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काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन को लेकर तैयारियों को अंतिम दिया जा रहा रूप, एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना

वाराणसी सावन में श्रद्धालुओं को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर चार, नंदू फारिया, सिल्को गली, ढुंढिराज और सरस्वती फाटक से प्रवेश दिया जाएगा। गंगा में बाढ़ की वजह से ललिता घाट से श्रद्धालुओं का प्रवेश अस्थायी रूप से प्रतिबंधित किया जा सकता है। दर्शन के लिए आने वाले वृद्ध, अशक्त, दिव्यांगजन और बच्चों के लिए गोदौलिया से मैदागिन तक निशुल्क ई-रिक्शा का संचालन किया जाएगा। सावन में श्री काशी विश्वनाथ धाम में एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मंडलायुक्त एस राजलिंगम ने बताया कि इस बार सावन में बाबा के दरबार में कोई भी वीआईपी या वीवीआईपी नहीं होगा। सावन भर प्रोटोकॉल दर्शन नहीं होंगे। इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। दर्शन के लिए सभी श्रद्धालु कतार में लगकर ही आएंगे। कोई श्रद्धालु दलालों के झांसे में न आए। यदि कोई व्यक्ति विशेष दर्शन के नाम पर रुपये मांगता है या अपनी दुकान से प्रसाद लेने पर दर्शन में सहायता का दावा करता है, तो वह आपको ठगने का प्रयास कर रहा है। इसकी जानकारी निकटतम पुलिस या फिर मंदिर के कर्मी को दी जा सकती है। उधर, मंदिर न्यास ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे खाली पेट कतार में न लगें। पहले सोमवार को चल प्रतिमा, तो दूसरे सोमवार गौरी-शंकर शृंगार इस सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। हर सोमवार को बाबा विश्वनाथ के अलग-अलग शृंगार किए जाएंगे। 14 जुलाई को पहले सोमवार को चल प्रतिमा शृंगार, दूसरे सोमवार (21 जुलाई) को गौरी-शंकर (शंकर-पार्वती) शृंगार, तीसरे सोमवार (28 जुलाई) को अर्धनारीश्वर शृंगार और चौथे व अंतिम सोमवार (चार अगस्त) को रुद्राक्ष शृंगार होगा। वहीं, नौ अगस्त को पूर्णिमा पर झूला शृंगार होगा। मंडलायुक्त ने बताया कि स्मार्ट सिटी के सहयोग से धाम परिसर और शहर के अलग-अलग स्थानों पर बाबा विश्वनाथ की आरती और शृंगार के डिजिटल दर्शन की व्यवस्था की गई है। साथ ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी दर्शन की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग की जाएगी। व्यवस्था प्रबंधन के लिए संपूर्ण धाम में केंद्रीयकृत लोक सूचना प्रणाली (पब्लिक एड्रेस सिस्टम) और आवश्यक स्थानों पर स्थानीय लोक सूचना प्रणाली (लोकल पब्लिक एड्रेस सिस्टम) की व्यवस्था रहेगी। मंडलायुक्त ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुल पांच स्थानों पर चिकित्सकीय टीम की तैनाती की जाएगी। हेल्थ डेस्क पर तीन पाली में डॉक्टरों की ड्यूटी लगेगी। प्रत्येक पाली में दो डॉक्टरों की टीम रहेगी। मंदिर में दो एंबुलेंस रहेगी। इनमें एक एंबुलेंस में एडवांस लाइफ सपोर्ट की सुविधा होगी, जो किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए तत्पर रहेगी। छह स्थानों पर खोया-पाया केंद्र मंडलायुक्त ने बताया कि विश्वनाथ धाम में छह स्थानों पर खोया-पाया केंद्र की स्थापना की जाएगी। इसमें मंदिर प्रांगण, शंकराचार्य चौक, गेट नंबर एक (गंगा निकास द्वार), गेट नंबर दो (सरस्वती फाटक), गेट नंबर चार (मुख्य प्रवेश मार्ग) और ललिता घाट पर बने खोया पाया केंद्र पर भीड़ में अपने परिवार से बिछड़े लोग सहायता प्राप्त कर सकेंगे।   पेयजल काउंटर की रहेगी सुविधा मंडलायुक्त के मुताबिक, धाम में समय-समय पर ग्लूकोज/ओआरएस घोल, सूक्ष्म जलपान, बिस्किट, टॉफी, चॉकलेट आदि का वितरण किया जाएगा। इससे वृद्ध और बच्चों को सहूलियत मिलेगी। अतिरिक्त पेयजल काउंटर और गुड़ की व्यवस्था भी रहेगी।

