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मंत्री परमार का संदेश — आदर्श समाज की नींव शिक्षण संस्थानों से रखी जाती है

आदर्श नागरिकों का निर्माण शिक्षा के मंदिरों से ही संभव : मंत्री  परमार महाविद्यालयों को शोध एवं नवाचारों का केंद्र बनाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध भोपाल संभाग की एकदिवसीय कार्यशाला संपन्न भोपाल  उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री  इन्दर सिंह परमार ने कहा है कि आदर्श नागरिक का निर्माण करना ही शिक्षा का ध्येय है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने यह महत्वपूर्ण अवसर दिया है कि शिक्षा के माध्यम से देश को विश्व में और प्रदेश को देश में अग्रणी बनाने की ओर आगे बढ़ें। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने में अग्रणी भूमिका में हैं। उच्च शिक्षा मंत्री  परमार ने शुक्रवार को भोपाल स्थित सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर स्वशासी (नूतन) महाविद्यालय में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रभावी क्रियान्वयन के परिप्रेक्ष्य में एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप भोपाल संभाग की एकदिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया। मंत्री  परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हो रहे व्यापक परिवर्तन से सभी को अवगत करवाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्नातक में प्रवेश लेने वाले 12वीं में अध्ययनरत विद्यार्थियों को विद्यालय स्तर पर समस्त जानकारी दी जानी चाहिए। स्नातकोत्तर में प्रवेश लेने के पहले विद्यार्थियों को मेजर एवं माइनर विषय सहित समस्त जानकारी महाविद्यालय स्तर पर ही प्रदान की जानी चाहिए। उच्च शिक्षा मंत्री  परमार ने कहा कि स्नातक के प्रथम वर्ष के प्रथम अध्याय में भारतीय ज्ञान परम्परा का समावेश किया गया है। प्रदेश के महाविद्यालयों को शोध एवं नवाचारों के केंद्र बनाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जितने स्वशासी या अन्य ऐसे संस्थान हैं वे भी शोध एवं नवाचारों की दिशा में सतत् क्रियाशील रहें। शासन से आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि के लिए लगातार पदपूर्ति की जा रही है। इस सत्र के अंत तक 4 हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रकिया पूरी हो जाएगी। शैक्षणिक एवं अन्य संवर्ग की भर्ती प्रकिया में उच्च शिक्षा विभाग निरंतर क्रियाशील है। प्राध्यापकों के आचरण का अनुसरण ही विद्यार्थी करते हैं, संस्थान परिसर के प्रति विद्यार्थियों के मन में पूर्ण समर्पण भाव जागृत करने का दायित्व प्राध्यापकों का है। इस एकदिवसीय कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा अध्यादेशों के संदर्भ में प्रस्तुतिकरण एवं विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के समाधान को लेकर विमर्श हुआ। साथ ही एईडीपी एवं कृषि पाठ्यक्रम तथा एआई सर्टिफिकेट कोर्स सहित स्वयं पोर्टल, अपार आईडी एवं अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) से जुड़े विषयों पर भी चर्चा हुई। विद्यार्थियों के हितों से जुड़े विविध विषयों पर विस्तृत विचार मंथन हुआ। कार्यशाला के शुभारम्भ के अवसर पर आयुक्त उच्च शिक्षा  प्रबल सिपाहा ने कहा कि हमारा क्रियान्वयन, विद्यार्थी केन्द्रित हैं। कार्यशाला में मिलने वाले निष्कर्ष एवं सुझावों को विद्यार्थियों के हितों के अनुरूप समावेश किया जाएगा। विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी उच्च शिक्षा डॉ धीरेंद्र शुक्ल ने कार्यशाला के उद्देश्य की जानकारी दी। सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर स्वशासी (नूतन) महाविद्यालय भोपाल की प्राचार्य डॉ दीप्ति वास्तव ने स्वागत उद्बोधन दिया। क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक  मथुरा प्रसाद एवं प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शासकीय हमीदिया महाविद्यालय भोपाल के प्राचार्य (अग्रणी प्राचार्य) डॉ अनिल शिवानी सहित विविध विषय-विशेषज्ञ, विविध शिक्षाविद्, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के नोडल अधिकारी, स्वयं पोर्टल एवं अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के नोडल अधिकारी तथा भोपाल संभाग के विभिन्न जिलों के शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्राध्यापक, शिक्षामित्र एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। 

