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सीईसी का संरक्षण: क्यों नहीं आसानी से हटा सकते विपक्षी दल

नई दिल्ली  कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष और भारत के चुनाव आयोग के बीच बढ़ते तनाव के बीच जानकारी सामने आई है कि विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ पद से हटाने का नोटिस लाने पर विचार कर रहा है. यह चौंकाने वाला कदम विपक्ष के नेता राहुल गांधी की तरफ से चुनाव आयोग के कामकाज में बड़े पैमाने पर खामियों और 'वोट चोरी' के आरोपों के बाद उठाया जा सकता है. बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद तनातनी ज्यादा बढ़ गई है.  CEC को हटाने के क्या प्रावधान? सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि मुख्य चुनाव आयुक्त का पद एक बड़ी संवैधानिक अथॉरिटी है जिस पर भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की अहम ज़िम्मेदारी है. इस पद की स्वतंत्रता और स्वायत्तता की रक्षा भारतीय लोकतंत्र के लिए जरूरी है, और इसीलिए भारत के संविधान में मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए काफी जटिल प्रावधान हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के जज को पद से हटाने की तरह हैं.  मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने से संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 324(5) में दिए गए हैं. संविधान के अनुच्छेद 324(5) में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से उसी तरह और उसी आधार पर हटाया जा सकता है, जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के जज को पद से हटाया जाता है. अनुच्छेद का यह क्लॉज मुख्य चुनाव आयुक्त और सुप्रीम कोर्ट के जज के बीच एक तरह से समानता स्थापित करता है, और यह तय करता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का 'तरीका' और 'आधार' संविधान में सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने के लिए निर्धारित नियमों की तरह होने चाहिए. नतीजन, मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया को समझने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय के जज को हटाने के संवैधानिक और वैधानिक ढांचे को समझना जरूरी है.  SC के जजों को कैसे हटाया जाता है? सर्वोच्च न्यायालय के जज को हटाने की प्रक्रिया, जो सीधे मुख्य चुनाव आयुक्त पर लागू होती है, भारत के संविधान के अनुच्छेद 124(4) में दर्ज है और न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत आती है. संविधान के अनुच्छेद 124(4) में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के किसी भी जज को उनके पद से तब तक नहीं हटाया जा सकता, जब तक कि राष्ट्रपति का कोई आदेश न हो. यह आदेश तभी पारित हो सकता है, जब संसद के दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) एक ही सत्र में जज को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पास करें. यह प्रस्ताव 'सिद्ध दुर्व्यवहार' या 'अक्षमता' के आधार पर पारित होना चाहिए. इसे पास करने के लिए दोनों सदनों में 'विशेष बहुमत' की जरूरत होती है. इसका मतलब है कि सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और साथ ही उस सदन में उपस्थित और वोट डालने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत होना चाहिए. यह अनुच्छेद किसी जज को हटाने के लिए जरूरी आधारों और उच्च संसदीय सीमा को तय करता है. संविधान में दर्ज दो आधार 'सिद्ध कदाचार' (Proved misbehaviour) या 'अक्षमता' (Incapacity) हैं. यहां, सिद्ध शब्द महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका मतलब है कि किसी भी संसदीय मतदान से पहले जांच और पुष्टि होना जरूरी है. इसके अलावा, अनुच्छेद 124(4) लोकसभा और राज्यसभा दोनों में 'विशेष बहुमत' का प्रावधान करता है. इसका मतलब है कि सिर्फ उपस्थित और वोट देने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से काम नहीं चलेगा, बल्कि सदन की कुल सदस्य संख्या का बहुमत होना भी ज़रूरी है. इस प्रक्रिया के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सिर्फ सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर ही शुरू की जा सकती है. पद से हटाने के किसी भी प्रस्ताव को अंतिम आदेश के लिए राष्ट्रपति के सामने पेश करने से पहले संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत हासिल करना होगा. दुर्व्यवहार या अक्षमता कैसे साबित होती है? किसी जज पर लगे 'सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता' के आरोपों की जांच और उन्हें साबित करने की प्रक्रिया सिर्फ संसद के सदस्यों की मर्जी पर नहीं छोड़ी गई है, बल्कि इसके लिए न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 बनाया गया है. चूंकि CEC को भी जज की तरह ही हटाया जाता है, इसलिए यह कानून बाकी पहलुओं को भी नियंत्रित करता है. संविधान में 'सिद्ध दुर्व्यवहार' कोई परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन इसमें जानबूझकर किया गया गलत काम, भ्रष्टाचार, नैतिक पतन से जुड़े अपराध या पद का दुरुपयोग शामिल हो सकता है. यह सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि बार-बार की गई लापरवाही या लापरवाही से भरा व्यवहार हो सकता है जो एक पैटर्न को दिखाता हो. इसी तरह 'अक्षमता' का मतलब शारीरिक या मानसिक रूप से इस हालत में होना कि व्यक्ति अपने सरकारी काम को ठीक से न कर पाए. इसे एक मेडिकल कंडीशन के तौर पर देखा जाता है. कैसे आता है पद से हटाने का प्रस्ताव सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर किसी मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए, सबसे पहले संसद के किसी भी सदन में मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का प्रस्ताव पेश किया जाना चाहिए. प्रस्ताव की सूचना पर लोकसभा के कम से कम 100 सदस्यों या राज्यसभा के कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए.  

