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स्कूली गतिविधि के साथ शिक्षकों की फोटो भी विभाग को उपलब्ध करने का निर्देश

–    स्कूलों को उपलब्ध कराने होंगे चेतना सत्र, मध्याहन भोजन, विज्ञान एवं आईसीटी लैब की कक्षाओं के साथ शिक्षकों के भी ग्रुप फोटो पटना, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं की ससमय उपस्थिति और उनके कार्यकलापों की निगरानी के सम्बन्ध में जिला शिक्षा पदाधिकारियों के लिए गुरुवार को एक नया निर्देश जारी किया है। दरअसल, शिक्षा विभाग ने अपने कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को यह निर्देश दिया है कि वह स्कूलों से समय-समय पर विद्यालयों के कार्यकलापों की तस्वीरें मंगाई जाएं। लेकिन इस निर्देश के बावजूद राज्य के कई स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों ने कॉल सेंटर के ऑपरेटर से इस संबंध में लिखित पत्र की मांग की है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि कमांड एंड कंट्रोल सेंटर द्वारा फोटो मांगे जाने पर उसे निश्चित रूप से फोटो उपलब्ध कराया जाए। यदि किसी को कॉलर के संबंध में कोई शक हो तो कमांड एंड कंट्रोल सेन्टर के 14417 अथवा 18003454417 पर सम्पर्क कर उसे कंफर्म कर सकते हैं। अपर मुख्य सचिव ने स्कूलों में चेतना सत्र, मध्याहन भोजन योजना, भौतिकी, रसायनशास्त्र, जीव विज्ञान, आईसीटी लैब की कक्षाओं से संबंधित, स्कूल के शौचालय की स्थिति, स्कूल की कार्यावधि में शिक्षकों का ग्रुप फोटो कमांड एण्ड कंट्रोल सेन्टर को उपलब्ध कराया जाए। दरअसल, विभाग के अपर मुक्य सचिव को ऐसी शिकायतें प्राप्त हुई हैं कि कुछ स्कूलों से शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर लापता हो जाते हैं। उन्होंने संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि ऐसे शिक्षकों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाए। साथ ही इस संबंध में विद्यालय प्रधान को भी सूचित किया जाए।

राज्य की हरियाली संवारने में अहम भूमिका निभा रही हैं जीविका दीदियां

-2019 में शुरू जल-जीवन-हरियाली अभियान को दीदियों ने दिया जनांदोलन का रूप – ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण दोनों को मिल रही मजबूती पटना, बिहार में सामाजिक परिवर्तन की अग्रदूत बनीं जीविका दीदियां, जिन्होंने शराबबंदी, दहेज प्रथा और बाल-विवाह जैसी बुराइयों के खिलाफ जागरूकता फैलाकर गांव-गांव में नई सोच जगाई है, अब पर्यावरण बचाने की मुहिम में भी सक्रिय हो गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2019 में आरंभ किया गया जल-जीवन-हरियाली अभियान आज पूरे राज्य में जनांदोलन के रूप में खड़ा है। इस अभियान को सफल बनाने में जीविका दीदियों ने हरित जीविका-हरित बिहार कार्यक्रम के अंतर्गत करोड़ों पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण की ऐतिहासिक पहल की है। चार करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए राज्य के ग्यारह लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी एक करोड़ चालीस लाख से अधिक दीदियों ने अब तक चार करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए हैं। पौधों की लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दीदी की नर्सरी की शुरुआत की गई। आज जीविका दीदियों द्वारा संचालित नर्सरियों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ महिलाओं की श्रम भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में भी नेतृत्व का कार्य कर रही हैं। 987 दीदी की नर्सरी संचालित जीविका, मनरेगा और वन एवं पर्यावरण विभाग के सहयोग से पूरे राज्य में अब तक 987 दीदी की नर्सरियां संचालित हो चुकी हैं। इनमें 677 नर्सरियां जीविका व मनरेगा की साझेदारी से और 310 नर्सरियां वन विभाग के सहयोग से चल रही हैं। गौर करने वाली बात है कि 2019-20 में इनकी संख्या मात्र 350 थी, जो पांच साल में करीब तीन गुना बढ़ गई है। लाखों पौधों की आपूर्ति और करोड़ों की आय दीदी की नर्सरी से विभिन्न प्रजातियों के औसतन 20 हजार पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं। हर वर्ष जून से अक्टूबर के बीच बड़े पैमाने पर पौधों का वृक्षारोपण होता है। वर्तमान में नर्सरियों में तीन फीट से अधिक ऊंचाई वाले 68 लाख 80 हजार पौधे और तीन फीट से कम ऊंचाई वाले एक करोड़ 19 लाख 48 हजार से अधिक पौधे उपलब्ध हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 95.32 लाख पौधों की बिक्री से 18.27 करोड़ रुपये की आय हुई थी।अबतक कुल 67 करोड़ रुपये की आमदनी नर्सरी संचालक दीदियों को हुई है। 97 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2024-25 में हरित जीविका-हरित बिहार अभियान के तहत 82 लाख पौधे लगाए गए। वहीं, वर्ष 2025-26 के लिए जीविका दीदियों ने 97 लाख पौधारोपण का लक्ष्य तय किया है। जून माह से चल रहे अभियान में अब तक 23 लाख से अधिक पौधे लगाए भी जा चुके हैं। गौरतलब है कि जीविका दीदियों के प्रयास से न केवल बिहार का पर्यावरण और हरियाली बढ़ रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं की सतत आजीविका भी सुदृढ़ हो रही है। जल-जीवन-हरियाली अभियान के साथ अब बिहार की महिलाएं पर्यावरण संरक्षण की सबसे बड़ी भागीदार बन चुकी हैं।