एम-आधार से होगी पहचान की जांच, फर्जी आईडी वाले रेल यात्रियों पर होगी सख्ती

भोपाल  ट्रेन यात्रा के दौरान यात्री को अपनी पहचान साबित करने के लिए मोबाइल ऐप एम-आधार का सहारा लेना होगा। रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में सभी जोन को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। एमआधार ऐप के जरिए अब ट्रेनों में सफर के दौरान यात्रियों की पहचान तकनीकी रूप से सत्यापित की जाएगी। ट्रेनों में अक्सर देखा जाता है कि दूसरे के टिकट पर लोग यात्रा कर लेते हैं। लेकिन अब ट्रेन यात्रा के दौरान यात्री को अपनी पहचान साबित करने के लिए मोबाइल ऐप एम-आधार का सहारा लेना होगा। रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में सभी जोन को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। एमआधार ऐप के जरिए अब ट्रेनों में सफर के दौरान यात्रियों की पहचान तकनीकी रूप से सत्यापित की जाएगी। दूसरों के नाम पर टिकट लेकर यात्रा करते हैं लोग मिली जानकारी के अनुसार रेलवे को लंबे समय से ऐसी शिकायतें मिलती रही हैं कि कुछ लोग दूसरों के नाम पर टिकट लेकर यात्रा करते हैं या फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल कर ट्रेन में चढ़ जाते हैं। ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए रेलवे अब एमआधार ऐप का इस्तेमाल करेगा, जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने विकसित किया है। जाने कैसे काम करेगे एम आधार एप रेवले द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस ऐप में क्यूआर कोड स्कैन कर पहचान सत्यापन की सुविधा है। टीटीई इस ऐप के माध्यम से यात्री का आधार कार्ड स्कैन कर उसकी वास्तविकता को तुरंत जांच सकेंगे। इससे फर्जी आधार कार्ड की पहचान आसान हो जाएगी और टिकटों की कालाबाजारी पर भी नियंत्रण संभव होगा। रेलवे बोर्ड ने कहा है कि ऐप को जल्द ही HHT (हैंड हेल्ड टर्मिनल) डिवाइस से जोड़ा जाएगा, जिससे टीटीई को यह सुविधा सीधे उनके उपकरण में उपलब्ध होगी। इससे आरक्षित टिकटों का गलत इस्तेमाल रुकेगा और यात्रा के दौरान यात्रियों की असली पहचान सुनिश्चित हो सकेगी। यात्री सुरक्षा और ट्रेनों में अनधिकृत यात्रा को रोकने का प्रयास रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह कदम यात्री सुरक्षा, पारदर्शिता और ट्रेनों में अनधिकृत यात्रा को रोकने की दिशा में एक बड़ा सुधार है। साथ ही डिजिटल इंडिया की दिशा में भी यह प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकता है।  

