बैरबी-सायरंग रेल परियोजना से म्यांमार बॉर्डर तक बढ़ेगा रेल मार्ग, आइजोल जुड़ा राष्ट्रीय नेटवर्क से, PM करेंगे उद्घाटन
मिजोरम मिजोरम के एयरपोर्ट से पहली बार रेलवे स्टेशनों की कनेक्टिविटी होने जा रही है. इससे यात्रियों को काफी सहूलियत मिलेगी. ट्रेन 48 सुरंगों और 150 से ज्यादा पुलों से होकर गुजरेगी. इससे यात्री रोमांचक सफर का आनंद ले सकेंगे. देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचने वाले पर्यटकों के पास मिजोरम घूमने के बाद असम जाने के लिए सीमित विकल्प थे. अब 13 सितंबर से पर्यटकों को कई तरह की सहूलियत मिलनी शुरू हो जाएगी.मिजोरम की राजधानी आइजोल पहली बार भारतीय रेलवे के नेटवर्क से जुड़ गई है। अब यह रेल लाइन आगे बढ़कर म्यांमार बॉर्डर तक जाएगी। जिसका सर्वे किया जा रहा है। अभी तक जो पर्यटक मिजोरम घूमने के लिए आते हैं, वे राजधानी के आइजोल के लेंगपुई एयरपोर्ट पर उतरते हैं. मिजोरम घूमने के बाद अगर यहीं से वे असम घूमने जाना चाहें तो उनके पास केवल 2 ही विकल्प होते थे. या तो वे सड़क मार्ग से सीधे असम के सिलचर तक पहुंच सकते हैं या फिर मिजोरम के एक मात्र रेलवे स्टेशन बइरबी तक सड़क मार्ग से जाकर वहां से फिर ट्रेन पकड़कर असम में कदम रख सकते हैं. अब 13 सितंबर के बाद पर्यटकों की इन समस्याओं का समाधान होने जा रहा है. 13 सितंबर को पीएम करेंगे उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को इस परियोजना का उद्घाटन करेंगे और पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। खासबात है कि लगभग 8071 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह रेल लाइन न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगी बल्कि मिजोरम के आर्थिक और पर्यटन विकास को भी नई दिशा देगी। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह लाइन राज्य के लिए लाइफलाइन साबित होगी। खास बात यह है कि इस रेल लाइन के शुरू होने से आइजोल से सिलचर तक का सफर सड़क मार्ग से 7 घंटे के बजाय ट्रेन से सिर्फ 3 घंटे में तय होगा। दावा किया जा रहा है कि, यह रेल लाइन न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएगी बल्कि मिजोरम के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगी। कुतुबमीनार से भी ऊंचा ब्रिज इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना इस बैराबी-सैरांग रेल लाइन को देश की सबसे कठिन परियोजनाओं में गिना जा रहा है। इस ट्रैक पर 48 सुरंगें बनाई गई हैं, जिनकी कुल लंबाई 12.8 किलोमीटर है। इसके अलावा बड़े और छोटे 142 ब्रिज तैयार किए गए हैं। इनमें से सबसे ऊंचा ब्रिज 104 मीटर का है, जो कुतुबमीनार से भी ऊंचा है और भारतीय रेलवे का दूसरा सबसे ऊंचा ब्रिज माना जा रहा है। इस लाइन पर पांच रोड ओवरब्रिज और छह अंडरपास भी बनाए गए हैं। पूरी परियोजना को आधुनिक तकनीक से डिजाइन किया गया है, जिससे ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकेगी। खुलेगा आर्थिक विकास का नया रास्ता, मिलेगी मजबूती रेलवे से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह रेल लाइन मिजोरम के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाएगी। इसकी वजह से राज्य की जीडीपी में हर साल 2-3 फीसदी की बढ़ोतरी संभव है। वर्तमान में 25 हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था वाले इस राज्य को इस परियोजना से करीब 500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सालाना आमदनी होगी। बताया जा रहा है कि इस नई लाइन से कोलकाता, अगरतला और दिल्ली तक सीधी ट्रेनों का रास्ता खुल जाएगा, जिससे व्यापार, पर्यटन और रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे। 