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OnePlus 15 धमाके के साथ एंट्री को तैयार! 7000mAh बैटरी और फ्लैगशिप चिपसेट की होगी ताकत

   OnePlus जल्द ही अपना फ्लैगशिप स्मार्टफोन OnePlus 15 लॉन्च करने वाला है. ब्रांड का ये फोन लॉन्च से पहले ही चर्चा में बना हुआ है. कंपनी इस फोन को जल्द ही चीन में लॉन्च करने वाली है. ये हैंडसेट Qualcomm के दमदार प्रोसेसर के साथ आएगा, जिसे कंपनी ने हाल में ही लॉन्च किया था.  चीन में ये फोन अक्टूबर के अंत में लॉन्च होगा. इसके साथ ही कंपनी OnePlus Ace 6 को भी लॉन्च करेगी. दोनों फोन्स के स्पेसिफिकेशन्स से फिलहाल पर्दा नहीं उठा है. हालांकि, लीक रिपोर्ट्स में अब तक फोन से जुड़ी बहुत सी जानकारियां सामने आ चुकी हैं.  कब लॉन्च होगा फोन?  OnePlus 15 को कंपनी चीन में 27 अक्टूबर को लॉन्च करने वाली है. इसके साथ ही कंपनी OnePlus Ace 6 को भी लॉन्च करेगी. कंपनी ने दोनों हैंडसेट का पहली झलक भी दिखा दी है. इस बार हमें वनप्लस स्मार्टफोन्स के डिजाइन में बदलाव भी देखने को मिलेगा. हालांकि, दोनों फोन्स डिजाइन के मामले में एक दूसरे से मिलते जुलते रहेंगे.  भारतीय बाजार में लॉन्च की बात करें, तो ये दोनों फोन्स OnePlus 15 और OnePlus 15R के नाम से लॉन्च हो सकते हैं. हर साल की तरह संभव है कि कंपनी अपने फ्लैगशिप फोन्स को साल के अंत में लॉन्च करेगी. हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है.  क्या होंगे स्पेसिफिकेशन्स?  OnePlus 15 की बात करें, तो ये कंपनी का पहला फोन होगा जो Snapdragon 8 Elite Gen 5 प्रोसेसर के साथ आएगा. डिस्प्ले के मामले में भी इस फोन में बड़ा अपग्रेड मिलेगा. स्क्रीन 165Hz रिफ्रेश रेट सपोर्ट के साथ आएगा. इसमें 1.5K OLED स्क्रीन मिलेगी. डिवाइस को पावर देने के लिए 7000mAh की बैटरी दी जाएगी. फोन 100W की फास्ट चार्जिंग और 50W की वायरलेस चार्जिंग के साथ आएगा.  OnePlus Ace 6 की बात करें, तो इसमें 1.5K BOE OLED स्क्रीन मिलती है, जो 120Hz रिफ्रेश रेट सपोर्ट करेगा. इसमें अल्ट्रा सोनिक इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर मिलेगा. हैंडसेट Snapdragon 8 Elite प्रोसेसर के साथ आएगा. इसमें 7800mAh की बैटरी दी जा सकती है, जो 120Hz रिफ्रेश रेट सपोर्ट करेगी.

2200 km/h स्पीड, 65% स्वदेशी और ब्रह्मोस का जुड़ाव — तेजस MK1A की ताकत क्या है?

