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सामाजिक न्याय मंत्री कुशवाहा ने नशामुक्ति केंद्रों की जाँच के दिये निर्देश

राज्य स्तरीय कार्यक्रम कर दिव्यांगों की प्रतिभा को मंच देने के निर्देश भोपाल  सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाहा ने प्रदेश में संचालित समस्त शासकीय नशा मुक्ति केंद्रों के निरीक्षण के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति गठित कर केंद्रों का आकस्मिक निरीक्षण कराया जाए। उन्होंने यह निर्देश शुक्रवार को मंत्रालय में विभागीय समीक्षा बैठक में दिये। इसके साथ ही दिव्यांगों के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर मेडिकल बोर्ड के शिविर आयोजित करने के निर्देश भी दिए। मंत्री श्री कुशवाहा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के "विकसित भारत का मंत्र-भारत हो नशे से स्वतंत्र" देशव्यापी कार्यक्रम के अंतर्गत मध्यप्रदेश में नशा मुक्ति के क्षेत्र में प्रभावी कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। नशा मुक्त समाज के लिए सामाजिक भागीदारी के साथ-साथ विभाग द्वारा जो कार्यक्रम और योजनाएं संचालित की जा रही है, उनका प्रभावी क्रियान्वयन मैदानी स्तर पर किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नशे से पीड़ित लोगों के लिए प्रदेश में 13 नशा मुक्ति-सह-पुनर्वास केन्द्र, सात आउट रिच एंड ड्रॉप इन सेंटर, तीन कम्युनिटी बेस्ड पियर-लेड इन्टरवेशन सेंटर तथा 8 जिला मुख्यालय पर डीडीआरसी संचालित किए जा रहे हैं। इन सभी संस्थानों के सुव्यवस्थित संचालन की नियमित समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन के लिए चलाए जा रहे "सुगम भारत अभियान" की भी नियमित समीक्षा की जाए। मंत्री श्री कुशवाहा ने कहा कि दिव्यांगजन को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग द्वारा राज्य स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जिसमें प्रदेश भर के दिव्यांगजन जो गायन, वादन, नृत्य, अभिनय और खेलकूद में रुचि रखते हैं, उनको प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त हो सके। इसके लिए विभाग कार्यक्रम की रूपरेखा बनाकर प्रस्तुत करे। प्रमुख सचिव श्रीमती सोनाली वायंगणकर ने बताया कि प्रदेश में नशा मुक्ति अभियान के अंतर्गत सामाजिक संगठन, शैक्षणिक संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ सामाजिक न्याय विभाग द्वारा लगातार जन-जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। गांधी जयंती 2 अक्टूबर को विशेष ग्रामसभाओं का आयोजन भी कराया जाएगा। शैक्षणिक संस्थानों में युवाओं को नशे के दुष्प्रभाव से बचने के लिए छात्रावास स्तर पर नशा मुक्ति समितियों का गठन किया गया है। इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। बैठक में प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण श्रीमती सोनाली वायंगणकर सहित अन्य विभाग की अधिकारी उपस्थित थे।

