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इंदिरा एकादशी व्रत 2025: शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और खास नियम

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत महत्व रखता है. एकादशी का व्रत श्रीहरि विष्णु भगवान के लिए रखा जाता है. साल में कुल 24 एकादशी के व्रत पड़ते हैं. इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है. एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. साल 2025 में आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि यह व्रत पितृपक्ष के दौरान आता है. इंदिरा एकादशी के दिन उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिनकी मृत्यु कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन हुई हो. इंदिरा एकादशी के दिन पूरी श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए व्रत करने से पितरों की कृपा के साथ-साथ भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही पितृ ऋण से मुक्ति भी मिलती है. इंदिरा एकादशी 2025 तिथि व समय     एकादशी तिथि प्रारंभ: 17 सितंबर 2025, बुधवार, रात 12:21 बजे     एकादशी तिथि समाप्त: 17 सितंबर 2025, रात 11:39 बजे व्रत पारण     एकादशी व्रत का पारण 18 सितंबर, गुरुवार को सुबह 6:07 से 8:34 बजे के बीच कर सकते हैं.     व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अनिवार्य है. इस दिन द्वादशी तिथि रात 11:24 बजे समाप्त होगी. पूजन-विधि     इंदिरा एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें.     भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर धूप, फूल, तुलसीदल और पंचामृत से पूजा करें.     श्रीहरि को पीले वस्त्र और मौसमी फल अर्पित करें.     विष्णु सहस्रनाम या विष्णु मंत्र का जाप करें.     दिनभर उपवास रखते हुए पितरों का स्मरण करें.     शाम को कथा सुनें और भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें. पंचांग के अनुसार एकादशी का व्रत शुभ योगों में रखा जाएगा. इस दिन परिघ योग का निर्माण हो रहा है. साथ ही शिव योग का संयोग रहेगा. इस व्रत को करने से श्राद्ध कर्म के अनुसार पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

श्राद्ध पक्ष में विश्वकर्मा पूजा: नई गाड़ी खरीदना शुभ या अशुभ?

विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है. यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ ही पुराने वाहन, औजार, लोहा और मशीन आदि की पूजा करने की परंपरा है. विश्वकर्मा पूजा के दौरान नया वाहन, औजार, कंप्यूटर और सजावटी सामान की खरीदारी करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भगवान विश्वकर्मा के औजारों और मशीनों के देवता होने का प्रतीक है. यह तिथि नया वाहन खरीदने के लिए बहुत शुभ मानी गई है. श्राद्ध पक्ष में विश्वकर्मा पूजा 2025 धार्मिक मान्यता के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा पर नई गाड़ी खरीदने से भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद मिलता है और वाहन की सुरक्षा व दीर्घायु सुनिश्चित होती है. हालांकि, इस बार 2025 में विश्वकर्मा पूजा पितृ पक्ष के दौरान पड़ रही है, इसलिए अगर आप किसी नई चीज की खरीदारी करने की सोच रहे हैं, तो आपको सावधानी बरतने की जरूरत है. इसकी वजह यह है कि पितृ पक्ष के दौरान किसी भी नई चीज की खरीदारी नहीं की जाती है, खासतौर पर लोहा, जमीन और वाहन. विश्वकर्मा पूजा पर नया वाहन खरीदें? बहुत से लोग नया वाहन खरीदने के लिए साल भर विश्वकर्मा पूजा के दिन का इंतजार करते हैं, क्योंकि यह दिन नया वाहन खरीदने के लिए बेहद शुभ माना जाता है. अब इस साल श्राद्ध पक्ष के दौरान विश्वकर्मा पूजा पड़ रही है, तो ऐसे में जितना हो सके इस बार विश्वकर्मा पूजा पर नया वाहन खरीदने से बचें. वाहन खरीदने से पहले करें यह काम अगर विश्वकर्मा पूजा के दिन ही कोई नया वाहन खरीदना ही हो तो सुबह स्नान कर अपने पितर के नाम से तर्पण और दान करने के बाद ही नया वाहन खरीदने के लिए जाएं. ऐसे में पितर नाराज नहीं होंगे और आप पर उनकी कृपा बनी रहेगी. अगर आपने विश्वकर्मा पूजा के दिन नया वाहन खरीदते समय इन बातों का ध्यान नहीं रखा, तो आपके पितृ नाराज हो सकते हैं, जिससे परिवार के ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

