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गयाजी में पितृपक्ष मेले में कहां मिलेगा मुफ्त ठहराव, जानें

गयाजी 6 सितंबर 2025 से शुरू हो रहे पितृमुक्ति के महापर्व पितृपक्ष मेले को लेकर गया जिला प्रशासन की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस वर्ष, मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करने के लिए गया की मोक्ष भूमि पर आते हैं। पितृपक्ष मेले के महत्व को देखते हुए बिहार सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं। पितृपक्ष की अवधि में हर तिथि का धार्मिक महत्व अलग-अलग होता है, और इन विशेष तिथियों पर संबंधित पिंडदान वेदियों और धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है। पितृपक्ष मेले से संबंधित कुल 55 पिंडदान वेदियाँ हैं, जिनमें से 45 गया में और एक पुनपुन (पटना जिले) में स्थित है। इसके अलावा, 9 तर्पण स्थल भी गया में हैं। महत्वपूर्ण सरोवरों में ब्रह्म सरोवर, रुक्मिणी तालाब, पितामहेश्वर, रामशिला, वैतरणी, सूर्यकुंड, गोदावरी और प्रेतशिला शामिल हैं। साथ ही, चार महत्वपूर्ण घाट—देवघाट, गजाधर घाट, ब्राह्मणी घाट और सीढ़ियां घाट—भी तैयारियों का हिस्सा हैं। तीर्थयात्रियों के लिए आवासन और सुविधाएं देश-दुनिया से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए जिला प्रशासन ने ठहरने की व्यापक व्यवस्था की है। सरकारी 64 आवासों में 18,000 तीर्थयात्रियों के लिए निःशुल्क ठहरने की व्यवस्था है। इसके अलावा, पर्यटन विभाग ने गयाजी के गांधी मैदान में 2500 लोगों की क्षमता वाला एक टेंट सिटी भी बनवाया है, जहाँ तीर्थयात्रियों को निःशुल्क ठहराया जाएगा। इन आवास स्थलों पर शौचालय, स्नानागार, पीने के पानी, साफ-सफाई, प्रकाश, सुरक्षा, खाना बनाने की सुविधा और खाद्य सामग्री की व्यवस्था की गई है। इस वर्ष भी गांधी मैदान टेंट सिटी में यात्रियों के लिए गंगाजल की आपूर्ति की जाएगी। महाकुंभ की तर्ज पर साफ-सफाई पितृपक्ष मेले के दौरान घाटों, मंदिरों, वेदियों, तालाबों, आवास स्थलों और पूरे शहर की साफ-सफाई महाकुंभ की तर्ज पर की जा रही है। शहर को 4 जोन और 54 सेक्टरों में बाँटकर आउटसोर्सिंग के माध्यम से सफाई कराई जा रही है। वहीं, नगर निगम ने 30,000 अतिरिक्त सफाईकर्मियों को पाली (शिफ्ट) के अनुसार तैनात किया है। फल्गु नदी की निरंतर साफ-सफाई के लिए ट्रैश क्लीनिंग बोट का उपयोग किया जा रहा है। स्वास्थ्य और पेयजल की व्यवस्था तीर्थयात्रियों के लिए पेयजल के लिए 96 स्थानों पर 299 हैंडपंप, 43 प्याऊ और 620 नल लगाए गए हैं। इसके अलावा, 20 पानी के टैंकर और 4 वाटर एटीएम से भी जलापूर्ति की जाएगी। 94 स्थानों पर 633 स्थायी शौचालयों की मरम्मत की गई है, और 240 प्री-फैब्रिकेटेड अस्थायी शौचालय तथा 131 स्नानागार बनाए गए हैं। मेला क्षेत्र में 125 चिकित्सकों और 178 पैरामेडिकल स्टाफ की सहायता से 70 स्वास्थ्य शिविर स्थापित किए गए हैं। गयाजी के प्रमुख अस्पतालों में 125 बेड, मगध मेडिकल कॉलेज में 100 बेड, प्रभावती अस्पताल में 10 बेड, जयप्रकाश नारायण अस्पताल में 5 बेड और एम्स में 5 बेड आरक्षित रखे गए हैं। मेले के लिए 12 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस, 2 शव वाहन (मॉर्चरी वैन) और 5 मोबाइल टीमें भी गठित की गई हैं। सुरक्षा और तकनीक का उपयोग प्रकाश व्यवस्था के लिए मेला क्षेत्र में 49 हाईमास्ट लाइट, 34 मिनी हाईमास्ट लाइट, 3500 स्ट्रीट लाइट और 7500 तिरंगा रोप लाइट लगाई गई हैं। देश-दुनिया के तीर्थयात्रियों को घर बैठे मेले से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए www.pinddaangaya.bihar.gov.in वेबसाइट का संचालन किया जा रहा है। साथ ही, पिंडदान गया नामक एक मोबाइल ऐप भी विकसित किया गया है, जिसमें आवास, स्वास्थ्य शिविर, पुलिस शिविर, बस स्टैंड, वेदियाँ, घाट, सरोवर, बैंक एटीएम, पेट्रोल पंप आदि की जानकारी दी गई है।