सुप्रीम कोर्ट की दो-टूक: प्रदूषण रोकने के लिए पूरे भारत में लागू हों सख्त नियम

नई दिल्ली  सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर शुक्रवार को कड़ी टिप्पणी की। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बी.आर. गवई ने कहा कि अगर दिल्ली-एनसीआर (एनसीआर) के लोगों को स्वच्छ हवा का अधिकार है, तो दूसरे शहरों के निवासियों को क्यों नहीं? उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदूषण नियंत्रण की नीतियां सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं रह सकतीं, बल्कि पैन-इंडिया स्तर पर लागू होनी चाहिए। बेंच की सुनवाई के दौरान, जिसमें जस्टिस के. विनोद चंद्रन भी शामिल थे, सीजेआई बी.आर. गवई ने पटाखा निर्माताओं की उस याचिका पर विचार किया, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और निर्माण पर पूरे साल के लिए लगे प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी। बेंच ने कहा, "हम दिल्ली के लिए अलग नीति नहीं बना सकते, सिर्फ इसलिए क्योंकि वहां देश का संभ्रांत वर्ग रहता है।" सीजेआई ने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया, "मैं पिछले साल सर्दियों में अमृतसर गया था। वहां प्रदूषण की स्थिति दिल्ली से भी बदतर थी। अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो यह पूरे देश में लगना चाहिए।" कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब एमिकस क्यूरिए एडवोकेट अपराजिता सिंह ने दिल्ली में सर्दियों के दौरान प्रदूषण की भयावह स्थिति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली एक लैंडलॉक्ड शहर है, जहां हवा में प्रदूषक फंस जाते हैं, जिससे स्थिति चोकिंग लेवल तक पहुंच जाती है। लेकिन, सिंह ने स्वीकार किया कि एलीट वर्ग प्रदूषण के चरम दिनों में शहर छोड़ देता है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या नीतियां सिर्फ अमीरों के लिए बनाई जा रही हैं? बेंच ने स्पष्ट किया कि सभी नागरिकों को स्वच्छ हवा का समान अधिकार है, चाहे वे किसी भी शहर में रहें। इसी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य याचिका पर एक्शन लिया, जिसमें पटाखों पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) को नोटिस जारी किया और दो हफ्तों में जवाब मांगा। यह नोटिस दिल्ली-एनसीआर में मौजूदा प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाओं के संदर्भ में भी जारी किया गया।

संजय गांधी हॉस्पिटल में डक्ट कूलिंग सिस्टम का किया लोकार्पण

भोपाल  उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने संजय गांधी अस्पताल रीवा में डक्ट कूलिंग सिस्टम और 17 व्हील चेयर का लोकार्पण किया। डक्ट कूलिंग सिस्टम से दो वार्डों में रोगियों और उनके परिजनों को शीतल हवा मिलेगी। इसका निर्माण आइनॉक्स कंपनी द्वारा 20 लाख रुपए की लागत से किया गया है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि रीवा तेजी से मेडिकल हब बनने की ओर अग्रसर है। उपचार के लिए नागपुर जाने वाले रोगियों की संख्या में कमी आई है। कुछ ही महीनों में कैंसर यूनिट का निर्माण पूरा होते ही रीवा में दो सौ बेड का कैंसर अस्पताल शुरू हो जाएगा। इसमें 40 करोड़ रुपए की लागत से लीनेक मशीन लगाई जा रही है। इस अस्पताल में कैंसर के उपचार की आधुनिकतम सुविधा उपलब्ध रहेगी। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि चिकित्सा सुविधाओं के विकास के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। संजय गांधी अस्पताल में सुधार तथा नई व्यवस्थाओं के लिए 321 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। सर्जरी विभाग में सिंगरौली की एनसीएल कंपनी द्वारा दी गई 6 करोड़ रुपए की सहयोग राशि से आधुनिक मशीन लगाई जा रही है। यहाँ के डॉक्टर बहुत योग्य हैं। डॉक्टर और चिकित्साकर्मी अस्पतालों की आत्मा हैं। उन्होंने कहा कि रोगियों का अच्छा उपचार करने के साथ उनसे मृदु व्यवहार भी करें। डॉक्टर के अच्छे व्यवहार से रोगी का आधा रोग ठीक हो जाता है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि आईनॉक्स कंपनी ने कोरोना संकट के समय ऑक्सीजन की आपूर्ति करके सराहनीय कार्य किया। कंपनी ने संजय गांधी अस्पताल के दो वार्डों में कूलिंग सिस्टम लगाया है। आईनॉक्स कंपनी के प्रतिनिधि श्री अतुल कुमार ने कहा कि कंपनी प्रतिदिन 4500 टन ऑक्सीजन का निर्माण कर रही है। कोरोना काल में प्रतिदिन 40 टैंकर ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रदेश को की जा रही थी। जनकल्याण के लिए कंपनी सदैव सहयोग करेगी। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती नीता कोल, नगर निगम अध्यक्ष श्री व्यंकटेश पाण्डेय, मेडिसिन विभाग के डॉ. पी.के. बघेल, संजय गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।  