नई दिल्ली  भारत की रक्षा ताकत एक बार फिर दुनिया को चौंकाने वाली है. हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित तेजस Mk1A (Tejas Mk1A) अब पहली उड़ान के लिए तैयार है. शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में महाराष्ट्र के नासिक से यह देश का सबसे आधुनिक स्वदेशी लड़ाकू विमान आसमान में उड़ान भरेगा. यह वही ‘तेजस’ है, जो पूरी तरह भारतीय इंजीनियरिंग, तकनीक और आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है. भारतीय वायुसेना इसे अपने बेड़े में शामिल करने जा रही है. और माना जा रहा है कि इसे बीकानेर के नाल एयरबेस पर तैनात किया जाएगा, ताकि पाकिस्तान की सीमा के पास भारत की हवाई शक्ति और भी मजबूत हो सके. भारत का ‘गेमचेंजर’ फाइटर- तेजस MK1A तेजस एमके-1ए पुराने मिग-21 का एडवांस वर्जन है, जिसमें अल्ट्रा-मॉडर्न एवियोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और बेहतर रडार लगाए गए हैं. इसकी अधिकतम रफ्तार 2,200 किमी/घंटा है. यानी कुछ ही मिनटों में यह दुश्मन की सीमा तक पहुंच सकता है. इसमें लगी आधुनिक ब्रह्मोस मिसाइल, एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड स्ट्राइक क्षमता इसे “सुपर-पावर जेट” बनाती है. इसके अलावा यह दुनिया के सबसे हल्के लेकिन घातक फाइटर जेट्स में शामिल है, जो किसी भी मौसम में मिशन पूरा कर सकता है. 65% स्वदेशी तकनीक, भारत की ताकत का नया प्रतीक तेजस एमके-1ए की सबसे बड़ी उपलब्धि इसका 65 प्रतिशत स्वदेशी योगदान है. एचएएल ने बताया कि इसके अधिकांश पार्ट्स भारतीय कंपनियों ने तैयार किए हैं. रडार से लेकर एवियोनिक्स और स्ट्रक्चर तक. यह भारत की तकनीकी ताकत दिखाने वाला कदम है और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की बड़ी उपलब्धि है. मिग-21 की जगह लेगा ‘तेजस’ भारतीय वायुसेना ने हाल ही में अपने पुराने मिग-21 बेड़े को रिटायर किया है. अब उसकी जगह तेजस एमके-1ए लेगा. वायुसेना और एचएएल के बीच 62,370 करोड़ रुपए का अनुबंध हुआ है. इसके तहत 97 स्वदेशी लड़ाकू विमान भारत को मिलेंगे. इनमें 68 सिंगल-सीटर और 29 ट्विन-सीटर ट्रेनर जेट शामिल हैं. इंजन और उत्पादन में मिली रफ्तार अमेरिकी कंपनी GE ने एचएएल को अब तक चार GE-404 जेट इंजन सप्लाई किए हैं. वित्त वर्ष के अंत तक कुल 12 इंजन मिलने की उम्मीद है. इन इंजनों की मदद से तेजस के उत्पादन और वायुसेना को डिलीवरी में तेजी आएगी. आने वाले कुछ सालों में भारतीय वायुसेना के पास दर्जनों तेजस फाइटर जेट्स होंगे. हर एक दुश्मन के लिए डर की वजह. पाकिस्तान की ‘नींद उड़ाने’ को तैयार तेजस एमके-1ए की तैनाती के बाद भारत की सीमाएं पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित होंगी. इसकी रफ्तार, हथियार क्षमता और स्टेल्थ डिजाइन पाकिस्तान की वायुसेना के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि तेजस का हर स्क्वॉड्रन “आत्मनिर्भर भारत की उड़ती ढाल” साबित होगा. भारत के आसमान में ‘स्वदेशी शेर’ की दहाड़ तेजस एमके-1ए सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी ताकत, वैज्ञानिक क्षमता और सैन्य आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. जब यह शुक्रवार को नासिक के आसमान में उड़ान भरेगा, तो यह भारत के एयरोस्पेस इतिहास का एक नया अध्याय लिखेगा.  

