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ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज रिकी पोंटिंग की पत्नी करती हैं शराब का बिज़नेस, जानिए ब्रांड का नाम

सिडनी  आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक दिग्गज क्रिकेटर की पत्नी का शराब का कारोबार है. लेकिन यह बिल्कुल सच है. दरअसल पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट कप्तान रिकी पोंटिंग और उनकी पत्नी रियान कैंटर ने अपने प्रीमियम ब्रांड पोंटिंग वाइन्स के साथ वाइन उद्योग में एक शानदार शुरुआत की है. आइए जानते हैं कैसे हुई इस ब्रांड की शुरुआत.  पोंटिंग वाइन्स की शुरुआत  अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद रिकी पोंटिंग ने कई क्षेत्रों में अपनी किस्मत आजमाई. पहले कमेंट्री, फिर कोचिंग और फिर वाइन मेकिंग. अपनी पत्नी रियाना के साथ मिलकर उन्होंने बेहतरीन वाइन बनाने का फैसला किया. दोनों ने साथ मिलकर पोंटिंग वाइन्स लॉन्च किया. वाइन निर्माता बेन रिग्स का सहयोग  अपने ब्रांड के लिए पोंटिंग ने बेन रिग्स के साथ कोलैबोरेशन किया. बेन रिग्स एक पुरस्कार विजेता ऑस्ट्रेलिया वाइन निर्माता हैं. इन्होंने साथ मिलकर कुछ ऐसी वाइन बनाई जो गुणवत्ता, स्वाद और विरासत का एक अनोखा मेल है. रिकी पोंटिंग ने 2023 में इस ब्रांड को भारत में लॉन्च किया था. हालांकि भारत में से पूरी तरह से पेश करने में टैक्स संबंधित बाधाओं का सामना करना पड़ा. इसी के साथ भारत में लॉन्च होने के बाद से पोंटिंग वाइन्स ने ऑस्ट्रेलिया में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीते हैं. आपको बता दें कि इस वाइन को ऑस्ट्रेलिया के प्रीमियम वाइन क्षेत्र जैसे की साउथ ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड हिल्स, मैक्लारेन वेल और तस्मानिया में कोल रिवर वैली से अंगूरों का इस्तेमाल करके बनाया जाता है. पोंटिंग वाइंस प्रीमियम रेड, व्हाइट और रोसे वाइन की रेंज में आती है. क्रिकेट के मैदान से वाइनयार्ड तक की सफलता  इस ब्रांड को वाइन प्रेमियों से अच्छी खासी समीक्षाएं मिली हैं. इसी के साथ रिकी पोंटिंग को इस व्यवसाय से अच्छा खासा मुनाफा हुआ है. यह सिर्फ एक छोटा-मोटा प्रोजेक्ट नहीं बल्कि एक फलता फूलता व्यवसाय है.  रिकी पोंटिंग का क्रिकेट करियर  रिकी पोंटिंग 1999, 2003 और 2007 में ऑस्ट्रेलिया की विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे और बाद के दो में उन्होंने कप्तानी भी की. उन्होंने 77 टेस्ट मैचों में से 48 में जीत हासिल की है और ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल टेस्ट कप्तान बने हुए हैं. रिकी पोंटिंग टेस्ट और वनडे दोनों में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में से एक है. इसी के साथ उनका नाम सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शतक बनाने वाले क्रिकेटर में आता है.

सर्विस क्वालिटी सर्वे में पुणे ने मारी बाज़ी, इंदौर एयरपोर्ट चौथे स्थान पर, चूहे ने गिराई रैंकिंग

