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मुख्यमंत्री साय ने बस्तर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का किया हवाई और जमीनी सर्वेक्षण

रायपुर, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज बस्तर संभाग के बाढ़ प्रभावित जिलों दंतेवाड़ा और बस्तर का हवाई सर्वेक्षण एवं जमीनी निरीक्षण किया। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का प्रत्यक्ष अवलोकन किया और राहत एवं पुनर्वास कार्यों की प्रगति की जानकारी ली। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बाढ़ से प्रभावित प्रत्येक परिवार तक समय पर सहायता पहुँचना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए सभी स्तरों पर संवेदनशीलता तथा तत्परता आवश्यक है। मुख्यमंत्री साय दंतेवाड़ा के चूड़ीटिकरा पारा में बनाए गए अस्थायी राहत शिविर पहुँचे, जहाँ उन्होंने बाढ़ प्रभावित परिवारों से भेंट कर उनकी समस्याओं को सुना। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार हर पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने प्रशासन को निर्देशित किया कि शिविरों में पर्याप्त भोजन, स्वच्छ पेयजल और सुरक्षित आवास की व्यवस्था निरंतर बनी रहे। उन्होंने कहा कि बाढ़ से प्रभावित सभी लोगों को त्वरित सहायता उपलब्ध कराई जाए और उनके पुनर्वास के कार्य प्राथमिकता के आधार पर तेजी से किए जाएं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि राहत शिविरों में सभी जरूरी व्यवस्थाओं के साथ-साथ प्रभावित परिवारों को राशन, बर्तन और कपड़े जैसे आवश्यक सामग्री भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने बाढ़ प्रभावितों को आवश्यकता अनुसार मकान की मरम्मत अथवा नए मकान निर्माण के लिए सहायता राशि समय पर देने के निर्देश दिए। श्री साय ने कलेक्टर एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को बाढ़ से हुई फसल क्षति, पशुधन हानि सहित अन्य नुकसानों का शीघ्र आंकलन कर प्रभावितों को सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री साय ने बाढ़ से क्षतिग्रस्त पुल का भी निरीक्षण किया और क्षेत्र की यातायात व्यवस्था तथा पुनर्निर्माण कार्यों की स्थिति का आकलन किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रभावित गाँवों में सड़क, बिजली और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं की शीघ्र बहाली सुनिश्चित की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि राहत और पुनर्वास कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ कठिनाई अवश्य लाती हैं, परंतु प्रशासनिक तत्परता और जनसहयोग से इन कठिनाइयों का समय पर समाधान संभव है। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि राहत शिविरों और प्रभावित गाँवों में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की विशेष देखभाल की जाए तथा स्वास्थ्य एवं शिक्षा से जुड़ी आवश्यक सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाए। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य शिविर का जायजा लिया मुख्यमंत्री साय ने यहाँ लगाए गए स्वास्थ्य शिविर का निरीक्षण किया। उन्होंने मेडिकल टीम से दवाइयों की उपलब्धता, डॉक्टरों की तैनाती और मरीजों को दी जा रही प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने प्रभावित परिवारों से सीधे संवाद करते हुए यह भी पूछा कि क्या वे प्रशासन की मदद से संतुष्ट हैं। प्रभावितों ने जिला प्रशासन के त्वरित सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। साय ने बाढ़ प्रभावितों की स्वास्थ्य जांच, बीमारों के उपचार और आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता के बारे में मौजूद अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने स्थिति सामान्य होने तक बाढ़ प्रभावितों को शिविर में नियमित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के निर्देश दिए। उन्होंने बाढ़ के बाद संभावित उल्टी-दस्त तथा अन्य जलजनित मौसमी बीमारियों पर निरंतर निगरानी रखने और बचाव हेतु पेयजल स्रोतों का अनिवार्य रूप से क्लोरीनेशन करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री साय ने आमजन को पीने के शुद्ध पानी का उपयोग करने, स्वच्छता एवं साफ-सफाई बनाए रखने के लिए जागरूक करने पर बल दिया। उन्होंने नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों को प्रभावित वार्डों में नियमित साफ-सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।

किसानों के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की बड़ी पहल रू इस माह मिलेगा 60 हजार टन अतिरिक्त यूरिया

