samacharsecretary.com

मोहन यादव ने भाईदूज पर दी खास सौगात, लाड़ली बहनों को मिलेगा 1500 रुपए

भोपाल  मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कांग्रेस को कोसते हुए लाड़ली बहनों के लिए भाईदूज से 1500 रुपए देने का एलान किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेसी कुछ भी कहें लेकिन बहनों चिंता करो, दिवाली के बाद इसी भाईदूज से आपको 1500 रुपए मिलना चालू हो जाएगा. कांग्रेसी रोते रहेंगे और हमारे पास इतने पैसे हैं कि हम अपनी बहनों को देते रहेंगे.  भाईदूज से लाड़ली बहनों को 1500 रुपए का एलान  मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव ने कहा कि "लाड़ली बहनों हाथ खड़े करो, जिन जिनको पैसे मिल रहा है. आप बताओ बहन को भी मिल रहा है और भाई को भी मिल रहा है. हमारे पास कोई पैसे की कमी नहीं है, किसानों की जिंदगी जितनी बेहतर कर सकते हैं, हम लगातार उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और बहनों चिंता मत करो. ये कांग्रेसी कुछ भी कहें, लेकिन इसी दिवाली के बाद भाईदूज से आपको भी 1500 रुपए महीने मिलना चालू हो जाएगा. ये कांग्रेसी रोते रहेंगे… रोते रहेंगे… रोते रहेंगे और हमारे पास पैसे इतने हैं कि हम अपनी बहनों को देते रहेंगे..देते रहेंगे… देते रहेंगे. बहनें भी अपने एक-एक पैसे का उपयोग अपने बच्चों को पढ़ाई, बुजुर्गों की दवाई और घर के परिवार के सदस्यों के लिए सब की चिंता के लिए इस्तेमाल करती हैं. ऐसे में उनकी चिंता अगर हम नहीं करेंगे, तो कौन करेगा,यह काम हमारा है. मोहन यादव बोले- हमारे पास पैसे की कमी नहीं मुख्यमंत्री ने विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि "विकास योजनाएं चलाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है.हम अपने किसान भाईयों और लाड़ली बहनों को किसी तरह की कमी नहीं आने देंगे. किसान भाईयों को केंद्र और राज्य सरकार की किसान सम्मान निधि मिलेगी, तो लाड़ली बहनों के लिए दीपावली के बाद भाईदूज को 1500 रुपए मिलेंगे. लाड़ली बहना योजना का महत्व  लाड़ली बहना योजना महिलाओं की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। इससे महिलाओं को विभिन्न प्रकार की योजनाओं का फायदा मिल सकेगा। सीएम ने इस योजना के माध्यम से महिलाओं को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करने का वादा किया है। कांग्रेस पर तंज  सीएम मोहन यादव ने कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा कि कांग्रेस गोमांस और गोवंश को लेकर बातें करती है, जबकि उनकी सरकार ने 2004 के बाद मध्यप्रदेश में गोवंश को लेकर कानून बनाया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति यदि गोमाता को परेशान करेगा, तो उसे जेल भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि उनकी सरकार के द्वारा गोशालाओं की संख्या बढ़ाई गई है और दूध उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

भोपाल की अवैध कॉलोनियों पर प्रशासन की सुस्ती, बिना अनुमति फल-फूल रही 250 बस्तियां