इंदौर  इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट की रैंकिंग में इस तिमाही में गिरावट दर्ज की गई है। एयरपोर्ट सर्विस क्वालिटी (एएसक्यू) सर्वे की तीसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) की रिपोर्ट के अनुसार इंदौर एयरपोर्ट देश में एक पायदान नीचे खिसककर चौथे स्थान पर पहुंच गया है। पिछली तिमाही में यह तीसरे स्थान पर था, जबकि पहली तिमाही में भी चौथे स्थान पर रहा था। यात्री को चूहे द्वारा काटने की घटना का भी एयरपोर्ट की छवि पर असर पड़ा है। इसके पहले दूसरे तिमाही के बराबर 4.93 अंक रहने के बावजूद इंदौर को चौथी रैंकिंग से संतोष करना पड़ा। वाराणसी एयरपोर्ट ने अपनी रैंकिंग में 0.02 अंकों का सुधार कर 4.94 अंक प्राप्त कर तीसरा स्थान हासिल किया। एशिया पैसेफिक की इंटरनेशनल रैंकिंग में भी इंदौर एयरपोर्ट को पांच पायदान का नुकसान हुआ है। अब यह 98 एयरपोर्ट में 58वें से 63वें स्थान पर पहुंच गया है। पुणे एयरपोर्ट नंबर वन देश में इस समय पुणे एयरपोर्ट 4.96 अंकों के साथ पहले स्थान पर है, जबकि गोवा दूसरे और वाराणसी को 4.94 अंक के साथ तीसरा स्थान पर रहा। इंदौर एयरपोर्ट को 4.93 अंक प्राप्त हुए हैं। अच्छी बात यह है कि गोवा और वाराणसी से इंदौर के अंक में केवल 0.1 का ही अंतर है। एएसक्यू सर्वे एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (एसीआई) द्वारा किया जाता है, जिसमें सालाना 18 लाख से अधिक यात्रियों की आवाजाही वाले एयरपोर्ट शामिल किए जाते हैं। एयरपोर्ट प्रबंधन का कहना है कि यात्रियों की शिकायतों और सर्वे के निष्कर्षों के आधार पर सुविधाओं में सुधार किया जाएगा। लक्ष्य है कि आने वाली तिमाही में इंदौर एयरपोर्ट फिर से शीर्ष में अपनी जगह बनाए। सफाई और शॉपिंग सुविधाओं पर कम अंक इस तिमाही में यात्रियों से 31 बिंदुओं पर प्रतिक्रिया ली गई, जिनमें से 24 बिंदुओं पर इंदौर एयरपोर्ट के अंक घटे हैं। सबसे कम स्कोर शॉपिंग व वैल्यू फॉर मनी, वाशरूम की स्वच्छता और टॉयलेट्स की मेंटेनेंस पर मिला। हालांकि, सुरक्षा जांच और कर्मचारियों की मददगार प्रवृत्ति के बिंदुओं पर एयरपोर्ट को बेहतर अंक मिले हैं। चूहे के काटने की घटना का असर सितंबर 2025 में एयरपोर्ट पर एक यात्री को चूहे के काटने की घटना ने भी इंदौर एयरपोर्ट की छवि को नुकसान पहुंचाया। घटना के बाद प्रबंधन ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को हटाया और सफाई व पेस्ट कंट्रोल कंपनियों पर जुर्माना लगाया था। देश के शीर्ष 10 एयरपोर्ट पुणे, गोवा, वाराणसी, इंदौर, चेन्नई, गुरुग्राम, कोलकाता, रायपुर, बस्तर और पटना एयरपोर्ट इस तिमाही के टॉप-10 में शामिल हैं। इन पाइंट पर होता है सर्वे     एयरपोर्ट पहुंचने में आसानी।     टर्मिनल पर प्रवेश के लिए साइन बोर्ड।     हवाई अड्डे पर पहुंचने के लिए परिवहन साधन की कीमत।     अपने चेक इन क्षेत्र को आसानी से खोजें।     चेक इन पर प्रतीक्षा समय।     सुरक्षा प्रस्ताव में प्रतीक्षा समय।     सुरक्षा जांच कर्मचारियों की निष्ठा और मदद करना।     कस्टम और पासपोर्ट काउंटर पर प्रतीक्षा।     काउंटर स्टाफ की निष्ठा और मदद करने का उद्देश्य।     रेस्तरां, बार, कैफे की कीमत के अनुरूप होना।     दुकान व रेस्तरां के कर्मचारियों का मदद करना।     टर्मिनल में अपना रास्ता तलाशने में आसानी।     उड़ान की जानकारी के डिस्पले।     टर्मिनल में चलने की दूरी और कनेक्ट करने में आसानी।     चार्जिंग स्टेशनों की उपलब्धता।     मनोरंजन और विश्राम के विकल्प।     टॉयलेट की उपलब्धता।     टॉयलेट की स्वच्छता।     स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा स्वच्छता।     माहौल और वातावरण।     स्टाफ की शिष्टता और मदद करने का रवैया।  

त्रिनिदाद में राम मंदिर निर्माण की तैयारी, सरकार का भरोसा- पूरा साथ देंगे

त्रिनिदाद  कैरेबियन का एक छोटा-सा देश, समुद्र के बीच बसा हुआ. लेकिन वहां गूंजती है “सिय राममय सब जग जानी…”. बात हो रही है त्रिनिदाद और टोबैगो की. यहां हिंदू आबादी अच्छी-खासी है और भगवान राम के प्रति आस्था पीढ़ियों से चली आ रही है. इसी आस्था को और मजबूत करने के लिए देश की राजधानी में राम मंदिर बनाने की तैयारी हो रही है. त्रिनिदाद के जन सुविधा मंत्री बैरी पदारथ ने धार्मिक नेताओं के साथ बैठक में यह घोषणा की है कि सरकार इस मंदिर की योजना को पूरा समर्थन देगी. उन्होंने कहा कि  राम लला की पहल का हम स्वागत करते हैं और हम इसका समर्थन करते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि दुनिया में जहां-जहां हिंदू संस्कृति बची है, उनमें त्रिनिदाद और टोबैगो की पहचान एक ‘रामायण देश’ के रूप में होती है. पर्यटन और संस्कृति- दोनों को मिलेगा फायदा सरकार इस राम मंदिर को सिर्फ पूजा की जगह नहीं, बल्कि एक पर्यटन और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी देख रही है. यहां होगा पूजा-पाठ, शिक्षा और सांस्कृतिक कार्यक्रम, हिंदू परंपराओं का संरक्षण और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना. सरकार का मानना है कि इससे देश की पहचान और मजबूत होगी और दुनिया भर के श्रद्धालु यहां आएंगे. ‘अयोध्या नगरी’ का भी खास प्रस्ताव न्यूयॉर्क की संस्था ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ राम मंदिर के संस्थापक प्रेम भंडारी ने एक और दिलचस्प प्रस्ताव दिया है कि यहां एक छोटी ‘अयोध्या नगरी’ बनाई जाए. खास तौर पर उन लोगों के लिए जो भारत की अयोध्या नहीं जा पाते. यह प्रस्ताव उन्होंने त्रिनिदाद की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर के सामने रखा है.अभी हाल के महीनें मई 2025 में  त्रिनिदाद-टोबैगो में अयोध्या के राम मंदिर की रामलला प्रतिमा की प्रतिकृति का अनावरण हुआ था. जब वह प्रतिमा पोर्ट ऑफ स्पेन पहुंची तो 10,000 से ज्यादा भक्तों ने उसका स्वागत किया था. यह बताता है कि यहां भगवान राम लोगों के दिलों में कितने गहरे बसे हुए हैं. भारत से रिश्ते और मोदी का सम्मान इसी साल जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी त्रिनिदाद-टोबैगो की यात्रा पर गए थे. यह उनकी इस देश की पहली आधिकारिक यात्रा थी और 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की वहां पहली द्विपक्षीय यात्रा भी. इसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी को देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भी मिला था, ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो. प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर ने यह सम्मान देते हुए मोदी को वैश्विक नेतृत्व, भारतीय प्रवासियों से जुड़े रिश्ते और कोविड-19 के समय मदद के लिए धन्यवाद दिया. सम्मान मिलने पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं इसे 140 करोड़ भारतीयों की ओर से स्वीकार करता हूं. मंत्री बैरी पदारथ ने कहा कि अगले कुछ महीनों में राम मंदिर और हिंदू धार्मिक जीवन से जुड़े और बड़े ऐलान होंगे. सरकार का लक्ष्य साफ है कि त्रिनिदाद-टोबैगो को हिंदू धर्म का मजबूत केंद्र बनाना, धार्मिक पर्यटन बढ़ाना  और भगवान राम की शिक्षा को दुनिया तक फैलाना.

