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जल जीवन मिशन: नल से पानी ने ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी आसान बनाई

राजगढ़ जिले के समलाबेह गांव के परिवारों तक पहुँचा शुद्ध पेयजल भोपाल मध्यप्रदेश के दूरस्थ गांवों में नल से जल पहुंचने से जीवन आसान हो गया है। राजगढ़ जिले की ग्राम पंचायत चाँदपुरा का छोटा-सा दूरस्थ गांव समलाबेह इसका आदर्श उदाहरण है। नल से जल की सुविधा मिलने से यह गांव नई पहचान बन गया है। मोहनपुरा ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना के अंतर्गत यहां की 130 की आबादी और 26 परिवारों तक घर-घर पाइपलाइन से स्वच्छ पेयजल पहुँच रहा है। पानी की कमी से जूझता यह गांव अब सुविधा, स्वास्थ्य और खुशहाली की ओर अग्रसर है। कुछ वर्ष पहले तक इस गांव का जीवन बेहद कठिन था। पानी के लिए महिलाओं और बच्चों को रोज़ सुबह-शाम कई किलोमीटर दूर कुओं से पानी लाना पड़ता था। बरसात के मौसम में जब गंदा पानी इन स्रोतों में मिल जाता था तो ग्रामीणों को दूषित जल पीना पड़ता था। गर्मियों में गांव में पानी का संकट बढ़ जाता था। सीमित जलस्रोतों पर निर्भरता के कारण आए दिन झगड़े की स्थिति भी बनती थी। इन परिस्थितियों से बच्चों की पढ़ाई और ग्रामीणों की आजीविका प्रभावित हो रही थी। गांव की बदली तस्वीर समूह नलजल योजना ने इस गांव की तस्वीर पूरी तरह बदल दी। अब गांव के हर घर में पाइपलाइन से जलापूर्ति हो रही है। 26 घरों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जा चुका है। महिलाएँ बताती हैं कि पहले उनका आधा दिन पानी ढोने में ही निकल जाता था। अब यही समय परिवार और अन्य कार्यों को दे पा रही हैं। बच्चों को भी पानी लाने के काम से मुक्ति मिली है और उनकी पढ़ाई निर्बाध रूप से जारी है। स्वास्थ्य के स्तर पर भी बड़ा बदलाव आया है। पहले बारिश के दिनों में डायरिया, उल्टी-दस्त और अन्य जलजनित बीमारियाँ आम थीं। अब ग्रामीण साफ पेयजल का उपयोग कर रहे हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है और इलाज पर होने वाला खर्च भी कम हो गया है। मोहनपुरा समूह जल योजना केवल समलाबेह तक सीमित नहीं है। यह योजना राजगढ़ जिले के कई गांवों को कवर कर रही है, जिनमें हजारों परिवारों तक नल के जरिए स्वच्छ पेयजल पहुँचाया जा रहा है। योजना का उद्देश्य पूरे क्षेत्र को स्थायी जलस्रोत उपलब्ध कराना है। ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल सुविधा नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक जीवन की नींव है। अब पानी के लिए नहीं करना पड़ता है संघर्ष: नौरंग बाई वर्षों तक पानी ढोने को मजबूर रहीं, गांव की 70 वर्षीय नौरंग बाई बताती हैं कि जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष पानी ही रहा। रोज़ाना सिर पर घड़ा रखकर पानी ढोना उनकी दिनचर्या थी। बरसों तक पानी की एक-एक बाल्टी के लिए कतार में खड़े रहना पड़ा। अब घर में नल लगने से यह संघर्ष बीते जमाने की बात हो गयी है। वे कहती हैं कि अब नई पीढ़ी को पानी के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। ग्रामीण भी मानते हैं कि नल से जल की व्यवस्था ने उनके जीवन स्तर को ही नहीं, पूरे गांव की सोच और संस्कृति को भी बदल दिया है। अब पानी केवल आवश्यकता नहीं रहा, बल्कि सम्मान, स्वास्थ्य और खुशहाली का प्रतीक बन गया है। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. क्रेमर ने भी की सराहना जल जीवन मिशन से ग्रामीण स्वास्थ्य संकेतकों में भी व्यापक सुधार परिलक्षित हो रहा है। स्वच्छ जल की आपूर्ति होने से विशेष रूप से बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हाल ही में नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी विकास अर्थशास्त्री डॉ. माइकल रॉबर्ट क्रेमर ने राज्य की विकास रणनीतियों पर चर्चा करते हुए मध्यप्रदेश की इस पहल पर प्रसन्नता जाहिर की कि जल जीवन मिशन द्वारा ग्रामीण घरों में जल उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने अपने अध्ययन का हवाला देते हुए कहा यदि परिवारों को पीने के लिए सुरक्षित जल उपलब्ध कराया जाए तो लगभग 20% शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। नवजात शिशु, जल जनित बीमारियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। बच्चों से संबंधित हर चार में से एक मृत्यु सुरक्षित जल उपलब्ध कराकर रोकी जा सकती है। प्रो. क्रेमर ने गत शुक्रवार को भोपाल में मख्य सचिव श्री अनुराग जैन के साथ बैठक कर मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन की उपलब्धियों पर संतोष को सराहा।  