महोदय, शिक्षिका 12 बजे स्कूल आती हैं और दो बजे घर लौट जाती हैं

–    नाम छुपाने की शर्त पर सिवान के रघुनाथपुर के एक ग्रामीण ने दर्ज कराई है विभाग में शिकायत –    लिखा, शिक्षिका का परिवार दबंग है, नाम उजागर होने पर हो सकता है मेरी जान को खतरा     पटना, शिक्षा विभाग के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को ग्रामीणों के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति और कार्यकलापों को लेकर कई तरह की शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही हैं। ऐसी एक शिकायत सिवान के रघुनाथपुर स्थित हाई स्कूल सह इंटर कॉलेज, निखती कलां से प्राप्त हुई है। यह शिकायत वहां के एक स्थानीय ग्रामीण ने वहां कार्यरत एक शिक्षिका सुश्री गीतांजलि के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराई है।        उक्त ग्रामीण का कहना है कि शिक्षिका गीतांजलि का निवास विद्यालय से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। किंतु उन्होंने अपने एक नज़दीकी रिश्तेदार  जो विद्यालय से लगभग 500 मीटर दूरी पर रहते हैं। शिक्षिका ने उनके घर पर अपना मोबाइल रख छोड़ा है। उसी रिश्तेदार द्वारा प्रतिदिन उनकी हाजिरी मोबाइल ऐप से बनाई जाती है, जबकि शिक्षिका विद्यालय में समय पर उपस्थित नहीं रहतीं। वह कभी 11 बजे तो कभी 12 बजे स्कूल आती हैं। कभी आती ही नहीं हैं और दोपहर 2 से 3 बजे ही विद्यालय से चली जाती हैं। जब प्रधानाध्यापक ने उनके खिलाफ सख्ती दिखाई, तो उक्त शिक्षिका एवं उनके रिश्तेदारों द्वारा प्रधानाध्यापक को ही जान से मारने की धमकी देने लगे।      इस व्यक्ति ने विद्यालय के कुछ फोटो भी बतौर साक्ष्य उपलब्ध कराए हैं जिससे उसके आरोपों की पुष्टि होती है। शिक्षा विभाग की जांच में पाया गया कि उक्त शिक्षिका ने अपनी कई दिनों की हाजिरी एक ही पृष्ठभूमि यानी बैकग्राउंड में बनाई गई है। किसी दिन सुबह और शाम की हाजिरी की फोटो में कपड़े भी अलग-अलग हैं। कभी-कभी तो शिक्षिका की जगह किसी पुरुष का फोटो भी हाजिरी में दर्ज है। उनका हाजिरी लोकेशन भी हमेशा 400 मीटर से अधिक दूरी दर्शाता रहा है। उक्त शिकायतकर्ता का कहना है कि इस विषय की जानकारी बीआरसी और जिलास्तर के पदाधिकारियों को भी है, लेकिन दबंग रिश्तेदारों के कारण कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उसने यह भी बताया है कि इस मामले में स्थानीय स्तर पर शिकायत करने पर मेरी सुरक्षा को खतरा है। इस वजह से निवेदन किया गया है कि इस शिकायत को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाए और साक्ष्यों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाए।