छमाही परीक्षाओं के लिए बोर्ड पैटर्न अनुसार प्रश्नपत्रों की तैयारी शुरू

भोपाल  सरकारी स्कूलों में नौवीं से 12वीं तक की छमाही परीक्षाएं तीन नवंबर से आयोजित की जा रही है। इसमें अक्टूबर तक के करीब 70 फीसद पाठ्यक्रम से सवाल पूछे जाएंगे, लेकिन शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया गया है, इससे कुछ स्कूलों का पाठ्यक्रम करीब 40 से 50 फीसद पूरा हुआ है। स्कूलों में 18 से 23 अक्टूबर तक दीपावली का अवकाश है। इसको देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों को अतिरिक्त कक्षाएं संचालित कर पाठ्यक्रम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। अब कई स्कूलों ने अवकाश में भी रेमेडियल कक्षाएं लगाकर पाठ्यक्रम पूरा कराने की योजना पर काम कर रहे हैं। विभाग ने सरकारी स्कूलों में होने वाली छमाही परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी है। इनमें पाठ्यक्रम 70 प्रतिशत हिस्सा कवर किया जाएगा, ताकि विद्यार्थियों की वार्षिक के हिसाब से तैयारी हो सके। वहीं बोर्ड व वार्षिक परीक्षा फरवरी में होगी। प्रश्नपत्र ईमेल के माध्यम से स्कूलों में भेजे जाएंगे और वहीं से प्रिंट निकालकर विद्यार्थियों में वितरित किए जाएंगे। प्रश्नपत्र बोर्ड के पैटर्न पर तैयार होंगे। रिजल्ट में देखा जाएगा कि जिन सवालों में अधिकांश विद्यार्थी गलती कर रहे हैं, उनके लिए अलग से कक्षा लगाई जाएगी, ताकि वे वार्षिक परीक्षा में इस गलती को न दोहराएं। विद्यार्थियों के लिए रेमेडियल और विशेष कक्षाएं भी लगाई जाएंगी, ताकि वार्षिक परीक्षा के लिए उनकी पर्याप्त तैयारी हो सके। अवकाश में भी लग रही कक्षाएं सांदीपनि विद्यालय बरखेड़ी के प्राचार्य केडी श्रीवास्तव ने बताया कि पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए दीपावली की छुट्टियों में भी कक्षाएं संचालित की जाएंगी। विद्यार्थी अपने मन से कक्षाओं में आएंगे। वहीं सांदीपनि विद्यालय निशातपुरा के प्राचार्य आरसी जैन ने बताया कि 60 फीसद पाठ्यक्रम पूरा कर लिया गया है। रविवार और दीपावली के अवकाश में भी कक्षाएं लगाई जाएंगी।इसके अलावा रेमेडियल कक्षाएं भी संचालित की जा रही है। इस बार फरवरी में बोर्ड परीक्षाएं अधिकारियों ने बताया कि पेपर बोर्ड पैटर्न पर तैयार किया जाएगा और कठिनाई स्तर का भी ध्यान रखेंगे। इसे मध्यम स्तर पर तैयार करेंगे ताकि छात्रों को वार्षिक परीक्षा का पूर्वाभ्यास हो जाए। इस बार 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं फरवरी के पहले सप्ताह से शुरू हो रही हैं। इस वजह से भी अधिकतम पाठ्यक्रम को कवर करेंगे। विद्यार्थियों को उत्तरपुस्तिकाएं दिखाएंगे परीक्षा के दौरान ही उत्तरपुस्तिकाएं चेकिंग का काम भी शुरू हो जाएगा। जिस विषय का पेपर होता जाएगा, उसकी उत्तरपुस्तिकाएं भी जांचनी शुरू कर दी जाएंगी। ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि परीक्षा समाप्ति के दो-तीन दिन के भीतर ही छात्रों को उनकी उत्तरपुस्तिकाएं दिखा दी जाए। अधिकारियों ने बताया कि विद्यार्थियों को कक्षाओं में संबंधित विषय के शिक्षक यह भी बताएंगे कि उन्होंने कहां गलती की है और वार्षिक परीक्षा में इस तरह के प्रश्नों के उत्तर कैसे लिखने हैं। अभी से स्कूलों में रेमेडियल कक्षाएं शुरू कर दी हैं। इसी के साथ छमाही परीक्षा के परिणाम के आधार पर भी स्कूलों में विशेष कक्षाएं लगाकर उनकी समस्या दूर की जाएगी। स्कूल स्तर पर भी पेपर तैयार करवाकर विद्यार्थियों से हल करवाएंगे। छमाही परीक्षाओं के लिए विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। नरेंद्र अहिरवार, जिला शिक्षा अधिकारी

20 वर्षों में पहली बार भारत हुआ कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए प्राथमिक विकल्प