पुलिस पर हमला, आइसक्रीम विवाद हुआ हिंसक; थानाध्यक्ष सहित 4 घायल

वैशाली बिहार के वैशाली जिले में बीती रात आइसक्रीम खाने के पैसे को लेकर शुरू हुआ मामूली विवाद हिंसक झड़प में बदल गया। राजापाकर थाना क्षेत्र के भलुई कल्याणपुर गांव में असामाजिक तत्वों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया। इस हमले में महुआ थानाध्यक्ष राजेश रंजन सहित चार पुलिसकर्मी घायल हो गए। भीड़ ने पुलिस वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया और पिस्टल व रायफल भी छीन ली, जिन्हें बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया। फकीर टोला में आइसक्रीम बेचने वाले और स्थानीय युवकों के बीच पैसे को लेकर विवाद हुआ। सूचना मिलने पर डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची, जिस पर युवकों ने हमला कर दिया। स्थिति बिगड़ने पर क्यूआरटी टीम और महुआ थानाध्यक्ष दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे और आरोपियों को पकड़ने लगे। इसी दौरान असामाजिक तत्वों ने फिर से पुलिस पर हमला बोल दिया, जिसमें थानाध्यक्ष सहित चार जवान घायल हो गए। घटना के बाद पुलिस ने तीन हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया। पूरे गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। महुआ एसडीपीओ सहित भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर कैंप कर रहा है और हालात नियंत्रण में हैं। वैशाली एसपी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि आइसक्रीम खाने के बाद पैसे नहीं देने को लेकर विवाद बढ़ा और इसी से बवाल शुरू हुआ। फिलहाल घायलों का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है और स्थिति सामान्य है।

बिहार राजनीति: तेजस्वी यादव ने जनता को दिया संदेश, भाजपा-जदयू से पूछें ये अहम सवाल

पटना नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी पर फिर से निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया इन दोनों नेताओं की तस्वीर का इस्तेमाल कर एक पोस्टर के जरिए 10 सवाल पूछे। जनता से अपील करते हुए कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जनता अगर वोट मांगने आए तो यह 10 सवाल जरूर पूछिएगा। तेजस्वी ने कहा कि दो पीढ़ियों का जीवन बर्बाद करने वाली 20 वर्षों की नीतीश-मोदी और 11 वर्षों की डबल इंजन सरकार से ये महत्वपूर्ण सवाल जरूर पूछना। उन्होंने सवालों के नीचे यह भी लिखा कि इन सवालों में से एक का भी जवाब नीतीश सरकार के विधायक या मंत्री नहीं दे पाएंगे। तेजस्वी ने पूछे यह सवाल…     बिहार सबसे गरीब राज्य क्यों है?     बिहार में महिलाएं असुरक्षित क्यों हैं?     बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था बेकार क्यों है?     बिहार में इतना अपराध क्यों है?     बिहार में इतना भ्रष्टाचार क्यों है?     बिहार में इतनी बेरोज़गारी क्यों है?     बिहार में पलायन की मजबूरी क्यों है?     बिहार में स्कूल भवन क्यों नहीं बने?     बिहार में नए उद्योग-धंधे क्यों स्थापित नहीं हुए?     बिहार की शिक्षा व्यवस्था चौपट क्यों है?

