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वोटर लिस्ट मामले में EC की मांग: ‘अगर मुस्लिमों के नाम कटे हैं तो ठोस डेटा पेश करें’

नई दिल्ली बिहार एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. याच‍िकाकर्ताओं की ओर से दावे क‍िए गए क‍ि एसआईआर में बहुत सारे मुस्‍ल‍िमों के नाम वोटर ल‍िस्‍ट से हटा द‍िए गए. इस पर चुनाव आयोग की ओर से जवाब द‍िया गया है. आयोग ने कहा क‍ि वे कह रहे हैं कि बहुत सारे मुस्लिमों के नाम हटाए गए हैं लेकिन जब आपके पास डेटा ही नहीं है, तो आपको कैसे पता? आप डेटा तो दीजिए. ज‍िस मह‍िला का नाम हटाने की बात आप कह रहे हैं, वो तो वोटर ल‍िस्‍ट में दर्ज है. एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट में इस वक्‍त जोरदार बहस .  या‍च‍िकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, प्रशांत भूषण और वृंदा ग्रोवर समेत कई वकील पेश हुए. जबक‍ि चुनाव आयोग की ओर से सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने दलील रखी. द्व‍िवेदी ने कहा, एडीआर समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से हलफनामे में किए गए वोट काटे जाने के आरोप पूरी तरह से गलत हैं. गलत कहानी गढ़ी जा रही है. जिस महिला का नाम काटने का दावा किया जा रहा है. उसका मसौदा सूची और अंतिम सूची में भी नाम है. ECI के तरफ से कोर्ट को बताया गया कि गलत कहानी गढ़ी गई है कि यह व्यक्ति ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में था और बाद में उसका नाम हटा दिया गया. ECI के वकील ने कहा कि अदालत में एक व्यक्ति द्वारा दायर किया गया हलफनामा, जिसमें दावा किया गया है कि उसका नाम ड्राफ्ट रोल के बाद हटाया गया, ये गलत है. ECI ने कहा कि उस व्यक्ति द्वारा दिया गया बूथ नंबर ही गलत है, जिससे साबित होता है कि उसका दावा झूठा है. वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि एक तर्क यह था कि ड्राफ्ट मतदाता सूची में बड़ी संख्या में लोगों के नाम थे, लेकिन अचानक उनके नाम सूची से गायब हो गए. मुझे अब तक तीन हलफनामे मिले हैं. हमने इसकी जांच की है. यह हलफनामा पूरी तरह से झूठा है. कृपया पैरा एक देखें कि उन्होंने कहा है कि मैं बिहार का निवासी हूं और ड्राफ्ट मतदाता सूची में था. वह वहां नहीं थे. हकीकत ये है उन्होंने मतदाता गणना फॉर्म जमा नहीं किया था. यह झूठ है. फिर उन्होंने मतदाता पहचान पत्र संख्या दी, दिया गया मतदान केंद्र 52 है, लेकिन वास्तविक संख्या 653 है. लेकिन वह नाम भी एक महिला का है, उनका नहीं. वह ड्राफ्ट मतदाता सूची में नहीं थे. उन्‍होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं का यह दावा कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से नाम गायब हो गए थे, गलत है, क्योंकि संबंधित व्यक्ति ने नामांकन फॉर्म नहीं भरा था. द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि वह व्यक्ति वोटर लिस्ट के पार्ट 63 में था, न कि पार्ट 52 में, और यह सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता ने पुरानी जनवरी की लिस्ट का उल्लेख किया है. राकेश द्विवेदी ने दो मिनट का समय मांगा और फिर याचिकाकर्ताओं के आरोपों को चुनौती देते हुए आगे अपनी बात रखी. ECI का पक्ष:— “वे कह रहे हैं कि बहुत सारे मुस्लिमों के नाम हटाए गए हैं — लेकिन जब आपके पास डेटा ही नहीं है, तो आपको कैसे पता?” “मैं इस अदालत से आदेश चाहता हूं कि जिन लोगों को अपना नाम जोड़वाना है, वे अगले 5 दिनों में आवेदन करें, क्योंकि उसके बाद दरवाजे बंद हो जाएंगे.” “यह हलफनामा 6 तारीख का है — अगर उसे अपना नाम शामिल करवाना था, तो उसे आवेदन करना चाहिए था.” अदालत ने कहा:— “पहले सही जानकारी दी जानी चाहिए — गलत जानकारी हमें भी स्वीकार्य नहीं है.” ECI ने आगे कहा:— “यह किसी व्यक्ति का मुद्दा नहीं है, ADR ने यह दस्तावेज अदालत में रखे हैं. संगठन को अदालत में कुछ भी पेश करने से पहले उसकी सच्चाई सुनिश्चित करनी चाहिए.” अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा:—“आपको ज़िम्मेदारी लेनी होगी.” वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा:– “अदालत लीगल सर्विस अथॉरिटी को निर्देश दे सकती है कि जाकर जांच करे कि क्या उस व्यक्ति ने वास्तव में हलफनामा दाखिल किया है.” अदालत ने कहा: “लेकिन दी गई जानकारी गलत है.” प्रशांत भूषण ने जवाब दिया:—“वे ऐसा कह रहे हैं, अदालत लीगल सर्विस अथॉरिटी से जांच करवा सकती है.” अदालत ने टिप्पणी की:— “हम इस दस्तावेज़ की प्रामाणिकता अभी कैसे जानें? हम जांच एजेंसी नहीं हैं! वे दिखा रहे हैं कि तथ्य गलत हैं.” वकील प्रशांत भूषण ने कहा: “वे केवल एक दावा कर रहे हैं, ये तथ्य नहीं हैं.” अदालत ने कहा: “देखना यह है कि क्या उस व्यक्ति का नाम ड्राफ्ट रोल में था या नहीं — अगर नहीं था तो आप ऐसा हलफनामा कैसे दे सकते हैं?” जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि —आपसे संपर्क करने वाले सभी लोग लीगल सर्विस अथॉरिटी से संपर्क क्यों नहीं कर सकते? मुफ़्त कानूनी सलाह भी दी जा सकती है. वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि— वे कहते हैं कि या तो हमारा नाम ड्राफ्ट रोल से हटा दिया गया था, फिर फॉर्म 6 भरा और फिर भी नाम फाइनल रोल में नहीं था और दूसरे कहते हैं कि उनके नाम हटा दिए गए हैं और उन्हें कभी नोटिस ही नहीं मिला. अदालत की बड़ी महत्वपूर्ण टिप्पणी:– “अगर आप (याचिकाकर्ता) अदालत के सामने यह कहते कि आपकी अपील पर अब तक फैसला नहीं हुआ है, तो हम आपके साथ होते — लेकिन मामला ऐसा नहीं है.” प्रशांत भूषण ने कहा कि— आइए हम चुनाव आयोग द्वारा अपनाए गए दिशानिर्देशों को देखें. इसमें बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं है. उनके पास सब कुछ कंप्यूटराइज्ड रूप में है. लेकिन अभी भी इस बारे में कोई डेटा नहीं है कि ड्राफ्ट सूची से किसे बाहर रखा गया है और इसलिए हम हर चीज़ की जाँच और पता लगाने में सैकड़ों घंटे लगा रहे हैं. चुनाव आयोग ने कहा कि पहले भूषण हलफनामा दाखिल करें फिर अदालत हमारा पक्ष सुने. एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने कहा कि— धारा 23(3) के अनुसार, 17 अक्टूबर को, यानी आज से 9 दिन बाद रोल फ्रीज हो जाएँगे. मुझे यह क्यों बताना चाहिए कि मैं कब तक अपील दायर कर सकती हूँ. जस्टिस बागची ने कहा कि— अपील सिर्फ़ यह कहकर की जा सकती है कि मेरा नाम हटा दिया गया है और कोई आधार नहीं … Read more

