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स्व सहायता समूहों ने लगाया हरियाली का जाल, शहरी इलाकों में 2.5 लाख पौधे रोपे, पौधरोपण में रचा रिकॉर्ड

शहरी क्षेत्र में वीमेन फॉर ट्रीज अभियान में 7 हजार स्व सहायता समूहों का योगदान, अब तक हुआ ढ़ाई लाख पौधरोपण शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की हरियाली क्रांति, 2.5 लाख पौधे लगा चुकीं 7 हजार महिला समूह स्व सहायता समूहों ने लगाया हरियाली का जाल, शहरी इलाकों में 2.5 लाख पौधे रोपे, पौधरोपण में रचा रिकॉर्ड भोपाल प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में हरियाली को बढ़ाने के लिये नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग केन्द्र सरकार के निर्देश पर ‘वीमेर फॉर ट्रीज’ अभियान संचालित कर रहा है। पौधरोपण के बाद उनकी देखभाल की जिम्मेदारी स्व सहायता समूहों की महिलाओं को सौंपी गयी है। इसके लिये विभाग ने एक करोड़ 14 लाख रूपये की राशि जारी की है। यह कार्यक्रम ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत लिया गया है। प्रदेश में इस कार्य के लिये 7 हजार स्व सहायता समूहों की महिलाओं को जिम्मेदारी दी गई है। ‘वीमेर फॉर ट्रीज’ में 2 लाख 30 हजार पौधरोपण किया जा चुका है। स्व सहायता समूहों की महिलाएं लगाये गये पौधों के रख-रखाव की जिम्मेदारी आगामी 2 वर्ष तक सुनिश्चित करेंगी। इस कार्यक्रम में स्व सहायता समूहों की महिलाओं के साथ नागरिकों, शैक्षणिक संस्थानों और औद्योगिक इकाइयों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम, नर्सरी स्थापना और मास्टर ट्रेनर्स भी तैयार किये जा रहे हैं। पर्यावरण और मातृत्व को समर्पित पहल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिये विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून से "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान की शुरूआत की गई। यह केवल एक पौधरोपण कार्यक्रम नहीं है, बल्कि मातृत्व के सम्मान और पृथ्वी के संरक्षण की एक भावनात्मक, प्रतिकात्मक और सामाजिक पहल है, जिसमें नागरिक अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ लगाकर प्रकृति से जुड़ते हैं। अमृत हरित महा अभियान प्रदेश के 418 नगरीय निकायों में पौधरोपण के लिये 13 जून 2025 से अमृत हरित महा अभियान की शुरूआत की गई। इसके लिये प्रदेश में 2500 नोड़ल कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। अब तक विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा शहरी क्षेत्रों में 41 लाख 65 हजार पौधरोपण किया गया है। इसके साथ ही नगरीय निकायों द्वारा 6 लाख 80 हजार पौधरोपण किया गया है। शहरी क्षेत्रों में अब तक 48 लाख 44 हजार पौधों का रोपण किया जा चुका है। शहरी क्षेत्रों में इस वर्ष 15 अगस्त तक 50 लाख पौधे लगाने का कार्यक्रम तैयार किया गया है।  

16 जिलों में मां नर्मदा परिक्रमा पथ के 233 स्थानों की 1000 एकड़ भूमि पर होगा पौधरोपण

मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पर्यावरण और जल संरक्षण अवधारणा पर अमल हरियाली की चादर ओढ़ेंगे मां नर्मदा परिक्रमा पथ के आश्रय स्थल 16 जिलों में मां नर्मदा परिक्रमा पथ के 233 स्थानों की 1000 एकड़ भूमि पर होगा पौधरोपण 43 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से लगभग 7.50 लाख पौधे लगाए जाएंगे भोपाल  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जल, प्रकृति, पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूरे देश में चलाए जा रहे एक पेड़ मां के नाम 2.0 अभियान को प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मिशन के रूप में चला रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार प्रकृति, पर्यावरण और जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रदेश के 16 जिलों में मां नर्मदा परिक्रमा पथ के आश्रय स्‍थलों की भूमि पर पौधरोपण करेगी और मनरेगा परिषद ने तैयारी भी शुरू कर दी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पौधरोपण के संबंध में निर्देश भी जारी किए हैं। 233 स्‍थानों की लगभग 1000 एकड़ भूमि पर किया जाएगा पौधरोपण मां नर्मदा परिक्रमा पथ पर स्थित आश्रय स्‍थलों के लगभग 233 स्‍थानों की लगभग 1000 एकड़ भूमि पर 43 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से लगभग 7.50 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा। पौधरोपण का कार्य 15 जुलाई से शुरू होगा जो 15 अगस्त तक चलेगा। इन क्षेत्रों में पौध-रोपण के लिए बकायदा अभियान चलाया जाएगा। 16 जिलों में मां नर्मदा आश्रय स्थलों पर होगा पौधरोपण मां नर्मदा आश्रय स्थलों पर जिन जिलों में पौधरोपण किया जाएगा, उन 16 जिलों में अनूपपुर, डिंडोरी, मण्‍डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, बड़वानी, अलीराजपुर, धार, नर्मदापुरम, रायसेन, सीहोर, हरदा, देवास, खंडवा एवं खरगोन शामिल हैं। ड्रोन-सैटेलाइट इमेज से की जाएगी निगरानी मां नर्मदा परिक्रमा पथ के आश्रय स्थलों की भूमि पर पौधरोपण का कार्य सही ढ़ग से हो रहा है या नहीं पौधे कहां पर लगे हैं या नहीं। मनरेगा परिषद द्वारा संपूर्ण पौध-रोपण कार्य की ड्रोन-सैटेलाइट इमेज से बकायदा निगरानी भी की जाएगी। आश्रय स्थलों पर भूमि की उपलब्धता के अनुसार दो श्रेणियों में पौधरोपण का कार्य किया जाएगा। प्रदेश में 136 ऐसे स्थान हैं जहां पर 2 एकड़ से अधिक भूमि है। यहां पर 2.15 लाख पौधे लगाए जाएंगे। इसी तरह 97 ऐसे स्थान हैं जहां पर 1 एकड़ से अधिक और 2 एकड़ से कम भूमि है वहां पर 5.50 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा। पौधरोपण की खासियत पौधरोपण के आश्रय स्थलों का चयन सिपरी सॉफ्टवेयर से किया जाएगा। साथ ही यदि सिपरी सॉफ्टवेयर पौधरोपण के लिए जगह को उपयुक्‍त नहीं बताता है तो उस स्थान पर पौधरोपण नहीं किया जाएगा। सॉफ्टवेयर से यह भी देखा जाएगा कि जिस जगह पर पौधरोपण किया जा रहा है उस जगह पर पानी का स्‍थायी स्रोत हो।     ऐसे स्‍थल जहां पर 2 एकड़ या अधिक भूमि उपलब्‍ध है, वहां पर सामान्य पद्धति से पौधरोपण का कार्य किया जाएगा।     2 एकड़ से कम एवं 1 एकड से अधिक भूमि उपलब्‍ध है वहां मियावाकी पद्धति से पौधरोपण किया जाएगा।     जहां पौधरोपण किया जाना है, वहां पौधों की सुरक्षा के लिए तार फेंसिंग की जाएगी।     14 जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा गड्ढे की खुदाई और तार की फेंसिंग का कार्य मां नर्मदा परिक्रमा पथ के आश्रय स्‍थलों की भूमि पर पौधरोपण का कार्य शुरू होने से पहले गड्‌ढे की खुदाई, तार की फेंसिंग, सिपरी सॉफ्टवेयर द्वारा प्रस्तावित भूमि का स्थल निरीक्षण, भौतिक सत्यापन, तकनीकी व प्रशासकीय स्वीकृति जैसे कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। 15 जुलाई से पौधरोपण का कार्य शुरू होगा।  

प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधरोपण कार्य वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से किया जाए

पौधरोपण में वैज्ञानिक और टिकाऊ तकनीकों के उपयोग के लिए प्रशिक्षण मनरेगा के तहत इंजीनियर और कृषि सखियों को दिया जा रहा है तकनीकी प्रशिक्षण प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधरोपण कार्य वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से किया जाए भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई "एक बगिया मां के नाम परियोजना", "गंगोत्री हरित योजना" और "नर्मदा परिक्रमा पथ" जैसी योजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने की दिशा में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। इन योजनाओं के तहत मनरेगा के माध्यम से प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रदेश के 2101 इंजीनियर और 626 कृषि सखी को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण मध्यप्रदेश जल-भूमि प्रबंध संस्थान, भोपाल और क्षेत्रीय ग्रामीण विकास-पंचायतराज प्रशिक्षण केंद्रों में संचालित किया जा रहा है। प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधरोपण कार्य वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से किया जाए। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने निर्देश दिए हैं कि नदियों के उद्गम स्थलों पर पौधरोपण को प्राथमिकता दी जाए। साथ ही मां नर्मदा परिक्रमा पथ पर आश्रय स्थलों में पौधरोपण कर तीर्थ यात्रियों को बेहतर सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने "एक बगिया मां के नाम परियोजना" को महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का एक सशक्त माध्यम बताया। मनरेगा के अंतर्गत प्रशिक्षण पाने वाले अधिकारियों में 36 कार्यपालन यंत्री आरईएस, 215 सहायक यंत्री, 47 डीपीएम एसआरएलएम और 1803 उप यंत्री शामिल हैं। इन्हें पौधरोपण की तकनीकी बारीकियों से अवगत कराया जा रहा है, जिससे वे इस कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न कर सकें। प्रदेश में पहली बार पौधरोपण कार्य में अत्याधुनिक तकनीक सिपरी सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से संबंधित जिलों की जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता, एग्रो क्लाइमेट ज़ोन, स्थल चयन और पानी की उपलब्धता जैसी जानकारियां जुटाकर पौधों की उपयुक्त प्रजातियों का चयन किया जाएगा। जहां सॉफ्टवेयर उपयुक्तता नहीं दिखाता, वहां पौधरोपण नहीं किया जाएगा, जिससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सके। "एक बगिया मां के नाम" अभियान के तहत स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए उनकी निजी भूमि पर फलदार पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए 626 कृषि सखी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये कृषि सखी बाद में अन्य स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को पौधारोपण की तकनीक, पौधों के चयन और देखरेख के बारे में प्रशिक्षण देंगी और उन्हें आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगी। इस व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश में न केवल पर्यावरण-संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्राप्त होगा।