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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा- राज्य सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हमारी सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सभी वर्गों की बेहतरी के लिए कार्य कर रही है। राज्य सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। बगैर सर्वे, बगैर तैयारी, आरक्षण देने की बात करके फैलाए गए भ्रम के कारण यह मामला कोर्ट में लंबित रहा। आरक्षण के संबंध में तथ्यात्मक आंकड़ों के आधार पर विधानसभा में बिल प्रस्तुत करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार 14 प्रतिशत आरक्षण से शेष बचे लोगों को आरक्षण का लाभ दिलाने की दिशा में प्रभावी कार्यवाही कर रही है। इसी क्रम में सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों के लिए भी 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। ऐसे विद्यार्थी जो न्यायालयीन प्रक्रिया के कारण ज्वाइनिंग नहीं दे पाए, उनको ज्वाइन कराने के भी प्रयास किए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने अधिकारियों- कर्मचारियों की पदोन्नति के लंबित प्रकरणों का निराकरण किया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर जातिगत जनगणना की प्रक्रिया भी आरंभ हो रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समन्वय भवन में मीडिया से चर्चा में यह विचार व्यक्त किए।  

एम-आधार से होगी पहचान की जांच, फर्जी आईडी वाले रेल यात्रियों पर होगी सख्ती

भोपाल  ट्रेन यात्रा के दौरान यात्री को अपनी पहचान साबित करने के लिए मोबाइल ऐप एम-आधार का सहारा लेना होगा। रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में सभी जोन को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। एमआधार ऐप के जरिए अब ट्रेनों में सफर के दौरान यात्रियों की पहचान तकनीकी रूप से सत्यापित की जाएगी। ट्रेनों में अक्सर देखा जाता है कि दूसरे के टिकट पर लोग यात्रा कर लेते हैं। लेकिन अब ट्रेन यात्रा के दौरान यात्री को अपनी पहचान साबित करने के लिए मोबाइल ऐप एम-आधार का सहारा लेना होगा। रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में सभी जोन को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। एमआधार ऐप के जरिए अब ट्रेनों में सफर के दौरान यात्रियों की पहचान तकनीकी रूप से सत्यापित की जाएगी। दूसरों के नाम पर टिकट लेकर यात्रा करते हैं लोग मिली जानकारी के अनुसार रेलवे को लंबे समय से ऐसी शिकायतें मिलती रही हैं कि कुछ लोग दूसरों के नाम पर टिकट लेकर यात्रा करते हैं या फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल कर ट्रेन में चढ़ जाते हैं। ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए रेलवे अब एमआधार ऐप का इस्तेमाल करेगा, जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने विकसित किया है। जाने कैसे काम करेगे एम आधार एप रेवले द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस ऐप में क्यूआर कोड स्कैन कर पहचान सत्यापन की सुविधा है। टीटीई इस ऐप के माध्यम से यात्री का आधार कार्ड स्कैन कर उसकी वास्तविकता को तुरंत जांच सकेंगे। इससे फर्जी आधार कार्ड की पहचान आसान हो जाएगी और टिकटों की कालाबाजारी पर भी नियंत्रण संभव होगा। रेलवे बोर्ड ने कहा है कि ऐप को जल्द ही HHT (हैंड हेल्ड टर्मिनल) डिवाइस से जोड़ा जाएगा, जिससे टीटीई को यह सुविधा सीधे उनके उपकरण में उपलब्ध होगी। इससे आरक्षित टिकटों का गलत इस्तेमाल रुकेगा और यात्रा के दौरान यात्रियों की असली पहचान सुनिश्चित हो सकेगी। यात्री सुरक्षा और ट्रेनों में अनधिकृत यात्रा को रोकने का प्रयास रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह कदम यात्री सुरक्षा, पारदर्शिता और ट्रेनों में अनधिकृत यात्रा को रोकने की दिशा में एक बड़ा सुधार है। साथ ही डिजिटल इंडिया की दिशा में भी यह प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकता है।  

नागद्वार की दुर्गम यात्रा का आगाज़ 19 जुलाई से प्रारंभ होगा भव्य मेला, नागपंचमी 29 जुलाई तक चलेगी यात्रा