यूपी के युवाओं के लिए खुशखबरी, योगी सरकार दे रही स्थानीय स्तर पर रोजगार का मौका

लखनऊ  योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश के युवाओं को हुनरमंद बनाने के साथ ही उनकी क्षमता का भी पूरा उपयोग करने का इंतजाम कर रही है। सरकार स्किल डेवलपमेंट के साथ युवाओं को स्वावाल‍ंबी बनाने के लिए हर स्तर उनकी मदद की योजना तैयार कर चुकी है। सरकार तो अब युवाओं को उनके ही जिले में रोजगार देने की कोशिश कर रही है। पहली बार जिला स्तर पर स्थानीय उद्योगों की जरूरतों के अनुसार कौशल विकास की कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसके तहत युवाओं को उन्हीं सेक्टरों में प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिनकी उनके जिले में सबसे अधिक मांग है। हर जिले में पांच प्रमुख सेक्टरों की पहचान की जा रही है। यह चयन स्थानीय उद्योगों की मांग, रोजगार की संभावनाएं और तकनीकी जरूरतों को ध्यान में रखकर होगा। हर जिले में चुने गए पांच सेक्टरों में काम कर रही पांच अग्रणी कंपनियों या औद्योगिक इकाइयों को चिन्ह्ति किया जाएगा। इनके साथ समन्वय कर युवाओं को उनकी मांग के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें उन्हीं कंपनियों में सीधे रोजगार के अवसर मिलेंगे। कौशल विकास मिशन के निदेशक पुलकित खरे ने सभी जिलों के मुख्य विकास अधिकारियों (सीडीओ) के साथ बैठक कर योजना की रूपरेखा साझा की है। योजना को अगले तीन वर्षों में चरणबद्ध रूप से पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। इस दौरान जिला प्रशासन, उद्योग प्रतिनिधियों, प्रशिक्षण संस्थानों और मिशन टीम के बीच मजबूत समन्वय किया जाएगा। मुख्य विकास अधिकारियों को 26 सेक्टरों की सूची सौंपी गई है, जिनमें से उन्हें अपने जिले के लिए पांच उपयुक्त सेक्टरों का चयन करना है। कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि इससे उद्योगों को स्थानीय प्रशिक्षित जनशक्ति मिलेगी, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और युवाओं को घर के पास ही नौकरी मिलेगी।  

अंतिम चरणों में रायपुर-राजिम रेल लाइन का काम, 15 अगस्त से चल सकती है ट्रेन

रायपुर नवा रायपुर-धमतरी-राजिम रेल लाइन का काम अंतिम चरणों में हैं। 30 जून को जीएम तरुण सिन्हा ने अभनपुर से राजिम के बीच बिछे रेल लाइन का निरीक्षण किया। अभनपुर से राजिम के बीच गेज कनवर्जन का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। सीआरएस (कमिशनर आफ रेलवे सेफ्टी) के निरीक्षण के बाद राजिम तक ट्रेन चलाने की तैयारी है। इसके लिए अफसरों ने तारीख भी तय कर ली है। अधिकारियों के अनुसार 15 अगस्त तक राजिम तक ट्रेन शुरू हो जाएगी। वर्तमान में ट्रेन रायपुर से अभनपुर के बीच चलाई जा रही है। नवा रायपुर-धमतरी-राजिम रेल लाइन पर वर्तमान में मेमू ट्रेन चलाई जा रही है। इसी ट्रेन को राजिम तक विस्तार किया जाएगा। 550 करोड़ की लागत से बनाई जा रही 67 किलोमीटर लंबी रेललाइन परियोजना पहले से ही अपने निर्धारित समय से तीन साल पीछे चल रही है। लेकिन इस साल इस रेल लाइन में लगातार प्रगति देखने को मिल रही है। 31 मार्च को रायपुर से अभनपुर के बीच पहली ट्रेन चलाई गई। इसके बाद अब अधिकारी 15 अगस्त से पहले तक इस रेल लाइन में राजिम तक ट्रेन शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। वर्तमान में इस ट्रेन में रायपुर से अभनपुर के बीच हर महीने लगभग दो हजार यात्री सफर कर रहे हैं। राजिम तक ट्रेन शुरू होने से यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। राजिम प्रदेश का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यह तीन नदियों, महानदी, पैरी और सोंढूर के संगम पर स्थित है, जिसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है। यहां राजीव लोचन मंदिर और कुलेश्वर महादेव मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर हैं। राजिम में अतिक्रमण, इसलिए आ रही है परेशानी वर्तमान में राजिम स्टेशन के दोनों छोर पर अतिक्रमण है। जिसे हटाने के लिए स्थानीय प्रशासन से बात की जा रही है। अफसरों के अनुसार यात्री ट्रेनें चलाने में रेलवे को परेशानी नहीं है। लेकिन गुड्स ट्रेनें (मालगाड़ी) चलाने में जरूर दिक्कत हो सकती है। धमतरी के लिए दिसंबर तक का रखा लक्ष्य अफसरों की माने तो अभनपुर से धमतरी के बीच भी गेज कनवर्जन कार्य प्रगति पर है। दिसंबर में धमतरी तक ट्रेन शुरू करने की बात कही जा रही है। हांलाकि पूरी तरह से धमतरी तक रेल सेवा शुरू करने के लिए 2026 का ही लक्ष्य रखा है। 1920 में इसी रेल लाइन पर हुआ था सत्याग्रह ब्रिटिश सरकार के काले कानूनों से लड़ने इसी रेल लाइन पर राष्ट्रपिता महात्मागांधी 1920 में कंडेल सत्याग्रह के लिए धमतरी पहुंचे थे। इस रेल लाइन को रेलवे ने नौ साल पहले नुकसान बताकर बंद कर दिया था। लोगों के विरोध पर रेलवे ने 2018 में नई रेल लाइन की घोषणा की। फिर बजट पास किया और काम शुरू हुआ। 15 अगस्त तक किसी भी हाल में यात्री ट्रेन राजिम तक शुरू हो जाएगी। राजिम रेलवे स्टेशन के आसपास अतिक्रमण है। जिसे स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर हटाने की तैयारी है। – अवधेश कुमार त्रिवेदी, सीनियर डीसीएम, रायपुर।