92 करोड़ की मेफेड्रोन जब्त, भोपाल में अवैध ड्रग्स मैन्युफैक्चरिंग का भंडाफोड़; 7 गिरफ्तार

डीआरआई ने भोपाल में अवैध दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग कारखाने का भंडाफोड़ किया; 92 करोड़ रुपये कीमत की 61.2 किलोग्राम मेफेड्रोन जब्त; सात गिरफ्तार भोपाल  एक महत्त्वपूर्ण खुफिया सूचना के आधार पर, राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने भोपाल में एक गुप्त मेफेड्रोन मैन्युफैक्चरिंग कारखाने का, एक सुनियोजित और समन्वित ऑपरेशन, जिसका कोड नाम "ऑपरेशन क्रिस्टल ब्रेक" था, सफलतापूर्वक भंडाफोड़ किया। इस ऑपरेशन के दौरान सूरत और मुंबई पुलिस ने भी डीआरआई का सहयोग किया। डीआरआई ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर छापे मारे और इस गिरोह के सात प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया।  16.08.2025 को, ग्राम-जगदीशपुर (इस्लामनगर), हुजूर-तहसील, जिला-भोपाल, मध्य प्रदेश स्थित अवैध निर्माण इकाई की तलाशी में 61.20 किलोग्राम मेफेड्रोन (तरल रूप में) बरामद और जब्त किया गया, जिसकी अवैध बाजार में कीमत ₹92 करोड़ आंकी गई। इसके अतिरिक्त, 541.53 किलोग्राम कच्चा माल, जिसमें मेथिलीन डाइक्लोराइड, एसीटोन, मोनोमेथिलमाइन (एमएमए), हाइड्रोक्लोरिक एसिड (एचसीएल), और 2-ब्रोमो शामिल हैं, के साथ-साथ प्रसंस्करण उपकरणों का एक पूरा सेट भी जब्त किया गया। एकांत परिसर में जानबूझकर चारों ओर से ढके हुए कारखाने पर डीआरआई अधिकारियों ने चतुराई से छापा मारा। मेफेड्रोन बनाने वाले केमिस्ट समेत दो लोग को अवैध उत्पादन प्रक्रिया में लिप्त पाया गया। तत्परतापूर्वक की गई कार्रवाई में, ड्रग कार्टेल के एक प्रमुख शख्स को बस्ती, उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार किया गया, जिसे भिवंडी (मुंबई) से भोपाल तक कच्चे माल की आपूर्ति की देख-रेख का काम सौंपा गया था। अवैध रूप से रसायन/ कच्चा माल उपलब्ध कराने वाले दो आपूर्तिकर्ताओं को भी मुंबई में गिरफ्तार किया गया, साथ ही मुंबई से भोपाल तक रसायनों/ कच्चे माल के परिवहन के लिए जिम्मेदार शख्स को भी गिरफ्तार किया गया। शुरुआती जांच से यह भी पता चला है कि सूरत और मुंबई से हवाला के जरिए भोपाल में पैसा भेजा जा रहा था। पैसे के लेन-देन के लिए जिम्मेदार कार्टेल के एक करीबी सहयोगी को भी सूरत में गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए सभी सात लोगों ने भारत में मेफेड्रोन नेटवर्क के एक विदेशी संचालक और सरगना के निर्देश पर मेफेड्रोन के गुप्त निर्माण में अपनी-अपनी भूमिका को स्वीकार किया। मेफेड्रोन, एक मनोविकार नाशक पदार्थ है जो स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के अंतर्गत सूचीबद्ध है। यह समाज के लिए एक गंभीर खतरा है क्योंकि इसमें मनो-सक्रिय गुण होते हैं और माना जाता है कि यह कोकीन और एम्फैटेमिन के सेवन जैसा असर पैदा करता है। यह पिछले एक साल में डीआरआई की ओर से बर्बाद की गई छठा गुप्त मेफेड्रोन कारखाना है। डीआरआई मादक दवाओं का निर्माण करने वाली अवैध फैक्ट्रियों को ध्वस्त करने और उनके मास्टरमाइंडों तथा इसमें शामिल अंतरराष्ट्रीय गिरोहों की तलाश में लगातार सक्रिय है।

उज्जैन : राजसी सवारी मार्ग पर पालकी पर की गई हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा

उज्जैन नगर भ्रमण पर निकले राजाधिराज बाबा महाकाल राजसी सवारी मार्ग पर पालकी पर की गई हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा राजसी सवारी मार्ग पर उमड़ा देश के कोने-कोने से आये भक्तों का जनसैलाब मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभामंडपम् में भगवान चंद्रमोलेश्वर का किया पूजन-अर्चन राजसी सवारी में त्रिनेत्रधारी भगवान श्रीमहाकाल के दर्शन कर भाव-विभोर हुए भक्तजन मुख्यमंत्री ने सवारी मार्ग पर डमरु और झांझ बजाकर रजत पालकी में विराजित भगवान चंद्रमौलेश्वर का किया स्वागत मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की प्रदेशवासियों के कल्याण की कामना उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को उज्जैन में निकली राजाधिराज बाबा महाकाल की राजसी सवारी के अवसर पर देश एवं प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाबा महाकाल से प्रदेशवासियों के कल्याण और मंगलमय जीवन की कामना की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देशभर में श्रावण मास में पूर्णिमा से पूर्णिमा तक महादेव की सवारियां निकलती हैं। लेकिन उत्तर और दक्षिण परम्पराओं के अनुसार भादवा (भाद्रपद) के दो सोमवार तक भी बाबा महाकाल की सवारी निकलती है। आज उज्जैन में बाबा महाकाल ने आखिरी (राजसी) सवारी कर नगर भ्रमण किया और अपनी प्रजा (जनता) के हाल-चाल जाने। बाबा ने अपने राजाधिराज स्वरुप में भक्तों को दिव्य दर्शन दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से बाबा की भव्य राजसी सवारी के लिए सभी व्यवस्थाएं की गईं और धूमधाम से सवारी की अगवानी की गई। बाबा की सवारी सहित सवारी पथ पर पुष्पवर्षा भी की गई। इस वर्ष विजयादशमी पर्व पर बाबा महाकाल एक बार फिर सवारी के साथ जनदर्शन के लिए पधारेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाबा महाकाल से कामना करते हुए कहा कि बाबा का शुभाशीष प्रदेशवासियों पर हमेशा बना रहे। कृपावंत भगवान महाकाल सबका कल्याण करें, सबके दुःख हर लें। भगवान महाकालेश्वर की इस वर्ष की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में सोमवार,18 अगस्त को सायं 4 बजे राजसी सवारी धूमधाम से निकाली गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभामंडपम में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन किया। रजत पालकी में विराजित चंद्रमौलेश्वर भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले तो सम्पूर्ण उज्जयिनी भगवान महाकालेश्वर की जय-जयकार से गुंजायमान हो गई। चारों दिशाओं में भगवान श्रीमहाकाल की भक्ति में लीन भक्तों के नेत्र त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की एक झलक पाकर भाव-विभोर हो उठे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव और प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल ने सवारी निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में भगवान चन्द्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन विधिवत रूप से किया। सभा मंडप में विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, विधायक सतीश मालवीय, विधायक महेश परमार, महापौर मुकेश टटवाल, सभापति श्रीमती कलावती यादव ने भी भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया और आरती में सम्मिलित हुए। पूजन के बाद निर्धारित समय पर भगवान महाकाल की पालकी को नगर भ्रमण के लिये रवाना किया गया। पूजन-अर्चन पुजारी पं. घनश्याम शर्मा व अन्य पुजारियों द्वारा सम्पन्न करवाया गया। इस अवसर पर सभा मंडप में पूजन-अर्चन के दौरान संजय अग्रवाल, रवि सोलंकी आदि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंशानुरुप सवारी के मुख्य द्वार पर पहुंचने पर रजत पालकी में विराजित भगवान चंद्रमौलेश्वर पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। रजत पालकी में विराजित भगवान चंद्रमौलेश्वर जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंचे असंख्य श्रद्धालुओं ने भगवान महाकालेश्वर का स्वागत-वन्दन किया। सशस्त्र पुलिस बल के जवानों तथा प्रदेश के विभिन्न बटालियनों के जवानों द्वारा सवारी को सलामी दी गई। पालकी के आगे घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि की टुकडियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव सवारी में शामिल हुए और सवारी मार्ग पर उन्होंने ड़मरु और झांझ बजाया। राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर की सवारी में असंख्य श्रध्दालुओं ने सवारी मार्ग पर ड़मरु, झांझ-मंजीरे बजाकर अवंतिकानाथ भगवान महाकालेश्वर की जय जयकार की। भगवान श्रीमहाकाल ने भक्तों को छह रूपों में दिये दर्शन राजसी सवारी में भगवान महाकालेश्वर ने छह विभिन्न स्वरूपों में अपनें भक्तों को दर्शन दिये। भगवान श्रीमहाकाल की राजसी सवारी में रजत पालकी में चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद एवं षष्ठम् सवारी में सप्तधान मुखारविंद के रूपों में भक्तों को दर्शन दिए। भगवान श्रीमहाकालेश्वर की सवारी परम्परागत मार्गों से होती हुई रामघाट पहुंची। रामघाट पर भगवान महाकाल का क्षिप्रा के जल से जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की गई। पूजन-अर्चन पं. घनश्याम शर्मा और अन्य पुजारियों के द्वारा सम्पन्न कराया गया। पूजन के दौरान प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, महापौर मुकेश टटवाल,वैभव यादव सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। 70 भजन मण्डलियां सवारी में हुई शामिल श्रीमहाकालेश्वर भगवान की प्रमुख राजसी सवारी के चल समारोह में सबसे आगे श्रीमहाकालेश्वर मंदिर का प्रचार वाहन चला। उसके बाद यातायात पुलिस, तोपची, भगवान महाकालेश्वर का रजत ध्वज, घुडसवार, विशेष सशस्त्र बल सलामी गार्ड, स्काउट / गाइड सदस्य, सेवा समिति बैंड के बाद उज्जैन के अतिरिक्त मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों से परंपरागत रूप से सवारी सम्मिलित होने वाली 70 भजन मंडलियां चल समारोह में प्रभु का गुणगान करते हुए शामिल हुई। साथ ही नगर के साधु-संत व गणमान्य नागरिक, पुलिस बैंड, नगर सेना के सलामी गार्ड की टुकड़ी, महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी व पुरोहितगण सवारी के साथ रहे। उनके बाद महाकालेश्वर भगवान (चंद्रमौलेश्वर) की प्रमुख पालकी, भारत बैंड, रथ पर गरुड़ पर विराजित शिव-तांडव, रमेश बैंड, नंदी रथ पर उमा महेश स्वरुप, गणेश बैंड, रथ पर होल्कर स्टेट मुखारविंद, आर.के. बैंड, रथ पर सप्तधान मुखारविंद के पश्चात राजकमल म्युजिकल ग्रुप बैंड व मनमहेश स्वरुप हाथी पर विराजित रहे। चलित रथ के माध्यम से श्रद्धालुओं ने करे दर्शन भगवान श्रीमहाकालेश्वर की सवारी के सुगमतापूर्वक दर्शन के लिये चलित रथ की व्यवस्था की गई। जिसके दोनों ओर एलईडी के माध्यम से सवारी का लाईव प्रसारण किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को भगवान के सहज दर्शन का लाभ मिला। साथ ही उज्जैन के अन्य स्थानों फ्रीगंज, नानाखेड़ा, दत्तअखाड़ा आदि क्षेत्रों में भी सवारी का लाइव प्रसारण किया गया। सवारी में जनजातीय एवं लोक नृत्य कलाकारों ने दीं आकर्षक प्रस्तुतियां मुख्यमंत्री डॉ. यादव की मंशानुरूप बाबा श्रीमहाकालेश्वर की सवारी को भव्य स्वरुप देने के लिए जनजातीय कलाकारों के दल ने महाकालेश्वर भगवान की राजसी सवारी में सहभागिता की। इसमें लामूलाल धुर्वे अनूपपुर के नेतृत्व में ढुलिया जनजातीय गुदुमबाजा नृत्‍य, भुवनेश्वर से अभिजीत दास नेतृत्व में श्रृंगारी लोक नृत्‍य, सुमित … Read more