जुन्नारदेव   मध्यप्रदेश के पचमढ़ी क्षेत्र में स्थित नागलोक के द्वार नागद्वार के दर्शन हेतु इस वर्ष की वार्षिक धार्मिक यात्रा का शुभारंभ 19 जुलाई से होगा, जो 31 जुलाई तक चलेगी। यह दरवाज़ा वर्ष में केवल एक बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इस पावन अवसर पर मध्यप्रदेश महाराष्ट्र सहित देशभर से लाखों श्रद्धालु यहाँ आकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। श्रद्धालुओं को नागद्वार तक पहुंचने के लिए दुर्गम यात्रा करनी होती है। यात्रा प्रातःकाल से ही शुरू की जाती है ताकि समय रहते दर्शन सम्पन्न किए जा सकें। यात्रा की शुरुआत छिंदवाड़ा जिले के दमुआ ब्लॉक के गांव आल्मोद से होती है। इसके बाद श्रद्धालु रौरी घाट, काजरी गांव, मछंदरनाथ, गोरखनाथ, बिचबेहरी और झालमऊ जैसे पड़ाव पार करते हुए नागद्वार देवस्थान तक पहुंचते हैं, जो सतपुड़ा रिजर्व फॉरेस्ट के बीच स्थित है। श्रद्धालुओं को हुए नाग देवता के दर्शन यह यात्रा सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव नहीं है, बल्कि यह नाग देवता की प्रत्यक्ष अनुभूति भी कराती है। यात्रा मार्ग में कई गुफाएं हैं जिनमें सैकड़ों नाग देवता की मूर्तियां हैं। मान्यता है कि यात्रा के दौरान कई श्रद्धालुओं को साक्षात नाग देवता के दर्शन होते हैं, लेकिन इसके बावजूद आज तक सर्पदंश की कोई घटना नहीं हुई, जो इस यात्रा की दिव्यता को दर्शाता है। साल में एक बार खुलता है यह रास्ता यह दुर्गम और आरक्षित वन मार्ग साल में केवल एक बार ही, नागद्वारी मेले के समय, वन विभाग की अनुमति से श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इस यात्रा में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचते हैं। प्रशासनिक तैयारी पूरी इस साल यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और एसपी अजय पांडे ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। यात्रा मार्ग में संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए SDRF और पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। लगभग 25 हजार श्रद्धालु हर साल इस यात्रा में शामिल होते हैं। सेवा और सुविधाएं यात्रा मार्ग में भंडारे दिन-रात चलते हैं। श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने, रुकने और स्वास्थ्य की व्यवस्था प्रशासन और ग्राम पंचायतों द्वारा की गई है। स्वच्छता के लिए विशेष कर्मचारी तैनात किए गए हैं। इन बातों का रखें ध्यान यह यात्रा शारीरिक रूप से स्वस्थ श्रद्धालुओं के लिए उपयुक्त है। साथ में टॉर्च, रेन कोट, बरसाती जूते, सूखा भोजन, चादर और कंबल अवश्य रखें। शीलेंद्र सिंह (कलेक्टर छिंदवाड़ा) ने कहा कि हम लगातार मेले को सफल बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। दमुआ में SDRF की टीम भी तैनात रहेगी। प्रशासन ने किए पुख्ता इंतज़ाम इस पवित्र यात्रा के दौरान प्रशासन द्वारा पूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। पुलिस, जल, लाइट, स्वास्थ्य, सफाई एवं अन्य आवश्यक प्रबंधों के लिए अतिरिक्त सरकारी अमला तैनात किया जाएगा। सतपुड़ा के घने जंगलों और पथरीले रास्तों से होकर नागद्वार तक की यात्रा केवल हिल स्टेशन पचमढ़ी से ही संभव है। यहां से होकर श्रद्धालु सतपुड़ा की संगीतमय घाटियों से गुजरते हुए नागद्वार तक पहुंचते हैं और दर्शन लाभ प्राप्त करते हैं।

प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधरोपण कार्य वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से किया जाए