कल का दिन किसके लिए रहेगा शुभ? जानिए 16 सितंबर का राशिफल और हर राशि की चाल

मेष राशि- मेष राशि वालों का प्रेम जीवन अच्छा रहेगा। रिश्तों की खटास कम होगी। प्यार और भरोसा बढ़ेगा। करियर में प्रमोशन या अच्छे मौके मिल सकते हैं। पढ़ाई और बच्चों पर खर्च करना पड़ेगा। नई योजनाएं बनेंगी। निवेश करने के लिए दिन अच्छा । गाड़ी के रखरखाव पर भी पैसा जा सकता है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। वृषभ राशि- वृषभ राशि वालों के लिए दिन सामान्य रहेगा। आत्मविश्वास से काम करें। अफसरों का सहयोग मिलेगा। घर में खुशियां रहेंगी। गुस्सा और ऑफिस पॉलिटिक्स से दूर रहें। नए लक्ष्यों के लिए मेहनत करें। अनावश्यक बहस से बचें। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। मिथुन राशि- मिथुन राशि वालों को मिलेजुले फल मिलेंगे। व्यापार में फायदा होगा। आर्थिक स्थिति सुधरेगी लेकिन पैसों के फैसले सोच-समझकर लें। खर्च भी सोच-समझकर ही करें। बचत पर ध्यान दें। शादीशुदा जीवन की परेशानियां कम होंगी। जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करें। कर्क राशि- कर्क राशि के लोग आज सुखमय जीवन जिएंगे। प्रेम-संबंधों में मिठास आएगी। धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होगी। निवेश सावधानी से करें और बेकार के खर्चों से बचें। नौकरी-कारोबार में माहौल अनुकूल रहेगा। करियर में प्रगति के योग हैं। सिंह राशि- सिह राशि वालो चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जिम्मेदारियां ध्यान से निभाएं। आज मन में कोई अनजाना डर हो सकता है। पॉजिटिव सोच के साथ मेहनत करेंगे तो सफलता मिलेगी। व्यापार बढ़ाने के कई मौके मिलेंगे। कन्या राशि- कन्या राशि वालों को प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की के कई मौके मिलेंगे। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। घर में शुभ काम हो सकता है। बोलचाल में मधुरता आएगी। आज के दिन खर्च सोच-समझकर ही करें। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। तुला राशि- सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कई स्तोत्रों से धन आगमन होगा, लेकिन खर्च सोच-समझकर ही करें धन से जुड़े फैसले सावधानी से लें। पढ़ाई में अच्छे नतीजे मिलेंगे। जीवनसाथी से अनबन हो सकती है, बहस से बचें। परिजनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वृश्चिक राशि- पुराने साथी या एक्स से मुलाकात हो सकती है। हर काम में सफलता मिलेगी। कारोबार में आंख मूंदकर किसी पर भी भरोसा न करें। दोस्तों की मदद से दिक्कतें दूर होंगी। धन-लाभ हो सकता है। प्रोफेशनल लाइफ में थोड़े उतार-चढ़ाव रहेंगे लेकिन दोपहर के बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी। धनु राशि- धनु राशि वालों के जीवन मे्ं प्यार और रोमांस बढ़ेगा। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। घर में खुशी का माहौल रहेगा। कामकाज में प्रगति होगी। आय के नए साधन मिलेंगे। क्रोध पर कंट्रोल रखें, जल्दबाजी न करें। सोच-समझकर खर्च करें और निवेश पर ध्यान दें। आज स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। मकर राशि- मेहनत करने से सफलता मिलेगी। लिखने-पढ़ने के काम से आय में वृद्धि होगी। नौकरी बदलने के योग बन सकते हैं। किसी दोस्त के सहयोग से नए फायदे मिलेंगे। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। संतान से शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। धार्मिक कार्यों में मन लगेगा। माता-पिता के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। कुंभ राशि- कुंभ राशि वालों के घर में खुशियां आएंगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। बाधाएं दूर होंगी। गुस्से और ऑफिस के विवादों से बचें। मेहनत से नई उपलब्धियां हासिल करेंगे। निवेश सोच-समझकर करें और जल्दबाजी में पैसा न खर्च करें। मीन राशि- मीन राशि वालों का दिन अच्छा रहेगा। मन खुश रहेगा। नए साधनों से धन लाभ होगा। धर्म-कर्म में व्यस्त रहेंगे। नई पहचान बनेगी। पुराने दोस्तों से मुलाकात होगी। मां के सहयोग से फायदे के मौके मिलेंगे। आलस्य से बचें और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें।