नाबालिग की संपत्ति के सौदे अब व्यस्क होने पर खुद कैंसिल कर सकेंगे, बिना केस दर्ज कराए

नई दिल्ली  देश की सर्वोच्च अदालत ने नाबालिगों से संबंधित संपत्ति के लेन-देन पर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अगर माता-पिता या अभिभावक कोर्ट की परमीशन के बिना किसी नाबालिग की संपत्ति बेच देते हैं तो बालिग होने के बाद वह उस सौदे को कैंसिल कर सकता है. वहीं, कोर्ट ने आगे कहा कि इसके लिए किसी भी तरह का मुकदमा दर्ज करने की जरुरत नहीं होगी. अदालत ने कहा कि व्यवहार से अस्वीकृति भी कानूनी रूप से वैध मानी जाएगी. बता दें, कोर्ट ने 7 अक्टूबर को एक केस का फैसला देते हुए यह कहा कि कोई नाबालिग व्यस्क हो जाता है, तो वह अपने माता-पिता या अभिभावक के संपत्ति के स्वयं बेचना या किसी अन्य को देने वाले फैसले को अस्वीकार कर सकता है. यह फैसला जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने केएस शिवप्पा बनाम श्रीमती के नीलाम्मा मामले में सुनाया. न्यायमूर्ति मिथल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सुरक्षित रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि नाबालिग के अभिभावक द्वारा निष्पादित शून्यकरणीय लेनदेन को नाबालिग द्वारा वयस्क होने पर समय के भीतर अस्वीकार और नजरअंदाज किया जा सकता है, या तो शून्यकरणीय लेनदेन को रद्द करने के लिए मुकदमा दायर करके या अपने स्पष्ट आचरण से उसे अस्वीकार करके. फैसले में कहा गया कि विवादास्पद प्रश्न यह है कि क्या नाबालिगों के लिए यह आवश्यक है कि वे निर्धारित समयावधि के भीतर वयस्क होने पर अपने प्राकृतिक अभिभावक द्वारा निष्पादित पूर्व विक्रय विलेख को रद्द करने के लिए वाद दायर करें. इसमें कहा गया कि प्रश्न यह है कि क्या वयस्क होने के तीन वर्ष के भीतर उनके आचरण के माध्यम से इस तरह के विक्रय विलेख को अस्वीकृत किया जा सकता है. प्रश्नों का उत्तर देने के लिए, पीठ ने हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम, 1956 की धारा 7 और 8 का हवाला दिया और कहा कि प्रावधानों को सरलता से पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि नाबालिग के प्राकृतिक अभिभावक को बिना अदालत की पूर्व अनुमति के नाबालिग की अचल संपत्ति के किसी भी हिस्से को बंधक रखने, बेचने, उपहार देने या अन्यथा हस्तांतरित करने या यहां तक ​​कि ऐसी संपत्ति के किसी भी हिस्से को पांच साल से अधिक अवधि के लिए या नाबालिग के वयस्क होने की तारीख से एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए पट्टे पर देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. इसलिए, अधिनियम की धारा 8 की उपधारा (2) के तहत दिए गए किसी भी तरीके से नाबालिग की संपत्ति हस्तांतरित करने के लिए नाबालिग के अभिभावक के लिए अदालत की पूर्व अनुमति अनिवार्य है. यह विवाद कर्नाटक के दावणगेरे के शामनूर गांव में दो समीपवर्ती भूखंडों – संख्या 56 और 57 – से संबंधित था, जिसे मूल रूप से 1971 में रुद्रप्पा नामक व्यक्ति ने अपने तीन नाबालिग बेटों – महारुद्रप्पा, बसवराज और मुंगेशप्पा के नाम पर खरीदा था. जिला न्यायालय से पूर्व अनुमति लिए बिना, रुद्रप्पा ने ये प्लॉट किसी तीसरे पक्ष को बेच दिए. प्लॉट संख्या 56 एस आई बिदारी को बेचा गया और बाद में 1983 में बी टी जयदेवम्मा ने इसे खरीद लिया. नाबालिगों के वयस्क होने के बाद, उन्होंने और उनकी मां ने 1989 में वही प्लॉट के.एस. शिवप्पा को बेच दिया. जयदेवम्मा की ओर से स्वामित्व का दावा करते हुए केस किया गया सिविल मुकदमा अंततः कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया, जिसने नाबालिगों को अपने स्वयं के बिक्री विलेख के माध्यम से अपने पिता की बिक्री को अस्वीकार करने के अधिकार को बरकरार रखा. ठीक इसी तरह का लेनदेन प्लॉट संख्या 57 के साथ भी हुआ, जिसे रुद्रप्पा ने अदालत की अनुमति के बिना कृष्णोजी राव को बेच दिया, जिन्होंने इसे 1993 में के. नीलाम्मा को बेच दिया. जीवित बचे नाबालिगों ने वयस्क होने पर उसी प्लॉट को केएस शिवप्पा को बेच दिया, जिन्होंने बाद में दोनों प्लॉटों को मिलाकर एक घर बना लिया. इसके बाद नीलाम्मा ने दावणगेरे में अतिरिक्त सिविल जज के समक्ष मामला दायर किया और स्वामित्व का दावा किया. ट्रायल कोर्ट ने उसके मुकदमे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि रुद्रप्पा द्वारा की गई बिक्री अमान्य थी और नाबालिगों द्वारा बाद में की गई बिक्री से वैध रूप से अस्वीकृत हो गई. हालांकि, 2005 में प्रथम अपीलीय न्यायालय और 2013 में उच्च न्यायालय ने इस निष्कर्ष को पलट दिया, और कहा कि चूंकि नाबालिगों ने अपने पिता के विक्रय विलेख को रद्द करने के लिए कोई औपचारिक मुकदमा दायर नहीं किया था, इसलिए लेनदेन की पुष्टि हो गई. इसके बाद शिवप्पा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. प्रावधानों का उल्लेख करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया कि कोई भी प्राकृतिक अभिभावक न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना नाबालिग की अचल संपत्ति को हस्तांतरित नहीं कर सकता है और ऐसा कोई भी लेनदेन नाबालिग के कहने पर शून्यकरणीय है. हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि कानून में यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि ऐसे शून्यकरणीय लेनदेन को किस प्रकार अस्वीकृत किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति मिथल ने कहा कि एक नाबालिग, वयस्क होने पर, इस तरह के लेन-देन से बच सकता है या उसे अस्वीकार कर सकता है, या तो बिक्री विलेख को रद्द करने के लिए मुकदमा दायर करके या फिर स्पष्ट और असंदिग्ध आचरण द्वारा, जैसे कि उसी संपत्ति की नई बिक्री को अंजाम देना. 

