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फ्री राशन लेना है तो तुरंत कराएं ई-केवाईसी, सरकार ने किया जरूरी

नई दिल्ली राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत केंद्र सरकार करोड़ों नागरिकों को मुफ्त में राशन उपलब्ध कराती है। हालांकि इसके लिए आपके पास राशन कार्ड होना जरूरी है। बता दें कि राशन कार्ड से सिर्फ मुफ्त राशन ही नहीं मिलता बल्कि यह एक आईडी के तौर पर भी इस्तेमाल होता है। इसका इस्तेमाल आप आधार कार्ड से लेकर पैन कार्ड बनवाते समय अपनी पहचान वेरिफाई करवाने के लिए कर सकते हैं। गौरतलब है कि राशन कार्ज से जुड़ी किसी भी सुविधा का लाभ उठाने के लिए अब ई-केवाईसी करवाना जरूरी है। धोखाधड़ी के मामलों पर रोक लगाने के इरादे से सरकार ने सभी राशन कार्ड का ई-केवाईसी करवाना अनिवार्य कर दिया है। हालांकि इसके लिए आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल राशन कार्ड की ई-केवाईसी आप घर बैठे अपने फोन पर भी कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कि यह कैसे करना है। राशन कार्ड की ऑनलाइन ई-केवाईसी ऐसे करें     अपने फोन से राशन कार्ड के लिए ई-केवाईसी कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने मोबाइल में ‘Mera eKYC’ ऐप और ‘Aadhaar FaceRD’ ऐप इंस्टॉल करनी होगी।     इस ऐप को खोलने के बाद अपनी लोकेशन और अन्य जरूरी जानकारी दर्ज करें।     इसके बाद अपना आधार नंबर, कैप्चा कोड और मोबाइल पर आए OTP को दर्ज करें।     इसके बाद आपके आधार से जुड़ी जानकारी इस ऐप पर दिखाई देगी।     अब आपको ‘Face e-KYC’ विकल्प को चुनना होगा।     इसके बाद कैमरा ऑन हो जाएगा।     अब अपना फोटो क्लिक करें और ‘सबमिट’ बटन पर क्लिक करें।     इस तरह आपकी ई-केवाईसी पूरा हो जाएगा। हर सदस्य का केवाईसी जरूरी ध्यान रहे कि इस प्रोसेस को राशन कार्ड में शामिल हर एक सदस्य को पूरा करना होगा। यानी कि सभी सदस्यों की अलग-अलग ईकेवाईसी होगी। अगर किसी सदस्य का ई-केवाईसी नहीं होता है, तो उसका नाम कार्ड से हटा दिया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि असली और जरूरतमंद लोगों को ही फ्री राशन और दूसरी सरकारी सुविधाएं मिलें।

भारतीय सेना को मिलेगी नई ताकत, देश में बनेगा ब्राजील का मल्टीरोल मिलिट्री एयरक्राफ्ट C-390