स्वदेशी से आत्मनिर्भर भारत का संकल्प होगा साकार : मंत्री परमार

भोपाल उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा है कि भारत की मान्यता में वसुधैव कुटुंबकम् है। विश्व एक परिवार है, विश्व बाजार नहीं है। भारत ने कोविड के संकटकाल में विश्व के कई देशों को वैक्सीन उपलब्ध करवाकर वसुधैव कुटुंबकम् के भारतीय दृष्टिकोण को विश्वमंच पर परिलक्षित किया है। भारत का पुरातन दर्शन व्यापक था, हर क्षेत्र-हर विधा में भारत में समृद्ध ज्ञान था। भारत विश्वमंच पर समृद्ध एवं सक्षम राष्ट्र था, हमारी गौरवशाली एवं समृद्धशाली परंपराएं रही हैं, जिन्हें हमारे पूर्वजों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के सापेक्ष शोध एवं अध्ययन कर समाज में स्थापित की। मंत्री परमार सोमवार को भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित केन्द्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान के पंडित सुंदरलाल शर्मा सभागृह में निजी विश्वविद्यालय संघ के तत्वावधान में आयोजित भारतीय ज्ञान परम्परा के विस्तार में निजी विश्वविद्यालयों के योगदान विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी के शुभारम्भ के बाद संबोधित कर रहे थे। मंत्री परमार ने कहा कि कृतज्ञता का भाव, भारत की समृद्ध संस्कृति एवं परम्परा है। हमारे पूर्वजों ने प्रकृति एवं ऊर्जा स्रोतों के संरक्षण भाव से, समाज में कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए श्रद्धा के रूप में परम्परा स्थापित की। मंत्री परमार ने भारतीय ज्ञान परंपरा के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न क्षेत्रों, विषयों एवं विधाओं में भारतीय पुरातन ज्ञान के तथ्यात्मक उदाहरण प्रस्तुत किए। परमार ने बताया कि नालन्दा विश्वविद्यालय के दौर में शिक्षा, चिकित्सा, तकनीक, इंजीनियरिंग सहित प्रत्येक क्षेत्र में भारत, विश्वमंच पर सिरमौर था। भारत के समृद्ध ज्ञान को ग्रहण करने विश्व भर से लोग आते थे, इसलिए भारत विश्वगुरु कहलाता था। उच्च शिक्षा में प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परम्परा का समावेश किया गया है। मंत्री परमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों को भारतीय ज्ञान परम्परा की संदर्भ पुस्तकों से समृद्ध करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय गृहणियों की रसोई प्रबंधन, विश्व भर में आदर्श एवं उत्कृष्ट प्रबंधन का उदाहरण है। मंत्री परमार ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वदेशी उत्पाद को अपनाने के संकल्प में सहभागिता करने का आह्वान भी किया। परमार ने कहा स्वदेशी आंदोलन से आत्मनिर्भर भारत का संकल्प सिद्ध होगा। परमार ने कहा कि हम सभी की सहभागिता एवं पुरुषार्थ से स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत विश्व में सिरमौर बनेगा। मंत्री परमार ने निजी विश्वविद्यालयों को शिक्षा में भारतीय ज्ञान परम्परा के व्यापक समावेश, सतत् अध्ययन एवं क्रियान्वयन के लिए अपने संस्थान में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ बनाने को कहा। उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को अतिरिक्त क्रेडिट देने के साथ ही भारतीय भाषाओं को सिखाने के लिए कार्ययोजना बनाकर क्रियान्वयन करने को कहा। तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थियों को जापानी एवं जर्मन भाषा सिखाने के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार करने को कहा। संगोष्ठी में बीज वक्ता के रूप में यूनाइटेड कान्शसनेस के संयोजक एवं वैश्विक शिक्षाविद् डॉ विक्रांत सिंह तोमर ने भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि भारत ने अपनी जड़ों को खोजना शुरू कर दिया है। संगोष्ठी का उद्देश्य विद्यार्थियों को भारत की प्राचीन गौरवशाली परंपरा से अवगत कराना था ताकि वे स्वदेशी को अपनाएं और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। संगोष्ठी में एलएनसीटी समूह के प्रमुख जयनारायण चौकसे, ओरिएंटल समूह के प्रमुख प्रवीण ठकराल, निजी विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष इंजी.श्री संजीव अग्रवाल एवं कोषाध्यक्ष हरप्रीत सलूजा सहित विविध शिक्षाविद्, विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि, प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।  