मंगल का महागोचर 27 अक्टूबर को, इन 5 राशियों के लिए है सतर्क रहने का समय

27 अक्टूबर को मंगल का गोचर वृश्चिक राशि में होने जा रहा है. मंगल का यह परिवर्तन बहुत ही खास माना जा रहा है क्योंकि वह अपनी ही राशि में प्रवेश करने वाले हैं. ज्योतिष शास्त्र में मंगल देवता को सभी ग्रहों का सेनापति माना जाता है. साथ ही, इनको साहस, पराक्रम, ऊर्जा, शक्ति, भूमि, संपत्ति और युद्ध जैसे विषयों का कारक भी माना जाता है.  जब कुंडली में मंगल की स्थिति शुभ होती है, तो व्यक्ति निडर और साहसी होता है. वहीं, मंगल की अशुभ स्थिति होने पर व्यक्ति को रक्त संबंधी समस्याएं और जीवन में कठिनाइयां आ सकती हैं. तो चलिए जानते हैं कि 27 अक्टूबर को होने जा रहे मंगल के गोचर से किन राशियों को सावधान रहने की जरूरत है. 1. मेष मंगल का गोचर मेष राशि वालों का आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ-साथ अहंकार भी बढ़ा सकता है. इस समय गुस्से पर नियंत्रण रखना जरूरी है. किसी विवाद या कानूनी मामले में न उलझें. कार्यक्षेत्र में झगड़े की स्थिति बन सकती है. वाहन चलाते समय सावधानी रखें और दुर्घटना की आशंका है. 2. वृषभ इस गोचर के दौरान खर्चो में अचानक बढ़ोतरी संभव है. कुछ पुराने निवेश नुकसान दे सकते हैं. पारिवारिक रिश्तों में टकराव या संवाद की कमी से मानसिक तनाव रह सकता है. सेहत के लिहाज से भी यह समय ठीक नहीं माना जा रहा है. धैर्य और संयम बनाए रखें. यात्रा के दौरान सावधानी रखें. जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें. व्यवसाय में पार्टनरशिप टूटने या झगड़े की स्थिति बन सकती है. 3. कर्क मंगल के गोचर से कार्यस्थल का माहौल आपके खिलाफ हो सकता है. सहकर्मियों से विवाद या बॉस से मतभेद संभव है. मानसिक दबाव बढ़ सकता है, जिससे नींद और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होंगे. घरेलू जिम्मेदारियां भी बढ़ेंगी, इसलिए खुद पर नियंत्रण रखना जरूरी है. पैसों से जुड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है. 4. तुला मंगल का गोचर तुला राशि वालों के धन और आत्मसम्मान पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा. खर्च बढ़ेंगे और आय में रुकावट आएगी. क्रोध से निर्णय गलत हो सकता है. व्यापार में उतार-चढ़ाव रहेगा. घर के लोगों के साथ मतभेद संभव हैं. संयम और बचत से ही राहत मिलेगी. गुस्से में कोई कदम न उठाएं, वरना स्थिति बिगड़ सकती है.  5. धनु   इस गोचर से आपके खर्च और मानसिक शांति दोनों प्रभावित हो सकते हैं. धन से जुड़ी योजनाएं बिगड़ सकती हैं. और फालतू खर्चो में इजाफा होगा. कोई पुराना निवेश नुकसान दे सकता है. परिवार में भी किसी छोटी बात को लेकर मतभेद हो सकता है.