किशनगंज में जीविका दीदियों ने संभाली टी प्रोसेसिंग एंड पैकेजिंग इकाई की कमान

– महानंदा लीफ से बनेगी किशनगंज की चाय की पहचान – बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की जीविका दीदियाँ करेंगी टी फैक्ट्री का संचालन पटना,  किशनगंज के पोठिया में गुरुवार को  महानंदा जीविका महिला एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा संचालित टी प्रोसेसिंग एंड पैकेजिंग इकाई का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर जीविका की अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने कहा कि यह इकाई जिले के चाय पत्ता उत्पादक किसानों और जीविका दीदियों के लिए आर्थिक स्वावलंबन का मजबूत आधार बनेगी। उन्होंने बताया कि अब हमारी दीदियाँ टी फैक्ट्री का संचालन करेंगी और आने वाले समय में महानंदा लीफ ब्रांड के नाम से यहां तैयार चाय देश-विदेश में अपनी पहचान बनाएगी। कार्यक्रम में जिला पदाधिकारी विशाल राज ने बताया कि यह इकाई स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत कालिदास किस्मत, कचकेचिपाड़ा, पोठिया में स्थापित की गई थी। राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा इकाई को जीविका को हस्तांतरित करना किसानों के हित में साबित होगा। जीविका संपोषित महानंदा जीविका महिला एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की दीदियाँ इसका संचालन करेंगी। लाभार्थी दीदियों को सामुदायिक निवेश निधि, बैंक लिंकेज और इंडिविजुअल इंटरप्राइज के लिए सांकेतिक चेक प्रदान किया गया। वहीं खुशी सीएलएफ अंतर्गत दीदी अधिकार केंद्र शुभारंभ के लिए डमी चाबी सौंपी गई। स्थानीय किसान शिखा और आरती दीदी ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि महानंदा जीविका महिला एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के गठन से चाय उत्पादक किसानों को अब उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल रहा है और वे बिचौलियों से मुक्त हुए हैं। इस अवसर पर उप विकास आयुक्त स्पर्श गुप्ता, जीविका निदेशक उद्यम विनय कुमार राय, डीपीएम अनुराधा चंद्रा सहित जीविका एवं जिला प्रशासन के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