26 साल में पूरा हुआ सपना, चुनौतियां -रेलवे अधिकारियों के अनुसार इस परियोजना का काम 1999 में शुरू हुआ था। लेकिन मिजोरम की दुर्गम भौगोलिक स्थिति, घने जंगलों और भारी बारिश के कारण निर्माण बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। कई बार सर्वे रिपोर्ट बदली गई। इस पर सालभर में केवल 4-5 महीने ही काम हो पाता था। भारी मशीनों को छोटे हिस्सों में बांटकर पहाड़ियों तक पहुंचाना पड़ा और निर्माण सामग्री असम व पश्चिम बंगाल से लाई गई। वर्ष 2008-09 में इसे नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा मिला और वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने इसका शिलान्यास किया। इसके बाद तेजी आई और अब यह परियोजना पूरी हो गई है। परियोजना की खासबात-लागत: 8071 करोड़ रुपए -लंबाई: 51.38 किमी -गति: 100 किमी/घंटा -सुरंगें: 48 (12.8 किमी) -ब्रिज: 142 (55 बड़े, 87 छोटे) -सबसे ऊंचा ब्रिज: 104 मीटर -स्टेशन: हार्तुकी, कौनपुई, मुलखांग, सैरांग 51 किलोमीटर की नई रेल लाइन पर बने 4 स्टेशन : पर्यटकों को असम जाने के लिए सड़क मार्ग के अलावा एयरपोर्ट से कुछ ही दूरी पर बनाए गए रेलवे स्टेशन से ट्रेन मिलनी शुरू हो जाएगी. आइजोल के लेंगपुई एयरपोर्ट से पहले रेलवे स्टेशन की दूरी सिर्फ 25 किलोमीटर होगी, जो कुछ ही देर में आसानी से तय की जा सकती है. एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन का रूट भी एक ही है. इससे पर्यटकों को ट्रेन पकड़ने के लिए इधर उधर भटकने की आवश्यकता भी नहीं होगी. 51 किलोमीटर की नई रेल लाइन पर 4 नए रेलवे स्टेशन बनाए गए हैं. ईटीवी भारत ने इन चारों रेलवे स्टेशनों का विस्टाडोम कोच से दौरा किया. जानने का प्रयास किया कि इस रूट पर बने चारों स्टेशनों की वर्तमान स्थिति क्या है… विस्टाडोम कोच से दिखे मनमोहक नजारे : राजधानी आइजोल से तकरीबन 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पहला रेलवे स्टेशन. इसका नाम सायरंग रेलवे स्टेशन है. आइजोल से ईटीवी रिपोर्टर सड़क मार्ग से होते हुए पहले सायरंग रेलवे स्टेशन पहुंचे. यहां से 196 नंबर के कुतुबमीनार से भी 42 मीटर ऊंचे ब्रिज के पास से विस्टाडोम कोच से बइरबी रेलवे स्टेशन तक की 51.38 किलोमीटर की दूरी तय की. इस रूट पर अद्भुत नजारे विस्टाडोम से देखने को मिले. ट्रैक की ऊंचाई इतनी है कि रास्ते भर पर्वत, पहाड़ और बादल आपस में गले मिलते हुए नजर आते हैं. हर पहाड़ पर बांस, केले और सुपारी के हरे भरे पेड़ आंखों को खूब सुहाते हैं. नया ट्रैक और रेलवे स्टेशन बनाने में इंजीनियरों की कारीगरी को सैल्यूट करते बनता है. मुआलखांग स्टेशन के पास बन रहे 2 हेलीपैड, आएंगे पीएम मोदी : पहाड़ों को काटकर ट्रैक तैयार किया गया है. जहां ये संभव नहीं था वहां पर सुरंगें बनाकर ट्रेन के लिए मार्ग तैयार किया गया है. सायरंग रेलवे स्टेशन अभी बनाकर तैयार हो रहा है. यहां पर तेजी से काम चल रहा है. यहां से चलने पर पहला रेलवे स्टेशन आता है मुआलखांग रेलवे स्टेशन. ये स्टेशन बनकर तैयार … Read more