आदिवासी बेटी का कमाल: 12वीं साइंस टॉपर वैष्णवी को मिलेगा बालिका विज्ञान पुरस्कार

छिंदवाड़ा  पांढुर्णा जिले के सिवनी गांव की वैष्णवी ने कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में विज्ञान संकाय के विषयों में पूरे मध्य प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया था. जिसके चलते उन्हें बालिका विज्ञान पुरुस्कार मिलने जा रहा है. वैष्णवी का सपना है कि वह आईआईटी में जाकर पढ़ाई करें और एक सफल इंजीनियर बन सके. लेकिन गांव में ना तो पढ़ाई का स्तर इतना बेहतर था और ना ही आर्थिक स्थिति मजबूत. लेकिन अपने सपनों को पूरा करने के लिए वैष्णवी ने जी जान लगा दी थी. जिसके चलते अब प्रदेश स्तर पर वैष्णवी को सम्मानित किया जाएगा. प्रदेश में किया टॉप, मिलेगा बालिका विज्ञान पुरस्कार जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त सतेंद्र सिंह मरकाम ने बताया कि, ''वैष्णवी सरियाम ने कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में विज्ञान संकाय के विषयों में पूरे मध्य प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल कर जिले का नाम गौरवान्वित किया है. इस उपलब्धि के लिए उन्हें जनजातीय कार्य विभाग द्वारा 'मेधावी छात्रा पुरस्कार योजना' के अंतर्गत 'बालिका विज्ञान पुरस्कार' से सम्मानित करते हुए, 50000 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी.'' 10 जनजातीय बालिकाओं को दिया जाता है सम्मान मध्य प्रदेश शासन के जनजातीय कार्य विभाग के द्वारा यह पुरस्कार उन 10 जनजातीय वर्ग की बालिकाओं को दिया जाता है. जिन्होंने विज्ञान संकाय के विषयों (भौतिक, रसायन, जीवविज्ञान एवं गणित) में 90% से अधिक अंक प्राप्त किए हों और प्रदेश में सबसे ज्यादा अंक अर्जित किए हों. राज्य स्तरीय चयन समिति द्वारा मूल अंक सूची और जाति प्रमाण-पत्र जांच करने के बाद वैष्णवी को प्रथम स्थान के साथ पुरस्कार के लिए चुना गया है. 300 में से लिए 284 नंबर, अब जेईई मेन्स की तैयारी वैष्णवी सरियाम के पिता विनोद सरियाम किसान हैं और माता गृहिणी होने के साथ सिलाई का काम करती हैं. सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद वैष्णवी ने अपनी लगन, मेहनत और आत्मविश्वास से यह मुकाम हासिल किया है. वैष्णवी ने 300 में से 284 अंक लेकर विज्ञान संकाय के विषयों में प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है. फिलहाल वह घर पर रहकर जेईई मेन्स की तैयारी कर रही हैं. इस उपलब्धि पर कलेक्टर हरेंद्र नारायन और सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग सतेन्द्र सिंह मरकाम ने उन्हें बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है.