श्राद्ध पक्ष कब से कब तक? देखें पितृपक्ष की सभी महत्वपूर्ण तिथियां

पितृपक्ष का आरंभ सितंबर महीने में हो रहा है। पितृपक्ष में 15 दिनों के लिए पूर्वज स्वर्ग लोक से धरती लोक पर आते हैं। इस बार तिथियों के ऐसा फेर बदल है कि तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध एक ही दिन किया जाएगा। यहां जानें पितृपक्ष की सारी प्रमुख तिथियां। अपने पूर्वजों को याद करने के लिए और उनकी पूजा करने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे शुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर स्वर्ग लोक से धरती लोक में आते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। इस बार पितृ पक्ष का आरंभ 7 सितंबर से होने जा रहा है और इस बार तृतीया और चतुर्थी तिथि का श्राद्ध एक ही दिन किया जाएगा। बता दे कि पितरपक्ष यानी श्राद्ध का आरंभ होने से पहले पिठौरी अमावस्या को कुश ग्रहण किया जाता है। इसके बाद प्रोष्ठपदी पूर्णिमा तिथि को पहले श्राद्ध किया जाता है। पितर पक्ष के पहले दिन अगस्त मुनि का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। आइए जानते हैं पितृपक्ष की सभी प्रमुख तिथियां। पितृपक्ष 2025 की तिथियां और तारीख 1) पूर्णिमा तिथि श्राद्ध – रविवार 7 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 2) प्रतिपदा तिथि श्राद्ध – सोमवार 8 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 3) द्वितीया तिथि श्राद्ध – मंगलवार 9 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 4) तृतीया तिथि श्राद्ध चतुर्थी तिथि श्राद्ध – बुधवार 10 सितंबर को किया जाएगा। 5) भरणी तिथि और पंचमी तिथि श्राद्ध – गुरुवार 11 सितंबर को किया जाएगा। 6) षष्ठी तिथि श्राद्ध – शुक्रवार 12 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 7) सप्तमी तिथि श्राद्ध – शनिवार 13 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 8) अष्टमी तिथि श्राद्ध – रविवार 14 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 9) नवमी तिथि श्राद्ध – सोमवार 15 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 10) दशमी तिथि श्राद्ध – मंगलवार 16 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 11) एकादशी तिथि श्राद्ध – बुधवार 17 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 12) द्वादशी तिथि श्राद्ध – गुरुवार 18 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 13) त्रयोदशी तिथिमघा श्राद्ध – शुक्रवार 19 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 14) चतुर्दशी तिथि श्राद्ध – शनिवार 20 सितंबर 2025 को किया जाएगा। 15) सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध – रविवार 21 सितंबर 2025 को किया जाएगा पितृपक्ष में रखें इन बातों का विशेष ख्याल पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध तिथि के अनुसार किया जाता है। जिस दिन भी आपके पितरों का निधन हुआ हो उस तिथि के अनुसार, पितृपक्ष में श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध के दिन अपने पितरों का प्रिय भोजन जरुर बनाएं और इस दिन ब्राह्मण, कौए, गाय, बिल्ली और कुत्तों को जरूर खाना खिलाना चाहिए। इससे पंचबलि कहा जाता है। श्राद्ध के दिन सबसे पहले तर्पण करें। तर्पण के लिए काले तिल, जौ, और जल से पितरों को अर्घ्य दें। वैसे तो श्राद्ध पक्ष के दौरान रोजाना तर्पण करना बेहद जरूरी है। वैसे तो पितृपक्ष में दान करने का विशेष महत्व है और आप किसी भी दिन दान कर सकते हैं लेकिन, जिन दिन आपके पितरों का श्राद्ध है उस दिन दान जरुर करना चाहिए।