जनता में गजब का उत्साह, अबतक 1 लाख से अधिक लोगों ने दिया फीडबैक

विकसित यूपी@2047 – 65 जनपदों में नोडल अधिकारियों व प्रबुद्धजनों ने जनता से किया संवाद – ग्रामीण क्षेत्रों से सबसे अधिक 78,513 फीडबैक दर्ज – शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सबसे ज्यादा 35,047 सुझाव मिले – बलिया, जौनपुर, कानपुर नगर समेत कई जिलों से 3,500 से अधिक फीडबैक – किसानों ने तकनीकी खेती, कोल्ड स्टोरेज व समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग उठाई लखनऊ योगी सरकार द्वारा संचालित "समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश @ 2047" अभियान के तहत प्रदेशभर में व्यापक संवाद एवं फीडबैक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अभियान के दौरान शुक्रवार (12 सितम्बर) तक कुल 65 जनपदों में नोडल अधिकारियों और प्रबुद्धजनों ने भ्रमण कर छात्रों, शिक्षकों, व्यवसायियों, उद्यमियों, कृषकों, स्वयंसेवी संगठनों, श्रमिक संगठनों, मीडिया प्रतिनिधियों और आम जनमानस के साथ संवाद किया। इस संवाद में विगत आठ वर्षों की विकास यात्रा पर जानकारी साझा की गई तथा प्रदेश के भविष्य के विकास के लिए रोडमैप पर चर्चा करते हुए जनता से सुझाव भी आमंत्रित किए गए। 1 लाख से अधिक सुझाव दर्ज अभियान को लेकर जनता में गहरी रुचि दिखाई दी। इसके लिए विशेष रूप से विकसित पोर्टल samarthuttarpradeh.up.gov.in पर अब तक 1 लाख से अधिक फीडबैक प्राप्त हुए हैं। इनमें से 79 हजार से अधिक फीडबैक ग्रामीण क्षेत्रों से जबकि 2़1 हजार से अधिक फीडबैक नगरीय क्षेत्रों से प्राप्त हुए। आयु वर्ग के आधार पर देखा जाए तो 35 हजार से अधिक सुझाव 31 वर्ष से कम आयु वर्ग से, 57 हजार से अधिक सुझाव 31-60 आयु वर्ग से और 6 हजार से अधिक सुझाव 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग से मिले हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि सबसे अहम मुद्दे प्रदेशवासियों ने विकास से जुड़े जिन प्रमुख क्षेत्रों पर राय दी, उनमें शिक्षा क्षेत्र सबसे ऊपर रहा। कुल 35,047 सुझाव शिक्षा से जुड़े मिले, जबकि नगरीय एवं ग्रामीण विकास से संबंधित 17,257 सुझाव आए। स्वास्थ्य क्षेत्र पर 10,894, समाज कल्याण पर 9,436 और कृषि क्षेत्र से जुड़े 12,718 सुझाव दर्ज किए गए। सबसे सक्रिय रहे पूर्वांचल और बुंदेलखंड के जिले बलिया, बलरामपुर, जौनपुर, कानपुर देहात, फिरोजाबाद, कानपुर नगर, मैनपुरी और प्रतापगढ़ जैसे जनपदों से सबसे अधिक 3,500 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए। यह आंकड़ा दर्शाता है कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जनता सक्रिय रूप से अभियान में जुड़ रही है। किसानों ने दिए कृषि क्षेत्र से जुड़े अहम सुझाव कृषि एवं संबद्ध सेक्टर से जुड़े सुझावों की संख्या उल्लेखनीय रही। किसानों ने आधुनिक तकनीकों को अपनाने, जल उपयोग की नई विधियों के प्रति जागरूकता, पीएमडीएमसी जैसी आधुनिक सिंचाई प्रणाली लागू करने और हर किसान के घर पर बायो गैस संयंत्र स्थापित करने पर बल दिया। इसके अलावा ड्रिप सिंचाई, सौर ऊर्जा आधारित पंप, बेहतर बीजों का प्रयोग, ई-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म और डिजिटल किसान मंडियों के माध्यम से कृषि उत्पादों को बाजार से जोड़ने, भंडारण और कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं गांव-गांव तक पहुंचाने तथा कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के सुझाव सामने आए। किसानों ने रियायती दरों पर उन्नत किस्म के बीज, उर्वरक, कीटनाशक और उपकरण उपलब्ध कराने, सहकारिता विभाग से सस्ती साख सुविधा, फसलों के लिए उचित समर्थन मूल्य की गारंटी तथा व्यवसायिक फसलों को बढ़ावा देने जैसी मांगें भी रखीं। इस अभियान से स्पष्ट है कि प्रदेश की जनता न केवल विकास यात्रा की गवाह है बल्कि भविष्य की दिशा तय करने में सक्रिय भागीदारी भी निभा रही है। सरकार ने प्राप्त सुझावों का गहन विश्लेषण कर उन्हें नीति निर्माण में शामिल करने की बात कही है।