नई दिल्ली ब्राजील की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी एम्ब्रेयर (Embraer) और भारत की महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स ने C-390 मिलेनियम मध्यम परिवहन विमान (Medium Transport Aircraft) के लिए साझेदारी की है. इसके अलावा, दोनों देश हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली (Airborne Warning and Control System – AWACS) के विकास में भी सहयोग कर रहे हैं. एम्ब्रेयर ने नई दिल्ली में अपनी एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भी स्थापित की है, जो भारत में रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगी. साथ ही, ब्राजील भारत के स्वदेशी रक्षा सिस्टम जैसे आकाश मिसाइल और गरुड़ तोप प्रणाली में भी रुचि दिखा रहा है. आइए, इस साझेदारी और C-390 मिलेनियम विमान की विशेषताओं और भारत के लिए इसके फायदों को समझते हैं. भारत-ब्राजील रक्षा साझेदारी: एक नई शुरुआत भारत और ब्राजील, दोनों ही BRICS देश, रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में एक-दूसरे के पूरक हैं. भारत स्वदेशी रक्षा तकनीकों जैसे आकाश सतह-से-हवा मिसाइल (Surface-to-Air Missile) और गरुड़ तोप प्रणाली के लिए जाना जाता है, जबकि ब्राजील की एम्ब्रेयर कंपनी C-390 मिलेनियम जैसे आधुनिक परिवहन विमानों और अन्य एयरोस्पेस तकनीकों में माहिर है. दोनों देशों के बीच सहयोग की शुरुआत कई साल पहले तब हुई, जब भारत ने एम्ब्रेयर के ERJ-145 प्लेटफॉर्म पर आधारित 'नेत्रा' AWACS विमान विकसित किया. यह विमान भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए खुफिया जानकारी और निगरानी मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.  2024 में एम्ब्रेयर और महिंद्रा ने नई दिल्ली में ब्राजील दूतावास में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य भारतीय वायुसेना के मध्यम परिवहन विमान (MTA) प्रोजेक्ट के लिए C-390 मिलेनियम को भारत में बनाना है. यह साझेदारी न केवल भारतीय वायुसेना की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में C-390 विमानों का एक उत्पादन केंद्र (हब) बनाने की संभावना भी तलाशेगी. इसके अलावा, एम्ब्रेयर ने मई 2025 में नई दिल्ली के एयरोसिटी में अपनी सहायक कंपनी शुरू की, जो रक्षा, वाणिज्यिक उड्डयन और शहरी हवाई गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग बढ़ाएगी. ब्राजील ने भारत के आकाश मिसाइल सिस्टम में भी रुचि दिखाई है, जो 4 से 25 किलोमीटर की रेंज में हेलिकॉप्टर, लड़ाकू विमान और ड्रोन को मार गिराने में सक्षम है. यह सिस्टम पूरी तरह स्वचालित है. 82% स्वदेशी है, जिसे 2026-27 तक 93% स्वदेशी करने की योजना है. ब्राजील गरुड़ तोप प्रणाली और तटीय निगरानी प्रणाली (Coastal Surveillance System) में भी रुचि रखता है. दोनों देश स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के रखरखाव और संयुक्त अनुसंधान व विकास (R&D) में भी सहयोग करना चाहते हैं. एम्ब्रेयर C-390 मिलेनियम: विशेषताएं C-390 मिलेनियम एक आधुनिक, दो इंजन वाला, जेट-संचालित मध्यम परिवहन विमान है, जिसे ब्राजील की एम्ब्रेयर कंपनी ने डिजाइन किया है. यह विमान 2019 से ब्राजीलियाई वायुसेना में सेवा दे रहा है. 2023 में पुर्तगाल की वायुसेना में भी शामिल हुआ. यह विमान अपनी बहुमुखी प्रतिभा, विश्वसनीयता और कम परिचालन लागत के लिए जाना जाता है. नीचे इसकी प्रमुख विशेषताएं दी गई हैं…      पेलोड क्षमता: C-390 अधिकतम 26 टन कार्गो ले जा सकता है, जो इसे अन्य मध्यम आकार के सैन्य परिवहन विमानों (जैसे लॉकहीड मार्टिन C-130J, जो 20.2 टन ले जा सकता है) से बेहतर बनाता है.       यह दो M113 बख्तरबंद वाहन, एक बॉक्सर बख्तरबंद वाहन, एक सिकोरस्की H-60 हेलिकॉप्टर या 80 सैनिकों या 66 पैराट्रूपर्स को उनके पूर्ण गियर के साथ ले जा सकता है.  गति और रेंज     अधिकतम गति: 870 किमी/घंटा (470 नॉट या मैक 0.8).     रेंज: 26 टन पेलोड के साथ 1,852 किमी (1,080 नॉटिकल मील).     यह तेज गति और लंबी रेंज इसे त्वरित प्रतिक्रिया मिशनों के लिए आदर्श बनाती है.     इंजन: दो IAE V2500-E5 टर्बोफैन इंजन, जो इसे शक्तिशाली और ईंधन-कुशल बनाते हैं. मिशन की बहुमुखी प्रतिभा कार्गो और सैनिकों का परिवहन, हवा से हवा में ईंधन भरना (एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग), मेडिकल निकासी, खोज और बचाव, हवाई अग्निशमन और मानवीय मिशन.  यह कच्ची या अस्थायी हवाई पट्टियों (जैसे मिट्टी, बजरी) पर भी उतर और उड़ान भर सकता है.   नई ISR (Intelligence, Surveillance, Reconnaissance) वैरिएंट, जिसे C-390 IVR कहा जाता है, समुद्री निगरानी और आपदा प्रबंधन के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें सिंथेटिक अपर्चर रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और उन्नत संचार प्रणालियां शामिल हैं. परिचालन विश्वसनीयता 11,500 उड़ान घंटों के साथ 80% परिचालन उपलब्धता और 99% से अधिक मिशन पूरा करने की दर. 2023 में ब्राजीलियाई वायुसेना द्वारा पूर्ण परिचालन क्षमता (FOC) प्राप्त. NATO मानकों के अनुरूप. तीन घंटे से कम समय में विभिन्न मिशनों के लिए पुन: कॉन्फ़िगर किया जा सकता है. गहन देखभाल इकाई (ICU) किट, जो मानवीय मिशनों में चिकित्सा सहायता प्रदान कर सकता है.  भारत के लिए C-390 मिलेनियम के फायदे पुराने विमानों को बदलना  भारतीय वायुसेना के पास अभी एंटोनोव An-32 जैसे पुराने परिवहन विमान हैं. C-390 इनकी जगह ले सकता है और IAF की परिवहन क्षमता को बढ़ा सकता है. यह उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों (जैसे लद्दाख) और त्वरित तैनाती के लिए उपयुक्त है. मेक इन इंडिया को बढ़ावा एम्ब्रेयर और महिंद्रा भारत में C-390 के लिए एक अंतिम असेंबली लाइन (Final Assembly Line) स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. इससे भारत में उच्च-मूल्य विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय रोजगार सृजित होंगे.    यह साझेदारी भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में C-390 का क्षेत्रीय हब बना सकती है, जिससे इंडोनेशिया, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों को निर्यात किया जा सकता है. तकनीक हस्तांतरण (Technology Transfer) के साथ, भारत की रक्षा उद्योग की क्षमता बढ़ेगी. लागत: C-390 की प्रति यूनिट लागत $140-160 मिलियन अनुमानित है, जो लॉकहीड मार्टिन C-130J ($130-167 मिलियन) से थोड़ी कम है. इसकी कम परिचालन लागत और उच्च विश्वसनीयता भारत के लिए लंबे समय के लिए आर्थिक फायदा कराएगी.  नई तकनीकों का विकास    भारत की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) एम्ब्रेयर के साथ रडार, एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों के लिए सहयोग कर सकती है. इससे भारत की रक्षा तकनीक में सुधार होगा. C-390 IVR जैसे ISR वैरिएंट भारत की समुद्री निगरानी और आपदा प्रबंधन क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं.  रणनीतिक लाभ C-390 की हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमता भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की रेंज और मिशन अवधि को बढ़ा सकती है. यह विमान मानवीय मिशनों (जैसे COVID-19 के दौरान आपूर्ति पहुंचाना) और अंतरराष्ट्रीय सहायता मिशनों में … Read more

