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2025 में झारखंड पुलिस का अभियान: नक्सल और साइबर अपराध पर मजबूत कार्रवाई

रांची झारखंड पुलिस ने वर्ष 2025 के जनवरी से सितंबर माह तक नक्सल विरोधी अभियानों और साइबर अपराध नियंत्रण में जबरदस्त सफलता हासिल की है। आईजी अभियान माइकल राज एस ने पुलिस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि नक्सल विरोधी अभियान में कुल 157 हथियार बरामद हुए हैं। इनमें 58 हथियार पुलिस से लूटे गए थे जिसे बरामद करने में कामयाबी मिली है। आईजी ने कहा कि जनवरी से सितंबर तक नक्सलियों के कब्जे से 11,950 गोलियां, 18,884 डेटोनेटर, 394.5 किलोग्राम विस्फोटक और 39.53 लाख रुपए की लेवी राशि जब्त की गई है। इसके अलावा नक्सलियों द्वारा लगाए गए 228 आईईडी विस्फोटकों को नष्ट किया गया और 37 नक्सली बंकर ध्वस्त किए गए। इस अभियान में कुल 266 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस-नक्सली मुठभेड़ों में 32 नक्सली मारे गए, जिनमें दो सेंट्रल कमिटी के बड़े सदस्य विवेक उर्फ प्रयाग मांझी और अनुज उर्फ सहदेव सोरेन शामिल है। इन पर एक करोड़ रुपये का इनाम भी था। साथ ही 10 लाख के इनामी जोनल कमांडर साहेब राम मांझी उर्फ राहुल भी मुठभेड़ में मारा गया। माइकल ने साइबर अपराध के मामलों में भी बड़ी कार्रवाई का ब्यौरा दिया। अगस्त और सितंबर के बीच साइबर अपराध के 128 मामलों में 105 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से 139 मोबाइल फोन, 166 सिम काडर्, 60 एटीएम कार्ड और 2.81 लाख रुपए नकद बरामद हुए। माइकल ने बताया कि साल 2025 के पहले 9 महीनों में कुल 12,651 वारंट निष्पादित किए गए और 4,186 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान 413 वाहनों, 136 हथियारों और 1221 गोलियों को भी जब्त किया गया। अमन साहू गिरोह के सक्रिय अपराधी सुनिल कुमार उफर् मयंक सिंह को अजरबैजान से भारत प्रत्यर्पित कर लाया गया, जिससे पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। इसके अलावा रांची में कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर अवैध हथियार व रसायन जब्त किए गए। रामगढ़ डकैती मामले में चार आरोपियों को चार अवैध हथियारों के साथ पकड़ा गया। खूंटी में 838.33 किलोग्राम डोडा जब्त किया गया। वहीं, रांची में जाली नोट के कारोबार में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जिनके पास 3.25 लाख रुपये के जाली नोट पाए गए। आईजी अभियान माईकल राज एस ने जनता से सहयोग की अपील की और आश्वस्त किया कि पुलिस अपराधियों के खिलाफ कड़ी कारर्वाई करने में पीछे नहीं हटेगी।  