रिश्ते में दरार, कारण हैं हजार

कोई रिश्ता परफेक्ट नहीं होता। दोस्तों की बात अलग है। निकट के रिश्तों में दूरियां आते देर नहीं लगती। कैसे संभाले और ताउम्र बचा कर रखें ये रिश्ते। आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा, पहली मुलाकात में आपको अपनी सास, ननद या जेठानी बेहद खुले विचारों की और दोस्ताना लगी होंगी। पर जब आपने साथ रहना शुरू किया, तो छवि बदलते देर नहीं लगी। आपको लगता है कि रिश्ते में दूसरों का पलड़ा हमेशा भारी रहता है और आप हमेशा देने वाली मुद्रा में रहती हैं। अगर आप अपने अंदर झांकें और खुद से कुछ सवाल करें तो पाएंगी कि आप जिस रिश्ते में जितना देती हैं, बदले में आप उतना ही पाती हैं। कैसे संवारें अपने रिश्तों कोः कहते हैं, प्यार में कोई शर्त नहीं होती। इसका मतलब है, जो जैसा है, उसे उसी रूप में प्यार करना। लेकिन यही बात समय बीतने के साथ उसी रिश्ते में दरार का कारण बनती है। प्यार, देखभाल, विश्वास और सम्मान रिश्ते की जरूरत है। साथ ही साथ कुछ रिश्तों में समय भी देना पड़ता है। आप किसी के बारे में भी राय बनाने से पहले अपने आप को भी तौल लें। कई बार आप अपने जरूरत के हिसाब से भी रिश्ते बनाती हैं। नाजुक रिश्ते तभी मजबूत बनते हैं, जब आप दिल से उन्हें अपनाएंगी और उन्हें खुद को अपनाने देंगी। जब एक रिश्ते में सोच, विचार, आकांक्षा, मूल्यों तथा रहन-सहन में कोई सामंजस्य नहीं होता तो देर-सबेर परेशानी आनी तय है। आपको कुछ समय बाद पता चल जाएगा कि आप इस रिश्ते को जितना प्यार दे रही हैं, क्या आपको मिल रहा है? अपनी बात स्पष्ट रूप से रखना भी सीखें। अपनी किसी सहेली या घर वालों की राय लेने से पहले यह भी देख लें कि कहीं आप रिश्ते बनाने या तोड़ने में जल्दबाजी तो नहीं कर रहीं? विवाह सलाहकार डॉक्टर कुसुम शर्मा कहती हैं, ‘आज की तारीख में लगभग पचास प्रतिशत शादियों में टकराव की वजह परिवार होता है। कभी लड़के के परिवार वाले हावी हो जाते हैं, तो कभी लड़की के। पति-पत्नी के लिए जरूरी है कि वे दोनों परिवारों को अपने रिश्ते पर हावी होने ना दें। यह समझना जरूरी है कि कुछ रिश्तों को बनाने में वक्त लगता है।‘ दूसरे को सम्मान न देना कुछ महिलाओं और पुरुषों की यह सोच होती है कि यदि कोई हमसे प्यार करता है या हमारा जीवनसाथी है तो उसे हमारी हर बात माननी ही होगी। ऐसे लोग सारे निर्णय स्वयं लेना चाहते हैं और अपने साथी की बात व विचार को सम्मान नहीं देते हैं। इस स्थिति को भले ही कुछ समय के लिए नजरंदाज कर दिया जाए, पर ऐसे रिश्ते ताउम्र नहीं टिक पाते। कुछ समय बात बिखर जाते हैं। दूसरों पर यकीन करें: मां के घर में भी आपने अपने बहन-भाई, दादा-दादी और दूसरे रिश्तेदारों के साथ सामंजस्य बनाया ही होगा। बहनों की भी आपस में लड़ाइयां होती हैं और मनमुटाव भी। ऐसा ही मनमुटाव अगर सास या ननद से हो जाए, तो आप दिल पर क्यों ले लेती हैं? आप अपने किसी भी रिश्ते की तुलना एक-दूसरे से ना करें। सभी रिश्तों पर यकीन करें। आपका यकीन आपको धोखा नहीं देगा। रिश्तों की मजबूती के लिए वक्त चाहिए। आप अगर अपने आपको नहीं खोलेंगी, तो रिश्ते कभी आपके दिल को नहीं छू पाएंगे। खुलकर विचारों का आदान-प्रदान न करनाः किसी भी रिश्ते में विचारों का आदान-प्रदान व दूसरे के विचारों को सम्मान देना बेहद जरूरी होता है। जिन रिश्तों में संवाद की कमी होती है, उनमें अक्सर मतभेद, मनभेद में बदल जाते हैं, परिणामस्वरूप रिश्ता धीरे-धीरे टूटने की कगार पर पहुंच जाता है। व्यवहार से जुड़ी परेशानी कोई भी इंसान ऐसे व्यक्ति के साथ वक्त बिताना नहीं पसंद करता जो जरूरत से ज्यादा गुस्से वाला हो या अत्यधिक शांत रहने वाला हो। ऐसे रिश्ते में विचारों, खुशियों व दुखों का आदान-प्रदान नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप साथी कुंठित महसूस करने लगता है। यह कुंठा कुछ समय बाद असहनीय हो जाती है और रिश्ता टूटने का कारण बन जाता है। खुशनुमा रिश्ते के लिए अपने साथी के साथ अपनी भावनाएं, अपने अनुभव, अपनी सोच जरूर साझा करें। रिश्ते में उदासीनता आना अक्सर शादी के कुछ सालों बाद हर रिश्ते में उदासीनता आने लगती है। प्पैसा, घर और गाड़ी पाने की दौड़ में आप रिश्तों की गर्माहट को भूलने लगती हैं। रिश्तों में एक किस्म की प्रतिद्वंद्विता घर करने लगती है। यह वक्त है रिश्तों की ओवर हॉलिंग का। उम्र के इस दौर में आपको भी अपनों का साथ चाहिए। देर नहीं हुई है। आप एक मैसेज करिए, फोन घुमाइए और उन सबको इकट्ठा कीजिए। पहले की तरह मनपसंद खाना और गप्पबाजी के साथ अपने आपको तरोताजा कीजिए। ये वो लोग हैं, जो आपके साथ चलते आए हैं और हमेशा चलेंगे।  

