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28 अगस्त से बदल जाएगा वॉट्सऐप: बिना डाटा-पैक भी कर पाएंगे वीडियो कॉल

नई दिल्ली आज के समय में लोगों के लिए तब सबसे बड़ी मुश्किल हो जाती है, जब उनके फोन में नेटवर्क नहीं आता है और वे जरूरत पड़ने पर भी किसी को कॉल या मैसेज नहीं कर सकते हैं। हालांकि, अब काफी हद तक लोगों की यह परेशानी दूर हो जाएगी, क्योंकि वे बिना इंटरनेट के लोकप्रिय इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप के लिए वायस और वीडियो कॉल कर पाएंगे। जी हां, अगर आपको लग रहा है कि यह कैसे हो सकता है तो बता दें कि हाल ही में लॉन्च हुई Google Pixel 10 Series सीरीज के स्मार्टफोन्स में सैटेलाइट कॉल्स फीचर मिल रहा है। इसकी मदद से व्हाट्सऐप ऐप के जरिए बिना नेटवर्क के भी कॉल की जा सकती है। आइये, पूरी डिटेल जानते हैं। Google Pixel 10 से बिना नेटवर्क भी कर पाएंगे व्हाट्सऐप कॉल Google ने हाल ही में हुए इवेंट में Google Pixel 10, Pixel 10 Pro, Pixel 10 Pro XL और Pixel 10 Pro Fold स्मार्टफोन लॉन्च किए हैं। इन फोन्स को कई दमदार फीचर्स के साथ लाया गया है। अगर खासियत की बात करें तो व्हाट्सऐप के जरिए सैटेलाइट कॉल की सुविधा वाले ये पहले स्मार्टफोन्स हैं। इन सभी हैंडसेट्स में Bluetooth 6 दिया गया है। गूगल लोगों को अब इन डिवाइसेस के जरिए सर्कुलर नेटवर्क से काफी दूर होने पर भी व्हाट्सऐप कॉल करने की सुविधा दे रहे हैं। यह सुविधा देने वाली गूगल पहली कंपनी है। अभी तक ऐपल या फिर किसी अन्य कंपनी के स्मार्टफोन्स में यह फीचर नहीं मिलता है। अब तक स्मार्टफोन पर सैटेलाइट कनेक्टिविटी ज्यादातर इमरजेंसी टेक्स्ट मैसेज तक ही सीमित थी। वहीं, Pixel 10 के साथ Google इस टेक्नोलॉजी को व्हाट्सऐप में लेकर आया है। इसका मतलब है कि अब गूगल पिक्सल 10 सीरीज के फोन के साथ आप यात्रा के दौरान, पहाड़ों पर गांव में हर जगह व्हाट्सऐप कॉल कर सकते हैं, जहां नेटवर्क नहीं आ रहे हों। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह स्नैपड्रैगन सैटेलाइट प्लेटफॉर्म का यूज करते हुए गूगल और क्वालकॉम के बीच पार्टनरशिप के जरिए मुमकिम हुआ है। कब से मिलेगी यह सुविधा? गूगल ने एक्स पर एक ट्वीट करके इस फीचर की जानकारी दी है। यह सुविधा 28 अगस्त, 2025 से शुरू हो जाएगी। ट्वीट में एक वीडियो दिया गया है, जिसमें साफ-साफ दिख रहा है कि फोन में नेटवर्क नहीं हैं, लेकिन व्हाट्सऐप कॉल की जा सकती है। हालांकि, गूगल ने साफ कर दिया है कि यह पार्टनर कैरियर्स के जरिए उपलब्ध होगा। इस कारण अभी फीचर चुनिंदा लोगों के लिए ही आएगा। बता दें कि भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन को फिलहाल मंजूरी नहीं मिली है, इस कारण भारत में अभी इस सुविधा की उपलब्धता के बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। हो सकता है आगे आने वाले समय में भारत में भी इस फीचर का यूज किया जा सके।

