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प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में भोपाल की बेटियाँ देंगी बैंड की प्रस्तुति

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में होगी प्रस्तुति भोपाल  भोपाल की बेटियाँ राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर 2025 को गुजरात के एकता नगर (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) परिसर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में मध्यप्रदेश का मान बढ़ाएंगी। स्कूल ​शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित बैंड प्रतियोगिता में सेंट जोसेफ कॉन्वेंट ईदगाह हिल्स स्कूल भोपाल की बालिका टीम ने राज्य में प्रथम स्थान हासिल कर राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश का प्रतिनि​धित्व करते हुए देश में दूसरा स्थान हासिल किया था। उसी टीम को केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में 31 अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए चुना है। गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय बैंड प्रतियोगिता में शामिल दो टीमों को आमंत्रित किया है। बालिका वर्ग में द्वितीय स्थान हासिल करने वाले भोपाल के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल और बालक वर्ग में देश में पहला स्थान हासिल करने वाली राजस्थान की टीम शामिल है। यह दोनों टीमें संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री श्री मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह की मौजूदगी में होने वाले कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देंगी। यह कार्यक्रम लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम में प्रदेश की बैंड टीम राज्य पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, अन्य सुरक्षा बल और एनसीसी की टीमों के साथ मंच साझा करेगी। बैंड में शामिल 30 बालिकाओं की टीम उनके प्र​शिक्षक श्री रसिक नागर पांडेय के साथ 23 अक्टूबर को गुजरात के लिए प्रस्थान करेगी। श्री पांडेय ने बताया कि कार्यक्रम में बैंड टीम द्वारा हिन्दी, गुजराती, अंग्रेजी, स्पेनिश और जर्मन धुनें प्रस्तुत की जाएंगी। स्कूल की प्राचार्य सिस्टर लिली ने बताया कि बैंड की टीम पिछले 15 दिन से इस गौरवपूर्ण कार्यक्रम के लिए तैयारी कर रही है। इस कार्यक्रम में ​शामिल होना हमारे स्कूल, भोपाल और पूरे मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है।  

प्रधानमंत्री मोदी ने IIT भिलाई के नए चरण का वर्चुअल किया शिलान्यास

आईआईटी में आयोजित कार्यक्रम में तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार मंत्री गुरू खुशवंत साहेब हुए शामिल भारत सरकार ने फेस 2 के लिए 2257.55 करोड़ रुपए किए है मंजूर रायपुर, प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने आज झारसुगुड़ा (ओडिशा) में आयोजित कार्यक्रम के दौरान देश के आठ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में अधोसंरचना विकास कार्यों का वर्चुअल शिलान्यास किया। इनमें आईआईटी भिलाई के फेस-2 परियोजना भी शामिल है। अन्य सात संस्थानों में आईआईटी पटना, आईआईटी इंदौर, आईआईटी जोधपुर, आईआईटी तिरुपति, आईआईटी पलक्कड़, आईआईटी धारवाड़ और आईआईटी जम्मू सम्मिलित हैं। इस अवसर का सीधा प्रसारण आईआईटी भिलाई परिसर के नालंदा व्याख्यान कक्ष में किया गया। समारोह में छत्तीसगढ़ के कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री  गुरु खुशवंत साहेब और अहिवारा के विधायक  डोमनलाल कोर्सेवाड़ा उपस्थित रहे। मंत्री  गुरु खुशवंत साहेब ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आठ आईआईटी परियोजनाओं का शिलान्यास होना पूरे देश और छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। इससे