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शांति के बीच टूटे सन्नाटा, गाजा में भारी झड़प, 27 नागरिक और 8 आतंकी मरे

गाजा  इजरायल और हमास के बीच शांति हो गई है. इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को उम्मीद है कि सोमवार को उनके कैदियों की वापसी होने लगेगी. लेकिन इस सबके बीच गाजा से एक चिंता वाली खबर आई है. गाजा में एक बार फिर भीषण हिंसा भड़क उठी है लेकिन इस बार दुश्मन इजराइल नहीं, बल्कि हमास के अपने ही लोग हैं. शनिवार देर रात से रविवार सुबह तक चली हमास सुरक्षा बलों और दुघमुश (Dughmush) कबीले के लड़ाकों के बीच हुई मुठभेड़ में कम से कम 27 लोग मारे गए, जिनमें 19 कबीले के सदस्य और 8 हमास फाइटर शामिल हैं. यह गाजा में इज़राइल के बड़े हमलों के खत्म होने के बाद से अब तक का सबसे भीषण आंतरिक संघर्ष है. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि, गाजा सिटी के तेल अल-हावा इलाके में जॉर्डनियन अस्पताल के पास भारी गोलीबारी हुई. मास्क पहने हमास गनमैनों ने दुघमुश कबीले के लड़ाकों पर हमला किया. कहा जा रहा है कि यह झड़प तब शुरू हुई जब हमास के 300 से ज्यादा फाइटर एक बिल्डिंग में घुसे जहां दुघमुश कबीले के लोग छिपे थे. स्थानीय लोगों ने बताया कि ‘इस बार लोग इजरायली हमले से नहीं, बल्कि अपने ही लोगों से भाग रहे थे.’ कई परिवारों को फिर से विस्थापन झेलना पड़ा, जो पहले से युद्ध की मार झेल चुके हैं. क्यों हुई लड़ाई? रिपोर्ट के अनुसार, झगड़े की शुरुआत तब हुई जब दुघमुश कबीले के लड़ाकों ने हमास के दो एलीट फाइटर्स को गोली मार दी, जिनमें से एक हमास के वरिष्ठ सैन्य खुफिया प्रमुख इमाद आकेल का बेटा था. गुस्से में हमास ने ‘सुरक्षा ऑपरेशन’ चलाते हुए इलाके को घेर लिया. हमास के आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि यह ‘गैरकानूनी मिलिशिया की कार्रवाई’ थी, जिसे ‘कठोरता से दबाया जाएगा.’ दूसरी ओर, दुघमुश कबीले ने आरोप लगाया कि हमास उनकी बिल्डिंग पर कब्जा करना चाहता था, जो पहले जॉर्डन अस्पताल रही थी और जहां कबीले के लोग शरण लिए हुए थे. रिपोर्ट के मुताबिक दुघमुश कबीले के 19 और हमास के 8 लड़ाके मारे गए. गाजा के सबसे प्रमुख कबीलों में से एक, दुघमुश परिवार का हमास के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध रहा है. पहले भी हमास के साथ इसके टकराव हुए हैं. दोनों पक्ष झड़प के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. दुघमुश का कहना है कि उनके लोगों ने जहां शरण ले रखी थी हमास उस जगह को कब्जा करने के लिए पहुंचा और अपना बेस बना लिया, जिससे बवाल बढ़ा. हमास ने 7,000 लड़ाकों को बुलाया गाजा से मिली रिपोर्टों के अनुसार, हमास ने हाल ही में 7,000 सुरक्षा कर्मियों को दोबारा बुलाया है ताकि इज़राइल की वापसी के बाद छोड़े गए इलाकों पर फिर से नियंत्रण पाया जा सके. इनमें कई पूर्व सैन्य कमांडर शामिल हैं जिन्हें गवर्नर नियुक्त किया गया है. स्थानीय सूत्रों का कहना है कि हमास ‘गाज़ा को अपराधियों और इज़राइल समर्थक तत्वों से मुक्त’ करने की तैयारी में है.  

बिहार में सुरक्षा सतर्क: नेपाल से आए 3 जैश आतंकी पकड़े जाने की आशंका

पटना  बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले आतंकी खतरा मंडराने लगा है. पुलिस मुख्यालय (PHQ) को मिली अहम खुफिया जानकारी के बाद पूरे राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. खबर है कि नेपाल के रास्ते पाकिस्तान के तीन आतंकी बिहार में दाखिल हो चुके हैं. जानकारी के मुताबिक ये आतंकी प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हुए हैं. इनकी पहचान रावलपिंडी निवासी हसनैन अली, उमरकोट निवासी आदिल हुसैन और बहावलपुर का रहने वाला मो. उस्मान के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि ये तीनों आतंकी अगस्त के दूसरे हफ्ते में काठमांडू पहुंचे थे और वहीं से पिछले हफ्ते नेपाल बॉर्डर पार करके बिहार में दाखिल हुए हैं. देश के किसी भी हिस्से में आतंकी घटना को अंजाम देने की आशंका पुलिस मुख्यालय ने इस इनपुट को बेहद गंभीरता से लिया है. PHQ के आला अधिकारियों ने तीनों आतंकियों के पासपोर्ट और अन्य डिटेल्स सीमावर्ती जिलों के प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा कर दी हैं. खासतौर पर नेपाल से सटे इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया गया है. खुफिया सूत्रों का कहना है कि इन आतंकियों के देश के किसी भी हिस्से में आतंकी घटना को अंजाम देने की आशंका जताई जा रही है. राज्य में विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह अलर्ट और भी संवेदनशील माना जा रहा है, क्योंकि आतंकी किसी बड़े राजनीतिक या भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम को निशाना बना सकते हैं. 'सुराग मिलने पर तुरंत करें कार्रवाई' PHQ ने सभी जिलों के पुलिस कप्तानों और खुफिया तंत्र को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कहा गया है कि संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखें, लगातार सूचना एकत्र करें और किसी भी तरह के सुराग मिलने पर तुरंत कार्रवाई करें. बिहार पुलिस इस समय पूरी तरह अलर्ट मोड में है और सीमावर्ती जिलों में सर्च ऑपरेशन भी तेज कर दिए गए हैं. सुरक्षा एजेंसियां यह सुनिश्चित करने में जुटी हैं कि राज्य में आतंकी किसी भी तरह की वारदात को अंजाम न दे सकें.

कुलगाम में गोलियों की गूंज! सुरक्षाबलों ने 3 आतंकियों को किया ढेर, ऑपरेशन जारी

कुलगाम जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच पिछले तीन दिनों से चल रही मुठभेड़ आज भी जारी है. अखल के जंगलों में कल पूरी रात विस्फोट और गोलीबारी जारी रही. भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि यह इस वर्ष का सबसे बड़ा ऑपरेशन हो सकता है. इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने अब तक तीन आतंकियों को ढेर करने में सफलता पाई है. एक जवान भी घायल हुआ है. इस आतंक रोधी अभियान में हाईटेक सर्विलांस सिस्टम और स्पेशल पैरा फोर्स के जवान शामिल हैं. जम्मू-कश्मीर के डीजीपी और सेना की 15वीं कोर के कमांडर इस एंटी-टेरर ऑपरेशन पर कड़ी नजर रख रहे हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बयान में कहा कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG), सेना और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की एक जॉइंट टीम अखल के जंगलों में चल रहे इस आतंकवाद विरोधी अभियान में लगी हुई है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद 1 अगस्त को दक्षिण कश्मीर के अखल वन क्षेत्र में घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया. उन्होंने बताया कि छिपे हुए आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों पर गोलीबारी करने के बाद तलाशी अभियान मुठभेड़ में बदल गया, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की. जम्मू-कश्मीर में एक हफ्ते में तीन एनकाउंटर जम्मू-कश्मीर में इस हफ्ते यह सुरक्षा बलों की आतंकियों के साथ तीसरी मुठभेड़ है. इससे पहले, सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन महादेव चलाकर पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकवादियों- सुलेमान, अफगान और जिब्रान को ढेर कर दिया था. लश्कर-ए-तैयबा का एक शीर्ष कमांडर सुलेमान पहलगाम और गगनगीर आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 जुलाई को संसद को बताया था कि तीनों की पहचान पाकिस्तानी आतंकवादियों के रूप में हुई है, जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में 26 निर्दोष पर्यटकों की गोली मारकर निर्मम हत्या की थी. पुंछ में नियंत्रण रेखा के पास 31 जुलाई को दो और आतंकवादी मारे गए थे. पुलिस ने बताया कि दोनों पाकिस्तान से घुसपैठ करके भारतीय सीमा में आए थे, जिन्हें एलओसी के पास ही सुरक्षा बलों ने ढेर कर दिया. वहीं, कुलगाम के जंगलों में 1 अगस्त को खुफिया सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान शुरू किया था, जो आतंकियों की ओर से फायरिंग करने के बाद मुठभेड़ में बदल गई. 

अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां: अल कायदा के 4 आतंकी गिरफ्तार, बड़ा हमला टला

अहमदाबाद गुजरात एटीएस ने एक बड़ी आतंकी साजिश का खुलासा करते हुए अल कायदा इन इंडियन सबकॉंटिनेंट (AQIS) से जुड़े मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है. इस कार्रवाई में कुल चार संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है. गुजरात एटीएस अधिकारियों के मुताबिक, पकड़े गए चार आतंकियों में दो को गुजरात से, एक दिल्ली से और एक नोएडा (उत्तर प्रदेश) से गिरफ्तार किया गया है. यह सभी आतंकवादी अल कायदा के AQIS से जुड़े बताए जा रहे हैं. गिरफ्तार आतंकियों की पहचान सैफुल्लाह कुरैशी (पिता: मोहम्मद रफीक), मोहम्मद फर्दीन (पिता: मोहम्मद रईस), और मोहम्मद फैक (पिता: मोहम्मद रिजवान) के रूप में हुई है. बड़ी आतंकी हमले की फिराक में थे गुजरात एटीएस द्वारा पकड़े गए चारों आतंकियों को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. एटीएस के मुताबिक, सभी आरोपियों की उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच है और ये भारत में बड़े पैमाने पर आतंकी हमलों की साजिश रच रहे थे. गुजरात एटीएस का कहना है कि इन आतंकियों को कुछ खास और संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाने के निर्देश दिए गए थे. ये चारों आतंकी सोशल मीडिया ऐप्स के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और जांच में यह भी सामने आया है कि इनका संपर्क सीमा पार बैठे आतंकियों से भी था. बड़े आतंकी हमले की फिराक में थे गुजरात एटीएस द्वारा पकड़े गए चारों आतंकियों को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. एटीएस के मुताबिक, सभी आरोपियों की उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच है और ये भारत में बड़े पैमाने पर आतंकी हमलों की साजिश रच रहे थे. एटीएस डीआईजी सुनील जोशी ने बताया कि फिलहाल मामले की गहराई से जांच की जा रही है और बहुत जल्द एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे ऑपरेशन से जुड़ी विस्तृत जानकारी सार्वजनिक की जाएगी. सोशल मीडिया ऐप्स के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े थे गुजरात एटीएस का कहना है कि इन आतंकियों को कुछ खास और संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाने के निर्देश दिए गए थे. ये चारों आतंकी सोशल मीडिया ऐप्स के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और जांच में यह भी सामने आया है कि इनका संपर्क सीमा पार बैठे आतंकियों से भी था. फंडिंग, ट्रेनिंग और विदेशी संपर्कों की कड़ियों को जोड़ने में जुटी ATS इस गिरफ्तारी को सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है, क्योंकि समय रहते एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम कर दिया गया. गुजरात एटीएस और केंद्रीय एजेंसियां अब इनके नेटवर्क, फंडिंग, ट्रेनिंग और विदेशी संपर्कों की कड़ियों को जोड़ने में जुटी हैं. आने वाले दिनों में इस मामले में और खुलासे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.