भोपाल  भोपाल जिले में अवैध कॉलोनियों पर प्रशासन की कार्रवाई पूरी तरह ठप हो गई है, यही कारण है कि भूमाफिया बिना अनुमतियों के प्लाट बेचकर मोटा लाभ कमा रहे हैं। जबकि पिछले दिनों ईंटखेड़ी के घासीपुरा इलाके की अवैध कॉलोनी स्थित मकान में ड्रग्स फैक्ट्री का खुलासा हो चुका है। इसके बाद भी जिम्मेदारों ने अवैध कॉलोनियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है। जबकि छह महीने पहले कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने अवैध कॉलोनियों को चिह्नित कर कार्रवाई करने के निर्देश सभी एसडीएम को दिए थे, जिसके बाद एसडीएम द्वारा करीब 250 अवैध कॉलोनियों को चिह्नित तो किया था, लेकिन इसके आगे कार्रवाई नहीं बढ़ सकी और मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। अधिकारियों की अनदेखी के चलते यहां बीते दो से तीन महीने की बात करें, तो अन्य तहसील/सर्कल में कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। दरअसल, प्रशासन ने जिले में 250 ऐसी जमीनें चिह्नित की थीं, जहां अवैध कॉलोनियों का निर्माण जारी है। इन कॉलोनियों के निर्माण के लिए शासकीय अनुमति नहीं ली गई है। एसडीएम ने ऐसी कॉलोनियों को नोटिस तो जारी किए, लेकिन इसके बाद एक्शन नहीं लिया। सूत्रों की मानें तो राजनीतिक संरक्षण की वजह से अधिकारियों द्वारा अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई नहीं की गई है। जिले में कोलार, हुजूर, गोविंदपुरा व बैरसिया क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों जमकर फल-फूल रही हैं। कोलार में अवैध कॉलोनियों का जाल कोलार तहसील के आसपास ही अवैध कॉलोनियों का जाल बुना जा रहा है। रतनपुर सड़क, पिपलिया केशो, सेमरी, सोहागपुर, गेहूखेड़ा, राजहर्ष सहित अन्य क्षेत्रों में कृषि भूमि पर कॉलोनियों का निर्माण किया जा रहा है। यह सभी गांव नगर निगम क्षेत्र में आते हैं। यहां पर कृषि भूमि पर सड़क बनाकर प्लाट बेचे जा रहे हैं। इसके लिए बकायदा कॉलोनाइजरों ने बोर्ड लगा रखे हैं। इसमें से किसी ने भी न तो टीएनसीपी से और न ही नगर निगम से अनुमति ली है। हुजूर से बैरसिया तक काटे जा रहे अवैध प्लाट जिले की हुजूर तहसील से लेकर बैरसिया तक भूमाफिया अवैध कॉलोनियों में जमकर प्लाट बेच रहे हैं। यहां पर भोपाल बायपास से लगे नगर निगम सीमा के पास वाले ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलोनियों काटी गई हैं, जिनमें से किसी के पास भी अनुमतियां नहीं हैं। लांबाखेड़ा से लेकर बैरसिया तक 35 किलोमीटर के मार्ग पर कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग की जा रही है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इस तरह लोगों को फंसा रहे भूमाफिया लोगों को फंसाकर अवैध कॉलोनियों में प्लाट बेचने के लिए भूमाफिया नए-नए तरीके अपना रहे हैं। यह विकसित कॉलोनियों की तर्ज पर कवर्ड कैंपस बनाकर दे रहे हैं। वो जमीन के चारों तरफ बाउंड्री बनाते हैं। इसके बाद रोड, बिजली के पोल व सीवेज लाइन बिछाते हैं। ऐसे में जब कोई व्यक्ति प्लाट लेने आता है, तो वो यह देखकर आकर्षित हो जाता है। ऐसी एक-दो नहीं, करीब 50 से अधिक अवैध कॉलोनियां बन रही हैं। हालांकि, एक बार कॉलोनी में प्लाट बेचने के बाद तथा कथित बिल्डर कभी वहां पलटकर नहीं देखते हैं। एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जिले में अवैध कॉलोनियों को चिह्नित कर कार्रवाई करने के निर्देश सभी एसडीएम को दिए गए हैं। पिछले महीनों में अवैध कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी किए गए थे। इसके बाद जिन कॉलोनाइजरों ने दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं, उन पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।  -कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर

मध्य प्रदेश में प्रमोशन प्रक्रिया को मिल सकती है रफ्तार, हरी झंडी मिली तो दिसंबर तक होंगे प्रमोशन