तीसरे देश की भूमिका से इनकार ने बढ़ाया तनाव, सेनाध्यक्ष मुनीर ने दी तीखी प्रतिक्रिया

इस्लामाबाद भारत के खिलाफ चीन और तुर्की की मदद के बाद भी बुरी तरह हाल झेलने वाले पाकिस्तान के आर्मी चीफ बौखला गये हैं। भारत के खिलाफ चीन और तुर्की के हथियार बुरी तरह से नाकाम रहे थे, जिससे चीन की पूरी दुनिया में कलई खुल गई है। वहीं तुर्की की ड्रोन इंडस्ट्री भी, जिसने पिछले कुछ सालों से भ्रम पैदा किया था, उसकी भी पोल खुल गई है। जिसके बाद अब पाकिस्तान आर्मी चीफ, चीन और तुर्की को बचाने में लगे हैं। इसीलिए उन्होंने कहा है कि 'भारत के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान की किसी ने मदद नहीं की थी।' जबकि पूरी दुनिया जान गई है कि किस तरह से चीन और तुर्की लगातार पाकिस्तान की मदद कर रहे थे। पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने रावलपिंडी में दावा करते हुए कहा है कि ' भारत औप पाकिस्तान के बीच का संघर्ष पूरी तरह से द्विपक्षीय था।' यानि उन्होंने किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को नकारा है, जबकि भारतीय सेना ने सबूत देकर कहे हैं कि किस तरह से चीन, पाकिस्तान की लगातार लाइव मदद कर रहा था। पाकिस्तान के फील्ड मार्शल रावलपिंडी में पूरी तरह से बौखलाए थे और अनाप शनाप आरोप लगा रहे थे। अपनी हार छिपाने और पाकिस्तान की जनता को बर्गलाने के लिए असीम मुनीर ने अपनी हताशा छिपाते हुए कहा कि "भारत की यह रणनीति ब्लॉक पॉलिटिक्स के जरिये पश्चिमी देशों की सहानुभूति लेने और खुद को क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता साबित करने की नाकाम कोशिश है।" आपको बता दें कि मई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया था और पीओके और पाकिस्तान स्थिति 9 आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमले किए थे, जिनमें दर्जनों आतंकवादी मारे गये थे और इसके बाद भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच करीब 4 दिनों तक संघर्ष चला था। ये 1971 के बाद पहली बार था जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर हमला किया था। भारत ने लाहौर के रडार सिस्टम को युद्ध के पहले ही दिन तबाह कर दिया था, जिससे पाकिस्तान सेना असहाय हो गई थी। पाकिस्तानी सेना ने 'तीसरे पक्ष' की भूमिका को नकारा पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग ISPR के मुताबिक सम्मेलन में भारत पर पाकिस्तान में होने वाले आतंकवादी हमलों का आरोप लगाया गया है और मारे गये जवानों के लिए फातेहा पढ़ा गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में फैसला लिया गया है कि "भारत के एजेंटों और आतंकवादी प्रॉक्सी नेटवर्क के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।" फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने कहा कि "पहलगाम के बाद की बौखलाहट" में भारत अब नए-नए प्रॉक्सी इस्तेमाल कर रहा है, जिनमें 'फितना अल खवारिज' और 'फितना अल हिंदुस्तान' जैसी शक्तियां शामिल हैं। आपको बता दें कि मई महीने में चले भारत और पाकिस्तान संघर्ष के दौरान भारत ने पाकिस्तान के करीब 11 एयरबेस पर सटीक हमले किए थे। जिनमें रावलपिंडी स्थिति नूर खान एयरबेस था। नूर खान एयरबेस पर भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल दागी थी, जिसे इंटरसेप्ट करने में पाकिस्तान नाकाम रहा था। आपको बता दें कि तमाम रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि चीन ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ युद्ध के दौरान भारतीय सैन्य ठिकानों को लेकर लाइव फीड पाकिस्तान को दी थी। इसके अलावा भारत के ऑपरेशन सिंदूर से पहले तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन भेजे थे, जिसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया था। हालांकि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के तमाम तुर्की ड्रोन को हवा में ही मार गिराया। जिससे तुर्की के बायरकतार टीबी-2 ड्रोन का भ्रम भी टूट गया।