पौधरोपण में वैज्ञानिक और टिकाऊ तकनीकों के उपयोग के लिए प्रशिक्षण मनरेगा के तहत इंजीनियर और कृषि सखियों को दिया जा रहा है तकनीकी प्रशिक्षण प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधरोपण कार्य वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से किया जाए भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई "एक बगिया मां के नाम परियोजना", "गंगोत्री हरित योजना" और "नर्मदा परिक्रमा पथ" जैसी योजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने की दिशा में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। इन योजनाओं के तहत मनरेगा के माध्यम से प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रदेश के 2101 इंजीनियर और 626 कृषि सखी को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण मध्यप्रदेश जल-भूमि प्रबंध संस्थान, भोपाल और क्षेत्रीय ग्रामीण विकास-पंचायतराज प्रशिक्षण केंद्रों में संचालित किया जा रहा है। प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पौधरोपण कार्य वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से किया जाए। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने निर्देश दिए हैं कि नदियों के उद्गम स्थलों पर पौधरोपण को प्राथमिकता दी जाए। साथ ही मां नर्मदा परिक्रमा पथ पर आश्रय स्थलों में पौधरोपण कर तीर्थ यात्रियों को बेहतर सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने "एक बगिया मां के नाम परियोजना" को महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का एक सशक्त माध्यम बताया। मनरेगा के अंतर्गत प्रशिक्षण पाने वाले अधिकारियों में 36 कार्यपालन यंत्री आरईएस, 215 सहायक यंत्री, 47 डीपीएम एसआरएलएम और 1803 उप यंत्री शामिल हैं। इन्हें पौधरोपण की तकनीकी बारीकियों से अवगत कराया जा रहा है, जिससे वे इस कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न कर सकें। प्रदेश में पहली बार पौधरोपण कार्य में अत्याधुनिक तकनीक सिपरी सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से संबंधित जिलों की जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता, एग्रो क्लाइमेट ज़ोन, स्थल चयन और पानी की उपलब्धता जैसी जानकारियां जुटाकर पौधों की उपयुक्त प्रजातियों का चयन किया जाएगा। जहां सॉफ्टवेयर उपयुक्तता नहीं दिखाता, वहां पौधरोपण नहीं किया जाएगा, जिससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सके। "एक बगिया मां के नाम" अभियान के तहत स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए उनकी निजी भूमि पर फलदार पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए 626 कृषि सखी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये कृषि सखी बाद में अन्य स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को पौधारोपण की तकनीक, पौधों के चयन और देखरेख के बारे में प्रशिक्षण देंगी और उन्हें आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगी। इस व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश में न केवल पर्यावरण-संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्राप्त होगा।  

पीजी में आए अंक के आधार पर मेरिट का निर्धारण किया जा रहा , ऐसा करके राज्य शासन ने शिक्षा के स्तर से समझौता किया : हाईकोर्ट