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा- देश की ताकत और उत्पादन क्षमता बढ़ाने में फार्मेसी के विद्यार्थी दें योगदान

भोपाल उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और आयुष मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि फार्मेसी के सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा काम करते हुए अपनी स्वदेशी औषधियों के व्यापार को बढाने और इसके उत्पादन पर ध्यान देने लिए और अधिक मेहनत और परिश्रम करने की जरूरत है। आज दुनिया के कई देश हमारे देश में उत्पादित स्वदेशी दवाओें का उपयोग करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि दुनिया के ज्यादा से ज्यादा देश हमारे देश की उत्पादित औषधियों का उपयोग करें। मंत्री श्री परमार शनिवार को इंदौर के ऑक्सफोर्ड इन्टरनेशनल कॉलेज में “इंडियन फार्मासिस्ट इनावेशन टू इम्पेक्ट फॉर विकसित भारत-2047” की थीम पर आयोजित दो दिवसीय 12वें विजन फार्मा राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ कर सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर परिषद के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी डॉ. छगनभाई पटेल, फार्मा विजन के राष्ट्रीय संयोजक श्री अनिकेत सेल्के, श्री वीरेन्द्र सोलंकी, ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल कॉलेज के चेयरमेन श्री अक्षांशु तिवारी, कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. प्रिया जैन, फार्मा विजन की स्टेट कॉन्वेनर सुश्री कामाक्षा गौड़ विशेष रूप से मौजूद थे। मंत्री श्री परमार ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकसित भारत 2047 के संकल्प को साकार करते हुए कई क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों से अपील की है कि विकसित भारत के संकल्प को अपना संकल्प मानते हुए कार्य करें। देश की ताकत और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में फार्मेंसी के विद्यार्थी निश्चित रूप से बड़ा योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश 2047 तक ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा और दुनिया के कई देशों में भी ऊर्जा की पूर्ति करने वाला देश बनेगा। उन्होंने कहा कि किसानों ने अन्न और खाद्यान्न के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बना दिया है। किसानों ने अन्न के भण्डार भरे हैं। भारत 2047 तक अन्य देशों के भरण-पोषण करने की सामर्थ्य रखने वाला देश बनेगा। मंत्री श्री परमार ने कहा कि शीघ्र ही फार्मेंसी के सिलेबस में आयुर्वेद के सिलेबस को भी जोड़ने का काम किया जायेगा। इस पर एक्सपर्ट द्वारा विचार-विमर्श किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में आवश्यकता के अनुसार फार्मेंसी के साथ एलोपैथिक , होम्योपेथिक और आयुर्वेदिक के लिये एक कॉमन सिलेबस तैयार किया जायेगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में 11 नये आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने का संकल्प लिया गया था, जिसमें से 8 कॉलेजों की भारत सरकार द्वारा मान्यता दे दी गई है। अगले वर्ष से ही नये कॉलेज प्रारंभ किये जाएंगे। मंत्री श्री परमार ने बताया कि आने वाले समय में परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने के लिये सभी परीक्षाओं का डिजिटल वेल्यूवेशन किया जायेगा , जिससे परीक्षार्थी ऑनलाईन अपनी कापी देख सकेंगे। श्री परमार ने कहा कि भारत फिर से विश्वगुरू बनने की ओर अग्रसर है। ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. प्रिया जैन ने बताया कि दो दिवसीय 12वें विजन फार्मा राष्ट्रीय अधिवेशन में फार्मा से संबंधित कई सत्र होंगे। सुश्री कामाक्षा गौड़ ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में देश के विभिन्न कॉलेजों के फार्मेसी विद्यार्थी उपस्थित थे।