चालू खरीफ सीजन में अब तक 6.39 लाख टन यूरिया वितरित, गत वर्ष इसी अवधि में हुआ था 6.17 लाख टन का वितरण राज्य में यूरिया और अन्य रासायनिक खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध, किसानों की मांग पर केंद्र सरकार ने स्वीकृत किया अतिरिक्त आबंटन रायपुर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर किसानों के हित में एक बड़ी राहत मिल रही है। भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के लिए 60 हजार टन अतिरिक्त यूरिया का आबंटन स्वीकृत किया है। इसमें सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में 20 हजार टन, द्वितीय सप्ताह में 35 हजार टन और शेष 5 हजार टन की आपूर्ति माह के अंत तक सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि किसानों की हर आवश्यकता पर राज्य सरकार संवेदनशील है और यह अतिरिक्त आबंटन उनकी खरीफ फसलों को सुरक्षित रखने में सहायक होगा। मार्कफेड अधिकारियों ने बताया कि चालू खरीफ सीजन के लिए 28 अगस्त की स्थिति में सहकारी क्षेत्र में 3 लाख 91 हजार 79 मीट्रिक टन और निजी क्षेत्र में 3 लाख 11 हजार 563 मीट्रिक टन, इस तरह कुल 7 लाख 2 हजार 642 मीट्रिक टन यूरिया का भंडारण किया गया है। इसके विरुद्ध 6 लाख 38 हजार 599 मीट्रिक टन यूरिया किसानों को वितरित किया जा चुका है। इसमें 3 लाख 42 हजार 444 मीट्रिक टन सहकारी क्षेत्र और 2 लाख 96 हजार 155 मीट्रिक टन निजी क्षेत्र से वितरण शामिल है। यह आँकड़ा पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए 6 लाख 17 हजार 798 मीट्रिक टन वितरण से अधिक है, जो इस बार की बेहतर आपूर्ति व्यवस्था का प्रमाण है। प्रदेश में किसानों के लिए नैनो खाद की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। सहकारी क्षेत्र में 1 लाख 78 हजार 919 और निजी क्षेत्र में 1 लाख 12 हजार 140, इस तरह कुल 2 लाख 91 हजार 59 बॉटल नैनो यूरिया का भंडारण हुआ है। इसी प्रकार सहकारी क्षेत्र में 1 लाख 58 हजार 809 और निजी क्षेत्र में 79 हजार 810, कुल 2 लाख 38 हजार 619 बॉटल नैनो डीएपी संग्रहित किया गया है। अब तक किसानों को 2 लाख 32 हजार 652 बॉटल नैनो यूरिया और 1 लाख 85 हजार 136 बॉटल नैनो डीएपी वितरित किया जा चुका है। प्रदेश में चालू खरीफ सीजन के लिए भारत सरकार ने 14.62 लाख टन रासायनिक खाद का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके विरुद्ध सहकारी एवं निजी क्षेत्रों में 15.64 लाख टन का भंडारण कर लिया गया है। भंडारण के आधार पर किसानों को अब तक 13.19 लाख टन खाद वितरित किया गया है। यह व्यवस्था बताती है कि समितियों और निजी क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध हैं और किसानों को किसी तरह की कठिनाई नहीं होगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि खरीफ सीजन में किसानों को खाद की आपूर्ति उनकी समयबद्ध जरूरतों के अनुरूप प्राथमिकता से की जा रही है। अब तक निर्धारित लक्ष्य का 98 प्रतिशत यूरिया किसानों तक पहुँच चुका है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि किसानों को मौसम और फसल की आवश्यकताओं के अनुरूप पर्याप्त खाद की आपूर्ति लगातार जारी रहेगी और उनकी उपज सुरक्षित रहेगी। इस संबंध में गत दिनों कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम और राज्य के सांसदों ने भी केंद्रीय उर्वरक मंत्री श्री जे.पी. नड्डा से भेंट कर छत्तीसगढ़ के किसानों की मांग रखी थी। मुख्यमंत्री श्री साय के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार से लगातार संपर्क किया गया और किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त 60 हजार टन यूरिया का आबंटन स्वीकृत किया गया। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में सहकारी सोसायटियों और निजी विक्रेताओं के माध्यम से खाद का वितरण सुव्यवस्थित तरीके से किया जा रहा है। किसान समितियों में आसानी से खाद उपलब्ध करा पा रहे हैं और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। इससे खेती-किसानी प्रभावित होने के बजाय और मजबूती पा रही है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, किसानों ने सरकार और प्रशासन की इस पहल पर संतोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि समय पर यूरिया और अन्य खाद उपलब्ध होने से बुवाई और फसल प्रबंधन का काम सुचारू रूप से हो रहा है।  मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। उन्होंने कहा कि खाद, बीज और सिंचाई जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करना सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि केंद्र और राज्य के समन्वित प्रयासों से खरीफ सीजन में किसानों को समुचित राहत मिलेगी और छत्तीसगढ़ कृषि उत्पादन में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षा की