महंगाई पर नया डेटा: अगस्त में खुदरा दर 2.07%, खाने-पीने की चीज़ों के दाम गिरे

नई दिल्ली  भारत की खुदरा महंगाई दर अगस्त में सालाना आधार पर 2.07 प्रतिशत रही है। इसमें जुलाई के मुकाबले 46 आधार अंक की वृद्धि देखने को मिली है। यह जानकारी सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को दी गई। इससे पहले जुलाई में खुदरा महंगाई दर 1.61 प्रतिशत थी। मंत्रालय की ओर से बताया गया कि महंगाई दर का निचले स्तरों पर बने रहने की वजह खाद्य महंगाई दर का नकारात्मक रहना है, जो कि अगस्त 2025 में सालाना आधार पर -0.69 प्रतिशत रही है। अगस्त में खाद्य महंगाई दर ग्रामीण क्षेत्र में -0.70 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में -0.58 प्रतिशत रही है। इससे पहले जुलाई में खाद्य महंगाई दर -1.76 प्रतिशत थी। सरकार की ओर से जारी किए गए डेटा में बताया गया कि अगस्त 2025 में ग्रामीण सेक्टर में हेडलाइन और खाद्य महंगाई दर में बढ़त देखने को मिली है। अगस्त 2025 में ग्रामीण इलाकों में हेडलाइन महंगाई दर 1.69 प्रतिशत रही है, जो कि जुलाई 2025 में 1.18 प्रतिशत थी। अगस्त 2025 में ग्रामीण क्षेत्र में खाद्य महंगाई दर में -0.70 प्रतिशत रही है, जो कि अगस्त में -1.74 प्रतिशत थी। आंकड़ों के मुताबिक, शहरी इलाकों में हेडलाइन महंगाई दर अगस्त 2025 में 2.47 प्रतिशत रही है, जो कि जुलाई 2025 में 2.10 प्रतिशत थी। शहरी इलाकों में अगस्त में खाद्य महंगाई -0.58 प्रतिशत रही है, जो कि जुलाई -1.90 प्रतिशत थी। अगस्त में स्वास्थ्य महंगाई दर सालाना आधार पर 4.40 प्रतिशत रही है, जो कि जुलाई में 4.57 प्रतिशत थी। परिवहन और संचार में महंगाई दर अगस्त में 1.94 प्रतिशत रही है, जो जुलाई में 2.12 प्रतिशत थी। ईंधन और प्रकाश में महंगाई दर अगस्त 2025 में 2.43 प्रतिशत थी, जोकि जुलाई में 2.67 प्रतिशत थी। अगस्त में सबसे अधिक 9.04 प्रतिशत की महंगाई दर केरल में थी। इसके बाद कर्नाटक (3.81 प्रतिशत), जम्मू और कश्मीर (3.75 प्रतिशत), पंजाब (3.51 प्रतिशत) और तमिलनाडु (2.93 प्रतिशत) का स्थान था।