ग्रामीण बिहार में बड़ी पहल: 704 नए पुलों का निर्माण कार्य जल्द शुरू, सख्त निर्देश जारी

पटना  बिहार के सभी गांवों को शहरों से जोड़ने और ग्रामीण स्तर पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए बिहार सरकार ने एक बड़ी पहल की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्यभर में कुल 704 नए पुलों का निर्माण कार्य 10 सितंबर से शुरू कर दिया जाएगा. इस योजना पर सरकार कुल 3,688 करोड़ रूपये की धनराशि खर्च कर रही है. जिससे राज्य के हजारों गांवों को स्थायी और सुरक्षित सड़क संपर्क मिल सकेगा. ग्रामीण कार्य विभाग ने ग्रामीण इलाकों में सड़क और पुल बनाने वाले संवेदकों को स्पष्ट रूप से निर्देश जारी कर दिया है कि यदि 10 सितंबर से उन्होंने ग्रामीण सड़कों और पुलों का नरमन कार्य शुरू नहीं किया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उनकी जमानत राशि जब्त करने के साथ-साथ उन्हें कालीसूची (ब्लैक लिस्टेड) कर दिया जाएगा. ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध सड़क संपर्क अभियान मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना योजना का उद्देश्य राज्य के उन ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध सड़क संपर्कता स्थापित करना है, जहां आज भी बरसात, बाढ़ या पुराने जर्जर पुलों के कारण आवागमन बाधित हो जाता है. मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना के तहत न सिर्फ पुराने और जर्जर पुलों की जगह नए और मजबूत पुल बनाए जाएंगे, बल्कि उन मार्गों को पुलों से जोड़ा जाएगा, जहां आज भी मिसिंग ब्रिज की वजह से रास्ते अधूरे पड़े हैं. साथ ही, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त पुलों को फिर से खड़ा किया जा रहा है. राज्य के कई ग्रामीण इलाकों में पुल तो पहले से बने हुए हैं लेकिन पहुंच पथ (एप्रोच रोड) का निर्माण नहीं हो सका है. अब वहां भी पुलों के अधूरे निर्माण कार्य को पूरा कराया जाएगा, ताकि लोगों को आवागमन में किसी तरह की परेशानी न हो. राज्य के जिन जिलों में इन पुलों के निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है, उसमें उत्तर बिहार के साथ-साथ दक्षिण बिहार के जिले भी शामिल हैं. सबसे अधिक पुलों का निर्माण पूर्वी चंपारण में किया जा रहा है. पूर्वी चंपारण में कुल 56 पुलों के निर्माण की मंजूरी दी गई है. इसी तरह, दरभंगा में 38, गया, सिवान और सीतामढ़ी में 30-30, सारण और वैशाली में 28-28, भागलपुर और गोपालगंज में 27-27, रोहतास और शेखपुरा में 26-26, नालंदा में 24, बेगूसराय में 20 और राजधानी पटना में 18 पुलों का निर्माण कराया जाएगा. जनता की मांग को मिली प्राथमिकता यह योजना खास इसलिए भी है, क्योंकि इसमें आम जनता की मांग को सरकार ने प्राथमिकता दी है. जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में आए प्रस्ताव और मुख्यमंत्री द्वारा की गई सार्वजनिक घोषणाएं, दोनों को इस योजना में शामिल किया गया है. यानी यह योजना सिर्फ विभागीय पहल नहीं बल्कि जनभागीदारी से बनी योजना है. बदलेंगे गांवों के हालात सरकार का मानना है कि यह योजना सिर्फ पुलों का निर्माण नहीं, बल्कि गांवों के सामाजिक और आर्थिक विकास की आधारशिला है. किसानों को अपने उत्पाद मंडी तक पहुंचाने में आसानी होगी. बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए सुरक्षित और सुगम मार्ग उपलब्ध होगा और आपात स्थिति में लोगों को इलाज के लिए शहरों के बड़े अस्पतालों तक पहुंचने में आसानी होगी.  