वरात्रि विशेष: नौ दिनों में मां दुर्गा को चढ़ाएं ये नौ भोग, दूर होंगी सारी बाधाएं

इस बार शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू होने जा रही है, जिसका समापन 1 अक्टूबर के दिन होगा. शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि नवरात्र के इन पावन नौ दिनों में भक्तजन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना करते हैं . नवरात्र में पूजा-पाठ के साथ-साथ भोग का भी खास महत्व होता है. मान्यता है कि मां दुर्गा को उनके प्रिय भोग अर्पित करने से देवी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर सुख, समृद्धि, शांति और शक्ति की वर्षा करती हैं. हर दिन मां के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है और हर देवी का प्रिय भोग भी अलग होता है. इसीलिए नवरात्र के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के स्वरूप के अनुसार भोग अर्पित करने की परंपरा है. आइए जानते हैं उन नौ दिव्य भोग के बारे में. शारदीय नवरात्र के नौ दिन और नौ अलग-अलग भोग  पहला दिन – मां शैलपुत्री इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है. इस दिन गाय के घी का भोग लगाने से मां दुर्गा की विशेष कृपा भक्तों पर होती है, ऐसी मान्यता है कि इससे  रोग और कष्ट दूर होते हैं. दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी इस दिन मां दुर्गा को मिश्री का भोग लगाने की परंपरा है, इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है. तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा इस दिन मां दुर्गा मां चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है. इस दिन माता को खीर का भोग लगाने से मानसिक शांति और दुखों से मुक्ति मिलती है. चौथा दिन – मां कूष्मांडा इस दिन मां दुर्गा को मालपुए का प्रसाद चढ़ाने से  जीवन के सभी दुखों का नाश होता है.  पांचवां दिन – मां स्कंदमाता शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन मां को केले का भोग लगाना चाहिए. इससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. छठा दिन – मां कात्यायनी इस दिन मां कात्यायनी को शहद का प्रसाद चढ़ाना चाहिए. इससे आकर्षण शक्ति बढ़ाती है और रिश्ते मधुर होते हैं. सातवां दिन – मां कालरात्रि इस दिन मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी चीजें अर्पित करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. आठवां दिन – मां महागौरी आठवां दिन दुर्गा मां के महागौरी रूप की पूजा होती है, इस दिन देवी को नारियल का भोग चढ़ाना चाहिए. इससे संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती है. नौवां दिन – मां सिद्धिदात्री नौवें दिन मां सिद्धिदात्री को तिल का प्रसाद चढ़ाना चाहिए. इससे अचानक आने वाली विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है. 