सावधान! पीरियड्स डिले करने की दवा बन सकती है जानलेवा, डॉक्टर ने बताई सच्चाई

नई दिल्ली हमारे आसपास ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो किसी कारण से कभी-कभी पीरियड्स रोकने वाली दवाओं का सेवन करती हैं ताकि किसी खास दिन या मौके पर उन्हें पीरियड्स ना हों. कई बार इन दवाओं का सेवन महिलाएं डॉक्टर से पूछे बिना ही कर लेती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीरियड्स रोकने वाली गोलियों का सेवन करना खतरनाक साबित भी हो सकता है. एक पॉडकास्ट में वैस्कुलर सर्जन डॉ. विवेकानंद ने अपने एक केस के बारे में बताते हुए कहा, 'कुछ समय पहले मेरे हॉस्पिटल में एक 18 साल की इंजीनियरिंग की छात्रा आई थी. उसे पैर और जांघ में काफी ज्यादा दर्द हो रहा था. रूटीन चेकअप के दौरान लड़की ने बताया कि वह 3 दिनों से पीरियड्स रोकने वाली दवा का सेवन कर रही थी क्योंकि उसके घर में पूजा थी.' 'चेकअप के दौरान उसके घरवालों को बुलाया और उन्हें बताया कि लड़की को डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या है और उसे अस्पताल में एडमिट करना होगा. लड़की के पेरेंट्स ने उसे एडमिट करने के लिए मना कर दिया और देर रात डॉक्टर के पास अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड से फोन आया कि उस लड़की को अस्पताल में लाया गया है और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है. लेकिन कुछ मिनटों के बाद ही उसकी मौत हो गई.' ये उनके लिए काफी मुश्किल मामला था. अब ऐसे में हर लड़की या महिला को बिना प्रिस्काइब के पीरियड्स रोकने वाली गोलियां नहीं खानी चाहिए. आज हम आपको बता रहे हैं कि पीरियड्स की दवाओं का सेवन महिलाओं को क्यों नहीं करना चाहिए, डीप वेन थ्रोम्बोसिस क्या है और इसके कारण और लक्षण क्या हैं? पीरियड्स रोकने वाली दवा से किन महिलाओं को खतरा? इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम सूरी का कहना है कि आजकल कई महिलाएं हार्मोनल पिल्स का इस्तेमाल पीरियड देरी करने या मासिक धर्म से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए करती हैं. ये पिल्स शरीर में हार्मोन्स का स्तर बदलकर काम करती हैं, जिससे पीरियड में बदलाव आता है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि हार्मोनल पिल्स लेने से खून गाढ़ा हो सकता है, जो कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है. खून का गाढ़ा होना यानी ब्लड थिकनेस बढ़ जाना, खासकर उन लोगों में जो पहले से ही ब्लड क्लॉटिंग (थ्रोम्बोसिस) की समस्या से ग्रस्त होते हैं, खतरनाक साबित हो सकता है. जब खून गाढ़ा होता है तो ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाओं) में थ्रोम्बस बन सकते हैं. ये थ्रोम्बस ब्लड के सामान्य प्रवाह को रोक देते हैं, जिससे रक्त संचार प्रभावित होता है. यदि ये थ्रोम्बस टूटकर कहीं और चले जाएं, तो वे फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में अटक सकते हैं. इसे पल्मनरी एम्बोलिज्म कहते हैं, जो अचानक दिल की धड़कन रुकने (सडन कार्डियक अरेस्ट) या मृत्यु का कारण बन सकता है. इसलिए हार्मोनल पिल्स कभी भी खुद से या बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए. डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री, रिस्क फैक्टर्स और आपकी सेहत का पूरा मूल्यांकन करके ही सही दवा और मात्रा तय करते हैं. सही दवा और सही डोज़ ही आपकी सेहत के लिए सेफ होती है. जो लोग सीधे केमिस्ट से पिल्स ले लेते हैं या बिना डॉक्टर से पूछे कोई भी मेडिकेशन शुरू कर देते हैं, उनमें ऐसे खतरनाक कॉम्प्लिकेशंस होने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें, और हार्मोनल पिल्स जैसी दवाइयों का इस्तेमाल हमेशा डॉक्टरी सलाह के बाद करें. क्या होता है डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT)? डीप वेन थ्रोम्बोसिस का सामना तब करना पड़ता है जब हमारे  शरीर के अंदर मौजूद नसों में ब्लड क्लॉटिंग या खून के थक्के बनने लगते हैं. ऐसा तब होता है जब या तो आपको चोट लगी हो या आपकी नसों में बहने वाला खून काफी ज्यादा गाढ़ा हो. ये खून के थक्के खून के प्रवाह को रोक सकते हैं. आमतौर पर, डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या का सामना पैर के निचले हिस्से, जांघ या पेल्विस में करना पड़ता है, लेकिन ये समस्या शरीर के बाकी अंगों में भी हो सकती है. इसमें हाथ, ब्रेन, आंतें, किडनी और लिवर भी शामिल हैं. डीप वेन थ्रोम्बोसिस के लक्षण और कारण क्या हैं? यह समस्या आमतौर पर आपके पैरों या हाथों की नसों में होता है. DVT एक गंभीर स्थिति है, जिसके कारण खून का थक्का नस को बंद कर सकता है, जिससे खून का फ्लो रुक जाता है. कभी-कभी इस बीमारी के लक्षण इतने मामूली होते हैं कि लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि अन्य बार ये लक्षण अचानक और ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं. आइए जानते हैं डीप वेन थ्रोम्बोसिस केलक्षण क्या होते हैं- सबसे आम लक्षण पैरों या हाथों की सूजन है, जो कभी-कभी अचानक शुरू हो सकती है. इस सूजन वाले हिस्से में दर्द या टेंडरनेस भी महसूस हो सकती है, खासकर जब आप खड़े होते हैं या चल रहे होते हैं. सूजन वाली जगह का रंग लाल या भूरा हो सकता है, और वहां की स्किन नार्मल से गर्म लग सकती है. दबी हुई नसें भी थोड़ी सूजी हुई  दिख सकती हैं. कुछ मामलों में, जब क्लॉटिंग पेट की गहराई में मौजूद नसों पर असर डालती है, तो पेट या कमर में दर्द हो सकता है. अगर खून का थक्का दिमाग की नसों में बनता है, तो अचानक तेज सिरदर्द, दौरे या झटके जैसे लक्षण हो सकते हैं. कई लोगों को इसके लक्षण नहीं भी दिख सकते. पर कभी-कभी थक्का पैर या हाथ से निकलकर फेफड़ों में चला जाता है, जिससे फेफड़ों में ब्लॉकेज हो सकती है. इसे पल्मोनरी एम्बोलिज्म (PE) कहा जाता है. PE के लक्षणों में छाती में तेज दर्द, सांस लेने में तकलीफ, खून के साथ खांसी, चक्कर आना या बेहोशी शामिल हैं. डीप वेन थ्रोम्बोसिस का क्या कारण है? ये स्थितियां डीप वेन थ्रोम्बोसिस के खतरे को बढ़ा सकती हैं:     वंशानुगत (आनुवांशिक) स्थिति होने से खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है.     कैंसर और कीमोथेरेपी होना.     अगर आपको या आपके परिवार में डीप वेन थ्रोम्बोसिस की हिस्ट्री रही हो.     चोट, सर्जरी  के कारण नसों में ब्लड का फ्लो सीमित होना.   … Read more

