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कब है अक्षय नवमी — 30 या 31 अक्टूबर? जानें पूर्ण पूजा विधि और महत्व

हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है. इस महीने में मनाए जाने वाले पर्वों में से एक है अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य या दान-पुण्य कभी खत्म नहीं होता और इसका फल ‘अक्षय’ यानी अनंत काल तक बना रहता है. इस साल यह शुभ तिथि 30 या 31 अक्टूबर को लेकर असमंजस है. आइए जानते हैं कि 2025 में अक्षय नवमी कब है, इसकी सही पूजा विधि क्या है और इसका क्या महत्व है. अक्षय नवमी 2025: सही तारीख और शुभ मुहूर्त     पंचांग के अनुसार, अक्षय नवमी हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है.     कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि प्रारंभ 30 अक्टूबर 2025, सुबह 08 बजकर 27 मिनट से.     कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि समाप्त 31 अक्टूबर 2025, सुबह 10 बजकर 03 मिनट तक. उदयातिथि के अनुसार चूंकि नवमी तिथि का सूर्योदय 31 अक्टूबर को हो रहा है और इस दिन पूजा के लिए पर्याप्त समय (सुबह 10 बजकर 03 मिनट तक) मिल रहा है, इसलिए उदयातिथि के नियमानुसार 31 अक्टूबर 2025 को अक्षय नवमी मनाई जाएगी. आंवले के पेड़ की पूजा आंवले के पेड़ के तने को जल से सींचें. पेड़ के तने के चारों ओर कच्चा सूत (कलावा) लपेटें. फल, फूल, धूप, दीप, रोली, चंदन आदि से पूजा करें. आरती करें और 108 बार परिक्रमा करें. पूजा के बाद पेड़ के नीचे बैठकर अपनी मनोकामनाएं कहें. इस दिन सामर्थ्य अनुसार वस्त्र, अन्न, सोना, चांदी या फल-सब्जियों का दान करना चाहिए. दान करने से पुण्य ‘अक्षय’ हो जाता है. पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराएं और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें. माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें दिन भर व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए और शाम को आंवले के पेड़ की पूजा के बाद ही फलहार करना चाहिए. अक्षय नवमी का लाभ इस दिन किए गए दान-पुण्य से जीवनभर सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है. इस दिन व्रत रखने से संतान की उन्नति और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अक्षय नवमी का महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी का महत्व अक्षय तृतीया के समान ही माना जाता है. इस दिन से ही द्वापर युग का आरंभ हुआ था. यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. अक्षय पुण्य: इस दिन किए गए स्नान, दान, तर्पण, पूजा और सेवा कार्यों का पुण्य कभी खत्म नहीं होता और जन्म-जन्मांतर तक व्यक्ति के साथ रहता है. आंवले के पेड़ की पूजा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि को आंवले के पेड़ के रूप में स्थापित किया था. यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में निवास करते हैं. इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे हर कार्य में सफलता मिलती है. रोग मुक्ति: आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से व्यक्ति को रोग-दोष से मुक्ति मिलती है और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद: यह नवमी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी अत्यंत शुभ मानी जाती है.

भारत की डिफेंस क्षमता का प्रदर्शन जबलपुर में, व्हीकल फैक्ट्री में होगा बड़ा कॉन्क्लेव, कॉरिडोर बनेगा गेमचेंजर

जबलपुर  7 से 9 नवंबर तक जबलपुर में एक डिफेंस कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन जबलपुर के व्हीकल फैक्ट्री में होगा. इसमें भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अलावा निजी क्षेत्र की कंपनियां भी अपने उत्पादों की जानकारी देगी. जबलपुर के जनप्रतिनिधियों का मानना है कि इस आयोजन से जबलपुर के आसपास डिफेंस कॉरिडोर पर भी चर्चा शुरू हो जाएगी. रक्षा मंत्रालय की कंपनियों के उत्पादों का प्रदर्शन व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर के जनसंपर्क अधिकारी गौरव दीक्षित ने बताया कि, ''7 नवंबर से 9 नवंबर तक जबलपुर के व्हीकल फैक्ट्री के परिसर में एक डिफेंस कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. इसमें देशभर की रक्षा मंत्रालय की कंपनियों के उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा. यह आयोजन देश में बड़े शहरों में होता था, लेकिन इस बार यह मौका जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री को मिला है.'' जबलपुर में रक्षा मंत्रालय की कई बड़ी फैक्ट्रियां हैं जिनमें भारतीय सेना की जरूरत के लिए उत्पाद तैयार किए जाते हैं.'' व्हीकल फैक्ट्री खमरिया व्हीकल फैक्ट्री खमरिया भारत की कुछ बड़ी फैक्ट्री में से एक है. इसमें सेना के उपयोग में आने वाले वाहन बनाए जाते हैं. जैसे सामान्य स्टाफ वाहन, लॉजिस्टिक्स वाहन, बुलेटप्रूफ वाहन, हल्के बख्तरबंद वाहन, माइन प्रोटेक्टेड वाहन और विशेषज्ञ भूमिका वाले वाहन जैसे रॉकेट लॉन्चर, स्व-चालित हॉवित्जर, वाटर बॉवर्स, ईंधन टैंकर, फील्ड एम्बुलेंस, टिपर, बैटरी कमांड पोस्ट, जनरेटर सेट, लाइट रिकवरी वाहन, फील्ड आर्टिलरी ट्रैक्टर, किचन कंटेनर आदि का निर्माण और संयोजन करता है. इनके अलावा कुछ विशेष वहां भी तैयार किए जाते हैं जिनमें शहर की ही दूसरी फैक्ट्री का सहयोग भी लिया जाता है. गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर जबलपुर की फैक्ट्रियां एक दूसरे के सहयोग से चलती है, क्योंकि कुछ सामान एक फैक्ट्री में बनता है तो कुछ दूसरी फैक्ट्री में बनता है. गन कैरिज फैक्ट्री सेना के उपयोग में आने वाले 8/8 ट्रक बना रही है. इन ट्रक्स की खासियत यह होती है कि उनके आठों चकों में ताकत होती है और यह किसी भी विपरीत परिस्थिति में चल सकते हैं. 1. वीएफजे-जीसीएफ 105 मिमी ट्रक-माउंटेड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन सिस्टम, 6X6 और 4X4 कॉन्फ़िगरेशन में 2. वीएफजे-जीसीएफ शारंग टोड गन 3. धनुष हॉवित्जर का निर्माण जीसीएफ में और ट्रैक्टर का निर्माण वीएफजे में किया गया 4. वीएफजे-जीसीएफ 8X8 155 मिमी ट्रक-माउंटेड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन सिस्टम    ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया भारत में गोला बारूद बनाने वाली सबसे बड़ी फैक्ट्री है. इसमें हजारों की तादाद में अभी भी कर्मचारी काम करते हैं. भारत की तीनों सेनाओं के लिए यहां पर गोला बारूद तैयार किया जाता है. ऑपरेशन सिंदूर में जी L-70 बम ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी. वह जबलपुर का ही बना हुआ था. रूस की मदद से भी पिकोरा बम बनाया जा रहा है. ग्रे आयरन फाउंड्री ग्रे आयरन फाउंड्री यह रक्षा मंत्रालय की एक छोटी फैक्ट्री है, लेकिन इसका काम बहुत महत्वपूर्ण है. रक्षा मंत्रालय में कई ऐसे लोहे के सामानों की जरूरत पड़ती है जो बाजार में नहीं मिलते, इसलिए इन्हें ढालकर बनाया जाता है. इसलिए इस यूनिट को अलग ही तैयार किया गया था. इनके अलावा जबलपुर में कुछ दूसरी छोटी फैक्ट्रियां भी हैं, जिनमें सेना के उपयोग के सामान बनाए जाते हैं. इस कॉन्क्लेव में इन सभी का प्रदर्शन किया जाएगा. जबलपुर केंट विधानसभा के विधायक अशोक रोहाणी का कहना है कि, ''इस कॉन्क्लेव के जरिए इस बात पर भी चर्चा होगी कि जबलपुर में एक डिफेंस कॉरिडोर बनाया जाए. जहां रक्षा मंत्रालय के उपयोग में आने वाले कल पुर्जे और हथियार तैयार किया जा सके और इसमें निजी निवेश भी आ सके. जबलपुर की बड़ी फैक्ट्रियां इन छोटे निवेशों के लिए एक अच्छा माहौल बनाती हैं. जबलपुर में उत्पादित होने वाले रक्षा उत्पादों का बाजार केवल भारत में ही है. इन कंपनियों में बनने वाले सामानों को भारत निर्यात भी करता है और दुनिया के कई देश भारत से यह सामान खरीदते हैं. रक्षा से जुड़ा हुआ सामान बनाना रोजगार का एक बड़ा अवसर बन सकता है. अब देखना है कि इस कॉन्क्लेव के जरिए मध्य प्रदेश क्या फायदा उठा पाता है.