दंतेवाड़ा सहित सुकमा, बीजापुर और बस्तर जिलों के उच्चाधिकारियों की बैठक:स्थिति सामान्य होने तक अधिकारियों को मुस्तैद रहकर जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के निर्देश रायपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज दंतेवाड़ा जिले के प्रवास के दौरान जिला कार्यालय के डंकनी सभाकक्ष में बाढ़, आपदा एवं राहत कार्यों की समीक्षा की। इस बैठक में दंतेवाड़ा के अलावा बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और बस्तर जिलों के कलेक्टर एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री टंकराम वर्मा, वन मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री श्री केदार कश्यप, बस्तर सांसद श्री महेश कश्यप, क्षेत्रीय विधायक श्री चैतराम अटामी तथा जिला पंचायत अध्यक्ष श्री नंदलाल मुड़ामी भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री साय ने विगत 26 एवं 27 अगस्त को हुई अतिवृष्टि से हुई हानि तथा प्रशासन द्वारा चलाए गए राहत कार्यों की जानकारी बैठक के माध्यम से ली। उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रशासनिक अमलों द्वारा त्वरित कार्रवाई की गई, जो सराहनीय है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों से हुई चर्चा से यह स्पष्ट हुआ कि प्रशासनिक तत्परता एवं त्वरित कार्रवाई से वे संतुष्ट हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बीते माह आई इस प्राकृतिक आपदा और विभीषिका से जो जन-धन एवं अधोसंरचना की क्षति हुई है, वह अपूरणीय है। यह संतोष की बात है कि जिला प्रशासन द्वारा फौरी तौर पर बचाव एवं राहत कार्य के लिए कदम उठाए गए। साथ ही शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने एक दिन का वेतन दान स्वरूप दिया, जो अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आई बाढ़ आपदा से चारों जिलों में 115 करोड़ रुपये की विभिन्न अधोसंरचनाओं को क्षति हुई है। इनकी मरम्मत के लिए राज्य शासन द्वारा हर संभव सहयोग किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने गैर-शासकीय एवं स्वैच्छिक संगठनों के कार्यों की भी सराहना की। मुख्यमंत्री ने बैठक में सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि चारों जिलों में स्थिति सामान्य होने तक राहत एवं स्वास्थ्य शिविर आवश्यकतानुसार जारी रखें। उन्होंने कहा कि प्रशासन निरंतर प्रभावितों के संपर्क में रहे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सतत जारी रखे। इसके लिए लगातार कैंप लगाकर ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच की जाए तथा उन्हें समसामयिक सलाह देते हुए आवश्यक दवाएं और स्वास्थ्य सेवाएं तत्काल उपलब्ध कराई जाएं। मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को राहत राशि अविलंब जारी करने के भी निर्देश दिए। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह ने निर्देशित किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित न होने पाए। इसके लिए कार्यपालन अभियंता तत्काल प्रस्ताव केंद्रीय कार्यालय को प्रेषित करें। साथ ही केशकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग के सुधार कार्य हेतु तात्कालिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस दौरान सचिव आपदा प्रबंधन श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने पशु-हानि पर दी जाने वाली मुआवजे की राशि के लिए नए निर्देशों के अनुसार आवंटन देने हेतु कलेक्टरों को निर्देशित किया। स्वास्थ्य विभाग की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार डोर-टू-डोर सर्वे कराया जाए। साथ ही स्वास्थ्य अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि इन क्षेत्रों में मलेरिया, टाइफाइड एवं जलजनित रोग पनपने न पाएं। उन्होंने पेयजल के सभी स्रोतों में क्लोरीनेशन कराने और उसका परीक्षण करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। इससे पहले दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और बस्तर जिलों के कलेक्टरों ने निर्धारित एजेंडा अनुसार बाढ़ से हुई क्षति और जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए राहत कार्यों की क्रमवार जानकारी दी। बैठक में अतिवृष्टि से प्रभावित ग्रामों, क्षतिग्रस्त पुल-पुलियों, सड़कों, बाधित विद्युत आपूर्ति एवं मोबाइल नेटवर्क की स्थिति प्रस्तुत की गई। साथ ही जन-धन हानि, बाढ़ में बह गए घरों एवं मवेशियों के बारे में संख्यात्मक एवं तथ्यात्मक आंकड़े पीपीटी के माध्यम से साझा किए गए। इसके अलावा जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए राहत एवं बचाव कार्य, प्रभावितों का रेस्क्यू कर उन्हें राहत कैंपों में ठहराना, तात्कालिक उपचार उपलब्ध कराना और खाद्य सामग्री वितरित करने की जानकारी भी दी गई। बताया गया कि सर्वाधिक क्षति नदी-नालों के किनारे स्थित ग्रामों के निवासियों को हुई है, परंतु समय पर प्रशासनिक राहत उपलब्ध कराई गई। बैठक में बस्तर संभाग के संभागायुक्त श्री डोमन सिंह, आईजी बस्तर श्री सुंदरराज पी, दंतेवाड़ा कलेक्टर श्री कुणाल दुदावत, सुकमा कलेक्टर श्री देवेश ध्रुव, बीजापुर कलेक्टर श्री संबित मिश्रा, जिला पंचायत बस्तर के सीईओ श्री प्रतीक जैन सहित एसपी एवं जिला स्तर के अधिकारीगण मौजूद थे।