सर्वविध कल्याणकारी है रुद्राक्ष-कवच

  शिवपुराण के अनुसार जब तारकासुर के पराक्रम से सभी देवगण त्रस्त हो गये तो वे भगवान रूद्र के पास अपनी दुर्दशा सुनाने तथा तारकासुर से त्राण पाने के लिये गये। भगवान शिव ने उनके दुख को दूर करने के लिये दिव्यास्त्र (अधारे अस्त्र) तैयार करने के लिये सोचा और इस दिव्यास्त्र को तैयार करने में उन्हें एक हजार वर्ष तक अपने नेत्रों को खुला रखना पड़ा। नेत्रों के खुल रहने के कारण जो अश्रु (आंसू) बूंद नीचे गिरे, वे ही पृथ्वी पर आकर रुद्राक्ष के रूप में उत्पन्न हो गये। यूं तो रुद्राक्ष नक्षत्रों के अनुसार सताइस मुखों वाला, कहीं-कहीं इक्कीस मुखों वाला तो कहीं पर सोलह मुखों तक का वर्णन मिलता है। परन्तु चैदहमुखी तक का ही रुद्राक्ष अत्यन्त मुश्किल से प्राप्त होता है। इन सभी रुद्राक्षों की मुख के आधार पर अलग-अलग विशेषताएं होती हैं। जिस प्रकार समस्त देवताओं में विष्णु नवग्रहों में सूर्य होते हैं, उसी प्रकार वह मनुष्य जो कंठ या शरीर पर रुद्राक्ष धारण किए होता है अथवा घर में रुद्राक्ष को पूजा-स्थल पर रखकर पूजन करता है, मानवों में श्रेष्ठ मानव होता है- देवानांच यथा विष्णु, ग्रहाणां च रविः। रुद्राक्षं यस्य कण्ठं वा, गेहे स्थितोपि वा।। दो मुख वाला रुद्राक्ष, छह मुख वाला रुद्राक्ष तथा सात मुख वाले रुद्राक्ष को एक साथ मोतियों के साथ जड़कर माला के रूप में पहनने से रुद्राक्ष कवच का रूप बन जाता है। यह कवच सभी अमंगल का नाश करता है तथा इच्छानुसार फल प्रदान करने वाला होता है। दो मुख (द्विमुखी) रुद्राक्ष शिवपार्वती का स्वरुप है। यह अर्ध्दनारीश्वर का प्रतीक है। इसको धारण करने से धन-धान्य, सुत आह्लाद आदि सभी वैभव प्राप्त हो जाते हैं। कुंवारी कन्या प्रभुत्व वाली पति प्राप्त करती है तथा बच्चों में अच्छा संस्कार आ जाता है। छह मुख (षड्मुखी) रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है। इसका संचालक शुक्र ग्रह है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से वैवाहिक समस्याएं, रोजगारपरक समस्याएं, भूत-प्रेतादिक समस्याएं त्वरित नष्ट हो जाती हैं। किसी भी प्रकार के अमंगल की संभावना नहीं रहती। सात मुख वाला (सप्तमुखी) रुद्राक्ष अनंगस्वरूप एवं अनंक के नाम से प्रसिध्द है। इस रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व शनिदेव करते हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने से शनिदेव की वक्रदृष्टि समाप्त हो जाती है तथा पारिवारिक कलह, दांपत्य जीवन में वैमनस्यता आदि दूर हो जाती है।  एक माला में द्विमुखी रुद्राक्ष, षड्मुखी रुद्राक्ष तथा सप्तमुखी रुद्राक्ष के एक-एक दाने के साथ ही बीच में मोती को गूंथ देने से रुद्राक्ष कवच का निर्माण हो जाता है। इस माला को स्त्री-पुरुष, युवक-युवती कोई भी इसका अभिषेक करके गले में धारण कर सकता है। जो व्यक्ति जिस किसी भी सात्विक भावना से इस रुद्राक्ष कवच को धारण करता है, उसकी कामना अवश्य ही पूरी होती है। किसी भी सोमवार को मोती जड़ित रुद्राक्ष कवच को अपने पूजा स्थल पर रखकर उसका दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल पंचामृत द्वारा अभिषेक कर दिया जाता है। अभिषेक करते समय अभिषेक करने वाले को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। माला का अभिषेक करके अभिषेककर्ता प्रार्थना की मुद्रा में  नमः शिवाय पञ्चाक्षरी मंत्र का एक सौ आठ बार जाप कर लें। अभिषेक करने से पहले भगवान शंकर का एवं कवच का धूप, दीप, पुष्पादि द्वारा षोडशोपचार विधि से पूजा कर लेना भी त्वरित फलदायी होता है। बिल्वपत्र चढ़ाने से भगवन शिव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। पूरी विधि समाप्त हो जाने पर रुद्राक्ष कवच को गले में धारण कर लें। विद्येश्वर संहिता के अनुसार रुद्राक्ष कवच धारण करने वाले व्यक्ति की कोई भी ऐसी कामना नहीं होती जो पूरी न हो सके। आज के समय में छात्र-छात्रा, गृहिणी, व्यवसायी नौकरीपेशा आदि सभी के लिये यह कवच अत्यंत ही प्रभावशाली सिध्द हो सकता है। कन्या का विवाह, पुत्र की पढ़ाई, आर्थिक सम्पन्नता, निर्भयता आदि के लिए रुद्राक्ष कवच को अवश्य ही धारण किया जाना चाहिये।  

