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UN पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख: शरणार्थी मुद्दे पर आलोचना और सख्त आदेश

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी द्वारा भारत में प्रवासियों को 'शरणार्थी कार्ड' जारी करने की प्रक्रिया पर कड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस कांत ने कहा, “उन्होंने यहां शोरूम खोल रखा है और प्रमाणपत्र बांट रहे हैं।” यह टिप्पणी उस समय आई जब न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ सूडान के एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो वर्ष 2013 से भारत में रह रहा है। ऑस्ट्रेलिया में शरण की कोशिश लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने बताया कि उसकी पत्नी और बच्चे को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) द्वारा 'शरणार्थी कार्ड' जारी किए गए हैं। उसका कहना था कि वह ऑस्ट्रेलिया में शरण लेने की प्रक्रिया में है और इस दौरान भारत में उसे अस्थायी सुरक्षा प्रदान की जाए। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस. मुरलीधर ने दलील दी कि जिन व्यक्तियों को UNHCR से 'शरणार्थी कार्ड' मिले हैं, उन्हें गृह मंत्रालय और विदेशी नागरिक पंजीकरण कार्यालय (FRO) द्वारा अलग तरीके से देखा जाता है। मुरलीधर ने यह भी बताया कि रिफ्यूजी कार्ड जारी करने से पहले कड़ी जांच की जाती है और यह प्रक्रिया कई वर्षों तक चलती है। उन्होंने कहा, "इसके लिए दस्तावेज और फॉर्म भरे जाते हैं, जो रिफ्यूजी स्थिति को कुछ महत्व देते हैं।" उन्होंने यहां शोरूम खोल रखा है- जस्टिस सूर्य कांत हालांकि, इस पर न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “उन्होंने (संयुक्त राष्ट्र एजेंसी) यहां शोरूम खोल रखा है, वे प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं… हम उन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते।” न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने यह भी कहा कि भारत ने अभी तक शरणार्थियों के अधिकारों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि यानी 'रिफ्यूजी कन्वेंशन' पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, “हमारे देश के आंतरिक कानून में शरणार्थियों के लिए कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।” मुरलीधर ने स्वीकार किया कि भारत ने उस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, लेकिन उन्होंने अदालत को बताया कि पिछले दो महीनों से दिल्ली में अफ्रीकी मूल के लोगों को बिना वजह हिरासत में लिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह वास्तविक भय और आशंका का विषय है… हम ऑस्ट्रेलिया में शरण पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं और इसी बीच यह कार्रवाई शुरू हो गई है।” “सीधे ऑस्ट्रेलिया क्यों नहीं चला जाता” इस पर न्यायमूर्ति बागची ने पूछा कि याचिकाकर्ता सीधे ऑस्ट्रेलिया क्यों नहीं चला जाता। मुरलीधर ने उत्तर दिया कि वह ऐसा करना चाहता है, लेकिन तब तक अदालत से अस्थायी संरक्षण की उम्मीद रखता है। हालांकि, पीठ इस पर सहमत नहीं हुई। जस्टिस कांत ने अंतरिम राहत देने में अनिच्छा जताते हुए कहा, "हमें बहुत सावधानी बरतनी होगी। लाखों लोग यहां बैठे हैं। अगर कोई इस तरह का प्रयास करता है, तो…" जब मुरलीधर ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है, तब अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता को यह छूट दी कि वह आयोग से किसी भी आगे की दिशा में राहत (जैसे, ‘नो कोर्सिव एक्शन’) की मांग कर सकता है। यह उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष मई माह में न्यायमूर्ति दिपांकर दत्ता की पीठ ने भी रोहिंग्या शरणार्थियों से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि भारत में UNHCR कार्ड के आधार पर कोई राहत नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह कानूनी रूप से मान्य दस्तावेज नहीं है।

भारत ने UN में खोली पाकिस्तान की पोल, कहा — ‘उधारी पर पलता, आतंक फैलाता देश’

 नई दिल्ली पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को एक बार फिर संयु्क्त राष्ट्र में पानी-पानी होना पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर आड़े हाथों लेते हुए आईना दिखाया.  संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को सपोर्ट करने और अपनी अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क करने पर फटकार लगाई. शांति और बहुपक्षवाद पर एक उच्चस्तरीय डिबेट में हिस्सा लेते हुए भारत ने पाकिस्तान को आईएमएफ से बार-बार कर्ज लेने वाला देश और कट्टरता एवं आतंकवाद में डूबा हुआ राष्ट्र बताया.  उन्होंने कहा कि एक तरफ भारत का परिपक्व लोकतंत्र, उभरती अर्थव्यवस्था और समावेशी समाज है. दूसरी तरफ पाकिस्तान कट्टरता और आतंकवाद में डूबा हुआ है, जो आईएमएफ के कर्ज पर चल रहा है. वह बार-बार आईएमएफ से कर्ज लेता है. हम जब अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने पर चर्चा कर रहे हैं तो यह समझना जरूरी है कि कुछ बुनियादी सिद्धांतों को सार्वभौमिक रूप से सम्मान किया जाना चाहिए. इनमें एक बेहद महत्वपूर्ण सिद्धांत आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का है, जो पाकिस्तान के लिए यह उचित नहीं है. UN में पहलगाम हमले का जिक्र पर्वतनेनी हरीश ने 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का हवाला देते हुए आतंकी मामलों में जवाबदेही की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर अच्छे पड़ोसी और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की भावना का उल्लंघन करने वाले मुल्कों को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी.  उन्होंने कहा कि आतंक को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इससे पहले पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दा और भारत के साथ सिंधु जल संधि पर चल रहे विवाद को उठाया.