भारत में TikTok की एंट्री पर चर्चा तेज, कंपनी ने साफ किया स्टैंड

नई दिल्ली TikTok की भारत में वापसी! जी हां, आपने भी ये खबर पढ़ी या सुनी होगी कि भारत में चीनी ऐप टिकटॉक वापस आ रहा है। यह वही ऐप है, जिसने सालों पहले कई लोगों को स्टार बना दिया था और उसके बाद भारत में इसे प्राइवेसी के चलत बैन कर दिया गया था। अब एक बार फिर इसकी वापसी को लेकर खबरें आने लगी हैं, जिसे लोगों में काफी उत्साहिता देखने को मिल रही है। सोशल मीडिया के जरिए कई लोग दावा कर रहे हैं कि टिकटॉक की वेबसाइट को भारत में एक्सेस किया जा रहा है। इस कारण इसकी वापसी की उम्मीद लोगों में जग रही है, लेकिन कंपनी की ओर से यह कन्फर्म कर दिया गया है कि भारत में अभी भी टिकटॉक बैन है। आइये, पूरी डिटेल जानते हैं। TikTok ने कहा- नहीं हटा कोई बैन TechCrunch की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, TikTok के एक प्रवक्ता ने बताया है कि भारत सरकार ने TikTok पर जो बैन लगाया था, वह अभी भी है। भारत में अभी भी TikTok यूज नहीं किया जा सकता है। प्रवक्ता ने TechCrunch को एक ईमेल लिखा है, जिसमें उन्होंने बताया है कि कंपनी ने भारत में TikTok को फिर से शुरू नहीं किया गया है। कंपन भारत सरकार के आदेश का पालन कर रहे हैं। भारतीय अधिकारी ने भी दी जानकारी इतना ही नहीं, भारत के IT मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने भी TechCrunch को बताया है कि सरकार ने TikTok पर लगे बैन को नहीं हटाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने IT एक्ट के सेक्शन 69A के तहत जो बैन लगाया था, उसे अभी तक वापस नहीं लिया गया है। इस कारण अभी भी ऐप का यूज नहीं किया जा सकता है। कई मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि भारत में TikTok वापस आ रहा है। हालांकि, कंपनी और सरकार की तरफ से दिए गए इस बयान से साफ हो गया है कि अभी भी ऐप पर बैन कायम है और इसे हटाने की हाल फिलहाल कोई योजना नहीं है। अगर आपको नहीं पता है तो बता दें कि भारत सरकार ने जून, 2020 में TikTok के साथ और भी कई अन्य चीनी ऐप्स पर बैन लगा दिया था। यह बैन भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण लगाया गया था। सरकार को डर था कि ये ऐप्स भारतीय यूजर्स का डेटा चीन को भेज सकते हैं।

स्मार्टफोन की बैटरी लाइफ बढ़ाने के आसान और असरदार उपाय

मॉडर्न स्मार्टफोन यूजर्स के सामने अभी सबसे बड़ा इश्यू है-बैटरी लाइफ। वे दिन गए जब आप बिना चार्जिंग के कुछ दिन तक फोन को साथ रख सकते थे। इन दिनों विशेष तौर पर जब बाजार में मॉडर्न एंड्रायड स्मार्टफोंस उमड़ रहे हंा तो आपको चार्जर या माइक्रोयूएसबी केबल के आस-पास ही रहना होता होगा। यदि नहीं तो आपको बैटरी पैक या बैटरी केस को अपने साथ रखना होता होगा। वास्तव में आप ऐसा चाहते नहीं होंगे पर मजबूरी है फोन को बार-बार चार्ज करना। पर आपको इस चार्जर वाले झंझट से छुटकारा दिलाने को पेश हैं कुछ टिप्स जो आपके स्मार्टफोन को कम से कम एक दिन बिना चार्ज के रख सकती है। -अपना लोकेशन सेटिंग्स ऑफ करें। आपके फोन का जीपीएस हमेशा आपके पोजिशन पर लॉक-इन की कोशिश करेगा और इसमें काफी पावर खर्च होता है। कभी-कभी लोकेशन शेयरिंग ऑटोमैटिक ही ऑन होता है, इसलिए एंड्रायड फोन पर आपको सेटिंग मेन्यू में जाकर इसे ऑफ कर देना चाहिए। -अपने फोन के ब्राइटनेस लेवल को कम रखें। स्क्रीन जितना अधिक ब्राइट होगा, उतना ही अधिक बैटरी खर्च होगा। ब्राइट स्क्रीन अच्छा दिख सकता है लेकिन यह ज्यादा पावर खर्च करता है। आपको ऑटोमैटिक ब्राइटनेस लेवल कुछ इस तरह कनफिगर करना चाहिए जिससे कंटेंट स्पष्ट रूप से दिख पाएं, लेकिन यह ज्यादा ब्राइट न हो। -उपयोग में नहीं आने वाले एप्स को स्विच ऑफ रखें। एंड्रायड फोन पर यदि आप मल्टीपल एप्स पर स्विच कर रहे हैं जैसे कैमरा तो बैकग्राउंड में अन्य एप्स ऑन रहते हैं। ये सभी एप्स अधिक पावर कंज्यूम करते हैं और इसलिए आपके फोन की बैटरी लाइफ कम हो जाती है। -सेटिंग्स मेन्यू में आपको हमेशा एप्स या प्रोसेस पर हमेशा टैब रखना चाहिए, जो ढेर सारा बैटरी तो लेता ही है साथ में डाटा भी। यहां तक कि यदि कोई एप ज्यादा बैटरी नहीं ले रहा तो यह पूरी तरह से 3जी नेटवर्क का उपयोग कर रहा होगा, जो अंततः बैटरी की खपत तेजी से करेगा। फेसबुक एप व गूगल नाउ अच्छे उदाहरण हैं इसलिए अपनी बैटरी बचाने के लिए इन्हें ऑफ कर दें। -जब भी संभव हो वाई-फाई का उपयोग करें। ढेर सारे फोंस पर यह ऑटोमैटिक ही शुरू होता है लेकिन यदि ऐसा न हो तो आपको वाई-फाई नेटवर्क पर स्विच करना चाहिए, इससे बैटरी की खपत कम होती है। -मोबाइल नेटवर्क सेटिंग्स में जाकर 2जी पर स्विच करें। यदि आप डाटा का उपयोग नहीं करते हैं और कॉल व मैसेज के लिए फोन का उपयोग करते हैं तो 2 जी नेटवर्क आपके लिए बेहतर है। -यदि आप क्वालकॉम प्रोसेसर वाला फोन उपयोग करते हैं तो आप एंड्रायड के लिए क्वालकॉम बैटरी गुरु एप डाउनलोड कर सकते हैं। यह एप आपके उपयोग का विश्लेषण करेगी और फोन के सेटिंग को आप्टिमाइज करेगी। -आप अपने डिस्प्ले को हमेशा 15 सेकेंड के बाद स्लिप की सेटिंग पर रखें। कभी यदि आप फोन का उपयोग नहीं कर रहे तो इसका लाइट अप होना भी बैटरी की खपत करता है। -यदि आप सोनी एक्सपीरिया जेड 3, एचटीसी वन एम8 या सैमसंग गैलेक्सी नोट 4 जैसे हाई-एंड फोन का उपयोग करते हैं तो इनबिल्ट सॉफ्टवेयर पर आधारित बैटरी एंहांसमेंट मोड का उपयोग करें।    