प्रदेश में तकनीकी शिक्षा का विस्तार होगा और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटी भिलाई के फेस-2 निर्माण पूर्ण होने पर शोधार्थी छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। फेस-2 परियोजना : तकनीकी शिक्षा और नवाचार की नई दिशा भारत सरकार ने 29 मई 2025 को फेस-2 निर्माण के लिए 2,257.55 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, जिनमें से 1,092 करोड़ रुपये परिसर निर्माण पर व्यय होंगे। इस चरण में 1 लाख 51 हजार 343 वर्ग मीटर का अतिरिक्त क्षेत्र विकसित किया जाएगा, जिसमें नए इंजीनियरिंग और विज्ञान विभाग, अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ, आईसीटी सक्षम व्याख्यान कक्ष और प्रोटोटाइप सुविधाएँ शामिल होंगी। छात्र संख्या 1,500 से बढ़कर 3,000 हो जाएगी। परियोजना में छात्रावास, मेस हॉल, खेल परिसर, ओपन एयर थिएटर, कैंटीन, खेल मैदान, टेनिस कोर्ट, आवासीय भवन, स्वास्थ्य केंद्र और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स जैसी सुविधाएँ भी जोड़ी जाएंगी। फेस-2 की सबसे महत्वपूर्ण पहल छत्तीसगढ़ का पहला अनुसंधान पार्क है, जिसकी स्थापना 96 करोड़ रुपये की लागत से की जाएगी। इस परियोजना को अक्टूबर 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। आईआईटी भिलाई की स्थापना वर्ष 2016 में की गई थी। फेस-1 निर्माण के लिए  1090.17 करोड़ मंजूर किए गए थे, जिसके तहत 1 लाख 34 हजार 450 वर्ग मीटर क्षेत्र में स्मार्ट, पर्यावरण-संवेदनशील और छात्र-केंद्रित परिसर विकसित किया गया, जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री द्वारा 20 फरवरी 2024 को किया गया था। इस परिसर को जीआरआईएचए एलडी रेटिंग और एनएससीआई सुरक्षा पुरस्कार 2021 सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। आईआईटी भिलाई की उपलब्धियाँ और विशेषताएँ आईआईटी भिलाई का परिसर गोंड आदिवासी कला से प्रेरित प्रवेश गलियारों से सुशोभित है, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। संस्थान वर्तमान में लगभग 185 करोड़ रुपये की 300 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है तथा अब तक 30 पेटेंट दर्ज किए जा चुके हैं। संस्थान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतःविषय साइबर-भौतिक प्रणालियों (NM-ICPS) पर राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत स्थापित सेक्शन 8 कंपनी आईआईटी भिलाई इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फाउंडेशन (I B I T F) की मेजबानी करता है। हाल ही में आईबीआईटीएफ को वित्तीय क्षेत्र के लिए फिनटेक आधारित नवाचारों को प्रोत्साहित करने हेतु ‘श्रेणी-ए हब’ के रूप में नामित किया गया है। आईआईटी भिलाई की एक उल्लेखनीय पहल विद्या समीक्षा केंद्र, छत्तीसगढ़ है, जो राज्यभर के स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों के लिए एक केंद्रीकृत, वास्तविक समय डिजिटल निगरानी प्रणाली है। इस मंच ने 10 लाख गैर-मौजूद छात्र रिकॉर्ड की पहचान कर उन्हें समाप्त किया, जिससे लगभग 40 करोड़ रुपये की बचत हुई और 60 लाख पाठ्यपुस्तकों का सही वितरण संभव हो सका। इसके अलावा संस्थान ने गहन तकनीकी समाधानों के माध्यम से जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए देशभर में कुल 54 जनजातीय विकास परियोजनाएँ शुरू की हैं, जिन पर 19 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। वर्तमान और भविष्य वर्तमान में आईआईटी भिलाई में बी.टेक, एम.टेक, एम.एससी. और पीएच.डी. कार्यक्रमों के अंतर्गत 1,525 छात्र अध्ययनरत हैं। फेस-2 विकास के साथ यह संख्या 3,000 तक पहुँच जाएगी। इससे संस्थान न केवल शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में बल्कि उद्योग सहयोग और तकनीकी विकास में भी एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित होगा। इस अवसर पर संस्था के विषय विशेषज्ञ, प्राध्यापकगण, गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।    