4775.84 करोड़ की लागत से यूपी को मिलेगा नया एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल और वेस्ट के बीच सीधा रास्ता

लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ने वाले ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे पर दोनों ओर सात मीटर चौड़ाई में सर्विस रोड का निर्माण किया जाना है। यूपीडा के प्रस्ताव में एक्सप्रेसवे पर यातायात व्यवस्था के सुगम संचालन के लिए एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (एटीएमएस) भी स्थापित करना शामिल है। एक्सप्रेसवे पर दो बड़े सेतु, 20 छोटे सेतु, दो रेलवे ओवरब्रिज, छह फ्लाईओवर व पांच इंटरचेंजेज का निर्माण होगा। लखनऊ से कानपुर जाने वाले लोग अब पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से सीधे कनेक्ट हो सकेंगे। प्रदेश सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे को हरी झंडी दे दिया है। यह छह लेन का होगा और भविष्य में बढ़ते ट्रैफिक के साथ आठ लेन का भी किया जा सकेगा। इसके लिए 39 गांवों की 597 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होगा। एक्सप्रेसवे बनने के बाद पांच साल तक निजी कंपनी इसका रखरखाव करेगी। इसे आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे के पहले टोल (महुरा कला) से सीधे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के पहले टोल से जोड़ा जाएगा। इसकी लंबाई करीब 49.960 मीटर होगी। इसका सबसे अधिक फायदा लखनऊ, आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और गाजीपुर को होगा। यह एक्सप्रेसवे लखनऊ के आदमपुर, इरखरा, सकाभवई, लुहस बंथरा, सिकंदपुर, कुरैनी, भगदुमपुर, काशी जैतीखेड़ा, परवर, पश्चिम परवर, उल्लासखेड़ा, खुजहा, बरकत नगर, किथौली और कलपहास जैसे गांवों से होकर गुजरेगा। यहां वाहनों की गति 120 किमी. प्रति घंटे की होगी। वहीं लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे पर सफर करने वाले लोगों को अगर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पकड़ना होगा तो उन्हें लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे पर न चलकर लखनऊ-कानपुर (एनएच 27) यानी नीचे वाले एक्सप्रेसवे पर चलना होगा। जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया और लिंक एक्सप्रेसवे बनाने में कम से कम तीन साल का समय कार्यदायी संस्था को लग सकता है।  

नागद्वार की दुर्गम यात्रा का आगाज़ 19 जुलाई से प्रारंभ होगा भव्य मेला, नागपंचमी 29 जुलाई तक चलेगी यात्रा