मुख्यमंत्री की पहल पर पूनम को मिली पुस्तकें और नया टेबलेट

रायपुर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर बाढ़ से प्रभावित दंतेवाड़ा की पूनम पटेल की प्रशासनिक अधिकारी बनने की तैयारी आगे भी निर्बाध जारी रहेगी। पूनम पटेल, दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित इलाके में रहकर पिछले तीन वर्षों से यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं। हाल ही में दंतेवाड़ा में आई बाढ़ से प्रभावित होने के कारण पूनम का पूरा परिवार राहत शिविर में है। आज मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने पूनम से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना। मुख्यमंत्री की पहल पर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी हेतु पूनम को आवश्यक पुस्तकें और एक नया टेबलेट उपलब्ध कराया गया है। अब पूनम की यूपीएससी तैयारी में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। दंतेवाड़ा जिले के चूड़ीटिकरा पारा वार्ड की रहने वाली पूनम पटेल पिछले तीन वर्षों से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। हाल ही में आई बाढ़ में उनका घर क्षतिग्रस्त हो गया और घर का सारा सामान बह गया। पूनम ने बताया कि बाढ़ के पानी में उनकी सभी पुस्तकें बह गईं और टेबलेट भी खराब हो गया। पूनम ने कहा कि उनके पिता श्री संतोष पटेल किराना दुकान चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते हैं और उन्हीं की आमदनी से बड़ी मुश्किल से एक-एक पैसा जोड़कर यूपीएससी की पढ़ाई के लिए टेबलेट खरीदा था। बाढ़ के पानी में पुस्तकें और टेबलेट खराब हो जाने से पूनम आगे की तैयारी को लेकर बेहद चिंतित थीं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा पूनम को नया टेबलेट और प्रतियोगी परीक्षाओं की आवश्यक पुस्तकें उपलब्ध कराई गईं। इस सहायता से पूनम को बड़ी राहत मिली है। अब पूनम के प्रशासनिक अधिकारी बनने की राह में बाढ़ भी बाधा नहीं डाल पाएगी।