नितेश राणे के बयान से मचा बवाल, गोल टोपी पहनने वालों पर दिया विवादास्पद बयान

मुंबई महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री बने नितेश राणे ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है, जो अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नाराज कर सकता है। राणे ने कहा है कि गोल टोपी पहनने वाले उन्हें वोट नहीं देते हैं। वे हरे सांप हैं। उनका स्पष्ट इशारा मुस्लिम समुदाय की तरफ था। उन्होंने यह भी कहा कि वह हिन्दू मतदाताओं की वजह से चुनाव जीतकर आए हैं और मंत्री बने हैं। समाचार के मुताबिक मुंबई में नितेश राणे ने कहा, “गोल टोपी और दाढ़ी वालों ने मुझे वोट नहीं दिया। मैं हिंदुओं के वोट से विधायक बना हूं। अगर मैं हिंदुओं का समर्थन नहीं करूंगा, तो क्या मैं उर्दू बोलने वालों का समर्थन करूंगा? वे हरे सांप हैं… मुंबई का डीएनए हिंदू है।” उन्होंने कहा कि हम हिन्दू और मराठी होने पर गर्व करते हैं। हिन्दू समाज को बांट रहे ठाकरे बंधु राणे ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे पर भी निशाना साधा और कहा कि जैसे जिहादी समाज को तोड़ने की कोशिश करते हैं, वैसे ही ये दोनों (राज और उद्धव ठाकरे) कर रहे हैं। राणे ने पीएफआई और सिमी जैसे संगठनों का भी उल्लेख किया और कहा कि जिस तरह ये हिंदू राष्ट्र की अवधारणा के खिलाफ काम करते हैं, उसी तरह ठाकरे बंधु भी उनसे अलग नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दिनों ठाकरे बंधुओं की वर्ली रैली हिंदुओं और मराठी समाज को बांटने के लिए आयोजित की गई थी। राणे ने कहा कि ये रैली AIMIM, पीएफआई और सिमी की रैलियों जैसी ही थीं।  