ऐतिहासिक धरोहर की वापसी: देपालपुर की सूरजकुंड बावड़ी का हुआ जोर्णोद्धार

देपालपुर की ऐतिहासिक सूरजकु़ंड बावड़ी का हुआ जोर्णोद्धार प्राचीन बावड़ी का देवी अहिल्याबाई होल्कर के काल में भी हुआ था जोर्णोद्धार भोपाल नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने राज्य सरकार के जल गंगा संवर्धन अभियान में प्रदेश के सभी नगरीय निकायों की जल संरचनाओं के संरक्षण और जोर्णोद्धार की पहल जनभागीदारी से की थी। इसके अच्छे परिणाम भी सामने आये हैं। आज नगरीय निकायों के नागरिकों विशेषकर युवाओं ने जल संरचनाओं के संरक्षण का संकल्प लिया है। देपालपुर की सूरजकुंड बावड़ी इंदौर जिले के देपालपुर में मंगलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में स्थित ऐतिहासिक सूरजकुंड बावड़ी अब एक बार फिर अपने प्राचीन स्वरूप में लौट आई है। यह बावड़ी ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। स्थानीय मान्यता के अनुसार इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार वंश के शासन काल के दौरान किया गया था। इसके बाद लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर सूरजकुंड बावड़ी का पुननिर्माण कराया, जिससे यह बावड़ी नगर वासियों के लिये स्वच्छ जल का प्रमुख स्त्रोत बन गई। समय के साथ इस ऐतिहासिक बावड़ी की देख-रेख में कमी आयी और यह बावड़ी सूखने की कगार पर पहुंच गई। बावड़ी की उपेक्षा के कारण इसकी सीढ़ियां और मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गये। अमृत 2.0 में हुआ कार्य नगरीय विकास की अमृत 2.0 योजना में ऐतिहासिक बावड़ी के जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ किया गया। ग्रामीण वासियों के उत्साह ने भी इस कार्य को गति दी। अब यह जल संरचना केवल देपालपुर के लिये ही नहीं बल्कि प्रदेशभर के लिये प्रेरणा स्त्रोत बनकर उभरी है। जल संरक्षण का उद्देश्य पानी के साथ पर्यावरणीय स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय पारिस्थितिकि तंत्र के सुदृढ़ीकरण का भी है। बावड़ी के संरक्षण से जल गुणवत्ता एवं मात्रा में सुधार, क्षतिग्रस्त सीढ़ियों एवं मार्गों का पुनर्निमाण, प्लास्टिक एवं ठोस अपशिष्ट की सफाई, हरियाली एवं लैंडस्केपिंग कार्य के साथ स्थानीय समुदाय की सहभागिता और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा की गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी जल संरक्षण के क्षेत्र में जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार पर जोर दिया है। स्थानीय समुदाय की भागीदारी एवं संकल्प सूरजकुंड बावड़ी के संरक्षण में स्थानीय नागरिकों और युवाओं ने संकल्प के साथ काम किया है। उनका कहना है कि हम सब ऐतिहासिक बावड़ी को अब कभी गंदा नहीं होने देंगे। यह हमारी ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे हमारे बुजुर्गों ने देखा और संजोया है, हम सब चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी ऐतिहासिक बावड़ी पर गर्व करें।  

नौरादेही में बनेगा तीसरा चीते का घर, केंद्र ने दिए 4 करोड़, कूनो और गांधी सागर के बाद नई पहल

भोपाल  चीता रीइंट्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत नमीबिया से लाए गए चीते अब भी एमपी की पहचान बने रहे रहेंगे। इनको एमपी के बाहर नहीं बसाया जा रहा है, बल्कि इनके लिए प्रदेश में ही नया ठिकाना तैयार किया जा रहा है। रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व ( नौरादेही ) को चीतों का नया घर बनने जा रहा है। दरअसल, नौरादेही अभ्यारण को चीतों का नया ठिकाना बनाने की केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही एनटीसीए ( नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ) ने तैयारियों के लिए सेंट्रल कैंपा फंड से 4 करोड़ रुपए जारी किए हैं। यह तैयारियों की पहली किस्त है। इसके बाद जल्दी ही 3 करोड़ की दूसरी किस्त जारी की जाएगी। तैयार होगा चीतों का ठिकाना एनटीसीए की तरफ से जारी किए गए फंड से नौरादेही में चीतों के लिए नया घर तैयार होगा। इसमें सागर और दमोह जिले में फैले नौरादेही अभ्यारण में 4 क्वारेंटाइन बोमा और एक सॉफ्ट रिलीज बोमा तैयार किया जाएगा। साथ ही फेंसिंग सहित इंफ्रास्ट्रक्चर के अन्य जरूरी काम जल्द शुरू होंगे। वहीं, दूसरे फंड मिलने के बाद 2339 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व नौरादेही में चीते बसाए जाएंगे। एनटीसीए की टीम करेगी दौरा केंद्र सरकार से नौरादेही अभ्यारण बनाने की मंजूरी मिलने के बाद यहां चीतों को बसाने की कवायद तेज हो गई है। 4 महीने पहले किए गए निरीक्षण में नौरादेही के सिंघपुर, मोहली और झापा फॉरेस्ट रेंज को चीतों के सबसे बेस्ट माना गया। जल्दी ही एनटीसीए की टीम इन तीनों इलाकों का दौरा करने के लिए आएगी। फॉरेस्ट रेंज से कई गांव होंगे विस्थापित नौरादेही में जिन तीन क्षेत्रों सिंघपुर, झापा और मोहली को चीतों को उपर्युक्त माना है। उसके अंदर 13 गांव आते हैं। चीतों को बसाने से पहले यहां के लोगों को पुनर्वासित किया जाएगा। चीतों को लाने से पहले 30 किमी के रेंज पर बाड़ेबंदी की जाएगी। राजस्थान और गुजरात नहीं जाएंगे चीते चीतों की अगली बसाहट राजस्थान या गुजरात में करने की तैयारी थी। हालांकि एनटीसीए ने स्पष्ट कर दिया है कि चीतों को कहीं और नहीं बसाया जाएगा। एमपी में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। ऐसी संभावना है कि नए साल 2026 में अफ्रीका से आने वाले चीतों की नई खेप को नौरादेही में बसाया जाएगा। यदि ऐसा नहीं हो पाया तो कूनो में पले बढ़े और जवान हो चुके शावकों को शिफ्ट किया जाएगा। 1952 से विलुप्त हो गए थे चीते देश में चीतों को आखिरी बार 1952 में देखा गया था। इसके बाद से विलुप्त हो चुके चीतों को रीइंट्रोडक्शन करने के लिए साल 2022 में नामीबिया से 8 चीतों की पहली खेप लाई गई। इनको कूनो में बसाया गया। फिर फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाया गया। इन्हें भी कूनो में ही रखा गया। दो खेप में कुल 20 चीतों को भारत में लाया गया। कूनो में पिछले दो सालों में इन चीतों ने कुल 26 शावकों को जन्म दिया। हालांकि बीमारी, हमलों और अन्य कारणों के चलते केवल 19 ही जीवित बच पाए हैं।