जुन्नारदेव   मध्यप्रदेश के पचमढ़ी क्षेत्र में स्थित नागलोक के द्वार नागद्वार के दर्शन हेतु इस वर्ष की वार्षिक धार्मिक यात्रा का शुभारंभ 19 जुलाई से होगा, जो 31 जुलाई तक चलेगी। यह दरवाज़ा वर्ष में केवल एक बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इस पावन अवसर पर मध्यप्रदेश महाराष्ट्र सहित देशभर से लाखों श्रद्धालु यहाँ आकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। श्रद्धालुओं को नागद्वार तक पहुंचने के लिए दुर्गम यात्रा करनी होती है। यात्रा प्रातःकाल से ही शुरू की जाती है ताकि समय रहते दर्शन सम्पन्न किए जा सकें। यात्रा की शुरुआत छिंदवाड़ा जिले के दमुआ ब्लॉक के गांव आल्मोद से होती है। इसके बाद श्रद्धालु रौरी घाट, काजरी गांव, मछंदरनाथ, गोरखनाथ, बिचबेहरी और झालमऊ जैसे पड़ाव पार करते हुए नागद्वार देवस्थान तक पहुंचते हैं, जो सतपुड़ा रिजर्व फॉरेस्ट के बीच स्थित है। श्रद्धालुओं को हुए नाग देवता के दर्शन यह यात्रा सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव नहीं है, बल्कि यह नाग देवता की प्रत्यक्ष अनुभूति भी कराती है। यात्रा मार्ग में कई गुफाएं हैं जिनमें सैकड़ों नाग देवता की मूर्तियां हैं। मान्यता है कि यात्रा के दौरान कई श्रद्धालुओं को साक्षात नाग देवता के दर्शन होते हैं, लेकिन इसके बावजूद आज तक सर्पदंश की कोई घटना नहीं हुई, जो इस यात्रा की दिव्यता को दर्शाता है। साल में एक बार खुलता है यह रास्ता यह दुर्गम और आरक्षित वन मार्ग साल में केवल एक बार ही, नागद्वारी मेले के समय, वन विभाग की अनुमति से श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इस यात्रा में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचते हैं। प्रशासनिक तैयारी पूरी इस साल यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और एसपी अजय पांडे ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। यात्रा मार्ग में संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए SDRF और पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। लगभग 25 हजार श्रद्धालु हर साल इस यात्रा में शामिल होते हैं। सेवा और सुविधाएं यात्रा मार्ग में भंडारे दिन-रात चलते हैं। श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने, रुकने और स्वास्थ्य की व्यवस्था प्रशासन और ग्राम पंचायतों द्वारा की गई है। स्वच्छता के लिए विशेष कर्मचारी तैनात किए गए हैं। इन बातों का रखें ध्यान यह यात्रा शारीरिक रूप से स्वस्थ श्रद्धालुओं के लिए उपयुक्त है। साथ में टॉर्च, रेन कोट, बरसाती जूते, सूखा भोजन, चादर और कंबल अवश्य रखें। शीलेंद्र सिंह (कलेक्टर छिंदवाड़ा) ने कहा कि हम लगातार मेले को सफल बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। दमुआ में SDRF की टीम भी तैनात रहेगी। प्रशासन ने किए पुख्ता इंतज़ाम इस पवित्र यात्रा के दौरान प्रशासन द्वारा पूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। पुलिस, जल, लाइट, स्वास्थ्य, सफाई एवं अन्य आवश्यक प्रबंधों के लिए अतिरिक्त सरकारी अमला तैनात किया जाएगा। सतपुड़ा के घने जंगलों और पथरीले रास्तों से होकर नागद्वार तक की यात्रा केवल हिल स्टेशन पचमढ़ी से ही संभव है। यहां से होकर श्रद्धालु सतपुड़ा की संगीतमय घाटियों से गुजरते हुए नागद्वार तक पहुंचते हैं और दर्शन लाभ प्राप्त करते हैं।

प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधरोपण कार्य वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से किया जाए