6 महीने का कोर्स: बिहार के इंजीनियर्स अब IIT दिल्ली से सीखेंगे पुल बनाना

पटना एक के बाद एक पुल टूटने के हादसों के बाद अब बिहार सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। नीतीश कुमार की सरकार अपने इंजीनियर्स को खास ट्रेनिंग दिलवाने जा रही है। कोशिश है बिहार सड़क निर्माण विभाग (BRCD) के इंजीनियर्स को तकनीकी रूप से और बेहतर बनाने की। इसके लिए रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट बिहार ने देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक IIT Delhi के साथ टाय-अप किया है। 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स इस पार्टनरशिप के तहत आईआईटी दिल्ली 6 महीने का एक सर्टिफिकेट प्रोग्राम लॉन्च कर रहा है। इस कोर्स के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से पुल का डिजाइन तैयार करना, उसके निर्माण की देखरेख करना और बनने के बाद उसका मेंटेनेंस करना सिखाया जाएगा। बताया जा रहा है कि 100 से ज्यादा सरकारी इंजीनियर ये ट्रेनिंग करेंगे। उन्हें ड्रोन्स यूज करने, सेंसर्स और एआई टूल्स के इस्तेमाल से पुलों की हालत समझने की ट्रेनिंग दी जाएगी। सितंबर 2025 से शुरुआत आईआईटी दिल्ली द्वारा तैयार किया गया ये सर्टिफिकेट प्रोग्राम बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं रखरखाव नीति 2025 के तहत है, जिसे नीतीश सरकार ने हाल ही में मंजूरी दी थी। इस नीति का उद्देश्य है प्राइवेट कंसल्टेंट्स पर निर्भरता कम करना। अपने खुद के इंजीनियरों को ज्यादा काबिल बनाना। साथ ही साथ राज्य में पुलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। IAHE भी कराएगा एक ट्रेनिंग प्रोग्राम? बताया जा रहा है कि ऐसे ही एक और ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए इंडियन एकेडेमी ऑफ हाईवे इंजीनियर्स (IAHE) के साथ चर्चा चल रही है। ताकि रोड एंड ब्रिज स्ट्रक्चर्स के डिजाइन के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम्स तैयार किए जा सकें। इस तरह से पुल निर्माण के लिए स्पेशलाइज्ड इंजीनियर्स की पूरी टीम रेडी की जा सके। सरकार का कहना है कि इस ट्रेनिंग के अलावा राज्य में एक ब्रिज डिजाइन सेल भी बनाया जाएगा। ये बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड (BRPNNL) के अंतर्गत होगा। इसका काम होगा ब्रिज के डिजाइन, कल्वर्ट और रिटेनिंग वॉल्स के डिजाइन तैयार करना। सरकार के अनुसार इससे राज्य सालाना 65 करोड़ रुपये बचेंगे, पुल बनाने में लगने वाला लंबा समय कम हो सकेगा।

शहर का पहला कमर्शियल सेंटर रेवाड़ी में, 1.67 करोड़ की लागत और आधुनिक सुविधाओं के साथ

रेवाड़ी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) की ओर से शहर के राजीव चौक पर करीब एक एकड़ जमीन में कमर्शियल सेंटर बनाया जाएगा। जिसके लिए एक करोड़ 67 लाख व 57 हजार रुपये के बजट की स्वीकृति मिल गई है। इसके साथ ही प्राधिकरण की ओर से इसके टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जल्द ही टेंडर होने के बाद इसका निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा। शहर की सबसे पाॅश जगह पर बनने वाला यह शहर का पहला कमर्शियल भवन होगा, जिसमें सबसे बड़ी पार्किंग की व्यवस्था रहेगी। यह लघु सचिवालय व न्यायिक परिसर से सटा होने के साथ ही दिल्ली-जयपुर हाईवे को जोड़ने वाले बावल पर रोड पर स्थित है। बता दें कि सेक्टर तीन में आने वाले राजीव चौक के समीप बावल रोड पर एक एकड़ भूमि में व्यावसायिक सेंटर बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी। प्राधिकरण की ओर से प्रस्ताव बनाकर स्वीकृति के लिए 29 जुलाई 2024 को पंचकूला हेड ऑफिस भेजा गया था। 19 सितंबर को इसके विकसित करने के लिए बजट मंजूर को किया गया था। प्राधिकरण की मंजूरी मिलने के बाद अन्य प्रक्रिया पूरी करने के बाद अब इसके टेंडर की प्रक्रिया को शुरू कर दी गई है। यहां पार्किंग स्थल, सीवरेज एवं पेयजल की व्यवस्था की जाएगी। इसके बाद यहां बनने वाली दुकानों की नीलामी की जाएगी। यहां 22 दो मंजिला दुकानें एवं 48 बूथ बनाए गए जाएंगे।  

iPhone 17 सीरीज: क्या इस बार जेब पर पड़ेगा कम बोझ या और ज़्यादा महंगा?

नई दिल्ली Apple कंपनी के iPhone सीरीज के फोन्स की तो दुनिया दीवानी है। अब जल्द ही ऐपल अपने अपनी नई iPhone 17 सीरीज लॉन्च करने वाली है। कंपनी चार नए मॉडल लाने वाली है, जिनमें iPhone 17, iPhone 17 Air, iPhone 17 Pro और iPhone 17 Pro Max होंगे। लीक हुई जानकारी के मुताबिक, इस बार डायनामिक आइलैंड में बदलाव होगा। इसके अलावा, iOS 26 के साथ सभी मॉडल्स में नए इंटरैक्टिव फीचर्स और शानदार डिजाइन देखने को मिलेंगे। इसी बीच iPhone 17 सीरीज के फोन्स को लेकर कुछ जानकारी लीक हुई है। चलिए, जान लेते हैं कि फोन कब लॉन्च हो सकता है, भारत में इसकी कीमत क्या हो सकती है, कैमरा कैसा रहने वाला है, फोन की बॉडी में क्या खास रहेगा और ये फोन किन कलर्स में आपको मिल सकते हैं। कब लॉन्च होगा iPhone 17? बीते कुछ सालों को देखा जाए तो ऐपल आमतौर पर हर साल सितंबर में अपने नए iPhone लॉन्च करता है। इस बार भी iPhone 17 सीरीज के सितंबर की शुरुआत में लॉन्च होने की उम्मीद है। पहले के लॉन्च को देखें तो iPhone 16 को 9 सितंबर, iPhone 15 को 12 सितंबर और iPhone 14 को 7 सितंबर को लॉन्च किया गया था। मशहूर पत्रकार मार्क गुरमन ने संभावना जताई है कि 9 या 10 सितंबर को लॉन्च हो सकता है। इसके अलावा, जर्मनी की एक टेलीकॉम कंपनी के इंटरनल मेमो में भी 9 सितंबर की तारीख का जिक्र है। भारत में इतनी होगी कीमत लीक के अनुसार, इस बार iPhone 17 सीरीज में बेस स्टोरेज को दोगुना कर 256GB किया जा सकता है, जो अभी 128GB है। इस अपग्रेड की वजह से कीमत में करीब 4,400 रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो स्टैंडर्ड iPhone 17 की कीमत भारत में लगभग 83,300 रुपये हो सकती है, जबकि iPhone 16 की कीमत 79,900 रुपये थी। नए iPhone 17 Air की कीमत अमेरिका में 900 डॉलर हो सकती है, जो भारत में 90,000 से 1,00,000 रुपये के बीच हो सकती है। यह कीमत स्टैंडर्ड मॉडल से ज्यादा लेकिन Pro मॉडल्स से कम होगी। Pro और Pro Max मॉडल्स की कीमत में भी बढ़ोतरी हो सकती है। iPhone 17 सीरीज में कैमरा कैसा होगा? iPhone 17 सीरीज में कैमरे के मामले में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। सभी मॉडल्स में 24MP का फ्रंट कैमरा होगा, जो iPhone 16 के 12MP फ्रंट कैमरे से बेहतर होगा। iPhone 17 Air में सिंगल 48MP रियर कैमरा हो सकता है। स्टैंडर्ड iPhone 17 में डुअल कैमरा सिस्टम होगा, जिसमें 48MP का मेन सेंसर और 12MP का अल्ट्रा वाइड लेंस होगा। Pro और Pro Max मॉडल्स में ट्रिपल कैमरा सेटअप होगा, जिसमें 48MP मेन सेंसर, 48MP अल्ट्रा वाइड सेंसर और 48MP पेरिस्कोप टेलीफोटो लेंस होगा। इन कलर्स में आ सकते हैं फोन iPhone 17 और iPhone 17 Pro में एल्यूमिनियम बॉडी हो सकती है, जो पिछले टाइटेनियम फ्रेम की तुलना में हल्की होगी।Pro मॉडल में बेहतर वायरलेस कनेक्टिविटी के लिए नया एंटीना सिस्टम हो सकता है। रंगों की बात करें तो स्टैंडर्ड iPhone 17 ब्लैक, व्हाइट, स्टील ग्रे, ग्रीन, पर्पल और लाइट ब्लू कलर्स में आ सकता है। जबकि Pro मॉडल्स ब्लैक, व्हाइट, ग्रे, डार्क ब्लू और ऑरेंज जैसे शानदार कलर्स में मिल सकते हैं। एल्यूमिनियम बॉडी हो सकती है iPhone 17 और iPhone 17 Pro में एल्यूमिनियम बॉडी हो सकती है, जो पिछले टाइटेनियम फ्रेम की तुलना में हल्की होगी।Pro मॉडल में बेहतर वायरलेस कनेक्टिविटी के लिए नया एंटीना सिस्टम हो सकता है।

गिल की अनुपस्थिति में टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती, एशिया कप चयन चर्चा में

नई दिल्ली अगले महीने संयुक्त अरब अमीरात में होने वाले एशिया कप टी20 टूर्नामेंट के लिए मंगलवार को 15 सदस्यीय भारतीय टीम का चयन किया जाएगा। चयन समिति के सामने सबसे बड़ी पहेली शुभमन गिल को मजबूत ढांचे में फिट करना है। इंग्लैंड दौरे पर कप्तानी और बल्लेबाजी दोनों से प्रभावित करने वाले गिल का प्रदर्शन शानदार रहा, लेकिन नौ से 28 सितंबर तक होने वाले महाद्वीपीय टूर्नामेंट की टीम में उन्हें जगह मिलना मुश्किल दिख रहा है। बल्लेबाजी क्रम पर संकट चयनकर्ताओं के सामने शीर्ष तीन बल्लेबाजी क्रम के लिए छह दावेदार मौजूद हैं। अभिषेक शर्मा, संजू सैमसन और तिलक वर्मा ने हालिया सीरीज में दमदार प्रदर्शन किया है। दूसरी ओर, गिल, यशस्वी जायसवाल और साई सुदर्शन (आईपीएल ऑरेंज कैप विजेता) भी कमतर नहीं माने जा सकते। अगर गिल को टीम में शामिल किया जाता है तो इसका असर किसी बड़े बल्लेबाज जैसे संजू, अभिषेक या तिलक पर पड़ सकता है। रिंकू सिंह का स्थान भी खतरे में आ सकता है। गेंदबाजी विभाग स्पिनरों में कुलदीप यादव, वरुण चक्रवर्ती और रवि बिश्नोई के बीच कड़ी टक्कर है, जबकि अनुभवी युजवेंद्र चहल लगातार नज़रअंदाज़ किए जा रहे हैं। तेज गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह, अर्शदीप सिंह और हार्दिक पंड्या का चयन तय माना जा रहा है। रिजर्व तेज गेंदबाज के रूप में हर्षित राणा सबसे आगे हैं। स्पिन विभाग में अक्षर पटेल, वरुण और कुलदीप पहली पसंद माने जा रहे हैं। गौतम गंभीर ऑलराउंडरों को प्राथमिकता देते हैं, ऐसे में वॉशिंगटन सुंदर की वापसी की संभावना है। शिवम दुबे का चयन लगभग तय माना जा रहा है। कप्तानी और टीम संतुलन सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में टीम का टी20 रिकॉर्ड 85 प्रतिशत जीत का रहा है। दिलचस्प यह है कि इन मुकाबलों में न तो गिल खेले और न ही जायसवाल। टीम प्रबंधन का मानना है कि पिछले सत्र में जो खिलाड़ी नियमित रूप से अंतिम एकादश में थे, उन्हें बाहर करना सही नहीं होगा। दूसरी ओर एक विचार यह भी है कि भारतीय क्रिकेट को एक ऐसे कप्तान की जरूरत है जो सभी प्रारूपों में टीम का नेतृत्व कर सके और बड़ा मार्केटिंग चेहरा बने। इस दृष्टि से शुभमन गिल को उपयुक्त विकल्प माना जा रहा है। अन्य मोर्चे पर हालात नितीश रेड्डी और ऋषभ पंत अभी चोट से उबर रहे हैं। ऐसे में विकेटकीपर की दूसरी जगह के लिए जितेश शर्मा और ध्रुव जुरेल में टक्कर होगी। जितेश को फिनिशर की भूमिका के कारण बढ़त मिल सकती है।  

पटना मेट्रो को मिली रफ्तार: डिपो तैयार, तय हो गई ट्रायल रन की तारीख

पटना  राजधानी पटना के लोगों का इंतजार खत्म होने वाला है। मेट्रो परियोजना से जुड़े ताजा अपडेट सामने आ रहे हैं। अपडेट के मुताबिक पटना मेट्रो का ट्रायल रन 20 अगस्त के बाद कभी भी शुरू होने की संभावना है, जबकि संचालनकारी एजेंसी PMRCL का लक्ष्य सितंबर के अंत तक सेवाएं जनता के लिए चालू करने का है। पहले 15 अगस्त से ट्रायल का शेड्यूल था, लेकिन डिपो और अन्य जरूरी कार्य पूरे न होने के कारण इसे टाला गया। मगर अब तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। कहां होगा पहला ट्रायल रन पहला ट्रायल प्रायोरिटी कॉरिडोर पर होगा, जो मलाही पकड़ी से न्यू ISBT (पटलिपुत्र बस टर्मिनल) के बीच है। इस 6–6.5km के एलीवेटेड सेक्शन में पांच स्टेशन शामिल हैं। न्यू ISBT, मलाही पकड़ी, खेमनीचक, भूतनाथ रोड और जीरो माइल/बाईपास, जहां सिविल वर्क 90 फीसद से अधिक हो गया है। बाकि काम प्रगति पर है। क्या-क्या होगी जांच ट्रायल के दौरान मेट्रो की सिग्नलिंग, स्पीड, ट्रैक की सुरक्षा और प्रणालियों की विश्वसनीयता की व्यापक जांच होगी। ट्रायल सफल होने के बाद ही मेट्रो को यात्री सेवाओं के लिए  शुरू किया जाएगा। क्यों हुई देरी, अब स्थिति क्या है PMRCL के अधिकारियों के अनुसार डिपो के कुछ अहम कार्य लंबित थे, जिन्हें पूरा करने में समय लगा। अब इन कार्यों को अंतिम रूप दिया जा चुका है और रेक को पटरी पर उतारने की तैयारी पूरी बताई गई है। शहरी विकास मंत्री ने भी जुलाई में प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा था कि सभी सुविधाओं और सुरक्षा मानकों की बारीकी से जांच की जा रही है। कब मिलेगी सवारी की सौगात लक्ष्य है कि सितंबर के अंत राजधानी पटना के लोगों के लिए मेट्रो की सेवा शुरू कर दी जाए। लेकिन ऐसा ट्रायल की सफलता और नियामकीय अनुमतियों पर ही निर्भर करेगा। शुरुआती संचालन प्रायोरिटी कॉरिडोर पर ही होगा, जबकि ब्लू लाइन के शेष हिस्से चरणबद्ध तरीके से खुलेगा। किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा मलाही पकड़ी से न्यू ISBT के बीच रोजाना सफर करने वालों को सबसे ज्‍यादा फायदा मिलने वाला है। मेट्रो से यात्रा करने वालों का न केवल समय बचत बचेगा बल्कि ट्रैफिक और प्रदूषण में सांस लेने की मजबूरी से आजादी मिलेगी। बताते चलें कि, मेट्रो आने से शहर में सड़क जाम और प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है। ब्लू लाइन और आगे की राह पटना मेट्रो की ब्लू लाइन कुल 14.56km है। ये पटना जंक्शन से न्यू ISBT तक जाएगी। इसका लगभग 6.6km हिस्सा एलीवेटेड है। जबकि बाकी भूमिगत है। प्रायोरिटी कॉरिडोर के बाद बाकी सेक्शन चरणों में खोले जाने की योजना है। मलाही पकड़ी स्टेशन प्रायोरिटी कॉरिडोर का प्रमुख प्‍वाइंट है। बताते चलें कि 15 अगस्त 2025 के आसपास परिचालन लक्ष्यित किया गया था, जिसे अब ट्रायल समय-सारिणी के अनुरूप समायोजित किया जा रहा है।

भारत की नई Pralay मिसाइल, हवा से लॉन्च होगी और 7473 km/hr की गति से निशाना साधेगी

नईदिल्ली  डीआरडीओ (DRDO) ने प्रलय मिसाइल के एयर लॉन्च्ड वर्जन पर काम शुरू किया है, जो भारत की रणनीतिक हमले की क्षमता को बढ़ा सकता है. प्रलय एक क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 6.1 मैक की रफ्तार से उड़ान भरती है. यानी 7473 किलोमीटर प्रतिघंटा. एक बार ये मिसाइल बन गई तो दुश्मन कुछ सेकेंड में खत्म.  हालांकि इसे फाइटर जेट से लॉन्च करना आसान नहीं है. आइए समझते हैं कि यह तकनीक कितनी जटिल है. भारत इस क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ रहा है. प्रलय मिसाइल क्या है? प्रलय एक शॉर्ट-रेंज सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल (SRSSM) है, जिसे डीआरडीओ ने विकसित किया है. यह 150 से 500 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को नष्ट कर सकती है. यह हाइपरसोनिक मिसाइल है. वर्तमान में यह 5 टन वजनी है. ट्रक से लॉन्च की जाती है. इसके पास एडवांस गाइडेंस सिस्टम है, जो इसे सटीक निशाना लगाने में मदद करता है. हवाई लॉन्च संस्करण क्यों जरूरी है? हवाई लॉन्च संस्करण से भारत को कई फायदे मिल सकते हैं…     हमले में लचीलापन: हवाई जहाज से लॉन्च करने पर मिसाइल को कहीं भी तेजी से तैनात किया जा सकता है, भले ही जमीन पर रास्ता मुश्किल हो.     रणनीतिक बढ़त: दुश्मन के इलाके में गहरे टारगेट तक हमला करने की क्षमता बढ़ेगी.     हैरान करने वाली बात: हवाई लॉन्च से दुश्मन को पहले से पता नहीं चलेगा, जिससे बचाव मुश्किल होगा. लेकिन यह तकनीक बहुत चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि बैलिस्टिक मिसाइल को हवा से लॉन्च करना क्रूज मिसाइल (जैसे ब्रह्मोस-ए) से ज्यादा जटिल है.  तकनीकी चुनौतियां क्या हैं? वजन कम करना: प्रलय मिसाइल का वजन 5 टन है, जो फाइटर जेट के लिए बहुत भारी है. इसे हल्का करना होगा. करीब 2-3 टन तक. इसके लिए हल्के मटीरियल जैसे कार्बन फाइबर या टाइटेनियम का इस्तेमाल होगा. डिजाइन में बदलाव: मिसाइल के पंखों और आकार को फिर से डिजाइन करना होगा ताकि हवा में अलग होने और स्थिर रहने में मदद मिले. भारी केंद्र (CoG): मिसाइल के वजन केंद्र को संतुलित करना होगा ताकि हवाई जहाज से छोड़े जाने के बाद यह सुरक्षित रहे. प्रोप्ल्शन सिस्टन: हवा में सुरक्षित ज्वलन (इग्निशन) के लिए नया तंत्र बनाना होगा, जो जोखिम भरा है.  स्थिरता और उड़ान: ब्रह्मोस-ए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो हल्की और स्थिर होती है. लेकिन प्रलय हाइपरसोनिक और प्रति मीटर भारी है, जिससे इसे हवा से छोड़ने और प्रोप्लशन शुरू करने में दिक्कत होगी. हवा में मिसाइल का संतुलन बनाए रखना और सही दिशा में उड़ान भरना मुश्किल होगा. उड़ान परीक्षण और समयसीमा     डीआरडीओ 2028-2029 के बीच प्रलय के हवाई लॉन्च संस्करण के उड़ान परीक्षण करेगा.     ड्रॉप सेपरेशन: मिसाइल को फाइटर प्लेन से सुरक्षित तरीके से अलग करना.     ट्रैजेक्टरी वैलिडेशन: उड़ान पथ की सटीकता जांचना.     मिड-एयर इग्निशन: हवा में ज्वलन शुरू करना.     ये परीक्षण मिसाइल की सफलता तय करेंगे. भारत के लिए यह कदम क्यों खास है?     नई तकनीक: हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल को हवा से लॉन्च करने की तकनीक पर सिर्फ कुछ देशों (जैसे अमेरिका और रूस) ने काम किया है. भारत इस क्षेत्र में नया कदम रख रहा है.     सुरक्षा: यह मिसाइल चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के खिलाफ भारत की रक्षा को मजबूत करेगी.     आत्मनिर्भरता: अगर यह सफल होता है, तो भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी ताकत बन सकता है. चुनौतियां और उम्मीदें यह प्रोजेक्ट तकनीकी रूप से बहुत मुश्किल है. वजन कम करने और स्थिरता सुनिश्चित करने में समय लगेगा. साथ ही, परीक्षणों में असफलता का जोखिम भी है. लेकिन डीआरडीओ की टीम पहले भी ब्रह्मोस और अग्नि मिसाइलों में सफलता हासिल कर चुकी है, जो आशा जगाती है. अगर 2028-2029 तक यह तकनीक कामयाब होती है, तो भारत की सैन्य ताकत में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.