वैज्ञानिकों की अनोखी खोज: नाक नहीं, Butt से भी सांस लेना संभव – जापान में हुआ सफल प्रयोग

टोक्यो  क्या आपने कभी सोचा है कि सांस लेने का रास्ता नाक या मुंह ही क्यों हो? जापान के वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया कि Butt से भी ऑक्सीजन ली जा सकती है. यह सुनने में मजाक लगता है, लेकिन यह एक गंभीर चिकित्सा खोज है. हाल ही में हुए एक क्लिनिकल ट्रायल से पता चला कि यह तरीका सुरक्षित है. अगर यह कामयाब रहा, तो सांस की नलियां बंद होने पर मरीजों के लिए यह एक वैकल्पिक रास्ता बन सकता है. यह तरीका कैसे काम करता है? इस प्रक्रिया का नाम है 'एंटरल वेंटिलेशन'. इसमें एक खास तरल पदार्थ, जिसे पर्फ्लोरोकार्बन कहते हैं, रेक्टम (मलद्वार) में डाला जाता है. इस तरल में बहुत ज्यादा ऑक्सीजन भरी होती है. विचार यह है कि ऑक्सीजन आंतों की दीवारों से गुजरकर खून में चली जाए. इससे मरीज को नाक या मुंह से सांस लेने की जरूरत न पड़े. यह उन मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है जिनकी सांस की नलियां ब्लॉक हो गई हों, जैसे दम घुटने या चोट लगने पर. यह आइडिया नया नहीं है. जानवरों में यह पहले से होता है. सूअर, चूहे, कछुए और कुछ मछलियां मुसीबत के समय पीछे से ही ऑक्सीजन ले लेती हैं. इंसानों के लिए यह रिसर्च पिछले साल फिजियोलॉजी में इग्नोबेल प्राइज जीत चुकी है – जो मजाकिया लेकिन वैज्ञानिक खोजों को सम्मानित करता है. ट्रायल में क्या हुआ? यह पहला मानव ट्रायल था, जो सिर्फ सुरक्षा की जांच के लिए था. प्रभावशीलता की टेस्टिंग अभी बाकी है. जापान में 27 स्वस्थ पुरुष वॉलंटियर्स को चुना गया. उन्हें एक तरल पदार्थ दिया गया, जिसमें ऑक्सीजन नहीं थी (सुरक्षा के लिए). हर व्यक्ति को 25 मिलीलीटर से 1500 मिलीलीटर तक का तरल रेक्टम में रखना था. 60 मिनट तक होल्ड करना था. परिणाम सकारात्मक आए. कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं हुआ. हां, जिन्हें सबसे ज्यादा मात्रा (1500 मिलीलीटर) दी गई, उन्हें पेट में फूलना, असुविधा और हल्का दर्द महसूस हुआ. बाकी के महत्वपूर्ण संकेत जैसे ब्लड प्रेशर, हृदय गति सब सामान्य रहे. सिर्फ 7 लोगों को पूरे घंटे तक होल्ड करने में दिक्कत हुई. बाकी सबने अच्छे से सहन किया. वैज्ञानिकों की राय ओसाका यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल साइंटिस्ट टाकानोरी टेकेबे कहते हैं कि यह पहली बार इंसानों पर डेटा आया है. नतीजे सिर्फ प्रक्रिया की सुरक्षा दिखाते हैं, प्रभावशीलता की नहीं. लेकिन अब सहनशक्ति साबित हो गई है, तो अगला कदम ऑक्सीजन वाली तरल से ब्लड में ऑक्सीजन पहुंचाने की जांच होगा. अगला ट्रायल ऑक्सीजन वाली तरल पर होगा. देखेंगे कि कितनी मात्रा और कितने समय तक रखने से मरीज का ब्लड ऑक्सीजन लेवल सुधरेगा. यह ट्रायल मरीजों पर होगा, जो असल में ऑक्सीजन की जरूरत में होंगे. क्यों महत्वपूर्ण है यह खोज? सांस की समस्या दुनिया भर में बड़ी बीमारी है. कोविड जैसी महामारी में लाखों लोगों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी. अगर यह तरीका काम कर गया, तो यह बैकअप ऑप्शन बनेगा. खासकर उन जगहों पर जहां पारंपरिक तरीके संभव न हों. लेकिन अभी यह शुरुआती स्टेज में है. ज्यादा ट्रायल्स में समय लगेगा. यह रिसर्च मेड जर्नल में छपी है.