भोपाल  मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए नए पदोन्नति नियम को लेकर हाई कोर्ट जबलपुर की सुनवाई में सरकार का जोर इस बात पर है कि नौ वर्ष से प्रदेश में पदोन्नतियां बंद हैं। इससे कर्मचारी हतोत्साहित हैं। सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण को ध्यान में रखते हुए जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक सशर्त पदोन्नति दी जाएगी। यदि सब-कुछ ठीक रहा और निर्णय सरकार के पक्ष में आया तो दिसंबर तक सभी पात्र कर्मचारियों को एक-एक पदोन्नतियां दे दी जाएंगी। हाई कोर्ट जबलपुर में सरकार की ओर से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन की अनुपस्थिति को आधार बनाकर सुनवाई की तिथि आगे बढ़ाने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार किया गया। सरकार का जोर इस बात पर है कि सशर्त ही सही पर नौ वर्ष से बंद पदोन्नति का सिलसिला प्रारंभ हो जाए। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है, इसलिए पदोन्नति दी भी जाती है तो वह अंतिम निर्णय के अधीन ही रहेगी। सभी वर्ग के कर्मचारी हो रहे प्रभावित इसमें किसी को कोई परेशानी भी नहीं होनी चाहिए क्योंकि प्रभावित तो सभी वर्ग के कर्मचारी हो रहे हैं। वहीं, सामान्य वर्ग के याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका को वापस ना लेने पर प्रश्न खड़ा कर रहे हैं। सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था (सपाक्स) का कहना है कि जब सरकार ने यह मान लिया है कि पुराने नियम दोषपूर्ण थे और हाई कोर्ट ने उन्हें जो निरस्त किया वह सही था तो फिर याचिका वापस लेने में आपत्ति क्या है। जब नियम ही गलत थे तो जो पदोन्नतियां उससे हुईं वे वापस ली जानी चाहिए यानी पदोन्नत अधिकारियों-कर्मचारियों को पदावनत करके वरिष्ठता सूची तैयार की जाए और फिर पदोन्नतियां हों। अभी जो स्थिति है, उसमें तो सामान्य वर्ग का नुकसान ही नुकसान है।ये पहले ही विसंगतिपूर्ण पदोन्नति नियम के कारण पिछड़ गए हैं और अब फिर वही स्थिति बनाने का प्रयास हो रहा है। जो नए नियम हैं वे भी सामान्य वर्ग के हितों का संरक्षण नहीं करते हैं। विभागों ने शुरू कर दी थी पदोन्नति की तैयारियां विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के नियमित साढ़े सात लाख अधिकारियों-कर्मचारियों में से साढ़े तीन से चार लाख कर्मचारी पदोन्नति के पात्र होंगे। नए नियम बनाने के साथ ही इन्हें पदोन्नति देने की तैयारियां भी विभागों ने प्रारंभ कर दी थी। विभागीय पदोन्नति समिति के गठन के साथ कर्मचारियों के सेवा अभिलेख के आधार पर प्रस्ताव भी तैयार हो चुके हैं। नगरीय विकास एवं आवास, लोक निर्माण सहित अन्य विभागों और विधानसभा सचिवालय ने तैयारी करके रखी है। यदि जल्द ही नियम को हरी झंडी मिल जाती है तो दिसंबर तक पात्र अधिकारियों-कर्मचारियों को एक पदोन्नति दे दी जाएगी। यथास्थिति भी होगी स्पष्ट सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में यथास्थिति को भी स्पष्ट करने के लिए कहा है। दरअसल, सपाक्स का कहना है कि भले ही नए नियम बना दिए गए हैं लेकिन जब तक यथास्थिति है, तब तक पदोन्नति नहीं हो सकती है। वहीं, सरकारी पक्ष का कहना है कि यथास्थिति संदर्भ में है जिसमें पदोन्नत कर्मचारियों को पदावनत करने की बात उठाई जा रही है।

TikTok की चीन से विदाई, ट्रंप की चाल के बाद नया मालिक कौन?

न्यूयॉर्क अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक को लेकर बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने  एक्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन किया है, जिसमें TikTok के अमेरिकी ऑपरेशन्स को बेचने की मंजूरी दी गई है. यानी टिकटॉक का अमेरिकी ऑपरेशन किसी अमेरिकी इन्वेस्टर ग्रुप को बेचने की मंजूरी दे दी गई है.  ये अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद था. अमेरिका ने कई बार टिकटॉक को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है. ऐसे में अगर टिकटॉक का ऑपरेशन किसी अमेरिकी कंपनी को मिलेगा, तो इससे ऐप को अमेरिका में बैन नहीं किया जाएगा.  कितनी लगाई गई है कीमत? रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने बताया कि टिकटॉक अमेरिका की वैल्यू 14 अरब डॉलर लगाई गई है. ट्रंप के एक्जीक्यूटिव ऑर्डर की वजह से टिकटॉक पर बैन फिलहाल के लिए टल गया है. एक्जीक्यूटिव ऑर्डर डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस को कानून को लागू करने से रोकता है, जिसके तहत टिकटॉक की पैरेंट कंपनी ByteDance को देश भर में बैन किया जाना था.  कौन होगा नया मालिक और क्या बदलेगा? डील के तहत TikTok US अब नए बोर्ड ऑफ डायरेक्ट नियुक्त करेगा. साथ ही एल्गोरिद्म रिकमेंडेशन, सोर्स कोड और कंटेंट मॉडरेशन सिस्टम को भी नए मालिक को ट्रांसफर किया जाएगा. ट्रंप के एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के बाद, Oracle अब TikTok US के सिक्योरिटी ऑपरेशन्स को हैंडल करेगा और क्लाउड सर्विस भी ऑफर करेगी.  इसके अलावा Oracle, Silver Lake और अबू धाबी बेस्ड MGX ग्रुप नई इकाई में 45 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी. वेंस ने रॉयटर्स को बताया, 'शुरुआत में चीन की ओर से कुछ प्रतिरोध था, लेकिन हम चाहते थे कि टिकटॉक काम करता रहे. हम ये भी चाहते थे कि अमेरिकी डेटा सुरक्षित रहे.' चीनी राष्ट्रपति से ट्रंप ने की बात ट्रंप ने भी रिपोर्टर्स ने बातचीत ने कहा कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात की और उन्होंने इस पर अपनी सहमति दी थी. डोनाल्ड ट्रंप ने बताया, 'मैंने उनसे (शी जिनपिंग) बताया कि हम ये करने जा रहे हैं और उन्होंने कहा आप करिए.' उन्होंने ये भी बताया कि अब TikTok US पूरी तरह से अमेरिका द्वारा ऑपरेट किया जाएगा.  ट्रंप ने ये भी कहा है कि टिकटॉक के नए मालिक इस बात का ख्याल रखेंगे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल प्रोपेगेंडा फैलाने में ना हो. हालांकि, इस पूरे मामले पर ByteDance ने कोई जानकारी नहीं दी है. कंपनी ने पहले ऐसा जरूर कहा था कि वे टिकटॉक को अमेरिका में बनाए रखने के लिए पूरी तरह से कानून का पालन करेंगे.

