास के बारे में भी विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों में एक समान प्रश्नपत्र और पाठ्यक्रम लागू किए जाने की व्यावहारिकता के बारे में भी सुझाव लिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गांवों को पिपलांत्री पैटर्न पर विकसित किया जाए। वहां पर अच्छे फलदार और छायादार पौधे लगाने तथा उन्हें विकसित करने व  प्राकृतिक खेती के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर कार्य किया जाए। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में शोध के अंतर्गत मौलिक दृष्टि रखे जाने पर विशेष ध्यान  देने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में पेंशन, वेतनमान आदि के लिए भी राज्य सरकार स्तर पर संवाद कर सकारात्मक प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने निजी और राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण अध्ययन करवाने और रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण के लिए निरंतर कार्य करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि यह हमारा राष्ट्रीय दायित्व है कि हम विद्यार्थियों को देश का सुयोग्य नागरिक बनाएं। बैठक में विश्वविद्यालयों में कुलगुरुओं के कार्यकाल की अवधि तीन से पांच वर्ष किए जाने संबंधित सुझावों के साथ बैठक में सभी विश्वविद्यालयों में प्रो वाइस चांसलर बनाने, वहां पर भविष्य के प्रशासनिक अधिकारी तैयार करने, नवाचारो के आलोक में भारतीय ज्ञान परम्परा के अंतर्गत भारत विद्या अनुसंधान केन्द्र शुरू किए जाने आदि पर भी चर्चा हुई। अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री कुलदीप रांका ने प्रदेश में विश्वविद्यालयों के लिए कॉमन भर्ती बोर्ड, डिजिटल कनेक्टिविटी और रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रमों के लिए विशेष प्रयास किए जाने के सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जो नवाचार करें, उसे विश्वविद्यालय पोर्टल पर डाला जाए। उन्होंने राज्य सरकार से जुड़े विश्वविद्यालयी मुद्दों के जल्द निस्तारण का भी विश्वास दिलाया। राज्यपाल के सचिव डॉ. पृथ्वी ने विभिन्न विश्वविद्यालयों से जुड़े विषयों और संबंधित कार्यों के बारे में विस्तार से अवगत कराया। विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलगुरुओं ने उच्च शिक्षा में नवाचार अपनाते हुए राज्य को उच्च शिक्षा में श्रेष्ठतम बनाए जाने से संबंधित सुझाव दिए। राज्यपाल श्री बागडे ने बैठक के बाद राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के न्यूज लेटर का लोकार्पण किया। उन्होंने जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. रोशन लाल रैना द्वारा लिखी पुस्तक का भी विमोचन किया।

श्री विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड की द्वितीय गवर्निंग बैठक हुई सम्पन्न

जयपुर श्री विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री रामगोपाल सुथार की अध्यक्षता में मंगलवार को बोर्ड कार्यालय झालाना में श्री विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड की द्वितीय गवर्निंग बैठक आयोजित हुई। बैठक में बोर्ड के सीईओ श्री राघवेन्द्र सिंह, सलाहकार श्री बद्री लाल मीणा तथा विभिन्न विभागों से जुड़े बोर्ड सदस्यगण उपस्थित रहे। बैठक में यह सुनिश्चित करने पर बल दिया गया कि कौशल विकास योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक युवाओं और प्रत्येक जरूरतमंद तक पहुँचे। इस दौरान अध्यक्ष श्री सुथार ने कहा कि युवाओं को उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण देकर उन्हें रोज़गार व स्व-रोज़गार की दिशा में सशक्त बनाना ही बोर्ड का प्रमुख उद्देश्य है। बैठक में आगामी कार्ययोजनाओं, प्रशिक्षण मॉड्यूल्स तथा उद्योगों से बेहतर तालमेल के लिए रोडमैप पर भी विचार-विमर्श किया गया। बैठक का समापन आयुक्त, कौशल नियोजन एवं उद्यमिता विभाग, श्री ऋषभ मण्डल द्वारा सभी सदस्यगण का धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ हुआ।