मध्यप्रदेश: जल जीवन मिशन के तहत नल जल मेंटेनेंस में PHE लगेगा, लागत करीब 1200 करोड़

भोपाल  मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत एकल नल जल योजनाओं के मेंटेनेंस का काम अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) द्वारा किया जाएगा। इस काम में सालाना करीब 1200 करोड़ रूपए का खर्च आएगा। जिसको लेकर पीएचई के अधिकारियों द्वारा पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट बैठक में पेश करने की तैयारी है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बता दें, एकल नल जल योजना उन गांवों के लिए है जहां छोटे जल स्रोत है और जहां स्थानीय स्तर पर पानी की आपूर्ति की जा सकती है। सरकार ने ऐसे 27990 गांवों के लिए एकल नल जल योजनाएं स्वीकृत की हैं। फैक्ट फाइल     27,990 ऐसे गांव जहां एकल नल जल योजनाओं की दी गई स्वीकृति     20,000 करोड़ खर्च कर गांव-गांव सुगम करेंगे पेयजल व्यवस्था जिम्मेदारी को लेकर कई माह से था पेंच एकल नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण की जिम्मेदारी को लेकर पिछले कई माह से पेंच फंसा हुआ था। पहले मुख्य सचिव और मंत्री स्तर पर कई मर्तबा वार्ता हुई लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकलने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा इस मामले पर विस्तार से चर्चा करने के बाद यह फैसला लिया गया कि इसके मेंटेनेंस का काम पीएचई विभाग द्वारा ही देखा जाएगा। 2027 तक प्रदेश में काम पूरा करने का लक्ष्य जल जीवन मिशन के एकल नल जल योजना पर करीब 20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे है। ताकि गांवों में आने वाले सालों में सुगम रूप से पानी की सप्लाई हो सके। लेकिन मेटेंनेस की जिम्मेदारी तय नहीं होने से यह योजना खटाई में पड़ सकती थी। इसलिए सरकार द्वारा इस मामले को प्राथमिकता पर लेते हुए जिम्मेदारी तय की गई है। बता दें प्रदेश में जल जीवन मिशन का काम पूरा करने का लक्ष्य मार्च 2027 तक का रखा गया है। इमरजेंसी सेवा सेवा के लिए तैनात होंगे वाहन मेंटेनेंस की जिम्मेदारी मिलने के बाद पीएचई विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा आगे की तैयारी शुरू कर दी गई है। विभाग के मुताबिक प्रत्येक गांवों में इमरजेंसी वाहन तैनात किए जाएंगे। जो सभी जरूरी मशीनरी जैसे ट्राईपॉड, चैन-पुल्ली सहित अन्य संयंत्रों से लेस होंगे। किसी इमरजेंसी में फोन आते ही गांवों की तरफ मूवमेंट करेंगे।

जल जीवन मिशन के 30,000 करोड़ रुपये में से 1,000 करोड़ रुपये के कमीशन की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक

भोपाल  जल जीवन मिशन के तहत हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाले ने सियासी हलचल मचा दी है। इसे लेकर कांग्रेस लगातार सवाल कर रही है। अब प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने प्रदेश सरकार को घेरते हुए पीएम मोदी से सवाल किया है कि ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ की नीति का क्या हुआ। ये मामला तब सामने आया जब पूर्व विधायक किशोर समरीते ने प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत पत्र भेजकर आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन के 30,000 करोड़ के बजट में से लगभग 1,000 करोड़ रुपए कमीशन के रूप में वसूले गए। इसमें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके, विभाग के इंजीनियर इन चीफ बीके सोनगरिया और उनके अकाउंटेंट महेंद्र खरे के नाम शामिल थे। कांग्रेस ने किए सवाल कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के “ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा” के नारे पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि “मोदी जी ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत का वादा किया था, लेकिन उनकी ही पार्टी की सरकार में इतना बड़ा घोटाला सामने आया है। क्या यह ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा सिर्फ दिखावा है? देश जानना चाहता है कि इस घोटाले पर उनकी चुप्पी क्यों है”। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया  X पर एक पोस्ट लिखकर प्रदेश की भाजपा सरकार को एक बार फिर घोटाले की सरकार कहकर निशाना साधा है, उन्होंने लिखा- जनता को न नल मिला, न जल, मिला तो सिर्फ घोटालों का दल। जल जीवन मिशन के 30,000 करोड़ रुपये में से 1,000 करोड़ रुपये के कमीशन की शिकायत अप्रैल में सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय तक गई, जिसमें मंत्री संपतिया उइके और अफसरों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए। उमंग सिंघार ने सरकार से किये सवाल  उमंग सिंघार ने लिखा-  मामले को दो महीने तक दबाए रखने के बाद पीएचई विभाग ने जून के अंत में जांच के आदेश दिए और खानापूर्ति करते हुए विभाग ने मंत्री जी को क्लीनचिट भी दे डाली। इसलिए यहाँ सवाल उठते हैं कि PMO में शिकायत के फौरन बाद जांच शुरू क्यों नहीं की गई और इसे दो महीने तक क्यों लटकाया गया? जांच का जिम्मा किसी स्वतंत्र एजेंसी के बजाय विभाग से जुड़े अधिकारियों को क्यों सौंपा गया? कैसे आदेश जारी होने के मात्र एक सप्ताह में ही जांच पूरी भी कर ली गई और मामले में क्लीनचिट दे दी? मामले की स्वतंत्र एजेंसी से पुनः जाँच की मांग  उमंग सिंघार ने लिखा-  मैंने जल जीवन मिशन में पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर हो रही गड़बड़ियों के मुद्दे को कई बार विधानसभा में उठाया है लेकिन सरकार हर बार इस पर जवाब देने से बचती रही। मेरी मांग है कि इस मामले की जांच पुनः किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा हो ताकि सच्चाई प्रदेश की जनता के सामने आ सके। हाथ में नल लेकर किया पुराना प्रदर्शन भी टैग किया   उल्लेखनीय है कि उमंग सिंघार ने अपनी इस पोस्ट के साथ 19 दिसंबर 2024 को उनके द्वारा हाथ में नल को टोंटी लेकर  किये गए प्रदर्शन के वीडियो भी टैग किये हैं जिसमें उन्होंने लिखा था- भाजपा के जल जीवन मिशन के नल से सिर्फ हवा आ रही है, पानी तो भाजपा के भ्रष्टाचार की भेट चढ़ चुका है। आज भी प्रदेश की महिलाएं पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रही हैं, लेकिन भाजपा सरकार को सिर्फ कमीशन से मतलब है। यह है भाजपा की असलियत। मंत्री को क्लीन चिट देने के बाद ईएनसी ने दी ये सफाई  आदेश वायरल होने के बाद ईएनसी ने सफाई दी और कहा कि जाँच में शिकायत तथ्यहीन निकली है कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं सिर्फ आरटीआई में मिली विभागीय चिट्ठियों को आधार बनाकर शिकायत की गई थी। उन्होंने कहा कि योजनाओं का क्रियान्वयन और भुगतान स्थानीय स्तर पर होता है इसलिए ईएनसी और मंत्री पर सीधे तौर पर कोई जवाबदारी नहीं बनती है। क्या है मामला जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य देश के हर ग्रामीण घर में नल से स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है। मध्यप्रदेश को इस योजना के तहत केंद्र सरकार से तीस हज़ार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। पूर्व विधायक किशोर समरीते ने पीएमओ को एक शिकायती पत्र भेजकर आरोप लगाया कि इस राशि में से 1000 करोड़ रुपये की कमीशनखोरी की गई, जिसमें मंत्री संपतिया उइके के साथ-साथ तत्कालीन प्रमुख अभियंता बीके सोनगरिया और उनके अकाउंटेंट महेंद्र खरे भी शामिल हैं। इन आरोपों के जवाब में मंत्री संपतिया उइके ने ख़ुद को निर्दोष बताया और कहा कि वो हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं।दरअसल पूर्व विधायक किशोर समरीते ने 12 अप्रैल को प्रधानमंत्री कार्यालय को एक शिकायती पत्र भेजा था जिसमें प्रदेश की पीएचई मंत्री संपतिया उइके पर जल जीवन मिशन में 1000 करोड़ रुपए की घूस लेने के आरोप लगाये, पीएमओ ने 24 अप्रैल को इस शिकायत को राज्य सरकार के पास भेज दिया, ये शिकायत 21 जून को पीएचई के ईएनसी संजय अंधवान के पास पहुंची और उन्होंने इसकी जाँच के आदेश दे दिए, आदेश सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।