ग्वालियर पहले से काम कर रहे अतिथि विद्वानों को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उच्च न्यायालय ने अतिथि विद्वानों के चयन के लिए अक्टूबर 2023 को जारी सर्कुलर को लेकर बड़ा फैसला दिया है. इसमें स्पष्ट किया गया कि अतिथि विद्वानों की मेरिट का निर्धारण 17 दिसंबर 2019 को जारी सर्कुलर के प्रावधान के अनुसार किया जाएगा. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने 2023 के सर्कुलर में कैटेगरी व्यवस्था को शामिल करने का आदेश दिया. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला? 2019 के सर्कुलर में क्या था? 2019 के सर्कुलर में अतिथि विद्वानों की योग्यता को चार कैटेगरी में विभाजित किया गया हैं, जिसमें सी-1 वाला अतिथि विद्वान सबसे ज्यादा योग्य (पीएचडी विद नेट सिलेक्ट) माना जाता है. सी-4 वाला अतिथि विद्वान (पीजी, किसी भी विषय में) अंतिम पायदान पर होता है. 2023 के सर्कुलर में फाल आउट संबंधी प्रावधान को यथावत रखा गया है. इसके अनुसार, नियमित नियुक्ति होने की स्थिति में कम शैक्षणिक योग्यता वाला अतिथि शिक्षक (सी-4) ही हटाया जाएगा. याचिकाकर्ता ने क्या कहा? याचिकाकर्ता डॉ दिनेश कुमार चतुर्वेदी व अन्य की ओर से बताया गया कि 2023 के सर्कुलर में कैटेगरी व्यवस्था समाप्त कर दी गई है. अब केवल पीजी में आए अंक के आधार पर मेरिट का निर्धारण किया जा रहा है. ऐसा करके राज्य शासन ने शिक्षा के स्तर से समझौता किया है. कोर्ट ने क्या कहा? दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने शासन को 2023 में जारी सर्कुलर के प्रावधानों को संशोधित कर प्रतिभागी के फॉल आउट का निर्धारण कैटेगरी के माध्यम से करने का निर्देश दिया है कि जब तक ये प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक दिसंबर 2019 के सर्कुलर में प्रस्तावित कैटेगरी का पालन करने का निर्देश दिया गया है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उक्त आदेश आदेश 5 अक्टूबर 2023 के पूर्व में नियुक्त या कार्यरत अतिथि विद्वानों पर ही बंधनकारी होगा.

अब आम जन सीधे तौर पर पुलिस से संवाद स्थापित कर सकेगी, प्रदेश के सभी थानों में लगेंगे QR कोड, स्कैन कर दे सकेंगे प्रतिक्रिया

भोपाल  प्रदेशभर के थानों में आम जनता अब पुलिसकर्मियों के व्यवहार और थाने के अनुभव पर सीधे ऑनलाइन फीडबैक दे सकेगी। इसके लिए थानों में QR कोड लगाए जाएंगे, जिन्हें स्कैन कर नागरिक अपने अनुभव साझा कर सकेंगे। पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश के मुताबिक, थानों में किसी खुले स्थान पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा। शिकायतकर्ता या कोई भी आम नागरिक इसे स्कैन कर यह बता सकेगा कि थाने में उसके साथ कैसा व्यवहार हुआ। पुलिस अधिकारी या कर्मियों ने समस्या ठीक से सुनी या नहीं, इसका भी जिक्र फीडबैक में किया जा सकेगा। नर्मदापुरम में तैयारियां शुरू नर्मदापुरम एसपी डॉ. गुरकरण सिंह ने बताया कि जिले के सभी 19 थानों और पुलिस चौकियों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी। प्रत्येक स्थान पर फीडबैक स्कैन बारकोड लगाया जाएगा। गूगल या एनआईसी से लिंक होगा फॉर्म QR कोड स्कैन करने के बाद फीडबैक फॉर्म खुल जाएगा, जिसे गूगल या एनआईसी पोर्टल के माध्यम से तैयार किया जाएगा। यह फॉर्म वरिष्ठ अधिकारियों की ई-मेल आईडी से लिंक रहेगा ताकि तत्काल निगरानी हो सके। बेहतर कार्य, 2 थानों को सर्टिफिकेट बेहतर पुलिसिंग, संसाधनों का अच्छे से उपयोग करने पर तेजाजी नगर और राजेंद्र नगर थाने को आइएसओ सर्टिफिकेट मिला है। यह सर्टिफिकेट डीजीपी ने संबंधित थानों के अधिकारियों को देकर बधाई दी। वहीं महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकारी, कर्मचारी को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। उक्त फीडबैक क्यूआर कोड के संबंध में जानकारी देते हुए डीजीपी महोदय ने बताया कि, ये क्यू आर कोड शहर के प्रत्येक थानो पर लगाएं जाएगें, जहां पर जनता का पुलिस से सीधा संवाद होता है। आम नागरिक अपनी समस्याओं व शिकायत लेकर थाने पर आता है तो पुलिस का उसके साथ कैसा व्यवहार है तथा उसकी समस्या पर पुलिस ने क्या कार्यवाही करी और आवेदक पुलिस की कार्यप्रणाली से संतुष्ट है या असंतुष्ट है आदि के संबंध में अपनी राय को उक्त क्यूआर कोड को स्कैन कर अपना फीडबैक दे सकता है। आमजन द्वारा दिए गये फीडबैक वरिष्ठ अधिकारियों व कार्यालय में स्थित मॉनिटरिंग सेल में जाएगा, जिस पर उक्त फीडबैक के आधार पर कार्यवाही की जावेगी। आम नागरिकगण अपना फीडबैक देकर पुलिस की कार्यप्रणाली को और बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। इसी प्रकार आमजन के हितों व उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, बेहतर पुलिसिंग व संसाधनों का अच्छे से उपयोग कर, कार्यप्रणाली को और अच्छा करने के फलस्वरूप इदौर पुलिस कमिश्नरेट के पुलिस थाना तेजाजी नगर व राजेन्द्र नगर को ISO 9001:2015 का सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ है। जिस पर डीजीपी श्री कैलाश मकवाना जी द्वारा उक्त सर्टिफिकेट संबंधित थानों व अधिकारियों को समर्पित करते हुए, सभी को बधाई दी और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र भी प्रदान कर, ऐसे ही पूर्ण लगन व मेहनत से बेहतर पुलिसिंग करने के लिये सदैव प्रयासरत् रहने के लिये प्रेरित किया। इस पहल से पुलिस की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और आम जनता की प्रतिक्रिया सीधे अधिकारियों तक पहुंचेगी।

