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क्रिकेट कंपनियों के लिए बड़ा मौका! BCCI ने रखीं टाइटल स्पॉन्सर की शर्तें

मुंबई  भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने नेशनल क्रिकेट टीम के लिए लीड स्पॉन्सरशिप के आवेदन खोले हैं और "नामी कंपनियों" को अधिकारों के लिए बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया है. इच्छुक कंपनियां 2 सितंबर से Expression of Interest दस्तावेज़ ले सकेंगे और आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 16 सितंबर रखी गई है. पिछले महीने आजतक ने अपनी रिपोर्ट में बताया था  कि भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम एशिया कप (9 सितंबर से शुरू) बिना लीड स्पॉन्सर खेलेगी, क्योंकि Dream11 ने करार खत्म कर दिया था. BCCI का नया विज्ञापन इस बात की पुष्टि करता है, जिसमें बोली लगाने की आखिरी तारीख सितंबर के बीच तय की गई है. महिला राष्ट्रीय टीम भी अपना महिला वनडे वर्ल्ड कप घरेलू मैदान पर 30 सितंबर से शुरू करेगी, और देखना होगा कि तब तक BCCI नया लीड स्पॉन्सर ढूंढ पाता है या नहीं. बोर्ड का लक्ष्य एक लंबे समय का साझेदारी करार करना है, खासकर पुरुषों का 2027 वर्ल्ड कप देखते हुए. 28 अगस्त को अंतरिम अध्यक्ष राजीव शुक्ला की अगुवाई में हुई आपातकालीन एपेक्स काउंसिल बैठक में फैसला हुआ कि बोर्ड सिर्फ एशिया कप के लिए जल्दबाज़ी में स्पॉन्सर नहीं चुनेगा. Dream11 का करार अचानक खत्म हुआ क्योंकि सरकार ने 2025 के Promotion and Regulation of Online Gaming Act के तहत रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया. Dream11 ने 2023-2026 के चक्र के लिए टीम इंडिया का टाइटल स्पॉन्सर बनने का 44 मिलियन अमेरिकी डॉलर (358 करोड़ रुपये) का करार किया था, लेकिन एक साल बाकी रहते ही यह करार खत्म कर दिया गया. BCCI सचिव देवजीत सैकिया ने साफ कहा था कि अब बोर्ड किसी भी रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म से जुड़ाव नहीं रखेगा. उन्होंने कहा, 'हमारा रुख बिल्कुल साफ है. सरकारी नियम लागू होने के बाद, BCCI Dream11 या ऐसी किसी दूसरी गेमिंग कंपनी से करार जारी नहीं रख सकता. नए प्रतिबंधों के तहत कोई गुंजाइश नहीं है और हमें Dream11 के साथ समस्या का सामना करना पड़ा.” BCCI लीड स्पॉन्सर आमंत्रण: पात्रता शर्तें वित्तीय पात्रता * पिछले तीन सालों में औसत टर्नओवर 300 करोड़ रुपये होना चाहिए, या * पिछले तीन सालों में औसत नेटवर्थ 300 करोड़ रुपये होना चाहिए. फिट एंड प्रॉपर पर्सन शर्तें * धोखाधड़ी, आर्थिक अपराध या गंभीर अपराध में दोषी न हो. * BCCI नियमों के हिसाब से हितों का टकराव न हो. * 2 साल या उससे ज्यादा की सज़ा वाले अपराध में दोषी न हो. * RBI द्वारा “wilful defaulter” घोषित न हो. * अच्छी ईमानदारी और साख हो. इन क्षेत्रों की कंपनियां बोली नहीं लगा सकतीं – * ऑनलाइन मनी गेमिंग, सट्टेबाज़ी या जुआ (भारत या विदेश में) * क्रिप्टोकरेंसी कारोबार (ट्रेडिंग, एक्सचेंज, टोकन) * 2025 के Online Gaming Act के तहत प्रतिबंधित गतिविधियां * सट्टेबाज़ी/जुआ से जुड़ी कंपनियों में निवेश या स्वामित्व रखने वाले * ब्लॉक्ड ब्रांड कैटेगरी (जब तक उस कैटेगरी का मौजूदा स्पॉन्सर न हो):  प्रतिबंधित ब्रांड कैटेगरी * शराब उत्पाद * सट्टेबाज़ी या जुआ सेवाएं * क्रिप्टोकरेंसी * ऑनलाइन मनी गेमिंग * तंबाकू * अश्लील सामग्री या सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ कंटेंट * सरोगेट ब्रांडिंग (दूसरे नाम या ब्रांड से छिपकर बोली लगाना)  मुख्य तारीखें * आवेदन की अंतिम तारीख: 16 सितंबर 2025