अगले पांच वर्षों में रिकॉर्ड निवेश की तैयारी, अदाणी समूह लगाएगा 100 अरब डॉलर

मुंबई  अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने शुक्रवार को घोषणा की कि समूह अगले पांच वर्षों में लगभग 100 अरब डॉलर के पूंजीगत व्यय निवेश की तैयारी कर रहा है। गौतम अदाणी ने कहा, "इस प्रतिबद्धता का पैमाना और गति भारत के निजी क्षेत्र के इतिहास में अभूतपूर्व है क्योंकि हम भारत के उत्थान की रीढ़ को मजबूत करने में अपना योगदान दे रहे हैं, जिसमें 1.4 अरब सपने जुड़े हैं।" मुंबई में शीर्ष डॉक्टरों के सम्मेलन सोसाइटी फॉर मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी-एशिया पैसिफिक (एसएमआईएसएस-एपी) के 5वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए गौतम अदाणी ने कहा कि ये निवेश अदाणी समूह के 'भारत के भविष्य में विश्वास' की अभिव्यक्ति हैं, जिसमें ऊर्जा ग्रिड, लॉजिस्टिक्स धमनियां और देश की औद्योगिक रीढ़ शामिल हैं। गौतम अदाणी ने मुंद्रा बंदरगाह को एक साधारण नमक निर्यात घाट से भारत के सबसे बड़े मल्टी-कार्गो बंदरगाह के रूप में विकसित करने की समूह की सफलता की कहानी सुनाई। अदाणी समूह के अध्यक्ष ने बताया, "मुंद्रा एक विश्वास का साकार रूप है। यह याद दिलाता है कि जब सपने बुलंद होते हैं, तो नियति भी बदल जाती है क्योंकि अब यह भारत का सबसे बड़ा मल्टी-कार्गो पोर्ट, दुनिया का सबसे बड़ा निजी सिंगल-साइट थर्मल पावर प्लांट, भारत की पहली एचवीडीसी ट्रांसमिशन लाइन, भारत का सबसे बड़ा इंटीग्रेटेड सोलर एंड विंड मैन्युफैक्चरिंग हब और पेट्रोकेमिकल्स, कॉपर स्मेल्टर, सौर सहायक उपकरण सहित कई महत्वपूर्ण उद्योगों का एक समूह है।" उन्होंने बताया कि जब अमेरिकी साझेदार ने मुंद्रा नमक निर्यात घाट से शुरुआत में ही हाथ खींच लिए, तो उनकी कंपनी ने दलदली भूमि में निर्माण का कोई अनुभव न होने के बावजूद, इसे अपने दम पर बनाया। लगभग इसी समय, 1995-96 में, गुजरात ने बंदरगाह विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी नीति की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य निजी क्षेत्र की क्षमताओं का उपयोग करना था, और अदाणी समूह ने तुरंत इसका लाभ लिया। मुंद्रा बंदरगाह ने अक्टूबर 1998 में जन्म के साथ ही परिचालन शुरू किया, जिससे भारत का पहला निजी बंदरगाह शुरू हुआ। कुछ साल बाद, विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) नीति की घोषणा की गई। गौतम अदाणी ने कहा, "एक बार फिर, हमने तेजी से काम किया। जहां दूसरों को बंजर जमीन दिखाई दे रही थी, वहीं हमें 40,000 एकड़ की संभावनाएं दिखाई दे रही थीं।" उन्होंने कहा कि मुंद्रा बंदरगाह के अनुभव ने कंपनी को सीमाओं से परे देखने का साहस दिया। उन्होंने कहा, "इसने हमें यह विश्वास दिलाया कि बंजर नमक भूमि को वर्ल्ड-क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर में बदला जा सकता है, और इसने हमें यह विश्वास दिलाया कि अगर हम इसे एक बार कर सकते हैं, तो हम इसे फिर से बड़े, तेज और साहसिक रूप से कर सकते हैं।" अदाणी समूह के अध्यक्ष ने आगे कहा कि हमारी कर्मभूमि में जो शुरू हुआ वह अब सपनों का एक अखिल भारतीय नेटवर्क बन गया है, जो हमारे विकास को गति दे रहा है, जिसने हमें दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सोलर पावर कंपनी बनाया है और 500 वर्ग किलोमीटर में फैले 30 गीगावाट के दुनिया के सबसे बड़े सिंगल-साइट हाइब्रिड रिन्यूएबल पार्क का निर्माण किया है।" उन्होंने आगे कहा कि अदाणी समूह भारत का सबसे बड़ा इंटीग्रेटेड निजी हवाई अड्डा संचालक भी है, जिसके पास भारत के 25 प्रतिशत से अधिक यात्री और देश का 38 प्रतिशत हवाई माल है। इसके अलावा, समूह सबसे उच्च इंटीग्रेटेड एनर्जी बिजनेस चलाता है, जिसमें थर्मल और रिन्यूएबल जनरेशन, ट्रांसमिशन, डिस्ट्रिब्यूशन, एलएनजी, एलपीजी, सीएनजी, पीएनजी, बैटरी स्टोरेज, हाइड्रोजन ट्रक, ईवी चार्जिंग स्टेशन, पंप हाइड्रो और खनन शामिल हैं। गौतम अदाणी ने आगे कहा कि यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे कुशल सीमेंट निर्माता होने के साथ-साथ एयरोस्पेस और रक्षा, डेटा सेंटर और रियल एस्टेट का भी प्रमुख व्यवसाय है।

कंबोडिया में नागरिकता कानून में बड़ा बदलाव, संसद ने सरकार को दिए विशेष अधिकार

कंबोडिया  कंबोडिया की संसद ने एक संविधान संशोधन पारित किया है, जिससे सरकार को अब देश विरोधी साजिश रचने वालों की नागरिकता रद्द करने का अधिकार मिल जाएगा। प्रधानमंत्री हुन मानेट ने इसे देश की सुरक्षा के लिए ज़रूरी बताया, जबकि आलोचकों ने इसे विपक्ष और आलोचकों को दबाने की कोशिश कहा। कंबोडिया की संसद ने शुक्रवार को एक संविधान संशोधन को पारित किया, जो सरकार को उन लोगों की नागरिकता रद्द करने का अधिकार देगा जो विदेशी ताकतों से मिलकर देश के हितों को नुकसान पहुंचाने के दोषी पाए जाएंगे। 125 सदस्यीय नेशनल असेंबली ने सर्वसम्मति से संविधान के अनुच्छेद 33 में संशोधन को मंजूरी दी। इस बदलाव के बाद सरकार अब ऐसा कानून बना सकेगी जो पहली बार किसी व्यक्ति की नागरिकता को रद्द करने की अनुमति देगा। प्रधानमंत्री हुन मानेट के समर्थकों की ओर से लाए गए इस कानून को आलोचकों ने सरकार के विरोधियों को दबाने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करने की कोशिश बताया है। यह कानून उन लोगों पर भी लागू होगा जो जन्म से कंबोडियाई नागरिक हैं, दोहरी नागरिकता रखते हैं या जिन्हें विदेशी होते हुए भी कंबोडियाई नागरिकता दी गई है। सरकार के कुछ आलोचक और विपक्षी नेता दोहरी नागरिकता वाले माने जाते हैं।   कंबोडिया के न्याय मंत्री कोएउत रिथ ने कहा कि सरकार जल्द ही ऐसा कानून तैयार करेगी, जिससे देशद्रोह या विदेशी ताकतों से सांठगांठ करने वाले किसी भी व्यक्ति की नागरिकता रद्द की जा सकेगी। उन्होंने दावा किया कि कुछ कंबोडियाई नागरिकों ने एक अन्य देश के साथ मिलकर अपने देश को नुकसान पहुंचाया है। उनकी यह टिप्पणी 28 मई को कंबोडिया और थाईलैंड की सेनाओं के बीच सीमा विवाद में हुई झड़प की ओर इशारा करती है, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया था। थाईलैंड की सांविधानिक अदालत ने हाल ही में प्रदानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा को एक ऑडियो लीक को लेकर निलंबित कर दिया, जिसमें उन्हें कंबोडियाई सीनेट के अध्यक्ष हुन सेन के साथ सीमा विवाद पर चर्चा करते सुना गया था। हुन सेन प्रधानमंत्री हुन मानेट के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री हैं। इस लीक कॉल के बाद थाईलैंड में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई और प्रधानमंत्री शिनावात्रा की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे। पिछले महीने कंबोडिया ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से सीमा विवाद को सुलझाने की अपील की थी, जिसमें कई प्राचीन मंदिर स्थल शामिल हैं। संविधान संशोधन उस समय आया, जब हुन सेन ने न्याय मंत्रालय से सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ कानूनी विकल्प तलाशने को कहा। हुन सेन और हुन मानेट दोनों ने इस बदलाव को आवश्यक बताया और कहा कि दुनिया के कई देशों, जिनमें अमेरिका भी शामिल है, में ऐसे कानून मौजूद हैं। 

8th Pay Commission का तोहफा, कर्मचारियों की सैलरी में होगी जबरदस्त बढ़ोतरी!

नई दिल्ली  करोड़ों सरकारी कर्मचारी और रिटायर्ड कर्मचारी 8th Pay Commission के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस बीच एक अच्छी खबर सामने आई है, जिससे उनकी खुशी और बढ़ गई है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस वेतन आयोग के लागू होने से कर्मचारियों की सैलरी 30 से 34 % तक बढ़ सकती है। ब्रोकरेज फर्म एम्बिट कैपिटल का दावा ब्रोकरेज फर्म एम्बिट कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 8वां वेतन आयोग, वेतन और पेंशन में 30-34% की वृद्धि कर सकता है, जिससे लगभग 1.1 करोड़ लोगों को लाभ होगा। उम्मीद है कि नया वेतनमान जनवरी 2026 से लागू हो जाएगा, लेकिन इसके लिए पहले वेतन आयोग की रिपोर्ट तैयार करनी होगी, फिर उसे सरकार को भेजना होगा और सरकार को उसे मंजूरी भी देनी होगी। अभी तक सिर्फ आयोग के गठन का ऐलान ही हुआ है। आयोग का अध्यक्ष कौन होगा और उसका कार्यकाल क्या होगा, ये फैसले अभी बाकी हैं।   किसे मिलेगा लाभ? 8वें वेतन आयोग से लगभग 1.1 करोड़ लोगों को फायदा मिलने की उम्मीद है, जिनमें करीब 44 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी और लगभग 68 लाख पेंशनर्स शामिल हैं। 8वां वेतन आयोग लागू होने के बाद कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, भत्ते (जैसे महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, परिवहन भत्ता) और रिटायरमेंट बेनिफिट में बढ़ोतरी होगी। क्या होता है फिटमेंट फैक्टर? नए वेतन तय करने का एक खास हिस्सा फिटमेंट फैक्टर होता है. यह वह संख्या है जिसका उपयोग मौजूदा बेसिक सैलरी को गुणा करके नई सैलरी तय की जाती है. उदाहरण के लिए सातवें वेतन आयोग ने 2.57 के फैक्टर का इस्तेमाल किया था। उस समय इसने न्यूनतम बेसिक सैलरी 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति माह कर दी थी। रिपोर्ट के अनुसार इस बार फिटमेंट फैक्टर 1.83 और 2.46 के बीच हो सकता है. कर्मचारियों और पेंशनर्स को कितनी बढ़ोतरी मिलेगी, इसमें यह सटीक आंकड़ा अहम भूमिका निभाएगा। सैलरी बढ़ोतरी का इतिहास पिछले वेतन आयोगों ने भी सैलरी में महत्वपूर्ण वृद्धि दिखाई है:     छठा वेतन आयोग (2006): इसने कुल वेतन और भत्तों में लगभग 54% की वृद्धि दी थी।     सातवां वेतन आयोग (2016): यह लागू होने पर बेसिक सैलरी में 14.3% और अन्य भत्ते जोड़ने के बाद पहले साल में करीब 23 फीसदी की वृद्धि दिखाई थी। कैसे की जाती है सैलरी की कैलकुलेशन? एक सरकारी कर्मचारी की सैलरी में मूल वेतन, महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), परिवहन भत्ता (TA) और अन्य छोटे-मोटे लाभ शामिल होते हैं। समय के साथ मूल वेतन का हिस्सा कुल पैकेज के 65% से घटकर लगभग 50% रह गया है और अन्य भत्तों का हिस्सा इससे भी ज्यादा हो गया है। इन सभी को जोड़कर ही मासिक सैलरी दी जाती है। पेंशनर्स के लिए भी इसी तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे, हालांकि उन्हें HRA या TA नहीं दिया जाएगा।  

ऑपरेशन सिंदूर पर डोवल का बड़ा बयान, बोले- ‘भारत पूरी तरह सुरक्षित, 23 मिनट में हुआ सबकुछ’

नई दिल्ली  भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवल ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। IIT मद्रास के 62वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए डोवल ने कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि विदेशी मीडिया ने जानबूझकर झूठी खबरें फैलाईं, लेकिन किसी के पास भारत को हुए नुकसान की कोई तस्वीर नहीं है। पूरे ऑपरेशन में 23 मिनट लगे डोवल ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकवादी ठिकानों पर सटीक निशाना साधा था। ये ठिकाने सीमावर्ती इलाकों में नहीं थे और पूरे ऑपरेशन में केवल 23 मिनट लगे। उन्होंने कहा, "हमें अपनी स्वदेशी तकनीक विकसित करनी होगी। ऑपरेशन में इस्तेमाल की गई सामग्री भी ज्यादातर स्वदेशी थी।" विदेशी मीडिया पर भड़के  NSA ने विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "विदेशी मीडिया ने कहा कि पाकिस्तान ने कुछ किया, लेकिन आप मुझे एक भी तस्वीर दिखाइए जिसमें भारत की तरफ से कोई नुकसान हुआ हो। आज के समय में सैटेलाइट तस्वीरें उपलब्ध हैं। 10 मई से पहले और बाद की तस्वीरों में पाकिस्तान के 13 हवाईअड्डे ही दिखाए गए, जिनमें कोई भी नुकसान नहीं था।" उन्होंने आगे कहा, "मैं केवल वही बता रहा हूं जो विदेशी मीडिया ने तस्वीरों के आधार पर प्रसारित किया। हम पाकिस्तान के हवाई अड्डों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम हैं। लेकिन भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ।" इस बयान से स्पष्ट हुआ कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को पूरी तैयारी और रणनीति के साथ अंजाम दिया और किसी भी प्रकार की क्षति से बचा। NSA डोवल ने स्वदेशी तकनीक और रणनीतिक सतर्कता की आवश्यकता पर जोर देते हुए देश की सुरक्षा को प्राथमिकता बताया। 