40 पार मां बनना चाहती हैं, तो रखें इन बातों का ध्यान

एक अध्यकयन से पता चला है कि 95 फीसदी महिलाएं करियर और परिवार के बीच में परिवार को ही चुनती हैं। करियर के पीक की तरफ बढने के दौरान, महिलाओं पर मां बनने का भी दबाव होता है क्योंकि इसमें देरी करने पर उम्र बढ़ने से मां बनने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से वे अपने करियर में सहयोगियों से बेहतर होते हुए भी पिछड़ती जाती हैं।   लेकिन कुछ महिलाएं अपना करियर बीच मे नहीं छोड़तीं और 40 पार कर जाने के बाद भी मां बनने के सपने को साकार करना चाहती हैं। लेकिन महिलाओं की प्रजनन क्षमता 35 की उम्र आते-आते कम होनी शुरू हो जाती है। ऐसा नहीं है कि वे इस उम्र के बाद प्रेगनेंट नहीं हो सकतीं। आप अगर 40 पार भी मां बनने की इच्छा रखती हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपकी प्रजनन क्षमता बरकरार रहे…   -उम्र बढने के साथ एग की क्वांटिटी और क्वालिटी दोनों कम होती जाती है। 25 से 30 वर्ष की उम्र में अपना एग फ्रीज कराकर अपने मां बनने के सपने को 40 साल की उम्र में भी पूरा कर सकती हैं।   -सही प्रकार के प्रोटीन प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैंय टोफू, चिकन, अंडे, और कुछ सी-फूड्स में उच्च स्तर पर ओमेगा-3 फैटी एसिड, लोह-तत्व, सेलेनियम इत्यादि पाए जाते हैं।   -आपके विटामिन में फोलिक एसिड, कैल्शियम और लोह-तत्व मौजूद हों। इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, साबुत अनाज और दालें खाएं।   -किसी भी तरह के यौन रोग न हों, इसके लिए सेफ सेक्स पर गौर करें।   -वजन कम करें। अध्ययन बताते हैं की मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को गर्भधारण करने में ज्यादा कठिनाई आती है और उन्हें गर्भावस्था के दौरान अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि आपका बॉडी मास इंडेक्स (बी.एम.आई.) थोड़ा अधिक है, तो डाइट ठीक करें और साथ ही एक्सरसाइज भी करें या फिर योगाभ्यास शुरू करें।   -धूम्रपान त्यागें। यह न सिर्फ गर्भावस्था के लिए हानिकारक है अपितु यह गर्भ धारण करने में भी बाधा पैदा कर सकता है।   -एक कहावत है कि हंसी सबसे अच्छी दवा है। अधिकांश डॉंक्टर भी मानते हैं कि यह 100 प्रतिशत सही है। तो फिर दिल से क्यों न हंसा जाए। अगर आप जोर से हंसती हैं या मुस्कराती भी हैं तो आपके शरीर में फील गुड हारमोन्स का स्रव होता है, जो तनाव पैदा करने वाले कोर्टीसोल नामक हार्मोन को नष्ट करता है। इससे आप ज्यादा सेहतमंद रह पाएंगी। हंसने से चेहरे की माशपेशियों का भी व्यायाम हो जाता है।   -35 की उम्र के बाद समय-समय पर रैगुलर टैस्ट्स के अलावा फर्टिलिटी जांच करवाती रहें। गोनोरिया और कैलामाइडिया नामक यौन संचारित रोग हो तो जल्दी ट्रीटमेंट करवाना जरूरी है। वरना पेडू में सूजन की बीमारी हो सकती है जिससे फैलोपियन ट्यूब में घाव हो जाता है, जिससे बांझपन की संभावना बढ़ती है।  

महिलाओं के लिए बड़ी खबर: सर्वाइकल कैंसर से बचाव को सरकारी अस्पतालों में जल्द मिलेगी HPV वैक्सीन