वाहन नंबर पोर्टिंग की सुविधा जल्द, मोबाइल नंबर की तरह अब रजिस्ट्रेशन बदल पाएंगे मालिक

भोपाल  मोबाइल नंबर की तरह अब वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर भी पोर्ट हो सकेगा। यदि कोई वाहन मालिक पुराने वाहन का नंबर चाहता है, तो उसे अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। केवल एक आवेदन के जरिए पुराने वाहन का नंबर नए वाहन में मिल जाएगा। हाल ही में परिवहन विभाग ने यह सुविधा शुरू की है। इस सुविधा का लाभ लेने के लिए वाहन मालिक को स्क्रैप सेंटर में अपना पुराना वाहन बेचना होगा। वहां से वाहन को डिस्मेंटल करने का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। यदि वाहन मालिक चाहता है कि उसके पास वही रजिस्ट्रेशन नंबर रहे, तो उसे परिवहन विभाग में स्क्रैप सेंटर से प्राप्त सर्टिफिकेट के साथ आवेदन करना होगा। इसके आधार पर उसे उसके वाहन का पुराना नंबर नए वाहन के लिए आवंटित कर दिया जाएगा। पसंदीदा नंबर के लिए देनी पड़ती थी शुल्क यदि वाहन मालिक मनचाहा नंबर चाहते हैं तो उन्हें एमपी ऑनलाइन या वाहन डीलर के माध्यम से परिवहन विभाग की वेबसाइट पर नंबर का चयन करना होता है। उसे ढाई हजार से पांच हजार रुपए फीस चुकानी पड़ती है। जबकि वीआइपी नंबर के लिए वेवसाइट पर ऑक्शन में भाग लेना होता है। जिसकी बिड अधिक होती है उसे नंबर आवंटित कर दिया जाता है। स्क्रैप पॉलिसी को मिलेगा बढ़ावा 2021-22 के आम बजट में सरकार ने घोषणा की थी कि 15 साल पुराने सरकारी और प्राइवेट तथा 20 साल पुराने कमर्शियल वाहन को सड़कों से हटाया जाना है। इस योजना को स्क्रैप पॉलिसी नाम दिया गया था। पिछले एक दशक में लाखों नई गाड़ियां सड़क पर आईं। अब इस व्यवस्था के लागू होने से स्क्रैप पॉलिसी को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने कहा तुरंत अपडेट करें अपना फोन नंबर, घर बैठे मोबाइल से हो जाएगा काम आधार कार्ड या फिर पैन कार्ड, सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ मोबाइल नंबर अपडेट होना बहुत जरूरी है। क्या आपने कभी सोचा है कि ड्राइविंग लाइसेंस के साथ भी मोबाइल लिंक होना कितना जरूरी है। MORTH India ( भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय) ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से ट्वीट करके ड्राइविंग लाइसेंस धारकों और पंजीकृत वाहन मालिकों से आग्रह किया है कि वे अपना मोबाइल नंबर वाहन और सारथी पोर्टल पर अपडेट करवा लें। लोगों को इसके लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। आप ऑनलाइन ही अपना नंबर अपडेट करा सकते हैं। पूरा प्रोसेस जानने के लिए नीचे पढ़ें। मोबाइल से ही हो जाएगा काम RTO ऑफिस में जाकर लंबी लाइन में लगे बिना ही आप ड्राइविंग लाइसेंस को अपडेट करा सकते हैं। इसका यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि विवरण पूरी तरह सटीक है। ट्वीट में एक QR कोड भी दिया गया है, जिसे मोबाइल से स्कैन करते ही आप सीधा वाहन और सार्थी पोर्टल पर पहुंच जाएंगे। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नंबर अपडेट करना का प्रोसेस बहुत ही आसान है। मोबाइल मंबर अपडेट कराने के लिए आपके पास होनी चाहिए ये जानकारियां परिवाहन और सार्थी पोर्टल पर मोबाइल नंबर अपडेट कराने के लिए आपके पास कुछ जानकारियां होनी चाहिए।     व्हीकल का रजिस्ट्रेशन नंबर     रजिस्ट्रेशन की तारीख     वाहन का चेसिस नंबर     ड्राइविंग लाइसेंस नंबर     ड्राइविंग लाइसेंस जिसके नाम पर है उसकी जन्म तिथि     ऐसे और भी कई डिटेल की जरूरत होगी। एक टैप में पहुंच जाएंगे वेबसाइट     आप जैसे ही परिवहन सेवा की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएंगे। वेबसाइट पर जाते ही आपको एक पॉप-अप स्क्रीन दिखेगी।     इस स्क्रीन पर नंबर अपडेट करने के कहा जाएगा। साथ ही दो QR कोड दिए जाएंगे     कोड के नीचे वेबसाइट के लिए लिंक भी दिया जाता है।     एक लिंक परिवाहन पोर्टल और दूसरा लिंक सार्थी परिवहन पोर्टल का है।     इन लिंक पर क्लिक करते ही आप दोनों वेबसाइट पर पहुंच जाएंगे।     यहां आपको नंबर अपडेट करने के लिए अपने व्हीकल की कुछ डिटेल भरनी होगी।     इसमें व्हीकल रजिस्ट्रेशन नंबर , रजिस्ट्रेशन डेटा आदि शामिल है।     इन डिटेल को भरने के बाद मोबाइल नंबर अपडेट करने के लिए आवेदन सबमिट हो जाएगा। हालांकि, ध्यान रखें कि इसके लिए आपके मोबाइल में इंटरनेट कनेक्शन होना चाहिए। अगर आप मोबाइल से ऑनलाइन नंबर अपडेट नहीं पा रहे हैं तो RTO ऑफिस जाकर भी ऐसा करा सकते हैं।