सोशल मीडिया से सड़कों तक: नेपाल में जेन-जेड की नई आंदोलनकारी ताकत

काठमांडू पिछले चार साल में नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में हुई उथल-पुथल के बीच सोशल मीडिया का मेगाफोन के रूप में उपयोग किया जाना चर्चा का विषय है। ये सामाजिक दरार को दर्शाता है, साथ ही जवाबदेही की मांग भी उठाता है। पुणे स्थित एमआईटी आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल स्कूल ऑफ ब्रॉडकास्टिंग एंड जर्नलिज्म के प्रभारी निदेशक डॉ. संबित पाल ने बताया, "जेनरेशन जेड 'डिजिटल नेटिव' हैं जो इंटरनेट और सोशल मीडिया के साथ पले-बढ़े हैं और इसलिए इस प्लेटफॉर्म की बारीकियों से वाकिफ हैं।" नेपाल में युवा प्रदर्शनकारियों ने जेन जी या जनरेशन जेड का इस्तेमाल किया। ये शब्द 1997 और 2012 के बीच पैदा हुए लोगों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। उन्होंने आगे कहा, "सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने उन्हें मेनस्ट्रीम मीडिया को दरकिनार कर, अपने नैरेटिव सेट करने और शासन संबंधी मुद्दों पर मिलजुलकर राय व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया है।" अध्ययनों से पता चलता है कि सोशल मीडिया अभियान मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा दे सकते हैं, और जब पारंपरिक मीडिया सीमित दायरे में काम करती है तो नागरिक संवाद को बनाए रख सकते हैं। मीडिया स्किल्स लैब के संस्थापक-निदेशक जॉयदीप दास गुप्ता ने कहा, "अरब विद्रोह से लेकर दक्षिण एशियाई देशों के आंदोलनों तक, प्रदर्शनकारियों ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया है, जो संचार का एक शक्तिशाली माध्यम है, जिसमें न्यूनतम खर्च में अधिकतम पहुंच है।" मीडिया स्किल्स लैब एक शैक्षिक-शोध संस्थान है जो मीडिया साक्षरता, फैक्ट-चैक, एआई साक्षरता, डेटा जर्नलिज्म और सोल्यूशन जर्नलिज्म पर केंद्रित है। फोर्ब्स कम्युनिकेशंस काउंसिल की एक पोस्ट के अनुसार, "सभी सोशल मीडिया चैनल एक जैसे नहीं बनाए जाते। प्रत्येक प्लेटफॉर्म के अपने विशिष्ट यूजर समूह होते हैं, जिनकी सामग्री के साथ बातचीत करने की अपनी विशिष्टताएं होती हैं।" लेख 13 प्रैक्टिस पर प्रकाश डालती है, जिनमें व्यवसाय की प्रकृति को पहचानना, कोर टारगेट ऑडियंस दर्शकों पर फोकस करना, ग्राहक जनसांख्यिकी, प्रतिस्पर्धियों पर शोध आदि शामिल हैं। ज्यादातर बातें चीनी रणनीतिकार और दार्शनिक सुन त्जु की शिक्षाओं जैसी लग सकती हैं, जिन्होंने अपने दुश्मन को जानने के महत्व पर जोर दिया था। दास गुप्ता ने बताया, "इंटरनेट के लोकतंत्रीकरण के साथ, पहुंच आसान हो गई है। संदेश का प्रसार तुरंत होता है और आंदोलन गति पकड़ लेता है।" जब विद्रोह का सामना करना पड़ता है, तो सरकारें आमतौर पर संदेशों के प्रसार को रोकने के लिए सोशल मीडिया हैंडल या इंटरनेट पर ही प्रतिबंध लगा देती हैं। 2022 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान, श्रीलंका ने आपातकाल की घोषणा करके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक पहुंच को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर कर्फ्यू लगा दिया था। तत्कालीन बांग्लादेश सरकार ने भी लगभग इसी तरह की प्रतिक्रिया दी थी, जबकि नेपाल में, राजधानी काठमांडू की सड़कों पर हिंसा भड़कने के साथ प्रतिबंध हटा लिया गया था। हालांकि, जैसा कि घटनाओं से पता चलता है, अधिकारी आपातकालीन समय को छोड़कर वेब सामग्री पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते। ये प्लेटफॉर्म निजी स्वामित्व वाले हैं, और इंटरनेट पर पुलिस की निगरानी का सुझाव भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधा डालने के आरोपों को जन्म देता है। लेकिन ऐसे हैंडल के एल्गोरिदम यह तय कर सकते हैं कि लोग क्या देखें और क्या नहीं। ऐसे एल्गोरिदम वाले कानूनों का इस्तेमाल करते हुए, बाल शोषण, हिंसा और झूठी कहानियों के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए एक 'स्टैच्यूरी बिल्डिंग कोड' बनाने की सिफारिश की गई है, जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए अनिवार्य सुरक्षा और गुणवत्ता संबंधी जरूरतें शामिल हैं। लेकिन विशेषज्ञों का ये भी मत है कि राजनीतिक और सामाजिक संदेशों को बाध्य नहीं किया जा सकता और न ही किया जाना चाहिए।

