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केंद्र की नई योजना में शामिल होंगे पंजाब के 100+ गांव, ग्रामीणों को होगा लाभ

चंडीगढ़ केंद्र सरकार ने पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में विकास को गति देने के लिए 6 जिलों के 107 गांवों को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का हिस्सा बनाया है। यह योजना अप्रैल 2025 से शुरू होकर वित्तीय वर्ष 2028-29 तक जारी रहेगी। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर, बेहतर सड़कें, स्वास्थ्य सेवाएं, वित्तीय सुधार, युवाओं के लिए कौशल विकास और सहकारी समितियों को मज़बूत बनाने जैसे काम किए जाएंगे। सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबि अमृतसर के 25 गांव, तरनतारन के 24 गांव, फाजिल्का के 15 गांव, फिरोजपुर के 17 गांव, गुरदासपुर के 19 गांव, पठानकोट के 7 गांवों को इस योजना में शामिल किया गया है। केंद्र ने इस कार्यक्रम के लिए करीब 6,839 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। यह राशि 2028-29 तक चरणबद्ध तरीके से खर्च की जाएगी। योजना का मकसद अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से जुड़े गांवों का समग्र विकास करना है। 

लापरवाही का शिकार ग्रामीण: लाखों खर्च के बाद भी सड़क बेहाल, ठेकेदार को नोटिस

बीजापुर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत करोड़ों की योजनाएं गांवों तक बेहतर आवागमन की सुविधा देने के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन उसूर तहसील की बासागुड़ा-कुम्हारपारा सड़क इसका बिल्कुल उल्टा उदाहरण बन गई है। साल 2020 में ठेकेदार आकाश चांडक ने 60 लाख की लागत से 1.60 किमी लंबी मिट्टी-मुरुम सड़क बनाई थी। पांच साल बीतने को हैं लेकिन ठेकेदार ने इस सड़क की एक बार भी मरम्मत नहीं की। नतीजा यह हुआ कि आज यह सड़क पूरी तरह से उबड़-खाबड़ और गड्ढों से भरी खाई में तब्दील हो चुकी है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क पर चलना किसी नदी को पार करने से कम नहीं है। जगह-जगह गड्ढे, कटे किनारे और झाड़ियों ने इसे मौत का जाल बना दिया है। आलम यह है कि धरमापुर, मल्लेपल्ली और डल्ला गांव के करीब 1000 ग्रामीण रोजाना इसी सड़क से गुजरने को मजबूर हैं। पैदल यात्री, बाइक सवार और ट्रैक्टर चालकों के लिए यह सफर किसी चुनौती से कम नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार ने सड़क निर्माण में शुरुआत से ही लापरवाही बरती और काम अधूरा छोड़ दिया। अब मरम्मत न होने से हालात बदतर हो गए हैं। उनका कहना है कि सड़क पर चलने से ज़्यादा आसान तो खेतों में चलना है। इस मामले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यपालन अभियंता नवीन कुमार टोंडे और उप अभियंता परमानंद रामटेके ने बताया कि ठेकेदार को 5 अगस्त 2025 को मरम्मत करने के लिए नोटिस भेजा गया है। लेकिन ठेकेदार ने मरम्मत कार्य शुरू नहीं किया तो विभाग 18 लाख रुपये की वसूली ठेकेदार से करेगा। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ग्रामीणों की पांच साल से चली आ रही परेशानी का जिम्मेदार कौन है? और कब तक ऐसी योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही टिकाऊ साबित होंगी?