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: MBBS-BDS कोर्स में अब मान्य होगा एडिट ऑप्शन

बिलासपुर नीट यूजी की काउंसलिंग प्रक्रिया और आवंटन के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। इसके साथ ही आगे की प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया है। छत्तीसगढ़ के डीएमई द्वारा जारी मेरिट लिस्ट को वैध मानते हुए हाईकोर्ट ने उसके आधार पर की गई सीट आवंटन प्रक्रिया को मान्य किया है। नीट यूजी की काउंसलिंग में एक अभ्यर्थी द्वारा प्रथम चरण की काउंसलिंग में सीजीडीएमई द्वारा दिए गए श्रेणी, संवर्ग इत्यादि में एडिट ऑप्शन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में मांग की गई थी कि ऑप्शन के उपरांत कैटिगरी, संवर्ग इत्यादि को बदलने की सुविधा को अमान्य किया जाए। साथ ही इसके आधार पर 12 अगस्त को जारी मेरिट लिस्ट को भी मान्य न करने की मांग की गई थी। सीजीडीएमई का पक्ष और पूरे प्रकरण को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। 23 अगस्त 2025 को काउंसलिंग का प्रथम चरण सपन्न हो गया है। केंद्रीय एजेंसी, चिकित्सा काउंसलिंग समिति (एमसीसी) द्वारा काउंसलिंग की द्वितीय चरण की तिथि आगे बढ़ाई गई है। अत: राज्य की काउंसलिंग का दूसरा राउंड जो कि पूर्व में 27 अगस्त से प्रारंभ होने वाला था, कोभी एमसीसी द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार आगे बढ़ाया गया है। डीएमई ऑफिस की वेबसाइट पर 26 अगस्त को ही एमसीसी द्वारा जारी सूचना के साथ यह सूचना प्रकाशित कर दी गई थी। अगली काउंसलिंग की तिथि जल्द जारी होगी एमसीसी से काउंसलिंग की नई तिथि के दिशा-निर्देश प्राप्त होने पर द्वितीय चरण एवं आगामी चरणों की नई समय सारणी डीएमई द्वारा तत्काल जारी की जाएगी। नई समय सारणी के लिए अभ्यर्थियों को सीजीडीएमई की वेबसाइट का समय-समय पर अवलोकन करते रहने की सलाह दी गई है।

शराब घोटाले केस: 10 आबकारी अफसरों को सुप्रीम कोर्ट की राहत, दो डायरेक्टर भेजे गए रिमांड पर

रायपुर छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए 32,00 करोड़ के शराब घोटाला केस में 28 आबकारी अफसरों में से दस को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टीस सूर्यकांत,जायमाला बागची और विपुल पंचोली की बेंच ने मामले की सुनवाई की। जिसमें दस आबकारी अधिकारियों को निचली अदालत (ईओडब्ल्यू-एसीबी की विशेष कोर्ट) में अगली पेशी में 23 सितंबर को उपस्थित होकर व्यक्तिगत जमानत बांड पेशकर अग्रिम जमानत प्राप्त करने निर्देशित किया है, जबकि शेष 18 आबकारी अधिकारियों की जमानत पर सोमवार एक सितंबर को सुनवाई नियत की गई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 10 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो(ईओडब्ल्यू) ने शराब घोटाला केस में आबकारी विभाग के 29 अफसरों के खिलाफ पिछले महीने विशेष न्यायालय में चालान पेश किया था। इनमें से छह रिटायर हो चुके हैं जबकि एक की मृत्यु हो गई है। शेष 22 अधिकारियों को सरकार ने निलंबित कर दिया था। इन पर वर्ष 2019 से 2023 के बीच 15 जिलों में पोस्टिंग के दौरान 90 करोड़ रुपए की अवैध वसूली करने का आरोप है। सभी अधिकारियों ने गिरफ्तारी के डर से 11 दिन पहले बिलासपुर हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। जहां सभी की जमानत याचिका खारिज हो गई थी। इसके बाद सभी ने सुप्रीम कोर्ट में रूख किया। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पैरवी की। इन अधिकारियों को मिली राहत सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित आबकारी अधिकारी अरविंद कुमार पाटले,जनार्दन सिंह कौरव,विकास कुमार गोस्वामी,नोहर सिंह ठाकुर,इकबाल एहमद खान,अनंत कुमार सिंह,नीतू नोतानी ठाकुर,विजय सेन, दिनकर वासनिक, अनिमेष नेताम को निचली अदालत में जमानत बांड पेश कर जमानत लेने के निर्देश दिए गए है। वहीं जबकि सहायक आयुक्त आबकारी रामकृष्ण मिश्रा, मोहित कुमार जायसवाल, जीएस नुरूटी, नितिन कुमार खंडुजा, एके अनंत, सोनल नेताम, सौरभ बख्शी, गरीबपाल सिंह दर्दी, जेआर मंडावी, प्रमोद कुमार नेताम, एलएल ध्रुव, जनार्दन सिंह कौरव, नवीन प्रताप सिंग तोमर, देवलाल वैद्य, राजेश जायसवाल, मंजू श्री कसेर, आशीष कोसन और प्रकाश पाल की जमानत पर एक सितंबर को सुनवाई होगी। डायरेक्टर अतुल और मुकेश को कोर्ट ने 8 दिन की रिमांड पर भेजा छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 32,00 करोड़ के शराब घोटाला मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने जांच तेज कर दी है। झारखंड के रांची की जेल में बंद ओम साईं बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा को ट्रांजिट रिमांड पर शुक्रवार को रायपुर लाकर ईओडब्ल्यू-एसीबी की विशेष न्यायाल में पेश किया गया। जांच एजेंसी ने दोनों से पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड की मांग की। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा को आठ दिन यानि छह सितंबर तक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के अफसरों की रिमांड में भेजने का आदेश सुनाया। केस की जांच कर रहे विवेचना अधिकारी घोटाले का पैसा पता करने के लिए अब दोनो आरोपितों से पूछताछ करेंगे। विवेचना अधिकारियों के अनुसार आने वाले दिनों में इस केस से संबंध रखने वाले और भी आरोपितों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा सकती है। दो महीने पहले हुई थी गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में हुए शराब घोटाला मामले में झारखंड की ईओडब्ल्यू ने करीब दो महीने पहले श्री ओम साईं बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अतुल कुमार सिंह व मुकेश मनचंदा को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन जब उनके जवाब संतोषजनक नहीं मिले तो दोनों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें न्यायिक रिमांड पर रांची जेल भेज दिया गया तब से दोनों जेल में बंद थे। अतुल-मुकेश घोटाले के अहम कड़ी ईओडब्ल्यू के अनुसार होलोग्राम आपूर्ति करने वाली प्रिज्म कंपनी के एमडी विधु गुप्ता का नेटवर्क कई राज्यों में है। इस नेटवर्क के जरिए शराब ठेकेदारोंअधिकारियों और सप्लायरों को प्रभावित किया जाता था। वहीं छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारी अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा इस पूरे नेटवर्क की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। जांच एजेंसियों को शक है कि इनकी मदद से ही छत्तीसगढ़ के घोटाले जैसा पूरा सिस्टम झारखंड में खड़ा किया गया। पूछताछ और दस्तावेजी जांच में एजेंसी को कई अहम सुराग मिले हैं। दोनों से पूछताछ में इस नेटवर्क से जुड़े और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।