हफ्ते में एक दिन ट्रैफिक शांत, बिहार ने Sundays को बनाया ‘हॉर्न फ्री’

पटना  बिहार में ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने और शहरवासियों को शांत वातावरण मुहैया कराने के लिए परिवहन विभाग ने एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है, जिसके तहत अब से प्रत्येक रविवार को राज्य में हॉर्न फ्री दिन के रूप में मनाया जाएगा। परिवहन विभाग ने ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए लिया फैसला परिवहन विभाग ने वाहन चालकों और नागरिकों से अपील की गई कि वे रविवार को अनावश्यक हॉर्न न बजाए और यातायात नियमों का पालन करें। इस नियम का शिद्दत से पालन कराने के लिए कहा गया है। आम लोगों से इसका पालन करने की अपील की गई है। विभाग के स्तर से जारी आदेश के अनुसार, अत्यधिक हॉर्न बजाने से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है, जो लोगों को मानसिक अशांति के साथ नींद में खलल, तनाव, उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न करता है। इस अभियान का उद्देश्य ध्वनि प्रदूषण के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना, अनावश्यक हॉर्न बजाने की आदत को खत्म करना, शहर में शांत और स्वस्थय वातावरण के साथ सुरक्षित यातायात संस्कृति को स्थापित करना है। 

राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे का दर्जा मिला पटना-पूर्णिया मार्ग को, प्रशासन ने साझा की जानकारी

पटना बिहार की सबसे महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं में से एक पटना–पूर्णिया एक्सप्रेसवे को केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे का दर्जा प्रदान कर दिया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा अधिसूचना जारी कर इस एक्सप्रेसवे को नेशनल एक्सप्रेसवे-9 (NE-9) घोषित किया गया है। यह बिहार का पहला ऐसा एक्सप्रेसवे होगा जो पूरी तरह से राज्य की सीमाओं के भीतर निर्मित होगा। मंत्री नितिन नवीन ने दिया केंद्र को धन्यवाद पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 'पटना–पूर्णिया एक्सप्रेसवे का राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे-9 के रूप में अधिसूचित होना बिहार के लिए गर्व का क्षण है। इस परियोजना की घोषणा के बाद से कार्य तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है और राज्य सरकार इसे समय पर पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को हर आवश्यक सहयोग प्रदान कर रही है तथा आगे भी करती रहेगी।' बिहार को मिला नया एक्सप्रेस वे बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीना के मुताबिक 'यह परियोजना राज्य की सड़क संरचना को नई दिशा देगी। इसके शुरू हो जाने से पटना से पूर्णिया की यात्रा केवल 3 घंटे में पूरी होगी और सीमांचल क्षेत्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी। राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे का दर्जा मिलना निस्संदेह बिहार के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है।' अब पटना से पूर्णिया जाइए फुर्र से आपको बता दें कि 250 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे एनएच-22 के मीरनगर अरेजी (हाजीपुर) से शुरू होकर नरहरपुर, हरलोचनपुर, बाजिदपुर, सरौंजा, रसना, परोरा और फतेहपुर से गुजरते हुए पूर्णिया जिले के हंसदाह में एनएच-27 (ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर) से जुड़ेगा ।परियोजना में 21 बड़े पुल, 140 छोटे पुल, 11 रेलवे ओवरब्रिज, 21 इंटरचेंज और 322 अंडरपास शामिल होंगे।साथ ही समस्तीपुर, सहरसा और मधेपुरा जिला मुख्यालयों को जोड़ने के लिए अलग से संपर्क मार्ग भी बनाया जाएगा। आगे बताया बताया गया कि परियोजना के लिए 6 जिलों के 29 प्रखंडों के 250 से अधिक गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। भूमि अधिग्रहण पूरा होते ही निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।