रूसी तेल पर भारत का स्टैंड साफ, अमेरिका को दो टूक जवाब

नई दिल्ली  भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर स्थिति स्पष्ट किए जाने के बावजूद अमेरिका इसे लेकर भारत को लगातार निशाना बना रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगी बेतुके तर्क देकर भारत पर मुनाफाखोरी तक के आरोप लगा चुके हैं। अब केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अमेरिका को सख्त संदेश दे दिया है। हरदीप पुरी ने कहा है कि भारत ने रूसी तेल खरीदने में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है, बल्कि यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत के ऊर्जा व्यापार ने वैश्विक बाजारों को स्थिर करने और कीमतों को काबू में रखने में मदद की है। पुरी ने वाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो की हालिया टिप्पणी पर जवाब देते हुए यह बातें कहीं हैं। नवारो ने हाल ही में यह बयान दिए हैं कि भारत रूस की आर्थिक मदद कर पुतिन की ‘युद्ध मशीन’ को वित्तपोषित कर रहा है। नवारो ने बीते दिनों दूसरे कुछ बयानों में भी इस तरह की बातें कही हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को ‘मोदी का युद्ध’ तक बता दिया था। वहीं सोमवार को उन्होंने कहा है कि रूस से तेल खरीदने का फायदा भारत के ब्राह्मणों को हो रहा है। भारत का जवाब इस पर जवाब देते हुए ‘द हिंदू’ के लिए लेख में केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि भारत लंबे समय से और फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से बहुत पहले से पेट्रोलियम उत्पादों का दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक रहा है। इसके निर्यात की मात्रा और मुनाफे मोटे तौर पर समान रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने नवारो का नाम लिए बिना लिखा कि कुछ आलोचकों का आरोप है कि भारत रूसी तेल को खरीद कर ‘युद्ध मशीन’ को वित्तपोषित कर रहा है। यह पूरी तरह से गलत और असत्य है।" भारत ने नहीं तोड़े कोई नियम पुरी ने अमेरिका को संदेश देते हुए कहा कि ईरान या वेनेजुएला के कच्चे तेल की तरह रूसी तेल खरीद पर कभी प्रतिबंध नहीं लगाया गया। उन्होंने कहा, ‘‘ रूसी तेल G-7 और यूरोपीय संघ की मूल्य सीमा प्रणाली के अंतर्गत आता है जिसे तेल की आपूर्ति जारी रखने और राजस्व की सीमा निर्धारित करते हुए तैयार किया गया है।’’ केंद्रीयमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसे ‘पैकेज’ के 18 दौर हो चुके हैं और भारत ने हर एक का पालन किया है। भारत द्वारा किया गया हर लेन-देन कानूनी है। हर लेन-देन में वैध निर्यात एवं बीमा, अनुपालन करने वाले व्यापारी और ‘ऑडिट’ माध्यमों का इस्तेमाल किया गया है। भारत ने कोई नियम नहीं तोड़े हैं। भारत ने बाजारों को स्थिर किया है और वैश्विक कीमतों को बढ़ने से रोका है।’’  

बर्तन, कपड़े, गैस सिलेंडर और चूल्हा भी उपलब्ध:मकान ढहने पर सहायता राशि भी प्रदान की गई