बिहार में ग्रामीण सड़कों के निर्माण से कम हुई गांवों से शहरों की दूरी

–    नाबार्ड के सहयोग से राज्य की 2025 ग्रामीण सड़कों में 1859 पर फर्राटा भर रहे हैं छोटे बड़े वाहन –    कुल 1235 ग्रामीण पुलों में 910 पुलों का भी निर्माण कार्य पूर्ण, ग्रामीण कार्य विभाग ने जारी की सड़कों के निर्माण की प्रगति रिपोर्ट    पटना, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की मदद से बिहार में निर्मित ग्रामीण सड़कों और पुलों का संजाल बुनने का काम अब लगभग अपने अंतिम चरण में है। राज्य में बड़ी संख्या में ग्रामीण सड़कों के निर्माण से गांवों की तस्वीर तो बदली ही है, साथ ही राज्य के सुदूर गांवों से शहरों की दूरी लगातार कम गई है। साथ ही राज्य के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को यह सड़कें नई रफ़्तार दे रही हैं। नाबार्ड के सहयोग से इस राज्य योजना के तहत विभिन्न जिलों में स्वीकृत सड़कों के निर्माण की ग्रामीण कार्य विभाग ने जिलावार प्रगति रिपोर्ट गुरुवार को जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में राज्य की कुल 2025 ग्रामीण सड़कों के निर्माण की विभाग ने प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की थी। जिसमें 1859 सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। इन 2025 सड़कों की कुल लम्बाई 5254.490 किलोमीटर है, जिसमें 4822.474 सड़कों का निर्माण कर लिया गया है। इसी तरह, राज्य में ग्रामीण सड़कों के साथ-साथ कुल 1235 पुलों के निर्माण का लक्ष्य भी नाबार्ड के सहयोग से निर्धारित किया गया था। जिसमें अबतक कुल 910 पुलों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। शेष 325 पुलों का निर्माण का कार्य जारी है और इसे अगले कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। नालंदा समेत इन जिलों का प्रदर्शन शानदार ग्रामीण कार्य विभाग के स्तर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार ग्रामीण सड़कों के निर्माण में नालंदा जिला सबसे आगे है। जहां कुल 214 सड़कों की स्वीकृति में से 199 सड़कों का निर्माण पूरा किया जा चुका है। नालंदा में 370 किलोमीटर से भी अधिक सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। जबकि लक्ष्य 396.194 किलोमीटर सड़क के निर्माण का है। साथ ही, नालंदा में 67 पुल का निर्माण किया जाना था, जिसमें 59 पुल बनकर तैयार हो चुके हैं। वहीं, गयाजी में कुल 129 सड़कों के निर्माण की मिली स्वीकृति के विरुद्ध 120 सड़कों का निर्माण हो चुका है। गयाजी में कुल 395.245 किलोमीटर लंबाई की सड़कें बनाने का लक्ष्य निर्धारित है। जिसके विरुद्ध अबतक 365.782 किलोमीटर सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है। जबकि गयाजी में निर्माणाधीन 57 पुलों में 46 पुलों का निर्माण भी पूरा हो चुका है। वहीं, राजधानी पटना जिला में कुल 167 ग्रामीण सड़कों के निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। जिनमें से 157 सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। पटना में कुल 363.767 किमी से अधिक ग्रामीण सड़कों के निर्माण का लक्ष्य है। जबकि इस लक्ष्य के विरुद्ध कुल 329.708 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जा चुका है। पटना के ग्रामीण इलाकों में निर्माणाधीन कुल 54 पुलों में 46 पुल बनकर तैयार हो चुके हैं। वहीं, औरंगाबाद में कुल 244.856 किलोमीटर, दरभंगा में 235.740 किमी, पूर्वी चंपारण में 230.772 किमी, मुंगेर में 202.814 किमी, रोहतास में 176.462 किमी, जहानाबाद में 169.606 किमी, सीतामढ़ी में 151.346 किमी, मुजफ्फरपुर में 139.682 किमी सड़कों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। वहीं, जमुई, मधुबनी, समस्तीपुर, गोपालगंज, किशनगंज और नवादा में भी ग्रामीण सड़कों के निर्माण का काम लगभग पूर्ण हो चुका है।

बिहार में जनता का गुस्सा, नित्यानंद राय ने राहुल और तेजस्वी पर साधा निशाना

पटना  केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के समर्थकों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए दोनों पार्टियों को कटघरे में खड़ा करते हुए राहुल गांधी और तेजस्वी यादव से बिहार और देश के लोगों से माफी मांगने की बात कही। उन्होंने कहा, "बिहार के लोग यह कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के मंच से टिप्पणी की जाए।" केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे विपक्ष के नेता बनने के लायक नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 'वोटर अधिकार यात्रा' के नाम पर देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विरोधी दलों के लोगों ने 'वोटर अधिकार यात्रा' को गाली-गलौज करने का मंच बनाकर रख दिया है। आजकल राहुल गांधी और तेजस्वी यादव संविधान की कॉपी जेब में लेकर घूम रहे हैं, लेकिन इन लोगों ने संविधान को मजाक बनाकर रख दिया है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को नहीं मालूम है कि प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक है? प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, किसी पार्टी के नहीं? उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर तत्काल माफी मांगें, अन्यथा भारतीय जनता पार्टी चुप नहीं बैठेगी। बिहार के 14 करोड़ लोगों में जबरदस्त गुस्सा है और इसका जवाब जनता देने के लिए तैयार है।

