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अंडमान सी में 300 मीटर गहराई पर मिला नैचुरल गैस का भंडार, केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

नई दिल्ली  भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ी सफलता सामने आई है. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने ट्विटर पर जानकारी दी कि अंडमान सागर में स्थित श्री विजयपुरम 2 (Sri Vijayapuram 2) कुएं में प्राकृतिक गैस (Natural Gas) का पता चला है. यह कुआं अंडमान द्वीपसमूह के पूर्वी तट से लगभग 17 किलोमीटर (9.20 समुद्री मील) दूर है. कुएं की जलगहराई (Water Depth) 295 मीटर है, यानी यह समुद्र की सतह से 295 मीटर गहरे पानी में स्थित है. इसकी लक्षित गहराई (Target Depth) 2650 मीटर रखी गई थी. इसका मतलब है कि कुएं को पानी की सतह से लेकर समुद्र के नीचे जमीन में कुल 2650 मीटर तक खोदा गया. इसमें 295 मीटर पानी की गहराई और उसके नीचे जमीन में लगभग 2355 मीटर की गहराई शामिल है. शुरुआती उत्पादन परीक्षण (Initial Production Testing) से पता चला कि 2212 से 2250 मीटर की गहराई में प्राकृतिक गैस मौजूद है और इसमें समय-समय पर फ्लेयरींग (Intermittent Flaring) भी देखा गया. मीथेन गैस मिली गैस के नमूनों (Gas Samples) को जहाज के माध्यम से काकिनाडा (Kakinada) लाया गया, जहां उनका परीक्षण किया गया. जांच में सामने आया कि इस गैस में 87% मीथेन (Methane) है. मीथेन एक उच्च ऊर्जा क्षमता वाला घटक है और इसे वाणिज्यिक उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. अंडमान सागर में खोज का महत्व अंडमान सागर में प्राकृतिक गैस की यह खोज भारत के ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) और स्वदेशी ऊर्जा स्रोतों के विकास के लिहाज से अहम है. इससे देश की ऊर्जा जरूरतों को स्थानीय स्रोतों से पूरा करने में मदद मिलेगी और आयातित ऊर्जा पर निर्भरता कम होगी. आने वाले कदम केंद्रीय मंत्री के अनुसार, अब कुएं से कमर्शियल प्रोडक्शन योजना तैयार की जाएगी. यह चरण देश की ऊर्जा रणनीति में एक नया आयाम जोड़ सकता है और अंडमान-निकोबार क्षेत्र में ऊर्जा निवेश के अवसर भी बढ़ाएगा. ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक लाभ इस खोज से न केवल घरेलू ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय ऊर्जा बाजार में भारत की स्थिति मजबूत करने में भी मदद करेगा. मीथेन की उच्च प्रतिशतता इस परियोजना को वाणिज्यिक रूप से आकर्षक बनाती है और भविष्य में एलएनजी (LNG) निर्यात के रास्ते भी खोल सकती है. कुल मिलाकर, श्री विजयपुरम 2 कुएं में प्राकृतिक गैस की पुष्टि भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है और यह देश को आत्मनिर्भर ऊर्जा स्रोतों की ओर एक कदम और आगे ले जाएगी.