रोबोटिक खच्चर से बदलेंगे रणक्षेत्र के नियम, ग्राउंड रोबोटिक म्यूल आतंकी सर्च और फायरिंग में सक्षम

चंडीगढ़   आतंक ग्रस्त व संवेदनशील सीमा क्षेत्रों में ग्राउंड रोबोटिक म्यूल (खच्चर) के जरिये अब सर्च ऑपरेशन और आसान हो जाएंगे। चार कैमरों से लैस यह ऐसा उपकरण है जो न केवल इलाकों की रेकी करेगा बल्कि इमरजेंसी में दुश्मन व आतंकियों पर फायरिंग भी कर सकता है। खड्ग-2 कोर की एक रेजिमेंट के अधीनस्थ यह उपकरण तैयार किया गया है जो अभी अंडर ट्रायल है लेकिन जल्द ही यह सेना की ताकत बनेगा। घाटी के विभिन्न आतंकी व सीमा क्षेत्रों मे कई बार विभिन्न सैन्य ऑपरेशनों के दाैरान सेना को ऐसे इलाकों की रेकी करनी पड़ती है जहां जोखिम बहुत ज्यादा होता है। भवनों, खंडहरों व घरों में आतंकियों के छिपे रहने की सूचना पर वहां बिना क्लीयरेंस सैन्य कार्रवाई में जोखिम और बढ़ जाता है। इस स्थिति में इन क्षेत्रों में जवानों की ओर से रेकी करने पर उनकी जान को ज्यादा खतरा रहता है। अब यह काम सेना का ग्राउंड रोबोटिक खच्चर करेगा ताकि जवानों की जान पर खतरे और जोखिम को कम किया जा सके। इसके अलावा युद्ध की स्थिति में जवानों तक मेडिकल सामग्री और गोला-बारूद के बक्से पहुंचाने में भी इस उपकरण का इस्तेमाल किया जा सकेगा। संबंधित रेजिमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि बतौर ट्रायल इसे सेना की कुछ यूनिटों को उपलब्ध करवाया गया है और इसके अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं। उपकरण की खासियत     इस मानवरहित जमीनी उपकरण से सेना को खुफिया, निगरानी व टोही अभियानों में मदद मिलेगी।     यह रोबोटिक खच्चर सीढ़ी भी चढ़ सकेगा जबकि ऊंचाई व ढलान पर भी चढ़ने में कोई दिक्कत नहीं होगी।     यह उपकरण चार यूएचडी और एचडी फ्रंट कैमरों से लैस है। वीडियो और ऑडियो सिस्टम भी इंस्टाॅल है।     इसमें वाई-फाई, एलटीई, मैनेट नेटवर्क व रेडियो कनेक्टिविटी की सुविधा भी रहेगी।     इसका वजन 52 किलोग्राम है जबकि इसका ऑपरेशनल समय तीन घंटे है।     इसकी स्पीड 10 किलोमीटर प्रति घंटा होगी और यह -20 डिग्री सेल्सियस व +45 डिग्री सेल्सियस में काम कर सकेगा।     इसकी पेलोड क्षमता 10 किलोग्राम है। इसमें चार सेंसर लगाए गए हैं।     रोबोटिक खच्चर 25 सेंटीमीटर का एक पग रखकर आगे-पीछे चल सकेगा। इसमें 1 किलो का डी-मोट कंट्रोलर भी इंस्टॉल होगा।     50 मीटर वाई-फाई सुविधा के चलते इसे मोबाइल से भी कनेक्ट कर ऑपरेट किया जा सकता है।  