आगरा  उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज की स्त्री रोग विभाग की प्रो. डॉ. रुचिका गर्ग ने चौंकाने वाले आंकड़े बताये हैं. भारत में तेज़ी से फ़ैल रहा सर्वाइकल कैंसर बेहद जानलेवा साबित हो रहा है. पूरे विश्व की तुलना में भारत अकेला 25% तक इस बीमारी को झेल रहा है. सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाली एक बीमारी है. सर्वाइकल कैंसर को  बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से भी जाना जाता है. सर्वाइकल कैंसर बच्चेदानी के निचले हिस्से गर्भाशय ग्रीवा में होता है. डॉ. रुचिका गर्ग ने बताया कि यह सर्वाइकल कैंसर आम तौर पर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के संक्रमण की वजह से होता है, जो यौन संपर्क के दौरान फैलता है. उन्होंने यह भी बताया कि अब इससे बचाव के लिए बाजार में  वैक्सीन  उपलब्ध हो चुकी है. यह टिका महिलाओं को समय रहते लगवा लेना चाहिए. बच्चेदानी के बचाव के लिए इस टीके को लगवाना बहुत जरुरी हो गया है. सर्वाइकल कैंसर से हर 7 मिनट में 1 महिला की हो रही है मौत सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज की स्त्री रोग विभाग की प्रो. डॉ. रुचिका गर्ग ने चौकाने वाले आंकड़े बताये. उन्होंने कहा कि यह कैंसर इतना खतरनाक है कि प्रत्येक 7 मिनट के अंदर 1 महिला अपनी जान गंवा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि हर साल बच्चेदानी के मुंह का कैंसर ( सर्वाइकल कैंसर ) से लगभग 1 लाख से अधिक महिलाओं को मृत्यु हो रही है. डॉ. गर्ग ने कहा कि पूरे विश्व में सर्वाइकल कैंसर के केस में 25 प्रतिशत की भागीदारी भारत की महिलाओं की है. सर्वाइकल कैंसर को कोई भी महिला हल्के में ना लें. समय रहते इसका टिका लगवाने से इससे बचा जा सकता है. सर्वाइकल कैंसर आखिर महिलाओं में क्यों फ़ैल रहा है… डॉ. रुचिका गर्ग ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर (बच्चे दानी के मुँह का कैंसर) आम तौर पर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के संक्रमण की वजह से होता है, जो यौन संपर्क के दौरान फैलता है. डॉ ने यह भी बताया कि यौन संचारित संक्रमणों के संपर्क में आने की संभावना अधिक होना जैसे उदाहरण के तौर पर, कम उम्र में पहली बार यौन क्रिया करना, एक से अधिक यौन साथी के साथ संबध बनाना. डॉ. रुचिका ने कहा कि अत्यधिक मात्रा में मौखिक गर्भ निरोधकों जैसे जन्म नियंत्रण की दवाएं का सेवन करना भी एक मुख्य कारण है. सर्वाइकल कैंसर के बचाव… डॉ. रुचिका गर्ग बताती है कि यह केवल ऐसा कैंसर है जिसे वैक्सीन के माध्यम से खत्म किया जा सकता है.  उन्होंने यह भी कहा कि जितनी कम उम्र की बच्चियों को यह वैक्सीन लगावाया जाये उतना ही बेहतर यह काम करेगी. डॉ. रुचिका ने बताया कि इस वैक्सीन को लेकर जो गाइडलाइन बनी हुई उसके तहत जैसे 9 से 14 वर्ष तक की बच्चियों को यह टिका लगवाना चाहिए. यह उम्र इस टिके के लिए सबसे उत्तम मानी गई है. इसके अतिरिक्त 26 साल तक की महिला भी इस वैक्सीन को लगवा सकती है. डॉ. गर्ग ने कहा कि यदि 26 तक उम्र की महिलाएं इस टिके को नही लगवा पाईं हैं तो वह 45 साल तक की उम्र तक इसे लगवा सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा की 26 से अधिक उम्र की महिलाएं टिका लगवाने से पहले अपनी डॉ. से सलाह लेकर ही इसको लगवा सकती है. सर्वाइकल कैंसर के लक्षण क्या हैं, कैसे इससे बचा जा सकता है… डॉ. रुचिका गर्ग ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर के लक्षण बेहद सामान्य है, जिस कारण शुरुआत में इसे आसानी से पहचाना नहीं जा सकता है. डॉ. रुचिका ने कहा कि कुछ कारणों से इसकी पहचान कि जा सकती है जैसे, सफ़ेद पानी आना, गंदा बदबूदार पानी आना, पति से संबध के बाद ब्लडिंग होना यह लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें. डॉ. ने बताया कि इसे जाँच के माध्यम से भी पहचाना जा सकता है. उन्होंने कहा कि पांच पांच साल के अंतराल में HPV टेस्ट करा सकते है. उन्होंने बताया किपपनिकोलाउ (Pap) परीक्षण से भी महिला अपना टेस्ट करवा सकती है. डॉ. रुचिका ने बताया कि यह टेस्ट एस एन मेडिकल कॉलेज में निशुल्क किया जा रहा है. जल्द सरकारी अस्पतालों में भी उपलब्ध होगी सर्वाइकल वैक्सीन… डॉ. रुचिका गर्ग ने बताया कि सर्वाइकल वैक्सीन अभी एसएन मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध नहीं है. सर्वाइकल वैक्सीन बाज़ारो में उपलब्ध है. डॉ. ने कहा कि इस वैक्सीन को सरकारी अस्पतालों में आने के लिए बातचीत चल रही है. उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन सरकार जल्द सरकारी अस्पतालों में छोटी बच्चियों को लिए निशुल्क उपलब्ध करवा सकती है.