प्रधानमंत्री मोदी स्वदेशी के हैं ब्रांड एम्बेसडर: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

हमने हर काल में आई चुनौतियों का सामना स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की ताकत से किया : मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रधानमंत्री  मोदी स्वदेशी के हैं ब्रांड एम्बेसडर स्वावलंबन और स्वदेशी के बीज से ही आत्मनिर्भरता का बनेगा वटवृक्ष मुख्यमंत्री ने त्यौहारी सीजन में प्रदेशवासियों को स्वदेशी वस्तुएं खरीदने के लिए किया प्रेरित स्वदेशी अभियान की सफलता के लिए समाज की सक्रिय सहभागिता आवश्यक मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वदेशी जागरण सप्ताह का किया शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. यादव स्वदेशी जनजागरण रैली में हुए शामिल पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती से महात्मा गांधी की जयंती तक चलेगा स्वदेशी जागरण सप्ताह रवीन्द्र भवन में हुआ राज्य स्तरीय कार्यक्रम भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि स्वदेशी की ताकत से ही हमारी संस्कृति, हजारों हजार साल से अपने गौरव-गरिमा और समृद्धता के साथ विद्यमान है। हर युग और हर काल में आई चुनौतियों का हमने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की ताकत से ही सामना किया है। महात्मा गांधी ने स्वदेशी के बल पर ही देश को आजादी दिलाई थी। उन्होंने ने जन-जन को विदेशी वस्तुओं को त्यागने और विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए प्रेरित किया। अपनी माटी, अपने देश और स्वदेशी व्यवस्था के प्रति हम सबके मन में सम्मान होना चाहिए। महात्मा गांधी और पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों में बहुत समानता थी। महात्मा गांधी और पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय संस्कृति की लंबी विचार प्रक्रिया के संवाहक हैं। दोनों का ही विचार था कि स्वावलंबन और स्वदेशी के बीज से ही आत्मनिर्भरता का वटवृक्ष बनेगा और भारत, विश्व की प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरूवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय की जंयती के अवसर पर मध्यप्रदेश जन-अभियान परिषद और स्वदेशी जागरण मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राज्य स्तरीय स्वदेशी जागरण सप्ताह के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। रवीन्द्र भवन में आयोजित कार्यक्रम का मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंगलाचरण के बीच दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने रैली में पैदल मार्च कर स्वदेशी अपनाने के लिए जन-जन को किया प्रेरित मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने माँ भारती, महात्मा गांधी और पं. दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर गायत्री परिवार, ब्रह्म कुमारी संगठन, पंतजलि समूह और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने स्वदेशी के प्रति अपनी प्रतिबद्धिता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव को स्वदेशी संकल्प समर्थन-पत्र सौंपे। कार्यक्रम में स्वदेशी पर केंद्रित लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव स्वदेशी जागरण सप्ताह के शुभारंभ अवसर पर निकाली गई रैली में मानस भवन से पैदल मार्च करते हुए शामिल हुए। रैली के माध्यम से उद्योग जगत, व्यापारी बन्धुओं, दुकानदारों, विक्रेताओं, छात्र-छात्राओं और समस्त समाज के सदस्यों को स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। रैली स्वदेशी पर