घर के पूजा स्थल में ये फूल कभी न रखें, हो सकती है बड़ी परेशानी

हमारे घरों में पूजा-पाठ की परंपरा बहुत पुरानी है और पूजा के दौरान फूलों का विशेष महत्व होता है। हर देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग प्रकार के फूल चढ़ाए जाते हैं, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है। लेकिन कुछ फूल ऐसे होते हैं जिन्हें घर के मंदिर में भूलकर भी नहीं रखना चाहिए? ऐसा करने से न केवल पूजा का प्रभाव कम होता है, बल्कि जीवन में नकारात्मकता बढ़ सकती है। तो आइए जानते हैं कि मंदिर में कौन से फूलों को नहीं रखना चाहिए। बासी या मुरझाए हुए फूल मंदिर में केवल ताजे और सुगंधित फूल ही चढ़ाने चाहिए। बासी या मुरझाए फूल अशुद्ध माने जाते हैं और इन्हें भगवान को अर्पित करना अपशकुन माना जाता है। ऐसे फूल चढ़ाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास हो सकता है। प्लास्टिक के फूल कई लोग सजावट के लिए मंदिर में नकली फूल रखते हैं, लेकिन ये धार्मिक दृष्टिकोण से उचित नहीं माने जाते। पूजा में प्राकृतिक चीजों का उपयोग करना ही शुभ होता है। प्लास्टिक के फूलों में जीवन नहीं होता, इसलिए ये पूजा के लिए अनुपयुक्त माने जाते हैं। कनेर का फूल कनेर का फूल सुंदर होता है, लेकिन यह हर देवी-देवता को अर्पित नहीं किया जा सकता। विशेष रूप से विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा में इसे वर्जित माना गया है। मान्यता है कि यह फूल नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है। अकौड़े का फूल अकौड़े का फूल शिवजी को अर्पित किया जाता है, लेकिन इसे हर रोज मंदिर में नहीं रखा जाना चाहिए। यह फूल बहुत तेज प्रभाव वाला होता है, और अगर सही समय या विधि से न चढ़ाया जाए, तो इसका उल्टा असर भी हो सकता है।