डोनाल्ड ट्रंप को दिखाई हकीकत! जर्मनी बोला- भारत के बिना अधूरी है दुनिया

बेंगलुरु ऐसे वक्त में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर टैरिफ ठोक रहे हैं, तो ठीक उसी वक्त जर्मनी ने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत की ताकत और अहमियत को नज़रअंदाज़ करना असंभव है. जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल बेंगलुरु पहुंचे, जिससे भारत के साथ उनके दो दिवसीय आधिकारिक दौरे की शुरुआत हुई. विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार उनका यह दौरा 2 से 3 सितंबर तक चलेगा. भारत रवाना होने से पहले ही वाडेफुल ने भारत को ‘हिन्द-प्रशांत में एक अहम साझेदार’ बताया और कहा कि दोनों देशों के रिश्ते राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति सभी स्तरों पर बेहद करीबी हैं. उन्होंने कहा, ‘सुरक्षा सहयोग से लेकर नवाचार (Innovation), प्रौद्योगिकी और कुशल श्रमिकों की भर्ती तक… हमारी रणनीतिक साझेदारी के विस्तार की बड़ी संभावनाएं हैं.’ जर्मन विदेश मंत्री ने बताई भारत आने की वजह वाडेफुल ने बेंगलुरु से अपने कार्यक्रम की शुरुआत की, जहां वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दौरा करेंगे. इसके बाद वे दिल्ली जाएंगे, जहां 3 सितंबर को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे. उन्होंने भारत की वैश्विक भूमिका पर जोर देते हुए कहा, ‘भारत की आवाज़, जो दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र है, इंडो-पैसिफिक के रणनीतिक क्षेत्र से कहीं आगे तक सुनी जाती है. इसी कारण मैं यहां वार्ता के लिए आ रहा हूं.’ जर्मन मंत्री ने यह भी कहा कि भारत और जर्मनी साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर खड़े हैं और आज की भूराजनीतिक चुनौतियों के दौर में दोनों देशों को मिलकर नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बचाना होगा. यूरोप में भारत का सबसे करीबी साझेदार जर्मनी यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब जर्मनी इंडो-पैसिफिक में आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने, तकनीकी साझेदारी बढ़ाने और भारत से कुशल श्रमिकों की भर्ती पर जोर दे रहा है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जर्मनी यूरोप में भारत का सबसे करीबी साझेदार है. दोनों देशों के रिश्ते 1951 से हैं और 2021 में उन्होंने 70 साल पूरे किए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ पिछले दो वर्षों में छह बार मिल चुके हैं, जो इस रिश्ते की गहराई को दर्शाता है. साफ है कि जब अमेरिका भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, जर्मनी जैसे यूरोपीय दिग्गज देश दुनिया को यह संदेश दे रहे हैं कि ‘भारत वैश्विक व्यवस्था के लिए अनिवार्य है और दिल्ली की ताकत को कोई नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता.’

Su-57 अब भारत में होगा मैन्युफैक्चर, अमेरिकी F-35 की डील पर मंडराया खतरा

नई दिल्ली चीन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्‍ट्रपत‍ि व्‍लाद‍िमीर पुत‍िन की मुलाकात देख अमेर‍िका परेशान हो ही रहा था क‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप की नींदें उड़ाने वाली एक और खबर आ गई. एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस अपने पांचवीं पीढ़ी के सबसे एडवांस्ड लड़ाकू विमान सुखोई Su-57 को भारत में बनाने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रहा है. यह कदम न केवल दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेगा बल्कि अमेरिका के F-35 लड़ाकू विमान को भारत में बेचने की कोशिशों पर भी सीधा असर डालेगा. डोनाल्‍ड ट्रंप भारत को F-35 फाइटर जेट बेचा चाहते थे, उसी के ल‍िए जंग लड़ रहे थे, लेक‍िन अगर रूस ये फैसला ले लेता है तो उनके सपने चकनाचूर हो जाएंगे. भारतीय वायुसेना लंबे समय से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत पर जोर देती रही है. सूत्रों के मुताबिक, भारत को फिलहाल कम से कम दो से तीन स्क्वॉड्रन एडवांस्ड फाइटर जेट्स की आवश्यकता है. इस रेस में एक ओर है रूस का Su-57 और दूसरी तरफ है अमेरिका का F-35.रूस ने साफ संदेश दिया है कि वह न केवल भारत को ये विमान बेचना चाहता है, बल्कि इन्हें यहीं भारत में बनाने के लिए तैयार है. इस परियोजना में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अहम भूमिका निभा सकती है, जो पहले से ही नासिक में Su-30 MKI का निर्माण करती है. निवेश और लागत पर मंथन रूसी एजेंसियां इस वक्त इस बात का आकलन कर रही हैं कि भारत में Su-57 का उत्पादन करने के लिए कितनी बड़ी निवेश राशि की जरूरत होगी. अगर यह प्रोजेक्ट शुरू होता है, तो इसका फायदा दोहरा होगा. भारत को दुनिया के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान मिलेंगे. इन विमानों की लागत भी कम हो जाएगी, क्योंकि निर्माण यहीं पर होगा. भारत में पहले से कई फैक्ट्रियां हैं जो रूस के बनाए सैन्य उपकरण तैयार करती हैं. इन्हें Su-57 प्रोडक्शन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अमेरिका की टेंशन: F-35 पर ग्रहण ये खबर ऐसे वक्त आई है जब अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड वॉर जैसी स्थिति बनी हुई है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर कई सेक्टरों में 50% तक का टैरिफ और रूसी तेल आयात का हवाला देते हुए अतिरिक्त 25% शुल्क लगाया है. अमेरिका लगातार भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह F-35 खरीदे. लेकिन अगर भारत और रूस मिलकर Su-57 का निर्माण करने लगते हैं, तो यह ट्रंप की योजना पर पानी फेर देगा. यह साफ संकेत होगा कि भारत अपनी रक्षा ज़रूरतों में रूस के साथ गहरी साझेदारी रखता है. S-400, S-500 और अब Su-57 भारत ने हाल के वर्षों में रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा है और अब उसने S-500 में भी रुचि दिखाई है. रूस चाहता है कि इसके साथ ही भारत Su-57 को भी अपनी वायुसेना का हिस्सा बनाए. दिलचस्प बात यह है कि भारत पहले भी रूस के फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट (FGFA) प्रोग्राम का हिस्सा रह चुका है. हालांकि, तकनीकी और वित्तीय मतभेदों के कारण भारत ने इस प्रोजेक्ट से दूरी बना ली थी. लेकिन मौजूदा वैश्विक हालात और अमेरिका-भारत तनाव ने एक बार फिर इस प्रोजेक्ट को ज़िंदा कर दिया है. भारत का अपना फाइटर प्लान रूस के साथ यह संभावित डील ऐसे समय में चर्चा में है जब भारत खुद भी अपना स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाने की तैयारी कर रहा है. इस विमान का पहला टेस्ट फ्लाइट 2028 तक होने की उम्मीद है और इसे 2035 तक वायुसेना में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है. इसका मतलब है कि अगले 10 साल भारत के लिए बेहद अहम हैं. तब तक उसे या तो किसी बड़े साझेदार की मदद से फिफ्थ जेनरेशन जेट्स की ज़रूरत पूरी करनी होगी या फिर वायुसेना में बड़ी कमी का सामना करना पड़ेगा. भारत के लिए बड़ा मौका     अगर Su-57 का उत्पादन भारत में होता है तो इसके कई फायदे होंगे.     भारत को मिलेंगे अत्याधुनिक स्टेल्थ फाइटर जेट्स.     रक्षा निर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होंगे.     भारत रूस के साथ रक्षा साझेदारी को और गहरा करेगा.     अमेरिका के दबाव और शर्तों से बचकर अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखेगा.  