मध्य प्रदेश में स्कूली छात्रों को खुशखबरी, मिलेगी फ्री साइकिलें, इन स्टूडेंटों को मिलेगा लाभ, 10 जुलाई को सीएम यादव देंगे सौगात

भोपाल  मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने विद्यार्थियों को एक बड़ी खुशखबरी दी है। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से उन्‍हें बड़ी संख्‍या में निशुल्क साइकिल दी जा रही है। इसके दिशा-निर्देश जारी करने के बाद अब इसके कार्यक्रम की घोषणा भी कर दी गई है। इसमें कक्षा छठवीं और नवीं के विद्यार्थियों को साइकिल दी जाएगी। सीएम मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी अब इसे लेकर मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक्‍स के माध्‍यम से जानकारी साझा की है। उन्‍होंने एक पोस्‍टर शेयर करते हुए कहा कि “10 जुलाई को प्रदेश में 15 लाख से अधिक स्कूली विद्यार्थियों को साइकिलें वितरित की जाएंगी।” वहीं, पोस्‍टर के अंदर लिखा हुआ है, शिक्षा की राह होगी साइकिल के संग आसान, कक्षा 6वीं और 9वीं में प्रवेश करने वाले विद्यार्थ‍ियों को दी जाएगी नि:शुल्‍क साइकिल। 15 लाख से अधिक विद्यार्थ‍ियों को मिलेगी नई ऊर्जा, नई रफ्तार, समानता और सुविधा की ओर बढ़ता मध्‍यप्रदेश। 6वीं और 9वीं के छात्रों को मिलेगा लाभ  बताया जा रहा है कि साइकिल वितरण को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी स्कूलों में दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 में उन स्कूली छात्रों को साइकिल दी जाएगी जो अपने गांव से किसी दूसरे गांव या फिर शहर में पढ़ाई के लिए आते हैं. उन सभी को शासन की तरफ से साइकिलें दी जाएगी. हालांकि जो इन क्लासों में फिर से एंट्री ले रहे हैं उन छात्रों को योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा. बता दें कि ग्रामीण क्षेत्र में कई स्कूलों की दूरी 2 किलोमीटर से ज्यादा की होती है, ऐसे में इन छात्रों को साइकिलों की सुविधा दी जाती है. एमपी सरकार में पहले भी यह योजना थी.  खास बात यह है कि 6वीं के छात्रों को 18 इंच और 9वीं के छात्रों को 20 इंच की साइकिलें दी जाएगी. फ्री में साइकिल दिए जाने की योजना की पूरी जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग के 3.0 पोर्टल पर भी जारी की गई है, जहां कोई भी छात्र या उनके परिजन इसकी जानकारी ले सकते हैं. बताया जा रहा है कि फ्री में साइकिल दिए जाने की योजना की पूरी जानकारी सभी जिलों में कलेक्टरों, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा केंद्र समन्वयक को भेजी गई है, जबकि इनकी तरफ से यह जानकारी स्कूलों में भेज दी गई है.  आने जाने की समस्या होगी दूर  स्कूली छात्रों को साइकिल का लाभ मिलने से उन्हें स्कूल तक आने जाने में फायदा होगा, यानि छात्र आसानी से स्कूल के लिए समय से निकल सकेंगे और समय से आ भी सकेंगे. ऐसे में मध्य प्रदेश में स्कूली छात्रों को फ्री साइकिल योजना का लाभ मिलना अहम माना जा रहा है. 