राशिफल 15 सितंबर: मेष से मीन तक हर राशि का दिन कैसा बीतेगा, पढ़ें पूरी जानकारी

मेष- आज पूजा-पाठ और अच्छे कामों में मन लगेगा। पढ़ाई या विदेश से जुड़ी कोई अच्छी खबर मिल सकती है। सेहत का ध्यान रखें। पैतृक संपत्ति से फायदा होगा। चुनौतियों को तुम आत्मविश्वास से संभाल लोगे। ऑफिस में आपके कार्यों की प्रशंसा होगी। धन लाभ के योग भी बनेंगे। वृषभ- स्टूडेंट्स को सफलता मिलने के आसार हैं। नौकरी में प्रमोशन और नई जिम्मेदारियां मिल सकती हैं। जमीन–गाड़ी से फायदा हो सकता है। लेकिन भावुक होकर जल्दी-जल्दी फैसले न लें। धैर्य से काम करें। आज खर्चों पर भी नजर रखें। मिथुन – काफ़ी समय से रुके काम पूरे होंगे। पैसों की स्थिति सुधरेगी। दुश्मनों पर जीत और ऑफिस में प्रमोशन के योग हैं। घर-परिवार से सहयोग मिलेगा। वैवाहिक जीवन भी बेहतर रहेगा। आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। कर्क – व्यापार में अच्छे रिजल्ट्स मिलेंगे। कला-संगीत में रुचि बढ़ेगी, लेकिन मन किसी अज्ञात डर से परेशान रह सकता है। घर के मामलों को शांति से सुलझाएं। स्वास्थ्य में सुधार होगा। भाई-बहन की मदद करनी पड़ सकती है। सिंह – आज गुस्से पर नियंत्रण रखें। आपके रिश्ते सुधरेंगे। पढ़ाई में सफलता मिलेगी लेकिन खर्चे भी बढ़ सकते हैं। प्रोफेशनल लाइफ में जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं। आज काम के सिलसिले में बाहर जाना पड़ सकता है। कन्या – लव लाइफ अच्छी रहेगी। रिलेशनशिप की दिक्कतें कम होंगी। नौकरी तलाशने वालों को कॉल आ सकता है। कान, गले या नाक की तकलीफ से बचने के लिए सतर्क रहें। डाइट और एक्सरसाइज पर ध्यान दें। आज आर्थिक स्थिति भी सामान्य रहेगी। तुला – कामकाज में नई उपलब्धियां हासिल होंगी। वाणी में मिठास आएगी। बच्चों की सेहत का ध्यान रखें। घर-परिवार में खुशियों का माहौल रहेगा। पुराने दोस्तों से मुलाकात होगी। स्वास्थ्य में सुधार के योग हैं। आज आपकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी रहेगी। वृश्चिक – दिन सामान्य रहेगा। काम पर फोकस करें। ऑफिस में बेवजह के वाद-विवाद से दूर रहें। कुछ लोग जॉब स्विच कर सकते हैं। कुछ को प्रमोशन मिलेगा। हेल्दी खाना खाएं और जंक फूड से बचें। धनु – काम की जिम्मेदारियां बढ़ेंगी। जीवनसाथी से हल्की अनबन हो सकती है, इसलिए भावनाओं और गुस्से पर काबू रखें। रहन-सहन और स्वास्थ्य पर ध्यान दें। कार्यक्षेत्र में बदलाव संभव है लेकिन माहौल ठीक रहेगा। मकर – भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। आत्मविश्वास से लबरेज़ रहेंगे। रुका हुआ धन वापस मिल सकता है। अनियोजित खर्च भी बढ़ सकते हैं। नौकरी और कारोबार के लिए दिन अच्छा रहेगा। माता के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। कुंभ – आर्थिक मामलों में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। नए निवेश के लिए शुभ समय, लेकिन जल्दबाज़ी न करें। रिस्क न लें। बजट देख कर ही फैसले करें। हेल्थ और लाइफस्टाइल में पॉजिटिव बदलाव शुरू करने का अच्छा दिन। मीन – काम की चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास से करें। जिम्मेदारियों को सावधानी से संभालें। बड़े बदलावों के लिए तैयार रहें। पॉजिटिव माइंडसेट के साथ अपने सपनों पर काम करते रहें। व्यापारियों के लिए दिन अच्छा रहेगा।

विश्वकर्मा पूजा 2025: घर व ऑफिस में वास्तु के ये नियम ज़रूर अपनाएं

विश्वकर्मा पूजा सिर्फ़ औपचारिक पूजा नहीं है बल्कि घर, कार्यस्थल, कारख़ाना, दुकान और औज़ारों में सकारात्मक ऊर्जा व सफलता लाने का एक माध्यम मानी जाती है। इस दिन वास्तु नियमों का ध्यान रखने से पूजा का प्रभाव और भी बढ़ जाता है। ईशान कोण में पूजा, पूर्व या उत्तर मुखी स्थापना, औज़ार व मशीनों को शुद्ध कर स्वस्तिक बनाना, दीपक अग्नि कोण में रखना और उत्तर-पूर्व की स्वच्छता। ये विश्वकर्मा पूजा के प्रमुख वास्तु नियम हैं। आइए, विस्तार से जानें: पूजा का स्थान ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा): वास्तु में इसे सबसे शुभ और पवित्र दिशा माना गया है। यहीं पूजा करना श्रेष्ठ है। यदि घर या कार्यस्थल में यह संभव न हो तो पूर्व या उत्तर दिशा का चयन करें। कभी भी पूजा दक्षिण-पश्चिम कोने में न करें, इससे कार्यक्षेत्र में रुकावटें आती हैं। मूर्ति / चित्र की स्थापना भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके रखें। पूजक को पश्चिम या दक्षिण की ओर मुख करके बैठना चाहिए। मूर्ति को ज़मीन पर सीधे न रखें, उसके नीचे लकड़ी या स्वच्छ चौकी हो। औजार और मशीनें मशीनें, औज़ार, वाहन, कंप्यूटर आदि को पहले अच्छे से साफ़ करें। इन्हें पूजा के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। पूजा के बाद उन पर स्वस्तिक का चिह्न बनाकर रोली या हल्दी से तिलक करें। रंग और सजावट वास्तु के अनुसार पीला, लाल और हरा रंग शुभ ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। पूजा स्थल पर इनका प्रयोग करें। पूजा स्थान पर प्रकाश की व्यवस्था पूर्व और उत्तर दिशा में अधिक होनी चाहिए। दीपक और धूप दीपक को पूजा स्थल के दक्षिण-पूर्व कोने (अग्नि कोण) में रखें। धूपबत्ती या अगरबत्ती भी इसी कोने में जलाएं। बैठने की दिशा पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए। यदि कई लोग एक साथ पूजा कर रहे हों तो सभी का मुख एक ही दिशा में रहे। स्वच्छता और शुद्धता पूजा से पहले घर/कारख़ाना विशेषकर उत्तर-पूर्व दिशा को अच्छे से साफ करें। गंदगी या अव्यवस्था वास्तु दोष बनाती है और पूजा का प्रभाव घटाती है।

जानिए सूर्य ग्रहण पर दान का महत्व: कौन सी वस्तुएं दान करने से बढ़ता है पुण्य

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसका वैज्ञानिक महत्व तो है ही, लेकिन भारतीय संस्कृति और ज्योतिष में इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना भी माना जाता है. हिंदू धर्म में इसे एक अशुभ काल माना गया है, जिसमें नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है. इसी वजह से इस दौरान शुभ कार्य और पूजा-पाठ वर्जित होते हैं. हालांकि, सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ ऐसे कार्य भी हैं, जिन्हें बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है. इनमें सबसे प्रमुख है दान करना. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण काल में किया गया दान सामान्य दिनों में किए गए दान से कई गुना अधिक पुण्य देता है. सूर्य ग्रहण के दिन दान का महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल में वातावरण में नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं. इन नकारात्मक प्रभावों को कम करने और जीवन में सुख-शांति लाने के लिए दान का सहारा लिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि दान करने से इन नकारात्मक ऊर्जाओं का शमन होता है और व्यक्ति पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है. पापों का नाश: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण काल में किए गए दान से पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है. यह एक प्रकार का प्रायश्चित्त होता है, जिससे आत्मा की शुद्धि होती है. ग्रह दोषों से मुक्ति: कई बार व्यक्ति की कुंडली में सूर्य या चंद्र से संबंधित दोष होते हैं. ग्रहण के दौरान सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करने से इन दोषों का निवारण होता है और जीवन में सकारात्मकता आती है. आर्थिक समृद्धि: ऐसी मान्यता है कि ग्रहण काल में किया गया दान व्यक्ति को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाता है. दान करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती. पुण्य की प्राप्ति: धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि ग्रहण के दौरान किया गया दान हजारों यज्ञों और करोड़ों तीर्थ यात्राओं के बराबर पुण्य देता है. सूर्य ग्रहण के दिन किन चीजों का दान करना है शुभ? सूर्य ग्रहण के दिन विशेष रूप से उन वस्तुओं का दान करना चाहिए, जो सूर्य से संबंधित मानी जाती हैं. इन वस्तुओं का दान करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. गेहूं और गुड़: गेहूं और गुड़ दोनों ही सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. इनका दान करने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है और नौकरी-व्यापार में तरक्की मिलती है. तांबे के बर्तन: तांबा सूर्य का धातु माना जाता है. तांबे के बर्तन या तांबे के सिक्के दान करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. लाल वस्त्र: लाल रंग सूर्य का प्रिय रंग है. लाल वस्त्र, विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और समाज में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है. नारियल और बादाम: मान्यता है कि ग्रहण के बाद नारियल और बादाम दान करने से शनि और राहु-केतु के अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिलता है. काले तिल और काले कंबल: ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण काल में तिल और काले कंबल का दान करना राहु-केतु और शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने में मदद करता है. यह दान विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जिनकी कुंडली में ये ग्रह कमजोर हैं. अन्न का दान: ग्रहण के बाद अनाज, जैसे चावल, दाल और अन्य खाद्य सामग्री का दान करना बेहद पुण्यकारी माना जाता है. यह दान गरीबों और भूखों की भूख शांत करता है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है. दान करने का सही समय और तरीका     ग्रहण समाप्त होने के बाद ही दान करना चाहिए.     दान की वस्तुएं साफ होनी चाहिए.     दान हमेशा जरूरतमंदों और गरीबों को ही करना चाहिए.     दान करते समय मन में किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं होना चाहिए.