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सेमरा में 23-24 अक्टूबर को जिला स्तरीय पशु-पक्षी प्रदर्शनी और प्रतियोगिता का आयोजन

गौरेला पेंड्रा मरवाही पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग के सौजन्य से जिला स्तरीय पशु पक्षी प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता का आयोजन ग्राम सेमरा में स्वामी आत्मानंद स्कूल के पास 23 और 24 अक्टूबर को सुबह समय 10 बजे से अपरान्ह 3 बजे तक आयोजित किया जा रहा है। प्रतियोगिता में सभी कृषको एवं पशुपालको से आग्रह किया गया है कि अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाएं। 23 अक्टूबर को प्रदर्शनी का उद्घाटन, वतस्य एवं कृषकों से परिचर्चा होगी। 24 अक्टूबर को विभिन्न प्रजाति, नस्ल, आयु समूह तथा उपयोगिता आधारित पशु पक्षी प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें दुधारू गाय भैंस प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता, उन्नत बछिया प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता, स्वस्थ बछड़ा बछिया प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता, सांड प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता, बैल भैंस प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता, मुर्गी बतख, जापानी बटेर पक्षी प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता, उन्नत बकरा बकरी प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता, उन्नत सूकर प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता और विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार  विजेताओं को वितरण किया जाएगा।

गोवर्धन पर्व: प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व और समग्र विकास का पर्व – डॉ. मोहन यादव