एयर इंडिया क्रैश पर सरकार गंभीर, जांच एजेंसी AAIB जल्द देगी रिपोर्ट

मुंबई विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने कहा कि अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट जल्द आएगी और जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जा रही है। 12 जून को उड़ान भरने के तुरंत बाद एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर विमान क्रैश हो गया था, जिसमें 241 यात्रियों सहित 260 लोगों की मौत हुई थी। यह ड्रीमलाइनर विमान का पहला घातक हादसा था और एएआईबी इसकी जांच में जुटा है। विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने शुक्रवार को कहा कि अहमदाबाद में पिछले महीने हुए घातक एयर इंडिया विमान हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट बहुत जल्द जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय इस पूरी जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित कर रहा है। एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान (फ्लाइट एआई 171) 12 जून को लंदन के गैटविक जा रहा था। विमान अहमदाबाद से उड़ान भरने के थोड़ी देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल कॉम्प्लेक्स से टकरा गया था। इस हादसे में विमान में सवार 241 यात्रियों सहित कुल 260 लोगों की मौत हो गई। एक यात्री इस हादसे में बच गया।  मंत्री नायडू से जब पूछा गया कि इस हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट कब तक आने की संभावना है, तो उन्होंने कहा, बहुत जल्द… एएआईबी इस पर काम कर रहा है। यह उनकी जिम्मेदारी है, उन्हें अपना काम करने दीजिए। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय यह सुनिश्चित कर रहा है कि जांच प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और जिम्मेदार हो। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के नियमों के अनुसार, एएआईबी किसी भी विमान दुर्घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर सौंप सकता है। यह पहली बार था, जब बोइंग 787 ड्रीमलाइनर जैसे दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले चौड़े आकार वाले विमान की किसी हादसे में पूरी तरह क्षति और जनहानि हुई। 26 जून को इस हादसे को लेकर मंत्रालय ने एक स्थिति रिपोर्ट जारी की थी। 

मुस्लिम देशों की बदलती रणनीति: अब्राहम अकॉर्ड से जुड़ने की होड़ शुरू

वॉशिंगटन अब्राहम अकॉर्ड में एक और इस्लामिक देश शामिल हो सकता है। इसके साथ ही इसमें शामिल होने वाले देशों की संख्या 5 हो जाएगी। 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में यह अग्रीमेंट कराया था, जिसमें इजरायल के साथ यूएई, मोरक्को, बहरीन और सूडान ने करार किया था। यह पहला मौका था, जब किसी इस्लामिक देश ने इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने की पहल की थी। फिलिस्तीन से जंग के चलते इजरायल हमेशा ही इस्लामिक मुल्कों के टारगेट पर रहा है। यही कारण है कि इजरायल और अमेरिका चाहते हैं कि अब्राहम अकॉर्ड के बहाने तस्वीर को बदल दिया जाए। इसी के तहत अब एक और इस्लामिक देश मॉरिटानिया को साथ लाने की तैयारी है। मॉरिटानिया अरब लीग का सदस्य है और उसकी अब्राहम अकॉर्ड में एंट्री इस्लामिक दुनिया में बड़ी हलचल पैदा कर देगी। यदि उसकी एंट्री हुई तो अब्राहम अकॉर्ड में आने वाला वह 5वां मुस्लिम मुल्क होगा। इसका ऐलान कभी भी हो सकता है। हालांकि इस बारे में अब तक अमेरिका या इजरायल की ओर से पुष्टि नहीं की गई है। Semafar की न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी अफ्रीकी देश के नेता की मुलाकात वाइट हाउस में बेंजामिन नेतन्याहू से होगी। यह मुलाकात अमेरिका-अफ्रीका समिट से इतर होगी। इस मीटिंग में फैसला हो सकता है कि मॉरिटानिया कब अब्राहम अकॉर्ड में शामिल होगा। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि सीरिया को लेकर भी चर्चा है कि वह अब्राहम अकॉर्ड का हिस्सा हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से सभी आर्थिक प्रतिबंध हटा दिए हैं। इससे पहले सीरियाई लीडर अहमद अल शारा से सऊदी अरब में मुलाकात भी की थी। माना जाता है कि सीरिया को अब्राहम अकॉर्ड में लाने के लिए ही ट्रंप ने यह उदारता दिखाई है। यही नहीं लेबनान को लेकर भी कहा जा रहा है कि वह इजरायल के साथ संबंध बेहतर करने की दिशा में कदम उठा सकता है। मॉरिटानिया ने 2010 में तोड़ लिए थे इजरायल से सारे रिश्ते मॉरिटानिया ने 2010 में इजरायल के साथ अपने सभी संबंध समाप्त कर लिए थे। उत्तर पश्चिम अफ्रीका के मुस्लिम देश मॉरिटानिया का क्षेत्रफल 10 लाख वर्ग किलोमीटर है। ऐसे में एक बड़े देश के आने से इजरायल और अमेरिका को ताकत मिलेगी। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप भी बीते कुछ दिनों में कई बार दोहरा चुके हैं कि अब्राहम अकॉर्ड का विस्तार होने वाला है। नेतन्याहू का भी कहना है कि अब अब्राहम अकॉर्ड का विस्तार करने के लिए तैयार हैं। इससे मिडल ईस्ट के देशों में शांति और स्थिरता आएगी।