एंड्रायड व आईओएस के लिए ये हैं बेहतर एप्स

यदि आप बोरिंग एप्स की लिस्ट से अलग कुछ चाहते हैं तो पेश है कुछ ऐसे ही शानदार एप्स, इनमें सें कुछ गेम्स के लिए हैं और बाकि के आपके मनोरंजन के लिए। एंड्रायड के लिए चीजबर्गर चीजबर्गर एप के साथ आप फनी इमेज, जिफ, वीडियोज को फॉलो कर सकते हैं। ये कूल और फनी इमेज डिवाइस में सेव भी किए जा सकते हैं और दोस्तों के साथ शेयर भी कर सकते हैं। रिंगड्रोईड एंड्रायड के लिए रिंगड्रोईड एक ओपन सोर्स रिंगटोन एडिटर है, इसकी मदद से आप डिवाइस में मौजूद मयुजिकध्ऑडियो फाइल्स और नया रिकार्ड कर पर्सनल रिंगटोंस, अलार्म और नोटिफिकेशन साउंट बना सकते हैं। स्काई मैप अपने एंड्रायड फोन का उपयोग कर गूगल स्काई मैप की मदद से आप यूनिवर्स को खंगाल सकते हैं। इस एप की मदद से आप तारों, ग्रहों और अन्य खगोलिय पिंडों के सटीक स्थिति का पजा लगा पाएंगे। इसके लिए बस आपको आसमान की तरफ अपने फोन को प्वाइंट करना होगा और इसके बाद आसमान में मौजूद सभी चीजों को आप गूगल स्काई मैप पर आसानी से देख सकेंगे। मोविज बाय फ्लिक्स्टर मोविज बाय फ्लिक्स्टर एक सरल और शानदार एप है जिससे कौन सी मूवी चल रही है इसका पता लग जाएगा। इसमें मीडिया स्ट्रीमिंग और न्यूज जैसे कई रोचक टूल्स भी हैं, जो काफी शिक्षाप्रद है। ड्रोप कांटैक्स्ट एंड डिलर्स यह एप आपके पुराने फोनबुक एप की जगह ले सकता है। यह एप कंटैक्ट्स व कम्युनिकेशन एप्स को एक साथ लाता है, जो आपके स्क्रीन से एक्सेस किया जा सकता है। अब आईओएस एप्स फिश फूड फ्रैंजी फन यह काफी साधारण गेम है और कभी कभी यह चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है। इस गेम में ज्यादा से ज्यादा बराबर या अपने से छोटी मछलियों को खाना है। जितनी अधिक मछलियों को खाएंगे आप बड़े होते जाएंगे। हाॅरिजोन कैमरा वीडियो लवर्स के लिए यह पसंदीदा एप साबित होगा। हाॅरिजोन कैमरा हमेशा पोट्रेट रिकार्डिंग लेता है। एप में आयताकार इंडिकेटर है जो हमेशा स्क्रीन के केंद्र में होता है और रिकार्ड वीडियोज को क्लिक करना आसान बनाता है। अमेरिकन इंटीरियर अमेरिकन इंटीरियर एप को पेंगुइन ने बनाया है। यह एक ऐसा एप है जो कहानी सुनाता है। इस एप में 100 अलग अलग एंट्री हैं, इसमें आर्टवर्क, एनिमेशन, कहानियां, फिल्म क्लिप और ऑरिजिनल म्युजिक है। हेज कई वेदर एप्स में से हेज भी एक है। इस एप के साथ आप अपने फोरकास्ट में कुछ रंग डाल सकते हैं। आप इसमें तापमान, बारिश आदि देख सकते हैं और मौसम के विवरण का हाल भी ले सकते हैं। स्लीप बैटर स्लीप बैटर एप के साथ आप अपनी नींद को ट्रैक कर सकते हैं, सपनों को मॉनिटर कर सकते हैं, अपने बेडटाइम आदतों को और अच्छा बना सकते हैं।  