गोवर्धन पर्वः प्रकृति से सह-अस्तित्व और समग्र विकास का उत्सव डॉ. मोहन यादव भोपाल आप सभी को दीपोत्सव, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव की शुभकामनाएं और बधाई… दीपावली के उत्सव की श्रृंखला में आरोग्य, आर्थिक समृद्धि, परिवार एवं समाज समन्वय और पर्यावरण संरक्षण का संदेश है। दीपावली के अगले दिन होने वाला गोवर्धन पर्व प्रकृति, पर्वत और गौ-वंश संरक्षण की भारतीय प्राचीन परंपरा का प्रतीक है। इस परंपरा का साक्षात दर्शन हमें भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण करने से मिलता है। मानवता की रक्षा के इसी पावन स्मृति में गोवर्धन पूजन किया जाता है। इस पर्व में गौ-धन के संवर्धन की प्रेरणा है जो भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें भारतीय समाज की वह जीवनदृष्टि समाहित है, जिसमें प्रकृति, पशु, मनुष्य और देवत्व का संतुलन देखने को मिलता है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हम प्रदेशभर में गोवर्धन पर्व का आयोजन कर रहे हैं। यह पर्व सभी जिलों में लोक अनुष्ठान और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार मनाया जा रहा है। आयोजन में पशुपालन तथा दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में नवाचार करने वाले उद्यमियों को सम्मानित किया जायेगा। इस अवसर पर पशुपालन, कृषि और सहकारिता विभाग की जन-कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी के साथ लोगों को जोड़ने और ग्रामीण आजीविका के लिए दुग्ध उत्पादन और वृंदावन ग्राम योजना के विस्तार की गतिविधियों का संचालन शुरू किया गया है। हमारे पर्व-परंपराओं में प्रकृति से सह-अस्तित्व और समग्र विकास का भाव है। इसी कड़ी में गोवर्धन पर्व प्रकृति और प्राणियों के बीच समन्वय और संरक्षण से जुड़ा है। इस दिन गोबर से पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा की जाती है। पर्वत का प्राकृतिक संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान है। पर्वत जल संरक्षण, संवर्धन और ऋतुओं के संतुलन का समन्वय करते हैं। इससे नदी, तालाब तथा अन्य जलस्रोत सुरक्षित रहते हैं। गोवर्धन पूजन में पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संकल्प भी है। हमारा प्रयास है कि इस पर्व के माध्यम से प्रकृति और पशुधन का महत्व नई पीढ़ी तक पहुंचे। मध्यप्रदेश अपनी प्राकृतिक संपदा के साथ गौ-वंश से समृद्ध है। गौ-माता में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। हमने वर्ष 2024-25 को गौ-संरक्षण एवं संवर्धन वर्ष के रूप में मनाया। हम पशुपालक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रयासरत हैं। देश के दुग्ध उत्पादन का 9 प्रतिशत मध्यप्रदेश में होता है इसे 20 प्रतिशत तक करना हमारा लक्ष्य है। इसके लिए प्रदेश के गांव-गांव में दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के अंतर्गत घर-घर जाकर पशुपालकों को पशुओं में नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान, पशुओं के टीकाकरण, स्वास्थ्य रक्षा, संतुलित पशु आहार, पशु पोषण आदि के बारे में तकनीकी और व्यवहारिक जानकारी दी जा रही है। इन सभी प्रयासों से हम मध्यप्रदेश को दुग्ध केपिटल बनायेंगे। मुझे इस बात का संतोष है कि मध्यप्रदेश सरकार गौ-पालन, गौ-संवर्धन के लिए संकल्पित है। हमने गौ-शालाओं के लिए अनुदान को 20 रुपये प्रति गौ-वंश प्रतिदिन से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति गौ-वंश प्रतिदिन किया है। गौ-वंश के भरण-पोषण के लिए दो वर्ष पहले बजट 90 करोड़ रुपये था, जिसे 250 करोड़ रुपये किया गया और अब यह राशि बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में ग्वालियर में देश की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौ-शाला परिसर में कम्प्रेस्ड बायो गैस संयंत्र की स्थापना की गई है। प्रदेश में नवीन गौ-शालाओं का निर्माण, प्रति गाय अनुदान राशि बढ़ाने, गौ-उत्पादकों को प्रोत्साहन, गोबर से सीएनजी निर्मित करने वाले आधुनिक प्लांट की स्थापना तथा नेशनल डेयरी विकास बोर्ड के साथ करार जैसे नवाचार किये गये हैं। हमारे लिए खुशी की बात है कि मध्यप्रदेश में किसानों और पशुपालकों को लाभान्वित करने के लिये 2900 गौ-शालाएं हैं। मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना के अंतर्गत 2203 गौ-शालाओंका संचालन हो रहा है। विगत एक वर्ष में एक हजार से अधिक नवीन गौ-शालाएं प्रारंभ की गई हैं। गौ-वंश के आश्रय एवं भरण-पोषण के लिए नगर पालिक निगम ग्वालियर, उज्जैन और इंदौर में गौ-शालाएं खोली गई हैं। भोपाल में 69.18 एकड़ भूमि पर 10 हजार गौ-वंश क्षमता की गौ-शाला का निर्माण किया जा रहा है। गौ-अभयारण्य अनुसंधान एवं उत्पादन केन्द्र, सालरिया, जिला आगर-मालवा में वर्तमान में 6500 गौ-वंश का पालन-पोषण किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में गौ-वंश का संवर्धन दुग्ध उत्पादन से रोज़गार और स्वरोज़गार का बड़ा स्रोत होगा। महिलाओं की आत्मनिर्भरता में भी दुग्ध व्यवसाय का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश में जिस तरह खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया गया और हमारे किसान भाइयों ने उपज का भंडार भर दिया, उसी तरह दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुपालकों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इससे प्रदेश में गौ-वंश पालन बढ़ेगा, कृषि की पारंपरिक व्यवस्था को आधार प्राप्त होगा और प्राकृतिक खेती को सहयोग मिलेगा। रसायन रहित पौष्टिक अन्न तथा अन्य वस्तुओं का उत्पादन जहां स्वास्थ्य के लिये लाभदायी होगा, वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। गौ-संवर्धन रोज़गार सृजन के साथ समाज को सांस्कृतिक मजबूती प्रदान करता है और सु-संस्कृत, स्वस्थ और सबल समाज का निर्माण करता है, जिससे सतत और समर्थ अर्थव्यवस्था का विकास संभव है। यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि यहां विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत की विपुल वन संपदा है। प्रदेश की समृद्धि और आत्मनिर्भरता पर्वतों और गौ-वंश के संरक्षण से जुड़ी है, जो मध्यप्रदेश और देश की प्रगति का आधार है। मुझे प्रसन्नता है कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश सरकार गौ-सेवा, जैविक कृषि और दुग्ध उत्पादन से ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संकल्पित है। गोवर्धन पर्व के अवसर पर मेरा प्रदेश की जनता से आग्रह है कि हम सब मिलकर गोवर्धन पर्व-परंपरा के संकल्प को आत्मसात करें और विकसित मध्यप्रदेश के निर्माण में सहभागी बनें।    