नई दिल्ली  भारतीय खेल प्रेमियों के लिए गुड न्यूज है.भारत में 20 साल बाद कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन हो सकता है. कॉमनवेल्थ गेम्स के कार्यकारी बोर्ड ने 2030 राष्ट्रमंडल खेलों के मेजबान शहर के रूप में अहमदाबाद के नाम की सिफारिश की. राष्ट्रमंडल खेल 2030 की मेजबानी अहमदाबाद को देने पर आखिरी फैसला 26 नवंबर को ग्लास्गो में राष्ट्रमंडल खेल आमसभा की बैठक में लिया जाएगा. इससे पहले भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन साल 2010 में नई दिल्ली में हुआ था. भारत को नाइजीरिया से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था लेकिन राष्ट्रमंडल खेल ने भविष्य के खेलों के लिए इस अफ्रीकी देश की मेजबानी की महत्वाकांक्षाओं को ‘समर्थन और गति प्रदान करने के लिए एक रणनीति विकसित करने’ का निर्णय लिया है. जिसमें 2034 खेलों की मेजबानी पर विचार भी शामिल है. 100वीं सालगिरह अहमदाबाद में 1930 में हैमिल्टन, कनाडा में शुरू हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 में अपने 100वें पड़ाव पर होगा. कॉमनवेल्थ गेम्स अपनी 100वीं सालगिरह अहमदाबाद में मनाएगा. कॉमनवेल्थ गेम्स की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "कॉमनवेल्थ गेम्स की एक्ज़ेक्यूटिव बोर्ड- कार्यकारी बोर्ड ने आज पुष्टि कर दी है कि वह अमदाबाद, भारत को 2030 सेंटेनरी कॉमनवेल्थ खेलों के लिए प्रस्तावित मेजबान शहर के रूप में सिफारिश करेगा." इस प्रेस रीलीज़ में कहा गया है,"अमदावाद (जिसे गुजरात राज्य में अहमदाबाद के नाम से भी जाना जाता है) को अब पूरे कॉमनवेल्थ गेम्स की सदस्यता के सामने रखा जाएगा, जिसमें 26 नवंबर को ग्लासगो में कॉमनवेल्थ गेम्स के जनरल बॉडी -आमसभा में अंतिम फैसला लिया जाएगा."  अमित शाह का आया रिएक्शन अमित शाह ने भारत की मेजबानी का रास्ता साफ होने पर ट्वीट कर कहा,"भारत के लिए बेहद खुशी और गर्व का दिन. अहमदाबाद में राष्ट्रमंडल खेल 2030 की मेजबानी के लिए भारत की बोली को राष्ट्रमंडल संघ द्वारा मंजूरी दिए जाने पर भारत के प्रत्येक नागरिक को हार्दिक बधाई. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य समर्थन है. भारत को विश्व खेल मानचित्र पर स्थान दिलाने के लिए जी के अथक प्रयास. विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा खड़ा करके और देश भर में खेल प्रतिभाओं का समूह तैयार करके मोदी जी ने भारत को एक अद्भुत खेल स्थल बना दिया है." भारत ने रेस में नाइजीरिया को हराया कॉमनवेल्थ गेम्स  की कार्यकारी बोर्ड ने बुधवार को अहमदाबाद को 2030 कॉमनवेल्थ खेलों के लिए मेजबान शहर के रूप में सिफारिश की. भारत ने इन खेलों की मेज़बानी की रेस में नाइजीरिया को पीछे छोड़ दिया. कॉमनवेल्थ गेम्स की एक्ज़ेक्यूटिव बोर्ड ने अफ्रीकी देश की मेजबानी की को भी आनेवाले खेलों के आयोजन का आश्वासन दिया है. इसके लिए एक रणनीति बनाने का फैसला भी किया गया है. मुमकिन अगला मौका 20234 में नाइजिरिया को मिले. कैसे रंग लाई भारत की मुहिम? भारतीय ओलिंपिक संघ ने इसी साल अगस्त में भारत सरकार की सहमति के बाद मेज़बानी के लिए कॉमनवेल्थ बिड सबमिट किया था. फिर सितंबर में लंदन में भारतीय ओलिंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा, गुजरात के गृह और खेल मंत्री हर्ष सांघवि, भारतीय ओलिंपिक संघ के सीईओ रघुराम अय्यर और सेक्रेटरी अश्वनि कुमार की टीम ने खेलों के लिए प्रेज़ेन्टेशन भी दिया. अहमदाबाद ने प्रेज़ेन्टेशन के ज़रिये भी फैसला अपने हकॉ में करवा लिया.  इतने मेडल जीत चुका है भारत 1934 में राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत के बाद से भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में 564 पदक जीते हैं. भारतीय एथलीटों ने 1934 में राष्ट्रमंडल खेलों, जिसे तब ब्रिटिश एम्पायर गेम्स कहा जाता था, में डेब्यू किया था. लंदन 1934 राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय दल में छह एथलीट शामिल थे, जिन्होंने 10 ट्रैक और फील्ड स्पर्धाओं और एक कुश्ती स्पर्धा में भाग लिया था. भारत ने अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में एक पदक जीता था. पिस्टल निशानेबाज जसपाल राणा राष्ट्रमंडल खेलों में 15 पदक – नौ स्वर्ण, चार रजत और दो कांस्य के साथ सबसे सफल भारतीय एथलीट हैं.1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में उन्होंने शूटिंग सर्किट पर दबदबा बनाया. 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के दौरान भारतीय निशानेबाजों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नई दिल्ली 2010 में, भारत ने 101 पदक – 39 स्वर्ण पदक, 26 रजत और 36 कांस्य जीतकर पदक लीडरबोर्ड पर दूसरा स्थान हासिल किया था. नई दिल्ली 2010 भारत का अब तक का सबसे सफल राष्ट्रमंडल खेल बना हुआ है. राष्ट्रमंडल खेल ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘राष्ट्रमंडल खेल के कार्यकारी बोर्ड ने आज पुष्टि की है कि वह 2030 शताब्दी राष्ट्रमंडल खेलों के लिए प्रस्तावित मेजबान शहर के रूप में भारत के अहमदाबाद की सिफारिश करेगा.’ विज्ञप्ति के अनुसार, ‘अहमदाबाद को अब पूर्ण राष्ट्रमंडल खेल सदस्यता के लिए प्रस्तावित किया जाएगा जिस पर अंतिम फैसला 26 नवंबर को ग्लासगो में राष्ट्रमंडल खेल महासभा में लिया जाएगा.’ भारत ने 2010 के सत्र की मेजबानी नयी दिल्ली में की थी.  

