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चैतन्य बघेल ने जेल में मनाई दिवाली, बेटे से न मिल पाने पर भावुक हुए भूपेश बघेल

रायपुर  पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दीपावली के अवसर पर अपने बेटे चैतन्य बघेल से मिलने की अनुमति न मिलने पर भावुक हो गए। चैतन्य बघेल शराब घोटाले के आरोप में जेल में बंद हैं और उन्हें जमानत याचिका खारिज होने के बाद भी मिलने की इजाजत नहीं मिली। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक द्वेष और अमानवीय कृत्य बताते हुए भाजपा सरकार को घेरा है। शराब घोटाले में जेल में बंद बेटा दीपावली के शुभ अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने बेटे चैतन्य बघेल से मुलाकात की अनुमति न मिलने पर गहरा दुख व्यक्त किया है। चैतन्य बघेल शराब घोटाले के मामले में जेल में बंद हैं और इस दीपावली पर वे अपने पिता से मिल नहीं सके। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए भूपेश बघेल ने एक भावुक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर की। मोदी और शाह की कृपा से… उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि, 'दो दशक पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने बाबूजी को जेल भेजा था। लेकिन दीपावली के दिन उनसे मिलने की छूट मिल गई थी। पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कृपा से बेटा जेल में है। आज दीपावली है पर मुझे उससे मिलने की अनुमति नहीं है। बहरहाल, सबको दीपावली की शुभकामनाएं।' बीजेपी पर तीखा हमला इस ट्वीट के बाद कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेताओं ने इसे एक पिता की वेदना करार दिया और आरोप लगाया कि चैतन्य बघेल को फर्जी मामलों में फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक द्वेष के चलते दीपावली जैसे पवित्र दिन पर भी उन्हें अपने बेटे से मिलने नहीं दिया गया, जिसे उन्होंने अमानवीय कृत्य बताया। ऐसी भावना अस्वीकार कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, 'आज हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार के दिन भूपेश बघेल को अपने परिवार से मिलने से रोका गया। छत्तीसगढ़ की जनता इस तरह की भावना को स्वीकार नहीं करती है। भारतीय जनता पार्टी ने बदले की इंतहा को पार कर दिया है।' पिता की वेदना बता कर हमला कांग्रेस ने इस पूरे मामले को 'एक पिता की वेदना' बताते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगाया। उनका कहना है कि चैतन्य बघेल को 'फर्जी मुकदमों' के तहत गिरफ्तार किया गया है और दीपावली के दिन मिलने से रोकना जनता की भावनाओं के विपरीत है। क्या है पूरा मामला यह उल्लेखनीय है कि चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया था। ईडी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में लगभग 2,500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में उनका नाम शामिल है और वे इसमें लगभग 1,000 करोड़ रुपये के अवैध प्रबंधन में संलिप्त थे। उनके खिलाफ दाखिल की गई जमानत याचिका को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल ही में खारिज कर दिया था। इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही है और इसे भाजपा सरकार की बदले की कार्रवाई के रूप में पेश कर रही है। वहीं, भाजपा की ओर से इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है।  

ईडी गिरफ्तारी पर चुनौती: चैतन्य बघेल की याचिका हाईकोर्ट ने ठुकराई

बिलासपुर ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली चैतन्य बघेल की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच में यह निर्णय लिया गया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद 24 सिंतबर को फैसला सुरक्षित रखा गया था. याचिका में ईडी की कार्रवाई को असंवैधानिक और नियम विरुद्ध बताया गया था. ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन पर 18 जुलाई को भिलाई निवास से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया था। शराब घोटाले की जांच ईडी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू रायपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस घोटाले के कारण प्रदेश के खजाने को भारी नुकसान हुआ और करीब 2,500 करोड़ रुपये की अवैध कमाई (पीओसी) घोटाले से जुड़े लाभार्थियों की जेब में पहुंचाई गई। ईडी की जांच में पता चला है कि चैतन्य बघेल को शराब घोटाले के 16.70 करोड़ रुपये मिले हैं। उन्होंने इस पैसे का इस्तेमाल अपनी रियल एस्टेट फर्मों में किया है। इस पैसे का उपयोग उनके प्रोजेक्ट के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ भी मिलीभगत की और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के लिए किया, जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैटों की खरीद की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। बैंकिंग ट्रेल है जो इंगित करता है कि लेन-देन की प्रासंगिक अवधि के दौरान त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया। पहले से गिरफ्त में हैं कई बड़े चेहरे ईडी ने शराब घोटाला मामले में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, ITS अरुण पति त्रिपाठी और पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक कवासी लखमा को गिरफ्तार किया है। फिलहाल, मामले में आगे की जांच जारी है।