ट्रंप का बड़ा फैसला: दवाओं और ट्रकों पर भारी टैक्स, 1 अक्टूबर से लागू

नई दिल्ली अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपनी व्यापारिक नीतियों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने सीधे दवा उद्योग को निशाना बनाते हुए विदेशी फार्मा कंपनियों पर बड़ा फैसला सुनाया है, जो भारत समेत कई विकासशील और विकसित देशों को प्रभावित कर सकता है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एलान किया कि 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका में किसी भी ब्रांडेड या पेटेंटेड दवा उत्पाद पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा – अगर वह अमेरिका में निर्मित नहीं हो रही है। यानी, कोई कंपनी यदि अमेरिका में फार्मा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित नहीं कर रही है, तो उसे इस भारी-भरकम टैक्स का सामना करना पड़ेगा। दवा कंपनियों पर सीधा असर यह फैसला उन देशों के लिए झटका है जो अमेरिका को बड़ी मात्रा में दवा उत्पाद निर्यात करते हैं। भारत, जो विश्व के सबसे बड़े जेनेरिक दवा उत्पादकों में से एक है, उसके लिए यह निर्णय न सिर्फ आर्थिक, बल्कि रणनीतिक मोर्चे पर भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई कंपनी अमेरिका में निर्माण कार्य वास्तव में शुरू कर चुकी है, तो उस पर टैरिफ लागू नहीं होगा। “IS BUILDING” का मतलब केवल योजनाएं बनाना नहीं, बल्कि निर्माण स्थल पर वास्तविक कार्य होना चाहिए। फर्नीचर और घरेलू सामान पर भी टैरिफ ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति सिर्फ दवा उद्योग तक सीमित नहीं रही। उन्होंने ऐलान किया कि: -किचन कैबिनेट्स और बाथरूम वैनिटीज पर 50% टैरिफ -अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर (गद्देदार फर्नीचर) पर 30% टैरिफ -भारी ट्रकों और अन्य घरेलू उत्पादों पर भी उच्च टैरिफ लगाए जाएंगे। ट्रंप का कहना है कि विदेशी कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में जरूरत से ज्यादा सामान भर दिया है, जिससे स्थानीय निर्माण उद्योग पर सीधा असर पड़ा है। टैरिफ लगाना अब जरूरी हो गया है ताकि अमेरिका फिर से अपनी उत्पादन क्षमता हासिल कर सके। कई देशों पर नई टैरिफ दरें ट्रंप ने अगस्त में भी कई देशों पर टैरिफ बढ़ाए थे, जो अब लागू हो चुके हैं: भारत: 50% टैरिफ रूस: 25% अतिरिक्त जुर्माना ब्राज़ील: 50% टैरिफ दक्षिण अफ्रीका: 30% टैरिफ वियतनाम: 20% टैरिफ जापान व दक्षिण कोरिया: 15% टैरिफ अमेरिका फर्स्ट की वापसी? ट्रंप की इन घोषणाओं को उनकी पुरानी रणनीति America First का विस्तार माना जा रहा है। वे पहले भी टैरिफ को हथियार की तरह इस्तेमाल करते रहे हैं – चाहे वह चीन के साथ ट्रेड वॉर हो या यूरोपीय उत्पादों पर शुल्क। इस नई घोषणा से अमेरिका में फार्मा इंडस्ट्री को तो बढ़ावा मिलेगा, लेकिन वैश्विक व्यापार संतुलन पर इसका गहरा असर पड़ेगा।