भोपाल की वायु गुणवत्ता पर नजर रखेगा हाईटेक सर्विलांस सिस्टम

भोपाल  भोपाल शहर में हवा, पानी और ध्वनि की जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सर्विलांस का उपयोग करेगा। इस सर्विलांस की मदद से सड़क से लेकर चार दीवारी के बीच होने वाले प्रदूषण की जांच की जा सकेगी। जांच से मिलेगा डाटा का एनालिसिस होगा। इसमें एआइ की मदद ली जाएगी। अभी शहर में तीन स्थानों पर बोर्ड रियल टाइम मॉनिटरिंग कर रहा है। इनकी लागत करीब तीन करोड़ है। मॉनिटरिंग के बाद सर्विलांस सिस्टम को भी उपयोग किया जाएगा। इसे पीसीबी ने विकसित किया है। हवा पानी से लेकर साइंस की जांच के साथ आंकड़ों का तुरंत एनालिसिस करने में यह मददगार साबित होगा। पीसीबी ने इस साल सेटेलाइट बेस निगरानी का भी उपयोग किया। यह पराली के लिए इस्तेमाल की गई है। ब्रजेश शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि शहर में हवा पानी की जांच के लिए तकनीक का उपयोग हो रहा है। सर्विलांस सिस्टम के लिए राजधानी में अलग डिवीजन तैयार की गई है। इस सिस्टम के सहारे रियल टाइम आंकड़ों के साथ ही एआइ मॉनिटरिंग भी होगी। आंकड़े जल्द और स्पष्ट मिलेंगे। क्या है सर्विलांस सिस्टम अधिकारियों के मुताबिक यह एक डाटा कलेक्शन सेंटर है। इससे हवा, पानी और ध्वनि की जांच कर रहे हैं। औद्योगिक निगरानी, सार्वजनिक जानकारी जोड़ी जा रही है। ये एनालिसिस करेगा। जानकारों के मुताबिक उन कारणों का पता लगाना आसान होगा जो प्रदूषण के लिए जिमेदार हैं। अभी चार स्थानों पर मैन्युअल जांच, ये भी जुडे़ंगे वर्तमान में राजधानी में सात स्थानों पर जांच हो रही है। इनमें तीन रियल टाइम हैं, जबकि चार मैन्युअल हैं। मैन्युअल जांच में एक औद्योगिक क्षेत्र हैं।

टैक्स बचाने की नई रणनीति पर काम कर रहा एप्पल, इनकम टैक्स में कर सकता है बदलाव

नई दिल्ली  एप्पल कंपनी भारत में अपने कारोबार को बढ़ावा दे रही है। कंपनी के आईफोन अब भारत में बहुत तेजी से बन रहे हैं। कंपनी ने इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में ही 10 अरब डॉलर (करीब 88,730 करोड़ रुपये) के आईफोन का निर्यात किया है। यह एक रेकॉर्ड है। अब अमेरिका की यह कंपनी भारत सरकार से अनोखी मांग कर रही है। कंपनी की मांग से ऐसा लगता है कि इसकी लॉबी भारत सरकार पर हावी हो रही है। एप्पल भारत सरकार से इनकम टैक्स कानून में बदलाव की मांग कर रहा है। रॉयटर्स के मुताबिक कंपनी चाहती है कि उसे अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को दिए जाने वाले हाई-एंड आईफोन बनाने वाली मशीनों के मालिकाना हक पर टैक्स न देना पड़े। सूत्रों का कहना है कि यह एक ऐसी समस्या है जो एप्पल के भारत में भविष्य के विस्तार में बाधा डाल सकती है। भारत एप्पल के अनुरोध की सावधानी से समीक्षा कर रहा है। भारत में मौजूदगी बढ़ा रही कंपनी यह मांग ऐसे समय में आई है जब एप्पल चीन से बाहर निकलकर भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक साल 2022 से भारत में आईफोन की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 8% हो गई है। जबकि दुनिया भर में आईफोन की कुल शिपमेंट में चीन का हिस्सा अभी भी 75% है, वहीं भारत का हिस्सा 2022 से चार गुना बढ़कर 25% हो गया है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल बाजार है। क्या है एप्पल का प्लान? एप्पल के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स फॉक्सकॉन और टाटा ने पांच प्लांट खोलने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया है। लेकिन इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा आईफोन असेंबली के लिए महंगी मशीनें खरीदने में चला जाता है।एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर एप्पल अपनी व्यावसायिक प्रथाओं को बदले बिना नई दिल्ली को साल 1961 के उस कानून को बदलने के लिए राजी नहीं कर पाता जो भारत में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के विदेशी मालिकाना हक को कवर करता है, तो उसे अरबों डॉलर का अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है। चीन में नहीं देना होता टैक्स चीन में एप्पल आईफोन बनाने वाली मशीनें खरीदता है और उन्हें अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को देता है। भले ही वह उन मशीनों का मालिक हो, फिर भी उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। लेकिन भारत में ऐसा संभव नहीं है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और दो अन्य उद्योग सूत्रों ने बताया कि इनकम टैक्स एक्ट के तहत एप्पल के ऐसे मालिकाना हक को एक तथाकथित 'व्यावसायिक संबंध' माना जाएगा। इससे अमेरिकी कंपनी के आईफोन मुनाफे पर भारतीय टैक्स लग जाएगा। एप्पल को होगा फायदा सूत्रों ने बताया कि एप्पल के अधिकारियों ने हाल के महीनों में भारतीय अधिकारियों से इनकम टैक्स के इस कानून में बदलाव के लिए बातचीत की है। कंपनी को डर है कि मौजूदा कानून उसके भविष्य के विकास में बाधा डाल सकता है। एक सूत्र ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स एक हद से ज्यादा पैसा नहीं लगा सकते। उन्होंने कहा अगर पुराने कानून में बदलाव किया जाता है तो एप्पल के लिए विस्तार करना आसान हो जाएगा।

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण में महत्वपूर्ण कदम

सोनोग्राफी सेवाओं के लिए 87 मेडिकल ऑफिसर हुए अधिकृत मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण में महत्वपूर्ण कदम भोपाल  उप मुख्यमंत्री  राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है कि 11 वर्षों के सतत् विभागीय प्रयासों और समर्पित कार्य के बाद पीसीपीएनडीटी अधिनियम के अंतर्गत कम्पिटेंसी बेस्ड टेस्ट के परिणाम घोषित किए गए हैं। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा घोषित परिणामों में 87 चिकित्सक (मेडिकल ऑफिसर्स) ने सफलता प्राप्त की है। अब ये सभी पात्र चिकित्सक सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) के क्षेत्र में वैध रूप से चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान कर सकेंगे। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने कहा कि यह उपलब्धि प्रदेश की मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने में अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। प्रशिक्षित एवं प्रमाणित चिकित्सक ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण अल्ट्रासाउंड सेवाएं उपलब्ध कराकर गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच सेवाओं को सशक्त करेंगे। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने सफल हुए सभी चिकित्सकों को बधाई देते हुए उनसे अपेक्षा की कि वे इस उपलब्धि को समाजसेवा का माध्यम बनाते हुए प्रदेश के प्रत्येक कोने में सेवा की भावना से कार्य करें। उन्होंने कहा कि आप सभी चिकित्सक प्रदेश की स्वास्थ्य सुरक्षा के अग्रदूत हैं, आपकी सेवा भावना और दक्षता से ही ‘स्वस्थ मध्यप्रदेश’ के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा। उन्होंने प्रशिक्षण एवं परीक्षा प्रक्रिया में सहयोग देने वाले सभी अधिकारियों, विशेषज्ञों और संस्थानों की सराहना की है।  

महासमुंद जिला अब स्वस्थ, आयुष्मान भारत योजना से मिली बेहतर स्वास्थ्य सेवा

रायपुर : आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना से स्वस्थ हो रहा महासमुंद जिला 10 लाख से अधिक हितग्राही बने आयुष्मान कार्डधारी, 27 हजार वरिष्ठजन को मिला वय वंदन कार्ड का लाभ रायपुर रजत जयंती वर्ष 2025-26 के अवसर पर महासमुंद जिला जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में प्रदेश के अग्रणी जिलों में शामिल हो रहा है। शासन की मंशानुरूप आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना का लक्ष्य समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को गुणवत्तापूर्ण, कैशलेस और सुलभ स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है। कलेक्टर श्री विनय लंगेह के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में 257 जन आरोग्य मंदिरों के माध्यम से जन-जागरूकता और सेवा विस्तार का कार्य निरंतर जारी है। इन केंद्रों पर नागरिकों को योजना की जानकारी, पात्रता जांच, दस्तावेज सत्यापन और आयुष्मान कार्ड निर्माण की सुविधा एक ही स्थान पर प्रदान की जा रही है। अब तक जिले में 10 लाख 16 हजार 800 हितग्राहियों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं, जो निर्धारित लक्ष्य का लगभग 88.4 प्रतिशत है। इनमें ग्रामीण क्षेत्र के 9 लाख 9 हजार 955 और शहरी क्षेत्र के 1 लाख 6 हजार 845 लाभार्थी शामिल हैं। विकासखण्ड स्तर पर पिथौरा, बागबाहरा, बसना, सरायपाली और महासमुंद सभी क्षेत्रों में विशेष शिविरों एवं घर-घर संपर्क अभियान के माध्यम से कार्ड निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य संरक्षण हेतु जिले में 27 हजार 816 आयुष्मान वय वंदन कार्ड बनाए गए हैं, जिनमें से अधिकांश लाभार्थी ग्रामीण अंचलों से हैं। यह कार्ड 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को 5 लाख रुपये तक की निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान करता है। उल्लेखनीय है कि आयुष्मान कार्डधारी परिवार सूचीबद्ध सरकारी और निजी अस्पतालों में बिना किसी अग्रिम भुगतान के कैशलेश इलाज प्राप्त कर सकते हैं। योजना से स्वास्थ्य सेवाओं में न केवल विश्वास बढ़ा है, बल्कि लोगों की चिकित्सा पहुँच भी अधिक सहज और समान हुई है।

दालों के उत्पादन में प्रथम, खाद्यान्न में द्वितीय और तिलहन में तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश

कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश स्थापित कर रहा है नये कीर्तिमान दालों के उत्पादन में प्रथम, खाद्यान्न में द्वितीय और तिलहन में तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश किसानों के हर सुख-दुख में साथ है मध्यप्रदेश सरकार भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में कृषि विकास और किसान कल्याण में मध्यप्रदेश सरकार प्राण-प्रण से जुटी हुई है। मध्यप्रदेश उत्पादक गतिविधियों में नवाचार कर रहा है। सरकार किसानों के हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ी है। प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। उत्पादन में रिकार्ड दर्ज कर प्रदेश को अनेक अवार्ड हासिल हुए हैं। म.प्र. दालों के उत्पादन में प्रथम स्थान पर, खाद्यान उत्पादन में द्वितीय स्थान पर और तिलहन उत्पादन में तृतीय स्थान पर है। प्रदेश में त्रि-फसली क्षेत्र में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। प्रदेश में नरवाई जलाने की घटनाओं में कमी (हतोत्साहित) करने के लिए प्रदेश में प्रभावी कार्यवाही की गई है। किसानों के सम्मान के साथ प्रोत्साहन भी राज्य सरकार द्वारा रबी 2024-25 में उपार्जित गेहूँ पर राशि रूपये 175 प्रति क्विटंल प्रोत्साहन राशि प्रदाय की गई। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी द्वारा फरवरी 2025 में लगभग 83.50 लाख से अधिक किसानों को करीब 1770 करोड़ रूपये किसान सम्मान निधि सिंगल क्लिक से अंतरित की गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत 81 लाख से अधिक किसानों के खातों में 1624 करोड़ रूपये सिंगल क्लिक के माध्यम से जमा की गई। पहली बार समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी प्रदेश में पहली बार भारत सरकार की प्राईस सर्पोट स्कीम अंतर्गत सोयाबीन का उपार्जन किया गया, जिसमें 2,12,568 कृषकों से कुल 6.22 लाख मीट्रिक टन मात्रा का उपार्जन किया गया है, जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि 3043.04 करोड़ है। अन्न के उत्पादन को बढावा देने के लिए रानी दुर्गावती अन्न प्रोत्साहन योजना लागू की है, जिसके तहत किसानों को 3900 रूपये प्रति हैक्टेयर डी.बी.टी. के माध्यम से प्रदान किया जायेगा। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, स्वाईल हेल्थ कार्ड और सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि का लाभ भी मिल रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल के नुकसान का समय पर आकलन एवं राहत राशि का वितरण किसानों को मिल रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नामांकन एवं दावा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने, एनसीआईपी पोर्टल के साथ भूमि रिकॉर्ड को सफलता पूर्वक एकीकृत करने और पोर्टल को किसान अनुकूल बनाने के लिए मध्यप्रदेश को 'उत्कृष्टता प्रमाण पत्र' प्रदान किया गया है। नमो ड्रोन दीदी योजनांतर्गत मध्यप्रदेश में 89 दीदियों को स्वाबलंबी बनाया गया है। नमो ड्रोन से 4200 हेक्टेयर क्षेत्र में तरल उरर्वरक का छिड़काव कर दीदियों ने 21.22 लाख रूपये की शुद्ध आय प्राप्त की है। वर्ष 2025-26 में 1066 दीदिओं को योजनांर्तगत लाभान्वित किया जा रहा है। नरवाई प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्र पर 412 करोड़ का अनुदान कृषकों द्वारा फसल अवशेष (पराली) जलाने से रोकने के लिये शासन द्वारा कई कदम उठाये गये है, जिसमें प्रदेश स्तर पर 46,800 से अधिक नरवाई प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्र अनुदान पर वितरित करते हुए 412 करोड़ रूपये की अनुदान राशि जारी की गई है। कौशल विकास केन्द्रों के माध्यम से किसान ड्रोन पायलट प्रशिक्षण एवं ड्रोन तकनीशियन का प्रशिक्षण प्रदान कराया जा रहा है। प्रशिक्षण में 50 प्रतिशत शुल्क का भुगतान म.प्र. शासन द्वारा वहन किया जा रहा है। अब तक 412 युवाओं को ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण तथा 33 प्रशिक्षणार्थियों को ड्रोन तकनीशियन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। 4730 कस्टम हायरिंग केन्द्रों से कृषक हो रहे लाभान्वित कृषकों को सस्ते दर पर यंत्र उपलब्ध कराने एवं ग्रामीण युवाओं को स्वावलंबी बनाये जाने के लिये सरकार के संकल्प के अनुसार हर वर्ष 1000 कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित किये जा रहे है। अब तक 4730 कस्टम हायरिंग केन्द्र प्रदेश स्तर पर स्थापित है जिससे कृषकों को लाभ मिल रहा है। कस्टम हायरिंग के 25 लाख रूपये तक के प्रोजेक्ट पर 40 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रूपये का अनुदान दिया जाता है। प्रदेश में अपेडा अन्तर्गत 11.48 लाख हेक्टयर फसल उत्पादन क्षेत्र एवं वनोपज संग्रहण क्षेत्र सहित कुल 20.55 लाख हेक्टयर जैविक क्षेत्र पंजीकृत है। "एक जिला एक उत्पाद" अंतर्गत कृषि संबंधी 6 उत्पाद कोदो-कुटकी-अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला, सिंगरौली, तुअर दाल- नरसिंहपुर, चना-दमोह, बासमति चावल-रायसेन, चिन्नोर चावल-बालाघाट, सरसों-भिण्ड एवं मुरैना जिले शामिल किये गये है। फार्म गेट एप के तहत किसान अपनी उपज का विवरण, फोटो मोबाइल एप्लिकेशन पर डाल कर मंडी मे पंजीकृत व्यापारियों के साथ मोल भाव कर सकता है। सौदा तय होने पर किसान की सहमति प्राप्त कर व्यापारी सीधे किसान के गाँव / खेत से उपज उठा लेता है। इससे भौतिक रूप से माल के परिवहन की आवश्यकता नहीं रहती और माल न बिकने की अनिश्चितता को समाप्त करता है। मंडी के माध्यम से किसान को मंडी अनुबंधित व्यापारी का चयन कर खेत/गोदाम पर ही फसल बेचने की सुविधा है। रानी दुर्गावती अन्न प्रोत्साहन योजना रानी दुर्गावती अन्न प्रोत्साहन योजना में किसानों को एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से अधिकतम 3 हजार 900 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जा रही है। शून्य प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालीन फसल ऋण के लिए इस वर्ष 600 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। विगत वर्ष किसानों को समर्थन मूल्य पर उपार्जित गेहूँ पर प्रति क्विंटल 125 रुपये का बोनस प्रदाय किया गया।  