पशुपालन से जुड़े व्यवसायों में सरकार देगी सहायता

* पशुपालन से जुड़े व्यवसायों में सरकार देगी आर्थिक सहायता, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर * किसानों को पशुपालन से जुड़ी योजनाओं में 50 प्रतिशत तक मिलेगी सब्सिडी * पशुपालन से जुड़े उद्यमों को शुरू करने में महत्वपूर्ण सहायता साबित होगी यह योजना * चारा प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी सरकार पटना, बिहार सरकार के पशुपालन निदेशालय ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) के अंतर्गत उद्यमिता विकास कार्यक्रम (एनएलएम-ईडीपी) की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना और पशुपालन को व्यावसायिक रूप से मजबूत बनाना है।       इस कार्यक्रम के तहत किसानों, स्वयं सहायता समूहों, किसान उत्पादक संगठनों, सहकारिता संगठनों, और निजी उद्यमियों को पशुपालन से जुड़े व्यवसायों में सरकार के स्तर से सहायता प्रदान की जाएगी।       इस कार्यक्रम का मकसद रोजगार सृजन और उत्पादकता वृद्धि करना है। जुगाली करने वाले छोटे पशु, कुक्कुट और सूअर पालन क्षेत्र और चारा क्षेत्र में उद्यमिता विकास के माध्यम से रोजगार का सजृन करना है। नस्ल सुधार के जरिए प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि करना है। मांस, अंडा, बकरी का दूध, ऊन और चारे के उत्पादन को बढ़ाना है। चारा बीज आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त बनाकर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना।       मांग आपूर्ति के अंतर को कम करने के लिए चारा प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना को प्रोत्साहित करना भी इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य है। इसके साथ ही किसानों के लिए पशुधन बीमा सहित जोखिम प्रबंधन उपायों को बढ़ावा देना। मुर्गी, भेड़, बकरी पालन और चारा प्राथमिकता वाले क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना। उत्पादन लागत को कम करने और पशुधन क्षेत्र के उत्पादन में सुधार के लिए कौशल आधारित प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकियों के प्रसार को बढ़ावा देना भी इसके प्रमुख उद्श्यों में शामिल है।        इस कार्यक्रम के तहत योजनाओं में लाभार्थियों को अधिकतम 50% कैपिटल सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जो पशुपालन से जुड़े उद्यमों को शुरू करने में महत्वपूर्ण सहायता साबित होगी। माना जा रहा है ति यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार होगी।       अधिक जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति http://nlm.udyamimitra.in या www.dahd.nic.in वेबसाइट पर संपर्क कर सकते हैं। उद्यमिता विकास कार्यक्रम बिहार के किसानों और पशुपालकों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो न केवल रोजगार उत्पन्न करेगा बल्कि पशुधन क्षेत्र को आधुनिक बनाएगा।

19 करोड़ की लागत से वैशाली गोरौल-सोन्धो-मथनामल सड़क चौड़ीकरण-मजबूतीकरण को स्वीकृति : सम्राट चौधरी

* गोरौल-सोन्धो-मथनामल सड़क चौड़ीकरण-मजबूतीकरण से आवागमन सुगम, रोजगार के बढेंगे अवसर * सड़कों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है डबल इंजन सरकार पटना, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि वैशाली पथ प्रमंडल- हाजीपुर अंतर्गत गोरौल–सोन्धो–मथनामल (12.66 किमी) सड़क के चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण कार्य को स्वीकृति प्रदान की गई है। इस परियोजना पर कुल 1951.63 लाख यानि उन्नीस करोड़ इक्यावन लाख रुपये तिरेसठ हजार रुपये की लागत आएगी।  चौधरी ने कहा कि सड़क चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण से स्थानीय लोगों को बेहतर यातायात सुविधा मिलेगी, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी मजबूत होगी और आर्थिक-सामाजिक विकास को गति मिलेगी। सम्राट चौधरी ने कहा- बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की डबल इंजन सरकार सूबे में सड़कों के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। 2005 की तुलना में बिहार में विशाल सड़क नेटवर्क तैयार हुआ है। इसी कड़ी में वैशाली गोरौल-सोन्धो-मथनामल सड़क के चौड़ीकरण-मजबूतीकरण को स्वीकृति प्रदान की गई है। इस परियोजना के पूर्ण होने से वैशाली क्षेत्र के लोगों को बेहतर सड़क सुविधा मिलेगी साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