हीरा उगलने वाली छतरपुर की धरती में अब एक और खनिज का विशाल भंडार मिला, मध्य प्रदेश की किस्मत चमक जाएगी

छतरपुर   प्राकृतिक संसाधनों से मध्य प्रदेश की झोली जल्द ही भरने जा रही है. केन्द्र सरकार की मदद से मध्यप्रदेश को कोलबेड मीथेन की खोज में बड़ी सफलता हाथ लगी है. छतरपुर व दमोह जिले के इलाके में प्राकृतिक गैस के लिए कोलबेड मीथेन का बड़ा भंडार मिला है. छतरपुर और दमोह जिले के इस 462 वर्ग किलोमीटर एरिया में जल्द ही खनन की तैयारी की जा रही है. ONGC को खनन की जिम्मेदारी मिली खनन का काम देश की नवरत्न कंपनियों में शामिल ओएनजीसी यानी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाएगा. इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. अधिकारियों के मुताबिक खनन के लिए ओएनजीसी को प्रोविनजल लीज आवंटित कर दी गई है. कोल बेड मीथेन का मध्य प्रदेश बड़ा उत्पादक मध्यप्रदेश में प्राकृतिक गैस के भंडार के कई बड़े संभावित क्षेत्रों को लेकर लंबे समय से खोज चल रही है. कोलबेड मीथेन का मध्य प्रदेश बड़ा उत्पादक रहा है. देश का 40 फीसदी कोलबेड मीथेन का उत्पादक मध्यप्रदेश है. मध्य प्रदेश में अभी यह 40 फीसदी की पूति सिर्फ सोहागपुर के दो ब्लॉक ईस्ट और वेस्ट से ही हो रही है. इन स्थानों पर रिलायंस कंपनी के 300 कुएं हैं, जिससे गैस निकाली जा रही है. छतरपुर और दमोह करेगा मध्य प्रदेश की जरूरत पूरी रिलायंस की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस गैस पाइपलाइन लिमिटेड यहां से उत्तर प्रदेश के फूलपुर तक 302 किलोमीटर की एक पाइपलाइन भी ऑपरेट करती है. अभी इन कुओं से 234.37 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर सीबीएम का उत्पादन हो रहा है. मध्यप्रदेश के छतरपुर और दमोह में कोल बेडमीथेन के उत्पादन के बाद मध्यप्रदेश बड़े स्तर पर इसकी जरूरत को पूरा करेगा. विन्ध्य, सतपुडा के अलावा नर्मदा वैली में संभावनाएं मध्यप्रदेश के विन्ध्य, सतपुडा के अलावा नर्मदा वैली में पेट्रोलियन और प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार की संभावनाएं जताई जा रही हैं. 2017 में हाइड्रोकार्बन रिसोर्स असिस्मेंट की एक स्टडी भी हुई थी, जिसमें संभावना जताई गई थी कि इन क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस के भंडार मौजूद है. अनुमान है कि इन क्षेत्रों में 5 लाख 55 हजार 254 मिलियन टन हाइड्रोकार्बन का भंडार मौजूद है. हालांकि अब खोज के बाद छतरपुर-दमोह में खनन की तैयारियां शुरू की जा रही हैं. खनिज संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के मुताबिक "इसको लेकर केन्द्र से अनुमतियां मिल गई हैं और इसके तहत प्रोविजनल लीज दी गई है. कुछ और प्रोसेस बची है, इसे भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा." शहडोल व उमरिया जिले में भी ओनजीसी को लाइसेंस मध्यप्रदेश के छतरपुर-दमोह के अलावा शहडोल, उमरिया जिले में में पेट्रोलियम एक्सप्लोर करने के लिए ओएनजीसी को पहले ही लाइसेंस दिया गया है. इसके अलावा बैतूल, छिंदवाड़ा, नर्मदापुर में भी एनवेनियर पेट्रोडाउन लिमिटेड को पेट्रोलियन एक्सप्लोरेशन लाइसेंस दिया गया है. इन दोनों ही स्थानों पर काम भी शुरू हो गया है. इन दोनों स्थानों पर अगले 20 सालों में एक्सप्लोरेशन पर करीबन साढे 8 हजार करोड़ रुपए खर्च होगा. क्या है कोलबेड मीथेन गैस, किस काम आती है गौरतलब है कि कोलबेड मीथेन अपरंपरागत गैस का बड़ा स्रोत है. कोलबेड मीथेन कोयले की चट्टानों में पाई जाती है. इसे चट्टानों में ड्रिल करके निकाला जाता है. इसके लिए चट्टानों के नीचे ग्रिल करके भूमिगत जल को हटाकर इकट्ठा किया जाता है. कोयला भंडार के मामले में भारत दुनिया में पांचवें स्थान पर है.  