बिना मेकअप दिखें खूबसूरत

संवरने-संवारने की कला स्त्री को जन्मजात मिली है। यह आर्ट उसे सुंदर दिखने को भी प्रेरित करती है। भागदौड़ भरी जिंदगी में रोज अच्छी तरह मेकअप करना तो संभव नहीं, मगर डाइट और लाइफस्टाइल को सही रखकर खुद को आकर्षक बनाया जा सकता है मेकअप एक कला है। कई बार इससे चेहरे पर कमाल हो सकता है। रोज आईने के सामने काफी वक्त बिताती हैं स्त्रियां ताकि वे सुंदर दिख सकें। कई स्त्रियां मानती हैं कि बिना मेकअप के वे सुंदर नहीं दिख सकतीं। हालांकि सादगी का अपना महत्व है और बिना बहुत वक्त या पैसा खर्च किए भी सुंदर बने रहा जा सकता है। एक प्याली गर्म पानी सुबह की शुरुआत के लिए इससे अच्छी कोई आदत नहीं है। सुबह उठने के बाद चाय के बजाय गर्म पानी पिएं। इसमें नींबू की कुछ बूंदें डालें। ओवरवेट होने या डाइबिटीज जैसी समस्या न हो तो थोड़ा शहद भी मिला सकती हैं। इससे ताजगी का अहसास होगा। एसपीएफ युक्त क्रीम उम्र बढन के साथ-साथ धूप, धूल और समय का प्रभाव चेहरे पर पडने लगता है। इसलिए सनक्रीम हमेशा साथ रखें। तेज धूप हो या नहीं, इसका इस्तेमाल करें। इसके प्रयोग से आप बहुत सी समस्याओं से बची रह सकती हैं। आदतें सुधारें चेहरे को सिकोड़ते हुए बात करने, माथे पर बल डालने, आखें मिचमिचाने, हथेलियों को गालों पर टिकाने, पिंपल्स नोचने, आंखें मलने जैसी आदतें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। चेहरे की त्वचा संवेदनशील होती है, इसलिए इस पर दाग-धब्बे बहुत पड़ते हैं। ये आदतें झुर्रियों को न्यौता भी दे सकती हैं। अति से बचें नियमित फेशियल से चेहरे की मांसपेशियों में कसाव आता है, रक्त संचार ठीक होता है और चेहरा साफ व सुंदर दिखता है, मगर ब्लीच का इस्तेमाल सोच-समझकर करें। ज्यादा मसाज व ब्लीच से संवेदनशील त्वचा को नुकसान हो सकता है। स्क्रबिंग-क्लेंजिंग रोज सोने से पहले क्लेंजिंग मिल्क से चेहरा साफ करें। हफ्ते में एक बार स्क्रबिंग करें। इससे डेड स्किन हटेगी। क्लेंजर से त्वचा बैक्टीरिया रहित होगी, अतिरिक्त तेल व डेड स्किन सेल्स निकलेंगी। ड्राई स्किन के लिए मॉइश्चराइजर वाला क्लेंजर अच्छा है। पानी खूब पिएं रोज सात-आठ गिलास पानी पीना चाहिए। शरीर से हानिकारक तत्व निकालने का यह सर्वोत्तम उपाय है। यह सौंदर्य को बढ़ाता है और त्वचा को समस्या रहित रखता है। मॉइश्चराइजर मुलायम त्वचा के लिए मॉइश्चराइजर जरूरी है। प्रदूषण, मौसम, धूप और धूल से त्वचा को क्षति पहुंचती है। स्किन को सही पोषण और नमी मिले तो रिंकल्स कम पडेंगे और वह ड्राई होने से बची रहेगी। चेहरे और गर्दन के अलावा हाथों और पैरों पर भी मॉइश्चराइजर का प्रयोग करें। टोनर टोनर से न सिर्फ त्वचा में कसाव आता है, बल्किइससे रोमछिद्र भी भरते हैं और चेहरे से अतिरिक्त तेल बाहर निकल जाता है। शैंपू सप्ताह में कम से कम तीन दिन बालों को किसी अच्छे शैंपू से धोएं और कंडीशनर का इस्तेमाल करें। चिपचिपे-गंदे बाल चेहरे का लुक बिगाड़ देते हैं। दिन में दो-तीन बार और सोने से पहले बालों में कंघी करना न भूलें। -बालों की समय-समय पर ट्रिमिंग कराएं, ताकि वे दोमुंहे न हों और खराब न दिखें। -नाखून चबाने की आदत से बचें। उन्हें सही ढंग से तराशें और अच्छा शालीन नेल पेंट लगाएं। -अत्यधिक कॉफी या चाय पीने से बचें। -कम से कम सात घंटे की अच्छी नींद लें। -दांतों की सुबह-शाम सफाई करें। कई बार ब्रश करने से दांतों का इनैमल कम होता है और वे पीले दिखने लगते हैं। दिनभर में दो बार ब्रश करना काफी है। -उठने-बैठने और चलने-फिरने में अपने बॉडी पोस्चर का ध्यान रखें। -तले-भुने खाद्य पदार्थों, मैदे से बनी चीजों का इस्तेमाल कम करें। तरल पदार्र्थों का सेवन अधिक करें। -सही फिटिंग के कपड़े पहनें और ऐसे फैशन ट्रेंड्स का अनुकरण करने से बचें जो आपके व्यक्तित्व पर न फबें। जिस ड्रेस में कंफर्टेबल महसूस करती हों, वही पहनें।  

आंखों की सेहत पर बड़ा सवाल: क्या कॉन्टैक्ट लेंस चश्मे से ज्यादा सुरक्षित हैं?