पटना साहिब की जंग: नंद किशोर यादव को BJP ने सौंपी कमान, कांग्रेस ने दिखाया दमखम

पटना सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंंद सिंह जी की जन्मस्थली पटना साहिब की व्यापारिक गतिविधियों के लिए भी खास पहचान है। यहां मारुफगंज, मंसूरचक, रामबाग, मच्छरहट्टा जैसे मोहल्लों में अनाज-मसाले से लेकर शृंगार व छोटे खिलौनों की थोक मंडी और बड़ी संख्या में कुटीर उद्योग हैं। पहले इसे पटना पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद यह क्षेत्र पटना साहिब बन गया। कांग्रेस, जनसंघ और समाजवादियों को बारी-बारी से मौका देने वाला यह विधानसभा क्षेत्र पिछले साढ़े तीन दशक से भाजपा का गढ़ है। इस सीट से भाजपा के नंदकिशोर यादव पिछले सात चुनावों से लगातार जीत रहे हैं। वह बिहार विधानसभा के अध्यक्ष हैं और इस लिहाज से पटना साहिब महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। नंद किशोर यादव इस बार चुनाव मैदान में आठवीं बार यहां उतरने वाले हैं। 1957 में अस्तित्व में आए पटना पूर्वी क्षेत्र में 1990 तक नौ विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक पांच बार कांग्रेस जीती। भारतीय जनसंघ को दो और जनता पार्टी तथा जनता दल को एक-एक बार सफलता मिली। 1995 में इस सीट पर पहली बार नंदकिशोर यादव जीते। तब से यह भाजपा का गढ़ बना है। इस बार चुनाव में यह सीट इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के खाते में आने के आसार हैं। 90 के दशक के बाद कांग्रेस पहली बार विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर दिख रही है। एक-एक सीट का आकलन हो रहा है। कांग्रेस पटना साहिब में किसे उम्मीदवार बनाती है, यह भी अहम पहलू होगा। उधर, जनसुराज ने भी सक्रियता बढ़ाई है और चुनाव संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। नंदकिशोर यादव क्षेत्र से लगाव व विकास कार्यों की बदौलत फिर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं। कहते हैं, क्षेत्र का चहुंमुखी विकास मेरा सपना है। उम्मीद है कि जात-पात से ऊपर उठ इस बार भी जनता हमें आशीर्वाद देगी। प्रतिद्वंद्वी दल सामाजिक समीकरण साधने के साथ वे मुद्दे भी उठा रहे हैं, जो विकास से अछूते हैं। 2015 के चुनाव में कांटे की टक्कर नंदकिशोर यादव को क्षेत्र के लोग ‘नंदू भइया’ से भी बुलाते हैं। वह पथ निर्माण, स्वास्थ्य, पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा था, जब जदयू, राजद व कांग्रेस का महागठबंधन था। राजद ने उनके शिष्य रहे संतोष मेहता को उतारा और मुकाबला इस कदर कांटे का रहा कि नंदकिशोर यादव के सिर महज 2792 मतों से जीत का सेहरा बंधा। चुनावों में नंद किशोर यादव के सामने प्रतिद्वंद्वी पार्टी और चेहरा बदलता रहा। 1995 में उनके सामने राजद के रामलखन सिंह यादव थे तो 2000 में उनका सामना राजद के ही ज्ञानेन्द्र कुमार ज्ञानू से हुआ। इसी तरह 2005 में हुए दो चुनावों में उनके सामने राजद ने भारती यादव (फरवरी) और अनिल यादव (नवंबर) को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस ने 2010 के चुनाव में परवेज अहमद को टिकट दिया, जबकि 2015 में राजद ने संतोष मेहता तो 2020 में कांग्रेस ने प्रवीण कुशवाहा को मैदान में उतारा था। नंद किशोर यादव जी बिहार में कई विभागों के मंत्री रहे। अभी विधानसभा के अध्यक्ष हैं। बिहार की राजनीति में जितना बड़ा उनका चेहरा है, उसके मुताबकि पटना साहिब का विकास नहीं हुआ। पटना सिटी के इलाके में आवागमन सुगम नहीं हो सका। कई इलाकों में लोग जलजमाव से त्रस्त हैं। अपराध भी बेलगाम है। -प्रवीण सिंह कुशवाहा, कांग्रेस प्रत्याशी पटना साहिब के विधायक सह बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कहा कि जातपात से ऊपर उठकर मैं विकास की राजनीति करता हूं। पटना साहिब में सड़कों के निर्माण के लिए 125 करो़ड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गयी है। मंगल तालाब के सौन्दर्यीकरण अगले माह शुरू हो जाएगा। गंगा पाथ के निर्माण से जाम से काफी राहत मिली है। पटना घाट समेत अन्य सड़कों का निर्माण पूरा हो जाने से आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी। पांच साल में दिखा यह बदलाव ● जेपी गंगा पथ का दीदारगंज तक विस्तार ● गायघाट से पटना घाट तक लिंक रोड का निर्माण ● गायघाट में आईआईटी की स्थापना ● मंगल तालाब पाटलिपुत्र में इंडोर स्टेडियम का निर्माण ● गुरु गोविंद सिंह अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा वायदे, जो पूरे नहीं हुए – : ● अशोक राजपथ और उससे सटे इलाकों को जाम से मुक्ति नहीं ● बरसात में जल्ला के कृषि योग्य भूमि को जलजलाव से निजात नहीं ● कुटीर उद्योगों का दायरा बढ़ने की जगह सिमट रहा है ● छोटी पहाड़ी और महादेव स्थान के पास अंडरपास नहीं बना ● अंतरराज्यीय बस स्टैंड बना पर जाम की समस्या का नहीं हुआ निदान कब-कौन जीता 1957 – जेहरा अहमद (कांग्रेस) 1962 – जेहरा अहमद (कांग्रेस) 1967 – रामदेव महतो (भारतीय जनसंघ) 1969 – रामदेव महतो (भारतीय जनसंघ) 1972 – जमील अहमद (कांग्रेस) 1977 – रामदेव महतो (जनता पार्टी) 1980 – शरत कुमार जैन (कांग्रेस) 1985 – शरत कुमार जैन (कांग्रेस) 1990 – महताब लाल (जनता दल) 1995 – नंद किशोर यादव (भाजपा) अबतक  

NH-107 अपग्रेडेशन को हरी झंडी, 22 करोड़ से काझी पथ होगा और मजबूत

पटना बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने गुरूवार को बताया कि पथ प्रमंडल पूर्णियां अंतर्गत एन.एच.-107 से काझी (कुल लंबाई 6.000 किमी) पथ चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण कार्य को स्वीकृति प्रदान की गई है। सम्राट चौधरी ने बयान जारी कर बताया कि इस योजना की लागत 22 करोड़ 61 लाख 70 हजार रुपये आएगी। उन्होंने कहा कि पथ निर्माण विभाग से तकनीकी स्वीकृति मिलने के बाद निविदा प्रक्रिया पूरी कर जल्द ही कार्य प्रारंभ कराया जाएगा। इसके क्रियान्वयन और खर्च की जिम्मेदारी पथ प्रमंडल पूर्णिया के कार्यपालक अभियंता को दी गई है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में डबल इंजन वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार, सड़कों के बुनियादी ढ़ांचे को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। यही वजह है कि बिहार में सड़कों का विशाल नेटवर्क तैयार हुआ है। हाल में ही सरकार ने पूर्णिया जिले के पथ प्रमंडल अंतर्गत एनएच-107 के चेथरीयपीर चौक से चम्पानगर भाया धनहरा, कुम्हारटोला, जंगैली, जगनी तक कुल 7.653 किलोमीटर सड़क के चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण कार्य को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की थी और अब इसी कड़ी में 22 करोड़ 61 लाख 70 हजार रुपये की लागत से पूर्णिया में एन.एच.-107 से काझी पथ का चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण कार्य को स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि काझी पथ का चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण जहां आवागमन सुगम होगा वहीं रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।