हीरा उगलने वाली छतरपुर की धरती में अब एक और खनिज का विशाल भंडार मिला छतरपुर जिले के बक्सवाहा के जंगलों में एशिया का सबसे अच्छा हीरा पाया गया. इसके बाद यहां हीरा निकालने के लिए सरकार ने पूरी तैयारियां कर ली हैं. इसी जंगल में अब फॉस्फेट की चट्टानें मिली हैं. इन चट्टानों में बहुतायात में फॉस्फोराइट खनिज है. फिलहाल 57 लाख मीट्रिक टन रॉक फॉस्फेट के भंडार का पता चला है. हीरा के बाद इस खनिज के मिलने के बाद छतरपुर जिला मध्य प्रदेश में नंबर 1 पर पहुंच जाएगा. खाद बनाने के लिए फॉस्फोराइट का इस्तेमाल बता दें कि उर्वरक बनाने के लिए फॉस्फोराइट महत्वपूर्ण कच्चा माल माना जाता. खासकर, डीएपी खाद बनाने के लिए इसका उपयोग होता है. इस खोज से न केवल छतरपुर जिले का विकास होगा, बल्कि आने वाले दिनों में किसानों को खाद की उपलब्धता और उसकी कीमत में भी राहत मिलने की संभावना है. रॉक फॉस्फेट के भंडार की खोज के बाद सरकार ने खनन की अनुमति दे दी है. जल्द ही इस पर काम शुरू होने की उम्मीद है. इससे पहले बक्सवाहा में हीरा भी प्रचुर मात्रा में मिला गौरतलब है कि छतरपुर जिले में खनिज सम्पदा का भंडार है. बक्सवाहा इलाके में हीरा खदानें शुरू होने जा रही हैं. अब रॉक फॉस्फेट का अकूत भंडार मिलने से छतरपुर ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में रोजगार के नए अवसर बनेंगे. मध्य प्रदेश सरकार का खजाना छतरपुर की खनिज संपदा भर देगी. छतरपुर जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर बड़ामलहरा अनुविभाग के बकस्वाहा तहसील इलाके के सूरजपुरा में फॉस्फोराइट पत्थर की खोज हुई है.  बक्सवाहा के सूरजपुरा में सरकार ने दी खनन की मंजूरी भू-वैज्ञानिकों ने सर्वेक्षण में जिले के सूरजपुरा व इससे लगे पल्दा, सगौरिया, गरदौनियां में 1070 हेक्टेयर में फॉस्फोराइट का विशाल भंडार पाया है. अब इस भंडार पर हाल ही में केंद्र सरकार ने खनन की मंजूरी दे दी है. इससे यहां उद्योग स्थापित होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं. केंद्र सरकार के खनन मंत्रालय ने इस क्षेत्र में खनन कार्य के लिए लीज स्वीकृत कर दी है. यह लीज सनफ्लैग आयरन एंड स्टील कंपनी को दी गई है. इस कंपनी को आगामी 3 साल तक खनन करने की अनुमति दी गई है.  क्या होता है फॉस्फोराइट महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग में पदस्थ एचओडी डॉ. पीके जैन ने बताया "फॉस्फोराइट एक मिनरल होता है, जिसका स्रोत रॉक फॉस्फेट चट्टान होती है. इसी रॉक फॉस्फेट चट्टान में फॉस्फोराइट मिनरल डिपॉजिट होते हैं. छतरपुर जिले के बक्सवाहा के आसपास के गांव में इस खनिज तत्व के खोज की पुष्टि हुई है. बकस्वाहा तहसील के सूरजपुरा और आसपास के गांवों में फॉस्फोराइट खनिज तत्व डिपोजिट हैं. यह एक सेडिमेंट्री रॉक (अवसादी चट्टान) हैं और फॉस्फोराइट इसका प्रमुख स्रोत माना जाता है.  फास्फोराइट का कैसे होता है उपयोग छतरपुर … Read more