केंद्रित नारों के माध्यम से जन-जागरण करती हुई रवीन्द्र भवन पहुंची। भोपाल, बैतूल, शिवपुरी और उज्जैन में लगेंगे स्वदेशी मेले मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्वदेशी जागरण सप्ताह में स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार-प्रसार करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूरे प्रदेश में स्वदेशी जागरण सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। यह महाअभियान प्रदेश के 313 विकासखंडों में पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितम्बर से महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर तक चलेगा। प्रसन्नता का विषय है कि आगामी माहों में भोपाल, बैतूल, शिवपुरी और उज्जैन में स्वदेशी मेले आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी स्वदेशी के सबसे बड़े ब्रांड एम्बेसडर हैं। उनके मार्गदर्शन में देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। आत्मनिर्भर बनते भारत की विकास यात्रा का मार्ग स्वदेशी से ही खुलता है। किसानों और कारीगरों के परिश्रम का सम्मान जरूरी मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने रामायण के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि अपनी मिट्टी, अपनी भूमि के प्रति विश्वास के भाव से ही हम अपने जीवन को सफल और धन्य कर सकते हैं। किसान मिट्टी में श्रम से ही अपने अन्न के भंडार भरते हैं। लघु उद्योग चलाने और उसमें काम करने वाले कारीगर के भी स्वावलंबन के मार्ग पर चलते हैं, उनके परिश्रम का सम्मान आवश्यक है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नवरात्रि, दशहरा और दीपावली के त्योहारी सीजन में प्रदेशवासियों को स्वदेशी वस्तुएं खरीदने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि किसी भी अभियान की सफलता समाज के सहयोग के बिना मंजिल तक नहीं पहुंच सकती है। दीपक और उसकी बाती के लिए जिस प्रकार ऑक्सीजन जरूरी है, उसी प्रकार स्वदेशी जैसे अभियान की सफलता के लिए समाज की सक्रिय सहभागिता आवश्यक है। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश जन-अभियान परिषद के उपाध्यक्ष  मोहन नागर, स्वर्णिम भारत वर्ष फाउण्डेशन, अखिल भारतीय सह प्रमुख स्वदेशी मेला, स्वाबलंबी भारत अभियान और सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश के पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।  

प्रधानमंत्री मोदी का स्वदेशी मंत्र: अब पैसों से नहीं, पसीने से होगी असली पहचान!

नई दिल्ली ‘मेरी स्वदेशी की व्याख्या बहुत सिंपल है. पैसा किसका लगता है, उससे लेना-देना नहीं है.  डॉलर है, पाउंड है… वह करेंसी काली है या गोरी है, मुझे लेना-देना नहीं है. लेकिन जो प्रोडक्शन है उसमें पसीना मेरे देशवासियों का होगा. जो प्रोडक्शन होगा, उसमें महक मेरे देश की मिट्टी की होगी.’ मोदी ने पिछले दिनों गुजरात में मारुति सुजुकी ई-विटारा इलेक्ट्रिक एसयूवी और हाइब्रिड बैटरी यूनिट का उद्घाटन करते हुए जब स्वदेशी की इस तरह व्याख्या की तो कई बातें स्पष्ट हो गईं. पीएम के बयान से यह साफ हो गया कि सरकार के स्वदेशी का दायरा इसके परंपरागत परिभाषा से कहीं व्यापक और वृहद है. रविवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में PM  नरेंद्र मोदी ने फिर से स्वदेशी मंत्र का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता को जैसे स्वदेशी के मंत्र से ताकत मिली, वैसे ही देश की समृद्धि को भी स्वदेशी के मंत्र से ही शक्ति मिलेगी.  हर घर को स्वदेशी का प्रतीक बनाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा किआज जाने-अनजाने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत सी विदेशी चीजें जुड़ गई हैं, हमें पता तक नहीं है. हमारे जेब में कंघी विदेशी है कि देसी है, पता ही नहीं है. हमें इनसे भी मुक्ति पानी होगी.   