रायपुर दंतेवाड़ा में हाल ही में आई बाढ़ से निपटने और प्रभावितों को आवश्यक मदद पहुँचाने में प्रशासन तत्पर रहा। अपने विदेश दौरे के दौरान मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने दक्षिण कोरिया से वीडियो कांफ्रेंसिंग कर बाढ़ प्रभावित जिलों के कलेक्टरों को आवश्यक निर्देश भी दिए थे। आज मुख्यमंत्री के दंतेवाड़ा के चूड़ी टिकरापारा पहुँचने पर बाढ़ प्रभावित परिवारों ने प्रशासन द्वारा समय पर बचाव एवं राहत पहुँचाने के लिए आभार व्यक्त किया। मौजूद लोगों ने कहा कि सरकार की इस संवेदनशील पहल से सभी प्रभावित परिवार सुरक्षित और सकुशल हैं। राहत शिविर में रहने, भोजन और इलाज जैसी सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। बाढ़ पीड़ित गुप्तेश्वरी कश्यप, शालिनी शर्मा, सविता पात्रे एवं लता सागर ने मुख्यमंत्री श्री साय को बताया कि राहत शिविर में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं है और अब राशन, बर्तन, कपड़े, गैस सिलेंडर एवं चूल्हा भी दिया गया है। मकान ढहने पर सहायता राशि भी मिल चुकी है और अब घर बनने तक वे यहाँ राहत शिविर में रहेंगे। प्रभावितों ने बताया कि बाढ़ आने के साथ ही प्रशासन की अपील पर सभी लोग सुरक्षित ऊँचे स्थान पर चले गए थे। फिर बाढ़ का पानी उतरने के बाद उन्हें चूड़ी टिकरापारा के छात्रावास भवन में राहत शिविर में ठहराया गया। इसी तरह रीता कश्यप, द्रोपदी नाग, कुंदन गुप्ता, महेश नाग, बबीता नाग सहित अन्य प्रभावितों ने भी प्रशासन के राहत एवं पुनर्वास प्रयासों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय को धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री के समक्ष भावुक हुईं सोमड़ी सोढ़ी मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय बाढ़ प्रभावितों से मिलने के दौरान चूड़ी टिकरापारा निवासी सोमड़ी सोढ़ी के घर पहुँचे तो श्रीमती सोमड़ी सोढ़ी भावुक हो गईं। उन्होंने बताया कि बाढ़ से पूरा घर डूब गया था। बाढ़ आने के एक दिन पहले वह अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती हुई थीं और उनकी दोनों बेटियाँ भी साथ में थीं, इस कारण उनकी जान बच गई। अस्पताल से ठीक होकर शुक्रवार को वह घर लौटीं। सोमड़ी ने बताया कि बाढ़ के पानी में घर का पूरा सामान खराब हो गया है। इस बीच प्रशासन ने राशन, बर्तन, कपड़े, गैस सिलेंडर एवं चूल्हा उपलब्ध कराया है। साथ ही राहत शिविर में नाश्ता, भोजन और इलाज की सुविधा भी दी जा रही है। इस आपदा की घड़ी में सरकार की सहायता के लिए श्रीमती सोमड़ी ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार प्रकट किया। इसी तरह दंतेवाड़ा के चूड़ी टिकरापारा के बाढ़ प्रभावित सुरेश बघेल ने बताया कि बाढ़ आने के दिन पूरा परिवार घर में ही था। प्रशासन की सूचना पर वे सभी सुरक्षित स्थान पर चले गए और एक दिन बाद राहत शिविर पहुँचे। पिछले शुक्रवार को वे शिविर से घर लौटे हैं। सुरेश ने बताया कि प्रशासन द्वारा राशन, बर्तन, गैस सिलेंडर एवं चूल्हा, कंबल-चादर और कपड़े जैसे सभी जरूरी सामान उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे उनके परिवार को बड़ी राहत मिली है।

हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी: मराठा आंदोलन में तोड़ी गईं सभी शर्तें, सरकार पर उठे सवाल

मुंबई मराठा आरक्षण आंदोलन पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि मनोज जरांगे के नेतृत्व वाला विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है। इसमें सभी शर्तों का उल्लंघन किया गया है। कोर्ट ने आगे कहा कि पूरा शहर थम गया है और दक्षिण मुंबई के महत्वपूर्ण स्थान प्रदर्शनकारियों से घिरे हुए हैं। उच्च न्यायालय ने मुंबई में सामान्य स्थिति बहाल करने को कहा। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार से भी सवाल पूछे गए हैं। अदालत ने पूछा कि हालात से निपटने की क्या योजना है। आगे कहा कि कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएं। जरांगे और समर्थकों को मंगलवार तक समय उच्च न्यायालय ने जरांगे और उनके समर्थकों को स्थिति सुधारने और मंगलवार तक मुंबई की सभी सड़कें खाली करने का मौका दिया। इससे पहले जरांगे ने कहा था कि अगर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठों की मांग नहीं सुनी तो पांच करोड़ से ज्यादा लोग मुंबई आएंगे। मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि मुंबई में आम आदमी को उनके कारण असुविधा का सामना न करना पड़े। गौरतलब है कि मनोज जरांगे पाटिल मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर आमरण अनशन कर रहे हैं। रविवार को उन्होंने कहा कि भले ही गोलियां चल जाएं, लेकिन वह अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे। मनसे ने क्या मांग की इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता बाला नंदगांवकर ने सोमवार को सुझाव दिया कि राज्य सरकार को कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में आरक्षण आंदोलन के लिए मुंबई आए मराठा समुदाय के लोगों के लिए वानखेड़े स्टेडियम जैसा स्थल उपलब्ध कराना चाहिए। नंदगांवकर ने पत्रकारों से कहा कि मराठा प्रदर्शनकारी शहर में घूम रहे हैं, इसलिए लोगों को लगता है कि इससे असुविधा हो रही है। चूंकि आज़ाद मैदान की जगह छोटी है, इसलिए सरकार से मेरा अनुरोध है कि प्रदर्शनकारियों को वानखेड़े स्टेडियम जैसा स्थान दिया जाए, ताकि वे एक जगह बैठकर अपना आंदोलन जारी रख सकें।  