छठ पूजा 2025 में व्रती रहें सावधान: 36 घंटे बिना पानी के व्रत में ऐसे रखें शरीर हाइड्रेट और फिट

पटना लोकआस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ अब शनिवार के नहाय-खाय के साथ आरंभ हो जांएगे। दीपावली के बाद शुरू होने वाले इस पर्व का सबसे कठिन चरण होता है 36 घंटे का निर्जला व्रत, इसमें व्रती बिना अन्न और जल ग्रहण किए सूर्य देव की उपासना करते हैं। यह तपस्या जितनी आस्था से जुड़ी है, उतनी ही शारीरिक सहनशक्ति की भी परीक्षा है। चिकित्सकों का कहना है कि थोड़ी-सी सावधानी रखकर श्रद्धालु अपनी आस्था और स्वास्थ्य दोनों की रक्षा कर सकते हैं। व्रत से पहले भरपूर नींद लें और धूप से बचें राजधानी के चिकित्सकों के अनुसार व्रत शुरू करने से पहले पर्याप्त नींद लेना बेहद जरूरी है, ताकि शरीर को ऊर्जा मिल सके। व्रत के दौरान धूप में अधिक देर तक रहने से बचना चाहिए, इससे डिहाइड्रेशन और थकान की समस्या न हो। हार्ट, बीपी या शुगर के मरीज व्रत शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें और स्वास्थ्य जांच करा लें। बीपी के मरीज दवाओं को लेकर बरतें सावधानी आईजीआईसी के निदेशक डॉ. सुनील कुमार सिंह ने बताया कि बीपी के मरीजों को व्रत से पहले अपनी दवाओं में सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक असर करने वाली दवाएं न लें, क्योंकि इनके कारण व्रत के दौरान बीपी असंतुलित हो सकता है। कम असर अवधि वाली दवाएं ही डॉक्टर की सलाह से लें और पर्व के बाद तीन-चार दिनों तक लगातार बीपी जांच करते रहे। इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे मरीजों को नमक का सेवन सीमित रखना चाहिए और शरीर में पानी की कमी न होने दें। हार्ट, बीपी और शुगर मरीजों के लिए जरूरी सुझाव आईजीआईसी के उप निदेशक डॉ. रोहित कुमार ने बताया कि हार्ट, बीपी व शुगर के मरीज व्रत से पहले डाक्टर से परामर्श लें और दवाओं की डोज एडजस्ट कराएं। अगर हार्ट, बीपी या शुगर का स्तर ज्यादा है तो व्रत के दौरान विशेष सकर्तकता बरते। शरीर में पानी की कमी न हो, इसके लिए खरना के प्रसाद के दौरान तरल पदार्थों का सेवन करें। शरीर को आराम दें, अधिक मेहनत वाले कामों से बचें। दवाओं का सेवन समय पर करें। ब्लड प्रेशर और शुगर की नियमित जांच करें। किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। पारण के समय भी रखें सावधानियां पटना वीमेंस कॉलेज में क्लीनिकल न्यूट्रीशियन एंड डायटेटिक्स विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. सुप्रिया ने बताया कि 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद पारण के समय शरीर को धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि व्रत तोड़ने की शुरुआत ठेकुआ के साथ पानी या नींबू पानी से करें, ताकि शरीर धीरे-धीरे हाइड्रेट हो सके। तुरंत भारी या तला-भुना भोजन न खाएं, इससे पेट खराब हो सकता है। व्रत के बाद पहले फल, जूस या हल्का नाश्ता लें और एक-दो घंटे बाद ही सामान्य भोजन करें। पूरे दिन में छोटे-छोटे आहार लेते रहें ताकि पाचन तंत्र पर अचानक भार न पड़े।  

मलेरिया बीमारी पर विशेषज्ञों की चेतावनी: 2030 तक नौ लाख से अधिक मौतें और लाखों बच्चे प्रभावित

नई दिल्ली सोचिए, एक बीमारी है जो मच्छर से फैलती है, जानलेवा है, और बच्चों को सबसे ज्यादा मारती है. दुनिया का सबसे बड़ा मलेरिया फंडिंग एजेंसी चेतावनी दे रहा है कि अगर इस बीमारी के खिलाफ अब सही समय पर पैसा नहीं लगाया गया, तो 2030 तक लगभग 9,90,000 और लोग मारे जा सकते हैं, जिनमें 7,50,000 बच्चे पांच साल से कम उम्र के हैं. मलेरिया एक ऐसा रोग है जो मच्छरों और पैरासाइट के कारण फैलता है. लेकिन इसके खतरों को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है. लोग जरूरी सतर्कता नहीं उठाए तो यही बीमारी को और खतरनाक बनाता है.  विशेषज्ञों की चेतावनी एड्स, टीबी और मलेरिया से लड़ने वाले वैश्विक कोष (Global Fund) के कार्यकारी निदेशक पीटर सैंड्स ने बर्लिन में हुए विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में कहा कि अगर मैं एचआईवी, टीबी और मलेरिया से जुड़ी वर्तमान स्थिति के बारे में सोचूं, तो मुझे रातों में सबसे ज्यादा मलेरिया की बीमारी जगाए रखती है. उन्होंने आगे बताया कि, “मेरे लिए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि इस साल मलेरिया से पिछले साल की तुलना में ज्यादा लोग मरेंगे. यह धन की कमी का असर है, और मलेरिया एक ऐसी बेरहम बीमारी है जो अविश्वसनीय रूप से तेजी से प्रतिक्रिया करती है.” मलेरिया नो मोर यूके के गैरेथ जेनकिंस ने इसे और सरल भाषा में कहा, “विकल्प स्पष्ट है कि मलेरिया को खत्म करने के लिए अभी निवेश करें या जब यह वापस आए तो कहीं ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा.” मलेरिया से मौतों का बड़ा आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मलेरिया से हर साल लगभग 5,97,000 लोग मरते हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं. मौतों का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा अफ्रीका में होता है. टीकाकरण और इलाज मौजूद होने के बावजूद, विशेषज्ञों का कहना है कि मलेरिया के खिलाफ लड़ाई अभी भी कमजोर पड़ रही है. ग्लोबल फंड और फाइनेंशियल चुनौती दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ग्लोबल फंड शिखर सम्मेलन से पहले विशेषज्ञ विभिन्न फंडिंग परिदृश्यों का अनुमान लगा रहे हैं. उम्मीद है कि 2027–2029 तक दाता देशों द्वारा योगदान तय होगा, क्योंकि ग्लोबल फंड मलेरिया नियंत्रण के लिए लगभग 60 प्रतिशत फंडिंग प्रदान करता है. ALMA (African Leaders Malaria Alliance) की कार्यकारी सचिव जॉय फुमाफी ने कहा कि हम वास्तव में मानव इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे उपकरण उपलब्ध हैं जो मलेरिया के खत्म करने में मदद कर सकते हैं. इस समय हमारी सबसे बड़ी चुनौती फाइनेंसिंग है. उन्होंने साफ कहा कि मलेरिया को खत्म करने के साधन मौजूद हैं, लेकिन पैसे की कमी सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है.