उन्होंने 'मेक इन इंडिया' पर जोर देते हुए कहा कि हम वो सामान खरीदें, जो मेड इन इंडिया हो, जिसमें हमारे देश के नौजवानों की मेहनत लगी हो, हमारे देश के बेटे बेटियों का पसीना हो. उन्होंने कहा कि ये हर भारतीय का मिजाज़ बनना चाहिए. स्वदेशी का विचार सहज भाषा में कहें तो स्वदेशी का अर्थ है "अपने देश का" या अपने देश में निर्मित वस्तुएं, सेवाएं और देश में पैदा हुए और फले-फूले विचार. स्वदेशी का कॉन्सेप्ट भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था. इसका उद्देश्य विदेशी (विशेषकर ब्रिटिश) वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना था. तब महात्मा गांधी स्वदेशी के ब्रैंड एम्बेसडर थे.    आधुनिक संदर्भ में स्वदेशी का मतलब स्थानीय उत्पादों, प्रौद्योगिकी और संसाधनों को प्राथमिकता देना है ताकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो और विदेशी निर्भरता कम हो.    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठन परंपरागत रूप से स्वदेशी को राष्ट्रीय गौरव और आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक मानते हैं. इनका तर्क है कि स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, रोजगार बढ़ेगा.    कुछ साल पहले तक तो संघ और स्वदेशी जागरण मंच स्वदेशी को विदेशी कंपनियों की "आर्थिक गुलामी" से बचने का उत्तर मानते थे. ये संगठन  विदेशी निर्भरता कम करने और संरक्षणवादी नीतियों को अपनाने की वकालत करते हैं.    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 की कोरोना संकट के दौरान स्वदेशी के पुश पर जोर दिया था.    PM मोदी ने 12 मई को "आत्मनिर्भर भारत अभियान" की घोषणा की थी. जिसमें स्वदेशी को आर्थिक आत्मनिर्भरता का आधार बताया गया था.    इसका फोकस स्थानीय विनिर्माण, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और विदेशी आयात से निर्भरता कम करना था. इसी दौरान पीएम मोदी ने वोकल फॉर लोकल का नारा दिया. इसका मतलब था कि भारतीयों को स्थानीय उत्पाद, लोकल सामान के बारे में खुलकर बात करना चाहिए और इसका प्रचार करना चाहिए.   यह पीएम मोदी द्वारा स्वदेशी को जन-आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करता था.    इसी दौरान पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की. इसके साथ ही उन्होंने MSME, कृषि, और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन शुरू किए. रक्षा में 101 आयात वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया गया. स्वदेशी को ग्लोबल सप्लाई चेन से जोड़ा   आगे के वर्षों में पीएम मोदी ने स्वदेशी को केवल स्थानीय उत्पादों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की भूमिका से जोड़ा. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जो नारा दिया गया उसी का नाम है, "मेक इन इंडिया, और मेक फॉर द वर्ल्ड" का नारा.    पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया का नारा दिया तो निश्चित रूप से ये विदेशी पूंजी के स्वागत का न्योता था. दरअसल मेक इन इंडिया स्वदेशी और वैश्वीकरण का मिश्रण है, जो विदेशी पूंजी को आकर्षित कर भारत को मैन्युफैक्चरिंग और नवाचार का हब बनाता है. यह भारत की आर्थिक और रणनीतिक शक्ति को मजबूत करने की घोषणा है. पैसा किसका लगता है, कौन सा देश लगाता है, बड़ी बात नहीं    यही वजह है कि पीएम मोदी ने अहमदाबाद में साफ कह दिया है कि स्वदेशी प्रोडक्शन में पैसा किसका लगता है, कौन सा देश लगाता है, ये बड़ी बात नहीं है. जो बड़ी बात है वो यह है कि प्रोडक्शन भारत भूमि में हो और इसका लेबर भी भारत से आए.    लेकिन सवाल है कि स्वदेशी को लेकर उस संगठन का क्या कहना है जो भारत में इसके पक्ष में सबसे बड़ा आंदोलन चलाता है. स्वदेशी जागरण मंच भारत में स्वदेशी आंदोलन की बड़ी ताकत है.    स्वदेशी को समझाते हुए स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन कहते हैं कि इस टर्म को बहुत हद तक बदनाम किया गया और स्वदेशी की जो परिभाषा को जिस तरह से महात्मा गांधी ने समझाया उसके अनुसार स्वदेशी का अर्थ है अपने आस-पास के परिवेश के साजो-सामान का इस्तेमाल करना. उससे सामान बनाना और श्रेष्ठता लाना और अगर उसमें कुछ कमी हो तो उसको ठीक करना.    स्वदेशी आंदोलन में विदेशी सहयोग को स्वीकार करने की बात करते हुए अश्विनी महाजन ने आजतक डॉट इन से कहा, "स्वदेशी का मतलब कोई विदेशों से कटना नहीं है. विदेशों से संबंध नहीं रखना इसका मतलब स्वदेशी नहीं है. विदेशों से सामान नहीं खरीदना-बेचना स्वदेशी नहीं है, ये तो ऑटर्की (Autarky) है. स्वदेशी एक सकारात्मक विचार है." आजादी के समय स्वदेशी में बहिष्कार के कॉन्सेपट को समझाते हुए उन्होंने कहा कि ये उस काल की एक खासियत थी.    आधुनिक अर्थ में स्वदेशी को समझाते हुए उन्होंने कहा कि, "पीएम मोदी ने पहले मेक इन इंडिया कहा, फिर आत्मनिर्भर भारत कहा, फिर अब स्वदेशी की बात की. ये सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और परिस्थितियों के हिसाब से हम स्वदेशी को चुनते हैं." स्वदेशी को बदनाम किया गया   स्वदेशी जागरण मंच … Read more

प्रधानमंत्री मोदी 17 सितंबर को MP में देंगे बड़ी रोजगार सौगात

भोपाल धार जिले के बदनावर क्षेत्र स्थित भैंसोला गांव में स्थापित हो रहे देश के पहले पीएम मित्रा पार्क में अपनी इकाइयां लगाने के लिए टेक्सटाइल क्षेत्र की कंपनियां उत्साहित हैं। वर्धमान, ट्रांइडेट सहित 91 कंपनियों को 1,294 एकड़ भूमि आवंटित भी कर दी गई है। ये कंपनियां 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक निवेश करेंगी, जिससे 72 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। पार्क में निवेश करने के लिए 114 कंपनियों के प्रस्ताव अभी तक प्राप्त हुए हैं। लाखों परिवारों के जीवन में आने वाला है ठोस बदलाव मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि देश की बड़ी टेक्सटाइल कंपनियां पीएम मित्रा पार्क में अपनी इकाइयां लगाना चाहती हैं। सरकार निवेशकों को हर तरह की सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है। पार्क के पूर्ण विकसित होने पर रोजगार का आंकड़ा तीन लाख तक पहुंचने का अनुमान है। यह केवल संख्या नहीं, बल्कि लाखों परिवारों के जीवन में आने वाला ठोस बदलाव है।   अभी तक 23 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव कंपनियां दे चुकी हैं। इन प्राप्त निवेशों से यार्न, फैब्रिक और गारमेंट उत्पादन की संपूर्ण वैल्यू चेन यहीं विकसित होगी, जिससे प्रदेश का टेक्सटाइल उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकेगा। यहां कुल 2158 एकड़ भूमि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 17 सितंबर को भूमिपूजन करने के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। किसान मेले किए जाएंगे आयोजित मुख्यमंत्री ने कृषि और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को बैठक में निर्देश दिए कि कृषि आधारित उद्योगों के प्रचार-प्रसार के लिए कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग बहुउद्देशीय कृषि मेले आयोजित करें। इनमें किसानों को उनकी फसल सहित अन्य सहायक उत्पादों के विक्रय एवं मार्केटिंग की जानकारियां भी जाएं। पीएम मित्रा पार्क से प्रदेश के कपास और रेशम उत्पादक किसानों की जीवन रेखा बदल जाएगी। छह लाख से अधिक कपास उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। कपास की खपत स्थानीय स्तर पर ही हो जाएगी। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और कच्चे माल की सप्लाई की एक पूरी चैन तैयार होगी।