संजीवनी मोबाइल यूनिट महीने में 2 से 3 बार आदिवासी इलाकों में जाती, गंभीर बीमारियों में मिल रही मदद

छिंदवाड़ा  गांवों में मेडिकल सुविधाएं एक ऐसी परेशानी है, जिससे लोगों की जान को भी खतरा होता है। अब PVGT (पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप) के लोगों को छोटी बीमारियों के इलाज के साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के बारे में भी समय पर जानकारी मिल रही है। मोबाइल यूनिट से मिल रहा बैगा, भारिया, सहरिया को जीवनदान मध्य प्रदेश की तीन प्रमुख जनजातियों, जिनमें बैगा, भारिया और सहरिया शामिल हैं, को मेडिकल सुविधाएं देने के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट उनके घर तक पहुंच रही है। आदिवासी इलाकों, जहां से अस्पताल दूर है या लोग जानकारी के अभाव में इलाज कराने नहीं जाते, ऐसे लोगों तक ये यूनिटें पहुंचकर जानकारी देने के साथ उन्हें प्राथमिक उपचार भी देती हैं। थ्रोट और ब्रेस्ट कैंसर समेत कई बीमारियों की स्क्रीनिंग मध्य प्रदेश के जिलों में सिर्फ आदिवासी इलाकों के लिए 4-5 यूनिट लगाई गई है। इन यूनिटों में थोट और ब्रेस्ट कैसर की स्क्रीनिंग होती है। ऐसे में अगर किसी में इस प्रकार के लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें समय पर जानकारी देकर बड़े अस्पतालों में रेफर किया जाता है। इन यूनिटों में डॉक्टर, नर्स और लैब टेक्नीशियन समेत 6 लोग होते हैं। इनमें टीबी, शुगर और बीपी की भी जांच की जा रही है। महीने में 2 से 3 बार आदिवासी इलाकों में जाती है यूनिट विदिशा के डिप्टी कलेक्टर संतोष बिलोलिया ने बताया कि यह यूनिट महीने में 2-3 बार आदिवासी इलाको में जाकर लोगों की जांच करती है और उन्हें दवाएं भी दी जाती है। गंभीर बीमारियों में मिल रही मदद छिंदवाड़ा के आदिवासी कल्याण विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर एस.एस. मरकाम ने बताया कि नगरी ढुंगरा गांव में जांच के दौरान 10 लोगों में हाई शुगर होने का पता चला था, जबकि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने बताया कि कई बार आदिवासी इलाकों में लोग छोटी-मोटी दिक्कतों के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं। इन यूनिटों के जरिए मेडिकल सुविधाएं अब उन तक पहुंच रही है।

हमीदिया अस्पताल में अतिक्रमण को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने मोर्चा खोला, मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा

भोपाल  राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल की बाउंड्री बाल में कुछ लोगों ने हरे रंग का पेंट करके वहां धार्मिक झंडा लगा दिया था। जिसके बाद से जूनियर डॉक्टर ने विरोध शुरू कर दिया और थाने में शिकायत की। अब यह शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक पहुंच गई है। जूनियर डॉक्टरों ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को बताया है कि किस तरह से हमीदिया अस्पताल के परिसर में लगातार अतिक्रमण बढ़ रहा है। अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग  अस्पताल परिसर में हो रहे अतिक्रमण को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने मोर्चा खोला दिया है। संगठन के अध्यक्ष डॉ कुलदीप गुप्ता का कहना है कि अस्पताल परिसर में लगातार हो रहे धार्मिक अतिक्रमण से बाहरी लोगों का लगातार आना जाना लगा रहता है जिससे अस्पताल परिसर की सिक्योरिटी एवं सेफ्टी पर समस्याएं खड़ी हो रही है। लगातार डॉक्टरों के साथ कर्मचारीयो के साथ दुर्व्यवहार के मामले सामने आ रहे है। हमारा यही मानना है अस्पताल परिसरों को सुरक्षित किया जाए, जिससे डॉक्टर अपने रोगियों की सेवा पूरी तन्मयता निर्भयता के साथ और पूरी लगन के साथ कर सके । निरंतर धार्मिक अतिक्रमण की समस्या सीएम से शिकायत में कहा गया है कि गांधी चिकित्सा महाविद्यालय एवं हमीदिया चिकित्सालय, भोपाल जो कि राज्य का एक प्रमुख चिकित्सा एवं शैक्षणिक संस्थान है, वर्तमान में निरंतर धार्मिक अतिक्रमण की समस्या से ग्रसित हो रहा है। यह अतिक्रमण बाहरी व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है। जिसमे परिसर के अंदर के लोग भी इन गतिविधियों को संचालित करने के लिए सहयोग कर रहे है। जो न केवल संस्थान की गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है, बल्कि चिकित्सा सेवाओं एवं शैक्षणिक वातावरण में भी बाधा उत्पन्न कर रहा है। लगातार बाहरी लोगों के द्वारा अनुचित और अनैतिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं जिससे महिला डॉक्टर्स की सुरक्षा के साथ बड़ी लापरवाही भी सामने आई है । सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित शिकायत में कहा गया है कि यह अत्यंत खेदजनक है कि यह परिसर, जो केवल चिकित्सा शिक्षा एवं मरीजों की सेवा के लिए समर्पित है, वहां धार्मिक गतिविधियां एवं असंवैधानिक अतिक्रमण बढ़ते जा रहे हैं। इससे न केवल सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है, बल्कि रोगियों, चिकित्सकों, और विद्यार्थियों को मानसिक तनाव एवं असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यह है प्रमुख मांगे 1. परिसर में हो रहे अवैध धार्मिक अतिक्रमणों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। 2. बाहरी व्यक्तियों की अनाधिकृत प्रवेश पर रोक लगाई जाए एवं सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए। 3. चिकित्सा शिक्षा और रोगी देखभाल के माहौल को शुद्ध एवं सुरक्षित बनाए रखने हेतु उचित प्रशासनिक कार्रवाई की जाए। पहले भी हो चुका है अतिक्रमण यह कोई पहला मामला नहीं है जब हमीदिया अस्पताल परिसर में धार्मिक अतिक्रमण हुआ हो। पिछले साल भी लाइब्रेरी के पास बनी एक मजार को बढ़ाने को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। उस समय सिटी एसडीएम ने अस्पताल परिसर का निरीक्षण कर अतिक्रमण को चिह्नित किया था। इसके बाद जिला प्रशासन, गांधी मेडिकल कॉलेज, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम और अन्य विभागों की संयुक्त बैठक कर कार्रवाई करने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।  

एक देश एक विधान राष्ट्रीय कार्यक्रम रवीन्द्र भवन में आज, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव होंगे शामिल

भोपाल राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक अखण्डता के प्रणेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 125वें जन्म-दिवस पर 6 जुलाई को शाम 6 बजे अंजनी सभागार रवीन्द्र भवन में एक देश एक विधान राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। “एक देश दो विधान, एक देश दो प्रधान नहीं चलेगा‘’ अपने इस युगांतरकारी विचार से भारत की एकता की बुनियाद को अटल मजबूती देने वाले डॉ. मुखर्जी के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में वैचारिक सत्र होगा। साथ ही लघु फिल्म का प्रदर्शन और एक प्रदर्शनी भी लगायी जायेगी।