भारी बारिश से तबाही: हिमाचल में सैकड़ों सड़कें ठप, 215 लोगों की जान गई

शिमला हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर जारी है। राज्य के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने शुक्रवार को बताया कि भले ही कई सड़कों की बहाली पूरी कर ली गई है, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में मार्ग क्षतिग्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 583 लिंक रोड और 3 राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए बंद पड़े हैं। इसके साथ ही 806 डीटीआर मार्ग और 364 जल आपूर्ति योजनाएं (WSS) बाधित हैं। मंत्री नेगी ने बताया कि इस बार मानसून सीजन के दौरान 215 लोगों की जान गई है, जिनमें से 165 मौतें सड़क दुर्घटनाओं के कारण हुई हैं।

मंत्री सारंग ने किया छोला दशहरा मैदान का निरीक्षण

भोपाल  सहकारिता मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग ने शुक्रवार को दशहरा उत्सव की तैयारियों के संबंध में भोपाल शहर के ऐतिहासिक छोला दशहरा मैदान का निरीक्षण किया। मंत्री श्री सारंग ने कहा कि कई वर्षों से भोपाल शहर का यह मैदान दशहरा उत्सव का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां हर वर्ष श्री हिन्दू उत्सव समिति भोपाल द्वारा भव्य और ऐतिहासिक दशहरा उत्सव मनाया जाता है और हर वर्ष बड़ी संख्या में शहरवासी इस ऐतिहासिक पर्व के साक्षी बनते हैं। मंत्री श्री सारंग ने तय समयावधि में तैयारियों को पूर्ण करने तथा भव्य, अनुशासित और सुरक्षित आयोजन सुनिश्चित करने के लिये संबंधितों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान श्री हिन्दू उत्सव समिति, भोपाल के अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखर तिवारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, नगर निगम, पुलिस प्रशासन और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। मंत्री श्री सारंग ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की विजय का प्रतीक दशहरा असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का शाश्वत संदेश देता है। यह केवल उत्सव नहीं बल्कि समाज में धर्म, संस्कार और राष्ट्रधर्म की भावना को प्रबल करने वाला पर्व है। इस वर्ष भी भोपाल शहर के हजारों नागरिक इस पावन आयोजन के साक्षी बनेंगे इसलिए तैयारियाँ व्यापक और ऐतिहासिक स्तर पर की जा रही हैं। श्री खेड़ापति हनुमान कॉरिडोर बनेगा शहर में बड़े आयोजनों का केंद्र मंत्री श्री सारंग ने बताया कि महाकाल लोक के तर्ज पर भोपालवासियों के आस्था के केंद्र श्री खेड़ापति हनुमान कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही छोला दशहरा मैदान का खुला स्वरूप संरक्षित रखते हुए यहाँ दर्शक दीर्घा, रावण दहन स्थल एवं अन्य आवश्यक निर्माण करवाए जाएंगे। बड़े आयोजनों में आने वाले नागरिकों को सड़क पर खड़े न होना पड़े इसके लिए बैठक व्यवस्था की जाएगी। भविष्य में भोपाल शहर में बड़े-बड़े आयोजन और भी सुगमता से हो सकेंगे। यह कॉरिडोर भोपाल में बड़े आयोजनों का केंद्र बनेगा। भव्य तैयारियां और व्यापक व्यवस्थाएं मंत्री श्री सारंग ने बताया कि आगामी 2 अक्टूबर को छोला दशहरा मैदान में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हजारों की संख्या में नागरिक इस पावन उत्सव के साक्षी बनेंगे। इस अवसर पर दर्शकों के लिए पर्याप्त बैठक व्यवस्था की जा रही है। वाहनों के लिए पार्किंग की अलग से व्यवस्था होगी। मैदान के आसपास यातायात को सुचारू रखने के लिये विशेष ट्रैफिक प्लान तैयार किया गया है। नागरिकों के लिए शुद्ध पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सा दल एवं अग्निशमन दल तैनात रहेंगे। मंत्री श्री सारंग ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक व्यवस्था इतनी सुदृढ़ हो कि आने वाले नागरिक बिना किसी असुविधा के उत्सव का आनंद ले सकें।  