दीपावली 2025: 71 साल बाद आए ये खास पांच संयोग, शुभ मुहूर्त से करें धन की प्राप्ति

रुड़की दीपावली पर्व को लेकर संशय की स्थिति 125 वर्ष पूर्व 1900 और 1901 में बनी थी। वहीं 2024 के बाद अब लगातार दूसरे साल 2025 में भी ऐसी स्थिति बन रही है। उधर, इस बार दीपावली पर 71 वर्ष बाद पांच महासंयोग पड़ रहे हैं। जिनमें हंस राजयोग, बुधादित्य योग, कलानिधि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग तथा आदित्य मंगल योग शामिल है। ये योग पड़ने से दीपावली खास होगी। यह पर्व सुख-समृद्धि और खुशहाली लेकर आएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल बताते हैं कि पिछले वर्ष की तरह इस साल भी दीपावली पर्व को लेकर संशय की स्थिति बन रही है। हालांकि वाराणसी के सभी पंचांगों में 20 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्देश दिया गया है। लेकिन अन्य पंचांग में सूर्यास्त के अनुसार 21 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्देश है। आचार्य शुक्ल ने बताया कि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि का प्रारंभ दोपहर बाद 3:45 पर होगा। 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि सायंकाल 5:55 तक व्याप्त रहेगी। 21 अक्टूबर को प्रदोष व्यापिनी और निशीथ कालव्यापिनी अमावस्या न होने से 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मानने का निर्देश दिया गया है। जबकि निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु आदि ग्रंथों के अनुसार दीपावली पर्व 21 अक्टूबर को भी मनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दीपावली (20 अक्टूबर) पर पांच महासंयोग पड़ने से गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में गोचर करेंगे। घरों में पूजन को संध्या में 5:45 से 8:20 के मध्य उत्तम समय दीपावली पर सोमवार को व्यावसायिक पूजन का समय दोपहर लगभग 1:30 से सायंकाल 6:00 बजे के मध्य उचित रहेगा। इस दौरान चर लाभ, अमृत चौघड़िया तथा स्थिर लग्न विद्यमान होगा। इस अवधि में खरीदारी करना भी बहुत शुभ रहेगा। वहीं घरों में पूजन का समय प्रदोष काल के समय संध्या में लगभग 5:45 से 8:20 के मध्य उत्तम रहेगा। इस दौरान स्थिर लग्न एवं चर चौघड़िया रहेगी। निशीथ काल का समय रात्रि लगभग 8:20 से 10:55 के मध्य का होगा। इस दौरान साधना आदि के लिए उचित समय रहेगा। महानिशा काल का समय रात्रि लगभग 10:50 से 1:30 तक रहेगा। यह समय तांत्रिक क्रियाएं तथा सिद्धियां करने वालों के लिए उचित रहेगा। माता लक्ष्मी की विधिविधान से पूजा के बाद करें श्रृंगार अर्पण आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि दीपावली पर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा इंद्र, वरुण, यम, कुबेर आदि की पूजा करनी चाहिए। माता लक्ष्मी की विधिविधान से पूजा करने के बाद श्रृंगार अर्पण करना चाहिए। इसके बाद श्री लक्ष्मी सूक्त, श्री सूक्त, कनकधारा स्तोत्र और पुरुष सूक्त का पाठ करके मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घर में सुख-समृद्धि आती है।  

Vinod Khanna की सुपरहिट फिल्म जिसने 1978 में Diwali पर किया था तहलका, रिकॉर्ड आज भी कायम!