प्रदेश के विश्वविद्यालयों से देश भर में गुंजायमान होगा भाषाई एकात्मता का संदेश

भोपाल   उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि भारतीय ज्ञान परम्परा में पुस्तकालय सदैव ही समृद्ध रहे हैं। नालंदा विश्वविद्यालय में विश्व का सबसे विशाल पुस्तकालय था और तब भारत विश्व गुरु की संज्ञा से सुशोभित था। विश्व भर के लोग हमारे यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे। भारत का ज्ञान सार्वभौमिक था। हमारी संस्कृति में ज्ञान का दस्तावेजीकरण नहीं था। हमारे पूर्वजों ने शोध एवं अध्ययन कर ज्ञान को परंपरा के रूप में समाजव्यापी बनाया। अतीत के विभिन्न कालखंडों में योजनाबद् तरीके से हमारे ज्ञान को दूषित करने का कुत्सित प्रयास किया गया। भारतीय समाज में विद्यमान परंपरागत ज्ञान को पुनः शोध एवं अनुसंधान के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण के सापेक्ष युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में दस्तावेजीकरण से समृद्ध करने की आवश्यकता है। पुस्तकालय मानवता, नवाचार और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण के मूल आधार हैं। भारतीय दृष्टिकोण से समृद्ध साहित्य से समस्त पुस्तकालयों को समृद्ध करने की आवश्यकता है। यह बात मंत्री श्री परमार ने शुक्रवार को भोपाल स्थित राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय (एनएलआईयू) में संस्थान के केंद्रीय पुस्तकालय ज्ञान मंदिर के तत्वावधान में "विकसित भारत के पुस्तकालयों की पुनर्कल्पना" विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन "ज्ञानोत्सव-2025" में कही। मंत्री श्री परमार ने कहा कि भारत में हर क्षेत्र हर विषय में व्यापक ज्ञान था और भारत हर क्षेत्र में विश्वमंच पर अग्रणी एवं समृद्ध था। भारत की धरोहर इस परंपरागत ज्ञान को भारत के सापेक्ष भारतीय दृष्टि से संजोने एवं सहेजने की आवश्यकता है। पुस्तकालयों को भारतीय दृष्टि से समृद्ध साहित्य से समृद्ध बनाना होगा, समृद्ध पुस्तकालयों से विकसित एवं समृद्ध राष्ट्र का बौद्धिक सृजन होगा। मंत्री श्री परमार ने कहा कि भारत की गृहणियों की रसोई में कोई तराजू नहीं होता है, गृहणियों को भोजन निर्माण के लिए किसी संस्थान में अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं होती है। भारतीय गृहणियों में रसोई प्रबंधन का उत्कृष्ट कौशल, नैसर्गिक एवं पारम्परिक रूप से विद्यमान है। भारत की रसोई विश्वमंच पर प्रबंधन का उत्कृष्ट आदर्श एवं श्रेष्ठ उदाहरण है। भारतीय समाज में ऐसे असंख्य संदर्भ, परम्परा के रूप में प्रचलन में हैं, उनमें वर्तमान परिदृश्य अनुरूप शोध एवं अनुसंधान के साथ समृद्ध करने की आवश्यकता है। मंत्री श्री परमार ने भारतीय ज्ञान परम्परा के आलोक में अभियांत्रिकी, तकनीकी, चिकित्सा सहित हर क्षेत्र, हर विषय में सदियों से विद्यमान वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित भारतीय परम्परागत ज्ञान के अनेकों उदाहरण प्रस्तुत किए। मंत्री श्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने भारतीय ज्ञान परम्परा पर पुनर्चिंतन का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया है। श्री परमार ने भारतीय पुरातन न्याय प्रणाली के संदर्भ में कहा कि हमारा समाज उन कालखंडों में स्वयं अनुशासित रहने वाला समाज था। उस समय किसी के घर में ताले नहीं लगाए जाते थे, समाज स्वयं नैतिक मूल्यों की अवधारणा को आत्मसात करता था। मंत्री श्री परमार ने न्यायिक प्रणाली के परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परम्परा की आवश्यकता एवं महत्ता पर भी बल दिया। मंत्री श्री परमार ने कहा कि देश के हृदय प्रदेश की संज्ञा से सुशोभित हिंदी भाषी मध्यप्रदेश ने भारत की अनेकता में एकता की संस्कृति को चरितार्थ करते हुए एक नई पहल की है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में देश की सभी प्रमुख भाषा जैसे कन्नड़, तमिल, तेलगु, बांग्ला, असमिया आदि भारतीय भाषाएं सिखाई जाएंगी। इससे प्रदेश के विश्वविद्यालयों से पूरे देश में भाषाई सौहार्दता का संदेश जाएगा। मंत्री श्री परमार ने कहा कि भाषाएं जोड़ने का काम करती हैं, तोड़ने का नहीं, यह