साइबर अपराध पर आधारित फिल्म ‘कंट्रोल’ 10 अक्टूबर को सिनेमाघरों में होगी रिलीज

  पटना,  अभय सिन्हा और धवल गड़ा निर्मित साइबर अपराध पर आधारित फिल्म ‘कंट्रोल’ 10 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। डॉ. जयंतिलाल गड़ा की पेन स्टूडियोज़ और यशी स्टूडियोज़ निर्मित फिल्म 'कंट्रोल’ 10 अक्टूबर को पूरे देश के सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।, इस फिल्म का निर्देशन सफदर अब्बास ने किया है, जबकि निर्माण अभय सिन्हा और धवल गड़ा ने किया है। निर्माता अभय सिन्हा ने आज यहां आयोजित संवाददाता सम्मलेन में बताया कि फिल्म कंट्रोल सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि आज की डिजिटल दुनिया में इंसान की असली कमजोरी को उजागर करने वाली एक सामाजिक चेतावनी है। अभय सिन्हा ने कहा, “आज हर व्यक्ति अपने डिजिटल उपकरणों से बंधा हुआ है। हमारा डेटा, हमारी पहचान और हमारी निजी जानकारी ही सबसे बड़ा संसाधन बन चुकी है। ‘कंट्रोल’ इसी सच्चाई को पर्दे पर उतारती है।यह सवाल उठाती है कि क्या हम सच में अपने डिजिटल जीवन पर नियंत्रण रखते हैं या कोई और हमें नियंत्रित कर रहा है। यह फिल्म तकनीकी यथार्थ, भावनात्मक गहराई और मनोरंजन का एक सशक्त संगम है।” अभय सिन्हा ने बताया कि फिल्म का टैगलाइन "आपका डेटा, उनकी ताकत है" सिर्फ एक लाइन नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। उन्होंने कहा, “हम इस फिल्म के जरिए दर्शकों को न सिर्फ मनोरंजन, बल्कि जागरूकता देना चाहते हैं। आज हर व्यक्ति का डेटा किसी और की शक्ति बन चुका है। यह फिल्म उस अदृश्य खतरे पर रोशनी डालती है, जो हमारी रोजमर्रा की स्क्रीन के पीछे छिपा हुआ है।” वहीं, फिल्म के मुख्य अभिनेता ठाकुर अनुप सिंह ने अपने किरदार को लेकर कहा कि “मेजर अभिमन्यु शास्त्री की भूमिका निभाना एक चुनौतीपूर्ण अनुभव था। वह एक ईमानदार, साहसी सेना अधिकारी हैं जो देश की रक्षा करते-करते खुद एक साइबर साजिश के जाल में फंस जाते हैं। यह किरदार सिर्फ एक सैनिक का नहीं, बल्कि उस हर व्यक्ति का प्रतीक है जो सच और छल के बीच जूझ रहा है।” बॉलीवुड अभिनेता रोहित रॉय ने फिल्म कंट्रोल में नकारात्मक किरदार निभाया है। उन्होंने कहा, “आज के डिजिटल युग में असली ताकत हथियार या पैसा नहीं, बल्कि सूचना और डेटा है। मेरा किरदार एक ऐसा मास्टरमाइंड है जो लोगों की पहचान और तकनीक का इस्तेमाल हथियार की तरह करता है। यह किरदार जितना खतरनाक है, उतना ही यथार्थ से जुड़ा हुआ भी है।” रोहित रॉय ने कहा, कंट्रोल’ एक चेतावनी है, एक दर्पण है और एक प्रश्न भी, क्या हम अपने जीवन पर वास्तव में नियंत्रण रखते हैं? 10 अक्टूबर को जब यह फिल्म सिनेमाघरों में उतरेगी, तो यह सिर्फ एक थ्रिलर नहीं, बल्कि डिजिटल युग की सबसे बड़ी सच्चाई से रूबरू कराने वाली फिल्म साबित होगी। फिल्म कंट्रोल में प्रिया आनंद, राजेश शर्मा, यशपाल शर्मा, डेनज़िल स्मिथ, सिद्धार्थ बनर्जी, करण सिंह छाबड़ा, रोहन जोशी, रुद्रशीष मजूमदार और पलाक जैसवाल जैसे प्रतिभाशाली कलाकार भी अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे।  

भोपाल में साइबर ठगी के 70 केस, करोड़ों की रिश्वत देकर बचे आरोपी

भोपाल  साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ने के बावजूद भोपाल में अब भी हर सप्ताह कम से कम एक ‘डिजिटल अरेस्ट’ का मामला सामने आ रहा है। बीते डेढ़ साल में क्राइम ब्रांच की साइबर सेल में ऐसे 70 मामले दर्ज हुए हैं, यानी औसतन हर सात से आठ दिन में एक पीड़ित पुलिस तक पहुंच रहा है। इस दौरान ठगों ने पीड़ितों से करीब ढाई करोड़ रुपये हड़पे हैं। साल 2024 में डिजिटल अरेस्ट के 53 मामलों में लगभग 1 करोड़ 82 लाख रुपये की ठगी हुई, जबकि वर्ष 2025 में जून तक 17 लोगों से 77 लाख 57 हजार रुपये वसूले जा चुके हैं। ऐसे फंसाते हैं ठग साइबर ठग पहले विभिन्न माध्यमों से पीड़ितों के डाटा आधार, पैन, बैंक डिटेल, मोबाइल नंबर से लेकर सोशल मीडिया गतिविधियां तक पर नजर रखते हैं। इन जानकारियों के आधार पर वे पीड़ित की वर्चुअल प्रोफाइल बनाते हैं, ताकि उसे यह भरोसा हो कि काल करने वाला कोई सरकारी अधिकारी है। इसके बाद शुरू होता है डराने-धमकाने का सिलसिला। पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उसका नाम मनी लांड्रिंग, ड्रग तस्करी या अवैध लेनदेन के मामले में आ गया है। दावा किया जाता है कि ईडी, सीबीआई या कोर्ट में मामला दर्ज है और तुरंत वेरिफिकेशन जरूरी है। पीड़ित को किसी ऐप के जरिए वीडियो कॉल पर जोड़ा जाता है, जहां ठग पुलिस अधिकारी के वेश में, पुलिस कार्यालय जैसी पृष्ठभूमि के साथ बैठा दिखता है। पीड़ित को परिवार या किसी अन्य से बात करने की मनाही होती है। सामान्य पूछताछ के बाद वीडियो काल में ‘अन्य एजेंसियों’ के अफसर के रूप में और लोग जुड़ते हैं, जो सख्ती से पूछताछ कर आरोप ‘सिद्ध’ कर देते हैं और फिर ‘क्लीन चिट’ के नाम पर रकम की मांग करते हैं। यह रकम सीधे ठगों के खातों में जमा कराई जाती है। जज बनकर सुनाई सजा सितंबर 2024 में भोपाल के श्यामला हिल्स क्षेत्र में साइबर ठगों ने एक गैस संचालक की मां को डिजिटल अरेस्ट कर 80 लाख रुपये ठग लिए थे। आरोपियों ने उन्हें फर्जी मनी लांड्रिंग केस में फंसाया। करीब दस दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और ‘अदालत’ में पेश कर दिया। यहां नकली कोर्ट, फर्जी वकील और जज की भूमिका निभाई गई। महिला को ‘सजा’ सुनाने के बाद समझौते के नाम पर 80 लाख रुपये ले लिए गए। यह मामला क्राइम ब्रांच साइबर सेल में दर्ज हुआ था। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में कमी आई     साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता के लिए भोपाल और प्रदेशभर में पुलिस लगातार अभियान चला रही है, जिससे डिजिटल अरेस्ट के मामलों में कमी आई है। मप्र स्टेट साइबर ने पहली बार डिजिटल अरेस्ट में लाइव रेस्क्यू किया था। वहीं भोपाल क्राइम ब्रांच ने पहली बार डिजिटल अरेस्ट करने वाले मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया। इसके बाद से साइबर ठगों पर लगातार कार्रवाई जारी है। – शैलेंद्र सिंह चौहान एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच  