जहानाबाद जेल ब्रेक कांड का मुख्य आरोपी ‘लाइटर’ बिहार में गिरफ्तार

पटना बिहार पुलिस को एक और बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने 1 लाख के इनामी नक्सली योगेन्द्र रविदास को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार नक्सली के खिलाफ विभिन्न थानों में कुल 18 मामले दर्ज हैं। पटना जिले का कुख्यात इनामी नक्सली योगेन्द्र रविदास उर्फ लाइटर, जिस पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित था, गुप्त सूचना और तकनीकी अनुसंधान के आधार पर बिहार एसटीएफ की टीम द्वारा गिरफ्तार किया गया है। नवंबर, 2005 में वामपंथी उग्रवादी संगठनों द्वारा अपने साथियों को जेल से छुड़ाने एवं विरोधियों को मारने हेतु योजनाबद्ध तरीके से जहानाबाद जेल पर हमला किया गया था। जेल ब्रेक की घटना में उक्त नक्सली शामिल था। उक्त नक्सली के विरूद्ध पटना एवं जहानाबाद जिला के विभिन्न थानों में कुल 18 (अठारह) हत्या, रंगदारी सहित नक्सल से सम्बंधित कांड दर्ज है।  

JDU में भूचाल: दो दिग्गज नेता PK के जन सुराज में शामिल, नीतीश पर सीधे हमला

पटना बिहार में इसी साल विधानसभा का चुनाव होने वाला है। उससे पर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के दो पुराने नेताओं ने उन्हें झटका दे दिया है। कई बार विधायक, सांसद और मंत्री रहे दसई चौधरी और जदयू प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भुवन पटेल ने प्रशांत किशोर का दामन थाम लिया है। जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने शुक्रवार को दोनों को पटना में पार्टी की सदस्यता दिलाई। चुनाव से पहले इसे अहम फेरबदल माना जा रहा है। पटना में पार्टी कार्यालय शेखपुरा हाउस में उदय सिंह ने दोनों नेताओं का पीला गमछा पहना कर स्वागत किया। उदय सिंह ने कहा कि सभी अच्छे लोग हैं। लंबे समय तक नीतीश जी का साथ दिया है। इनकी तरह ही कई अच्छे लोगों को साथ लेकर नीतीश जी ने अच्छी राह पर चलना शुरू किया था। लेकिन अब नीतीश जी चलते चलते राह भटक गए हैं। मैं खुद उनका बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं। लेकिन अब वो ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं जो बिहार को तेजी से सर्वनाश की ओर ले जा रहे हैं। दसई चौधरी ने कहा कि मैं बहुत दिनों तक जदयू से जुड़ा रहा। जब मैं विधायक था, तब नीतीश जी कुछ नहीं थे। लालूजी की पार्टी से तीन बार विधायक रहने के बाद फिर लालूजी के खिलाफ हमने तन मन धन से नीतीश जी का साथ दिया। लेकिन बाद में नीतीश जी ने हमपर ध्यान नहीं दिया। न ही संगठन, न सरकार में सहभागी बनाया। हम बार बार उनसे अनुरोध करते रहे। मुलाकात भी की, लेकिन उन्होंने कोई सकारात्मक बात नहीं की। फिर प्रशांत किशोर जी से मुलाकात की और उनके साथ काम करने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने बहुत इज्जत के साथ पार्टी से जुड़कर काम करने को कहा। वहीं जन सुराज की सदस्यता लेने के बाद भुवन पटेल ने कहा कि नीतीश कुमार सबसे जीनियस मुख्यमंत्री हैं। लेकिन उम्र के अनुसार उनकी शारीरिक क्षमता कम हो रही है। स्थिति ऐसी हो गई है कि अगल-बगल रहने वाले कुछ लोग ही सरकार चला रहे हैं। भुवन पटेल समता पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। कहा कि जदयू से बड़ी संख्या में लोग निकलेंगे और दूसरी पार्टियों में जगह बनाएंगे।  

बिहार में विकास की नई राह, CM नीतीश के विज़न से 26,000 किमी तक पहुँचना अब आसान

पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की सड़कों ने विकास की नई गाथा लिख दी है। पिछले दो दशकों में राज्य में सड़कों की लंबाई दोगुनी हो गई है। 2005 में जहां महज 14,468 किलोमीटर सड़कें थीं, वहीं 2025 तक यह बढ़कर 26,000 किलोमीटर से अधिक हो चुकी हैं। राष्ट्रीय और जिला मार्गों में लंबी छलांग 2005 तक राज्य में राष्ट्रीय उच्च पथों की कुल लंबाई 3,629 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 6,147 किलोमीटर हो गई है। इसी तरह वृहद जिला पथों की लंबाई 8,457 किलोमीटर से दोगुनी होकर 16,296 किलोमीटर तक पहुंच चुकी है। पहले जहां अधिकांश सड़कें सिंगल लेन तक सीमित थीं, वहीं अब दो, चार और छह लेन की सड़कों का जाल बिछ चुका है। ग्रामीण सड़कों ने खोले रोजगार के रास्ते ग्रामीण क्षेत्रों में भी सड़क क्रांति दिखाई दे रही है। नाबार्ड के सहयोग से 2025 तक स्वीकृत 2,025 सड़कों में से 1,859 का निर्माण पूरा हो चुका है। इनकी कुल लंबाई लगभग 4,822 किलोमीटर है। साथ ही 1,235 स्वीकृत पुलों में से 910 बनकर तैयार हो गए हैं। ये पुल और सड़कें ग्रामीण इलाकों को शहरों से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रही हैं। सड़कों ने बदली बिहार की तकदीर बिहार की सड़कें केवल आवागमन का साधन नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास की धुरी बन चुकी हैं। इनसे गांव सीधे शहरों से जुड़ गए हैं, बाजार, स्कूल और अस्पताल तक पहुंचना आसान हो गया है। व्यापार और कृषि उत्पादों की आवाजाही बढ़ने से किसानों की आमदनी भी मजबूत हुई है। चौतरफा विकास की राह विशेषज्ञ मानते हैं कि बेहतर सड़क नेटवर्क से न सिर्फ यात्रा का समय कम हुआ है, बल्कि रोजगार और व्यापार की नई संभावनाएं भी खुली हैं। यही कारण है कि बिहार अब ग्रामीण बुनियादी ढांचे और सड़क कनेक्टिविटी में देश के अग्रणी राज्यों में गिना जा रहा है।  

सेंचुरी ऑफ़ रिनपास: CM हेमंत ने बताया– संस्थान की सारी कमियां जल्द दूर होंगी

रांची रिनपास शताब्दी समारोहः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि रांची इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूरो साइकेट्री एंड एलाइड साइंस ( रिनपास ) में जल्द कई बदलाव देखने को मिलेंगे। हेमंत सोरेन ने गुरूवार को यहां रिनपास के 100 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित शताब्दी वर्ष समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि रिनपास में आधारभूत संरचना तथा शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा। यहां जो भी कमियां होगी, उसकी विस्तृत समीक्षा कर उसे दूर किया जाएगा। यहां मानसिक मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिले, उनका अत्याधुनिक तरीके से इलाज की समुचित व्यवस्था हो, इस दिशा में राज्य सरकार सभी आवश्यक कदम उठाएगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सेवा, समर्पण और विश्वास के गौरवशाली सौ वर्ष पूरे होने पर रिनपास से जुड़े सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के समय रिनपास जैसे संस्थानों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। जिस तरह लोग मानसिक अवसाद की गिरफ्त में आ रहे हैं। वैसे में उन्हें बेहतर काउंसलिंग और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है। हालांकि , कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहता कि उसे रिनपास जैसे संस्थान में आने की नौबत आए, लेकिन मानसिक परेशानी, मजबूरी और परिस्थिति कई लोगों को यहां तक आने को मजबूर करती है। ऐसे में यहां आने वाले मनोरोगी पूरी तरह स्वस्थ होकर जाएं, इसके लिए यहां इलाज की बेहतर से बेहतर व्यवस्था व्यवस्था की जाएगी।