नई दिल्ली दीवाली के फेस्टिव सीजन की बहार हर तरफ नजर आ रही है। सिनेमा जगत के लिए भी दीवाली का ये पर्व हमेशा से खास रहा है। इस आधार पर हम आपको वेटरन एक्टर रहे विनोद खन्ना (Vinod Khanna) की एक ब्लॉकबस्टर फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने दीवाली रिलीज के तौर पर बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई करके दिखाई थी। रिलीज के 47 साल बाद विनोद की इस मूवी का एक अटूट रिकॉर्ड आज भी कायम है। ऐसे में आइए जानते हैं कि यहां कौन सी फिल्म के बारे में जिक्र किया जा रहा है। दीवाली की सबसे हिट विनोद खन्ना की ये मूवी फिल्मों की रिलीज के लिए दीवाली का सीजन बेहद अहम और खास रहता है। ज्यादातर फिल्में दीवाली के मौके पर कमाई के मामले में शानदार कलेक्शन करके दिखाती हैं, लेकिन कुछ मूवीज ऐसी भी रही हैं, जिन्होंने इतिहास रचा है। ऐसे ही एक फिल्म को साल 1978 में सिनेमाघरों में रिलीज किया गया गया था, तारीख थी 27 अक्टूबर और उस साल दीवाली 31 अक्टूबर को मनाई गई थी। फिल्म का नाम था मुकद्दर का सिकंदर (Muqaddar Ka Sikandar), जिसमें विनोद के अलावा सुपरस्टार अमिताभ बच्चन भी लीड रोल में मौजूद थे।  प्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी इस मूवी में रेखा, राखी, अमजद खान और रंजीत जैसे अन्य कई कलाकारों ने अहम भूमिका को अदा किया था। आलम ये रहा था कि शानदार कहानी और स्टार कास्ट की कमाल की एक्टिंग की बदौलत मुकद्दर का सिकंदर घरेलू बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी। मूवी का नेट कलेक्शन 9 करोड़ रहा था, जबकि इसकी लागत 1 करोड़ रही थी।  मुनाफे के आधार पर देखा जाए तो मुकद्दर का सिकंदर दीवाली के मौके पर सबसे अधिक प्रॉफिट कमाने वाली एकमात्र हिंदी फिल्म मानी जाती है और 47 साल बाद भी फिल्म का ये रिकॉर्ड कायम है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।   इस दीवाली पर रिलीज होंगी ये मूवीज गौर किया जाए 2025 की दीवाली की तरफ तो इस बार दो फिल्मों के बीच बॉक्स ऑफिस क्लैश देखने को मिलेगा। एक तरफ हॉरर कॉमेडी फिल्म थामा (Thamma) है और दूसरी तरफ लव स्टोरी थ्रिलर एक दीवाने की दीवानियत (Ek Deewane Ki Deewaniyat) है। ऐसे में ये देखना दिलचस्प रहेगा कि इस बार दीवाली पर कमाई के मामले में कौन सी मूवी बाजी मारेगी।   

‘इनवर्टेड ग्राउंडस्क्रेपर’: 4000 करोड़ में तैयार इस होटल के अंदर है झरने जैसी खूबसूरती

नई दिल्ली दुनिया में ऐसी कई इमारतें हैं, जो अपनी अनोखी आर्किटेक्चर के लिए जानी जाती हैं। इस लिस्ट में चीन के एक खास होटल का नाम भी शामिल है। यह होटल एक खदान के अंदर बना है और वॉटर फॉल होटल के नाम से जाना जाता है। आइए जानें क्यों इसे यह नाम मिला और इस होटल की खासियत क्या है। खदान के अंदर बना है होटल चीन के शंघाई शहर के सोंगजियांग जिले में स्थित इंटरकॉन्टिनेंटल शंघाई वंडरलैंड होटल आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग का एक शानदार उदाहरण है। यह अनोखा होटल एक पुरानी खदान के अंदर बना है, जिसकी वजह से इसे 'क्वारी होटल' या 'खदान होटल' के नाम से भी जाना जाता है।    क्यों कहा जाता है वॉटरफॉल होटल? होटल की सबसे खास बात इसकी संरचना है, जो 88 मीटर गहरी खदान की दीवारों में बनाई गई है। इसमें कुल 18 मंजिलें हैं, जिनमें से 16 भूमिगत और दो मंजिलें पानी के नीचे स्थित हैं। इसके सामने 90 मीटर ऊंचा कृत्रिम झरना होटल की खूबसूरती में चार चांद लगाता है, जिसके कारण इसे 'वॉटरफॉल होटल' भी कहा जाता है। 4 हजार करोड़ में बनाया गया होटल इस होटल का इतिहास काफी दिलचस्प है। इस खदान को 1950 के दशक में जापानियों ने युद्ध के दौरान बंकर बनाने के लिए खोदा था। बाद में इसे आंशिक रूप से पानी से भरकर एक आर्टिफिशियल झील में बदल दिया गया। साल 2006 में शंघाई के एक प्रॉपर्टी ग्रुप ने इस जगह में संभावना देखी और इसे एक लग्जरी होटल में तब्दील करने का फैसला किया। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2009 में हुई और इसे पूरा करने में करीब 4 हजार करोड़ रुपये की लागत आई। इनवर्टेड ग्राउंडस्क्रेपर के नाम से भी जाना जाता है इस होटल को डिजाइन करने के लिए कई मशहूर आर्किटेक्चर फर्म्स को चुना गया। होटल की डिजाइन में फेंगशुई के प्रिंसिपल्स को अपनाया गया है और इसे 'इनवर्टेड ग्राउंडस्क्रेपर' कहा जाता है, क्योंकि यह ऊपर की बजाय नीचे की ओर बना है। ऊपर से देखने पर इसका आकार 'एस' जैसा दिखता है। होटल को पर्यावरण के लिए जागरूक बनाते हुए एक सिंगल यूज प्लास्टिक-फ्री होटल के रूप में विकसित किया गया है। यह एक 'ब्राउनफील्ड रिवाइवल प्रोजेक्ट' है, जिसमें छोड़ी हुई जमीन का इस्तेमाल किया गया है। आराम और रोमांच का अनुभव इस होटल में ठहरना केवल आराम का नहीं, बल्कि रोमांच का भी अनुभव है। यहां क्लिफ के किनारे बने विला और पानी के नीचे बने सुइट्स हैं, जहां कांच की दीवारों से मेहमान सीधे झील के भीतर का नजारा देख सकते हैं। होटल में कुल 337 कमरे हैं, जिनमें से हर एक में वॉइस-कंट्रोल सिस्टम जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। खाने-पीने के लिए होटल में पानी के नीचे बना सीफूड रेस्टोरेंट, कैंटोनीज फाइन डाइनिंग और क्वारी बार जैसे ऑप्शन मौजूद हैं। इसके अलावा, होटल में वॉटर स्पोटर्स एरिया, इंफिनिटी पूल और स्पा की सुविधा भी है। रोमांच पसंद करने वालों के लिए पास के थीम पार्क में जिपलाइन, बंजी जंप, रॉक क्लाइम्बिंग और ग्लास वॉकवे जैसी गतिविधियां मौजूद हैं।  

दीपावली के दिन भी नहीं मिली राहत, जेल से छूटते ही अनूप शुक्ला को गिरफ्तार किया गया

कानपुर दीपावली के एक दिन पहले जेल से बाहर आए अनूप शुक्ला को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। तीन माह पूर्व रंगदारी के मामले में जेल गए दीनू गैंग के सदस्य अधिवक्ता अनूप शुक्ला को रविवार को नौबस्ता पुलिस ने जेल से छूटते ही फिर से गिरफ्तार कर लिया। नौबस्ता पुलिस ने यह कार्रवाई कूटरचित दस्तावेजों से धोखाधड़ी,धमकाने और रंगदारी के मामले में की है। आरोपित अधिवक्ता ने मामले में कोर्ट में पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में सरेंडर किया था। सीसामऊ से रंगदारी के मुकदमे में फरार चल रहे अधिवक्ता अनूप शुक्ला के घर की पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर 20 अगस्त को कुर्की की थी। इस दौरान पुलिस को चकमा देकर अधिवक्ता ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया गया जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। रविवार सुबह करीब आठ बजे अधिवक्ता अनूप शुक्ला को जेल से जैसे ही रिहा किया गया नौबस्ता पुलिस ने कूटरचित दस्तावेजों से धोखाधड़ी,धमकाने और रंगदारी के मामले में गिरफ्तार कर लिया। नौबस्ता थाना प्रभारी बहादुर सिंह ने बताया कि आरोपित अधिवक्ता को जेल गेट से गिरफ्तार किया गया है उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा जाएग। 

शराब के शौकीनों के लिए खबर: दिल्ली में आज कोई दुकान नहीं खुलेगी

नई दिल्ली दिवाली के पावन पर्व के अवसर पर आज दिल्ली में शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि सोमवार को राजधानी में किसी भी शराब की दुकान को संचालित करने की अनुमति नहीं होगी। यह निर्णय त्योहार के दौरान शांति और मर्यादा बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। विभाग ने सभी शराब विक्रेताओं को निर्देश दिया है कि वे इस आदेश का सख्ती से पालन करें। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में हर साल त्योहारों के दौरान शराब की बिक्री पर रोक लगाने की परंपरा रही है, ताकि उत्सव का माहौल शांतिपूर्ण रहे। नागरिकों से भी अपील की गई है कि वे इस नियम का सम्मान करें।  