मध्यप्रदेश में साइबर क्राइम का कहर: सिर्फ 10% रकम हो पाई होल्ड, 5 साल में 1054 करोड़ की ठगी

भोपाल  मध्यप्रदेश साइबर ठगों के लिए सॉफ्ट टारगेट बन गया है। आंकड़े बताते हैं की पिछले 5 साल में प्रदेश के अंदर 1 हजार करोड़ से ज्यादा की ठगी हुई है। साल 2021 से 13 जुलाई 2025 तक में साइबर ठगों ने नागरिकों से करीब 1054 करोड़ की ठगी की है। ये धोखाधड़ी बैंकिंग फ्रॉड, फर्जी वेबसाइट्स, सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स और ऑनलाइन गेमिंग जैसे माध्यमों से की गई है। ठगी की राशि में से सिर्फ 10 फीसदी ही पुलिस होल्ड करवा पाई।  जब ठगी की राशि वापस नहीं आने कारण का पता लगाया तो सामने आया कि ठगी किसी और शहर में बैठकर की जाती और जिस अकाउंट में पैसा आता है वो किसी और शहर का रहता है और पैसा किसी तीसरे शहर में निकाला जाता है। ठगी की राशि जिस अकाउंट में जाती थी वो गरीब व्यक्ति का होता। साथ ही फ्रॉड के बाद 2 घंटे का समय गोल्डन पीरियड माना जाता है जिसमें राशि को फ्रीज करने की सबसे अधिक संभावना होती है लेकिन जागरूकता की कमी के चलते पीड़ित इतनी जल्दी पुलिस तक नहीं पहुंच पाते। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बताए आंकड़े कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के सवाल के जवाब में सीएम डॉ मोहन यादव ने बताया कि 2020 से 2024 तक साइबर क्राइम के मामलों में साल-दर-साल भारी इजाफा हुआ। जनवरी 2025 से जुलाई 2025 तक प्रदेशभर में कुल 2.48 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 579 साइबर ठगी के केस थे। अभी तक सिर्फ 166 मामलों का निपटारा हो सका है। 2022 से जुलाई 2025 तक कुल 3541 साइबर अपराध के केस दर्ज किए गए, जिनमें से 717 का समाधान हो सका, जबकि 1575 केस अभी भी लंबित हैं। सबसे अधिक शिकार युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों को बनाया गया है। साइबर क्राइम में कई गुना बढ़ोतरी पुलिस की चुनौती: रिकवरी बेहद कम 5 साल में कुल ठगी ₹1054 करोड़ होल्ड की गई राशि ₹105.21 करोड़ (करीब 10%) पीड़ितों को लौटी रकम ₹1.94 करोड़ (लगभग 2%) सायबर फ्रॉड गंभीर समस्या मध्यप्रदेश में बीते पांच सालों में साइबर ठगी ने गंभीर रूप ले लिया है। हालांकि विधानसभा में हैरान करने वाले आंकड़े सामने आने के बाद भाजपा के विधायक सिद्धार्थ तिवारी ने दावा किया कि सरकार लोगों को जागरूक करने के साथ, नई टेक्नोलॉजी को अपनाकर इन पर अंकुश लगाने का काम कर रही है। हजारों केस अब भी अधूरे एक सिंगल क्लिक और आपका अकाउंट खाली, पैसे डबल होने के लालच कई बार इंसान को मुसीबत में डाल देते हैं अगर सायबर फ्रॉड से बचना है तो आपको जागरूक होना पड़ेगा, पुलिस की कोशिशों के बावजूद रिकवरी की दर बेहद कम है और हजारों केस अब भी अधूरे हैं।