पौधरोपण में वैज्ञानिक और टिकाऊ तकनीकों के उपयोग के लिए प्रशिक्षण मनरेगा के तहत इंजीनियर और कृषि सखियों को दिया जा रहा है तकनीकी प्रशिक्षण प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधरोपण कार्य वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से किया जाए भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई "एक बगिया मां के नाम परियोजना", "गंगोत्री हरित योजना" और "नर्मदा परिक्रमा पथ" जैसी योजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने की दिशा में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। इन योजनाओं के तहत मनरेगा के माध्यम से प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रदेश के 2101 इंजीनियर और 626 कृषि सखी को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण मध्यप्रदेश जल-भूमि प्रबंध संस्थान, भोपाल और क्षेत्रीय ग्रामीण विकास-पंचायतराज प्रशिक्षण केंद्रों में संचालित किया जा रहा है। प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधरोपण कार्य वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से किया जाए। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने निर्देश दिए हैं कि नदियों के उद्गम स्थलों पर पौधरोपण को प्राथमिकता दी जाए। साथ ही मां नर्मदा परिक्रमा पथ पर आश्रय स्थलों में पौधरोपण कर तीर्थ यात्रियों को बेहतर सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने "एक बगिया मां के नाम परियोजना" को महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का एक सशक्त माध्यम बताया। मनरेगा के अंतर्गत प्रशिक्षण पाने वाले अधिकारियों में 36 कार्यपालन यंत्री आरईएस, 215 सहायक यंत्री, 47 डीपीएम एसआरएलएम और 1803 उप यंत्री शामिल हैं। इन्हें पौधरोपण की तकनीकी बारीकियों से अवगत कराया जा रहा है, जिससे वे इस कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न कर सकें। प्रदेश में पहली बार पौधरोपण कार्य में अत्याधुनिक तकनीक सिपरी सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से संबंधित जिलों की जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता, एग्रो क्लाइमेट ज़ोन, स्थल चयन और पानी की उपलब्धता जैसी जानकारियां जुटाकर पौधों की उपयुक्त प्रजातियों का चयन किया जाएगा। जहां सॉफ्टवेयर उपयुक्तता नहीं दिखाता, वहां पौधरोपण नहीं किया जाएगा, जिससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सके। "एक बगिया मां के नाम" अभियान के तहत स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए उनकी निजी भूमि पर फलदार पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए 626 कृषि सखी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये कृषि सखी बाद में अन्य स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को पौधारोपण की तकनीक, पौधों के चयन और देखरेख के बारे में प्रशिक्षण देंगी और उन्हें आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगी। इस व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश में न केवल पर्यावरण-संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्राप्त होगा।  

पीजी में आए अंक के आधार पर मेरिट का निर्धारण किया जा रहा , ऐसा करके राज्य शासन ने शिक्षा के स्तर से समझौता किया : हाईकोर्ट

ग्वालियर पहले से काम कर रहे अतिथि विद्वानों को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उच्च न्यायालय ने अतिथि विद्वानों के चयन के लिए अक्टूबर 2023 को जारी सर्कुलर को लेकर बड़ा फैसला दिया है. इसमें स्पष्ट किया गया कि अतिथि विद्वानों की मेरिट का निर्धारण 17 दिसंबर 2019 को जारी सर्कुलर के प्रावधान के अनुसार किया जाएगा. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने 2023 के सर्कुलर में कैटेगरी व्यवस्था को शामिल करने का आदेश दिया. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला? 2019 के सर्कुलर में क्या था? 2019 के सर्कुलर में अतिथि विद्वानों की योग्यता को चार कैटेगरी में विभाजित किया गया हैं, जिसमें सी-1 वाला अतिथि विद्वान सबसे ज्यादा योग्य (पीएचडी विद नेट सिलेक्ट) माना जाता है. सी-4 वाला अतिथि विद्वान (पीजी, किसी भी विषय में) अंतिम पायदान पर होता है. 2023 के सर्कुलर में फाल आउट संबंधी प्रावधान को यथावत रखा गया है. इसके अनुसार, नियमित नियुक्ति होने की स्थिति में कम शैक्षणिक योग्यता वाला अतिथि शिक्षक (सी-4) ही हटाया जाएगा. याचिकाकर्ता ने क्या कहा? याचिकाकर्ता डॉ दिनेश कुमार चतुर्वेदी व अन्य की ओर से बताया गया कि 2023 के सर्कुलर में कैटेगरी व्यवस्था समाप्त कर दी गई है. अब केवल पीजी में आए अंक के आधार पर मेरिट का निर्धारण किया जा रहा है. ऐसा करके राज्य शासन ने शिक्षा के स्तर से समझौता किया है. कोर्ट ने क्या कहा? दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने शासन को 2023 में जारी सर्कुलर के प्रावधानों को संशोधित कर प्रतिभागी के फॉल आउट का निर्धारण कैटेगरी के माध्यम से करने का निर्देश दिया है कि जब तक ये प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक दिसंबर 2019 के सर्कुलर में प्रस्तावित कैटेगरी का पालन करने का निर्देश दिया गया है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उक्त आदेश आदेश 5 अक्टूबर 2023 के पूर्व में नियुक्त या कार्यरत अतिथि विद्वानों पर ही बंधनकारी होगा.

अब आम जन सीधे तौर पर पुलिस से संवाद स्थापित कर सकेगी, प्रदेश के सभी थानों में लगेंगे QR कोड, स्कैन कर दे सकेंगे प्रतिक्रिया

भोपाल  प्रदेशभर के थानों में आम जनता अब पुलिसकर्मियों के व्यवहार और थाने के अनुभव पर सीधे ऑनलाइन फीडबैक दे सकेगी। इसके लिए थानों में QR कोड लगाए जाएंगे, जिन्हें स्कैन कर नागरिक अपने अनुभव साझा कर सकेंगे। पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश के मुताबिक, थानों में किसी खुले स्थान पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा। शिकायतकर्ता या कोई भी आम नागरिक इसे स्कैन कर यह बता सकेगा कि थाने में उसके साथ कैसा व्यवहार हुआ। पुलिस अधिकारी या कर्मियों ने समस्या ठीक से सुनी या नहीं, इसका भी जिक्र फीडबैक में किया जा सकेगा। नर्मदापुरम में तैयारियां शुरू नर्मदापुरम एसपी डॉ. गुरकरण सिंह ने बताया कि जिले के सभी 19 थानों और पुलिस चौकियों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी। प्रत्येक स्थान पर फीडबैक स्कैन बारकोड लगाया जाएगा। गूगल या एनआईसी से लिंक होगा फॉर्म QR कोड स्कैन करने के बाद फीडबैक फॉर्म खुल जाएगा, जिसे गूगल या एनआईसी पोर्टल के माध्यम से तैयार किया जाएगा। यह फॉर्म वरिष्ठ अधिकारियों की ई-मेल आईडी से लिंक रहेगा ताकि तत्काल निगरानी हो सके। बेहतर कार्य, 2 थानों को सर्टिफिकेट बेहतर पुलिसिंग, संसाधनों का अच्छे से उपयोग करने पर तेजाजी नगर और राजेंद्र नगर थाने को आइएसओ सर्टिफिकेट मिला है। यह सर्टिफिकेट डीजीपी ने संबंधित थानों के अधिकारियों को देकर बधाई दी। वहीं महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकारी, कर्मचारी को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। उक्त फीडबैक क्यूआर कोड के संबंध में जानकारी देते हुए डीजीपी महोदय ने बताया कि, ये क्यू आर कोड शहर के प्रत्येक थानो पर लगाएं जाएगें, जहां पर जनता का पुलिस से सीधा संवाद होता है। आम नागरिक अपनी समस्याओं व शिकायत लेकर थाने पर आता है तो पुलिस का उसके साथ कैसा व्यवहार है तथा उसकी समस्या पर पुलिस ने क्या कार्यवाही करी और आवेदक पुलिस की कार्यप्रणाली से संतुष्ट है या असंतुष्ट है आदि के संबंध में अपनी राय को उक्त क्यूआर कोड को स्कैन कर अपना फीडबैक दे सकता है। आमजन द्वारा दिए गये फीडबैक वरिष्ठ अधिकारियों व कार्यालय में स्थित मॉनिटरिंग सेल में जाएगा, जिस पर उक्त फीडबैक के आधार पर कार्यवाही की जावेगी। आम नागरिकगण अपना फीडबैक देकर पुलिस की कार्यप्रणाली को और बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। इसी प्रकार आमजन के हितों व उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, बेहतर पुलिसिंग व संसाधनों का अच्छे से उपयोग कर, कार्यप्रणाली को और अच्छा करने के फलस्वरूप इदौर पुलिस कमिश्नरेट के पुलिस थाना तेजाजी नगर व राजेन्द्र नगर को ISO 9001:2015 का सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ है। जिस पर डीजीपी श्री कैलाश मकवाना जी द्वारा उक्त सर्टिफिकेट संबंधित थानों व अधिकारियों को समर्पित करते हुए, सभी को बधाई दी और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र भी प्रदान कर, ऐसे ही पूर्ण लगन व मेहनत से बेहतर पुलिसिंग करने के लिये सदैव प्रयासरत् रहने के लिये प्रेरित किया। इस पहल से पुलिस की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और आम जनता की प्रतिक्रिया सीधे अधिकारियों तक पहुंचेगी।

मध्य प्रदेश में स्कूली छात्रों को खुशखबरी, मिलेगी फ्री साइकिलें, इन स्टूडेंटों को मिलेगा लाभ, 10 जुलाई को सीएम यादव देंगे सौगात

भोपाल  मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने विद्यार्थियों को एक बड़ी खुशखबरी दी है। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से उन्‍हें बड़ी संख्‍या में निशुल्क साइकिल दी जा रही है। इसके दिशा-निर्देश जारी करने के बाद अब इसके कार्यक्रम की घोषणा भी कर दी गई है। इसमें कक्षा छठवीं और नवीं के विद्यार्थियों को साइकिल दी जाएगी। सीएम मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी अब इसे लेकर मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक्‍स के माध्‍यम से जानकारी साझा की है। उन्‍होंने एक पोस्‍टर शेयर करते हुए कहा कि “10 जुलाई को प्रदेश में 15 लाख से अधिक स्कूली विद्यार्थियों को साइकिलें वितरित की जाएंगी।” वहीं, पोस्‍टर के अंदर लिखा हुआ है, शिक्षा की राह होगी साइकिल के संग आसान, कक्षा 6वीं और 9वीं में प्रवेश करने वाले विद्यार्थ‍ियों को दी जाएगी नि:शुल्‍क साइकिल। 15 लाख से अधिक विद्यार्थ‍ियों को मिलेगी नई ऊर्जा, नई रफ्तार, समानता और सुविधा की ओर बढ़ता मध्‍यप्रदेश। 6वीं और 9वीं के छात्रों को मिलेगा लाभ  बताया जा रहा है कि साइकिल वितरण को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी स्कूलों में दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 में उन स्कूली छात्रों को साइकिल दी जाएगी जो अपने गांव से किसी दूसरे गांव या फिर शहर में पढ़ाई के लिए आते हैं. उन सभी को शासन की तरफ से साइकिलें दी जाएगी. हालांकि जो इन क्लासों में फिर से एंट्री ले रहे हैं उन छात्रों को योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा. बता दें कि ग्रामीण क्षेत्र में कई स्कूलों की दूरी 2 किलोमीटर से ज्यादा की होती है, ऐसे में इन छात्रों को साइकिलों की सुविधा दी जाती है. एमपी सरकार में पहले भी यह योजना थी.  खास बात यह है कि 6वीं के छात्रों को 18 इंच और 9वीं के छात्रों को 20 इंच की साइकिलें दी जाएगी. फ्री में साइकिल दिए जाने की योजना की पूरी जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग के 3.0 पोर्टल पर भी जारी की गई है, जहां कोई भी छात्र या उनके परिजन इसकी जानकारी ले सकते हैं. बताया जा रहा है कि फ्री में साइकिल दिए जाने की योजना की पूरी जानकारी सभी जिलों में कलेक्टरों, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा केंद्र समन्वयक को भेजी गई है, जबकि इनकी तरफ से यह जानकारी स्कूलों में भेज दी गई है.  आने जाने की समस्या होगी दूर  स्कूली छात्रों को साइकिल का लाभ मिलने से उन्हें स्कूल तक आने जाने में फायदा होगा, यानि छात्र आसानी से स्कूल के लिए समय से निकल सकेंगे और समय से आ भी सकेंगे. ऐसे में मध्य प्रदेश में स्कूली छात्रों को फ्री साइकिल योजना का लाभ मिलना अहम माना जा रहा है.