व्यापक संदेश प्रदेश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों से देश भर में गुंजायमान होगा। हमारा यह नवाचार देश भर में "भाषाई एकात्मता" का संदेश देगा। मंत्री श्री परमार ने कहा कि कृतज्ञता का भाव भारतीय संस्कृति एवं विरासत है। हमारे पूर्वज सूर्य सहित समस्त प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते थे। पूर्वजों के ज्ञान के आधार पर स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष-2047 तक भारत सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर अन्य देशों की पूर्ति करने में समर्थ देश बनेगा। साथ ही वर्ष-2047 तक खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर अन्य देशों का भरण-पोषण करने में भी सामर्थ्यवान देश बनेगा। हम सभी की सहभागिता से अपने पूर्वजों के ज्ञान के आधार पर पुनः विश्वमंच पर सिरमौर राष्ट्र का पुनर्निर्माण होगा। मंत्री श्री परमार ने संस्थान के कुलगुरु एवं पुस्तकालयाध्यक्ष के साझे प्रयासों से संपादित "लाइब्रेरीज इन विकसित भारत : ब्रिजिंग ट्रेडिशन, टेक्नोलॉजी एंड ट्रांसफॉर्मेशन" पुस्तक का विमोचन भी किया। मंत्री श्री परमार ने संस्थान के कुलगुरु एवं विधि विभाग के प्राध्यापक द्वारा रचित पुस्तक "प्रोटेक्शन ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स इन साइबर स्पेस" का भी अनावरण किया। संस्थान की समाचार पत्रिका के नवीन संस्करण का भी विमोचन किया, यह संस्करण "ऑपरेशन सिंदूर" में भारतीय सेना के शौर्य पर आधारित है।  

भाषाई एकता का केंद्र बनेगा मध्य प्रदेश, परमार बोले- पूरे देश में जाएगा संदेश

हिंदी भाषी मप्र से, देश भर में गुंजायमान होगा "भाषाई एकात्मता" का संदेश: उच्च शिक्षा मंत्री परमार प्रदेश के प्रत्येक विश्वविद्यालय में सिखाई जाएगी भारतीय भाषा : मंत्री परमार उच्च शिक्षा मंत्री ने मंत्रालय में समस्त सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की समीक्षा की भोपाल  उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार की अध्यक्षता में मंत्रालय स्थित सभाकक्ष में, प्रदेश के समस्त सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक हुई। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि देश के हृदय प्रदेश की संज्ञा से सुशोभित हिंदी भाषी मध्यप्रदेश, भारत की अनेकता में एकता की संस्कृति को चरितार्थ करते हुए एक नई पहल करने जा रहा है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में देश की सभी प्रमुख भाषाओं को सिखाने के लिए कोर्स कराए जाएंगे ताकि प्रदेश का युवा देश के किसी भी राज्य या क्षेत्र में जाए तो वहां के निवासियों से सहजता से संवाद कर सकें और एकरूप हो सकें। परमार ने कहा कि हम इस नवाचार के माध्यम से सभी भाषाओं के प्रति अपना प्रेम संदेश भी प्रेषित करना चाहते हैं। परमार ने कहा कि भारत अलग- अलग भाषाओं और बोलियों का देश है लेकिन इसकी आत्मा एक है। हमारा यह नवाचार, देश भर में भाषाई एकात्मता का संदेश देगा। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत 17 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में, देश की विभिन्न भारतीय भाषाओं को सिखाने के लिए सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स अथवा क्रेडिट के साथ सामान्य पाठ्यक्रम में सम्मिलित करके, प्रारंभ किए जाने को लेकर व्यापक कार्ययोजना के साथ क्रियान्वयन करें। परमार ने कहा कि समस्त विश्वविद्यालयों को भारतीय भाषाओं को सिखाने के लिए, भाषाएं आबंटित की गई हैं। प्रत्येक विश्वविद्यालय आवंटित भाषाओं को सिखाने के लिए कार्ययोजना बनाकर क्रियान्वयन करेंगे। इससे प्रदेश के विश्वविद्यालयों से, पूरे देश में भाषाई सौहार्दता का संदेश जाएगा। भाषाएं जोड़ने का काम करती हैं, तोड़ने का नहीं; यह व्यापक संदेश प्रदेश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों से देश भर में गुंजायमान होगा। मंत्री परमार ने कहा कि प्रदेश की उच्च शिक्षा को लेकर धारणाओं मे परिवर्तन आना चाहिए, इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों को उच्च शिक्षा को गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिए निरंतर क्रियाशील रहना होगा। परमार ने समस्त विश्वविद्यालयों से रिक्त पदों की अद्यतन जानकारी प्राप्त की और विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक पदों में भर्ती की प्रक्रिया, रोस्टर के पालन के साथ नियमानुरूप शीघ्र करने के निर्देश दिए। परमार ने कहा कि विश्वविद्यालय को इकाई मानकर, रोस्टर का निर्धारण कर पदपूर्ति की प्रकिया पूर्ण करें और पदपूर्ति के लिए सभी विश्वविद्यालय शीघ्र विज्ञापन जारी करें। परमार ने नकल पर नकेल कसने के लिए, उत्तर पुस्तिकाओं के डिजिटल मूल्यांकन एवं डिजिटल सिक्योरिटी पर विस्तृत चर्चा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। परमार ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय परीक्षा एवं मूल्यांकन की पारदर्शिता के लिए डिजिटल मूल्यांकन को बढ़ावा दें और मेधावी विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं को अपने पोर्टल पर सार्वजनिक उपलब्ध कराए ताकि इससे अन्य विद्यार्थी प्रोत्साहित हों। परमार ने विश्वविद्यालय परिसर को विद्यार्थी केन्द्रित एवं आकर्षक बनाने को भी कहा। विद्यार्थियों की अंकसूची एवं डिग्री की उपलब्धता, डिजिलॉकर में सुनिश्चित किए जाने के भी निर्देश दिए। बैठक में मंत्री परमार ने समस्त विश्वविद्यालयों के विविध कार्यों, गतिविधियों, संस्थागत आवश्यकताओं एवं कार्ययोजनाओं पर बिंदुवार विस्तृत चर्चा कर आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में विश्वविद्यालयों के रिक्त पदों पर भर्ती, उत्तर पुस्तिकाओं के डिजिटल मूल्यांकन एवं डिजिटल सिक्योरिटी, भारतीय भाषा का अध्ययन एवं क्रेडिट से जोड़ना, अपार/स्वयं/समर्थ पोर्टल पर प्रगति, विभिन्न परियोजनाओं (वर्ल्ड बैंक/रुसा/राज्य) के अंतर्गत निर्माण कार्य, सेंटर फॉर एक्सीलेंस के अनुदान व्यय, विश्वविद्यालय परिसर को विद्यार्थी केंद्रित एवं आकर्षक बनाने की कार्ययोजना, छात्रावासों को सुविधायुक्त बनाए जाने की कार्ययोजना, सुदृढ़ वित्तीय एवं लेखांकन प्रणाली अपनाया जाना, भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की गतिविधियां एवं मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी पुस्तक सहायता केंद्र में पुस्तकों की उपलब्धता एवं विक्रय को लेकर व्यापक विमर्श हुआ। बैठक में भाषाओं को सिखाने के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाकर, कोर्स सिलेबस एवं शेष प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए चार विवि के कुलगुरुओं की एक समिति का गठन किया गया। बैठक में विश्वविद्यालयों को सिखाए जाने को लेकर भारतीय भाषाएं आबंटित की गई। इसमें बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल को तमिल, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर को कन्नड़, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर को मराठी एवं तेलगू, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर को तेलगू एवं पंजाबी, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा को सिंधी और गुजराती, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन को मलयालम,सिंधी और असमिया, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर को गुजराती, राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय छिन्दवाड़ा को तमिल और मराठी, पंडित शंम्भूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल को बांग्ला, क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय खरगौन को गुजराती, महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय चित्रकूट को उड़िया और महर्षि पाणिनी विश्वविद्यालय उज्जैन को उड़िया भाषा सिखाने के लिए भाषा का आवंटन किया गया है। ये विश्वविद्यालय, उक्त आवंटित भाषा सिखाने के लिए क्रियान्वयन करेंगे। बैठक में विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलगुरुओं ने उच्च शिक्षा में गुणात्मक वृद्धि के लिए आवश्यक एवं महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बैठक में अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन, आयुक्त उच्च शिक्षा प्रबल सिपाहा एवं सभी सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलगुरू एवं कुलसचिव सहित विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।