जीएसटी 2.0 के प्रभाव से कार बिक्री में तेजी, 7 लाख यूनिट्स तक पहुंची बिक्री, Maruti Suzuki ने लगाया नया मुकाम

नईदिल्ली   केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने  कहा कि 22 सितंबर से लागू हुए जीएसटी सुधारों से घरेलू ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को काफी फायदा हुआ है और गाड़ियों की बिक्री दोगुनी होकर 7 लाख यूनिट्स तक पहुंच गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि बाजार के जानकारों का कहना है कि 22 सितंबर से जीएसटी लागू होने के बाद से दीपावली तक पूरी वाहन इंडस्ट्री की रिटेल बिक्री 6,50,000 से 7,00,000 यूनिट्स के बीच रही है। उन्होंने एक मीडिया आर्टिकल को पोस्ट करते हुए लिखा, एक महीने पहले लागू हुए जीएसटी 2.0 से ऑटो इंडस्ट्री को काफी बढ़ावा मिला है और कारों की बिक्री दोगुनी से भी अधिक होकर 6,50,000 से 7,00,000 यूनिट्स तक पहुंच गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि दीपावली की खरीदारी के दौरान ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर भी मांग में तेज वृद्धि दर्ज की गई। इसमें प्रीमियम उत्पादों और इंस्टेंट डिलीवरी सर्विसेज ने ग्रोथ को बढ़ाने का काम किया। त्योहारी खर्च बड़े शहरों से आगे छोटे शहरों में भी दिखाई दिया। जीएसटी में कटौती और त्योहारी मांग के कारण कंपनियों ने बिक्री के रिकॉर्ड आंकड़े पेश किए हैं। टाटा मोटर्स ने कहा कि उसने नवरात्रि से लेकर दीपावली तक के 30 दिनों के दौरान एक लाख से अधिक गाड़ियों की डिलीवरी दी है। इस दौरान कंपनी की बिक्री में सालाना आधार पर 30 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है। फेस्टिव सीजन में बेच डाली 4.50 लाख कारें; विदेश में भी बढ़ी डिमांड नवरात्रि से लेकर दिवाली तक ऑटोमोबाइल कंपनियों ने बिक्री में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की, जिसमें देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) ने सबसे आगे रहकर झंडा गाड़ दिया। मारुति सुजुकी ने इस फेस्टिव सीजन में कुल 3.25 लाख वाहनों की रिटेल बिक्री (Retail Sales) की और लगभग 4.50 लाख गाड़ियों की बुकिंग दर्ज की। इन आंकड़ों ने साबित कर दिया कि भारतीय ग्राहक नई गाड़ी खरीदने के लिए किस कदर उत्सुक थे। कार बिक्री में इस ऐतिहासिक वृद्धि के पीछे दो प्रमुख कारक थे, जिन्होंने एक आदर्श माहौल बनाया। जीएसटी 2.0 सुधारों के तहत कारों पर टैक्स दरों में कमी आने से कई लोकप्रिय मॉडलों की कीमतें घट गईं। इससे जो ग्राहक पहले खरीदी टाल रहे थे, उत्साह के साथ शोरूम पहुंचे और जमकर खरीदारी की। कंपनियों और बैंकों द्वारा दिए गए आकर्षक लोन और फाइनेंस विकल्पों ने भी खरीदारों के लिए कार खरीदना आसान बना दिया। अनुमान बताते हैं कि नवरात्रि से दिवाली के बीच बिक्री में पिछले साल की तुलना में 15 से 35 प्रतिशत तक की तेज उछाल आई है। एसयूवी (SUV) और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की डिमांड खास तौर पर जोरदार रही। कंपनी रिटेल बिक्री (Navratri-Diwali) सालाना वृद्धि (YoY) खास बात मारुति सुजुकी 3.25 लाख यूनिट्स 50% से अधिक 4.50 लाख बुकिंग का रिकॉर्ड। टाटा मोटर्स 1 लाख यूनिट से ज्यादा ~33% अकेले धनतेरस पर रिकॉर्ड डिलीवरी। हुंडई लगभग 75,000 यूनिट ~30% डेली डिलीवरी औसतन 2,500 यूनिट। टाटा मोटर्स के लिए यह सीजन अभूतपूर्व रहा। कंपनी ने 1 लाख से ज्यादा गाड़ियों की डिलीवरी दी, जिसमें से एसयूवी ने मुख्य भूमिका निभाई। नेक्सन (Nexon): 38,000 यूनिट्स से अधिक बिकी, जिसमें 73% YoY वृद्धि हुई। पंच (Punch): लगभग 32,000 यूनिट्स बिकी, 29% YoY वृद्धि दर्ज की गई। इलेक्ट्रिक वाहन (EVs): टाटा के ईवी पोर्टफोलियो ने 10,000 से ज्यादा डिलीवरी दी, जो दिखाता है कि भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक कारों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। सिर्फ धनतेरस के एक दिन में 51,000 से ज्यादा गाड़ियों ने नए मालिकों का घर सजाया, जो एक दिन की बिक्री का नया रिकॉर्ड है। बेशक कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि केवल 'पुल-फॉरवर्ड डिमांड' (यानी जिन ग्राहकों ने पहले खरीदना टाल दिया था, उन्होंने अब ख़रीदा है) का परिणाम हो सकती है, लेकिन यह आंकड़े बाजार के लिए एक बड़ा सकारात्मक संकेत है। इस बड़ी बिक्री ने ऑटोमोबाइल कंपनियों को वित्त वर्ष के शेष महीनों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया है। इस 'फेस्टिव बोनांजा' में सिर्फ मारुति ही नहीं, बल्कि अन्य बड़ी कंपनियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है। मारुति सुजुकी की भी पॉजिशन मजबूत रही है और कंपनी ने मार्केट लीडर का खिताब बनाए रखा है। इंडस्ट्री बॉडी कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के मुताबिक, जीएसटी दरों में कटौती और स्थानीय या स्वदेशी उत्पादों की जोरदार मांग के चलते, 2025 में दीपावली की बिक्री रिकॉर्ड 6.05 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। दीपावली पर व्यापार में आई तेजी से लॉजिस्टिक्स, परिवहन, खुदरा सहायता, पैकेजिंग और डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में लगभग 50 लाख लोगों के लिए अस्थायी रोजगार पैदा होने का अनुमान है।

प्रदेश में 45 रोड सेफ्टी एंड एनफोर्समेंट चेकिंग प्वाइंट से होगी निगरानी, नागरिकों को मिलेगी फेसलेस सुविधा

प्रदेश में 45 रोड सेफ्टी एण्ड एनफोर्समेंट चेकिंग प्वाइंट से निगरानी,  नागरिकों को फेसलेस सुविधा भोपाल  प्रदेश में वाहन चेकिंग की पारदर्शी व्यवस्था लागू करने तथा सुशासन के उद्देश्य से प्रदेश के समस्त परिवहन चेकपोस्टों को बंद कर दिया गया है। इनके स्थान पर परिवहन विभाग ने 45 "रोड सेफ्टी एण्ड एनफोर्समेंट चेकिंग प्वाइंट" प्रारम्भ कर दिए हैं। इन पर पदस्थ प्रवर्तन बल द्वारा बॉडीवोर्न कैमरों की निगरानी में पीओएस मशीन के माध्यम से वाहनों के विरुद्ध ऑनलाइन चालानी कार्यवाही की जा रही है। "इज ऑफ डुइंग बिजनेस" के अंतर्गत इन प्वाइंट पर द्वारा अहम निर्णय लेते हुए प्रदेश में प्रवेश करने वाले अन्य राज्यों के वाहनों द्वारा ई-चेकपोस्ट मॉड्यूल के माध्यम से ऑनलाइन मोटरयान कर जमा करने की सुविधा दी गई है। परिवहन विभाग ने इस वर्ष 5 हजार 693 करोड़ रूपये का राजस्व संग्रहण का लक्ष्य रखा है। पिछले वर्ष 2024-25 में परिवहन विभाग ने करीब 4 हजार 875 करोड़ रूपये का राजस्व संग्रहण किया था। यह राजस्व वर्ष 2023-24 के मुकाबले 5.83 प्रतिशत अधिक रहा है। प्रदेश में बनाये गये सुविधा केन्द्र परिवहन विभाग की प्रक्रिया को सरल बनाने तथा आम जनता को सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वाहनों के रजिस्ट्रेशन, परमिट तथा ड्राइविंग लाइसेंस आदि से संबंधित अधिकतर सेवाओं को एनआईसी के पोर्टल "वाहन" तथा "सारथी" के माध्यम से फेसलेस प्रदान किया जाना प्रारम्भ किया गया है, जिसमें आवेदक को कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होती। आमजन को परिवहन विभाग की सेवाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करने में सहायता करने के लिए सीएससी सेंटर्स के अतिरिक्त एमपी ऑनलाइन सेंटर्स को भी राज्य सरकार द्वारा सुविधा केन्द्र के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। आम जनता की सुविधा के लिये वाहनों के पंजीयन प्रमाण पत्र एवं ड्राइविंग लाइसेंस डिजिटल रूप से रख सकने के उद्देश्य से परिवहन विभाग द्वारा आवेदकों को ड्राइ‌विंग लाईसेंस एवं पंजीयन प्रमाण पत्र इलेक्ट्रानिक रूप में जारी किया जाना प्रारंभ किया गया है। नकदी रहित उपचार सुविधा सड़क दुर्घटना में घायलों के त्वरित उपचार के लिये "सड़क दुर्घटना पीडितों का नगदी रहित उपचार स्कीम-2025" सुचारू रूप से क्रियान्वित की गई है, जिसके तहत पीड़ित ऐसी दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिन की अवधि के लिये किसी भी नाम निर्दिष्ट अस्पताल में प्रति पीड़ित एक लाख पचास हजार रूपये तक की रकम के नकदी रहित उपचार करा सकता है। इसके अलावा सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल पीड़ितों को गोल्डल आवर के अंदर अस्पताल तक में जाकर उन‌की सहायता करने वाले राह-वीरों को प्रोत्साहन स्वरूप 25 हजार रूपये एवं सर्टिफिकेट प्रदान किया जा रहा है।  

मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य, जहां भोपाल में स्थापित होगी एयरोप्लेन डिस्मेंटल यूनिट; जर्मन कंपनी से बातचीत जारी

भोपाल  पड़ोसी राज्यों में मप्र पहला ऐसा राज्य है जो एयरोप्लेन डिस्मेंटल यूनिट (टियरडाउन यूनिट) स्थापित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। जर्मनी की एक कंपनी से इसके लिए बातचीत चल रही है। यह यूनिट देश में एयरोप्लेन की कमी को दूर करने में अहम रोल अदा करेगी। भविष्य में मप्र को एयरोप्लेन का रख-रखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) यूनिट भी मिल सकती है। जब किसी भी राज्य में ये दोनों यूनिट हो तो प्लेन का निर्माण करने वाली कंपनियां उत्पादन की दिशा में कदम रख सकती है। डिस्मेंटल यूनिट लगाने की इच्छुक जर्मनी कंपनी के प्रमुखों से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दो दौर की बातचीत हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री उक्त यूनिट की स्थापना को लेकर काफी प्रयासरत है। इसकी शुरुआत जर्मनी यात्रा के दौरान हुई थी। तभी मुख्यमंत्री से उक्त यूनिट में रूचि रखने वाली कंपनी के प्रमुखों की बातचीत हुई थी, इसके बाद जर्मनी का एक दल हाल में मध्यप्रदेश के भ्रमण पर आया था। अधिकारियों की माने तो सरकार कंपनी को जमीन और कई सुविधाएं देने को तैयार है। इस यूनिट को सरकार 70 से 100 एकड़ जमीन देने के लिए लगभग तैयार है। कंपनी की शर्त है कि उन्हें भोपाल के नजदीक जमीन दी जाए, ताकि उक्त यूनिट के लिए जरूरी अमले को आवागमन में आसानी हो। हालांकि सरकार के पास भोपाल के आसपास जमीन की उपलब्धता बहुत कम है। क्या होती है एयरोप्लेन डिस्मेंटल यूनिट यह हवाई जहाज को विघटित करने वाली इकाई अर्थात टियर डाउन इकाई कहलाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी विमान को व्यवस्थित रूप से अलग किया जाता है। इसमें सबसे अहम, उपयोगी पुर्जों अथवा उपकरणों को बचाना प्रमुख चुनौती होती है। इस प्रक्रिया में खतरनाक सामग्रियों को हटाना, इंजन और लैंडिंग गियर जैसे प्रमुख पुर्जों को अलग करना, फिर शेष संरचना को पुनर्चक्रण के लिए छोटे टुकड़ों में काटना शामिल होता है। प्लेन डिस्मेंटल यूनिट से प्रदेश को ये होंगे फायदे प्लेन एक बड़ा स्ट्रक्चर होता है, जिसे नष्ट करने की प्रक्रिया बहुत लंबी और जटिल होती है। इसमें कई महीने लगते हैं और सैंकड़ों कर्मचारियों की जरुरत होती है, जो कि प्रभावी तकनीकी से दक्ष होते हैं। यूनिट स्थापित की जाती है तो एयरोप्लेन के निर्माण से जुड़े कामों में दक्ष कर्मचारियों का मूवमेंट बढ़ेगा। प्लेन में कई कलपुर्जे होते हैं, जिनकी औसत आयु अलग-अलग होती है। ये बहुत महंगे और आसानी से उपल–ब्ध नहीं होने वाले उपकरणों में शामिल होते हैं। जब कई अलग-अलग कारणों से प्लेन को ऑपरेशन से बाहर किया जाता है तब भी उक्त प्लेन में उपयोग किए जाने योग्य कई उपकरण होते हैं, इन्हें सुरक्षित निकालना और उपयोग करना बड़ी चुनौती होता है।

FAO रिपोर्ट: भारत का वन क्षेत्र तेजी से बढ़ा, एक दशक में 1.91 हेक्टेयर का विस्तार, विश्व में 9वां स्थान हासिल

