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मद्रास HC का फैसला: करूर भगदड़ में CBI जांच नहीं, रैलियों के लिए नई एसओपी की जरूरत

चेन्नई  मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राजनीतिक रैलियों के लिए सख्त एसओपी का सुझाव दिया। साथ ही, कोर्ट ने अभिनेता-राजनेता विजय की करूर रैली में पिछले महीने हुई भगदड़ की सीबीआई जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया। करूर भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी। एम धंदापानी और एम जोतिरमन की पीठ ने भाजपा नेता उमा आनंदन की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर कार्यवाही करने से इनकार कर दिया, लेकिन याचिकाकर्ता को यह छूट दी कि यदि जांच ठीक से नहीं की जाती है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता के अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस अदालत को राजनीतिक अखाड़े की तरह न समझें। कोर्ट ने कहा कि यदि पीड़ित व्यक्ति इस अदालत में आते हैं, तो हम उन्हें बचाएंगे। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले वह करूर में 27 सितंबर की घटना की जांच को उसके वर्तमान प्रारंभिक चरण से आगे बढ़ने दें। भाजपा नेता ने घटना की सीबीआई से जांच कराने के लिए हाई कोर्ट से निर्देश मांगा था और दावा किया था कि ये मौतें कथित सरकारी उदासीनता के कारण हुई हैं। हाई कोर्ट ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। कुछ याचिकाओं में पीड़ितों के लिए घोषित मुआवजे में वृद्धि की मांग की गई थी। पीठ ने रैलियों या बैठकों के संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने और राज्य या राष्ट्रीय राजमार्गों के निकट आयोजनों की अनुमति न देने के तमिलनाडु सरकार के सुझाव पर गौर किया। अदालत ने सुझाव दिया कि भविष्य में जब ऐसी राजनीतिक रैलियां या बैठकें निर्धारित स्थानों पर आयोजित की जाएं तो सरकार और राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वहां पेयजल और स्वच्छता की उचित व्यवस्था हो। पीठ ने यह भी कहा कि भगदड़ की संभावना को कम करने के लिए निकास मार्ग और पार्किंग की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। टीवीके पार्टी की रैली में हुई भगदड़ ने राज्य में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटना को लेकर पुलिस ने पार्टी के राज्य महासचिव बूसी आनंद पर मामला दर्ज किया है। विजय ने इस दुखद घटना के पीछे साजिश का आरोप लगाया, जबकि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विरोधी दलों पर त्रासदियों का फायदा उठाकर चुनावी लाभ लेने का आरोप लगाया।

करूर भगदड़ का आंकड़ा बढ़ा: 41 मौतें, पावर कट पर तमिलनाडु सरकार की सफाई

चेन्नई तमिलनाडु के करूर में एक्टर थलपति विजय की रैली के दौरान शनिवार को हुई भगदड़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 41 हो गई है. 60 से अधिक लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से कम से कम दो की हालत गंभीर बताई जा रही है. इसे हाल के वर्षों में राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक त्रासदियों में से एक माना जा रहा है. इस बीच बिजली कटौती को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. पीड़ितों और विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) का आरोप है कि शनिवार शाम 7 से 7:30 बजे के बीच विजय के आने पर करीब आधे घंटे तक बिजली गुल रही, जिससे अफरातफरी मच गई और भगदड़ की स्थिति बनी. सरकार ने खारिज किया बिजली कटौती का दावा   अब राज्य सरकार ने इन दावों को खारिज कर दिया है. तमिलनाडु की फैक्ट-चेक टीम ने करूर कलेक्टर और एडीजीपी के हवाले से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'कार्यक्रम में बिजली कटौती नहीं हुई. हालांकि TVK ने बिजली सप्लाई रोकने का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. थोड़ी देर के लिए जो लाइट मंद हुईं, वह पार्टी की ओर से लगाए गए जेनरेटर की समस्या थी.'  विजय की पार्टी ने की सीबीआई जांच की मांग सरकार का कहना है कि भीड़ को खतरनाक जगहों से हटाने के लिए थोड़े समय के लिए बिजली रोकी गई थी, लेकिन विजय के आने के बाद कोई कटौती नहीं हुई. हादसे के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं. TVK ने सीबीआई जांच की मांग की है और इसे साजिश बताया है.  वहीं बीजेपी ने डीएमके सरकार पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है. इस बीच विजय के करीबी सहयोगियों पर मामला दर्ज कर लिया गया है और पार्टी ने मद्रास हाई कोर्ट में स्वतंत्र जांच की याचिका दायर की है. तमिलनाडु सरकार ने घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित किया है, जिसने पीड़ित परिवारों से बातचीत शुरू कर दी है और अस्पताल का दौरा भी किया है.