नवरात्रि में मां का भवन सजाने के वास्तु नियम, घर में आएगी सुख-समृद्धि

आप नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के मंदिर को न केवल सुंदरता से सजा सकते हैं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का भी संचार कर सकते हैं। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के मंदिर की सजावट करने के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए जा रहे हैं। इन उपायों से आप नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के मंदिर को सुंदरता और भक्ति के साथ सजा सकते हैं, जिससे वातावरण में विशेष ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होगा: स्थान का चयन: मंदिर को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में सजाना शुभ माना जाता है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। साफ-सफाई: सबसे पहले मंदिर को अच्छे से साफ करें। धूल और गंदगी को हटाएं ताकि वातावरण पवित्र और सुगंधित हो। पवित्रता बनाए रखने के लिए नियमित रूप से सफाई करें। फूलों की सजावट: मां दुर्गा की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाएं। लाल, पीला और सफेद फूल शुभ माने जाते हैं। आप फूलों की माला भी बना सकते हैं। दीप जलाना: तेल अथवा गाय के शुद्ध देसी घी के दीये जलाएं। यह रोशनी और ऊर्जा का प्रतीक हैं। सुबह और शाम दीयों को जलाने का विशेष महत्व है। रंगोली: मंदिर के सामने रंगोली बनाएं। यह स्वागत का प्रतीक है और वातावरण को खुशनुमा बनाता है। भोग और प्रसाद: मां को भोग के लिए फल, मिठाइयां और अन्य खाद्य पदार्थ रखें। इसे सुंदर तरीके से सजाकर अर्पित करें। ताम्बूल और वस्त्र: देवी को ताम्बूल (पान, सुपारी) अर्पित करें। नए वस्त्र और आभूषण भी अर्पित करना शुभ होता है। लाइटिंग: मंदिर में रंग-बिरंगी लाइट्स लगाएं। इससे वातावरण में उत्सव का रंग छा जाएगा। संगीत और मंत्र: देवी के भजन या मंत्र का जाप करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