नई दिल्ली भारत ने वैश्विक स्तर पर कुल वन क्षेत्र के मामले में नौवां स्थान हासिल करके वैश्विक पर्यावरण संरक्षण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को बाली में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा शुरू किए गए वैश्विक वन संसाधन आकलन (GFRA) का हवाला देते हुए यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय प्रगति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की सफलता को रेखांकित करती है, जिनका उद्देश्य वन संरक्षण, वनीकरण और समुदाय के नेतृत्व में पर्यावरणीय कार्रवाई करना है. यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "भारत वैश्विक वन आकलन 2025 में शीर्ष 9 में है. हमने पिछले आकलन में 10वें स्थान की तुलना में वैश्विक स्तर पर वन क्षेत्र के मामले में 9वां स्थान हासिल किया है. हमने वार्षिक लाभ के मामले में भी वैश्विक स्तर पर अपना तीसरा स्थान बनाए रखा है.एफएओ ने बाली में वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन (जीएफआरए) 2025 शुरू किया है.” एक पेड़ मां के नाम पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल – 'एक पेड़ मां के नाम' से पूरे देश को पौधारोपण की प्रेरणा मिल रही है। उन्होंने कहा कि पौधारोपण अभियानों में बढ़ती जन भागीदारी, विशेष रूप से 'एक पेड़ मां के नाम' पहल के तहत, और राज्य सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर चलाए गए अभियानों ने इस प्रगति में योगदान दिया है। सभी भारतीयों के लिए खुशी उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, ''यह सभी भारतीयों के लिए खुशी का कारण है। हमने पिछले मूल्यांकन में 10वें स्थान की तुलना में वैश्विक स्तर पर वन क्षेत्र के मामले में 9वां स्थान हासिल किया है। हमने वार्षिक लाभ के मामले में भी वैश्विक स्तर पर अपना तीसरा स्थान बनाए रखा है। वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन (जीएफआरए) 2025 को एफएओ द्वारा बाली में जारी किया गया है।'' दुनिया के शीर्ष 10 वन-समृद्ध देशों में शामिल है भारत एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया का कुल वन क्षेत्र 4.14 बिलियन हेक्टेयर है, जो पृथ्वी की 32 प्रतिशत भूमि को कवर करता है। इसका आधे से ज्यादा (54 प्रतिशत) हिस्सा सिर्फ पांच देशों – रूस, ब्राजील, कनाडा, अमेरिका और चीन में केंद्रित है। आस्ट्रेलिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इंडोनेशिया के बाद भारत दुनिया के शीर्ष 10 वन-समृद्ध देशों में शामिल है। चीन ने दर्ज की सबसे ज्यादा वृद्धि चीन ने 2015 और 2025 के बीच वन क्षेत्र में सबसे ज्यादा शुद्ध वार्षिक वृद्धि दर्ज की, जो 1.69 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष थी, उसके बाद रूस 9,42,000 हेक्टेयर और भारत 1,91,000 हेक्टेयर के साथ दूसरे स्थान पर है। महत्वपूर्ण वन विस्तार वाले अन्य देशों में तुर्किये (1,18,000 हेक्टेयर), आस्ट्रेलिया (1,05,000 हेक्टेयर), फ्रांस (95,900 हेक्टेयर), इंडोनेशिया (94,100 हेक्टेयर), दक्षिण अफ्रीका (87,600 हेक्टेयर), कनाडा (82,500 हेक्टेयर) और वियतनाम (72,800 हेक्टेयर) शामिल हैं। वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज करने वाला एकमात्र क्षेत्र है एशिया मूल्यांकन से पता चला है कि 1990 और 2025 के बीच वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज करने वाला एशिया एकमात्र क्षेत्र है, जिसमें चीन और भारत में वृद्धि सबसे ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर शुद्ध वन हानि की वार्षिक दर में आधे से भी ज्यादा की कमी आई है, जो 1990 के दशक के 10.7 मिलियन हेक्टेयर से घटकर 2015-2025 के दौरान 4.12 मिलियन हेक्टेयर हो गई है। एफएओ ने कहा कि एशिया के वन विस्तार ने वैश्विक वनों की कटाई को धीमा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 20 प्रतिशत वन अब कानूनी रूप से स्थापित संरक्षित क्षेत्रों में हैं, जबकि 55 प्रतिशत का प्रबंधन दीर्घकालिक योजनाओं के तहत किया जाता है। यादव ने कहा कि बढ़ती जन भागीदारी हरित और टिकाऊ भविष्य के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी की मजबूत भावना को बढ़ावा दे रही है. एफएओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का कुल वन क्षेत्र 4.14 अरब हेक्टेयर है, जो पृथ्वी की 32 फीसदी जमीन पर है. रिपोर्ट के अनुसार आधे से अधिक वनक्षेत्र (54 प्रतिशत) सिर्फ पांच देशों – रूस, ब्राजील, कनाडा, अमेरिका और चीन में है. वहीं ऑस्ट्रेलिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इंडोनेशिया के बाद भारत दुनिया के शीर्ष 10 वन-समृद्ध देशों में शामिल है. इतना ही नहीं चीन में 2015 से 2025 के बीच वन क्षेत्र में सबसे ज्यादा वार्षिक शुद्ध वृद्धि 1.69 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष दर्ज की गई, उसके बाद रूसी संघ 9,42,000 हेक्टेयर और भारत 1,91,000 हेक्टेयर के साथ दूसरे स्थान पर है. इसके अलावा अहम वन विस्तार वाले अन्य देशों में तुर्किये (1,18,000 हेक्टेयर), ऑस्ट्रेलिया (1,05,000 हेक्टेयर), फ्रांस (95,900 हेक्टेयर), इंडोनेशिया (94,100 हेक्टेयर), दक्षिण अफ्रीका (87,600 हेक्टेयर), कनाडा (82,500 हेक्टेयर) और वियतनाम (72,800 हेक्टेयर) शामिल हैं. गौरतलब है कि मूल्यांकन से पता चला है कि एशिया इकलौता ऐसा इलाका है जहां 1990 से 2025 के बीच वन क्षेत्र में इजाफा दर्ज किया गया. इसमें चीन और भारत का योगदान सबसे ज्यदा है. एफएओ ने कहा कि एशिया में वनक्षेत्र विस्तार ने वैश्विक वनों की कटाई को धीमा करने में अहम भूमिका निभाई है जबकि दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में वनों की सबसे अधिक कटाई हुई है. विशेषज्ञ की राय नीतिगत फोकस का स्पष्ट प्रतिबिंब है : वोहरा इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, पर्यावरण कार्यकर्ता बीएस वोहरा ने ईटीवी भारत को बताया, "कुल वन क्षेत्र में भारत का विश्व स्तर पर 9वें स्थान पर पहुंचना और वार्षिक वन वृद्धि में तीसरे स्थान पर बने रहना, निरंतर वनीकरण कार्यक्रमों और नीतिगत फोकस का स्पष्ट प्रतिबिंब है. यह संकेत देता है कि समुदाय-आधारित वृक्षारोपण अभियान, नीति-स्तरीय वन प्रशासन और 'एक पेड़ के नाम' जैसी पहल जैसे बड़े पैमाने के प्रयास अपना प्रभाव दिखा रहे हैं." हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि अब ध्यान मात्रा से हटकर गुणवत्ता पर केंद्रित होना चाहिए, ताकि दीर्घकालिक पर्यावरणीय और जलवायु लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए जैव विविधता, पारिस्थितिक स्वास्थ्य और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके.  

मेडिकल क्षेत्र में बड़ी सफलता: यूनिवर्सल किडनी बनी, हर ब्लड ग्रुप के लिए काम आएगी

 नई दिल्ली किडनी की बीमारी से जूझ रहे लाखों लोग रोज नई उम्मीद की तलाश में रहते हैं. लेकिन अब एक अच्छी खबर है. कनाडा और चीन के वैज्ञानिकों ने 10 साल की मेहनत के बाद यूनिवर्सल किडनी बनाई है, जो किसी भी ब्लड टाइप वाले मरीज को दी जा सकती है. इससे वेटिंग लिस्ट छोटी होगी और जिंदगियां बचेंगी. मेडिकल की दुनिया में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है। उन्होेंने ऐसी यूनिवर्सल किडनी बना ली है जो हर ब्लड ग्रुप के मरीजों से मैच होगी। ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट करने समय डोनर खोजने का झंझट खत्म हो जाएगा। लाखों लोगों में जगी उम्मीद किडनी की बीमारी से जूझ रहे लाखों लोग रोज नई उम्मीद की तलाश में रहते हैं। अब ऐसे मरीजों के लिए अच्छी खबर आई है। कनाडा और चीन के वैज्ञानिकों ने 10 साल की मेहनत के बाद यूनिवर्सल किडनी बनाई है। यह किसी भी ब्लड ग्रुप वाले मरीज को दी जा सकती है। यह खोज मेडिकल की दुनिया में चमत्कार मानी जा रही है। इससे केवल वेटिंग लिस्ट छोटी होगी बल्कि रोगियों को नई जिंदगी मिलेगी। इस नई खोज से दुनिया भर के डॉक्टर उत्साहित हैं। डॉक्टरों के अनुसार किडनी ट्रांसप्लांट में अभी तक कई जटिलताएं हैं जिससे रोगी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ट्रांसप्लांट से पहले डोनर की किडनी रिसीवर के ब्लड ग्रुप से मैच करनी पड़ती है। उदाहरण के लिए ओ टाइप का ब्लड यूनिवर्सल डोनर है। यानी ये किसी भी ग्रुप ए, बी, एबी और ओ वाले को अपनी किडनी दे सकता है। समस्या यह है कि ओ टाइप की किडनियां कम हैं, क्योंकि इन्हें हर कोई इस्तेमाल कर सकता है।  वेटिंग लिस्ट हो जाएगी कम वेटिंग लिस्ट के अनुसार आधे से ज्यादा लोग ओ टाइप की किडनी का इंतजार करते हैं। अमेरिका में ही रोज 11 लोग किडनी न मिलने से मर जाते हैं। भारत में भी लाखों मरीज डायलिसिस पर जी रहे हैं। अगर अलग ब्लड ग्रुप की किडनी ट्रांसप्लांट करें तो बॉडी उसे विदेशी समझकर रिजेक्ट कर देती है। मौजूदा तरीके में मरीज को कई महीनों तक दवाओं पर ही निर्भर रहना पड़ता है। डॉक्टरों के अनुसार यह प्रोसेस काफी महंगा, लंबा और जोखिम भरा है। मरीजों की जान बचाने के लिए लिविंग डोनर चाहिए। ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट करने में कई महीने लग जाते हैं। ओ टाइप जैसी किडनी वैज्ञानिकों ने जिस नई किडनी को बनाया है वह ओ टाइप जैसी है। ये किसी भी ब्लड ग्रुप वाले मरीज के बॉडी में घुल-मिल जाएगी। वैज्ञानिकों ने ए टाइप की किडनी को ओ टाइप में बदल दिया। कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के बायोकेमिस्ट स्टीफन विथर्स के अनुसार ये पहली बार इंसानी बॉडी में टेस्ट हुई है। इससे हमें लंबे समय तक काम करने के टिप्स मिले। ये किडनी ब्रेन-डेड यानी मस्तिष्क मृत व्यक्ति के बॉडी में कई दिनों तक काम करती रही। परिवार की सहमति से यह रिसर्च हुई है।  ब्लड टाइप ए,बी और  एबी में किडनी की सतह पर शुगर मॉलिक्यूल्स लगाए जाते हैं। इससे ये बॉडी को बताते हैं कि ये किडनी अपनी है विदेशी नहीं है।  पुरानी कार से रंग हटाने जैसा शोध विथर्स का कहना है कि यह पुरानी कार से रंग हटाने जैसा है। एंटीजेंस हटते ही इम्यून सिस्टम किडनी को अपना समझ लेता है। ये एंजाइम्स पहले से पहचाने गए थे, लेकिन अब इन्हें किडनी पर सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है। यह रिसर्च नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जर्नल में छपी है। वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया भर में किडनी फेलियर बढ़ रहा है। इसका बड़ा  कारण डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर है। ऐसे में दुनियाभर में किडनी के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब इस यूनिवर्सल किडनी के आ जाने से करोड़ों लोगों का जीवन बचाया जा सकेगा। यूनिवर्सल किडनी क्या है? एक नजर ये नई किडनी 'O टाइप जैसी' है, जो किसी भी ब्लड ग्रुप वाले मरीज के बॉडी में घुल-मिल जाएगी. वैज्ञानिकों ने A टाइप की किडनी को O टाइप में बदल दिया. कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के बायोकेमिस्ट स्टीफन विथर्स कहते हैं कि ये पहली बार इंसानी बॉडी में टेस्ट हुई. इससे हमें लंबे समय तक काम करने के टिप्स मिले. ये किडनी ब्रेन-डेड (मस्तिष्क मृत) व्यक्ति के बॉडी में कई दिनों तक काम करती रही. परिवार की सहमति से ये रिसर्च हुई. कैसे बनाई गई ये किडनी? एंजाइम्स की जादुई कैंची ब्लड टाइप A, B या AB में किडनी की सतह पर शुगर मॉलिक्यूल्स (एंटीजेंस) लगे होते हैं, जो बॉडी को बताते हैं कि ये 'अपनी' है या 'विदेशी'. O टाइप में ये एंटीजेंस नहीं होते. वैज्ञानिकों ने स्पेशल एंजाइम्स (प्रोटीन) इस्तेमाल किए, जो A टाइप के एंटीजेंस को काट देते हैं. विथर्स इसे कार के रंग हटाने से तुलना करते हैं. कहते हैं कि जैसे लाल पेंट हटाकर न्यूट्रल प्राइमर दिखाना. एंटीजेंस हटते ही इम्यून सिस्टम किडनी को अपना समझ लेता है. ये एंजाइम्स पहले से पहचाने गए थे, लेकिन अब इन्हें किडनी पर सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया. रिसर्च नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जर्नल में छपी है. टेस्ट कैसे हुआ? रिजल्ट्स क्या निकले? ब्रेन-डेड व्यक्ति के बॉडी में A टाइप किडनी ट्रांसप्लांट की गई. वो कई दिनों तक काम करती रही – ब्लड फिल्टर किया, वेस्ट हटाया. तीसरे दिन A टाइप के साइन थोड़े दिखे, जिससे हल्का इम्यून रिस्पॉन्स हुआ. लेकिन ये सामान्य से कम था. बॉडी किडनी को सहन करने की कोशिश कर रही थी. विथर्स कहते हैं कि ये बेसिक साइंस का मरीजों तक पहुंचना है. हमारी खोजें अब रियल वर्ल्ड में असर दिखा रही हैं. आगे की चुनौतियां: अभी लिविंग ह्यूमन्स में टेस्ट बाकी ये शुरुआत है. कई मुश्किलें बाकी हैं…     एंटीजेंस पूरी तरह न हटें, तो रिजेक्शन हो सकता है.     लंबे समय तक कैसे चलेगी? अभी सिर्फ कुछ दिन.     लिविंग पेशेंट्स पर ट्रायल कब? अभी दूर है. वैज्ञानिक दूसरे तरीके भी आजमा रहे हैं – जैसे पिग्स की किडनी इस्तेमाल करना या नई एंटीबॉडीज बनाना. लेकिन ये यूनिवर्सल किडनी वेटिंग टाइम कम करके लाखों जिंदगियां बचा सकती है. क्यों महत्वपूर्ण है ये ब्रेकथ्रू?  दुनिया भर में किडनी फेलियर बढ़ रहा है – डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर से. अमेरिका में 1 लाख से ज्यादा … Read more