नई दिल्ली इन दिनों नजरों का कमजोर होना आम बात हो चुकी है। लगातार स्क्रीन का इस्तेमाल और खानपान में लापरवाही अक्सर इसकी वजह बनती है। ऐसे में आंखों की कम होती रोशनी के लिए लोग अक्सर कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मे का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, इसे लेकर अक्सर बहस होती रहती है कि इन दिनों में से क्या ज्यादा बेहतर है। कई लोग चश्मे का सपोर्ट करते हैं, तो वहीं कुछ लैंस को बेहतर मानते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर दोनों में से ज्यादा बेहतर क्या है। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने आई 7 हॉस्पिटल लाजपत नगर और विजन आई क्लिनिक, नई दिल्ली में सीनियर मोतियाबिंद एवं रेटिना सर्जन डॉ. पवन गुप्ता से बातचीत की। कॉन्टैक्ट लेंस पहनें या नहींं? डॉक्टर ने बताया कि कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने वाले लोग लेंस को सुविधाजनक और फैशनेबल होने की वजह से पसंद करते हैं, लेकिन कुछ जोखिम भी हैं। कॉन्टैक्ट लेंस इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को सही हाइजीन के नियमों का पालन करने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। सोने से पहले लेंस उतारना जरूरी है; अगर इन्हें पहनकर सोया जाए, तो संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। सभी सही तरीकों के बावजूद, आंखों में कोई बाहरी चीज के जाने से कभी-कभी कुछ देर जलन या अन्य समस्याएं हो सकती हैं। कॉन्टैक्ट लेंस के नुकसान कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल की वजह से कॉर्निया को समस्या हो सकती है। कॉर्निया एक पारदर्शी परत है, जो आंख के सामने होती है। यह आंख की एकमात्र परत है, जिसे हवा से ऑक्सीजन मिलती है और जब कॉन्टैक्ट लेंस इस पर लगाए जाते हैं, तो यह ऑक्सीजन कम हो जाती है। लंबे समय तक कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से कॉर्निया में इस्केमिया या ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऑक्सीजन की इस लगातार कमी की वजह कॉर्निया के किनारों पर नई ब्लड वेसल्स विकसित हो सकती हैं, जिससे विजन कम हो जाती है और आंखों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। इसलिए चश्मा है बेहतर! भले ही कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से कॉर्निया में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, लेकिन चश्मे से ब्लड वेसल्स बनने का कोई खतरा नहीं होता। कांच (और अन्य पारदर्शी लेंस) साफ विजन देते देते हैं और इससे कॉर्निया तक ऑक्सीजन पहुंचने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। भले ही अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो कॉन्टैक्ट लेंस का सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है। कैसे करें कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल? हालांकि, लोग सावधानियों का पालन करते हुए कॉन्टैक्ट लेंस पहनकर सुरक्षित रूप से काम कर सकते हैं। कॉन्टैक्ट लेंस पहनने के लिए जरूरी है कि पूरी तरह से स्वच्छता बनाए रखें। उन्हें लगाने से पहले हाथ साफ करें, उन्हें अच्छी तरह से साफ करके रखें, और दूसरों को उन्हें इस्तेमाल करने से रोकें। साथ ही घर से बाहर निकलते ही कॉन्टैक्ट लेंस उतार देने चाहिए और लेंस पहनकर नहीं सोना चाहिए। कुल मिलाकर चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस दोनों ही विजन सुधारने के प्रभावी साधन हैं, फिर भी रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए चश्मा ही सुरक्षित विकल्प है। अगर कोई कॉन्टैक्ट लेंस पहनना पसंद करता है, तो उसे लंबे समय बाद होने वाले नुकसान से बचने के लिए स्वच्छता और उपयोग संबंधी दिशानिर्देशों का ध्यान रखते हुए जिम्मेदारी से पहनना चाहिए।  

मुहांसे हटाने का ये उपाय पड़ सकता है भारी, चेहरे को पहुंचा सकता है नुकसान

नई द‍िल्‍ली चेहरे पर पिम्पल निकलना किसी को भी परेशान कर सकता है। खासकर तब जब किसी खास मौके या मीटिंग से पहले ये मुहांसों की तरह चेहरे पर उभर जाएं। ऐसे समय में बहुत से लोग खुद से इन्हें दबाकर या फोड़कर खत्म करने की कोशिश करने लगते हैं। शायद आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा कि शीशे में चेहरा देखते ही आपका ध्यान सीधा पिम्पल पर गया हो और मन किया हो कि इसे तुरंत हटा दिया जाए। ये एक आम समस्या है, जो उम्र, हार्मोनल बदलाव, खानपान और लाइफस्टाइल के कारण किसी को भी हो सकती है। कभी ये छोटे-छोटे दानों की तरह दिखते हैं तो कभी सूजन के साथ चेहरे पर न‍िकल आते हैं। तब लोग इन्हें हाथ से छूने या फोड़ने की गलती कर बैठते हैं। हालांकि ये कुछ ही दिनों में अपने आप भी ठीक हो जाते हैं। लेक‍िन अगर ब‍िना सोचे समझे आपने इन्‍हें फोड़ने की काेश‍िश की तो इसके गंभीर नुकसान आपको झेलने पड़ सकते हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में इससे होने वाले नुकसानों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से – इन्‍फेक्‍शन का बढ़ जाता है खतरा आपको बता दें क‍ि अगर आप प‍िम्‍पल को फोड़ने की गलती करते हैं तो इससे इन्‍फेक्‍शन का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, हमारे हाथों और नाखूनों में न जाने क‍ितने बैक्टीरिया होते हैं, जाे घाव में जा सकते हैं। इससे पिम्‍पल और भी बड़ा हो सकता है। चेहरे पर पड़ सकते हैं न‍िशान इन प‍िम्‍पल्‍स को फोड़ने से आपके चेहरे पर निशान भी पड़ सकते हैं। इससे आपका चेहरे का लुक भी ब‍िगड़ सकता है। इसे फोड़ने से स्‍क‍िन के नीचे की ट‍िशू को नुकसान पहुंचता है। इस कारण सूजन की समस्‍या हो सकती है। हो सकता है ब्रेकआउट अगर आप बार-बार प‍िम्‍पल्‍स को फोड़ते हैं ताे इसमें से जो ल‍िक्‍व‍िड न‍िकलता है, वो चेहरे पर कहीं भी लग सकता है। ऐसे में एक मुंहासे को फोड़ने के चक्‍कर में चेहरे पर और भी प‍िम्‍पल्‍स निकल सकते हैं। देर से भरते हैं घाव प‍िम्‍पल्‍स अपने आप से ही ठीक होता है। ऐसे में अगर आप इसे बार-बार छूते हैं या फ‍िर फोड़ने की कोशि‍श करते हैं ताे इससे हील‍िंग प्रॉसेस धीमा हो सकता है। इसे ठीक होने में ज्‍यादा समय लगेगा और सूजन की समस्या भी बढ़ सकती है। क्‍या करें?     गुनगुने पानी से चेहरे को साफ करें।     चेहरे को छूने से पहले अपने हाथों को साफ करना न भूलें।     ऐसे प्रोडक्‍ट्रस का इस्तेमाल करें जो पोर्स को क्लॉग नहीं करते हैं।     कुछ घरेलू नुस्‍खे ट्राई करें।     द‍िक्‍कतें बढ़ने पर डॉक्‍टर से सलाह लें।