आलू की कमाई बढ़ाने का तरीका: दीघोट में उन्नत बीज और सिंचाई के गुर किसानों के लिए

होडल खंड के दीघोट गांव में किसान कल्याण मंच के तत्वाधान में किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर किसानों को शरद ऋतु में आलू की उन्नत खेती एवं अधिक पैदावार कैसे लें विषय पर जानकारी दी गई। कार्यक्रम में डाॅ. महावीर सिंह मलिक मुख्य रूप मौजूद रहे, जबकि अध्यक्षता सरपंच ललित द्वारा एवं संचालन वीर सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर डाॅ. महावीर सिंह मलिक ने बताया कि आजकल आलू बिजाई का उचित समय चल रहा है,आलू की बाजार में सदैव मांग रहती है तथा अन्य सब्जियों की अपेक्षा इसका भाव भी अच्छा मिलता है। इसलिए किसान आलू की खेती करके काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं।  उन्होंने बताया कि आलू में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज लवण, प्रोटीन तथा उपयोगी अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में होते हैं। आलू का उपयोग आम आदमी की रसोई से लेकर महंगे होटलों में लजीज व्यंजन बनाने जैसे पापड़, चिप्स, चटनी, रायता व पकौड़े आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है, अपनी अत्यधिक उपयोगिता के कारण से ही आलू को सब्जियों का सम्राट भी कहा जाने लगा है। मलिक ने बताया कि आलू की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए किसान इसकी उन्नत तकनीक से खेती करके मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। आलू की अधिकतम पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का प्रमाणित बीज, उचित समय पर बिजाई, संतुलित खादों का प्रयोग, समुचित सिंचाई तथा फसल को रोग व सर्दियों में पड़ने वाले पाले से सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि आलू की कुफरी बादशाह, कुफरी सतलुज, कुफरी सिंदरी, कुफरी स्वाति, कुफरी गंगा, कुफरी नीलगिरी आदि अच्छी पैदावार देने वाली किस्में है। आलू का स्वस्थ्य एवं विषाणु रहित बीज किसी भी प्रमाणित संस्था से लेना चाहिए। कोल्ड स्टोर से निकलने के बाद बीज को बोने से 10 से 12 दिन पहले छायादार स्थान में रखकर अंकुरित कर लेना चाहिए, क्योंकि आलू की बिजाई का समय अक्टूबर माह है। इसकी अगेती बिजाई सितंबर के आखिरी सप्ताह में भी की जाती है। आलू को शरदकालीन गन्ना में अतः फसल के रूप में उगाकर दोहरा लाभ भी कमाया जा सकता है। कार्यक्रम में रामसिंह,बाबू ,रामस्वरूप, बुधन,राजवीर, शीशराम, लच्छी, हरी, तुहिराम आदि किसान मौजूद थे।     हल्की से भारी दोमट मिट्टी इसके लिए उपयोगी है। खेत में गोबर की खाद डालकर अच्छी तरह जुताई करके तैयार कर लेना चाहिए।     आलू का 10 से 12 कुंतल बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होता है तथा लाइन से लाइन का फैसला 60 सेंटीमीटर और केंद्र से केंद्र का फासला 20 सेंटीमीटर रखकर बिजाई करें। अगर केंद्र बड़े हो तो फैसला थोड़ा बढ़ा दे।     30 से 60 ग्राम वजन का आलू बीज बिजाई के लिए उपयुक्त रहता है तथा एक एकड़ के बीज को 250 ग्राम मैंकोजेब दवा को 100 लीटर पानी में मिलाकर उपचारित करने से बीज जनित बीमारियों से बचाव हो जाता है।     आलू में सामान्य सिफारिश के अनुसार 150 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 65 किलोग्राम में म्यूरेट पोटाश और 70 किलोग्राम यूरिया व 10 किलो जिंक सल्फेट बिजाई के समय ही डाल देना चाहिए।     बाद में 30 किलोग्राम यूरिया बोने के 25 से 30 दिन बाद डालकर मिट्टी चढ़ा दे। आलू में पहली सिंचाई बिजाई के 8-10 दिन बाद की जाए तथा बाद की सिंचाईय 10-15 दिन के अंदर पर करते रहें।     आलू में सिंचाई हल्की करें ताकि आलू की मेड़ दो तिहाई से ज्यादा पानी में न डूबे। यदि पानी हल्का तैलीय हो तो जांच के आधार पर जिप्सम का प्रयोग सिंचाई के साथ डालना चाहिए।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव का संदेश: त्यौहार मनाएं सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को संजोते हुए

प्रदेश की सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक विरासत को सहेजने के भाव से मनाएं आगामी त्यौहार : मुख्यमंत्री डॉ. यादव गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाए धूमधाम से आत्मनिर्भर भारत और जीएसटी उत्सव का सभी विधानसभा क्षेत्रों में हो आयोजन दीपावली पर स्वदेशी वस्तुओं के क्रय-विक्रय को करें प्रोत्साहित सभी जिलों में सामाजिक समरसता पर हों कार्यक्रम दीपावली पर वृद्धाश्रम, गरीब बस्तियों और अनाथ आश्रमों में साझा की जाएं खुशियां कलेक्टर्स, संवेदनशील घटनाओं और खबरों पर तत्काल लें संज्ञान सभी ओर हो पुलिस की उपस्थिति : जनसामान्य करे सुरक्षा की भावना महसूस मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आगामी त्यौहारों के संबंध में वर्चुअल कॉन्फ्रेंस से किया संबोधित सांसद, विधायक, सहित सभी जिलों के कलेक्टर-पुलिस अधीक्षक-नगरीय निकायों के पदाधिकारी और अधिकारी वीसी में हुए शामिल भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश की सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक विरासत को सहेजने के लिए आगामी 21 और 22 अक्टूबर को प्रदेश के सभी जिलों के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों और गौशालाओं में गोवर्धन पूजा का आयोजन धूमधाम से किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के दुग्ध उत्पादन को 20% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर प्राकृतिक खेती और पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए गतिविधियों का संचालन किया जाए। इन आयोजनों में मंत्री, सांसद, विधायक, नगरीय निकायों के पदाधिकारी, पंचायत प्रतिनिधियों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल हों। स्थानीय स्तर पर सक्रिय सांस्कृतिक मंडलों को सम्मिलित करते हुए कार्यक्रमों को उत्सव के रूप में मनाया जाए। पशुपालन विभाग इन आयोजनों के लिए नोडल विभाग रहेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आगामी त्यौहारों के संबंध में रविवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन से सांसद, विधायक, सहित सभी जिलों के कलेक्टर-पुलिस अधीक्षक-नगरीय निकायों के पदाधिकारी और अधिकारियों को वीसी के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्वदेशी दीपावली मनाते हुए आत्मनिर्भर भारत के भाव को सशक्त करने के उद्देश्य से त्यौहारों में स्वदेशी वस्तुओं के क्रय विक्रय को प्रोत्साहित किया जाए। आत्मनिर्भर भारत और जीएसटी उत्सव के कार्यक्रम आगामी 25 दिसंबर तक जारी रहेंगे। सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी मंत्रीजनप्रतिनिधि और कलेक्टर्स परस्पर समन्वय से तिथियां निर्धारित करते हुए आत्मनिर्भर भारत/जीएसटी उत्सव के कार्यक्रम आयोजित करें। इन आयोजनों में स्वदेशी वस्तुओं के प्रदर्शन एवं क्रय-विक्रय को बढ़ावा दिया जावे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रत्येक जिले में सामाजिक समरसता के आयोजन सम्पन्न किए जायें। इन आयोजनों में सामाजिक चेतनाशील प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाए और सामाजिक समरसता की दिशा में सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए विचार-विमर्श भी हों। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि दिवाली पर्व हम सबके लिए है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से आहवान किया कि वे दीपावली पर वृद्धाश्रम, गरीब बस्तियों और अनाथ आश्रम जाकर उनके साथ दिवाली मनाएं। दिवाली के दूसरे दिन मजदूर मैदान, मजदूर हाट में जाकर श्रमिकों के साथ दिवाली की खुशियां साझा की जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए कि कलेक्टर्स द्वारा संवेदनशील घटनाओं और खबरों पर तत्काल संज्ञान लिया जाए। कलेक्टर्स की यह जिम्मेदारी है कि वे ऐसी घटनाओं और समाचारों के संबंध में प्रभारी मंत्री, स्थानीय सांसद तथा विधायकगण को वस्तुस्थिति से तत्काल अवगत करायें, उनके द्वारा आवश्यकतानुसार मौका स्थल का भ्रमण भी किया जाए। जिला कलेक्टर्स ऐसी सूचनाओं और खबरों पर तत्काल फैक्ट चेक और आवश्यकता हो तो खंडन जारी करें। प्रभारी मंत्री, विभागीय मंत्री, सांसद, विधायक भी भ्रामक और समाज में सद्भावना बिगाड़ने वाली खबरों के संबंध में सही स्थिति रखें। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पुलिस आवश्यक रूप से घनी बस्ती और चौराहों पर रहे, पुलिस बल भी इलाके में घूमें, पुलिस की उपस्थिति जनता के बीच दिखना चाहिए, जिससे जनता में सुरक्षा की भावना महसूस हो। विधायक एवं प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल, संगठन मंत्री हितानंद शर्मा और विधायक भगवानदास सबनानी ने भी अपने विचार रखे।  

मध्य प्रदेश में बदलेगा शिकायत निवारण का सिस्टम, अब मुख्य सचिव देखेंगे लंबित मामलों को

 भोपाल  मुख्यमंत्री (सीएम) हेल्पलाइन की लंबित शिकायतों का शीघ्र समाधान हो, इसके लिए अब संबंधित विभाग के अधिकारी के अलावा लंबित शिकायतें मुख्य सचिव तक पहुंचेंगी। मध्य प्रदेश सरकार एल-4 के बाद अब एल-5 स्तर को भी जोड़ने जा रही है। यहां मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव की निगरानी में लंबित शिकायतों का समाधान होगा। एल-1 यानी पहले स्तर के अधिकारी को जवाबदेह बनाने के लिए कार्रवाई विवरण भरने के कालम में संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे। इसके अलावा अन्य स्तर पर भी अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर करने का नियम लागू किया जाएगा। सीएम हेल्पलाइन-181 में दर्ज समस्याओं के समाधान में लगातार देरी के बीच राज्य सरकार इसमें यह महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है। फोर्स क्लोज करने से पहले शिकायतकर्ता को बताना होगा कारण शिकायतों के निराकरण के लिए एल-1, एल-2, एल-3 व एल-4 हैं। एल-1 से एल-3 तक निराकरण नहीं होता है तो वह एल-4 पर जाती हैं। यहां फिर भी लंबित रहती हैं या उसे फोर्स क्लोज कर दिया जाता है। अब ऐसा करने से पहले एल-5 लेबल पर मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव भी शिकायतों का समाधान करेंगे। इसके अलावा शिकायतकर्ता को यह भी बताना होगा कि उसकी शिकायत को फोर्स क्लोज क्यों किया जा रहा है। गुजरात मॉडल पर होगा काम यह पूरी व्यवस्था गुजरात मॉडल पर होगी। इसके लिए मप्र सरकार के अधिकारियों का एक दल गुजरात भेजा गया था। यहां दल ने गुजरात की सीएम हेल्पलाइन की कार्यप्रणाली और निराकरण करने के तरीके व मानीटरिंग सिस्टम को समझा। गुजरात से आए दल ने मध्य प्रदेश की सीएम हेल्पलाइन की विशेषताओं और खामियों का अध्ययन कर रिपोर्ट पेश की थी। इसमें बताया गया कि एल-1 स्तर पर उचित जिम्मेदारी नहीं होने से शिकायतों के समाधान में देरी होती है। अधिकांश कार्रवाई का विवरण कंप्यूटर आपरेटरों के भरोसे चलता है, जिसमें शिकायत का केवल प्रारंभिक ब्यौरा ही दिया जाता है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही नई व्यवस्था की जा रही है। यह कार्रवाई अभी प्रस्तावित है     गुजरात मॉडल की तर्ज पर मध्य प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन की लंबित शिकायतें के निराकरण के लिए एल-5 स्तर को जोड़ा जा रहा है, इसमें मुख्य सचिव तक शिकायतें भेजी जाएगी। यह कार्रवाई अभी प्रस्तावित है, शासन से अनुमति मिलने पर लागू करेंगे। – संदीप आष्ठाना, अवर सचिव, मुख्यमंत्री सचिवालय