औचक निरीक्षण के दौरान हंगामा: मंत्री आरती राव के कमांडो ने अस्पताल का शीशा तोड़ा

कुरुक्षेत्र  कुरुक्षेत्र में स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने लोकनायक जय प्रकाश नारायण (LNJP) अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान महिला वार्ड में टॉयलेट पर ताला लगा देख मंत्री नाराज हो गईं। 2 बार चाबी मांगने पर भी ताला नहीं खुला तो मंत्री के कहने पर उनके कमांडो ने शीशा तोड़कर स्थिति का जायजा लिया। स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने एक्स-रे रूम का निरीक्षण किया और रात में एक्स-रे व सीटी स्कैन की सुविधा के बारे में जानकारी ली। उन्होंने मरीजों से उपचार और दवा उपलब्धता पर प्रतिक्रिया मांगी। अस्पताल परिसर में निर्माणाधीन भवन में फैले सामान को लेकर भी मंत्री ने नाराजगी जताई और PWD अधिकारियों से जवाब तलब किया।   मीडिया से बातचीत में आरती राव ने कहा कि जल्द ही राज्य में 500 नए डॉक्टर्स की भर्ती की जाएगी ताकि स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा सके। स्वास्थ्य मंत्री के औचक निरीक्षण के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया।

देशभर में ताज़ा फल पहुंचाने को रेल मंत्रालय का बड़ा कदम, फेडरेशन ने जताया आभार

सोपोर  ट्रेडर्स फेडरेशन सोपोर के अध्यक्ष ने कश्मीर से दिल्ली तक ताजा फलों की ढुलाई के लिए दो विशेष रेलगाड़ियाँ शुरू करने के सरकारी फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसे एक सही समय पर लिया गया फैसला बताया, जो फल उगाने वाले किसानों और व्यापारियों के लिए राहत की बात है। उन्होंने कहा कि इससे कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी सहारा मिलेगा, जो मुख्य रूप से बागवानी (फल उत्पादन) और पर्यटन पर निर्भर है। मीडिया से बात करते हुए अध्यक्ष ने कहा, "हमारी पूरी अर्थव्यवस्था दो चीज़ों पर टिकी है – पर्यटन और फल उद्योग। हाल ही में कुछ इलाकों में बाढ़ आई और सड़कों का संपर्क टूट गया, जिससे श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर गाड़ियां फंस गईं। ऐसे में फल देर से मंडी तक पहुंचते हैं, जिससे किसानों को बहुत नुकसान होता है। ऐसे समय पर यह रेल सेवा एक बड़ी राहत है।" उन्होंने माननीय रेल, सूचना एवं प्रसारण, और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव का धन्यवाद करते हुए कहा क "कश्मीर से दिल्ली तक ताज़ा फलों की ढुलाई के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाने का निर्णय सराहनीय है। इससे फल समय पर मंडी तक पहुंचेंगे और किसानों को फायदा मिलेगा। यह कश्मीर की पूरी अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।" अध्यक्ष ने आगे कहा कि इस तरह के कदमों से व्यापारियों और किसानों का भरोसा बढ़ेगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह आगे भी व्यापारियों के हित में फैसले लेते रहे, ताकि किसानों की आमदनी सुरक्षित रहे और कश्मीर की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहे।