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SBI में बड़ी लूट: कर्नाटक में 20 किलो सोना और नकदी ले उड़े, मिर्च पाउडर से किया हमला

विजयपुरा कर्नाटक के विजयपुरा जिले के चदचन कस्बे में  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की शाखा में हथियारों से लैस डकैतों ने दिनदहाड़े सनसनीखेज डकैती को अंजाम दिया। इस घटना में डकैतों ने लगभग 21.04 करोड़ रुपये की नकदी और सोने के आभूषण लूट लिए। पुलिस के अनुसार, तीन हथियारबंद डकैतों ने बैंक कर्मचारियों और ग्राहकों को बंधक बनाकर इस लूट को अंजाम दिया। शाखा प्रबंधक तारकेश्वर की शिकायत के अनुसार, तीन डकैत बैंक में एक चालू खाता खोलने के बहाने घुसे। उनके पास पिस्तौल और चाकू थे, जिनका इस्तेमाल कर उन्होंने बैंक कर्मचारियों और मौजूद ग्राहकों को धमकाया। डकैतों ने सभी को प्लास्टिक टैग से बांध दिया और बैंक के नकदी और सोने के लॉकर खोलने के लिए मजबूर किया। रिपोर्ट के मुताबिक, लूट के दौरान, डकैतों ने 425 सोने के पैकेटों में से 398 पैकेट चुरा लिए, जिनका कुल वजन लगभग 20 किलोग्राम बताया जा रहा है। इसके अलावा, लगभग 1.04 करोड़ रुपये की नकदी भी लूटी गई। पुलिस ने बताया कि डकैत एक सुजुकी ईवा वाहन में फर्जी नंबर प्लेट के साथ भागे, जो महाराष्ट्र के पंढरपुर की ओर जा रहा था। हालांकि, सोलापुर जिले के हुलजंती गांव में वाहन का दुर्घटना हो गई, जिसके बाद डकैत लूटे गए सामान के साथ फरार हो गए। पुलिस अधीक्षक लक्ष्मण निंबर्गी ने पुष्टि की कि इस घटना में बैंक कर्मचारियों और ग्राहकों को कोई शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचा। डकैतों की तलाश के लिए कर्नाटक और महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। जिले में दूसरी बड़ी डकैती यह घटना विजयपुरा जिले में कुछ महीनों के भीतर दूसरी बड़ी डकैती है। इससे पहले, 23 से 25 मई के बीच, मंगुली गांव में केनरा बैंक की शाखा से 53.26 करोड़ रुपये की लूट हुई थी, जिसमें लगभग 59 किलोग्राम सोना और 5.3 लाख रुपये की नकदी शामिल थी। जांचकर्ताओं के अनुसार, पहली डकैती की साजिश बैंक के पूर्व शाखा प्रबंधक विजयकुमार मिरियाल ने महीनों तक रची थी। जून में मिरियाल और उनके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार, इस डकैती में शामिल अपराधियों ने हॉलीवुड और बॉलीवुड की डकैती से प्रेरित फिल्मों का अध्ययन किया था। उन्होंने सीसीटीवी कैमरों और बिजली लाइनों को निष्क्रिय कर दिया, खिड़की की ग्रिल काटी, और मिरियाल द्वारा बनाई गई लॉकर की डुप्लिकेट चाबी का उपयोग किया। पकड़े जाने से बचने के लिए, अपराधियों ने मास्क और हेलमेट पहने, स्निफर कुत्तों को भटकाने के लिए मिर्च पाउडर छिड़का, और जांच को गुमराह करने के लिए काले जादू से संबंधित सामान छोड़ा। उन्होंने अपनी मूल योजना को एक आईपीएल मैच के कारण स्थगित कर दिया था और मिरियाल के ट्रांसफर के बाद डकैती को अंजाम दिया ताकि संदेह नए कर्मचारियों पर जाए। पुलिस की कार्रवाई पुलिस ने दोनों डकैतियों के बाद जांच तेज कर दी है। चदचन डकैती के मामले में, पुलिस संदिग्धों की तलाश में सीसीटीवी फुटेज और अन्य सुरागों का विश्लेषण कर रही है। विजयपुरा जिले में बढ़ती डकैतियों ने स्थानीय लोगों में दहशत पैदा कर दी है, और पुलिस पर अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने का दबाव है। पुलिस अधीक्षक निंबर्गी ने कहा, "हम सभी संभावित सुरागों पर काम कर रहे हैं और जल्द ही अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा।" इस बीच, बैंक प्रबंधन ने सुरक्षा उपायों को और सख्त करने का आश्वासन दिया है।

पुलिस की सटीक कार्रवाई: उज्जैन बैंक लूट के 5 आरोपी गिरफ्तार, नेपाल भागने का था प्लान

 उज्जैन  उज्जैन में सनसनीखेज एसबीआई बैंक शाखा में देर रात 5 करोड़ के सोने चांदी के आभूषण और 8 लाख नगद रुपये चोरी के मामले का पुलिस ने 12 घंटो में ही खुलासा कर दिया है। मंगलवार देर रात उज्जैन पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने मामले का खुलासा करते हुए कहा कि इस पूरे मामले में बैंक का आउटसोर्स बैंककर्मी मास्टर माइंड निकला है। पुलिस ने मास्टरमाइंड जय उर्फ जीशान सहित कुल पांच आरोपी गिरफ्तार किए हैं और पांच करोड़ का सोना सहित लाखों रुपये भी बरामद कर लिए हैं। इस मामले में लापरवाही बरतने पर बैंक के 2 अधिकारी को निलंबित किया है। बताया जा रहा है कि चोरी के बाद आरोपी देवास जिले के हाट पिपलिया में रिश्तेदारों के छुपे हुए थे,जिन्हें मंगलवार देर शाम गिरफ्तार कर उज्जैन लेकर आई थी। जानकारी के अनुसार,आरोपियों ने माल का बंटवारा भी कर लिया था और इसके बाद पुरानी कार वाहन खरीद कर सुबह नेपाल भागने की तैयारी में थे। उज्जैन शहर के माधवनगर थाना क्षेत्र के महानंदा नगर में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच शाखा है,जहां सोमवार देर रात बैंक के लॉकर में रखे 5 करोड़ के आभूषण सहित 8 लाख नगद चोरी की सनसनीखेज घटना सामने आई थी। घटना की जानकरी मंगलवार सुबह लगी,जब सफाई कर्मचारी बैंक पहुंचे। बैंक के ताले खुले मिले। सूचना पर मौके पर एडीजी ,एसपी प्रदीप शर्मा सहित पुलिस अधिकारी और थाने का बल पहुंचा ओर जांच पड़ताल में जुट गया। पुलिस को पहले ही आशंका थी, कि इस वारदात में बैंक का ही कोई कर्मचारी शामिल है। मामले को लेकर एक सीसीटीवी भी सामने आया था जिसमे 2 लोग भागते दिखाई दे रहे थे। मास्टरमाइंड सहित 4 गिरफ्तार बैंक का आउटसोर्स कर्मचारी जय भावसार पूर्व जीशान निवासी दानी गेट इस चोरी का मास्टरमाइंड है। उसने साथी अब्दुल्ला कोहिनूर साहिल और अरबाज निवासी जीवाजी गंज के साथ मिलकर पूरी घटना को अंजाम दिया था। इन्होंने पहले खिड़की में हाथ डालकर जय और अब्दुल्ला ने गेट खोला और बैंक में दाखिल हुए। यहां गोल्ड लोन का 19 लॉकरों में रखा, 75 लोगों का करीब 5 करोड़ का सोना चुराने के बाद बाइक से फरार हो गए थे। आरोपियों का सीसीटीवी फुटेज सामने आया था। जिस तरह से बिना ताला तोड़े चोरी की घटना को अंजाम दिया गया था, उससे पुलिस को पहले ही आशंका थी कि बैंक का ही कोई कर्मचारी इसमें लिप्त हो सकता है। जन्माष्ठमी से बना रहे थे प्लान, सम्भवतः लगवाई थी आग मिली जानकारी के अनुसार मास्टरमाइंड जय जन्माष्टमी से बैंक में चोरी करने का प्लान बना रहे थे। इसके लिए कुछ दिन पहले बैंक मे लगी आग सम्भवतः उसने ही लगवाई थी, जिसमें कैमरे और फर्नीचर जल गए थे। इसके बाद बैंक को फर्स्ट फ्लोर पर शिफ्ट किया गया। इस दौरान लॉकर नीचे ही थे,जबकि पूरी बैंक ऊपर पहली मंजिल पर शिफ्ट कर दी गई थी। इस पूरे काम को आउटसोर्स कर्मचारी जय ने ही करवाया था और शिफ्टिंग के समय अपने साथियों को मजदूर बनकर बैंक में लेकर आया और पूरी बैंक की रेकी की शिफ्टिंग के दौरान ही उसने कैसे लॉकर खुला छोड़ दिया,जिस पर प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया। इस दौरान ही लॉकर की चाबी कहां रखते हैं,यह भी उसे अच्छे से मालूम हो गया था। कुछ दिन पहले किया धर्म परिवर्तन मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले का मास्टर माइंड जय उर्फ जीशान ने कुछ दिनों से कुछ वीडियो लगातार देख रहा था और इसके बाद उसने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था। पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि धार्मिक वीडियो देख धर्म परिवर्तन किया था हालांकि इस मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गुरु प्रसाद पाराशर और सीएसपी दीपिका शिंदे जांच पड़ताल कर रही है कि कहीं और लोग तो नहीं हैं, जिनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।

बैंक ट्रांसफर महंगा! जानिए SBI, HDFC, PNB और केनरा की नई चार्ज दरें

नई दिल्ली  अगर आप इंटरनेट या मोबाइल बैंकिंग के जरिए पैसे भेजते हैं, तो आपके लिए यह जरूरी खबर है. देश के कई बड़े बैंकों ने अब इमीडिएट पेमेंट सर्विस यानी आईएमपीएस (IMPS) पर चार्ज लगाने का फैसला लिया है. आईएमपीएस ट्रांजैक्शन करने वालों इन बैंकों के ग्राहकों को अब तय सीमा के हिसाब से फीस चुकानी होगी. पहले ज्यादातर बैंक इस सुविधा को बिल्कुल फ्री मुहैया कराते थे. देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने करोड़ों ग्राहकों को बड़ा झटका दे दिया है. दरअसल, एसबीआई ने खुदरा ग्राहकों के लिए अपनी आईएमपीएस ट्रांजैक्शन चार्ज में बदलाव करने का ऐलान किया है. नए बदलाव 15 अगस्त, 2025 से लागू होंगे. SBI के नए चार्ज (15 अगस्त से लागू) 25,000 रुपये तक – कोई चार्ज नहीं 25,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक – 2 रुपये + GST 1 लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक – 6 रुपये + GST 2 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक – 10 रुपये + GST केनरा बैंक के नए चार्ज     1,000 रुपये तक: कोई चार्ज नहीं     1,000 रुपये – 10,000 रुपये तक: 3 रुपये + GST     10,000 रुपये – 25,000 रुपये तक: 5 रुपये + GST     25,000 रुपये – 1,00,000 रुपये तक: 8 रुपये + GST     1,00,000 रुपये – 2,00,000 रुपये तक: 15 रुपये + GST     2,00,000 रुपये – 5,00,000 रुपये तक: 20 रुपये + GST पंजाब नेशनल बैंक के नए चार्ज 1,000 रुपये तक: कोई चार्ज नहीं 1,001 रुपये – 1,00,000 रुपये तक: ब्रांच से 6 रुपये + GST, ऑनलाइन: 5 रुपये + GST 1,00,000 रुपये से ऊपर: ब्रांच से: 12 रुपये + GST, ऑनलाइन: 10 रुपये + GST HDFC बैंक के नए चार्ज (1 अगस्त 2025 से लागू)     1,000 रुपये तक: आम ग्राहक: 2.50 रुपये, वरिष्ठ नागरिक: 2.25 रुपये     1,000 रुपये – 1,00,000 रुपये तक: आम ग्राहक: 5 रुपये, वरिष्ठ नागरिक: 4.50 रुपये     1,00,000 रुपये से ऊपर: आम ग्राहक: 15 रुपये, वरिष्ठ नागरिक: 13.50 रुपये     HDFC बैंक के Gold और Platinum अकाउंट होल्डर्स को चार्ज नहीं देना होगा. क्या होता है IMPS बता दें कि इमीडिएट पेमेंट सर्विस यानी आईएमपीएस एक रियल टाइम पेमेंट सर्विस है. यह सर्विस 24 घंटे उपलब्‍ध होती है. इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ऑपरेट करता है. इस सर्विस के जरिए ग्राहक किसी भी समय तुरंत पैसे भेज भी सकते हैं और हासिल भी कर सकते हैं.

देश का सबसे बड़ा बैंक 1 जुलाई को ही शुरू हुआ था, जानिए क्या था मकसद और अब कहां-कहां तक फैल गया

नईदिल्ली  आज 1 जुलाई है और ये दिन देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई का फाउंडेशन-डे (SBI Foundation Day) भी है. जी हां, भारतीय स्टेट बैंक (SBI)का इतिहास 200 साल से ज्यादा पुराना है और इसकी शुरुआत की कहानी बेहद दिलचस्प है. इसकी नींव उस समय पड़ी थी, जब देश में अंग्रेजों का शासन यानी ब्रिटिश रूल था और अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भारत की 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में शामिल होने के साथ ही फॉर्च्यून-500 कंपनियों में एक है. सबसे खास बात ये कि इसकी शुरुआत के समय इसका नाम एसबीआई नहीं बल्कि कुछ और था. आइए जानते हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई?  कब पड़ी SBI की नींव?  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी पर गौर करें, तो SBI की नींव 19वीं शताब्दी के पहले दशक में पड़ी थी, लेकिन किसी और नाम से. तारीख थी 2 जून 1806 और इसी दिन कोलकाता (पहले कलकत्ता) में बैंक ऑफ कलकत्ता (Bank of Calcutta) अस्तित्व में आया था. उस समय देश में ब्रिटिश राज था. इसकी शुरुआत के करीब 3 साल बाद बैंक को अपना चार्टर प्राप्त हुआ और 2 जनवरी 1809 में इसका नाम बदलकर Bank of Bengal कर दिया गया. बदलाव का ये सिलसिला यहीं नहीं थमा और इसका नाम आगे भी बदलता रहा.  ऐसे बना 'इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया' 1809 में 'बैंक ऑफ बंगाल' नाम मिलने के बाद देश में आगे के कुछ सालों में उस समय के हिसाब से बैंकिंग सेक्टर्स में तेजी आने लगी. ये तारीख थी 15 अप्रैल 1840, जब बंबई (अब मुंबई) में बैंक ऑफ बॉम्बे (Bank Of Bombay) की नींव पड़ी थी और इसके बाद तीन साल बाद 1 जुलाई 1843 को बैंक ऑफ मद्रास (Bank Of Madras) अस्तित्व में आया था. इतिहास को खंगालें, तो देश के इन तीनों ही बैंकों को दरअसल, ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के फाइनेंशियल काम-काज की देखरेख के लिए खोला गया था. लेकिन इनमें प्राइवेट सेक्टर्स के लोगों की रकम भी जमा रहती थी. लंबे समय तक ये बैंक काम करते रहे और फिर 27 जनवरी 1921 में बैंक ऑफ मुंबई और बैंक ऑफ मद्रास का विलय बैंक ऑफ बंगाल में हो गया. इस बड़े मर्जर के बाद भारत में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (Imperial Bank of India) का उदय हुआ.  ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की स्थापना 1 जुलाई 1955 को हुई थी. वर्तमान में एसबीआई के पास देश में 22,000 से अधिक शाखाएं और 62,000 से ज्यादा ATM हैं इसकी स्थापना के पीछे मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्रों की बैंकिंग सेवाओं को दुरुस्त करना था गांवों में निजी बैंकों की पहुंच बहुत कम थी. हर साल 1 जुलाई को SBI अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में अपने कार्यालयों में कार्यक्रम आयोजित करता है, जिसमें कर्मचारी, ग्राहक और समुदाय हिस्सा लेते हैं. यह दिन बैंक की उपलब्धियों, ग्राहक सेवा और सामाजिक योगदान को सेलिब्रेट करने का अवसर होता है SBI की कहानी सिर्फ 1955 से शुरू नहीं होती है, औपनिवेशिक काल से शुरू होती है, जब 1806 में बैंक ऑफ कलकत्ता की स्थापना हुई, जो बाद में बैंक ऑफ बंगाल बन गया. इसके बाद, बैंक ऑफ बॉम्बे (1840) और बैंक ऑफ मद्रास (1843) की स्थापना हुई.  इन तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों को 1921 में मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया बनाया गया स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली की आवश्यकता महसूस की. साल 1955 में 1 जुलाई को इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया और इसे भारतीय स्टेट बैंक के रूप में पुनर्गठित किया गया. यह कदम भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लिए उठाया गया था. आजादी के बाद ऐसे बना SBI गौरतलब है कि बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बॉम्बे और बैंक ऑफ मद्रास, इन तीनों ही बैंकों को 1861 में करेंसी छापने और जारी करने का अधिकार मिल गया था और विलय के बाद भी इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के जरिए ये काम जारी रहा. फिर जब देश को आजादी मिली, तो ब्रिटिशों की गुलामी से निकलने के बाद भी Imperial Bank Of India का काम जारी रहा, बल्कि इसमें विस्तार भी होता नजर आया. साल 1955 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया को पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत अधिग्रहित किय और इसके नाम में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिला. 30 अप्रैल 1955 को इंपीरियल बैंक का नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) यानी एसबीआई (SBI) कर दिया गया. आरबीआई द्वारा नया नाम दिए जाने के बाद 1 जुलाई 1955 को आधिकारिक रूप से SBI की स्थापना की गई. इसी दिन एसबीआई में पहला बैंक अकाउंट भी खोला गया था. इसके तहत देश में संचालित इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के 480 ऑफिस SBI Office में बदल गए. इनमें ब्रांच ऑफिस, सब ब्रांच ऑफिस और तीन लोकल हेडक्वाटर मौजूद थे. इसके बाद से देश में बैंकिंग सेक्टर लगातार ग्रोथ करता चला गया. 1955 में बी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक्ट को पारित किया गया था और अक्टूबर में एसबीआई के पहले सहयोगी बैंक के रूप में स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद सामने आया. इसके बाद 10 सितंबर 1959 को THE STATE BANK OF INDIA (SUBSIDIARY BANKS) ACT, 1959 लाया गया.  https://indiaedgenews.com/sbis-balance-sheet-is-amazing-the-size-of-the-bank-is-more-than-the-gdp-of-175-countries/ आज Top-10 कंपनियों में SBI शामिल  आजादी से पहले हुई शुरुआत और आजादी के बाद मिले नाम के साथ एसबीआई का दायरा समय के साथ बढ़ता ही चला गया. साल 2017 में एसबीआई में स्‍टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्‍टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्‍टेट बैंक ऑफ त्रवाणकोर (SBT), स्‍टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBH) और स्‍टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH) का विलय कर दिया गया. यह विलय 1 अप्रैल 2017 को हुआ. विलय के बाद SBI एक ग्लोबल बैंक के रूप में उभरा. इसकी ब्रांचों की संख्या 22,500 हो चुकी थी. आज मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया Top-10 वैल्यूएबल कंपनियों में शामिल है और इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन (SBI Market Cap) 7.32 लाख करोड़ रुपये हो गया है.  SBI की स्थापना के पीछे उद्देश्य था देश के कोने-कोने में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाना. … Read more