व्यावहारिक प्रशिक्षण से कार्यकुशलता में आएगा निखार, गांव में मिलेगा रोजगार- कलेक्टर

अम्बिकापुर ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार निर्मित करने की दिशा में सरगुजा जिला प्रशासन ने महत्वपूर्ण पहल की है। अंबिकापुर के दरिमा ग्राम पंचायत में जिला प्रशासन एवं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) के संयुक्त तत्वावधान में 30 दिवसीय राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस प्रशिक्षण में 16 महिलाओं को रानी मिस्त्री तथा 19 पुरुषों को राजमिस्त्री का हुनर सिखाया गया। कुल 35 प्रतिभागियों ने व्यावहारिक और तकनीकी ज्ञान अर्जित किया। आयोजित समापन समारोह में कलेक्टर श्री विलास भोसकर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ जिला पंचायत सीईओ श्री विनय कुमार, अग्रणी बैंक प्रबंधक श्री विकास यादव, सेंट्रल बैंक के रिजनल हेड श्री रणधीर सिंह, आरसेटी डायरेक्टर श्री श्याम किशोर गुप्ता, जनपद पंचायत सीईओ श्री राजेश सेंगर, साक्षर भारत जिला परियोजना अधिकारी श्री गिरीश गुप्ता और प्रशिक्षण समन्वयक सुश्री तमना निशा मौजूद रहीं। समापन समारोह में कलेक्टर श्री भोसकर ने प्रशिक्षार्थियों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत कर उनके अनुभव और सीखी गई तकनीकों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि व्यावहारिक प्रशिक्षण से कार्यकुशलता बेहतर होती है। इससे न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि काम की गुणवत्ता और गति भी सुधरती है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आपके पंचायत में सर्वाधिक आवास स्वीकृत हुए हैं। इन्हें समय पर पूरा करना अब आपकी जिम्मेदारी है। यह प्रशिक्षण आपको केवल श्रमिक नहीं, बल्कि कुशल मिस्त्री बनाता है। इस प्रशिक्षण से गांव में ही पर्याप्त काम और सम्मानजनक आमदनी का अवसर मिलेगा। प्रशिक्षणार्थियों ने बताया कि पहले वे सामान्य मजदूरी करते थे, लेकिन प्रशिक्षण के बाद उन्होंने नाप-जोख, ईंट की चिनाई, प्लास्टरिंग, लेवलिंग, लेआउट और भवन निर्माण की नई तकनीकें सीखीं। अब वे आत्मविश्वास के साथ स्वयं को कुशल राजमिस्त्री कह सकते हैं। समापन कार्यक्रम के अवसर पर सभी प्रतिभागियों को राजमिस्त्री के टूल किट भी वितरित किए गए। इनमें भवन निर्माण कार्य हेतु आवश्यक औजार शामिल थे। इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण अब अपने सीखे हुए कौशल का उपयोग स्थानीय स्तर पर निर्माण कार्यों में करेंगे। इससे न केवल उन्हें रोजगार मिलेगा, बल्कि गांव की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। जिला प्रशासन की इस पहल ग्रामीण आत्मनिर्भर और आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

12,000+ जानवर काटने के मामले सामने, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी वैक्सीन की चेतावनी

भोपाल  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह एडवाइजरी जारी की है। दूसरी ओर, भोपाल में साल 2025 के शुरुआती 6 माह में 13 हजार से अधिक लोगों को 9 तरह के जानवरों ने काटा है।यह उन लोगों की संख्या है जो एनिमल बाइट के बाद इलाज के लिए जेपी अस्पताल या हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे। इनके अलावा एक बड़ी संख्या उन मरीजों की भी है, जो रिपोर्टेड नहीं हुए यानी इलाज के लिए अन्य अस्पतालों में गए। जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने कहा- रेबीज 100% रोकी जा सकने वाली बीमारी है। कई लोग काटने को हल्के में लेते हैं और वैक्सीन नहीं लगवाते। यही लापरवाही मौत का कारण बन सकती है। अस्पताल में पर्याप्त संख्या में एंटी रेबीज वैक्सीन मौजूद है। सबसे ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले साल 2025 में जून माह तक जेपी और हमीदिया अस्पतालों में कुल 12,078 पुरुष और 9,286 महिलाएं एनिमल बाइट का शिकार बनीं। इनमें से सबसे ज्यादा मामले कुत्तों के काटने के सामने आए। अकेले कुत्तों के काटने के 10,848 पुरुष और 8,497 महिलाएं रिपोर्ट हुईं, यानी कुल मिलाकर 19 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए। यह आंकड़ा साफ दिखाता है कि रेबीज संक्रमण का सबसे बड़ा खतरा कुत्तों से ही है। बंदर, चमगादड़ और अन्य जानवर भी बने खतरा कुत्ते और बिल्लियों के बाद भी कई अन्य जानवर इंसानों को काटने के मामलों में सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, बंदरों के काटने के 213 केस दर्ज हुए, जबकि चूहों के काटने के 249 मामले सामने आए। इसके अलावा चमगादड़ (10 केस), गिलहरी (16 केस) और खरगोश (5 केस) के मामले भी रिपोर्ट हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बाइट कम संख्या में भले हों, लेकिन संक्रमण का खतरा इनमें भी उतना ही गंभीर रहता है। रेबीज मौतों का 36% हिस्सा अकेले भारत से WHO के अनुसार, रेबीज एक टीके से रोकी जा सकने वाली वायरल बीमारी है, जो दुनिया के 150 से अधिक देशों और क्षेत्रों में पाई जाती है। भारत रेबीज से प्रभावित देशों में शामिल है। विश्व भर में होने वाली रेबीज मौतों का लगभग 36 प्रतिशत हिस्सा अकेले भारत से सामने आता है। भारत में रेबीज का वास्तविक बोझ पूरी तरह ज्ञात नहीं है, लेकिन उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार हर साल लगभग 18,000 से 20,000 मौतें इस बीमारी के कारण होती हैं। रिपोर्टेड मामलों और मौतों में से 30 से 60% पीड़ित बच्चे (15 वर्ष से कम आयु) होते हैं। अक्सर बच्चों को काटे जाने की घटनाएं नजरअंदाज या रिपोर्ट नहीं की जातीं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है। 2024 में डॉग बाइट के 37 लाख केस, 54 मौतें जुलाई माह में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने जानकारी दी कि कुत्तों के काटने और संदिग्ध मानव रेबीज से हुई मौतों का आंकड़ा राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एकत्र किया जाता है। यह आंकड़े राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) संकलित करता है। एनसीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक- वर्ष 2024 में कुल 37,17,336 कुत्तों के काटने के मामले सामने आए, जबकि संदिग्ध मानव रेबीज से कुल 54 मौतें दर्ज की गईं। 3 माह तक वायरस रह सकता है निष्क्रिय रेबीज किसी व्यक्ति के शरीर में 1 से 3 महीने तक निष्क्रिय रह सकता है। इसका सबसे पहला संकेत है बुखार का आना है। फिर घबराहट होना, पानी निगलने में दिक्कत होना, लिक्विड के सेवन से डर लगना, तेज सिरदर्द, घबराहट होना, बुरे सपने और अत्यधिक लार आना शामिल हैं। एंटी रेबीज वैक्सीन वायल की खपत बढ़ी राजधानी में साल 2020 से 21 में 5 हजार 523 एंटी रेबीज वैक्सीन वायल की खपत हुई थी। जो साल 2021 से 22 में बढ़कर 7415 और साल 2022 से 23 में 10446 हो गई। इसके अलावा साल 2020 से 21 में केवल 5 वायल रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन की खपत हुई थी। जो 2021 से 22 में बढ़कर 51 और साल 2023 से 24 में 65 वायल तक पहुंच गई है।

शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट वाला पहला राज्य बनेगा मध्यप्रदेश

नई बजटिंग प्रणाली से होगा मध्यप्रदेश का सर्वांगीण विकास- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट वाला पहला राज्य बनेगा मध्यप्रदेश निवेश एवं सर्वांगीण विकास पर होगा फोक्स- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश तेजी से औद्योगिकीकरण और विकास की नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार का फोकस केवल आर्थिक वृद्धि पर ही नहीं, बल्कि रोज़गार सृजन, आधारभूत संरचना निर्माण और सामाजिक न्याय पर भी है। इसी दिशा में सरकार ने मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिये बजट को अगले 5 वर्ष में दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इससे हर क्षेत्र में निवेश और जनकल्याणकारी योजनाओं को गति मिलेगी। साथ ही बढ़ते बजट   प्रावधान में विभागों के बजट पर अनुशासन लगाने की महत्वपूर्ण पहल भी की जा रही है। इसी कड़ी में अब राज्य सरकार ने वित्तीय अनुशासन और दीर्घकालिक विकास की ठोस रणनीति तैयार करते हुए शून्य आधारित बजटिंग (Zero Based Budgeting) और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि यह पहल “विकसित मध्यप्रदेश 2047” की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में ठोस आधार बनेगी और देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श साबित होगी। देवड़ा ने कहा “शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट से न केवल प्रदेश की योजनाओं का ठोस मूल्यांकन होगा, बल्कि प्रत्येक खर्च का सीधा संबंध समाज की आवश्यकताओं और राज्य की प्राथमिकताओं से जोड़ा जा सकेगा। यह कदम मध्यप्रदेश को विकसित भारत और विकसित मध्यप्रदेश 2047 की दिशा में सबसे मजबूत आधार प्रदान करेगा।” महत्वपूर्ण है यह पहल अब तक अधिकांश राज्यों में पारंपरिक बजटिंग पद्धति लागू होती रही है, जिसमें पिछले वर्षों का व्यय आधार बनते थे। इसके विपरीत 'जीरो बेस्ड बजटिंग' में हर योजना को शून्य से शुरू कर उसकी उपयोगिता सिद्ध करनी होगी। इससे अप्रभावी योजनाएँ स्वतः समाप्त होंगी और संसाधनों का इष्टतम उपयोग संभव होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने इस प्रणाली को अपनाया है, जहाँ इससे गुड गवर्नेंस और फाइनेंशियल डिसिप्लिन को मजबूती मिली है। अब मध्यप्रदेश इस दिशा में भारत में अग्रणी राज्य बनकर अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल पेश कर रहा है। रोलिंग बजट से लगातार “फॉरवर्ड लुकिंग” दृष्टि रोलिंग बजट पद्धति से 2026-27, 2027-28 और 2028-29 के लिए बजट बनेगा और हर वर्ष इसकी समीक्षा कर नए अनुमानों को जोड़ा जाएगा। इससे योजनाएँ हमेशा आगे की ओर देखने वाली होगी और अल्पकालिक दबाव से मुक्त होकर दीर्घकालिक विकास को गति मिलेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मॉडल कॉर्पोरेट जगत में पहले से सफल साबित हो चुका है, और राज्य शासन में इसे लागू करना नीतिगत दूरदर्शिता का प्रतीक है। वित्तीय अनुशासन और सामाजिक न्याय वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 16% और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 23% बजट सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही वेतन, पेंशन , भत्तों की गणना में पारदर्शिता हेतु नई गाइडलाइन लागू होंगी। इसके अतिरिक्त ऑफ-बजट व्यय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्तीय प्रभाव को भी अब राज्य बजट में समाविष्ट किया जाएगा। यह व्यवस्था वित्तीय अनुशासन के साथ जनहित में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में महत्व देश के अन्य राज्यों में अभी भी पारंपरिक बजटिंग पद्धति पर निर्भरता बनी हुई है। मध्यप्रदेश का यह निर्णय वित्तीय सुधारों की दिशा में गेम-चेंजर माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो आने वाले वर्षों में केंद्र और अन्य राज्य भी इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।

दिल्ली में सीएम यादव की उद्योगपतियों से बैठक, फोकस टेक्सटाइल सेक्टर

भोपाल   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज तीन सितंबर को दिल्ली में होने वाले "इन्वेस्टमेंट अपॉर्च्युनिटीज इन पीएम मित्रा पार्क" के इंटरैक्टिव सेशन में शामिल होंगे। इस अवसर पर केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह भी मौजूद रहेंगे। इंटरैक्टिव सेशन में टेक्सटाइल सेक्टर के निवेशकों और नीति-निर्माताओं की मौजूदगी में मध्यप्रदेश में निवेश के अवसरों पर विचार-विमर्श होगा। केन्द्रीय मंत्री सिंह भारत के टेक्सटाइल सेक्टर की बढ़ती वैश्विक भूमिका और पीएम मित्रा पार्क की अहमियत पर अपने विचार रखेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव निवेशकों के साथ वन-टू-वन मीटिंग कर राज्य में उपलब्ध अधोसंरचना, नीतिगत सहयोग और नए अवसरों की जानकारी देंगे। साथ ही टेक्सटाइल हब के रूप में पहचान बना रहे मध्य प्रदेश की विशेषताओं से निवेशकों को अवगत कराएंगे। मुख्यमंत्री द्वारा यह भी बताया जाएगा कि कैसे पीएम मित्रा पार्क प्रदेश की औद्योगिक तस्वीर को बदलने वाला साबित होगा और रोजगार के नए अवसर सृजित करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव निवेशकों और उद्योगपतियों के साथ टेक्सटाइल क्षेत्र में निवेश संबंधी प्रस्तावों और संभावनाओं पर भी संवाद करेंगे। इंटरैक्टिव सेशन में वस्त्र मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी केंद्रीय योजनाओं और टेक्सटाइल क्षेत्र में बढ़ते वैश्विक अवसरों पर जानकारी देंगे। मध्य प्रदेश के उद्योग विभाग और टेक्सटाइल विभाग के अधिकारियों द्वारा निवेशकों को मध्यप्रदेश में उपलब्ध संसाधनों, क्लस्टर आधारित विकास और विशेष पैकेज का प्रेजेंटेशन दिया जाएगा। केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की सचिव नीलम शमी राव और वस्त्र मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव रोहित कंसल भी अपने विचार साझा कर टेक्सटाइल उद्योग में नई संभावनाओं और केंद्र सरकार की नीतियों की जानकारी देंगे। मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन राघवेन्द्र सिंह टेक्सटाइल सेक्टर में मध्य प्रदेश की नीतिगत पहल, निवेश प्रोत्साहन योजनाओं और औद्योगिक परिदृश्य की विस्तृत जानकारी देंगे। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में प्रस्तावित पीएम मित्रा पार्क आधुनिक टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से युक्त एकीकृत हब के रूप में विकसित किया गया है। यह पार्क कपड़ा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर निवेश और रोजगार सृजन का आधार बनेगा।  

इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्ट लागू, अवैध घुसपैठियों पर सख्ती

नई दिल्ली भारत में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों और इमीग्रेशन मामलों को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया इमीग्रेशन एंड फॉरेनर्स ऐक्ट, 2025 1 सितंबर से लागू हो गया है. गृह मंत्रालय ने सोमवार को इसका नोटिफिकेशन जारी किया. यह बिल संसद के बजट सत्र के दौरान पारित हुआ था और 4 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंज़ूरी दी थी. अब इसे एक कानून के रूप में लागू कर दिया गया है. गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव नितेश कुमार व्यास द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है, "केंद्र सरकार इमीग्रेशन एंड फॉरेनर्स ऐक्ट, 2025 (13 ऑफ 2025) की धारा 1 की उपधारा (2) में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए 1 सितंबर 2025 को लागू होने की तिथि घोषित करती है." इस ऐक्ट के तहत भारत में प्रवेश करने, ठहरने या बाहर जाने के लिए नकली पासपोर्ट या वीजा का इस्तेमाल करने (यानी जालसाजी करने) वालों को अब 7 साल तक की जेल और अधिकतम 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. न्यूनतम सजा 2 साल और न्यूनतम जुर्माना 1 लाख रुपये तय किया गया है. अगर कोई विदेशी नागरिक बिना वैध पासपोर्ट या ट्रैवल डॉक्यूमेंट, जैसे बिना वीजा के भारत में प्रवेश करता है, तो उसे 5 साल तक की जेल या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों दंड मिल सकते हैं. ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन को नए अधिकार इस ऐक्ट ने ब्यूरो ऑफ़ इमीग्रेशन को और मज़बूत बनाया है. अब यह एजेंसी अवैध विदेशी नागरिकों को तुरंत डिपोर्ट कर सकेगी और राज्यों के साथ सीधा कोऑर्डिनेशन करेगी. इसी के साथ, होटल, यूनिवर्सिटी, अन्य एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन, हॉस्पिटल और नर्सिंग होम को विदेशी नागरिकों से जुड़ी जानकारी समय-समय पर देना अनिवार्य कर दिया गया है. किसी भी संस्थान में अवैध विदेशी नागरिकों की आवाजाही पाए जाने पर उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा. एयरलाइंस और शिप कंपनियों पर भी सख्ती सभी इंटरनेशनल एयरलाइंस और शिप कंपनियों को भारत पहुंचने पर अपने पैसेंजर और क्रू का पूरा मैनिफेस्ट और एडवांस इन्फॉर्मेशन सिविल अथॉरिटी या इमीग्रेशन ऑफिसर को देना होगा. नया कानून लागू होने के बाद पुराने क़ानून को समाप्त कर दिया गया है. यह नया ऐक्ट विदेशी नागरिकों और इमीग्रेशन से जुड़े सभी मामलों को एक ही कानून के तहत लाता है. अलग-अलग चार कानून को किया गया समाप्त इससे पहले तक अलग-अलग चार कानून लागू थे, जिसमें पासपोर्ट (एंट्री इंटू इंडिया) ऐक्ट, 1920; रजिस्ट्रेशन ऑफ़ फॉरेनर्स ऐक्ट, 1939; फॉरेनर्स ऐक्ट, 1946 और इमीग्रेशन (कैरियर्स लाइबिलिटी) ऐक्ट, 2000 शामिल थे. अब ये सभी कानून समाप्त कर दिए गए हैं. गृह मंत्रालय का मानना है कि इस कानून से भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा और इमीग्रेशन व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकेगा, साथ ही उन विदेशी नागरिकों पर सख्ती होगी जो नकली पासपोर्ट या वीज़ा की आड़ में देश में रह रहे थे.

खुशखबरी: अब डिलीवरी के दौरान महिलाओं को दर्द से मिलेगा आराम , नार्मल डिलीवरी अब आसान

सागर डिलीवरी के समय महिलाओं को असहनीय प्रसव पीड़ा से गुजरना पड़ता हैं, लेकिन अब सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से अच्छी और राहत भरी खबर सामने आई है, जहां महिलाओं को बिना दर्द के डिलीवरी करने पर किया गया शोध सफल रहा है. इस रिसर्च के बाद महिलाएं मुस्कुराते हुए भी बच्चे को जन्म दे सकेंगी. सामान्य प्रसव भी बिना दर्द के होगा. इस रिसर्च को इंडियन जर्नल ऑफ एप्लाइड रिसर्च में पब्लिश किया गया है. इसके बाद यह सुविधा रेगुलर बेस पर मेडिकल कॉलेज में शुरू कर दी गई है. अब बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज संभवत प्रदेश का ऐसा केंद्र बन गया है, जहां महिलाएं इस तरह की डिलीवरी करवा सकती हैं, लेकिन यह मरीज की सहमति मिलने के बाद ही किया जाएगा. मेडिकल कॉलेज में एनेस्थीसिया विभाग में कार्यरत चेन्नई की डॉ. विनिशा ने 120 मरीजों पर उनकी अनुमति से इस शोध कार्य को पूरा किया.  यह रिसर्च करीब ढाई साल पहले शुरू की गई थी. इस प्रयोग से बच्चे और मां को कोई साइडइफेक्ट नहीं मिला है. डॉ. विनिशा ने बताया कि विभाग अध्यक्ष डॉ. सर्वेश जैन के गाइडेंस में उन्होंने यह रिसर्च की थी. रोपिवाकेन दवा के साथ पहली बार रिसर्च किया  मेडिकल कॉलेज में एनिस्थिया विभाग के अध्यक्ष डॉ.सर्वेश जैन ने बताया सामान्य प्रसव के लिए जब गर्भाशय में संकुचन अर्थात कॉन्ट्रैक्शन आते हैं तो दर्द का एहसास होता है ,यदि इस दर्द को स्पाइनल कॉर्ड के लेवल पर ही सुन्न की दवा डाल कर ब्लॉक कर दिया जाए तो मरीज का सामान्य प्रसव भी हो जाता है और कष्टकारी एहसास भी नहीं होता. चिकित्सा विज्ञान में यह तरीका दशकों से अपनाया जा रहा था, लेकिन अभी एक नई दवा रोपिवाकेन के साथ बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में तेलंगाना से आई पीजी स्टूडेंट डा विनिशा ने इस पर रिसर्च किया है. रोपिवाकेन के साथ आप और सुरक्षित तरीके से बिना दर्द के प्रसव कराया जा सकता है साथ ही इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है मरीज को नि:शुल्क मिलेगी सुविधा सागर संभाग के किसी भी प्राइवेट सरकारी अस्पताल में रेगुलर बेसिस पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. जबकि महानगरों की प्राइवेट अस्पतालों में दर्द रहित सामान्य प्रसव के लिए मरीजों को 25 से 50 हजार रुपए अतिरिक्त वहन करने होते हैं. बीएमसी में यह सुविधा नि:शुल्क शुरू कर दी गई है. संबंधित महिलाएं एनेस्थीसिया विभाग में जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकती हैं. प्रसव पीड़ा शुरू होने पर परिजन डॉक्टर्स से संपर्क कर सकते हैं.

गुजरात की प्राचीन धरती पर मिशन मंगलयान-2 की तैयारी शुरू

अहमदाबाद  कांटेदार झाड़ियां, कठोर रेगिस्तानी इलाका, चंद लोगों की आबादी, न खेती न पानी… फिर भी गुजरात का यह गांव आज मंगलमय है. राज्य के कच्छ जिले में भुज से लगभग 100 किमी दूर स्थित है यह गांव. इसका नाम है मटानोमाध. यह गांव खेती या बसावट के लिए अनुपयुक्त है. लेकिन, अब इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) गुलजार करने वाली है. अब आप सोच रहे होंगे कि इस गांव में ऐसा क्या खास है जो इसरो की नजर पड़ी है. दरअसल, गांव की मिट्टी का मंगल ग्रह से सीधा कनेक्शन है. इसी कारण इसरो अब इस गांव को मंगलयान-2 मिशन का संभावित टेस्ट बेड बनने जा रहा है. दरअसल, यहां 2016 में खोजे गए जारोसाइट नामक खनिज की उम्र को हाल ही में 5.5 करोड़ वर्ष (पेलियोसीन काल) पुराना साबित किया गया है. यह मंगल पर मिले इसी खनिज से पूरी तरह मिलता-जुलता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज पृथ्वी और मंगल के भूवैज्ञानिक इतिहास को जोड़ती है और इसरो को लाल ग्रह की सतह, खनिज विज्ञान तथा जैव रसायन का अध्ययन करने का धरत पर ब्लूप्रिंट देगी. अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर (एसएसी), सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) और लखनऊ के बिरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोसाइंसेज के शोधकर्ताओं की टीम ने जर्नल ऑफ द जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया में पिछले महीने प्रकाशित अध्ययन में इसकी पुष्टि की. लीड रिसर्चर आदित्य धरैया ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया- हमारी खोज न केवल पृथ्वी के भूवैज्ञानिक अतीत को मंगल से जोड़ती है, बल्कि एस्ट्रोबायोलॉजी (ग्रहों पर जीवन, उसके उद्गम और विकास का अध्ययन), खनिज अन्वेषण और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक स्थलीय ब्लूप्रिंट प्रदान करती है. रिसर्चर आदित्य धरैया अध्ययन के समय एसपीपीयू के जियोलॉजी डिपार्टमेंट में थे. मंगलयान-2 के लिए क्रांतिकारी यह खोज मंगलयान-2 के लिए क्रांतिकारी हो सकती है, जो 2026 में लॉन्च होने की योजना है और इसमें रोवर, हेलीकॉप्टर, स्काई क्रेन तथा सुपरसोनिक पैराशूट शामिल होंगे. जारोसाइट एक पीला, लोहे से भरपूर सल्फेट खनिज है, जो पृथ्वी पर ऑक्सीजन, लोहा, सल्फर और पोटैशियम युक्त खनिजों के पानी की मौजूदगी में प्रतिक्रिया से बनता है. मंगल पर इसका पता 2004 में नासा के ऑपरचुनिटी रोवर ने लगाया था, जो मंगल पर प्राचीन काल में पानी की मजबूत मौजूदगी का साक्ष्य था. मटानोमाध में यह खनिज क्ले में बारीक कणों के रूप में मिला, जो पानी मिलाने पर फैल जाता है. लैब टेस्ट में वैज्ञानिकों ने पाया कि यह मिश्रण मंगल की सतह पर पाए जाने वाले सल्फेट्स और क्लेस से काफी मिलता है. धरैया ने कहा कि कच्छ में लाखों वर्ष पहले ज्वालामुखी गतिविधि प्रमुख थी. सल्फर युक्त ज्वालामुखी राख समुद्री जल से मिलकर जारोसाइट बना. यह दुर्लभ है, क्योंकि पृथ्वी पर यह आमतौर पर अवसादी चट्टानों में नहीं मिलता. यह साइट मंगल के लिए फील्ड-एनालॉग मिशनों का आदर्श स्थान बन सकती है, जहां रोवर की गति, उपकरण टेस्टिंग, ड्रिलिंग और भू-रसायन प्रयोग किए जा सकेंगे. वैज्ञानिकों का कहना है कि जारोसाइट जैसे सल्फेट्स में जैविक अणु और जीवन समर्थक तत्व फंस सकते हैं, इसलिए मटानोमाध के सैंपल्स मंगल की प्राचीन रसायनिक क्रियाओं और जीवन की संभावना को समझने में मदद करेंगे. वैश्विक स्तर पर जारोसाइट मैक्सिको, कनाडा, जापान, स्पेन और अमेरिका के यूटा-कैलिफोर्निया में मिला है, लेकिन मटानोमाध की दुर्गमता इसे विशेष बनाती है. 2016 में एसएसी की टीम ने कच्छ में इसे पहली बार रिपोर्ट किया, जबकि केरल के वरकाला क्लिफ्स पर भी पाया गया, लेकिन वह पर्यटन स्थल होने के कारण शोध के लिए पूरी तरह उपयुक्त नहीं है. भारत में यह इकलौती साइट नहीं है भारत में मटानोमाध ही एक मात्र साइट नहीं है. इसरो का हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (होप) मिशन लद्दाख के हाई-एल्टीट्यूड गांव में मंगल और चंद्रमा की स्थितियों का सिमुलेशन कर रहा है. अगस्त में त्सो कार वैली (4500 मीटर ऊंचाई) में दो क्रू मेंबर्स ने 10 दिनों तक मंगल हेबिटेट के मॉडल में रहकर परीक्षण किया, जहां ऑक्सीजन कम, हवा पतली और तापमान शून्य से नीचे है. लद्दाख पर्यावरणीय परीक्षण के लिए, जबकि मटानोमाध भूविज्ञान और खनिज संरचना के लिए आदर्श है. मंगलयान-2 में चार पेलोड्स- मार्स ऑर्बिट डस्ट एक्सपेरिमेंट (MODEX), रेडियो ऑकल्टेशन, एनर्जेटिक आयन स्पेक्ट्रोमीटर और लैंगमुइर प्रोब होंगे. यह LVM3 रॉकेट से लॉन्च होगा और एयरोब्रेकिंग तकनीक से ऑर्बिट को कम करेगा. मॉम ने 74 मिलियन डॉलर की अपेक्षाकृत बहुत कम लागत में पहली कोशिश में सफलता पाई थी. इसने भारत को एशिया का पहला मंगल ऑर्बिटर बनाने वाला देश बनाया. अब मंगलयान-2 रोवर-हेलीकॉप्टर कॉम्बो के साथ जीवन की खोज करेगा.