बाढ़ पीड़ितों की मदद को आगे आए सोनू सूद, कहा- सब कुछ दांव पर लगाकर भी करूंगा मदद

मुंबई पंजाब के कई जिलों में भारी बारिश हो रही है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के कारण सतलुज, व्यास और रावी नदियां उफान पर हैं। यही वजह है कि पंजाब में बाढ़ आ गई है। आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई लोगों की जान चली गई है। जानवरों के पानी में बहने के वीडियोज सामने आ रहे हैं। ऐसे बुरे वक्त में बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद फिर से लोगों की मदद के लिए खड़े हुए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर मैसेज शेयर करते हुए अपना मैसेज सभी जरुरतमंदों तक पहुंचाया है। ये भी कहा कि पंजाब उनकी आत्मा है और चाहे कुछ भी कुर्बान करना पड़े, लेकिन वो पीछे नहीं हटेंगे। सोनू सूद ने पंजाब के लोगों की मदद करने के लिए लोगों से आगे बढ़ने की अपील की है। उन्होंने कहा कैप्शन में लिखा, 'मैं पंजाब के साथ हूं। इस विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं है। हम सब मिलकर हर एक व्यक्ति को फिर से अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करेंगे।' सोनू सूद ने कहा- पंजाब मेरी आत्मा है पंजाब के मोगा के रहने वाले एक्टर ने आगे कहा, 'अगर आपको किसी भी तरह की मदद की जरूरत है, तो बेझिझक हमें संदेश भेजें। हम आपकी हर संभव मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे। पंजाब मेरी आत्मा है। चाहे इसके लिए सब कुछ कुर्बान हो जाए, मैं पीछे नहीं हटूंगा। हम पंजाबी हैं और हम हार नहीं मानते।' फैंस कर रहे हैं तारीफ सोनू के इस कदम की फैंस तारीफ कर रहे हैं। एक ने कहा, 'ऐसा दिल किसा का नहीं है… सिर्फ आपके सिवा।' दूसरे ने कहा, 'हमेशा जरुरतमंदों की मदद के लिए खड़े होते हैं।' एक और फैन ने तारीफ में कहा, 'ये आदमी वाकई कमाल का है। इसने कोविड में फंसे कई लोगों को बचाया। फिल्मी विलेन, पर असली हीरो।' इन जिलों के गांव हुए हैं सबसे ज्यादा प्रभावित जानकारी के अनुसार, पंजाब में बाढ़ से गुरदासपुर, पठानकोट, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर जिलों के गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। ऐसे में सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी को 3 सितंबर तक बंद कर दिया गया है।

भाषा विवाद गरमाया, हिंदी भाषी ने दी मराठी न बोलने की कसम

मुंबई महाराष्ट्र में बीते कई महीनों से मराठी बनाम हिंदी भाषा का विवाद देखने को मिल रहा है। देवेंद्र फडणवीस सरकार की ओर से त्रिभाषा नीति स्कूलों में लागू किए जाने के फैसले के खिलाफ राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने मोर्चा खोल दिया था। इन नेताओं का कहना था कि मराठी भाषा के खिलाफ साजिश के तहत ऐसा फैसला लिया गया है। इस पर फडणवीस सरकार ने पीछे हटते हुए फैसला वापस ले लिया, लेकिन भाषा पर विवाद समाज में वैमनस्यता की वजह अब भी बन रहा है। इस बीच महाराष्ट्र के ही पनवेल में विवाद का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मराठी बोलने के दबाव और धमकियों के आगे हिंदी भाषी शख्स झुका नहीं। मिली जानकारी के अनुसार गणेश उत्सव को लेकर वीडियो शुरू हुआ था, जिस पर विजय चंदेल से एक महिला कहती है कि मराठी में बात करो। वायरल हो रहे वीडियो में सुना जा सकता है कि महिला विजय से कहती है- मराठी में बात करिए। इस पर वह कहते हैं कि मैं हिंदी में बात करता हूं। और हिंदी में ही बोलूंगा। इस पर महिला और उसके साथ कार में सवार एक शख्स ने कहा कि महाराष्ट्र में रहते हो। इसलिए मराठी में बोलना पड़ेगा। इस पर महिला ने कहा कि पुलिस आएगी तब बताना। इस बीच महिला ने ट्रैवल व्लॉगर विजय चंदेल से कहा कि आप महाराष्ट्र में रहते हैं। हमारे कल्चर की इज्जत करो और मराठी में बात करो। इस पर विजय चंदेल ने कहा कि मैं महाराष्ट्र की इज्जत करता हूं, लेकिन मुझे मराठी बोलने पर मजबूर नहीं कर सकते। विजय ने कहा कि मैं हिंदी बोलता हूं। भारत की भाषा हिंदी है और मैं हिंदी में ही बात करूंगा। विजय ने कहा कि यह भारत देश है और मैं केवल हिंदी बोलूंगा। उन्होंने कहा कि मराठी मैं बोलता भी नहीं हूं और ना ही बोलूंगा। इस पर विजय चंदेल ने कहा कि मैं तो मरते दम तक हिंदी में ही बात करूंगा। हालांकि इस मामले में दोनों परिवारों ने पुलिस से संपर्क नहीं किया और ना ही मीडिया से बात की। कहा जा रहा है कि बाद में दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से मामले को सुलझा लिया, लेकिन वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।