210 मीट्रिक टन वजनी शिवलिंग! बिहार में हो रहा है विश्व के सबसे बड़े मंदिर का निर्माण

पटना  बिहार में दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बन रहा है. चौंकिए मत! यह बिल्कुल सच है. पूर्वी चंपारण जिले के चकिया में विश्व का सबसे बड़ा विराट रामायण मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है. यह भव्य मंदिर 33 फीट ऊंचा होगा. इसमें 210 मीट्रिक टन वजनी शिवलिंग स्थापित किया जाएगा. मंदिर प्रशासन के मुताबिक, शिवलिंग का निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है और जनवरी-फरवरी 2026 तक इसकी स्थापना कर दी जाएगी. आपको बता दें कि विराट रामायण मंदिर का निर्माण महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा कराया जा रहा है. मंदिर परिसर में प्रवेश द्वार, गणेश स्थल, सिंह द्वार, नंदी, शिवलिंग और गर्भगृह की नींव (पाइलिंग) का कार्य पूरा हो चुका है. तमिलनाडु में तैयार हो रहा है शिवलिंग इस मंदिर में स्थापित होने वाले शिवलिंग का निर्माण तमिलनाडु के महाबलीपुरम में किया जा रहा है. फिलहाल इसकी कलाकृति और पॉलिश का अंतिम काम चल रहा है. निर्माण पूरा होने के बाद यह विशाल शिवलिंग सड़क मार्ग से महाबलीपुरम से चकिया स्थित विराट रामायण मंदिर तक लाया जाएगा. यह शिवलिंग देश के किसी भी मंदिर में स्थापित सबसे बड़ा शिवलिंग माना जा रहा है. मुख्य शिखर की ऊंचाई होगी 270 फीट इस मंदिर का आकार भी बेहद भव्य होगा. इसकी लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट होगी. इसमें कुल 18 शिखर और 22 मंदिर शामिल होंगे. मुख्य शिखर की ऊंचाई 270 फीट होगी. जबकि दूसरे शिखरों की ऊंचाई 180, 135, 108 और 90 फीट रखी गई है. बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद और महावीर मंदिर स्थान न्यास समिति के सदस्य सायण कुणाल ने बताया कि निर्माण कार्य तय समय पर पूरा करने की हर संभव कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि बिहार के गौरव का प्रतीक बनने जा रहा है. इस खास जगह पर हो रहा है निर्माण इस मंदिर का निर्माण कार्य 20 जून 2023 को शुरू हुआ था. निर्माण का जिम्मा सनटेक कंपनी को दिया गया है. जबकि वीआरएम (विराट रामायण मंदिर) और टाटा कंसलटेंसी के अधिकारी भी कार्य की निगरानी में तैनात हैं. मंदिर का निर्माण स्थल पूर्वी चंपारण के केसरिया और चकिया के बीच स्थित जानकीनगर में है. यह पटना से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मंदिर परिसर में 4 आश्रम भी बनाए जा रहे हैं. आचार्य किशोर कुणाल का है ड्रीम प्रोजेक्ट आपको बता दें कि इस मंदिर को स्वर्गीय आचार्य किशोर कुणाल का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. मंदिर की परिकल्पना और रूपरेखा उनके ही नेतृत्व में तैयार की गई थी.