EOW की विशेष अदालत का फैसला — चैतन्य बघेल को शराब घोटाले में नहीं मिली जमानत

रायपुर छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की जमानत याचिका राजधानी रायपुर में EOW (इकोनॉमिक ऑफेंस विंग) की विशेष अदालत में खारिज कर दी गई है। इससे पहले बीते सोमवार को ही चैतन्य बघेल को विशेष अदालत में पेश किया गया था। अदालत ने सुनवाई के बाद उनकी जमानत याचिका अस्वीकृत कर दी और उन्हें 13 अक्टूबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया। बता दें कि EOW की ओर से चैतन्य बघेल को 14 दिन की कस्टोडियल रिमांड पर लेकर विस्तृत पूछताछ की जा चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी भी जारी है और मामले में गहन अनुसंधान किया जा रहा है। ED-EOW 90 दिनों में जांच पूरी करेगी। ED ने चैतन्य बघेल को जन्मदिन के दिन किया था गिरफ्तार ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन पर 18 जुलाई को भिलाई निवास से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया था। शराब घोटाले की जांच ईडी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू रायपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस घोटाले के कारण प्रदेश के खजाने को भारी नुकसान हुआ और करीब 2,500 करोड़ रुपए की अवैध कमाई (पीओसी) घोटाले से जुड़े लाभार्थियों की जेब में पहुंचाई गई। चैतन्य को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये नगद मिले ईडी की जांच में पता चला है कि चैतन्य बघेल को शराब घोटाले के 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। उन्होंने इस पैसे का इस्तेमाल अपनी रियल एस्टेट फर्मों में किया है। इस पैसे का उपयोग उनके प्रोजेक्ट के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ भी मिलीभगत की और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के लिए किया, जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के नाम पर अपने “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैटों की खरीद की आड़ में अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। बैंकिंग ट्रेल है जो इंगित करता है कि लेन-देन की प्रासंगिक अवधि के दौरान त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया। पहले से गिरफ्त में हैं कई बड़े चेहरे ईडी ने शराब घोटाला मामले में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, ITS अरुण पति त्रिपाठी और पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक कवासी लखमा को गिरफ्तार किया है। फिलहाल, मामले में आगे की जांच जारी है।

भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को झटका, HC ने खारिज की EOW ऐक्शन के खिलाफ याचिका

रायपुर छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले में आरोपी बनाए गए चैतन्य बघेल ने आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की कार्रवाई को गलत करार देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सोमवार को भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य की याचिका को छूट (लिबर्टी) के साथ खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि यदि चैतन्य बघेल को राहत चाहिए तो वे फ्रेश आवेदन पेश करें, जिसमें केवल अपने मामले से संबंधित प्रार्थना हो। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। वहीं एन. हरिहरन और हर्षवर्धन परगानिया ने चैतन्य बघेल की ओर से पैरवी की। याचिका EOW की जांच रिपोर्ट की वैधता को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी। इससे पहले ED की कस्टोडियल रिमांड समाप्त होने के बाद शनिवार 23 अगस्त को चैतन्य बघेल को कोर्ट में पेश किया गया था। जहां सुनवाई के बाद कोर्ट ने उन्हें तीसरी बार 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था। अब इस मामले में 6 सितंबर को अगली सुनवाई होगी। ईडी की कार्रवाई को लेकर भूपेश बघेल पहले सुप्रीम कोर्ट गए थे, जहां से उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी गई थी। 21 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) रायपुर जोनल कार्यालय की ओर से प्रेस नोट में बताया गया था कि ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन 18 जुलाई को भिलाई निवास से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया है। ईडी ने कथित शराब घोटाले की जांच ईडी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू रायपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस घोटाले के कारण प्रदेश के खजाने को भारी नुकसान हुआ और करीब 2,500 करोड़ रुपये की अवैध कमाई कथित घोटाले से जुड़े लाभार्थियों की जेब में पहुंची। पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में ED की ओर से उनकी गिरफ्तारी और हिरासत की कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका लगाई थी। याचिका में चैतन्य ने कहा था कि उनकी हिरासत गैरकानूनी है और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए उन्हें हाई कोर्ट जाने को कहा था। इसके बाद उन्होंने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई जिस पर 26 अगस्त तक ईडी से जवाब मांगा गया है।